प्रधानमंत्री ने 8140 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया
आज उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर पहुंचा है, उसे देखकर इस खूबसूरत राज्य के निर्माण के लिए संघर्ष करने वाले हर व्यक्ति का प्रसन्न होना स्वाभाविक है: प्रधानमंत्री
यह वास्तव में उत्तराखंड के उत्‍कर्ष और प्रगति का निर्णायक युग है: प्रधानमंत्री
देवभूमि उत्तराखंड भारत के आध्यात्मिक जीवन की धड़कन है: प्रधानमंत्री
उत्तराखंड का वास्‍तविक परिचय इसकी आध्यात्मिक शक्ति में निहित है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज देहरादून में उत्तराखंड की स्‍थापना के रजत जयंती समारोह को संबोधित किया। कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने 8140 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में, श्री मोदी ने देवभूमि उत्तराखंड के लोगों को अपनी शुभकामनाएं दीं और सभी के प्रति अपना हार्दिक अभिनंदन व्‍यक्‍त करते हुए सम्मान और सेवा का संदेश दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 9 नवंबर एक लंबे और समर्पित संघर्ष का परिणाम है और यह दिन हम सभी में गर्व की गहरी भावना जगाता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की देवतुल्य जनता ने एक स्वप्न देखा था जो 25 वर्ष पूर्व श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार के नेतृत्व में पूरा हुआ। पिछले 25 वर्षों की यात्रा पर विचार करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि आज उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर पहुंचा है, उसे देखकर इस सुंदर राज्य के निर्माण के लिए संघर्ष करने वाले प्रत्येक व्यक्ति का प्रसन्न होना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि जो लोग पहाड़ों से प्रेम करते हैं, उत्तराखंड की संस्कृति, इसकी प्राकृतिक सुंदरता को संजोते हैं और देवभूमि के लोगों से स्नेह रखते हैं, वे आज आनंद और उल्लास से भर गए हैं।

उत्तराखंड के सामर्थ्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की प्रतिबद्धता पर संतोष व्यक्त करते हुए, श्री मोदी ने उत्तराखंड की रजत जयंती पर सभी को हार्दिक बधाई दी। इस अवसर पर, उन्होंने आंदोलन के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उस समय के सभी आंदोलनकारियों को नमन किया।

उत्तराखंड के साथ अपने गहरे भावनात्मक जुड़ाव को साझा करते हुए, श्री मोदी ने याद किया कि इस क्षेत्र की अपनी आध्यात्मिक यात्राओं के दौरान, पहाड़ों में रहने वाले अपने भाई-बहनों के संघर्ष, कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें हमेशा प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में बिताए दिनों ने उन्हें राज्य की अपार क्षमता का प्रत्यक्ष अनुभव कराया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी दृढ़ विश्वास के कारण उन्होंने बाबा केदार के दर्शन के बाद घोषणा की कि यह दशक उत्तराखंड का है। राज्य के 25 वर्ष पूरे होने पर उन्होंने कहा कि यह वास्तव में उत्तराखंड के उत्थान और प्रगति का निर्णायक युग है।

25 वर्ष पहले, उत्तराखंड के नव-गठन के समय की अपार चुनौतियों को याद करते हुए श्री मोदी ने कहा कि संसाधन सीमित थे, राज्य का बजट छोटा था, आय के स्रोत कम थे और अधिकांश जरूरतें केंद्रीय सहायता से पूरी होती थीं। उन्होंने कहा कि अब तस्वीर पूरी तरह बदल गई है। कार्यक्रम में पहुंचने से पहले, उन्होंने रजत जयंती समारोह पर आयोजित एक अद्भुत प्रदर्शनी का अवलोकन किया, जिसमें पिछले 25 वर्षों में उत्तराखंड की यात्रा की झलकियां प्रदर्शित की गईं। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचा, शिक्षा, उद्योग, पर्यटन, स्वास्थ्य, बिजली और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में सफलता की कहानियां वास्‍तव में प्रेरणादायक हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि 25 वर्ष पहले उत्तराखंड का बजट केवल 4,000 करोड़ रुपये था, जो अब 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। इस अवधि में, राज्य में बिजली उत्पादन चार गुना बढ़ा है और सड़कों की लंबाई दोगुनी हो गई है। उन्होंने कहा कि पहले, छह महीने में केवल 4,000 हवाई यात्री यहां आते थे, जबकि आज, एक दिन में 4,000 से ज़्यादा यात्री हवाई यात्रा करते हैं।

