लोकतंत्र की असली ताकत जमीनी स्तर पर है: पीएम मोदी
पांच साल के कार्यकाल में पंचायतों को मुद्दों की पहचान करनी चाहिए और जनआंदोलन कर उन्हें पूरा करना चाहिए : पीएम मोदी
संसाधनों का अधिकतम उपयोग और विभिन्न योजनाओं का कार्यान्वयन ही जिला पंचायतों के समग्र विकास का मार्ग है: पीएम मोदी
निर्णय लेने में सुझावों के प्रति Bottoms-up अप्रोच और मार्गदर्शन के प्रति Top-down अप्रोच होना चाहिए: पीएम मोदी
जमीनी स्तर का दृष्टिकोण और उस पर मजबूत पकड़ प्रभावी नीति निर्माण में मदद करती है: पीएम मोदी
आकांक्षी जिले आज जिला आधारित विकास के प्रतीक बन गए हैं: पीएम मोदी
पीएम विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य सदियों पुरानी परंपराओं में शामिल विभिन्न कारीगरों के कौशल विकास को बढ़ाना है: पीएम मोदी
आज प्रत्येक जिले की ब्रांडिंग और एक नई पहचान देने की जरूरत है , जिसे उत्पाद केंद्रित और उत्पाद-आधारित विकास के माध्यम से हासिल किया जा सकता है: पीएम

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार की सुबह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 'क्षेत्रीय पंचायती राज परिषद' के कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान अपने संबोधन में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ाते हुए उन्हें पार्टी की मूलभूत शक्ति बताया। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता एक ऐसा पद है जो जीवन भर हमारे साथ रहता है और हम संगठन, संस्कार और समर्पण में विश्वास करते हैं, ऐसे में कार्यकर्ताओं के लिए अभ्यास वर्ग काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

रियल टाइम इन्फॉर्मेशन की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कार्यकर्ताओं के लिए यह जरूरी है कि वे जिले में क्या नया हो रहा है, उसे जाने और साथ ही उसे लोगों तक भी पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती शिखर पर जितनी है उससे ज्यादा नींव पर होती है। हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं की नींव जितनी मजबूत होगी, उससे हम नई-नई बुलंदियों को प्राप्त करेंगे।

पीएम मोदी ने कहा कि हमें कुछ चीजें तय करनी चाहिए, जिन्हें पांच साल में जिले में परिपूर्ण किया जा सके। पीएम मोदी ने आमलोगों की कठिनाइयों को दूर करने के लिए मिशन मोड पर काम करने पर जोर देते हुए कहा कि ‘हमें सालभर में चार-पांच अवसर ऐसे निकालने चाहिए कि जिसमें सरकार के नेतृत्व में, पंचायत के नेतृत्व में पूरा जिला का जनसामान्य उससे जुड़ जाए। जैसे मान लीजिए, हम हर वर्ष वन महोत्सव करते हैं। ये वन महोत्सव सरकारी क्यों होना चाहिए। ये जन-जन का कैसे बने, उसके लिए दो महीने पहले मेहनत करनी चाहिए।‘

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें जनकल्याण के कार्यों को जनआंदोलन बनाकर करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘साल में तीन ऐसे विषय तय कर लें, और हर विषय के लिए चार महीने दें कि ये चार महीने डिपार्टमेंट के सब काम तो करेंगे ही, लेकिन जिन कामों को तय किया गया है, उसे भी सब मिलकर करेंगे और एक बहुत बड़ा जनांदोलन बना कर उस काम को सफल कर के रहेंगे।‘

प्रधानमंत्री ने कहा कि संगठन की अपनी ताकत होती है। जितना हम सामूहिकता से काम करते हैं शक्ति अनेक गुना बढ़ जाती है। प्रधानमंत्री ने कार्यकर्ताओं के साथ टिफिन बैठक का भी सुझाव दिया।


अमृत सरोवरों की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर आजादी के अमृत महोत्सव की बड़ी भेंट के तौर पर हर गांव में एक बहुत शानदार, पानी से भरा और काफी गहरा तालाब बना दिया जाए तो लोग इसे लंबे अर्से तक याद करेंगे।


आकांक्षी जिलों को समर्थ्य जिलों में परिवर्तित करने कि चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के सौ-सवा सौ ऐसे जिलों के बीच कंप्टीशन के चलते सुधार दिखने लगा है। वहीं टीबी मुक्त भारत की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, ‘आपके जिले में एक भी टीबी का पेशेंट ऐसा ना हो जिसकी सरकार को जानकारी ना हो। एक भी टीबी का पेशेंट ऐसा ना जिसके पास भारत सरकार की किट ना पहुंचती हो।‘


