“आज, हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा लोकतान्त्रिक दिन है, क्योंकि आदिवासी समाज से एक महिला ने देश के सर्वोच्च पद का पदभार ग्रहण किया है”
"लोहिया जी के विचारों को हरमोहन सिंह यादव जी ने अपने लंबे राजनैतिक जीवन में आगे बढ़ाया"
"हरमोहन सिंह यादव जी ने न केवल सिख संहार के खिलाफ राजनैतिक स्टैंड लिया, बल्कि सिख भाई-बहनों की रक्षा के लिए वो सामने आकर लड़े"
"हाल के समय में विचारधारा या राजनीतिक हितों को समाज और देश के हित से भी ऊपर रखने का चलन शुरू हुआ है"
"ये हर एक राजनीतिक पार्टी का दायित्व है कि दल का विरोध, व्यक्ति का विरोध देश के विरोध में न बदले"
"डॉ. लोहिया ने रामायण मेलों का आयोजन और गंगा की देखभाल कर देश की सांस्कृतिक ताकत को मजबूत करने का काम किया"
"सामाजिक न्याय का अर्थ है- समाज के हर वर्ग को समान अवसर मिलें, जीवन की मौलिक जरूरतों से कोई भी वंचित न रहे"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व सांसद, विधान परिषद सदस्य, विधायक और शौर्य चक्र से सम्मानित एवं एक महान शख्सियत और यादव समुदाय के नेता स्वर्गीय श्री हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने स्वर्गीय श्री हरमोहन सिंह यादव की दसवीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने यह भी कहा कि आज, आजादी के बाद पहली बार पहली बार आदिवासी समाज की किसी महिला ने देश के सर्वोच्च पद का पदभार ग्रहण किया। उन्होंने इस भारत के राष्ट्रपति देश का नेतृत्व करने जा रही हैं। उन्होंने इसे भारत के लोकतंत्र के लिए एक बड़ा दिन बताया।

प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के महान नेताओं की गौरवशाली विरासत को याद करते हुए कहा, “लोहिया जी के विचारों को उत्तर प्रदेश और कानपुर की धरती से हरमोहन सिंह यादव जी ने अपने लंबे राजनैतिक जीवन में आगे बढ़ाया। उन्होंने प्रदेश और देश की राजनीति में जो योगदान किया, समाज के लिए जो कार्य किया, उनसे आने वाली पीढ़ियों को मार्गदर्शन मिल रहा है।” प्रधानमंत्री ने 'ग्राम सभा से राज्य सभा तक' की उनकी लंबी और विशिष्ट यात्रा में समाज और समुदाय के प्रति उनके समर्पण के बारे में बताया।

प्रधानमंत्री ने श्री हरमोहन सिंह यादव के अनुकरणीय साहस के बारे में चर्चा करते हुए कहा, “हरमोहन सिंह यादव जी ने न केवल सिख संहार के खिलाफ राजनैतिक स्टैंड लिया, बल्कि सिख भाई-बहनों की रक्षा के लिए वो सामने आकर लड़े। अपनी जान पर खेलकर उन्होंने कितने ही सिख परिवारों की, मासूमों की जान बचाई। देश ने भी उनके इस नेतृत्व को पहचाना, उन्हें शौर्य चक्र दिया गया।”

प्रधानमंत्री ने श्री अटल बिहारी वाजपेयी के शब्दों को याद करते हुए दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर राष्ट्र की प्रधानता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "दलों का अस्तित्व लोकतन्त्र की वजह से है, और लोकतन्त्र का अस्तित्व देश की वजह से है। हमारे देश में अधिकांश पार्टियों ने, विशेष रूप से सभी गैर-कांग्रेसी दलों ने इस विचार को, देश के लिए सहयोग और समन्वय के आदर्श को निभाया भी है।” उन्होंने 1971 के युद्ध, परमाणु परीक्षण और आपातकाल के खिलाफ लड़ाई का उदाहरण देते हुए देश के लिए एक संयुक्त मोर्चा बनाने को लेकर राजनीतिक दलों की भावना को स्पष्ट किया। “आपातकाल के दौरान जब देश के लोकतंत्र को कुचला गया तो सभी प्रमुख पार्टियों ने, हम सबने एक साथ आकर संविधान को बचाने के लिए लड़ाई भी लड़ी। चौधरी हरमोहन सिंह यादव जी भी उस संघर्ष के एक जुझारू सैनिक थे। यानी, हमारे यहां देश और समाज के हित, विचारधाराओं से बड़े रहे हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा, “हालांकि, हाल के समय में विचारधारा या राजनीतिक हितों को समाज और देश के हित से भी ऊपर रखने का चलन शुरू हुआ है। कई बार तो सरकार के कामों में विपक्ष के कुछ दल इसलिए अड़ंगे लगाते हैं क्योंकि जब वो सत्ता में थे तो अपने लिए फैसले वो लागू नहीं कर पाए।” प्रधानमंत्री ने कहा कि यह देश की जनता को पसंद नहीं है। उन्होंने कहा, “ये हर एक राजनीतिक पार्टी का दायित्व है कि दल का विरोध, व्यक्ति का विरोध देश के विरोध में न बदले। विचारधाराओं का अपना स्थान है, और होना चाहिए। राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं, तो हो सकती हैं। लेकिन, देश सबसे पहले है, समाज सबसे पहले है। राष्ट्र प्रथम है।"

