"चिंतन शिविर सहकारी संघवाद का एक मुख्य उदाहरण है"
"'पंच प्रण' सुशासन के लिए प्रेरक शक्ति होनी चाहिए"
"स्मार्ट टेक्नोलॉजी की मदद से कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सकता है"
"कानून व्यवस्था को बनाए रखना सातों दिन और चौबीसों घंटे वाला एक काम है"
"यूएपीए जैसे कानूनों ने आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में सिस्टम को ताकत दी है"
"'एक राष्ट्र, एक पुलिस की वर्दी' कानून प्रवर्तन को एक साझी पहचान देगी"
"हमें फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने के लिए तकनीकी प्रगति को अपनाना होगा"
"नक्सलवाद का हर रूप, चाहे वह बंदूक वाला हो या कलम वाला, उन्हें जड़ से उखाड़ना होगा"
"पुलिस के वाहन कभी पुराने नहीं होने चाहिए क्योंकि यह उनकी दक्षता से संबंधित है"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए राज्यों के गृह मंत्रियों के 'चिंतन शिविर' को संबोधित किया।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने त्योहारों के मौसम में शांतिपूर्ण माहौल के लिए कानून-व्यवस्था से जुड़े कार्मिकों की तैयारियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि चिंतन शिविर सहकारी संघवाद का एक मुख्य उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान में भले कानून और व्यवस्था राज्यों का दायित्व है, लेकिन यह देश की एकता-अखंडता के साथ भी उतने ही जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, “हर एक राज्य एक दूसरे से सीखे, एक दूसरे से प्रेरणा ले, देश की बेहतरी के लिए काम करें, यह संविधान की भी भावना है और देशवासियों के प्रति हमारा दायित्व भी है।”

चल रहे अमृत काल की चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृत पीढ़ी, पंच प्रणों के संकल्पों को धारण करके निर्मित होगी। उन्होंने कहा, "सुशासन के लिए 'पंच प्रण' प्रेरक शक्ति होनी चाहिए।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब देश का सामर्थ्य बढ़ेगा तो देश के हर नागरिक, हर परिवार का सामर्थ्य बढ़ेगा। उन्होंने कहा, "यही तो सुशासन है, जिसका लाभ देश के हर राज्य को समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुंचाना है।” प्रधानमंत्री ने राज्यों की कानून एवं व्यवस्था प्रणाली और विकास को आपस में जोड़ने पर बल दिया। उन्होंने कहा, “कानून-व्यवस्था के पूरे तंत्र का विश्वसनीय होना, जनता के बीच उनका परसेप्शन क्या है, यह बहुत महत्वपूर्ण है।” उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं के समय एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की बढ़ती पहचान के बारे में बताया कि आज एनडीआरएफ के लिए देशवासियों के मन में कितना सम्मान है। एनडीआरएफ-एसडीआरएफ की टीम पहुंचती है, वैसे ही लोगों को संतोष होने लगता है कि अब एक्सपर्ट टीम पहुंच गई है, अब यह अपना काम कर लेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, इसी तरह अपराध वाली किसी भी जगह पर जैसे ही पुलिस पहुंचती है, लोगों में यह भाव आता है कि सरकार पहुंच गई। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में भी हमने देखा है कि किस तरह पुलिस की साख बेहतर हुई थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रतिबद्धता की कोई कमी नहीं है और पुलिस की धारणा को और मजबूत करने की जरूरत है। इस संबंध में उनका मार्गदर्शन करना हमारी निरंतर प्रक्रिया होनी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अपराध अब स्थानीयकृत नहीं है और अंतर्राज्यीय, अंतर्राष्ट्रीय अपराध के मामले बढ़ रहे हैं। इसलिए राज्य की एजेंसियों के बीच और केंद्र तथा राज्य की एजेंसियों के बीच आपसी सहयोग महत्वपूर्ण होता जा रहा है। उन्होंने कहा, साइबर क्राइम हो या फिर ड्रोन टेक्नोलॉजी का हथियारों और ड्रग्स तस्करी में उपयोग, इनके लिए हमें नई टेक्नोलॉजी पर काम करते रहना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा, "स्मार्ट टेक्नोलॉजी की मदद से कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सकता है।" उन्होंने कहा कि 5जी अपने लाभों के साथ-साथ उच्च स्तर की सर्तकता संबंधी जरूरतों को भी पूरा करता है। उन्होंने मुख्यमंत्रियों और गृह मंत्रियों से बजट की बाधाओं से परे जाकर प्रौद्योगिकी की आवश्यकता का गंभीरता से आकलन करने का अनुरोध किया, क्योंकि यह तकनीक आम नागरिकों के बीच सुरक्षा के विश्वास को जगाएगी। प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार के पुलिस प्रौद्योगिकी मिशन के बारे में बताया, हालांकि, उन्होंने एक साझे मंच की आवश्यकता पर बल दिया, क्योंकि विभिन्न राज्यों में अलग-अलग प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल होता है और इससे उनके बीच आपसी तालमेल कायम नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा, "हमारे पास एक अखिल भारतीय दृष्टिकोण होना चाहिए, हमारी सभी सर्वोत्तम प्रथाएं परस्पर जुड़ी होनी चाहिए और एक साझा लिंक होना चाहिए।” उन्होंने राज्य की एजेंसियों को फोरेंसिक विज्ञान में क्षमताओं को विकसित करने और गांधीनगर के राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय का पूरा लाभ उठाने के लिए कहा।

