प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में अपने पहले स्वतंत्रता दिवस के संबोधन के दौरान कहा, “माता-पिता अपनी बेटियों से पूछते हैं कि वे कहां थीं, जब वे अगर घर देर से लौटती हैं, लेकिन क्या वे अपने बेटों के साथ भी ऐसा ही करते हैं? आखिरकार बलात्कार जैसे जघन्य अपराध को अंजाम देने वाला व्यक्ति भी किसी का बेटा ही होता है। माता-पिता के रूप में क्या हमने अपने बेटों से पूछा है कि वे कहां जा रहे हैं? जब हम अपनी बेटियों पर सवाल उठाते हैं, तो बेटों के लिए भी एक ही तरह का मापदंड क्यों नहीं अपनाते हैं? ”

स्पष्ट रूप से, किसी के लिए स्वतंत्रता दिवस पर यह कहना महिलाओं की सुरक्षा और लैंगिक समानता के लिए उसकी गहरी चिंता को दर्शाता है। इस विचार के साथ उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि महिला सुरक्षा उनकी सरकार के पॉलिसी मेकिंग, गवर्नेंस और एजेंडे का एक अभिन्न हिस्सा है। राष्ट्र ने कुछ पथ-प्रदर्शक घोषणाएं देखीं, जो आधी आबादी की गरिमा और कल्याण को सुनिश्चित करती हैं, जो कई वर्षों से सिर्फ प्रतीकवाद था। महिला केंद्रित विकास को सेंटर में रखकर कई घोषणाएं की गई हैं।

ऐसी कुछ घोषणाओं ने भारत में महिलाओं के लिए सेप्टी और सिक्योरिटी नेट को संभावित रूप से बदल दिया है।

नरेन्द्र मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2017 लोकसभा में पारित किया। इस बिल से तुरंत ट्रिपल तलाक यानि तलाक-ए-बिद्दत किसी भी रूप में गैरकानूनी हो गया।

यह विधेयक मुस्लिम महिलाओं के अधिकार की रक्षा करता है जो तात्कालिक ट्रिपल तालक के हाथों मजबूर हैं। यह सिर्फ एक एसएमएस या व्हाट्सएप संदेश के साथ पत्नियों को तलाक देने की मनमानी प्रथा को खत्म करता है, यह विधेयक विवाहित मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक शुरुआत है, जो इस तरह की घटना होने पर असहाय महसूस करती हैं।

महिला पुलिस स्वयंसेवकों और महिला सुरक्षा ऐप जिसे "हिम्मत" कहा जाता है, महिलाओं को उनके घरों के भीतर और बाहर दोनों जगह सुरक्षित जीवन प्रदान करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करता है। मानव तस्करी (रोकथाम, पुनर्वास ,संरक्षण) विधेयक 2018 अत्‍यंत कमज़ोर व्‍यक्तियों, विशेषकर महिलाओं एवं बच्‍चों को, प्रभावित करने वाले घृणित और अदृश्‍य अपराधों से निपटने का समाधान प्रदान करता है।

युवा लड़कियों को एक सेफ और सिक्योर वातावरण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध, नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अपराधियों को ऐसे जघन्य अपराधों में लिप्त होने के लिए कड़ी सजा देने के लिए एक कानून प्रदान करता है। 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार के दोषी पाए जाने वालों के लिए मृत्युदंड की सजा सरकार द्वारा ऐसे अपराधों को रोकने और भारत के युवा नागरिकों की गरिमा को ठेस पहुंचाने वालों को कड़ाई से निपटने के लिए सुनिश्चित की गई थी। इसके अलावा, 16 साल से कम की लड़की से बलात्कार के लिए न्यूनतम सजा 10 साल से बढ़कर 20 साल कर दी गई है।

