दि. २२/११/२०११ 

कराई पुलिस अकादमी, गांधीनगर

ज के इस समारोह के केन्द्रबिंदु, सभी ५३० नौजवान जो आज एक नये दायित्व का निर्वाह करने जा रहे हैं, इस समारोह में उपस्थित सभी अधिकारी, इन जवानों के अभिभावक, अतिथिगण और विद्यार्थी मित्रों...

९६० में गुजरात ने अपनी विकास यात्रा को प्रारंभ किया. इतने वर्षों में यह पहली घटना है कि पुलिस फोर्स में पी.एस.आई., जो एक महत्वपूर्ण इकाई है, उनकी इतनी बड़ी संख्या में एक साथ पास-आउट परेड हो रही है. यह भी बड़े गर्व की बात है कि इन ५३० में ६८ महिलाएँ हैं. पिछले ५० वर्षों में इस प्रकार के पास-आउट परेड में महिलाओं की जितनी टोटल संख्या थी, उससे यह ज्यादा है, एक ही परेड में. यह बात भी ध्यान में आयी है कि आज बहुत बड़ी संख्या में हाइली क्वॉलिफाइड नौजवान हैं जिन्होंने इस क्षेत्र को एक मिशन के रूप में स्वीकार किया है. इसमें कई इंजीनियर्स हैं, कई ऐसे नौजवान हैं जिन्होंने डॉक्टरेट किया है, बहुत सारे नौजवान लॉ ग्रेज्युएट हैं, बहुत सारे ऐसे हैं जो कभी शिक्षक थे, उस क्षेत्र को छोडकर यहाँ आये हैं. बहुत सारे नौजवान हैं जो सरकार में किसी न किसी पद पर थे, उसे छोडकर यहाँ आये हैं. तो एक मिशन के रूप में इस क्षेत्र में आना यह अपने आप में गुजरात के पुलिस दल के लिए एक शुभ संकेत है और इस बात पर मैं स्वय़ं गर्व अनुभव करता हूँ और आप सभी नौजवानों को इस क्षेत्र को चुनने के लिए मैं बधाई देता हूँ, अभिनंदन करता हूँ. मित्रों, एक कसौटी का काल रहता है, जब ट्रेनिंग होती है. कभी-कभी कुछ पल ऐसे भी आ जाते हैं कि जब लगता है इतनी मेहनत क्यों? ऐसे सुबह से शाम, महीनों तक जब ट्रेनिंग में होते हैं तो लगता है कि चलो भाई, जितनी जल्दी से निकल जाएँ, अच्छा होगा. और ऐसा लगना बहुत स्वाभाविक है. लेकिन यदि मंज़िल तक पहुँचना है तो सफ़र कितना ही कठिन क्यों न हो, उसको यदि हँसते-हँसते पार करते हैं तभी मंज़िल पर पहुँचने का आनंद आता है. आज आप सभी के लिए वही आनंद का पल है.

मित्रों, यहाँ जो शिक्षा-दीक्षा होती है, वो एक सर्टिफिकेट पाने के लिए, या एक ट्रोफी पाने के लिए नहीं होती है, नौकरी में स्थान पाने के लिए नहीं होती है, इस प्रकार की जो ट्रेनिंग होती है उसे जीवन भर जीना पडता है. और जीवन में वही सफल होता है जो शिक्षाकाल में जो पाया है, उसको जीवन की आदत बनाता है. यहाँ तो डिसीप्लिन में रहना स्वाभाविक है क्योंकि यह तो यहाँ की व्यवस्था में है, यहाँ जल्दी उठना स्वाभाविक है क्योंकि हम एक व्यवस्था में हैं. सुबह बिगुल बजता होगा, व्हिसल बजती होगी, वो हमें एक धरने मे ले जाती होगी. जब किसी एक व्यवस्था की चौखट में होते हैं तब अपने आपको ढालना मुश्किल नहीं होता है. कभी हमें एक तीन बाइ छ: के कमरे में रहने के लिए कोई कहे तो हम रह नहीं पाते और कोई कहे कि ४८ अवर्स आपको इसी में रहना है, कैसे भी गुजारा करना है, तो एक बोझ महसूस होता है. लेकिन यदि ४८ अवर्स की जर्नी हो और ट्रेन के उस छोटे से कम्पार्टमेन्ट में टाइम निकालना हो तो बड़े आराम से निकाल देते हैं. क्योंकि पता है कि मैं एक व्यवस्था के भीतर हूँ और ४८ घंटे के बाद ही मुझे उतरना है, तो अपने आप ही वो हँसते खेलते निकाल देते हैं. मित्रों, इसलिए इस साल भर के जीवन को पार करना उतना कठिन नहीं था, जितना कि कठिनाई अब शुरू होती है जब कोई कहने वाला नहीं होगा, कोई पूछने वाला नहीं होगा, एक्सरसाइज़ करिये यह कहने के लिए कोई होगा नहीं. जिन विषयों को देखा है, जिन कानूनी बारिकिओं को समझा है उनको स्मरण किजिए, उनको याद किजिए और हर घटना के साथ अपने मन को जोडकर... कि ऐसा हुआ; मैं होता तो क्या करता? जब तक अपना मन निरंतर यह काम नहीं करता है तब तक हम अपने प्रोफेशन में सफल नहीं होते हैं. यहाँ का जो कालख्ण्ड है, उसको चौबीसों घंटे जीने का प्रयास करना सबसे बड़ा चैलेन्ज होता है. मैं आशा करता हूँ कि आप सभी नौजवान जब आज यहाँ से जीवन के एक नये अवसर की ओर कदम रख रहे हैं तब आप इन बातों को ध्यान में रखेंगे कि इसे कैसे जिया जाए, ज़िंदगी का हिस्सा कैसे बनाया जाए, यह शिक्षा किसी पद के लिए नहीं; एक जीवन की पुन:प्रतिष्ठा के लिए कैसे काम आए. इसलिए यदि यह शिक्षा इस तरह उपयोग में आयेगी तो मैं मानता हूँ कि आप अपने युनिफॉर्म की शोभा बढ़ायेंगे, आपके कंधे पर जो नाम या पट्टियां लगी हैं, वो अपने आप में एक प्रतिष्ठा होती है. वे केवल आपके कंधे की शोभा नहीं बढाती है, बल्कि आपके कंधे पर जो निशान होता है वो आपकी इस राज्य के प्रति जिम्मेवारी को दर्शाता है. वो कंधा आपकी शोभा के लिए नहीं होता है, वो कंधा तो राज्य की शोभा के लिए होता है. और जो इस कंधे का सामर्थ्य समझता है, उस कंधे पर लगी हुई पट्टी, उस पर लगे हुए वो सिम्बोल, उस पर लगे हुए वो नाम, इन सबकी अपनी एक ताकत होती है, उसके साथ एक गरिमा जुडी होती है, एक सम्मान जुडा हुआ होता है और इसलिए आपका कंधा पूरे राज्य की शक्ति का कंधा बनता है और उस कंधे को सँभालने के लिए पूरे जीवन को, पूरे शरीर को, पूरे मन-मंदिर को प्रतिबद्ध करना पडता है और तभी जा करके जीवन बनता है.