कार्यकर्ताओं से जमीनी स्तर पर काम करने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि जितना जमीन की तरफ जाएंगे उतना जमीन से जुड़ेंगे, जितना जमीन से जुड़ेंगे, हमारी ताकत उतनी मजबूत होगी।‘


पीएम विश्वकर्मा योजना की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि गावों में पारंपरिक व्यवसाय करने वालों को एक नई ताकत दें रहे हैं, इसके लिए 13-15 हजार करोड़ का एक प्रारंभिक बजट भी बनाया गया है, ताकि उनको आर्थिक मदद के साथ आधुनिक नए-नए मशीन और टूल तो मिले ही, इसके साथ ही उनका स्किल डेवलपमेंट भी तेजी से हो सके।


पीएम विश्वकर्मा योजना को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं से आग्रह करते हुए उन्होंने कहा, ‘अब आपका काम है अब आपके इलाके में इस प्रकार के जो हमारे विश्वाकर्मा भाई-बहन हैं। उनकी सूची बनाइए, जो ये परंपरागत काम करते हैं। कुम्हार हैं तो कुम्हारी का काम करते हैं। लोहार हैं तो लोहारी का काम करते हैं। बार्बर हैं आज भी उस प्रकार से छोटी सी दुकान चलाते हैं। आप सूची बनाइए पूरी नाम पते समेत और हम उनको आर्थिक मदद कर सके तो 17 सितंबर को उन सबको एक बड़ा समारोह कर के पैसे देने की शुरुआत करने वाले हैं और इस योजना को आगे बढ़ाने वाले हैं। और देश में ऐसे 25-30 लाख परिवार उनको एक नई मजबूती देनी है।‘


वहीं सांसद खेल-कूद स्पर्धा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस अक्टूबर महीने से लेकर फरवरी तक हम पूरे देश में हजारों नौजवानों के साथ-साथ हजारों बेटियों को भी इससे जोड़ना चाहते हैं।


देशभर के जिलों की ब्रांडिंग पर जोर देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इससे जिलों की पहचान, उनकी बहुत बड़ी ताकत बन जाएगी।


अभ्यास वर्ग का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ये चुनाव जीतने का काम नहीं है, हमारा देश 2047 में विकसित भारत बने, इसके लिए हर गांव में विकसित गांव बनाने की ज्योत जलानी है। हर तहसील में विकसित तहसील बनाने की ज्योत जलानी है। हर जिले को विकसित जिला बनाने की ज्योत जलानी है। और ऐसी लाखों ज्योत, एक ऐसा प्रकाशपुंज बन जाएंगी कि अपना देश 2047 में विकसित भारत बनके रहेगा।

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प्रधानमंत्री ने भारतीय परंपराओं और मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले 'सुप्रभातम्' कार्यक्रम की सराहना की
December 08, 2025

प्रधानमंत्री ने दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले ‘सुप्रभातम्’ कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि यह सुबह की ताजगी भरी शुरुआत करता है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में योग से लेकर भारतीय जीवन शैली के विभिन्न पहलुओं तक विविध विषयों को शामिल किया जाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय परंपराओं और मूल्यों पर आधारित यह कार्यक्रम ज्ञान, प्रेरणा और सकारात्मकता का एक अनूठा संगम है।

प्रधानमंत्री ने ‘सुप्रभातम्’ कार्यक्रम के एक विशेष खंड-संस्कृत सुभाषितम् की ओर भी ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि यह भारत की संस्कृति और विरासत के बारे में नए सिरे से जागरूकता फैलाने में मदद करता है।

प्रधानमंत्री ने आज के ‘सुभाषितम’ को दर्शकों के साथ साझा किया।

प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पर एक अलग पोस्ट में कहा:

“दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाला सुप्रभातम् कार्यक्रम सुबह-सुबह ताजगी भरा एहसास देता है। इसमें योग से लेकर भारतीय जीवन शैली तक अलग-अलग पहलुओं पर चर्चा होती है। भारतीय परंपराओं और मूल्यों पर आधारित यह कार्यक्रम ज्ञान, प्रेरणा और सकारात्मकता का अद्भुत संगम है।

https://www.youtube.com/watch?v=vNPCnjgSBqU”

“सुप्रभातम् कार्यक्रम में एक विशेष हिस्से की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा। यह है संस्कृत सुभाषित। इसके माध्यम से भारतीय संस्कृति और विरासत को लेकर एक नई चेतना का संचार होता है। यह है आज का सुभाषित…”