स्वच्छ भारत एक अन्य सामाजिक नवाचार है जिसमें बहुआयामी सामाजिक प्रभाव हैं। शौचालय के अभाव में महिलाएं खुले खेतों में जाने को मजबूर थीं, इसने उनके लिए एक बड़ा सुरक्षा खतरा पैदा कर दिया। अपराधी इस दौरान अंधेरा पाकर महिलाओं को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करते थे। इसके अलावा महिलाओं को जंगली जानवरों और सांप के काटने का भी खतरा बना रहता था। स्वच्छ भारत का प्रभाव स्वच्छता की पहल से कहीं अधिक है। यह सुरक्षा और गरिमा को भी बहाल करता है और समाज की महिला सदस्यों को सुरक्षा भी प्रदान करता है।

इसी तरह, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के शुभारंभ और व्यापक कार्यान्वयन के साथ, महिलाओं को खाना पकाने के लिए जलाने की लकड़ी प्राप्त करने के लिए जंगल जाने की अब कोई आवश्यकता नहीं है। महिलाओं को लकड़ी इकट्ठा करने के लिए बाहर जाने में जोखिमों का सामना करना पड़ता है, जो घर पर शौचालय के अभाव में सामना करने के समान हैं।

महिलाओं को राष्ट्र के विकास में योगदान देने के लिए, भारत के लोकतंत्र की प्रगति में उनकी भागीदारी और राष्ट्र में अपनी जगह बनाने के लिए, महिलाओं को पुरुष समकक्ष के बराबर होने की आवश्यकता है। इसके लिए, हमें उन्हें पहले एक सुरक्षा तंत्र देकर शुरू करने की आवश्यकता है जो उन्हें अपने देश में कहीं भी सुरक्षित महसूस करें। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे जागरूकता अभियान बालिकाओं को बचाने, उन्हें शिक्षित करने और फिर उन्हें आत्मनिर्भर नागरिक बनाने की दिशा में उठाए गए कदम हैं। जन्म के समय लिंगानुपात 104 चिन्हित जिलों में पहले से बेहतर हुआ है, एक आंकड़ा दर्शाता है कि अब हम अपनी बेटियों को पैदा होने से पहले ही उनकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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जल जीवन मिशन के 6 साल: हर नल से बदलती ज़िंदगी
August 14, 2025
"हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन, एक प्रमुख डेवलपमेंट पैरामीटर बन गया है।" - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

पीढ़ियों तक, ग्रामीण भारत में सिर पर पानी के मटके ढोती महिलाओं का दृश्य रोज़मर्रा की बात थी। यह सिर्फ़ एक काम नहीं था, बल्कि एक ज़रूरत थी, जो उनके दैनिक जीवन का अहम हिस्सा थी। पानी अक्सर एक या दो मटकों में लाया जाता, जिसे पीने, खाना बनाने, सफ़ाई और कपड़े धोने इत्यादि के लिए बचा-बचाकर इस्तेमाल करना पड़ता था। यह दिनचर्या आराम, पढ़ाई या कमाई के काम के लिए बहुत कम समय छोड़ती थी, और इसका बोझ सबसे ज़्यादा महिलाओं पर पड़ता था।

2014 से पहले, पानी की कमी, जो भारत की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक थी; को न तो गंभीरता से लिया गया और न ही दूरदृष्टि के साथ हल किया गया। सुरक्षित पीने के पानी तक पहुँच बिखरी हुई थी, गाँव दूर-दराज़ के स्रोतों पर निर्भर थे, और पूरे देश में हर घर तक नल का पानी पहुँचाना असंभव-सा माना जाता था।

यह स्थिति 2019 में बदलनी शुरू हुई, जब भारत सरकार ने जल जीवन मिशन (JJM) शुरू किया। यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका उद्देश्य हर ग्रामीण घर तक सक्रिय घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) पहुँचाना है। उस समय केवल 3.2 करोड़ ग्रामीण घरों में, जो कुल संख्या का महज़ 16.7% था, नल का पानी उपलब्ध था। बाकी लोग अब भी सामुदायिक स्रोतों पर निर्भर थे, जो अक्सर घर से काफी दूर होते थे।

