साझा करें
 
Comments
नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में आगामी राष्ट्रीय संग्रहालय के वर्चुअल वॉकथ्रू का उद्घाटन किया
अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो के शुभंकर, ग्राफिक उपन्यास – “ए डे एट म्यूजियम”, भारतीय संग्रहालय निर्देशिका, कर्तव्य पथ पॉकेट मानचित्र और संग्रहालय कार्ड का अनावरण किया
"संग्रहालय से हमें एक ओर अतीत से प्रेरणा मिलती है, तो दूसरी ओर भविष्य के प्रति कर्तव्य का बोध भी होता है"
"देश में एक नयी सांस्कृतिक अवसंरचना विकसित की जा रही है"
“सरकार प्रत्येक राज्य और समाज के प्रत्येक वर्ग की विरासत के साथ-साथ स्थानीय और ग्रामीण संग्रहालयों के संरक्षण के लिए विशेष अभियान चला रही है”
"पीढ़ियों से संरक्षित भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष अब दुनिया भर में भगवान बुद्ध के अनुयायियों को एकसूत्र में जोड़ रहे हैं"
“हमारी विरासत, विश्व एकता की अग्रदूत बन सकती है”
"समाज में ऐतिहासिक महत्व की वस्तुओं को संरक्षित करने की भावना पैदा की जानी चाहिए"
"परिवारों, स्कूलों, संस्थानों और शहरों के अपने संग्रहालय होने चाहिए"
"युवा, वैश्विक संस्कृति से जुड़े कार्यों के माध्यम बन सकते हैं"
“किसी भी देश के किसी भी संग्रहालय में ऐसी कोई कलाकृति नहीं होनी चाहिए, जो वहां अनैतिक तरीके से पहुंची हो; हमें इसे सभी संग्रहालयों के लिए एक नैतिक प्रतिबद्धता बनानी चाहिए”
"हम अपनी विरासत को संजोयेंगे और एक नई विरासत भी बनाएंगे"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली स्थित प्रगति मैदान में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो 2023 का उद्घाटन किया। उन्होंने नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में आगामी राष्ट्रीय संग्रहालय के वर्चुअल वॉकथ्रू का भी उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर टेक्नो मेला, संरक्षण प्रयोगशाला और प्रदर्शनियों को भी देखा। आज़ादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में, 47वें अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस का उत्सव मनाने के क्रम में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो का आयोजन किया जा रहा है, जिसकी थीम है - 'संग्रहालय, स्थायित्व और कल्याण।‘

 

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर सभी को बधाई दी। इस अवसर के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि जब भारत स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है, तो अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो के अवसर पर इतिहास के विभिन्न अध्याय, प्रौद्योगिकी के समावेश के साथ, जीवंत हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब हम एक संग्रहालय में प्रवेश करते हैं तो हम अतीत से जुड़ते हैं। संग्रहालय तथ्य और साक्ष्य-आधारित वास्तविकता प्रस्तुत करते हैं। संग्रहालय से हमें एक ओर अतीत से प्रेरणा मिलती है, तो दूसरी ओर भविष्य के प्रति कर्तव्य का बोध भी होता है। उन्होंने कहा कि आज की थीम 'स्थायित्व और कल्याण' वर्त्तमान विश्व की प्राथमिकताओं पर प्रकाश डालती है और इस आयोजन को और भी प्रासंगिक बनाती है। प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की कि आज के प्रयास, युवा पीढ़ी को अपनी विरासत से बेहतर तरीके से परिचित कराएंगे।

प्रधानमंत्री ने आज के आयोजन स्थल पर पहुंचने से पहले संग्रहालय की अपनी यात्रा का भी उल्लेख किया तथा योजना और निष्पादन के प्रयासों की प्रशंसा की, जिनसे आगंतुक के मन पर एक बड़ा प्रभाव पैदा करने में मदद मिली है। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि आज का आयोजन, भारत में संग्रहालयों की दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर सिद्ध होगा।