श्री मोदी ने बताया कि पिछले 25 वर्षों में उत्तराखंड में इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या दस गुना से भी ज़्यादा बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि पहले यहां केवल एक मेडिकल कॉलेज था, जबकि आज दस हैं। उन्होंने कहा कि 25 साल पहले टीकाकरण कवरेज 25 प्रतिशत से भी कम था, लेकिन अब उत्तराखंड का लगभग हर गांव टीकाकरण कवरेज के दायरे में आता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड ने जीवन के सभी आयामों में उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने विकास की इस यात्रा को उल्लेखनीय बताया और इस बदलाव का श्रेय समावेशी विकास की नीति और उत्तराखंड के प्रत्येक नागरिक के सामूहिक संकल्प को दिया। उन्होंने कहा कि पहले पहाड़ों की खड़ी चढ़ाई विकास की राह में बाधा बनती थी, लेकिन अब नए रास्ते खुलने लगे हैं।

प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड के युवाओं और उद्यमियों के साथ अपने पिछले वार्तालाप के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि राज्य के विकास को लेकर सभी बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि आज उत्तराखंड के लोगों की भावनाओं को गढ़वाली में इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है: ‘‘2047 तक, जब भारत विकसित देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा, तब तक मेरा उत्तराखंड, मेरी देवभूमि, पूरी तरह से तैयार हो चुकी होगी।’’

उत्तराखंड की विकास यात्रा को गति देने के लिए आज कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया गया। इसकी घोषणा करते हुए श्री मोदी ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन और खेल से जुड़ी ये परियोजनाएं क्षेत्र में रोजगार के नए अवसरों का सृजन करेंगी। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि जमरानी और सोंग बांध परियोजनाएं देहरादून और हल्द्वानी की पेयजल समस्या के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। इन योजनाओं पर 8,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया जाएगा। उन्होंने इन पहलों के लिए उत्तराखंड के लोगों को बधाई दी।

उत्तराखंड सरकार द्वारा सेब और कीवी किसानों को डिजिटल मुद्रा में सब्सिडी प्रदान करने की शुरुआत का उल्लेख करते हुए, श्री मोदी ने इस बात पर बल दिया कि आधुनिक तकनीक के माध्यम से अब प्रदान की जा रही वित्तीय सहायता पर पूरी तरह से नज़र रखना संभव है। प्रधानमंत्री ने इस पहल में शामिल राज्य सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक और सभी हितधारकों के प्रयासों की सराहना की।

श्री मोदी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड भारत के आध्यात्मिक जीवन की धड़कन है। उन्होंने गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ, जागेश्वर और आदि कैलाश को हमारी आस्था के प्रतीक पवित्र तीर्थस्थलों के रूप में सूचीबद्ध किया। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु इन पवित्र तीर्थस्थलों की यात्रा करते हैं, यह न केवल भक्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं, बल्कि उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में भी नई ऊर्जा का संचार करते हैं।

