Published By : Admin |
February 6, 2018 | 18:25 IST
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प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर के लद्दाख और सिक्किम के 53 छात्रों से मुलाकात की
प्रधानमंत्री ने बच्चों को एक समृद्ध और भ्रष्टाचार मुक्त भारत की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में काम करने के लिए कहा
सिक्किम और लद्दाख के 53 विद्यार्थियों, जो भारत के विभिन्न हिस्सों का दौरा कर रहे आईटीबीपी के दो भ्रमण समूहों का हिस्सा हैं, ने आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से भेंट की। प्रधानमंत्री के साथ अनौपचारिक बातचीत में इन विद्यार्थियों ने एक समृद्ध और भ्रष्टाचार-मुक्त भारत के अपने विजन को साझा किया। प्रधानमंत्री ने इन विद्यार्थियों से अपने विजन को साकार करने के लिए इस दिशा में ठोस कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने विद्यार्थियों से चुस्त–दुरुस्त रहने का आग्रह किया, ताकि वे ज्यादा उत्पादक साबित हो सकें। इस संदर्भ में योग की समान अहमियत पर भी विचार-विमर्श हुआ।
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प्रधानमंत्री ने शिक्षा अथवा ज्ञान प्राप्ति के महत्व पर विशेष जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक शिक्षार्थी बनने के लिए सदैव ही स्वाभाविक झुकाव होना चाहिए।
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विद्यार्थियों ने डिजिटल इंडिया में विशेष दिलचस्पी दिखाई। इस दौरान नकद रहित लेन-देन पर भी चर्चा हुई। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर यह जानकारी दी कि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण से आम आदमी किस तरह लाभान्वित हो रहे हैं।
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इन विद्यार्थियों ने प्रधानमंत्री द्वारा लिखित पुस्तक ‘एक्जाम वारियर्स’ का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने उन्हें अनुचित तनाव और दबाव के बिना अपनी जिंदगी जीने के लिए प्रोत्साहित किया।
आइये, हम दुनिया के लिए एक मजबूत और सशक्त भविष्य बनाएं: पीएम मोदी
June 07, 2025
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प्रधानमंत्री ने आपदा प्रतिरोधी क्षमता को मजबूत करने हेतु 5 प्रमुख वैश्विक प्राथमिकताओं को रेखांकित किया
भारत ने सुनामी चेतावनी प्रणाली स्थापित की जिससे 29 देशों को लाभ होगा: प्रधानमंत्री
भारत छोटे द्वीपीय विकासशील देशों को बड़े महासागरीय देशों के रूप में मान्यता देता है और उनकी कमजोरियों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर बल देता है: प्रधानमंत्री
पूर्व चेतावनी प्रणाली और समन्वय को मजबूत करना महत्वपूर्ण है: प्रधानमंत्री
आपदाओं से उबरने संबंधी सीख एवं सर्वोत्तम तरीकों का एक वैश्विक डिजिटल संग्रह पूरी दुनिया के लिए लाभकारी होगा: प्रधानमंत्री
महामहिम,
विशिष्ट प्रतिनिधिगण, प्रिय मित्रों, नमस्कार।
आपदा रोधी अवसंरचना 2025 पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में आपका स्वागत है। यूरोप में यह सम्मेलन पहली बार आयोजित किया जा रहा है। मैं अपने मित्र, राष्ट्रपति मैक्रों और फ्रांस सरकार की ओर से दिए गए सहयोग के लिए उनका आभार प्रकट करता हूँ। आगामी संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन के लिए भी मैं अपनी शुभकामनाएँ देता हूँ।
मित्रों,
इस सम्मेलन का विषय है ‘तटीय क्षेत्रों के लिए सुदृढ़ भविष्य को आकार देना'। प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के कारण तटीय क्षेत्र और द्वीप अतिशय जोखिम में हैं। हाल के दिनों में, हम : भारत और बांग्लादेश में चक्रवात रेमल, कैरिबियन में तूफान बेरिल, दक्षिण-पूर्व एशिया में तूफान यागी, अमेरिका में तूफान हेलेन, फिलीपींस में तूफान उसागी और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में चक्रवात चिडो के घटित होने के साक्षी बनें। ऐसी आपदाओं ने जान-माल को हानि पहुँचायी है।
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मित्रों,
भारत ने भी 1999 के सुपर-साइक्लोन और 2004 की सुनामी के दौरान इस दर्द को झेला है। हमने मजबूती को ध्यान में रखते हुए अनुकूलन और पुनर्निर्माण किया। संवेदनशील क्षेत्रों में चक्रवात आश्रयों का निर्माण किया गया। हमने 29 देशों के लिए सुनामी चेतावनी प्रणाली बनाने में भी मदद की।
मित्रों,
आपदा रोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन 25 छोटे द्वीपीय विकासशील देशों के साथ काम कर रहा है। मजबूत मकान, अस्पताल, स्कूल, ऊर्जा, जल सुरक्षा और पूर्व चेतावनी प्रणाली का निर्माण किया जा रहा है। इस सम्मेलन की थीम को देखते हुए, मुझे प्रशांत, हिंद महासागर और कैरिबियन के मित्रों को यहाँ देखकर प्रसन्नता हो रही है। इसके अलावा, मुझे खुशी है कि अफ्रीकी संघ भी सीडीआरआई में शामिल हो गया है।
मित्रों,
मैं आपका ध्यान कुछ महत्वपूर्ण वैश्विक प्राथमिकताओं की ओर आकर्षित करना चाहूंगा।
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प्रथम : आपदा से निपटने के लिए पाठ्यक्रम, मॉड्यूल और कौशल विकास कार्यक्रम को उच्च शिक्षा का हिस्सा बनाना चाहिए। इससे कुशल कार्यबल का निर्माण होगा, जो भविष्य की चुनौतियों से निपट सकता है।
द्वितीय : कई देश आपदाओं का सामना करते हैं और मजबूती के साथ पुनर्निर्माण करते हैं। उनकी सीख और सर्वोत्तम प्रथाओं का एक वैश्विक डिजिटल संग्रह तैयार करना लाभकारी होगा।
तृतीय : आपदा से निपटने के लिए अभिनव वित्तपोषण की आवश्यकता है। हमें कार्रवाई योग्य कार्यक्रम तैयार करने चाहिए और वित्त तक विकासशील देशों की पहुँच सुनिश्चित करनी चाहिए ।
चतुर्थ : हम छोटे द्वीपीय विकासशील देशों को बड़े महासागरीय देशों के रूप में देखते हैं। उनकी अतिसंवेदनशीलता के कारण उन पर विशेष रूप पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
पंचम : प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों की मज़बूती और समन्वय बहुत महत्वपूर्ण है। इससे समय पर निर्णय लेने और अंतिम-सिरे तक प्रभावी संचार में मदद मिलती है। मुझे यकीन है कि इस सम्मेलन में होने वाली चर्चाओं में इन पहलुओं पर विचार किया जाएगा।
मित्रों,
आइए, हम ऐसे बुनियादी ढाँचे का निर्माण करें, जो हर चुनौती के खिलाफ मजबूती से डटा रहे। आइए, हम दुनिया के लिए एक मजबूत और लचीला भविष्य बनाएं।