भाईयों-बहनों, विद्यार्थी काल में मुक्ति का एक आनंद होता है और इसलिए चाहे कितने ही बड़े दायित्व को संभालना हो, हम विद्यार्थी अवस्था में होते हैं तब हमारा मन काफ़ी लचीला होता है, उसमें खुलापन भी होता है, लेकिन जब उसी शिक्षा-दीक्षा के साथ दायित्व में जाते हैं तब दायित्व का एक बहुत बड़ा बोझ होता है और यह एक ऐसा क्षेत्र है कि जहाँ सबसे ज्यादा तनाव का माहौल रहता है. हर पल अटेन्शन में रहना पडता है. पता नहीं कब क्या होगा, कहाँ दौडना पडेगा, कहाँ भागना पडेगा...! आपको यहाँ जो योग की दीक्षा दी गई है, वो यदि ऐसे समय में आपके जीवन का हिस्सा बनें तो तनाव से मुक्त हो करके, स्वस्थ मन से, कितनी ही बाधायें क्यों न आएँ, कितने ही संकट क्यों न आएँ, कितनी ही गहन परिस्थिति को निपटने की स्थिति क्यों न आए, यदि मन को स्वस्थ रखना है तो इस योग की शिक्षा को आप अपने जीवन का हिस्सा बनाएँगे ऐसी मैं आप सब से आशा करता हूँ. यदि आपके चेहरे पर मुस्कान होती है तो आप बहुत ही आसानी से कठोर से कठोर काम को भी कर पाते हैं और इसलिए यहाँ जो शिक्षा-दीक्षा मिली है, उसका जो ह्यूमन ऐंगल है, जो बारिकियाँ हैं, उन्हें कभी भूलना नहीं चाहिए, उसे प्राथमिकता देनी चाहिए.

भाईयों-बहनों, आज आप एक व्यवस्था के अंदर यहाँ से जा रहे हैं. एक बहुत बड़ी लंबी पाइप लाइन में एक ओर से घुसते हैं तो कुछ न चाहते हुए भी दूसरी ओर वैसे भी निकलने वाले ही होते हैं. और कुछ लोग ऐसे होते हैं कि जीवन में एक व्यवस्था के अंदर प्रवेश कर लेते हैं फिर उनको लगता है कि समय ही उन्हें आगे लेता चला जायेगा. मित्रों, जो समय का इंतजार करते हुए चलते रहते हैं, न वो ज़िंदगी में कुछ पा सकते हैं, न जीवन में किसी को देने का संतोष ले सकते हैं. नौजवानों, मैं आपसे ये नहीं चाहता हूँ कि आप इसे अपनी मंज़िल मानें, आप इसे एक मुकाम मानें. आप मन में तय करके जाएँ कि और आगे जाना है, और नयी ऊँचाईयोँ पर जाना है. इसके लिए जितनी अपनी क्षमता बढ़ानी होगी, जितना अपना ज्ञान बढ़ाना होगा, जितना अपना कौशल्य बढ़ाना होगा, आपको अपनी जिन-जिन क्वॉलिटीज़ को जोड़ना होगा, उनको जोड़ने के लिए आप प्रयास करेंगे और यदि आप ऐसा करते हैं तो मुझे विश्वास है मित्रों, आपके लिए यह मुकाम नहीं रहेगा. समय इंतजार नहीं करेगा, आप समय के पास जायेंगे और उच्च पदों पर पहुँचने का मौका आप भी ढ़ूँढ़ें, जितने भी रास्तों से गुज़रना पडे; गुज़रें, जितनी भी कसौटियों को पार करना पडे; करें लेकिन आप उच्च पद पर जाने के सपने देखते हुए अपनी मंजिल ऊँची रखिए, एक एक मुकाम को पार करते जाइए और कुछ नया पाने का संकल्प ले करके चलेंगे तो मुझे विश्वास है दोस्तों, आप में से कई लोग इस राज्य की आन-बान-शान बनकर पूरे हिंदुस्तान में अपना नाम रोशन कर सकते हैं. यह मेरा भरोसा है, आप अपने आप पर भरोसा किजिए, आप अपने जीवन को आगे बढ़ा सकते हैं.