सुधारों को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते वर्षों में भारत सरकार के स्तर पर कानून व्यवस्था से जुड़े जो रिफॉर्म्स हुए हैं, उन्होंने पूरे देश में शांति का वातावरण बनाने में मदद की है। उन्होंने कहा, "कानून व्यवस्था को बनाए रखना सातों दिन और चौबीसों घंटे वाला एक काम है।” उन्होंने यह भी कहा कि लेकिन किसी भी काम में यह भी आवश्यक है कि हम निरंतर प्रक्रियाओं में सुधार करते चलें, उन्हें आधुनिक बनाते चलें। उन्होंने इस दिशा में एक कदम के रूप में कंपनी कानून में कई चीजों के गैर-अपराधीकरण के बारे में चर्चा की, उन्होंने राज्यों से भी मूल्यांकन करने और पुराने नियमों व कानूनों से छुटकारा पाने के लिए कहा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों में भ्रष्टाचार, आतंकवाद और हवाला से सख्ती से निपटने की स्पष्ट इच्छाशक्ति है। उन्होंने कहा, "यूएपीए जैसे कानूनों ने आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में व्यवस्था को मजबूती दी है।"

प्रधानमंत्री ने सभा से पूरे देश के राज्यों की पुलिस के लिए एक ही वर्दी पर विचार करने को कहा। यह न केवल अपनी व्यापकता के कारण गुणवत्ता वाले प्रोडक्ट्स को सुनिश्चित करेगा, बल्कि कानून प्रवर्तन को एक साझी पहचान देगी, क्योंकि नागरिक देश में कहीं भी पुलिस कर्मियों को पहचान पाएंगे। राज्यों के पास उनकी संख्या या प्रतीक चिन्ह हो सकते हैं। उन्होंने कहा, “मैं ‘एक राष्ट्र, एक पुलिस की वर्दी', इसे आपके विचार के लिए एक चिंतन के रूप में आपके समक्ष रख रहा हूं।” इसी तरह, उन्होंने पर्यटन से संबंधित पुलिसिंग के लिए विशेष क्षमताओं को विकसित करने के बारे में सोचने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पर्यटक किसी भी स्थान की प्रतिष्ठा के सबसे बड़े और सबसे तेज दूत होते हैं।

प्रधानमंत्री ने संवेदनशीलता के महत्व और व्यक्तिगत संपर्क को विकसित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने महामारी के दौरान पुलिस द्वारा फोन के जरिए लोगों, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों की मदद करने का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने तकनीकी खुफिया के साथ-साथ मानव खुफिया को मजबूत करने के लिए भी कहा, क्योंकि इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने भारत के बढ़ते कद के मद्देनजर उभर रही नई चुनौतियों के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

