बैठक का विषय: ‘बहुपक्षीय संवाद को मजबूत करना - सतत शांति और विकास के लिए प्रयास करना’

बैठक में मौजूद, विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने प्रधानमंत्री के भाषण को प्रस्तुत किया

इस समय दुनिया भू-राजनीतिक तनाव, भू-आर्थिक ताकतों और भू-तकनीकी प्रगति के कारण बहुत बड़े बदलावों का अनुभव कर रही है। इन सभी के व्यापक निहितार्थ हैं। जब हम आगे देखते हैं, तो पाते हैं कि तात्कालिक और प्रणालीगत चुनौतियाँ तथा अवसर दोनों ही मौजूद हैं। जब हम इन चुनौतियों पर विचार करते हैं, तो हमें यह स्पष्ट होना चाहिए कि दुनिया अनिवार्य रूप से वास्तविक बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ रही है। ऐसे परिदृश्य में, एससीओ और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। लेकिन इसका वास्तविक महत्व इस बात पर निर्भर करेगा कि हम सभी आपस में कितना अच्छा सहयोग करते हैं। हम एससीओ के भीतर इस पर पहले ही चर्चा कर चुके हैं। यह विस्तारित परिवार पर भी लागू होता है।

चुनौतियों की बात करें, तो आतंकवाद निश्चित रूप से हममें से कई के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। सच्चाई यह है कि राष्ट्रों द्वारा इसे अस्थिरता के साधन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। सीमा पार आतंकवाद से जुड़े हमारे अपने अनुभव हैं। हमारे सामने यह स्पष्ट होना चाहिए कि किसी भी रूप या अभिव्यक्ति में आतंकवाद को उचित या माफ़ नहीं किया जा सकता है। आतंकवादियों को शरण देने की कड़ी निंदा की जानी चाहिए। सीमा पार आतंकवाद को निर्णायक जवाब देने की आवश्यकता है तथा आतंकवाद के वित्तपोषण और भर्ती का प्रभावी ढंग से मुकाबला किया जाना चाहिए। एससीओ को अपनी प्रतिबद्धता में कभी भी कमी नहीं लानी चाहिए। हम इस संबंध में दोहरे मापदंड नहीं अपना सकते।

जब भू-अर्थशास्त्र की बात आती है, तो आज की आवश्यकता विभिन्न, विश्वसनीय और सुदृढ़ आपूर्ति श्रृंखलाएँ बनाना है। यह कोविड के अनुभव की एक महत्वपूर्ण सीख है। ‘मेक इन इंडिया’ वैश्विक विकास के इंजनों को गति दे सकता है और वैश्विक अर्थव्यवस्था को लोकतांत्रिक बनाने में मदद कर सकता है। भारत क्षमता निर्माण में दूसरे देशों के साथ साझेदारी करने के लिए तैयार है, खासकर ग्लोबल साउथ के देशों के साथ।

वर्तमान में प्रौद्योगिकी न केवल बहुत आशाजनक है, बल्कि विकास और सुरक्षा दोनों ही मामलों में तेजी से गेम चेंजर बन रही है। डिजिटल युग को अधिक विश्वास और पारदर्शिता की आवश्यकता है। एआई और साइबर सुरक्षा अपने आप में महत्वपूर्ण मुद्दे उठाते हैं। साथ ही, भारत ने दिखाया है कि डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और डिजिटल वित्तीय समावेश बहुत बड़ा अंतर ला सकते हैं। हमारी एससीओ अध्यक्षता के दौरान दोनों विषयों पर चर्चा की गई। वे एससीओ सदस्यों और भागीदारों को शामिल करते हुए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के दायरे का भी विस्तार करते हैं।

चुनौतियों पर दृढ़ रहते हुए, सक्रियता के साथ और सहयोगात्मक रूप से प्रगति के रास्तों की तलाश करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। वर्तमान वैश्विक बहस, नए संपर्क संबंध बनाने पर केंद्रित है, जो एक पुनर्संतुलित विश्व की बेहतर सेवा करेंगे। यदि इसे तेज गति प्राप्त करनी है, तो इसके लिए कई देशों के संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है। इसे देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का भी सम्मान करना चाहिए और इसे पड़ोसियों के लिए गैर-भेदभावपूर्ण व्यापार और पारगमन अधिकारों की नींव पर बनाया जाना चाहिए। एससीओ विस्तारित परिवार के लिए, हम भारत और ईरान के बीच दीर्घकालिक समझौते के माध्यम से हाल ही में चाबहार बंदरगाह पर हुई प्रगति को रेखांकित करते हैं। यह न केवल भूमि से घिरे मध्य एशियाई राज्यों के लिए बहुत मूल्यवान है, बल्कि भारत और यूरेशिया के बीच वाणिज्य को भी जोखिम मुक्त करता है।