जुलाई 2025 तक, हर घर जल कार्यक्रम के अंतर्गत प्रगति असाधारण रही है, 12.5 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण परिवारों को जोड़ा गया है, जिससे कुल संख्या 15.7 करोड़ से अधिक हो गई है। इस कार्यक्रम ने 200 जिलों और 2.6 लाख से अधिक गांवों में 100% नल जल कवरेज हासिल किया है, जिसमें 8 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेश अब पूरी तरह से कवर किए गए हैं। लाखों लोगों के लिए, इसका मतलब न केवल घर पर पानी की पहुंच है, बल्कि समय की बचत, स्वास्थ्य में सुधार और सम्मान की बहाली है। 112 आकांक्षी जिलों में लगभग 80% नल जल कवरेज हासिल किया गया है, जो 8% से कम से उल्लेखनीय वृद्धि है। इसके अतिरिक्त, वामपंथी उग्रवाद जिलों के 59 लाख घरों में नल के कनेक्शन किए गए, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि विकास हर कोने तक पहुंचे। महत्वपूर्ण प्रगति और आगे की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय बजट 2025–26 में इस कार्यक्रम को 2028 तक बढ़ाने और बजट में वृद्धि की घोषणा की गई है।

2019 में राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किए गए जल जीवन मिशन की शुरुआत गुजरात से हुई है, जहाँ श्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री के रूप में सुजलाम सुफलाम पहल के माध्यम से इस शुष्क राज्य में पानी की कमी से निपटने के लिए काम किया था। इस प्रयास ने एक ऐसे मिशन की रूपरेखा तैयार की जिसका लक्ष्य भारत के हर ग्रामीण घर में नल का पानी पहुँचाना था।

हालाँकि पेयजल राज्य का विषय है, फिर भी भारत सरकार ने एक प्रतिबद्ध भागीदार की भूमिका निभाई है, तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए राज्यों को स्थानीय समाधानों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने का अधिकार दिया है। मिशन को पटरी पर बनाए रखने के लिए, एक मज़बूत निगरानी प्रणाली लक्ष्यीकरण के लिए आधार को जोड़ती है, परिसंपत्तियों को जियो-टैग करती है, तृतीय-पक्ष निरीक्षण करती है, और गाँव के जल प्रवाह पर नज़र रखने के लिए IoT उपकरणों का उपयोग करती है।

जल जीवन मिशन के उद्देश्य जितने पाइपों से संबंधित हैं, उतने ही लोगों से भी संबंधित हैं। वंचित और जल संकटग्रस्त क्षेत्रों को प्राथमिकता देकर, स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य केंद्रों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करके, और स्थानीय समुदायों को योगदान या श्रमदान के माध्यम से स्वामित्व लेने के लिए प्रोत्साहित करके, इस मिशन का उद्देश्य सुरक्षित जल को सभी की ज़िम्मेदारी बनाना है।

इसका प्रभाव सुविधा से कहीं आगे तक जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि JJM के लक्ष्यों को प्राप्त करने से प्रतिदिन 5.5 करोड़ घंटे से अधिक की बचत हो सकती है, यह समय अब शिक्षा, काम या परिवार पर खर्च किया जा सकता है। 9 करोड़ महिलाओं को अब बाहर से पानी लाने की ज़रूरत नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह भी अनुमान है कि सभी के लिए सुरक्षित जल, दस्त से होने वाली लगभग 4 लाख मौतों को रोक सकता है और स्वास्थ्य लागत में 8.2 लाख करोड़ रुपये की बचत कर सकता है। इसके अतिरिक्त, आईआईएम बैंगलोर और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, JJM ने अपने निर्माण के दौरान लगभग 3 करोड़ व्यक्ति-वर्ष का रोजगार सृजित किया है, और लगभग 25 लाख महिलाओं को फील्ड टेस्टिंग किट का उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया गया है।

रसोई में एक माँ का साफ़ पानी से गिलास भरते समय मिलने वाला सुकून हो, या उस स्कूल का भरोसा जहाँ बच्चे बेफ़िक्र होकर पानी पी सकते हैं; जल जीवन मिशन, ग्रामीण भारत में जीवन जीने के मायने बदल रहा है।