उत्तराखंड के विकास में बेहतर कनेक्टिविटी के अभूतपूर्व योगदान पर बल देते हुए, श्री मोदी ने कहा कि राज्य में वर्तमान में 2 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा की परियोजनाएं जारी हैं। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना प्रगति पर है और दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे लगभग पूरा हो चुका है। उन्होंने बताया कि गौरीकुंड-केदारनाथ और गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब रोपवे का शिलान्यास हो चुका है। ये परियोजनाएं उत्तराखंड में विकास को गति दे रही हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड ने पिछले 25 वर्षों में प्रगति की एक लंबी यात्रा तय की है। उन्होंने पूछा कि अगले 25 वर्षों में हम उत्तराखंड के लिए किन ऊंचाइयों का सपना देखना चाहते हैं। ‘जहां चाह, वहां राह’ कहावत का उल्‍लेख करते हुए उन्होंने कहा कि एक बार जब हम अपने लक्ष्य जान लेते हैं, तो उन्हें प्राप्त करने का रोडमैप तेजी से सामने आ जाता है। उन्होंने कहा कि इन भविष्य के लक्ष्यों पर चर्चा शुरू करने के लिए 9 नवंबर से बेहतर कोई दिन नहीं हो सकता।

उत्तराखंड की वास्‍तविक पहचान उसकी आध्यात्मिक शक्ति में निहित है, इस बात पर बल देते हुए श्री मोदी ने कहा कि अगर उत्तराखंड ऐसा करने का संकल्प ले, तो आने वाले वर्षों में वह स्‍वयं को ‘विश्व की आध्यात्मिक राजधानी’ के रूप में स्थापित कर सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य के मंदिरों, आश्रमों और ध्यान एवं योग केंद्रों को वैश्विक नेटवर्क से जोड़ा जा सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश-विदेश से लोग स्वास्थ्य के लिए उत्तराखंड आते हैं और यहां की जड़ी-बूटियों और आयुर्वेदिक औषधियों की मांग तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने बल दिया कि पिछले 25 वर्षों में उत्तराखंड ने सुगंधित पौधों, आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों, योग और स्वास्थ्य पर्यटन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने प्रस्ताव रखा कि उत्तराखंड के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में योग केंद्र, आयुर्वेद केंद्र और प्राकृतिक चिकित्सा संस्थानों का एक संपूर्ण पैकेज होना चाहिए और यह विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करेगा।

इस बात का उल्‍लेख करते हुए कि भारत सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों में जीवंत गांव कार्यक्रम पर बहुत जोर दे रही है, प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड के हर जीवंत गांव को एक छोटा पर्यटन केंद्र बनाने का अपना दृष्टिकोण व्यक्त किया, जहां होमस्टे, स्थानीय व्यंजनों और संस्कृति को बढ़ावा दिया जा सके। श्री मोदी ने सभी को आमंत्रित किया कि वे कल्पना करें कि पर्यटकों को घर जैसा माहौल मिलता है और वे डुबकी, चुड़कानी, रोट-अरसा, रस-भात और झंगोरे की खीर जैसे पारंपरिक व्यंजनों का रसास्‍वादन लेते हुए कितना आनंदित महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि यह आनंद उन्हें बार-बार उत्तराखंड वापस लाएगा।