मुझे इस बात का गर्व है, मैं यहाँ जब पासिंग आउट परेड के निरिक्षण के लिए जा रहा था तो पहले कुछ नागरिकों की ओर मैंने देखा और मैंने अनुभव किया कि उनमें ज्यादातर वो परिवार बैठे थे जिनका बेटा, जिसका भाई इस परेड मे शामिल है. मैं उनकी तरफ देख रहा था. बहुत ही सामान्य परिवार के स्वजन यहाँ बैठे हुए हैं. कोई बहुत उच्च घर से आए हुए लोग नहीं हैं. कई ऐसी विधवा माताएँ हैं, जिनका बेटा आज इस युनिफॉर्म में शान से खड़ा होगा. उस विधवा माँ ने कब सोचा होगा की मेरे बेटे को इस प्रकार का पद मिल सकता है. आज की व्यवस्था जिस प्रकार से गुज़र रही है, कोई भरोसा नहीं कर सकता है कि एक विधवा माँ का बेटा जिसे कोई पहचानता तक नहीं है, लेकिन व्यवस्था के तहत, ट्रैन्स्पेरन्सी के कारण, अपनी क्षमता के कारण वो यहाँ तक पहुँच गया है. भाईयों-बहनों, जिस प्रकार से हमें यह मौका मिला है, हम जीवन-भर इस बात को याद रखेंगे, कि आज मेरी माँ खुश है, क्योंकि एक ट्रैन्स्पेरन्ट व्यवस्था के कारण मैं इस जगह पर पहुंच पाया हूँ. मेरा भाई खुश है, मेरी बहन खुश है, मेरे पिताजी खुश है, मेरी माँ खुश है... मेरा परिवार खुश है. जिनको यह विश्वास होगा कि मुझे जो यह प्रवेश मिला है, यहाँ तक आने के लिए मेरे लिए जो खिड़की खुली है, उसमें जो पारदर्शिता थी, उस पारदर्शिता में बहुत बड़ी ताकत थी. यदि मेरी ज़िंदगी में आनंद का कारण वो पारदर्शिता है, मेरे परिवार की खुशी का कारण वो पारदर्शिता है तो मेरा कर्तव्य बनता है कि मैं जीवन-भर उस पारदर्शिता का पालन करूँ ताकि मैं भी हजारों-लाखों लोगों की खुशियों का कारण बन सकूँ. और इसलिए मित्रों, मैं आपसे अपेक्षा करूँगा, मैं आपसे प्रार्थना करूँगा, मैं आग्रह करूँगा... और जब आपने ईश्वर को साथ रखते हुए, आज जो शपथ ली है, उस शपथ का एक-एक शब्द जीना पडता है, दोस्तों. शपथ, यह केवल वाणी नहीं है, शपथ केवल शब्द नहीं होते हैं. तिरंगा झण्डा हमारे जीवन की आन, बान, शान है. उसे जब स्पर्श करते हैं, तो एक नई चेतना का संचार होता है. आपको जब ऐसी अवस्था में उसका स्पर्श होता है तो आप के भीतर उस चेतना का संचार होता है, आप जीवन-भर इस पल को याद रखेंगे. इस तिरंगे झंण्डे की शान के लिए महापुरूषों ने बलिदान दिये थे, १८५७ से लेकर १९४२ तक कितने ही लोगों ने अपने जीवन दे दिए और तब जाकर सन ’४७ में हमने इस तिरंगे झंण्डे का सम्मान और गौरव पाया है. भाईयों-बहनों,  जिस गौरव को आज हमें स्पर्श करने का अवसर मिला है, वो हमारी ज़िंदगी का कितना बड़ा सामर्थ्य बन सकता है, हमारी जिंदगी में कितनी बड़ी चेतना को जगाने का एक अवसर बन सकता है. शपथ के शब्द, शब्द न रहते हुए मेरे जीवन का संकल्प कैसे बन जाए, शपथ का भाव मेरे जीवन का भाव कैसे बन जाए और हर पल ईश्वर को स्मरण करते हुए मैं उसको जीने की कैसे कोशिश करुँ और तब जा करके इस शपथ का मूल्य बढ़ता जाता है. आपका जीवन इस शपथ की शक्ति के साथ आगे बढ़ता जाए, इसके लिए मैं आपको शुभकामनाएँ देता हूँ.

भाईयों-बहनों, देश नये नये संकटों से गुज़र रहा है. एक ज़माना था, जब सेनाएँ युद्ध करती थीं तो कितनों के लहू बहते थे, कितनी माँओं कि गोदें उजड़ जाती थीं..! वक्त बदल चुका है. आज युद्ध में टॅक्नोलोजी ने जगह ली है. सीना तानकर गोलियाँ खाने की नौबत कम होती चली जा रही है. इसके बावज़ूद भी देश की जय और पराजय संभव हो सकती है. नये क्षेत्र खुल चुके हैं. और इसी प्रकार सामान्य जीवन में सुरक्षा का विषय पहले जैसा नहीं रहा है. गुनाहित कृत्यों में टॅक्नोलोजी ने जगह ले ली है. विषय एक दो गुनाहों का नहीं रहा है, अब आतंकवाद, नक्सलवाद जैसी समस्याओं से देश को जूझना पड रहा है. मित्रों, युद्ध में जितने जवान नहीं मारे गये हैं, उससे ज़्यादा जवान आतंकवादियों की गोलियोँ से मारे गये हैं. देश के विकास को ठप करने में नक्सलवाद एक बहुत बड़ा कारण बना हुआ है आज. इस देश में कई इलाक़े हैं, जहाँ सरकार ने जाकर स्कूल बनाया, नक्सलवादिओं ने उड़ा दिया, कहीं अस्पताल बनाया तो नक्सलवादियों ने उड़ा दिया. असंतोष की आग पैदा करने के लिए न जाने कितने ही लोगों को मारा जा रहा है. भाईयों-बहनों, यह आतंकवाद हो, नक्सलवाद हो, हमें अपनी जान की बाजी लगाकर भी निर्दोष नागरिकों की रक्षा करनी पडती है. और मित्रों, जब तक भीतर साहस नहीं है, तब तक हम उस स्थिति से निपट नहीं सकते हैं. और साहस किताबों से प्राप्त नहीं होता है, साहस की माला नहीं जपी जाती है, अपने आप को तैयार करना पडता है और जब मन में पवित्रता हो, मन में संकल्प हो तो भय नाम की कोई चीज़ नहीं रहती, भाईयों. और इसलिए मैं आप से चाहता हूँ कि मेरा एक-एक साथी अभय होना चाहिये, निर्भय होना चाहिये, अभय और निर्भय इस वर्दी के सबसे प्रमुख गुण होने चाहिये. यदि वो अभय और निर्भय नहीं है तो शायद भय के सामने वह विचलित हो जायेगा और इसलिए, भाईयों-बहनों, आप एक ऐसे दायित्व की ओर जा रहे हैं जहाँ जीवन की ऊँचाइयोँ को पार करने के लिए सामान्य से समान्य मानवी की रक्षा के लिए अपने आपको लगायेंगे.

