Terrorism … and that too saffron terrorism?

Published By : Admin | September 1, 2010 | 19:10 IST

मित्रों,

गृह मंत्री श्री चिदम्बरम जी, जो कांग्रेस सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं, उन्हें उस कुर्सी के इतिहास को याद करना चाहिए जिस पर वह अब बैठते हैं, उस पर कभी लौह पुरुष सरदार पटेल का अधिकार था और जिसने उसको शोभा प्रदान की थी. अगर वो उसे ठीक तरह से याद करते तो वह ऐसे बुरे इरादे के साथ एक काल्पनिक और गलत शब्द “भगवा आतंकवाद” का दावा करने का नहीं सोचते.

केन्द्रीय सरकार द्वारा लगाया गया यह आरोप कोई चुनावी रैली में क्रोध में कहा गया हो ऐसा भी नहीं है. लेकिन इसे राज्य के पुलिस प्रमुखों और पुलिस महानिरीक्षकों के एक बहुत ही महत्वपूर्ण और संवेदनशील सम्मेलन में, जिसका उन्होंने उद्घाटन किया था, उसमें कहा गया था. और इसलिए यह एक तैयार किया हुआ भाषण था. यह अनिष्ट को एक मामूली घटना के रूप में खारिज नहीं किया जा सकता है.केन्द्रीय कांग्रेस सरकार के गृह मंत्री ने इस तरह का गैर जिम्मेदाराना बयान देकर वास्तव में संविधान की सीमाओं के बाहर कदम रखा है. इस बयान के द्वारा सुरक्षा बलों और पुलिस के लोगों को एक खास वर्ग के खिलाफ एक निश्चित रुप में कार्य करने के लिए उकसाया गया है. यह एक गैर संवैधानिक व्यवहार है.

भगवे आतंक के बारे में बात करके केंद्र सरकार ने संगीन रुप से अपनी स्वयं की ही जन्म दाता कांग्रेस पार्टी का अपमान किया है. देश के गृह मंत्री को पता होना चाहिए कि कांग्रेस ने 1931 में ध्वज समिति की स्थापना की थी जिनके अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी थे. और पंडित जवाहर लाल नेहरू, श्री मौलाना आजाद, श्री मास्टर तारा सिंह, डॉ. आम्बेडकर, काका साहेब कालेलकर, कन्हैया लाल मुन्शी जैसे महान लोग इस समिति के सदस्य थे. उस सदस्यों ने सिफारिश की थी कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज एक ही रंग का होना चाहिए और वह भगवे रंग का होना चाहिए. तो फिर केन्द्रीय कांग्रेस सरकार 'भगवे आतंक' के बारे में बेबुनियाद ख़बर कैसे फैला सकती हैं?

मित्रों, वर्तमान तिरंगा, जिसे हम भारतीयों सम्मान देते हैं, उसकी अद्वितीय शोभा में भगवा रंग भी है. केंद्र को भारत के लोगों को जवाब देना होगा कि क्या हमारा तिरंगा अब अपने भगवे रंग के कारण आतंकवाद के एक प्रतीक में बदल गया है?

मित्रों, हमारी गुलामी के हजार साल में, हर समय अवधि में, हमारे महान देशभक्तों भगवे ध्वज की छाया के नीचे स्वयं को त्याग देते थे. क्या केन्द्रीय कांग्रेस सरकार की इच्छा ऐसी है कि इस देश की विरासत की रक्षा करने में जो लोगों ने खुद का बलिदान दिया था जैसे की गुरु प्रताप, छत्रपति शिवाजी, राणा प्रताप और लाखों वीर क्षत्रियों ने भगवे आतंक की वेदी पर बलिदान दिया था? क्या हमें बहादुरी और बलिदानों के रूप में जो हमारे सदियों पुराने भारतीय इतिहास में दर्ज कीया गया है उस पर बदनामी का ढेर लगाना चाहिए?

मित्रों, वेदों से विवेकानंद तक हमारे संतों और महंतों का अनन्त योगदान रहा है जब कि वे सभी भगवे रंग के कपड़े पहनते थे. भगवे वस्त्रधारी युवा सन्यासी विवेकानन्द ने राष्ट्रों के समुदाय में भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाया था. विवेकानंद जैसे तपस्वीओं का इस बलिदान संभवतः कांग्रेस सरकार के लिए भगवे आतंक की परंपरा का हिस्सा हो सकता है?

वोट बैंक और तुष्टीकरण की राजनीति ने इस देश को नष्ट कर दिया गया है. 'भगवे आतंक' की इस अफवाह को एक कुटिल राजनीतिक वोट बैंक और तुष्टीकरण के खेल के हिस्से के रुप में फैलाई गई है. हमारा देश ऐसे गंदे राजनीतिक खेल को कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता है.

हमारी महान प्राचीन संस्कृति का इस तरह का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.

युवाओं, उठो और जागो और जवाब मांगो....

आपका,

 

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डिजिटल इंडिया का एक दशक
July 01, 2025

दस साल पहले, हमने बहुत दृढ़ विश्वास के साथ अज्ञात क्षेत्र में एक साहसिक यात्रा शुरू की।

जबकि दशकों तक भारतीयों की; टेक्नोलॉजी का उपयोग करने की क्षमता पर संदेह किया जाता रहा, हमने इस अप्रोच को बदल दिया और भारतीयों की, टेक्नोलॉजी का उपयोग करने की क्षमता पर भरोसा किया।

जबकि दशकों तक यह सोचा जाता रहा कि टेक्नोलॉजी के उपयोग से संपन्न और वंचित के बीच की खाई और गहरी हो जाएगी, हमने इस मानसिकता को बदल दिया और संपन्न एवं वंचित के बीच की खाई को खत्म करने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग किया।

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जब इरादा सही हो, तो इनोवेशन, कम सशक्त लोगों को सशक्त बनाता है। जब अप्रोच, समावेशी होता है, तो टेक्नोलॉजी; हाशिये पर रहने वालों के जीवन में बदलाव लाती है।

इस विश्वास ने डिजिटल इंडिया की नींव रखी: पहुँच को लोकतांत्रिक बनाने, समावेशी डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करने और सभी के लिए अवसर प्रदान करने का मिशन।

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2014 में, इंटरनेट की पहुंच सीमित थी, डिजिटल साक्षरता कम थी और सरकारी सेवाओं तक ऑनलाइन पहुंच दुर्लभ थी। कई लोगों को संदेह था कि क्या भारत जैसा विशाल और विविधतापूर्ण देश वास्तव में डिजिटल हो सकता है।

आज, उस सवाल का जवाब न केवल डेटा और डैशबोर्ड में है, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों के जीवन में भी है। हम कैसे गवर्न करते हैं, कैसे सीखते हैं, लेन-देन करते हैं और कैसे निर्माण करते हैं, डिजिटल इंडिया हर जगह है।

डिजिटल खाई को पाटना

2014 में भारत में करीब 25 करोड़ इंटरनेट कनेक्शन थे। आज यह संख्या बढ़कर 97 करोड़ से ज़्यादा हो गई है। 42 लाख किलोमीटर से ज़्यादा ऑप्टिकल फाइबर केबल, जो पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से 11 गुना ज़्यादा है, अब सबसे दूरदराज के गांवों को भी जोड़ती है।

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भारत में 5G की शुरुआत दुनिया में सबसे तेज़ गति से हुई है, जहाँ सिर्फ़ दो साल में 4.81 लाख बेस स्टेशन स्थापित किए गए हैं। हाई-स्पीड इंटरनेट अब शहरी केंद्रों और गलवान, सियाचिन और लद्दाख सहित अग्रिम सैन्य चौकियों तक पहुँच गया है।

इंडिया स्टैक, जो हमारी डिजिटल रीढ़ है, ने UPI जैसे प्लेटफ़ॉर्म को सक्षम किया है, जो अब सालाना 100+ बिलियन लेनदेन को संभालता है। सभी वास्तविक समय के डिजिटल लेनदेन में से लगभग आधे भारत में होते हैं।

Direct Benefit Transfer (DBT) के माध्यम से, ₹44 लाख करोड़ से अधिक सीधे नागरिकों को ट्रांसफर किए गए हैं, जिससे बिचौलियों को हटाया गया है और ₹3.48 लाख करोड़ की लीकेज की बचत हुई है।

SVAMITVA जैसी योजनाओं ने 2.4 करोड़ से अधिक संपत्ति कार्ड जारी किए हैं और 6.47 लाख गांवों की मैपिंग की है, जिससे भूमि से संबंधित अनिश्चितता के वर्षों का अंत हुआ है।

सभी के लिए अवसर का लोकतंत्रीकरण

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था MSMEs और छोटे उद्यमियों को पहले से कहीं ज़्यादा सशक्त बना रही है।

ONDC (डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क) एक क्रांतिकारी प्लेटफ़ॉर्म है जो खरीदारों और विक्रेताओं के विशाल बाज़ार के साथ सहज कनेक्शन प्रदान करके अवसरों की एक नई खिड़की खोलता है।

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GeM (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस) आम आदमी को सरकार के सभी अंगों को सामान और सेवाएँ बेचने में सक्षम बनाता है। यह न केवल आम आदमी को एक विशाल बाज़ार के साथ सशक्त बनाता है बल्कि सरकार के लिए पैसे भी बचाता है।

कल्पना कीजिए: आप मुद्रा लोन के लिए ऑनलाइन आवेदन करते हैं। अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क के ज़रिए आपकी क्रेडिट योग्यता का मूल्यांकन किया जाता है। आपको अपना लोन मिल जाता है और आप अपना उद्यम शुरू कर देते हैं। आप GeM पर रजिस्टर होते हैं, स्कूलों और अस्पतालों को सप्लाई करते हैं और फिर ONDC के ज़रिए आगे बढ़ते हैं।

ONDC ने हाल ही में 200 मिलियन ट्रांज़ेक्शन को पार कर लिया है, जिसमें से आखिरी 100 मिलियन ट्रांज़ेक्शन सिर्फ़ छह महीनों में हुए हैं। बनारसी बुनकरों से लेकर नागालैंड के बांस कारीगरों तक, विक्रेता अब बिना किसी बिचौलिए या डिजिटल एकाधिकार के, पूरे देश में ग्राहकों तक पहुँच रहे हैं।

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GeM ने 50 दिनों में ₹1 लाख करोड़ GMV को भी पार कर लिया है, जिसमें 1.8 लाख से अधिक महिलाओं के नेतृत्व वाले MSME सहित 22 लाख विक्रेताओं ने ₹46,000 करोड़ के ऑर्डर पूरे किए हैं।

डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर: भारत की ग्लोबल ऑफरिंग

आधार, कोविन, डिजीलॉकर और फास्टैग से लेकर पीएम-वाणी और वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन तक भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) का अब वैश्विक स्तर पर अध्ययन और अपनाया जा रहा है।

कोविन ने दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को सक्षम बनाया, 220 करोड़ QR-verifiable प्रमाणपत्र जारी किए। 54 करोड़ यूजर्स के साथ डिजीलॉकर 775 करोड़ से अधिक दस्तावेजों को सुरक्षित और निर्बाध रूप से होस्ट करता है।

हमारे G20 प्रेसीडेंसी के माध्यम से, भारत ने ग्लोबल DPI रिपॉजिटरी और $25 मिलियन का सोशल इम्पैक्ट फंड लॉन्च किया, जिससे अफ्रीका और दक्षिण एशिया के देशों को समावेशी डिजिटल इकोसिस्टम अपनाने में मदद मिली।

स्टार्टअप पावर और आत्मनिर्भर भारत का संगम

भारत अब दुनिया के शीर्ष 3 स्टार्टअप इकोसिस्टम में शुमार है, जहाँ 1.8 लाख से ज़्यादा स्टार्टअप हैं। लेकिन यह सिर्फ़ स्टार्टअप मूवमेंट से कहीं ज़्यादा है, यह एक तकनीकी पुनर्जागरण है।

जब बात युवाओं में एआई स्किल पैठ और एआई talent concentration की आती है तो भारत बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।

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1.2 बिलियन डॉलर के India AI Mission के माध्यम से, भारत ने 34,000 जीपीयू तक वैश्विक स्तर पर बेजोड़ कीमतों पर 1 डॉलर/जीपीयू प्रति घंटे से भी कम कीमत पर पहुंच को सक्षम किया है, जिससे भारत न केवल सबसे किफायती इंटरनेट अर्थव्यवस्था बन गया है, बल्कि सबसे किफायती कंप्यूट डेस्टिनेशन भी बन गया है।

भारत ने humanity-first AI का समर्थन किया है। एआई पर New Delhi Declaration जिम्मेदारी के साथ इनोवेशन को बढ़ावा देती है। हम पूरे देश में AI Centres of Excellence स्थापित कर रहे हैं।

आगे की राह

अगला दशक और भी अधिक परिवर्तनकारी होगा। हम डिजिटल गवर्नेंस से ग्लोबल डिजिटल नेतृत्व की ओर, India-first से India-for-the-world की ओर बढ़ रहे हैं।

डिजिटल इंडिया, केवल एक सरकारी कार्यक्रम नहीं रह गया है, यह लोगों का आंदोलन बन गया है। यह एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण और भारत को दुनिया के लिए एक विश्वसनीय इनोवेशन भागीदार बनाने के लिए अहम है।

सभी इनोवेटर्स, उद्यमियों और सपने देखने वालों के लिए: दुनिया, अगली डिजिटल सफलता के लिए भारत की ओर देख रही है।

आइए, हम वह बनाएं, जो सशक्त करे।

आइए, हम वह हल करें, जो वास्तव में मायने रखता है।

आइए, हम ऐसी तकनीक से नेतृत्व करें जो जोड़ती है, सबको साथ लाती है और सबका उत्थान करती है।