उत्तराखंड की छिपी हुई संभावनाओं को सामने लाने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि हरेला, फूलदेई और भिटौली जैसे त्यौहार, इनमें भाग लेने वाले पर्यटकों पर एक अमिट छाप छोड़ते हैं। उन्होंने नंदा देवी मेला, जौलजीवी मेला, बागेश्वर का उत्तरायणी मेला, देवीधुरा मेला, श्रावणी मेला और मक्खन महोत्सव जैसे स्थानीय मेलों की जीवंतता का उल्‍लेख करते हुए कहा कि उत्तराखंड की आत्मा इन उत्सवों में बसती है। इन स्थानीय त्यौहारों और परंपराओं को विश्व मानचित्र पर लाने के लिए, उन्होंने ‘एक ज़िला, एक महोत्सव’ जैसे अभियान का प्रस्ताव रखा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के सभी पहाड़ी जिलों में फलों की खेती की अपार संभावनाएं हैं और इन्हें बागवानी केंद्रों के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने ब्लूबेरी, कीवी, हर्बल और औषधीय पौधों को खेती का भविष्य बताया। उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण, हस्तशिल्प और जैविक उत्पादों जैसे क्षेत्रों में एमएसएमई को नए सिरे से सशक्त बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में हमेशा से वर्ष भर पर्यटन की संभावना रही है। बेहतर कनेक्टिविटी के साथ, उन्होंने पहले भी सभी मौसमों में पर्यटन की ओर बढ़ने का सुझाव दिया था। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि उत्तराखंड अब शीतकालीन पर्यटन को एक नया आयाम दे रहा है। श्री मोदी ने कहा कि नवीनतम अपडेट उत्साहजनक हैं, क्योंकि सर्दियों के दौरान आने वाले पर्यटकों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि हुई है। उन्होंने पिथौरागढ़ में 14,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर आयोजित एक उच्च-ऊंचाई वाले मैराथन के सफल आयोजन का भी उल्‍लेख करते हुए कहा कि आदि कैलाश परिक्रमा राष्ट्र के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है। तीन वर्ष पहले, आदि कैलाश यात्रा में 2,000 से भी कम तीर्थयात्री शामिल होते थे, आज यह संख्या 30,000 से अधिक हो गई है। उन्होंने बताया कि कुछ ही दिन पहले, केदारनाथ मंदिर के कपाट इस मौसम के लिए बंद हुए थे और इस वर्ष लगभग 17 लाख श्रद्धालु केदारनाथ धाम में दर्शन के लिए आए। प्रधानमंत्री ने कहा कि तीर्थयात्रा और वर्ष भर चलने वाला पर्यटन उत्तराखंड की शक्ति है जो इसे विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाता रहेगा। उन्होंने कहा कि इको-पर्यटन और साहसिक पर्यटन की संभावनाएं भारत के युवाओं को आकर्षित करने के लिए बेहतरीन अवसर हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड अब एक फिल्म गंतव्य के रूप में उभर रहा है, और राज्य की नई फिल्म नीति ने शूटिंग को और भी आसान बना दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि उत्तराखंड एक ‘वेडिंग डेस्टिनेशन’ के रूप में भी लोकप्रियता हासिल कर रहा है। ‘वेड इन इंडिया’ पहल के लिए, उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को व्‍यापक स्‍तर पर सुविधाएं विकसित करनी चाहिए और इस उद्देश्य के लिए 5 से 7 प्रमुख स्थलों की पहचान और विकास का सुझाव दिया।

श्री मोदी ने आत्मनिर्भर भारत के लिए राष्ट्र के संकल्प को दोहराया और कहा कि आत्मनिर्भरता का मार्ग वोकल फॉर लोकल से होकर गुजरता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड ने हमेशा इस दृष्टिकोण को अपनाया है, स्थानीय उत्पादों के प्रति गहरा लगाव, उनका उपयोग और दैनिक जीवन में उनका समावेश इसकी परंपरा का अभिन्न अंग रहा है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि उत्तराखंड सरकार ने वोकल फॉर लोकल अभियान को गति दी है, जिसके परिणामस्वरूप राज्य के 15 कृषि उत्पादों को जीआई टैग प्राप्त हुए हैं। उन्होंने बेडू फल और बद्री गाय के घी को हाल ही में जीआई टैग मिलने को गर्व की बात बताया। उन्होंने बद्री गाय के घी को हर पहाड़ी घर का गौरव बताया और कहा कि बेडू अब गांवों से आगे के बाजारों तक पहुंच रहा है। इससे बने उत्पाद अब जीआई टैग के साथ आएंगे और वे जहां भी जाएंगे, उत्तराखंड की पहचान लेकर जाएंगे। श्री मोदी ने कहा कि ऐसे जीआई-टैग वाले उत्पादों को देश भर के घरों तक पहुंचाया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि ‘हिमालय का घर’ एक ऐसे ब्रांड के रूप में उभर रहा है जो उत्तराखंड की स्थानीय पहचान को एक मंच पर एकीकृत करता है। उन्होंने कहा कि इस ब्रांड के अंतर्गत, राज्य के विभिन्न उत्पादों को एक सामूहिक पहचान दी गई है ताकि वे वैश्विक बाज़ारों में प्रतिस्पर्धा कर सकें। उन्होंने कहा कि इनमें से कई उत्पाद अब डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध हैं, जिससे ग्राहकों तक सीधी पहुंच सुनिश्चित हो रही है और किसानों, कारीगरों और छोटे उद्यमियों के लिए नए बाजार खुल रहे हैं। श्री मोदी ने ब्रांडिंग प्रयासों में नई ऊर्जा लाने का आग्रह किया और इन ब्रांडेड उत्पादों के वितरण तंत्र में निरंतर सुधार की आवश्यकता पर बल दिया।

