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सरदार पटेल को नमन किया, जिन्होंने भारत के प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित करने के लिए अदम्य इच्छाशक्ति का परिचय दिया था
लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर को याद किया, जिन्होंने विश्वनाथ से सोमनाथ तक कई मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया था
प्रत्येक युग की यह मांग होती है कि हम धार्मिक पर्यटन में नई संभावनाओं की तलाश करें और तीर्थयात्रा तथा स्थानीय अर्थव्यवस्था के बीच संबंधों को मजबूत करें: प्रधानमंत्री
विनाशकारी शक्तियां या ऐसी सोच जो आतंक के आधार पर साम्राज्य स्थापित करने की कोशिश करती है, अस्थायी रूप से हावी हो सकती हैं, लेकिन इनका अस्तित्व कभी भी स्थायी नहीं होता है, यह लंबे समय तक मानवता को दबाकर नहीं रख सकती है; यह उस समय भी उतना ही सच था, जब कुछ आक्रमणकारी सोमनाथ को ध्वस्त कर रहे थे और यह आज भी उतना ही सच है, जब दुनिया ऐसी विचारधाराओं से आशंकित है: प्रधानमंत्री
देश कठिन समस्याओं के सौहार्दपूर्ण समाधान की ओर बढ़ रहा है; राम मंदिर के रूप में आधुनिक भारत के गौरव का एक उज्जवल स्तंभ निर्मित हो रहा है: प्रधानमंत्री
​​​​​​​हमारे लिए इतिहास और आस्था का सार है, सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास: प्रधानमंत्री
हमारे चार धामों की व्यवस्था, हमारे शक्तिपीठों की अवधारणा, हमारे देश के अलग-अलग भागों में विभिन्न तीर्थ-स्थलों की स्थापना; हमारी आस्था की यह रूपरेखा वास्तव में 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' पर आधारित भावना की अभिव्यक्ति है: प्रधानमंत्री
आधुनिक अवसंरचना का निर्माण करते हुए देश प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित कर रहा है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सोमनाथ, गुजरात में विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। उद्घाटन की गई परियोजनाओं में सोमनाथ समुद्र दर्शन पथ, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और पुराने (जूना) सोमनाथ का पुनर्निर्मित मंदिर परिसर शामिल हैं। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने श्री पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखी। इस अवसर पर श्री लाल कृष्ण आडवाणी, केन्द्रीय गृह मंत्री, केन्द्रीय पर्यटन मंत्री एवं गुजरात के मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री उपस्थित थे।

दुनिया भर के श्रद्धालुओं को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने सरदार पटेल को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने भारत के प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित करने के लिये अदम्य इच्छाशक्ति दिखाई थी। सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर को स्वतंत्र भारत की स्वतंत्र भावना से जोड़ा था। श्री मोदी ने कहा, “यह हमारा सौभाग्य है कि हम आजादी के 75वें वर्ष में सोमनाथ मंदिर को नई भव्यता प्रदान करने में सरदार साहब के प्रयासों को आगे बढ़ा रहे हैं।”प्रधानमंत्री ने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर को याद किया, जिन्होंने विश्वनाथ से लेकर सोमनाथ तक कई मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि परंपरा और आधुनिकता का जो संगम उनके जीवन में था, आज देश उसे अपना आदर्श मानकर आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ और गुजरात के कच्छ के परिवर्तन जैसी पहलों को गुजरात ने बहुत नजदीक से देखा है, आधुनिकता को पर्यटन से जोड़ने का परिणाम देखा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “हर कालखंड की यह मांग रही है कि हम धार्मिक पर्यटन की दिशा में भी नई संभावनाओं को खोजें और लोकल अर्थव्यवस्था से तीर्थ यात्राओं का जो रिश्ता रहा है उसे और मजबूत करें।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि ये शिव ही हैं जो विनाश में भी विकास का बीज अंकुरित करते हैं, संहार में भी सृजन को जन्म देते हैं। शिव अविनाशी हैं, अव्यक्त हैं और अनादि हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “शिव में हमारी आस्था हमें समय की सीमाओं से परे हमारे अस्तित्व का बोध कराती है, हमें समय की चुनौतियों से जूझने की शक्ति देती है।”

पवित्र मंदिर के इतिहास का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने स्मरण किया कि मंदिर को बार-बार तोड़ा गया, लेकिन हर हमले के बाद वह कैसे फिर उठ खड़ा हुआ। उन्होंने कहा, “यह इस विश्वास का प्रतीक है कि असत्य कभी सत्य को पराजित नहीं कर सकता और आतंक कभी आस्था को कुचल नहीं सकता।” उन्होंने कहा, “जो तोड़ने वाली शक्तियां हैं, जो आतंक के बलबूते साम्राज्य खड़ा करने वाली सोच है, वह किसी कालखंड में कुछ समय के लिये भले हावी हो जाये, लेकिन उसका अस्तित्व कभी स्थायी नहीं होता, वह ज्यादा दिनों तक मानवता को दबाकर नहीं रख सकती। यह उस समय भी सत्य था, जब कुछ आक्रमणकारी सोमनाथ के मंदिर को तोड़ रहे थे और आज भी उतना ही सत्य है, जब ऐसी सोच दुनिया के सामने खतरा बनी हुई है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण से लेकर उसका भव्य जीर्णोद्धार सदियों की दृढ़ इच्छाशक्ति और वैचारिक निरंतरता के कारण संभव हुआ है। राजेंद्र प्रसाद जी, सरदार पटेल और केएम मुंशी जैसे महापुरुषों को आजादी के बाद भी इस अभियान के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। लेकिन, अंततः 1950 में सोमनाथ मंदिर आधुनिक भारत के दिव्य स्तंभ के रूप में स्थापित हो गया। देश कठिन समस्याओं के सौहार्दपूर्ण समाधान की ओर बढ़ रहा है। राम मंदिर के रूप में आधुनिक भारत की महिमा का एक उज्जवल स्तंभ बनकर सामने आ रहा है।

उन्होंने कहा कि हमारी सोच इतिहास से सीखकर वर्तमान को सुधारने की होनी चाहिए, एक नया भविष्य बनाने की होनी चाहिए। उन्होंने ‘भारत जोड़ो आंदोलन’के अपने मंत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि उसका भाव केवल भौगोलिक या वैचारिक जुड़ाव तक सीमित नहीं है बल्कि विचारों के संपर्क से भी है। प्रधानमंत्री ने कहा, “ये भविष्य के भारत के निर्माण के लिए हमें हमारे अतीत से जोड़ने का भी संकल्प है।” उन्होंने कहा, “हमारे लिए इतिहास और धर्म का सार सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास है।” प्रधानमंत्री ने भारत की एकता को रेखांकित करने में विश्वास और विश्वास प्रणाली की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘पश्चिम में सोमनाथ और नागेश्वर से लेकर पूरब में बैद्यनाथ तक, उत्तर में बाबा केदारनाथ से लेकर दक्षिण में भारत के अंतिम छोर पर विराजमान श्री रामेश्वर तक, ये 12 ज्योतिर्लिंग पूरे भारत को आपस में पिरोने का काम करते हैं। इसी तरह, हमारे चार धामों की व्यवस्था, हमारे शक्तिपीठों की संकल्पना, हमारे अलग अलग कोनों में अलग-अलग तीर्थों की स्थापना, हमारी आस्था की ये रूपरेखा वास्तव में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना की ही अभिव्यक्ति है।’

राष्ट्र की एकता को मजबूत करने में आध्यात्मिकता की भूमिका का उल्लेख जारी रखते हुए, प्रधानमंत्री ने पर्यटन और आध्यात्मिक पर्यटन की राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय क्षमता का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि देश आधुनिक अवसंरचना का निर्माण कर प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित कर रहा है। उन्होंने रामायण सर्किट का उदाहरण दिया जो राम भक्तों को भगवान राम से संबंधित नए स्थानों से अवगत करा रहा है और उन्हें यह महसूस करा रहा है कि कैसे भगवान राम पूरे भारत के राम हैं। इसी तरह बुद्ध सर्किट दुनिया भर के भक्तों को सुविधाएं प्रदान करता है। प्रधानमंत्री ने बताया कि पर्यटन मंत्रालय स्वदेश दर्शन योजना के तहत 15 विषयों पर पर्यटन सर्किट विकसित कर रहा है, जिससे उपेक्षित क्षेत्रों में पर्यटन के अवसर पैदा होंगे। केदारनाथ जैसे पहाड़ी इलाकों में विकास, चार धामों के लिए सुरंग और राजमार्ग, वैष्णव देवी में विकास कार्य, पूर्वोत्तर में हाई-टेक बुनियादी ढांचा दूरियां पाट रहे हैं। इसी तरह, 2014 में घोषित प्रसाद योजना के तहत 40 प्रमुख तीर्थ स्थलों का विकास किया जा रहा है, जिनमें से 15 पहले ही पूरे हो चुके हैं। गुजरात में 100 करोड़ रुपये से अधिक की तीन परियोजनाओं पर काम चल रहा है। तीर्थ स्थलों को जोड़ने पर ध्यान दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश न केवल आम नागरिकों को पर्यटन के माध्यम से जोड़ रहा है बल्कि आगे भी बढ़ रहा है। देश, यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक में 2013 के 65वें स्थान से 2019 में 34वें स्थान पर पहुंच गया है।

सोमनाथ प्रोमनेड को प्रसाद (पिलग्रिमेज रेजुवेनेशन एंड स्पिरिचुअल, हेरीटेज ऑगमेंटेशन ड्राइव) योजना के तहत 47 करोड़ रुपये से अधिक की कुल लागत से विकसित किया गया है। 'पर्यटक सुविधा केंद्र' के परिसर में विकसित सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र, पुराने सोमनाथ मंदिर के खंडित हिस्सों और पुराने सोमनाथ की नागर शैली के मंदिर वास्तुकला वाली मूर्तियों को प्रदर्शित करता है।

पुराने (जूना) सोमनाथ के पुनर्निर्मित मंदिर परिसर को श्री सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा कुल 3.5 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ पूरा किया गया है। इस मंदिर को अहिल्याबाई मंदिर के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसे इंदौर की रानी अहिल्याबाई द्वारा बनाया गया था। रानी अहिल्याबाई ने पुराने मंदिर को जीर्ण शीर्ण अवस्था में पाने के बाद नया निर्माण कराया था। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और संवर्धित क्षमता के लिए पूरे पुराने मंदिर परिसर का समग्र रूप से पुनर्विकास किया गया है।

श्री पार्वती मंदिर का निर्माण 30 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय से किया जाना प्रस्तावित है। इसमें सोमपुरा सलात शैली में मंदिर निर्माण, गर्भगृह और नृत्य मंडप का विकास शामिल है।

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PM congratulates Rashtrapati Ji on being conferred highest civilian award of Suriname
June 06, 2023
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The Prime Minister, Shri Narendra Modi has congratulated Rashtrapati Ji on being conferred the highest civilian award of Suriname – Grand Order of the Chain of the Yellow Star.

In response to a tweet by the President of India, the Prime Minister said;

"Congratulations to Rashtrapati Ji on being conferred the highest civilian award of Suriname – Grand Order of the Chain of the Yellow Star. This special gesture from the Government and people of Suriname symbolizes the enduring friendship between our countries."