क्षेत्र के बारे में, मैं अफ़गानिस्तान पर भी बात करना चाहूँगा। हमारे लोगों के बीच ऐतिहासिक संबंध हैं जो हमारे संबंधों का आधार हैं। हमारे सहयोग में विकास परियोजनाएँ, मानवीय सहायता, क्षमता निर्माण और खेल शामिल हैं। भारत अफ़गान लोगों की ज़रूरतों और आकांक्षाओं के प्रति संवेदनशील है।

एससीओ विस्तारित परिवार मौजूदा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में सुधार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता झा करता है। यह तभी संभव है, जब ये प्रयास संयुक्त राष्ट्र और उसकी सुरक्षा परिषद तक विस्तारित हों। हमें उम्मीद है कि निकट भविष्य में, हम आगे के रास्ते पर एक मजबूत आम सहमति विकसित कर सकते हैं।

भारत ने एससीओ के आर्थिक एजेंडे को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हमने एससीओ स्टार्टअप फ़ोरम और स्टार्टअप और इनोवेशन पर विशेष कार्य समूह जैसी व्यवस्थाओं को संस्थागत रूप दिया है। भारत में 130,000 स्टार्टअप हैं, जिनमें 100 यूनिकॉर्न शामिल हैं, हमारा अनुभव दूसरों के लिए उपयोगी हो सकता है।

जब मेडिकल और आरोग्य पर्यटन की बात आती है, तो आप जानते होंगे कि डब्ल्यूएचओ ने गुजरात में पारंपरिक चिकित्सा के लिए एक वैश्विक केंद्र स्थापित किया है। एससीओ में, भारत ने पारंपरिक चिकित्सा पर एक नए एससीओ कार्य समूह के लिए पहल की है।

शिक्षा, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण को बढ़ाना, भारत के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के प्रमुख स्तंभ हैं। हम उन्हें और आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, चाहे वह सी5 भागीदारों के साथ हो, या ‘पड़ोसी पहले’ या विस्तारित पड़ोस के साथ।

जैसे-जैसे अधिक देश पर्यवेक्षकों या संवाद भागीदारों के रूप में एससीओ के साथ जुड़ना चाहते हैं, हमें बेहतर संवाद करने तथा अपनी सहमति को और प्रगाढ़ करने का प्रयास करना चाहिए। अंग्रेजी को तीसरी आधिकारिक भाषा का दर्जा देना महत्वपूर्ण होगा।

हम शिखर सम्मेलन की सफल जबानी के लिए कजाख पक्ष को बधाई देते हैं। विश्व बंधु या दुनिया के मित्र के रूप में, भारत हमेशा अपने सभी भागीदारों के साथ सहयोग को प्रगाढ़ करने का प्रयास करेगा। हम एससीओ की आगामी चीनी अध्यक्षता की सफलता के लिए भी अपनी शुभकामनाएं देते हैं।

पूरा भाषण पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए

Explore More
आज सम्पूर्ण भारत, सम्पूर्ण विश्व राममय है: अयोध्या में ध्वजारोहण उत्सव में पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

आज सम्पूर्ण भारत, सम्पूर्ण विश्व राममय है: अयोध्या में ध्वजारोहण उत्सव में पीएम मोदी
Rocking concert economy taking shape in India

Media Coverage

Rocking concert economy taking shape in India
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Prime Minister expresses gratitude to the Armed Forces on Armed Forces Flag Day
December 07, 2025

The Prime Minister today conveyed his deepest gratitude to the brave men and women of the Armed Forces on the occasion of Armed Forces Flag Day.

He said that the discipline, resolve and indomitable spirit of the Armed Forces personnel protect the nation and strengthen its people. Their commitment, he noted, stands as a shining example of duty, discipline and devotion to the nation.

The Prime Minister also urged everyone to contribute to the Armed Forces Flag Day Fund in honour of the valour and service of the Armed Forces.

The Prime Minister wrote on X;

“On Armed Forces Flag Day, we express our deepest gratitude to the brave men and women who protect our nation with unwavering courage. Their discipline, resolve and spirit shield our people and strengthen our nation. Their commitment stands as a powerful example of duty, discipline and devotion to our nation. Let us also contribute to the Armed Forces Flag Day fund.”