श्री मोदी ने स्वीकार किया कि उत्तराखंड की विकास यात्रा में अनेक बाधाएं आई हैं, लेकिन उनकी सशक्त सरकार ने इन चुनौतियों पर लगातार विजय प्राप्त की है और विकास की गति को निर्बाध बनाए रखा है। उन्होंने समान नागरिक संहिता के गंभीर कार्यान्वयन के लिए श्री पुष्कर सिंह धामी सरकार की सराहना की और इसे अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श बताया। उन्होंने धर्मांतरण विरोधी कानून और दंगा नियंत्रण कानून जैसे राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर राज्य सरकार की साहसिक नीतियों की सराहना की। प्रधानमंत्री ने तीव्र भूमि अतिक्रमण और जनसांख्यिकीय परिवर्तन जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सरकार के दृढ़ कदमों का भी उल्लेख किया। आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में, उन्होंने उत्तराखंड सरकार की त्वरित और संवेदनशील प्रतिक्रिया और लोगों को हर संभव सहायता प्रदान करने के उसके प्रयासों की सराहना की।

प्रधानमंत्री ने पूर्ण विश्वास व्यक्त किया कि उत्तराखंड अपने पूर्ण राज्यत्व की रजत जयंती मनाएगा और आने वाले वर्षों में विकास की नई ऊंचाइयों को छुएगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड अपनी संस्कृति और पहचान को गौरव के साथ आगे बढ़ाता रहेगा। श्री मोदी ने लोगों से आग्रह किया कि वे अगले 25 वर्षों के लिए उत्तराखंड के अपने दृष्टिकोण को निर्धारित करें और दृढ़ विश्वास के साथ विकास के पथ पर आगे बढ़ें। इस अवसर पर उत्तराखंड के सभी निवासियों को हार्दिक बधाई देते हुए, प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि भारत सरकार उत्तराखंड सरकार के साथ पूरी दृढ़ता से खड़ी है और हर कदम पर उसका समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने राज्य के प्रत्येक परिवार और नागरिक की सुख, समृद्धि और उज्ज्वल भविष्य के लिए अपनी शुभकामनाएं व्यक्त कीं।

इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय मंत्री श्री अजय टम्टा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखंड राज्‍य की स्‍थापना के रजत जयंती समारोह के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया और उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया।

कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने 8140 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया, जिनमें 930 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का उद्घाटन और 7210 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास शामिल है। ये परियोजनाएं पेयजल, सिंचाई, तकनीकी शिक्षा, ऊर्जा, शहरी विकास, खेल और कौशल विकास सहित कई प्रमुख क्षेत्रों से जुड़ी हैं।

प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत 28,000 से अधिक किसानों को सीधे उनके बैंक खातों में 62 करोड़ रुपये की सहायता राशि भी जारी की।

प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन की गई परियोजनाओं में अमृत योजना के अंतर्गत 23 क्षेत्रों के लिए देहरादून जलापूर्ति कवरेज, पिथौरागढ़ जिले में विद्युत सबस्टेशन, सरकारी भवनों में सौर ऊर्जा संयंत्र, नैनीताल के हल्द्वानी स्टेडियम में एस्ट्रोटर्फ हॉकी मैदान आदि शामिल हैं।