सोशल मीडिया की संभावनाओं की ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे सूचना के स्रोत तक सीमित नहीं रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक छोटी सी फेक न्यूज में राष्ट्रीय चिंता का विषय बनने की क्षमता है। प्रधानमंत्री ने अतीत में नौकरी में आरक्षण के बारे में फर्जी खबरों के कारण भारत को हुए नुकसान पर अफसोस व्यक्त किया। उन्होंने लोगों को किसी भी जानकारी को आगे भेजने से पहले उसका विश्लेषण और सत्यापन करने के बारे में लोगों को शिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, "हमें फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने के लिए तकनीकी प्रगति पर जोर देना होगा।" प्रधानमंत्री ने देश में नागरिक सुरक्षा की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला और अग्निशामकों व पुलिस से स्कूलों और कॉलेजों में अभ्यास करने का आग्रह किया ताकि छात्र इस विचार की प्रशंसा कर सके।

आतंकवाद के जमीनी नेटवर्क को खत्म करने की आवश्यकता को दोहराते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि हर सरकार अपनी क्षमता और सूझ-बूझ के साथ अपना काम करने की कोशिश कर रही है। श्री मोदी ने कहा कि यह समय की मांग है कि एक साथ आएं और स्थिति को संभालें। उन्होंने कहा, "नक्सलवाद का हर रूप, चाहे वह बंदूक वाला हो या कलम वाला, देश के युवाओं को गुमराह करने से रोकने के लिए उन्हें जड़ से उखाड़ना होगा।" प्रधानमंत्री ने चेतावनी दी कि ऐसी ताकतें आने वाली पीढ़ियों के दिमाग को विकृत करने के लिए अपने बौद्धिक क्षेत्र को बढ़ा रही हैं। देश की एकता व अखंडता के लिए और सरदार पटेल की प्रेरणा से हम अपने देश में ऐसी किसी भी ताकत को पनपने नहीं दे सकते। उन्होंने कहा कि ऐसी ताकतों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी मदद मिलती है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले आठ वर्षों में देश में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या में काफी कमी आई है। उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर हो या उत्तर-पूर्व, आज हम स्थायी शांति की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। अब हमें इन्फ्रास्ट्रक्चर समेत इन सभी क्षेत्रों में तेजी से विकास पर ध्यान देना होगा।” प्रधानमंत्री ने बताया कि आज केंद्र सरकार रिवर्स माइग्रेशन को बढ़ावा देने के लिए सीमा और तटीय क्षेत्रों में विकास के मिशन मोड पर काम कर रही है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इन क्षेत्रों में हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी को रोकने में यह एक लंबा रास्ता तय कर सकता है। प्रधानमंत्री ने इन योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए सीमावर्ती और तटीय राज्यों से सहयोग बढ़ाने के लिए कहा।

संबोधन के समापन में, प्रधानमंत्री ने वर्षों से पुलिस महानिदेशकों के सम्मेलनों से सामने आए सुझावों का गंभीरता से अध्ययन करने का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री ने पुलिस बल को नई स्क्रेपेज नीति के आलोक में अपने वाहनों का आकलन करने को कहा। उन्होंने कहा, "पुलिस वाहन कभी भी पुराने नहीं होने चाहिए, क्योंकि यह उनकी दक्षता से संबंधित है।”

उन्होंने आश्वासन दिया कि अगर हम राष्ट्रीय दृष्टिकोण से आगे बढ़ते हैं तो हमारे सामने हर चुनौती छोटी पड़ जाएगी। प्रधानमंत्री ने निष्कर्ष के तौर पर कहा, “इस चिंतन शिविर में, बेहतर सुझावों के साथ एक रोडमैप सामने आएगा। मैं आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं!"

