कोरोनावायरस अदृश्य हो सकता है लेकिन हमारे कोरोना योद्धा अजेय हैं: प्रधानमंत्री मोदी
देश की स्वास्थ्य सेवाएं तेजी से बदल रही हैं, कोरोना के खिलाफ लड़ाई में कोरोना वॉरियर्स की भूमिका अहम है, दुनिया देख रही है कि भारत किस प्रकार इस खतरनाक वायरस से युद्ध कर रहा है: पीएम मोदी
मैं स्पष्ट कह देना चाहता हूं कि फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ बुरा व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जा सकता: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज बेंगलुरु में राजीव गांधी स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के 25 वें स्थापना दिवस को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया।

प्रधानमंत्री ने कोविड-19 की स्थिति को संभालने में कर्नाटक सरकार के प्रयासों की सराहना की।

श्री मोदी ने कहा कि दुनिया दो विश्व युद्धों के बाद एक सबसे बड़े संकट का सामना कर रही है। उन्होंने कहा, जिस तरह दुनिया में विश्‍व युद्ध से पहले और विश्‍व युद्ध के बाद बदलाव आया, उसी तरह से कोविड से पूर्व और इसके बाद की दुनिया अलग होगी ।

श्री मोदी ने कहा कि कोविड -19 के खिलाफ भारत की साहसपूर्ण लड़ाई की जड़ में हमारा चिकित्सा समुदाय और हमारे कोरोना योद्धाओं की कड़ी मेहनत है। उन्होंने डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों को सैनिकों की उपमा दी जो बिना वर्दी के सैनिक हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वायरस अदृश्य शत्रु हो सकता है लेकिन हमारे कोरोना योद्धा अजेय हैं और अदृश्य बनाम अजेय के खिलाफ लड़ाई में हमारे चिकित्‍सा कार्यकर्ताओं की जीत सुनिश्चित हैं।

प्रधानमंत्री ने अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के खिलाफ भीड़ की मानसिकता के कारण होने वाली हिंसक घटनाओं पर चिंता व्यक्त की और कहा कि सरकार ने इन्हें रोकने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने अग्रिम पंक्ति के उन लोगों को 50 लाख रुपये का बीमा कवर भी प्रदान किया।

प्रधानमंत्री ने वैश्वीकरण के युग में आर्थिक मुद्दों पर बहस के बजाय विकास के मानव केंद्रित पहलुओं पर ध्यान देने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा, स्वास्थ्य क्षेत्र में जो राष्‍ट्र उन्नति करते है उसके पहले से कहीं अधिक मायने होंगे और सरकार ने पिछले 6 वर्षों में स्वास्थ्य-देखभाल और चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में अनेक पहल की है।

प्रधान मंत्री ने स्वास्थ्य देखभाल, बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए समन्वित, विस्‍तृत दृष्टिकोण अपनाने और सभी लोगों तक इसकी पहुंच वाली रणनीति अपनाने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि पहला स्तंभ रोग निरोधी स्वास्थ्य सेवा होगा जिसमें योग, आयुर्वेद और सामान्य स्वास्थ्य के महत्व पर जोर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि 40,000 से अधिक तंदुरूस्‍ती केन्‍द्र जीवन शैली से संबंधित बीमारियों को नियंत्रित करने की दृष्टि से खोले गए थे। स्वच्छ भारत मिशन की सफलता रोग निरोधी स्वास्थ्य सेवा का एक और महत्वपूर्ण क्षेत्र है।

दूसरा स्तंभ है – किफायती स्‍वास्‍थ्‍य सेवा। प्रधान मंत्री ने दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सेवा योजना- आयुष्मान भारत की सफलता पर प्रकाश डाला और बताया कि किस प्रकार दो साल से कम समय में, एक करोड़ लोगों ने इसका लाभ उठाया है, विशेष रूप से महिलाओं और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों ने।

तीसरा स्तंभ है- आपूर्ति पक्ष में सुधार। प्रधान मंत्री ने कहा कि भारत जैसे देश के पास उचित चिकित्सा बुनियादी ढांचा और चिकित्सा शिक्षा बुनियादी ढांचा होना चाहिए।

उन्होंने कहा, देश के हर जिले में मेडिकल कॉलेज या पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल संस्थान सुनिश्चित करने के लिए काम चल रहा है। प्रधान मंत्री ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि देश ने 22 और एम्स स्थापित करने में तेजी से प्रगति देखी है।

उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में, हम एमबीबीएस में 15,000 सीटें और पोस्ट-ग्रेजुएशन में 30,000 से अधिक सीटें जोड़ने में सक्षम हुए हैं। आजादी के बाद से किसी भी सरकार के पांच साल के कार्यकाल में यह सबसे बड़ी वृद्धि है।

प्रधान मंत्री ने संसद में एक अधिनियम के जरिये द मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को बदलने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की स्थापना की भी बात की।

चौथा स्तंभ, उन्होंने कहा कि सभी योजनाओं का मिशन मोड कार्यान्वयन होगा और यह एक अच्छे विचार की सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

उन्होंने उद्धृत किया कि राष्ट्रीय पोषण मिशन के कार्यान्वयन से युवाओं और माताओं की मदद हो रही है और किस प्रकार भारत 2025 तक तपेदिक (टीबी) को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो 2030 के वैश्विक लक्ष्य से 5 साल पहले है।

उन्होंने मिशन इन्द्रधनुष की भी चर्चा की, जहाँ टीकाकरण कवरेज में चार गुना वार्षिक वृद्धि हुई है।

प्रधान मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने हाल ही में 50 से अधिक विभिन्न संबद्ध और हेल्थकेयर पेशेवरों की शिक्षा के विस्तार के लिए एक नया कानून लाने की मंजूरी दी है, जो देश में पैरा-मेडिकल कर्मियों की कमी को दूर करेगा।

उन्होंने एकत्र लोगों से आग्रह किया कि वे तीन मुद्दों पर विचार करें और संकल्‍प करें कि टेली-मेडिसिन में प्रगति कैसे की जा सकती है; मेक इन इंडिया ’के माध्यम से स्वास्थ्य क्षेत्र में कैसे लाभ कमाया जाए और कैसे आईटी से संबंधित सेवाओं को स्वास्थ्य देखभाल में लाया जाए।

उन्‍होंने मेक इन इंडिया के क्षेत्र में शुरूआती लाभ की सराहना करते हुए कहा कि किस प्रकार घरेलू निर्माताओं ने पीपीई और एन -95 मास्क का उत्पादन शुरू किया और पहले ही 1 करोड़ पीपीई और 1.5 करोड़ से अधिक मास्क की आपूर्ति कर चुके हैं ।

प्रधान मंत्री ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में आरोग्यसेतु ऐप कैसे मदद कर रहा है, इसकी भी सराहना की।

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