प्रधानमंत्री ने डॉ. लोहिया की सांस्कृतिक शक्ति की अवधारणा के बारे में बताया। श्री मोदी ने कहा कि मूल भारतीय चिंतन में समाज, विवाद या बहस का मुद्दा नहीं है और इसे एकता और सामूहिकता के ढांचे के रूप में देखा जाता है। उन्होंने याद करते हुए कहा कि डॉ. लोहिया ने रामायण मेलों का आयोजन और गंगा की देखभाल करके देश की सांस्कृतिक ताकत को मजबूत करने का काम किया। उन्होंने कहा कि भारत नमामि गंगे, समाज के सांस्कृतिक प्रतीकों को पुनर्जीवित करने और अधिकारों को सुनिश्चित करने के साथ कर्तव्य के महत्व पर जोर देने जैसी पहलों से इन सपनों को साकार कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि समाज की सेवा के लिए ये भी आवश्यक है कि हम सामाजिक न्याय की भावना को स्वीकार करें, उसे अंगीकार करें। उन्होंने कहा कि आज जब देश अपनी आजादी के 75 वर्ष पर अमृत महोत्सव मना रहा है, तो इसे समझना और इस दिशा में आगे बढ़ना बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सामाजिक न्याय का अर्थ है- समाज के हर वर्ग को समान अवसर मिलें, जीवन की मौलिक जरूरतों से कोई भी वंचित न रहे। दलित, पिछड़ा, आदिवासी, महिलाएं, दिव्यांग, जब आगे आएंगे, तभी देश आगे जाएगा। हरमोहन जी इस बदलाव के लिए शिक्षा को सबसे जरूरी मानते थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनका काम प्रेरणादायक है। उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, आदिवासी क्षेत्रों के लिए एकलव्य स्कूल, मातृभाषा में शिक्षा को बढ़ावा देने जैसी पहलों के माध्यम से देश इस रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, "देश शिक्षा के माध्यम से सशक्तिकरण के मंत्र पर आगे बढ़ रहा है और शिक्षा ही सशक्तिकरण है।”

श्री हरमोहन सिंह यादव (18 अक्टूबर 1921 - 25 जुलाई 2012)

श्री हरमोहन सिंह यादव (18 अक्टूबर 1921 - 25 जुलाई 2012) एक महान व्यक्ति और यादव समुदाय के नेता थे। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री की भागीदारी होना किसानों, पिछड़े वर्गों और समाज के अन्य वर्गों के लिए दिवंगत नेता के योगदान को मान्यता है।

श्री हरमोहन सिंह यादव लंबे समय तक राजनीति में सक्रिय रहे और उन्होंने विधान परिषद सदस्य, विधायक, राज्यसभा सदस्य और 'अखिल भारतीय यादव महासभा' के अध्यक्ष के रूप में विभिन्न पदों पर कार्य किया। उन्होंने अपने बेटे श्री सुखराम सिंह की मदद से कानपुर और उसके आसपास कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान कई सिखों की जान बचाने में वीरता के प्रदर्शन के लिए श्री हरमोहन सिंह यादव को 1991 में शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था।

 

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Prime Minister shares Sanskrit Subhashitam highlighting the power of collective effort
December 17, 2025

The Prime Minister, Shri Narendra Modi, shared a Sanskrit Subhashitam-

“अल्पानामपि वस्तूनां संहतिः कार्यसाधिका।

तृणैर्गुणत्वमापन्नैर्बध्यन्ते मत्तदन्तिनः॥”

The Sanskrit Subhashitam conveys that even small things, when brought together in a well-planned manner, can accomplish great tasks, and that a rope made of hay sticks can even entangle powerful elephants.

The Prime Minister wrote on X;

“अल्पानामपि वस्तूनां संहतिः कार्यसाधिका।

तृणैर्गुणत्वमापन्नैर्बध्यन्ते मत्तदन्तिनः॥”