परम श्रद्धेय पोप फ्रांसिस ने शनिवार, 30 अक्टूबर 2021 को वेटिकन के अपोस्टोलिक पैलेस में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अगवानी की।

दो दशकों से अधिक समय में किसी भारतीय प्रधानमंत्री और कैथोलिक चर्च के प्रमुख, पोप के बीच यह पहली मुलाकात थी। पिछली बार जून 2000 में, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वेटिकन का दौरा किया था और तत्कालीन पोप जॉन पॉल द्वितीय से मुलाकात की थी। भारत और रोम के बिशप ऑफिस के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध 1948 में राजनयिक संबंधों की स्थापना के समय से हैं। भारत एशिया में दूसरी सबसे बड़ी कैथोलिक आबादी का घर है।

 

आज की बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने कोविड-19 महामारी और दुनियाभर के लोगों पर इसके प्रभावों को लेकर चर्चा की। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौती पर भी चर्चा की। प्रधानमंत्री ने पोप को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत की महत्वाकांक्षी पहलों के साथ-साथ एक अरब कोविड-19 टीकाकरण करने में भारत की सफलता के बारे में जानकारी दी। पोप ने महामारी के दौरान जरूरतमंद देशों को भारत की सहायता की सराहना की।

 

प्रधानमंत्री ने परम श्रद्धेय पोप फ्रांसिस को जल्द भारत आने का न्योता दिया, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया। प्रधानमंत्री ने विदेश मंत्री महामहिम कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन से भी मुलाकात की।

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Prime Minister shares Sanskrit Subhashitam highlighting virtues that lead to inner strength
December 18, 2025

The Prime Minister, Shri Narendra Modi, shared a Sanskrit Subhashitam —
“धर्मो यशो नयो दाक्ष्यम् मनोहारि सुभाषितम्।

इत्यादिगुणरत्नानां संग्रहीनावसीदति॥”

The Subhashitam conveys that a person who is dutiful, truthful, skilful and possesses pleasing manners can never feel saddened.

The Prime Minister wrote on X;

“धर्मो यशो नयो दाक्ष्यम् मनोहारि सुभाषितम्।

इत्यादिगुणरत्नानां संग्रहीनावसीदति॥”