भाईयों-बहनों, पुलिस जनता जनार्दन की मित्र होती है, यह हम बचपन से सुनते आए हैं. मुझे यह चरित्र लाना है और इसलिए हमने ‘रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी’ शुरू की है. उस रक्षा शक्ति युनिवर्सिटी में पहले हम वो ट्रेनिंग देना चाहते हैं कि सुरक्षा बलों के जवानों की जो ट्रेनिंग हो वह नौकरी के लिए नहीं जीवन के लिए ट्रेनिंग हो. नौकरी, यह पेशा... ये तो बाइ-प्रोडक्ट हो, उस दिशा में हम जाना चाहते हैं. आने वाले दिनों में उसका भी हम उपयोग करना चाहते हैं. मैं आज सरकार के कुछ मित्रों से बात कर रहा था. अब डेढ़ साल का समय है आपके पास, जिसमें आपने यहाँ जो सिखा है, उसे तलवार की नोक पर जीकर दिखाना होगा आपको. सब लोग बारीकी से आपको देखेंगे, हर चीज़ का रिपोर्ट बनेगा, आपकी छोटी-सी गलती भी आपके लिए बहुत बड़ा संकट बन सकती है. ऐसे डेढ साल का समय होता है, जिसमें आपको सिर्फ़ डिसीप्लिन से अपने आप को सिद्ध करना होता है. उसकी अनेक प्रकार की पद्धतियाँ हैं. मैं उसमें एक नई पद्धति जोड़ने की सोच रहा हूँ. मैं इस क्षेत्र के जो विद्वान हैं उनसे कहूँगा कि उस पर काम करें और एक ही हफ्ते में कुछ निर्णय हम कर सकें. यहाँ से एक एक नौजवान जो तैयार हो कर जाता है, उसको डेढ़ साल के कार्यकाल में कम से कम १०० अवर्स अपने से नीचे जो कोन्स्टेबल्स हैं उन्हें वो ट्रेनिंग दें. यहाँ से जो उसने ट्रेनिंग ली है... १०० अवर्स, २५-२५ की चार बॅच हो या ३०-३० की तीन बॅच हो, हर दिन सुबह ५ से ८, ५:३० से ८, उन कोन्स्टेबल को ट्रेनिंग दें. जो यहाँ पर सीखा है, वो वहाँ सिखाएँ. एक सिलेबस बनाया जाये, १०० अवर्स का. और वो काम आप लोग करें ताकि यहाँ पर आप जो सीखे हैं, उसीको सिखाने से वो और अधिक पक्का होता है, और स्वभाव अधिक आक्रमक बन जाता है. कभी-कभी सीखते समय बहुत सी चीज़ों पर हमारा ध्यान नहीं जाता है. कभी-कभी इग्ज़ैम में तो निकल जाते हैं, लेकिन जब सिखाना होता है तब बहुत-सी बातों की ओर हमारा ध्यान जाता है और इसलिए आपके इस डेढ़ साल के काम में १०० अवर्स की एक और जिम्मेदारी जोड़ने की मैं सोच रहा हूँ. और हम देखेंगे कि जिन कोन्स्टेबल को आपने ट्रैन किया है, उसमें से कितने परसेन्ट हैं जिनको सफलता मिलती है, उसके आधार पर हम तय करेंगे कि आपने यहाँ से क्या पाया है. यहाँ से कुछ भी भूलकर नहीं जाना है.

मुझे विश्वास है मित्रों, राज्य में एक साथ इतनी बड़ी संख्या में आप जैसे नौजवानों को पूरी व्यवस्था से जोड़ने के कारण गुजरात के पुलिस बल को एक नई ताकत मिलेगी, आम आदमी के सुख-दु:ख के साथी बनकर उन्हें हम सुरक्षा का एक नया एहसास दे पायेंगे और गुजरात का सामान्य से सामान्य व्यक्ति हमारी उपस्थिति मात्र से सुरक्षा का अनुभव करेगा. हमारी उपस्थिति मात्र से उसे चैन की नींद आ जाए इस प्रकार का अपना व्यवहार रहे, इसी एक अपेक्षा के साथ आप सबको बहुत बहुत शुभकामनाएँ. आपके परिवारजनों को भी शुभकामनाएँ देता हूँ कि समाज ने इतना सारा दिया है, आपके बेटे को एक प्रतिष्ठा दी है. जब भी मौका मिले हम सब मिलकर समाज के कर्ज़ को चुकाने के लिए कुछ न कुछ करते रहें. इसी एक अपेक्षा के साथ आप सबको एक नयी जिम्मेदारी के साथ भारत माता की सेवा के लिए कदम आगे बढ़ाने का मैं आह्वान करता हूँ, शुभकामनाएँ देता हूँ.

 

हुत बहुत धन्यवाद..!