प्रधानमंत्री ने जल-क्षेत्र से जुड़ी दो प्रमुख परियोजनाओं का शिलान्यास किया- सोंग बांध पेयजल परियोजना, जो देहरादून को 150 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) पेयजल उपलब्ध कराएगी और नैनीताल में जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना, जो पेयजल उपलब्ध कराएगी, सिंचाई और बिजली उत्पादन में सहायक होगी। जिन अन्य परियोजनाओं का शिलान्यास किया जाएगा, उनमें विद्युत सबस्टेशन, चंपावत में महिला खेल महाविद्यालय की स्थापना, नैनीताल में अत्याधुनिक डेयरी संयंत्र आदि शामिल हैं।

 

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भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है: रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान पीएम मोदी
December 05, 2025

Your Excellency, My Friend, राष्ट्रपति पुतिन,
दोनों देशों के delegates,
मीडिया के साथियों,
नमस्कार!
"दोबरी देन"!

आज भारत और रूस के तेईसवें शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। उनकी यात्रा ऐसे समय हो रही है जब हमारे द्विपक्षीय संबंध कई ऐतिहासिक milestones के दौर से गुजर रहे हैं। ठीक 25 वर्ष पहले राष्ट्रपति पुतिन ने हमारी Strategic Partnership की नींव रखी थी। 15 वर्ष पहले 2010 में हमारी साझेदारी को "Special and Privileged Strategic Partnership” का दर्जा मिला।

पिछले ढाई दशक से उन्होंने अपने नेतृत्व और दूरदृष्टि से इन संबंधों को निरंतर सींचा है। हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने आपसी संबंधों को नई ऊंचाई दी है। भारत के प्रति इस गहरी मित्रता और अटूट प्रतिबद्धता के लिए मैं राष्ट्रपति पुतिन का, मेरे मित्र का, हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।

Friends,

पिछले आठ दशकों में विश्व में अनेक उतार चढ़ाव आए हैं। मानवता को अनेक चुनौतियों और संकटों से गुज़रना पड़ा है। और इन सबके बीच भी भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है।परस्पर सम्मान और गहरे विश्वास पर टिके ये संबंध समय की हर कसौटी पर हमेशा खरे उतरे हैं। आज हमने इस नींव को और मजबूत करने के लिए सहयोग के सभी पहलुओं पर चर्चा की। आर्थिक सहयोग को नई ऊँचाइयों पर ले जाना हमारी साझा प्राथमिकता है। इसे साकार करने के लिए आज हमने 2030 तक के लिए एक Economic Cooperation प्रोग्राम पर सहमति बनाई है। इससे हमारा व्यापार और निवेश diversified, balanced, और sustainable बनेगा, और सहयोग के क्षेत्रों में नए आयाम भी जुड़ेंगे।

आज राष्ट्रपति पुतिन और मुझे India–Russia Business Forum में शामिल होने का अवसर मिलेगा। मुझे पूरा विश्वास है कि ये मंच हमारे business संबंधों को नई ताकत देगा। इससे export, co-production और co-innovation के नए दरवाजे भी खुलेंगे।

दोनों पक्ष यूरेशियन इकॉनॉमिक यूनियन के साथ FTA के शीघ्र समापन के लिए प्रयास कर रहे हैं। कृषि और Fertilisers के क्षेत्र में हमारा करीबी सहयोग,food सिक्युरिटी और किसान कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है। मुझे खुशी है कि इसे आगे बढ़ाते हुए अब दोनों पक्ष साथ मिलकर यूरिया उत्पादन के प्रयास कर रहे हैं।

Friends,

दोनों देशों के बीच connectivity बढ़ाना हमारी मुख्य प्राथमिकता है। हम INSTC, Northern Sea Route, चेन्नई - व्लादिवोस्टोक Corridors पर नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ेंगे। मुजे खुशी है कि अब हम भारत के seafarersकी polar waters में ट्रेनिंग के लिए सहयोग करेंगे। यह आर्कटिक में हमारे सहयोग को नई ताकत तो देगा ही, साथ ही इससे भारत के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर बनेंगे।