पृष्ठभूमि

चिंतन शिविर 27 और 28 अक्टूबर 2022 को हरियाणा के सूरजकुंड में आयोजित किया जा रहा है। गृह सचिव और राज्यों के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) और केंद्रीय पुलिस संगठनों (सीपीओ) के महानिदेशक भी चिंतन शिविर में भाग ले रहे हैं।

प्रधानमंत्री द्वारा अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में घोषित पंच प्रण के अनुसार गृह मंत्रियों का चिंतन शिविर आंतरिक सुरक्षा से संबंधित मामलों पर नीति निर्माण के लिए एक राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य प्रदान करने का एक प्रयास है। सहकारी संघवाद की भावना से शिविर, केंद्र और राज्य स्तर पर विभिन्न हितधारकों के बीच योजना और समन्वय में अधिक तालमेल लाएगा।

शिविर में पुलिस बलों के आधुनिकीकरण, साइबर अपराध प्रबंधन, आपराधिक न्याय प्रणाली में आईटी के बढ़ते उपयोग, भूमि सीमा प्रबंधन, तटीय सुरक्षा, महिला सुरक्षा और मादक पदार्थों की तस्करी जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है।

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PM Modi addressed a public rally in Nadia, West Bengal through video conferencing after being unable to attend the programme physically due to adverse weather conditions. He sought forgiveness from the people, stating that dense fog made it impossible for the helicopter to land safely. Earlier today, the PM also laid the foundation stone and inaugurated development works in Ranaghat, a major way forward towards West Bengal’s growth story.

The PM expressed deep grief over a mishap involving BJP karyakartas travelling to attend the rally. He conveyed heartfelt condolences to the families of those who lost their lives and prayed for the speedy recovery of the injured.

PM Modi said that Nadia is the sacred land where Shri Chaitanya Mahaprabhu, the embodiment of love, compassion and devotion, manifested himself. He noted that the chants of Harinaam Sankirtan that once echoed across villages and along the banks of the Ganga were not merely expressions of devotion, but a powerful call for social unity.

He highlighted the immense contribution of the Matua community in strengthening social harmony, recalling the teachings of Shri Harichand Thakur, the social reform efforts of Shri Guruchand Thakur, and the motherly compassion of Boro Maa. He bowed to all these revered figures for their lasting impact on society.

The PM said that Bengal and the Bengali language have made invaluable contributions to India’s history and culture, with Vande Mataram being one of the nation’s most powerful gifts. He noted that the country is marking 150 years of Vande Mataram and that Parliament has recently paid tribute to this iconic song. He said West Bengal is the land of Bankim Chandra Chattopadhyay, whose creation of Vande Mataram awakened national consciousness during the freedom struggle.

He stressed that Vande Mataram should inspire a Viksit Bharat and awaken the spirit of a Viksit West Bengal, adding that this sacred idea forms the BJP’s roadmap for the state.

PM Modi said BJP-led governments are focused on policies that enhance the strength and capabilities of every citizen. He cited the GST Savings Festival as an example, noting that essential goods were made affordable, enabling families in West Bengal to celebrate Durga Puja and other festivals with joy.

He also highlighted major investments in infrastructure, mentioning the approval of two important highway projects that will improve connectivity between Kolkata and Siliguri and strengthen regional development.

The PM said the nation wants fast-paced development and referred to Bihar’s recent strong mandate in favour of the BJP-NDA. He recalled stating that the Ganga flows from Bihar to Bengal and that Bihar has shown the path for BJP’s victory in West Bengal as well.

He said that while Bihar has decisively rejected jungle raj, West Bengal must now free itself from what he described as Maha Jungle Raj. Referring to the popular slogan, he said the state is calling out, “Bachte Chai, BJP Tai.”

The PM emphasised that there is no shortage of funds, intent or schemes for West Bengal’s development, but alleged that projects worth thousands of crores are stalled due to corruption and commissions. He appealed to the people to give BJP a chance and form a double-engine government to witness rapid development.

He cautioned people to remain alert against what he described as TMC’s conspiracies, alleging that the party is focused on protecting infiltrators. He said that whenever BJP raises concerns over infiltration, TMC leaders respond with abuse, which also explains their opposition to SIR in West Bengal.

Concluding his address, PM Modi said West Bengal needs a BJP government that works at double speed to restore the state’s pride. He assured that he would speak in greater detail about BJP’s vision when he visits the state in person.