 

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असम ने विकास की नई गति पकड़ी है: पीएम मोदी
December 21, 2025
असम ने विकास की नई गति पकड़ी है-प्रधानमंत्री
हमारी सरकार किसानों के कल्याण को अपने सभी प्रयासों के केंद्र में रख रही है-प्रधानमंत्री मोदी
कृषि को बढ़ावा देने और किसानों का समर्थन करने के लिए प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन जैसी पहलें शुरू की गई हैं- प्रधानमंत्री
'सबका साथ, सबका विकास' की परिकल्पना से प्रेरित होकर हमारे प्रयासों ने गरीबों के जीवन को बदल दिया है-प्रधानमंत्री मोदी

उज्जनिर रायज केने आसे? आपुनालुकोलोई मुर अंतोरिक मोरोम आरु स्रद्धा जासिसु।

असम के गवर्नर लक्ष्मण प्रसाद आचार्य जी, मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा जी, केंद्र में मेरे सहयोगी और यहीं के आपके प्रतिनिधि, असम के पूर्व मुख्यमंत्री, सर्बानंद सोनोवाल जी, असम सरकार के मंत्रीगण, सांसद, विधायक, अन्य महानुभाव, और विशाल संख्या में आए हुए, हम सबको आशीर्वाद देने के लिए आए हुए, मेरे सभी भाइयों और बहनों, जितने लोग पंडाल में हैं, उससे ज्यादा मुझे वहां बाहर दिखते हैं।

सौलुंग सुकाफा और महावीर लसित बोरफुकन जैसे वीरों की ये धरती, भीमबर देउरी, शहीद कुसल कुवर, मोरान राजा बोडौसा, मालती मेम, इंदिरा मिरी, स्वर्गदेव सर्वानंद सिंह और वीरांगना सती साध`नी की ये भूमि, मैं उजनी असम की इस महान मिट्टी को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ।

साथियों,

मैं देख रहा हूँ, सामने दूर-दूर तक आप सब इतनी बड़ी संख्या में अपना उत्साह, अपना उमंग, अपना स्नेह बरसा रहे हैं। और खासकर, मेरी माताएँ बहनें, इतनी विशाल संख्या में आप जो प्यार और आशीर्वाद लेकर आईं हैं, ये हमारी सबसे बड़ी शक्ति है, सबसे बड़ी ऊर्जा है, एक अद्भुत अनुभूति है। मेरी बहुत सी बहनें असम के चाय बगानों की खुशबू लेकर यहां उपस्थित हैं। चाय की ये खुशबू मेरे और असम के रिश्तों में एक अलग ही ऐहसास पैदा करती है। मैं आप सभी को प्रणाम करता हूँ। इस स्नेह और प्यार के लिए मैं हृदय से आप सबका आभार करता हूँ।

साथियों,

आज असम और पूरे नॉर्थ ईस्ट के लिए बहुत बड़ा दिन है। नामरूप और डिब्रुगढ़ को लंबे समय से जिसका इंतज़ार था, वो सपना भी आज पूरा हो रहा है, आज इस पूरे इलाके में औद्योगिक प्रगति का नया अध्याय शुरू हो रहा है। अभी थोड़ी देर पहले मैंने यहां अमोनिया–यूरिया फर्टिलाइज़र प्लांट का भूमि पूजन किया है। डिब्रुगढ़ आने से पहले गुवाहाटी में एयरपोर्ट के एक टर्मिनल का उद्घाटन भी हुआ है। आज हर कोई कह रहा है, असम विकास की एक नई रफ्तार पकड़ चुका है। मैं आपको बताना चाहता हूँ, अभी आप जो देख रहे हैं, जो अनुभव कर रहे हैं, ये तो एक शुरुआत है। हमें तो असम को बहुत आगे लेकर के जाना है, आप सबको साथ लेकर के आगे बढ़ना है। असम की जो ताकत और असम की भूमिका ओहोम साम्राज्य के दौर में थी, विकसित भारत में असम वैसी ही ताकतवर भूमि बनाएंगे। नए उद्योगों की शुरुआत, आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण, Semiconductors, उसकी manufacturing, कृषि के क्षेत्र में नए अवसर, टी-गार्डेन्स और उनके वर्कर्स की उन्नति, पर्यटन में बढ़ती संभावनाएं, असम हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। मैं आप सभी को और देश के सभी किसान भाई-बहनों को इस आधुनिक फर्टिलाइज़र प्लांट के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ। मैं आपको गुवाहटी एयरपोर्ट के नए टर्मिनल के लिए भी बधाई देता हूँ। बीजेपी की डबल इंजन सरकार में, उद्योग और कनेक्टिविटी की ये जुगलबंदी, असम के सपनों को पूरा कर रही है, और साथ ही हमारे युवाओं को नए सपने देखने का हौसला भी दे रही है।

साथियों,

विकसित भारत के निर्माण में देश के किसानों की, यहां के अन्नदाताओं की बहुत बड़ी भूमिका है। इसलिए हमारी सरकार किसानों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए दिन-रात काम कर रही है। यहां आप सभी को किसान हितैषी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। कृषि कल्याण की योजनाओं के बीच, ये भी जरूरी है कि हमारे किसानों को खाद की निरंतर सप्लाई मिलती रहे। आने वाले समय में ये यूरिया कारख़ाना यह सुनिश्चित करेगा। इस फर्टिलाइज़र प्रोजेक्ट पर करीब 11 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। यहां हर साल 12 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा खाद बनेगी। जब उत्पादन यहीं होगा, तो सप्लाई तेज होगी। लॉजिस्टिक खर्च घटेगा।

साथियों,

नामरूप की ये यूनिट रोजगार-स्वरोजगार के हजारों नए अवसर भी बनाएगी। प्लांट के शुरू होते ही अनेकों लोगों को यहीं पर स्थायी नौकरी भी मिलेगी। इसके अलावा जो काम प्लांट के साथ जुड़ा होता है, मरम्मत हो, सप्लाई हो, कंस्ट्रक्शन का बहुत बड़ी मात्रा में काम होगा, यानी अनेक काम होते हैं, इन सबमें भी यहां के स्थानीय लोगों को और खासकर के मेरे नौजवानों को रोजगार मिलेगा।

लेकिन भाइयों बहनों,

आप सोचिए, किसानों के कल्याण के लिए काम बीजेपी सरकार आने के बाद ही क्यों हो रहा है? हमारा नामरूप तो दशकों से खाद उत्पादन का केंद्र था। एक समय था, जब यहां बनी खाद से नॉर्थ ईस्ट के खेतों को ताकत मिलती थी। किसानों की फसलों को सहारा मिलता था। जब देश के कई हिस्सों में खाद की आपूर्ति चुनौती बनी, तब भी नामरूप किसानों के लिए उम्मीद बना रहा। लेकिन, पुराने कारखानों की टेक्नालजी समय के साथ पुरानी होती गई, और काँग्रेस की सरकारों ने कोई ध्यान नहीं दिया। नतीजा ये हुआ कि, नामरूप प्लांट की कई यूनिट्स इसी वजह से बंद होती गईं। पूरे नॉर्थ ईस्ट के किसान परेशान होते रहे, देश के किसानों को भी तकलीफ हुई, उनकी आमदनी पर चोट पड़ती रही, खेती में तकलीफ़ें बढ़ती गईं, लेकिन, काँग्रेस वालों ने इस समस्या का कोई हल ही नहीं निकाला, वो अपनी मस्ती में ही रहे। आज हमारी डबल इंजन सरकार, काँग्रेस द्वारा पैदा की गई उन समस्याओं का समाधान भी कर रही है।

साथियों,

असम की तरह ही, देश के दूसरे राज्यों में भी खाद की कितनी ही फ़ैक्टरियां बंद हो गईं थीं। आप याद करिए, तब किसानों के क्या हालात थे? यूरिया के लिए किसानों को लाइनों में लगना पड़ता था। यूरिया की दुकानों पर पुलिस लगानी पड़ती थी। पुलिस किसानों पर लाठी बरसाती थी।

भाइयों बहनों,

काँग्रेस ने जिन हालातों को बिगाड़ा था, हमारी सरकार उन्हें सुधारने के लिए एडी-चोटी की ताकत लगा रही है। और इन्होंने इतना बुरा किया,इतना बुरा किया कि, 11 साल से मेहनत करने के बाद भी, अभी मुझे और बहुत कुछ करना बाकी है। काँग्रेस के दौर में फर्टिलाइज़र्स फ़ैक्टरियां बंद होती थीं। जबकि हमारी सरकार ने गोरखपुर, सिंदरी, बरौनी, रामागुंडम जैसे अनेक प्लांट्स शुरू किए हैं। इस क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। आज इसी का नतीजा है, हम यूरिया के क्षेत्र में आने वाले कुछ समय में आत्मनिर्भर हो सके, उस दिशा में मजबूती से कदम रख रहे हैं।

साथियों,

2014 में देश में सिर्फ 225 लाख मीट्रिक टन यूरिया का ही उत्पादन होता था। आपको आंकड़ा याद रहेगा? आंकड़ा याद रहेगा? मैं आपने मुझे काम दिया 10-11 साल पहले, तब उत्पादन होता था 225 लाख मीट्रिक टन। ये आंकड़ा याद रखिए। पिछले 10-11 साल की मेहनत में हमने उत्पादन बढ़ाकर के करीब 306 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच चुका है। लेकिन हमें यहां रूकना नहीं है, क्योंकि अभी भी बहुत करने की जरूरत है। जो काम उनको उस समय करना था, नहीं किया, और इसलिए मुझे थोड़ा एक्स्ट्रा मेहनत करनी पड़ रही है। और अभी हमें हर साल करीब 380 लाख मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत पड़ती है। हम 306 पर पहुंचे हैं, 70-80 और करना है। लेकिन मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं, हम जिस प्रकार से मेहनत कर रहे हैं, जिस प्रकार से योजना बना रहे हैं और जिस प्रकार से मेरे किसान भाई-बहन हमें आशीर्वाद दे रहे हैं, हम हो सके उतना जल्दी इस गैप को भरने में कोई कमी नहीं रखेंगे।

और भाइयों और बहनों,

मैं आपको एक और बात बताना चाहता हूं, आपके हितों को लेकर हमारी सरकार बहुत ज्यादा संवेदनशील है। जो यूरिया हमें महंगे दामों पर विदेशों से मंगाना पड़ता है, हम उसकी भी चोट अपने किसानों पर नहीं पड़ने देते। बीजेपी सरकार सब्सिडी देकर वो भार सरकार खुद उठाती है। भारत के किसानों को सिर्फ 300 रुपए में यूरिया की बोरी मिलती है, उस एक बोरी के बदले भारत सरकार को दूसरे देशों को, जहां से हम बोरी लाते हैं, करीब-करीब 3 हजार रुपए देने पड़ते हैं। अब आप सोचिए, हम लाते हैं 3000 में, और देते हैं 300 में। यह सारा बोझ देश के किसानों पर हम नहीं पड़ने देते। ये सारा बोझ सरकार खुद भरती है। ताकि मेरे देश के किसान भाई बहनों पर बोझ ना आए। लेकिन मैं किसान भाई बहनों को भी कहूंगा, कि आपको भी मेरी मदद करनी होगी और वह मेरी मदद है इतना ही नहीं, मेरे किसान भाई-बहन आपकी भी मदद है, और वो है यह धरती माता को बचाना। हम धरती माता को अगर नहीं बचाएंगे तो यूरिया की कितने ही थैले डाल दें, यह धरती मां हमें कुछ नहीं देगी और इसलिए जैसे शरीर में बीमारी हो जाए, तो दवाई भी हिसाब से लेनी पड़ती है, दो गोली की जरूरत है, चार गोली खा लें, तो शरीर को फायदा नहीं नुकसान हो जाता है। वैसा ही इस धरती मां को भी अगर हम जरूरत से ज्यादा पड़ोस वाला ज्यादा बोरी डालता है, इसलिए मैं भी बोरी डाल दूं। इस प्रकार से अगर करते रहेंगे तो यह धरती मां हमसे रूठ जाएगी। यूरिया खिला खिलाकर के हमें धरती माता को मारने का कोई हक नहीं है। यह हमारी मां है, हमें उस मां को भी बचाना है।

साथियों,

आज बीज से बाजार तक भाजपा सरकार किसानों के साथ खड़ी है। खेत के काम के लिए सीधे खाते में पैसे पहुंचाए जा रहे हैं, ताकि किसान को उधार के लिए भटकना न पड़े। अब तक पीएम किसान सम्मान निधि के लगभग 4 लाख करोड़ रुपए किसानों के खाते में भेजे गए हैं। आंकड़ा याद रहेगा? भूल जाएंगे? 4 लाख करोड़ रूपया मेरे देश के किसानों के खाते में सीधे जमा किए हैं। इसी साल, किसानों की मदद के लिए 35 हजार करोड़ रुपए की दो योजनाएं नई योजनाएं शुरू की हैं 35 हजार करोड़। पीएम धन धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन, इससे खेती को बढ़ावा मिलेगा।

साथियों,

हम किसानों की हर जरूरत को ध्यान रखते हुए काम कर रहे हैं। खराब मौसम की वजह से फसल नुकसान होने पर किसान को फसल बीमा योजना का सहारा मिल रहा है। फसल का सही दाम मिले, इसके लिए खरीद की व्यवस्था सुधारी गई है। हमारी सरकार का साफ मानना है कि देश तभी आगे बढ़ेगा, जब मेरा किसान मजबूत होगा। और इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

साथियों,

केंद्र में हमारी सरकार बनने के बाद हमने किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा से पशुपालकों और मछलीपालकों को भी जोड़ दिया था। किसान क्रेडिट कार्ड, KCC, ये KCC की सुविधा मिलने के बाद हमारे पशुपालक, हमारे मछली पालन करने वाले इन सबको खूब लाभ उठा रहा है। KCC से इस साल किसानों को, ये आंकड़ा भी याद रखो, KCC से इस साल किसानों को 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की मदद दी गई है। 10 लाख करोड़ रुपया। बायो-फर्टिलाइजर पर GST कम होने से भी किसानों को बहुत फायदा हुआ है। भाजपा सरकार भारत के किसानों को नैचुरल फार्मिंग के लिए भी बहुत प्रोत्साहन दे रही है। और मैं तो चाहूंगा असम के अंदर कुछ तहसील ऐसे आने चाहिए आगे, जो शत प्रतिशत नेचुरल फार्मिंग करते हैं। आप देखिए हिंदुस्तान को असम दिशा दिखा सकता है। असम का किसान देश को दिशा दिखा सकता है। हमने National Mission On Natural Farming शुरू की, आज लाखों किसान इससे जुड़ चुके हैं। बीते कुछ सालों में देश में 10 हजार किसान उत्पाद संघ- FPO’s बने हैं। नॉर्थ ईस्ट को विशेष ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने खाद्य तेलों- पाम ऑयल से जुड़ा मिशन भी शुरू किया। ये मिशन भारत को खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर तो बनाएगा ही, यहां के किसानों की आय भी बढ़ाएगा।

साथियों,

यहां इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में हमारे टी-गार्डन वर्कर्स भी हैं। ये भाजपा की ही सरकार है जिसने असम के साढ़े सात लाख टी-गार्डन वर्कर्स के जनधन बैंक खाते खुलवाए। अब बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ने की वजह से इन वर्कर्स के बैंक खातों में सीधे पैसे भेजे जाने की सुविधा मिली है। हमारी सरकार टी-गार्डन वाले क्षेत्रों में स्कूल, रोड, बिजली, पानी, अस्पताल की सुविधाएं बढ़ा रही है।

साथियों,

हमारी सरकार सबका साथ सबका विकास के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है। हमारा ये विजन, देश के गरीब वर्ग के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव लेकर आया है। पिछले 11 वर्षों में हमारे प्रयासों से, योजनाओं से, योजनाओं को धरती पर उतारने के कारण 25 करोड़ लोग, ये आंकड़ा भी याद रखना, 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। देश में एक नियो मिडिल क्लास तैयार हुआ है। ये इसलिए हुआ है, क्योंकि बीते वर्षों में भारत के गरीब परिवारों के जीवन-स्तर में निरंतर सुधार हुआ है। कुछ ताजा आंकड़े आए हैं, जो भारत में हो रहे बदलावों के प्रतीक हैं।

साथियों,

और मैं मीडिया में ये सारी चीजें बहुत काम आती हैं, और इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं मैं जो बातें बताता हूं जरा याद रख के औरों को बताना।