उसी प्रकार से Shipbuilding में हमारा गहरा सहयोग Make in India को सशक्त बनाने का सामर्थ्य रखता है। यह हमारेwin-win सहयोग का एक और उत्तम उदाहरण है, जिससे jobs, skills और regional connectivity – सभी को बल मिलेगा।

ऊर्जा सुरक्षा भारत–रूस साझेदारी का मजबूत और महत्वपूर्ण स्तंभ रहा है। Civil Nuclear Energy के क्षेत्र में हमारा दशकों पुराना सहयोग, Clean Energy की हमारी साझा प्राथमिकताओं को सार्थक बनाने में महत्वपूर्ण रहा है। हम इस win-win सहयोग को जारी रखेंगे।

Critical Minerals में हमारा सहयोग पूरे विश्व में secure और diversified supply chains सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे clean energy, high-tech manufacturing और new age industries में हमारी साझेदारी को ठोस समर्थन मिलेगा।

Friends,

भारत और रूस के संबंधों में हमारे सांस्कृतिक सहयोग और people-to-people ties का विशेष महत्व रहा है। दशकों से दोनों देशों के लोगों में एक-दूसरे के प्रति स्नेह, सम्मान, और आत्मीयताका भाव रहा है। इन संबंधों को और मजबूत करने के लिए हमने कई नए कदम उठाए हैं।

हाल ही में रूस में भारत के दो नए Consulates खोले गए हैं। इससे दोनों देशों के नागरिकों के बीच संपर्क और सुगम होगा, और आपसी नज़दीकियाँ बढ़ेंगी। इस वर्ष अक्टूबर में लाखों श्रद्धालुओं को "काल्मिकिया” में International Buddhist Forum मे भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों का आशीर्वाद मिला।

मुझे खुशी है कि शीघ्र ही हम रूसी नागरिकों के लिए निशुल्क 30 day e-tourist visa और 30-day Group Tourist Visa की शुरुआत करने जा रहे हैं।

Manpower Mobility हमारे लोगों को जोड़ने के साथ-साथ दोनों देशों के लिए नई ताकत और नए अवसर create करेगी। मुझे खुशी है इसे बढ़ावा देने के लिए आज दो समझौतेकिए गए हैं। हम मिलकर vocational education, skilling और training पर भी काम करेंगे। हम दोनों देशों के students, scholars और खिलाड़ियों का आदान-प्रदान भी बढ़ाएंगे।

Friends,

आज हमने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की। यूक्रेन के संबंध में भारत ने शुरुआत से शांति का पक्ष रखा है। हम इस विषय के शांतिपूर्ण और स्थाई समाधान के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं। भारत सदैव अपना योगदान देने के लिए तैयार रहा है और आगे भी रहेगा।

आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में भारत और रूस ने लंबे समय से कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग किया है। पहलगाम में हुआ आतंकी हमला हो या क्रोकस City Hall पर किया गया कायरतापूर्ण आघात — इन सभी घटनाओं की जड़ एक ही है। भारत का अटल विश्वास है कि आतंकवाद मानवता के मूल्यों पर सीधा प्रहार है और इसके विरुद्ध वैश्विक एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताक़त है।

भारत और रूस के बीच UN, G20, BRICS, SCO तथा अन्य मंचों पर करीबी सहयोग रहा है। करीबी तालमेल के साथ आगे बढ़ते हुए, हम इन सभी मंचों पर अपना संवाद और सहयोग जारी रखेंगे।

Excellency,

मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में हमारी मित्रता हमें global challenges का सामना करने की शक्ति देगी — और यही भरोसा हमारे साझा भविष्य को और समृद्ध करेगा।

मैं एक बार फिर आपको और आपके पूरे delegation को भारत यात्रा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ।