मित्रों,
मैं मुख्यमंत्री के रूप में पिछले नौ वर्षों से गुजरात की सेवा करके गौरवान्वित हुआ हुँ। और मैं गुजरात और भारत के लोगों का उनके अदम्य समर्थन और सहयोग देने के लिए अत्यंत आभारी हूं। कई बाधाओं और तूफान, प्राकृतिक आपदाओं और वह भी राजनैतिक असहिष्णुता और दुर्भावनाओं और गलत सूचनाओं की बौछार के वातावरण के बीच होने के बावजूद भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने राज्य में नौ साल पूरे कर लियें हैं। यह हालाँकि 21 वीं सदी में गुजरात में विकास के एक दशक के रूप में इतिहास के वृतान्त में अंकित होगा।
हमने इस सरकार की दसवें वर्ष में प्रविष्टि को ‘एकता की प्रतिमा’ (स्टॅच्यू ऑफ यूनिटी) - दुनिया की सबसे बडी 182 मीटर उँची सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा बनाने की भव्य योजना को प्रस्तुत करने के द्वारा चिह्नित किया है। भारत के लौह पुरुष की प्रतिष्ठा के उपयुक्त, यह प्रतिमा, अमेरिका में ‘स्वतंत्रता की मूर्ति’ (स्टॅच्यू ऑफ लिबर्टी) की ऊंचाई से दोगुनी और रियो डी जेनेरो के ‘मुक्तिदाता ईसा मसीह’ (क्राइस्ट, दी रिडीमर) से चार गुनी होगी।
इसे 'एकता की प्रतिमा' नाम दिया जा रहा है क्योंकि वह सरदार थे जिसने आजादी के बाद के सबसे मुश्किल समय में, लगभग 550 रियासतों को भारत के संघ के अंदर मिलाके, और सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण के अलावा आधुनिक खेती और आदिवासी समुदायों के सशक्तिकरण जैसे विविध क्षेत्रों में एक योग्य प्रशासक के रूप में अच्छा शासन प्रदान करके भारत को एकजुट किया था।
यह 'एकता की प्रतिमा' सरदार सरोवर बांध से लगभग 3 किलोमीटर पर नर्मदा नदी के ताल पर साधु बेट पर निर्माण किया जाएगा जहाँ पर नावों में पहुंचा जा सकेगा। मेरा स्वप्न इस जगह को आने वाले युग के लिए प्रेरणा के एक स्रोत के रूप में विकसित करना है। उसमें एक उच्च तकनीक का संग्रहालय होगा, जो भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के 90 साल के इतिहास का वृतान्त देगा (1857-1947)। सिर्फ एक संरचना से बहुत आगे जाते हुए – भारत की एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए, इसकी समृद्ध संस्कृति और विरासत के लिए, कृषि पर अनुसंधान के लिए जो कि सरदार को प्रिय था, जनजातीय जीवन पर अनुसंधान के लिए और ऐसे बहुत से ओर कामों के लिए इसे एक अनुसंधान और शैक्षिक केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इस प्रकार, यह न सिर्फ मीटर और फुट में लेकिन शैक्षिक, ऐतिहासिक, राष्ट्रीय और आध्यात्मिक मूल्यों के संदर्भ में भी बहुत उँचा खड़ा होगा।
हम भारत की महान संतानों को उचित श्रद्धांजलि दे रहें हैं – चाहे वह गांधीनगर में बन रहा महात्मा मंदिर हो, मांडवी-कच्छ में क्रांतिगुरु श्यामजी कृष्ण वर्मा स्मारक हो या सुरत के पास हरिपुरा (नेताजी सुभाष चंद्र बोस के ऐतिहासिक कांग्रेस सत्र के आयोजन का स्थल) से ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी हो।
मित्रों, मुझे आशा है कि आपको यह उपहार पसंद आएगा, इस खुशी के मौके पर गुजरात की ओर से राष्ट्र और दुनिया के लिए एक और। इस पर की वीडियो क्लिप जरुर देखें। मुझे इस ऐतिहासिक स्मारक के लिए आपके सुझाव प्राप्त करना अच्छा लगेगा।
जय जय गरवी गुजरात ! जय जय स्वर्णीम गुजरात !
आपका,