साथियों,

पहले गांवों के सबसे गरीब परिवारों में, 10 परिवारों में से 1 के पास बाइक तक होती नहीं थी। 10 में से 1 के पास भी नहीं होती थी। अभी जो सर्वे आए हैं, अब गांव में रहने वाले करीब–करीब आधे परिवारों के पास बाइक या कार होती है। इतना ही नहीं मोबाइल फोन तो लगभग हर घर में पहुंच चुके हैं। फ्रिज जैसी चीज़ें, जो पहले “लग्ज़री” मानी जाती थीं, अब ये हमारे नियो मिडल क्लास के घरों में भी नजर आने लगी है। आज गांवों की रसोई में भी वो जगह बना चुका है। नए आंकड़े बता रहे हैं कि स्मार्टफोन के बावजूद, गांव में टीवी रखने का चलन भी बढ़ रहा है। ये बदलाव अपने आप नहीं हुआ। ये बदलाव इसलिए हुआ है क्योंकि आज देश का गरीब सशक्त हो रहा है, दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले गरीब तक भी विकास का लाभ पहुंचने लगा है।

साथियों,

भाजपा की डबल इंजन सरकार गरीबों, आदिवासियों, युवाओं और महिलाओं की सरकार है। इसीलिए, हमारी सरकार असम और नॉर्थ ईस्ट में दशकों की हिंसा खत्म करने में जुटी है। हमारी सरकार ने हमेशा असम की पहचान और असम की संस्कृति को सर्वोपरि रखा है। भाजपा सरकार असमिया गौरव के प्रतीकों को हर मंच पर हाइलाइट करती है। इसलिए, हम गर्व से महावीर लसित बोरफुकन की 125 फीट की प्रतिमा बनाते हैं, हम असम के गौरव भूपेन हजारिका की जन्म शताब्दी का वर्ष मनाते हैं। हम असम की कला और शिल्प को, असम के गोमोशा को दुनिया में पहचान दिलाते हैं, अभी कुछ दिन पहले ही Russia के राष्ट्रपति श्रीमान पुतिन यहां आए थे, जब दिल्ली में आए, तो मैंने बड़े गर्व के साथ उनको असम की ब्लैक-टी गिफ्ट किया था। हम असम की मान-मर्यादा बढ़ाने वाले हर काम को प्राथमिकता देते हैं।

लेकिन भाइयों बहनों,

भाजपा जब ये काम करती है तो सबसे ज्यादा तकलीफ काँग्रेस को होती है। आपको याद होगा, जब हमारी सरकार ने भूपेन दा को भारत रत्न दिया था, तो काँग्रेस ने खुलकर उसका विरोध किया था। काँग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा था कि, मोदी नाचने-गाने वालों को भारत रत्न दे रहा है। मुझे बताइए, ये भूपेन दा का अपमान है कि नहीं है? कला संस्कृति का अपमान है कि नहीं है? असम का अपमान है कि नहीं है? ये कांग्रेस दिन रात करती है, अपमान करना। हमने असम में सेमीकंडक्टर यूनिट लगवाई, तो भी कांग्रेस ने इसका विरोध किया। आप मत भूलिए, यही काँग्रेस सरकार थी, जिसने इतने दशकों तक टी कम्यूनिटी के भाई-बहनों को जमीन के अधिकार नहीं मिलने दिये! बीजेपी की सरकार ने उन्हें जमीन के अधिकार भी दिये और गरिमापूर्ण जीवन भी दिया। और मैं तो चाय वाला हूं, मैं नहीं करूंगा तो कौन करेगा? ये कांग्रेस अब भी देशविरोधी सोच को आगे बढ़ा रही है। ये लोग असम के जंगल जमीन पर उन बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसाना चाहते हैं। जिनसे इनका वोट बैंक मजबूत होता है, आप बर्बाद हो जाए, उनको इनकी परवाह नहीं है, उनको अपनी वोट बैंक मजबूत करनी है।

भाइयों बहनों,

काँग्रेस को असम और असम के लोगों से, आप लोगों की पहचान से कोई लेना देना नहीं है। इनको केवल सत्ता,सरकार और फिर जो काम पहले करते थे, वो करने में इंटरेस्ट है। इसीलिए, इन्हें अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए ज्यादा अच्छे लगते हैं। अवैध घुसपैठियों को काँग्रेस ने ही बसाया, और काँग्रेस ही उन्हें बचा रही है। इसीलिए, काँग्रेस पार्टी वोटर लिस्ट के शुद्धिकरण का विरोध कर रही है। तुष्टीकरण और वोटबैंक के इस काँग्रेसी जहर से हमें असम को बचाकर रखना है। मैं आज आपको एक गारंटी देता हूं, असम की पहचान, और असम के सम्मान की रक्षा के लिए भाजपा, बीजेपी फौलाद बनकर आपके साथ खड़ी है।

साथियों,

विकसित भारत के निर्माण में, आपके ये आशीर्वाद यही मेरी ताकत है। आपका ये प्यार यही मेरी पूंजी है। और इसीलिए पल-पल आपके लिए जीने का मुझे आनंद आता है। विकसित भारत के निर्माण में पूर्वी भारत की, हमारे नॉर्थ ईस्ट की भूमिका लगातार बढ़ रही है। मैंने पहले भी कहा है कि पूर्वी भारत, भारत के विकास का ग्रोथ इंजन बनेगा। नामरूप की ये नई यूनिट इसी बदलाव की मिसाल है। यहां जो खाद बनेगी, वो सिर्फ असम के खेतों तक नहीं रुकेगी। ये बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश तक पहुंचेगी। ये कोई छोटी बात नहीं है। ये देश की खाद जरूरत में नॉर्थ ईस्ट की भागीदारी है। नामरूप जैसे प्रोजेक्ट, ये दिखाते हैं कि, आने वाले समय में नॉर्थ ईस्ट, आत्मनिर्भर भारत का बहुत बड़ा केंद्र बनकर उभरेगा। सच्चे अर्थ में अष्टलक्ष्मी बन के रहेगा। मैं एक बार फिर आप सभी को नए फर्टिलाइजर प्लांट की बधाई देता हूं। मेरे साथ बोलिए-

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

और इस वर्ष तो वंदे मातरम के 150 साल हमारे गौरवपूर्ण पल, आइए हम सब बोलें-

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।