यह रेखांकित करते हुए कि सैकड़ों वर्षों की गुलामी के कालखंड में देश की बहुत सारी धरोहर खो गई, प्राचीन पांडुलिपियों और पुस्तकालयों को जला दिया गया था। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यह न केवल भारत का नुकसान है, बल्कि पूरी दुनिया का भी नुकसान है। उन्होंने स्वतंत्रता के बाद देश के लंबे समय से खोई हुई विरासत को पुनर्जीवित करने और संरक्षित करने की दिशा में प्रयासों की कमी पर खेद व्यक्त किया और कहा कि नागरिकों के बीच जागरूकता की कमी से इसका और भी बड़ा प्रभाव पड़ा। आजादी के अमृत काल के दौरान 'पंच प्राण' या देश द्वारा लिए गए पांच संकल्पों को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने 'अपनी विरासत पर गर्व करने' पर जोर दिया और रेखांकित किया कि देश में एक नयी सांस्कृतिक अवसंरचना विकसित की जा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन प्रयासों में, कोई भी भारत की आजादी की लड़ाई के इतिहास के साथ-साथ देश की हजार साल पुरानी विरासत के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकता है। उन्होंने बताया कि सरकार प्रत्येक राज्य और समाज के प्रत्येक वर्ग की विरासत के साथ-साथ स्थानीय और ग्रामीण संग्रहालयों के संरक्षण के लिए विशेष अभियान चला रही है। प्रधानमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदायों के योगदान को अमर बनाने के लिए दस विशेष संग्रहालयों को विकसित किया जा रहा है, जो जनजातीय विविधता की व्यापक झलक प्रदान करने के लिए दुनिया की सबसे अनूठी पहलों में से एक होगी। देश की विरासत को संरक्षित करने का उदाहरण देते हुए, प्रधानमंत्री ने दांडी पथ का उल्लेख किया, जहां नमक सत्याग्रह के दौरान महात्मा गांधी ने पैदल-यात्रा की थी। उन्होंने उस स्थान पर बने स्मारक का भी उल्लेख किया, जहां गांधीजी ने नमक कानून तोड़ा था। उन्होंने दिल्ली में 5, अलीपुर रोड पर डॉ बी आर अम्बेडकर के महापरिनिर्वाण स्थल के राष्ट्रीय स्मारक के रूप में पुनः विकसित किये जाने का भी उल्लेख किया और कहा कि उनके जीवन से संबंधित पंच तीर्थ का भी विकास किया गया है। महू में, जहां उनका जन्म हुआ था; लंदन में, जहां वे रहते थे; नागपुर में, जहां उन्होंने दीक्षा ली और मुंबई में चैत्य भूमि, जहां आज उनकी समाधि मौजूद है। उन्होंने सरदार पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, पंजाब में जलियांवाला बाग, गुजरात में गोविंद गुरु जी के स्मारक, वाराणसी में मन महल संग्रहालय और गोवा में ईसाई कला संग्रहालय का भी उदाहरण दिया। उन्होंने दिल्ली में देश के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों की यात्रा और योगदान को समर्पित प्रधानमंत्री संग्रहालय का भी जिक्र किया और लोगों से एक बार इस संग्रहालय में आने का अनुरोध किया।

 

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब कोई देश अपनी विरासत का संरक्षण करना शुरू करता है, तो वह अन्य देशों के साथ निकटता को भी बढ़ावा देता है। उन्होंने भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों का उदाहरण दिया, जिन्हें पीढ़ियों से संरक्षित किया गया है और अब ये दुनिया भर में भगवान बुद्ध के अनुयायियों को एकसूत्र में जोड़ रहे हैं। उन्होंने पिछली बुद्ध पूर्णिमा पर चार पवित्र अवशेषों को मंगोलिया भेजने तथा श्रीलंका से पवित्र अवशेषों के कुशीनगर में आगमन का उल्लेख किया। इसी तरह, गोवा के सेंट केटेवान की विरासत भारत के पास सुरक्षित है। उन्होंने सेंट केटेवान के अवशेष को जॉर्जिया भेजने के अवसर पर उस देश के उत्साह को याद किया। उन्होंने कहा, "हमारी विरासत विश्व एकता की अग्रदूत बन जाती है।“

प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि संग्रहालयों को आने वाली पीढ़ियों के लिए संसाधनों के संरक्षण में सक्रिय भागीदार बनना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि संग्रहालय पृथ्वी पर आई कई आपदाओं के संकेतों को संरक्षित और प्रस्तुत कर सकते हैं और इसके साथ ही पृथ्वी के बदलते स्वरूप की भी प्रस्तुति की जा सकती है।

एक्सपो के खाद्य-सामग्री खंड का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने भारत के प्रयासों के कारण आयुर्वेद और श्री अन्न मोटे अनाजों की बढ़ती लोकप्रियता के बारे में बात की। उन्होंने सुझाव दिया कि श्री अन्न और अन्य अनाजों की यात्रा को लेकर नए संग्रहालय बनाए जा सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ये सभी, तभी संभव हो सकते हैं, जब ऐतिहासिक महत्व की चीजों को सहेज कर रखना देश का स्वभाव बन जाए। उन्होंने विस्तार से बताया कि इसे कैसे हासिल किया जा सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रत्येक परिवार अपना एक पारिवारिक संग्रहालय बनाए। उन्होंने कहा कि आज की साधारण सी बातें, आने वाली पीढ़ियों के लिए भावनात्मक संपत्ति सिद्ध होंगी। उन्होंने स्कूलों और अन्य संस्थानों को अपने स्वयं के संग्रहालय बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने शहरों से शहर संग्रहालय बनाने के लिए भी कहा। ये सभी आने वाली पीढ़ियों के लिए विशाल ऐतिहासिक संपदा का सृजन करेंगी।

उन्होंने कहा कि संग्रहालय युवाओं के लिए एक करियर विकल्प बनते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें इन युवाओं को केवल संग्रहालय के कर्मचारियों के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि इन्हें इतिहास और वास्तुकला जैसे विषयों से जुड़े युवाओं के रूप में देखा जाना चाहिए, जो विश्व स्तर पर सांस्कृतिक कार्यों के माध्यम बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि ये युवा देश की विरासत को विदेशों तक ले जाने और उनसे उनके अतीत के बारे में जानने में काफी प्रभावी सिद्ध होंगे।

प्रधानमंत्री ने तस्करी और कलाकृतियों को अपना बनाने से जुड़ी सामूहिक चुनौतियों का उल्लेख किया और कहा कि भारत जैसे प्राचीन संस्कृति वाले देश सैकड़ों वर्षों से इस समस्या से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता से पहले और बाद में कई कलाकृतियों को अनैतिक तरीके से देश से बाहर ले जाया गया। उन्होंने इस तरह के अपराधों को समाप्त करने के लिए सभी से मिलकर काम करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि दुनिया में भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा के बीच विभिन्न देशों ने भारत की विरासत को वापस करना शुरू कर दिया है। उन्होंने बनारस से चुराई गई माँ अन्नपूर्णा की मूर्ति, गुजरात से चोरी हुई महिषासुरमर्दिनी की मूर्ति, चोल साम्राज्य के दौरान बनी नटराज की मूर्ति और गुरु हरगोबिंद सिंह जी के नाम से सजी तलवार का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने बताया कि आजादी के बाद के कई दशकों में 20 से भी कम कलाकृतियां भारत वापस आयीं, जबकि पिछले 9 वर्षों में लगभग 240 प्राचीन कलाकृतियां बरामद की गई हैं और भारत वापस लाई गई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इन 9 वर्षों में भारत से सांस्कृतिक कलाकृतियों की तस्करी में भी काफी कमी आयी है। श्री मोदी ने दुनिया भर के कला पारखियों, विशेष रूप से संग्रहालयों से जुड़े लोगों से इस क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “किसी भी देश के किसी भी संग्रहालय में ऐसी कोई कलाकृति नहीं होनी चाहिए, जो वहां अनैतिक तरीके से पहुंची हो। हमें इसे सभी संग्रहालयों के लिए एक नैतिक प्रतिबद्धता बनानी चाहिए।“ प्रधानमंत्री ने यह कहकर अपने संबोधन का समापन किया कि "हम अपनी विरासत का संरक्षण करेंगे और एक नई विरासत भी बनाएंगे।“

 

इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री श्री जी किशन रेड्डी; केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल और श्रीमती मीनाक्षी लेखी तथा लौवर अबू धाबी के निदेशक श्री मैनुअल रबाटे भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में, 47वें अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस (आईएमडी) मनाने के क्रम में, अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो का आयोजन किया जा रहा है। इस वर्ष के लिए आईएमडी की थीम है - 'संग्रहालय, स्थायित्व और कल्याण।' संग्रहालय पेशेवरों के साथ संग्रहालयों पर एक समग्र संवाद शुरू करने के लिए संग्रहालय एक्सपो का डिज़ाइन तैयार किया गया है, ताकि वे भारत की सांस्कृतिक कूटनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सांस्कृतिक केंद्रों के रूप में विकसित हो सकें।

कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में आगामी राष्ट्रीय संग्रहालय के वर्चुअल वॉकथ्रू का उद्घाटन किया। संग्रहालय भारत के अतीत से संबंधित उन ऐतिहासिक घटनाओं, व्यक्तित्वों, विचारों और उपलब्धियों को रेखांकित करने और प्रदर्शित करने का एक व्यापक प्रयास है, जिन्होंने भारत के वर्तमान के निर्माण में योगदान दिया है।

प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो के शुभंकर, ग्राफिक उपन्यास – “ए डे एट म्यूजियम”, भारतीय संग्रहालय निर्देशिका, कर्तव्य पथ पॉकेट मानचित्र और संग्रहालय कार्ड का भी अनावरण किया।

अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो का शुभंकर चेन्नापटनम कला शैली में लकड़ी से बनी नृत्य करती बालिका का समकालीन संस्करण है। ग्राफिक उपन्यास राष्ट्रीय संग्रहालय में आने वाले बच्चों के एक समूह को चित्रित करता है, जहां वे संग्रहालय में उपलब्ध करियर के विभिन्न अवसरों के बारे में ज्ञान प्राप्त करते हैं। भारतीय संग्रहालय निर्देशिका, भारतीय संग्रहालयों का एक व्यापक सर्वेक्षण है। कर्तव्य पथ का पॉकेट मानचित्र विभिन्न सांस्कृतिक स्थानों और संस्थानों पर प्रकाश डालता है और यह प्रतिष्ठित मार्गों के इतिहास की भी जानकारी देता है। संग्रहालय कार्ड, देश भर में प्रतिष्ठित संग्रहालयों के सचित्र अग्रभागों के साथ 75 कार्डों का एक समूह है। यह सभी उम्र के लोगों के लिए संग्रहालयों को पेश करने का एक अभिनव तरीका है और प्रत्येक कार्ड में संग्रहालयों के बारे में संक्षिप्त जानकारी भी मौजूद है।

दुनिया भर के सांस्कृतिक केंद्रों और संग्रहालयों के अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों ने भी कार्यक्रम में भाग लिया।

पूरा भाषण पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए

Explore More
अमृतकाल में त्याग और तपस्या से आने वाले 1000 साल का हमारा स्वर्णिम इतिहास अंकुरित होने वाला है : लाल किले से पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

अमृतकाल में त्याग और तपस्या से आने वाले 1000 साल का हमारा स्वर्णिम इतिहास अंकुरित होने वाला है : लाल किले से पीएम मोदी
Purchase 'Made In India' Products, Go Local: PM Modi Urges During Mann Ki Baat

Media Coverage

Purchase 'Made In India' Products, Go Local: PM Modi Urges During Mann Ki Baat
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Prime Minister pays tributes to Pandit Deendayal Upadhyay on his birth anniversary
September 25, 2023
साझा करें
 
Comments

The Prime Minister, Shri Narendra Modi paid tributes to Pandit Deendayal Upadhyay on his birth anniversary.

Shri Modi said that the personality and work of Pandit Deendayal Upadhyay, the founder of Antyodaya, who dedicated his entire life to the service of Mother India, will always remain a source of inspiration for the countrymen.

The Prime Minister also shared his thoughts on Pandit Deendayal Upadhyay.

In a X post, the Prime Minister said;

“मां भारती की सेवा में जीवनपर्यंत समर्पित रहे अंत्योदय के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का व्यक्तित्व और कृतित्व देशवासियों के लिए हमेशा प्रेरणास्रोत बना रहेगा। उनकी जन्म-जयंती पर उन्हें मेरा सादर नमन।”