तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा

प्रिय मित्रों,

ये कोई सामान्य शब्द नहीं हैं। ये वे शब्द हैं जिन्होंने एक समूचे देश को ऊर्जा से लबरेज कर दिया था। “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा” का नारा देकर एक व्यक्ति ने ब्रिटीश हुकूमत के खिलाफ चुनौती पेश की और साम्राज्यवाद की बेड़ियों से आजादी के लिए इस देश के लोगों को प्रेरित किया। यह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे, जिनकी जन्म जयंती के अवसर पर आज हम उन्हें श्रद्धांजलि प्रेषित कर रहे हैं।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम का यशस्वी इतिहास याद करें तो नेताजी का नाम उसमें स्वर्ण अक्षरों में दर्ज मिलेगा। उनका नाम प्रत्येक भारतीय के दिलों-दिमाग पर अंकित हो चुका है। देश आज सुभाष बाबू को एक बहादूर सैनिक के रूप में याद करता है, जिन्होंने अपने देशबंधुओं की स्वतंत्रता और सम्मान के लिए अपना समग्र जीवन समर्पित कर दिया। नेताजी में संगठनक्षमता और नेतृत्वशक्ति कूट-कूट कर भरी थी। उनकी एक विशेषता यह थी कि उन्होंने महात्मा गांधी के साथ भी काम किया था और क्रांतिकारी राष्ट्रवाद के प्रति समर्पित होकर सशस्त्र क्रांति का नेतृत्व भी किया था।

नेताजी के साथ गुजरात का एक मजबूत और अटूट नाता रहा है। गुजरात की धरा, हरिपुरा में १९३८ में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए जीत हासिल की। नेताजी बोस ने जब जर्मनी में अपना रेडियो शुरू किया तब गुजरात के श्री एम.आर. व्यास ने इस कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। गुजरात के ही एक सपूत श्री अमृतलाल शेठ ने ‘जन्मभूमि’ अखबार में आजाद हिन्द फौज (आईएनए) से संबंधित खबरें लिखी थीं, जो देश भर में इस प्रकार की पहली घटना थी।

सुभाष जयंती के इस अवसर पर मेरा मन २००९ की ओर लौट रहा है, जब इसी दिन गुजरात ने ग्राम विकास के लिए टेक्नोलॉजी के विनियोग का एक नया अध्याय शुरू किया था। हमने गुजरात के गांवों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी से लैस करने वाले “ई-ग्राम, विश्व ग्राम” प्रोजेक्ट की शुरूआत की थी। हमने हरिपुरा से इस योजना की शुरूआत की थी, वही भूमि जहां से सुभाष बाबू ने आजादी की जंग का आह्वान किया था। इस पहल ने हमारी विकास यात्रा में बड़ा योगदान दिया है।

एक बार फिर, मैं सुभाष बाबू को उनकी जन्म जयंती के अवसर पर हार्दिक श्रद्धांजलि देता हूं। सुभाष बाबू की देशभक्ति की भावना पीढ़ियों से हमारी मातृभूमि के सपूतों को प्रेरित करती आई है।

जय हिन्द,

नरेन्द्र मोदी

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आपकी पूंजी, आपका अधिकार
December 10, 2025

कुछ दिन पहले ‘हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट’ में अपनी स्पीच के दौरान, मैंने कुछ चौंकाने वाले आंकड़े रखे थे:

भारतीय बैंकों में हमारे अपने नागरिकों के 78,000 करोड़ रुपये अनक्लेम्ड पड़े हैं।

इंश्योरेंस कंपनियों के पास करीब 14,000 करोड़ रुपये अनक्लेम्ड पड़े हैं।

म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास लगभग 3,000 करोड़ रुपये हैं और 9,000 करोड़ रुपये के डिविडेंड भी अनक्लेम्ड पड़े हैं।

इन बातों ने बहुत से लोगों को चौंका दिया है।

आखिरकार, ये एसेट्स अनगिनत परिवारों की मेहनत से बचाई गई सेविंग और इन्वेस्टमेंट को दिखाते हैं।

इसे ठीक करने के लिए, अक्टूबर 2025 में आपकी पूंजी, आपका अधिकार - Your Money, Your Right पहल शुरू की गई थी।

इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक नागरिक अपने अधिकार के अनुसार अपना हक वापस पा सके।

फंड को ट्रैक करने और क्लेम करने की प्रक्रिया को आसान व पारदर्शी बनाने के लिए, डेडिकेटेड पोर्टल भी बनाए गए हैं। जो इस प्रकार हैं:

• भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) – UDGAM पोर्टल https://udgam.rbi.org.in/unclaimed-deposits/#/login

• भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) – बीमा भरोसा पोर्टल: https://bimabharosa.irdai.gov.in/Home/UnclaimedAmount

• भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI)– MITRA पोर्टल: https://app.mfcentral.com/links/inactive-folios

• कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय, IEPFA पोर्टल: https://www.iepf.gov.in/content/iepf/global/master/Home/Home.html

मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि दिसंबर 2025 तक, पूरे ग्रामीण और शहरी भारत के 477 जिलों में फैसिलिटेशन कैंप लगाए गए हैं। हमारा जोर दूर-दराज के इलाकों को कवर करने पर रहा है।

सरकार, नियामक संस्थाओं, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों सहित सभी हितधारकों की संयुक्त कोशिशों के माध्यम से, करीब 2,000 करोड़ रुपये पहले ही वास्तविक हकदारों को वापस मिल चुके हैं।

लेकिन हम आने वाले दिनों में इस अभियान को और बढ़ाना चाहते हैं। और ऐसा करने के लिए, मैं आपसे इन बातों पर मदद का अनुरोध करता हूँ:

पता कीजिए कि क्या आपके या आपके परिवार के पास कोई अनक्लेम्ड डिपॉजिट, बीमा की रकम, डिविडेंड या इन्वेस्टमेंट हैं।

ऊपर बताए गए पोर्टलों पर जाएं।

अपने जिले में सुविधा कैंप का लाभ उठाएं।

जो आपका है, उसे क्लेम करने के लिए अभी कदम बढ़ाएं और एक भूली हुई फाइनेंशियल संपत्ति को एक नए अवसर में बदलें। आपका पैसा आपका है। आइए, यह सुनिश्चित करें कि यह आपको वापस मिले।

आइए, साथ मिलकर एक पारदर्शी, आर्थिक रूप से सशक्त और समावेशी भारत बनाएं!