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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईएनएस विक्रमादित्य पर संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन की अध्यक्षता की
प्रधानमंत्री मोदी को कोच्चि में आईएनएस गरुड़ पर तीनों सेनाओं द्वारा गार्ड ऑफ़ ऑनर दिया गया
प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय नौसेना के परिचालन और समुद्री हवाई क्षमताओं का प्रदर्शन देखा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईएनएस विक्रमादित्य पर नौ-सैनिकों और विमान चालकों के साथ बातचीत की
कोच्चि हिंद महासागर के शीर्ष पर एवं हमारे समुद्री इतिहास के मुहाने पर स्थित है: प्रधानमंत्री मोदी
आईएनएस विक्रमादित्य हमारे समुद्री शक्ति का साधन और हमारी समुद्री जिम्मेदारी का प्रतीक है: प्रधानमंत्री मोदी
भारतीय सशस्त्र बलों को न सिर्फ़ उनकी क्षमता बल्कि उनकी परिपक्वता और जिम्मेदारी के लिए भी जाना जाता है: प्रधानमंत्री
हमारे बल हमारे देश की विविधता और एकता को दर्शाते हैं। वे भारत के कालातीत संस्कृति व हमारी सैन्य परंपरा के उत्कृष्ट प्रतीक: प्रधानमंत्री
भारत परिवर्तन के एक रोमांचक छोर पर खड़ा है। भारत को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वास बढ़ा है: प्रधानमंत्री
हमारे कारखानों में फिर से गतिविधियाँ बढ़ी हैं। हम भविष्य के आवश्यकतानुसार तीव्र गति से बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहे हैं: पीएम मोदी
दुनिया भर में भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था के एक नए उज्ज्वल स्थान के रूप में देखा जा रहा है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
सशस्त्र बलों की मेक इन इंडिया मिशन की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका होगी: प्रधानमंत्री
हमें ऐसी सेना की ज़रूरत है जो साहसी होने के साथ-साथ चुस्त, गतिशील एवं प्रौद्योगिकी संपन्न हो: प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज कोच्चि के तट से दूर समुद्र में आईएनएस विक्रमादित्य पर कमांडरों के संयुक्त सम्मेलन की अध्यक्षता की।

पहली बार किसी विमान वाहक जहाज पर कमांडरों का संयुक्त सम्मेलन आयोजित किया गया है।

प्रधानमंत्री ने आईएनएस विक्रमादित्य पर चढ़ने से पहले आज सुबह कोच्चि में आईएनएस गरुड़ पर तीनों सेनाओं के गार्ड ऑफ ऑनर की सलामी का निरीक्षण किया, जहां तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने उनकी अगवानी की।  

सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री ने भारतीय नौसेना के परिचालन प्रदर्शन और समुद्री हवाई क्षमताओं का निरीक्षण किया। परिचालन प्रदर्शन में आईएनएस विक्रमादित्य से नौसेना के लड़ाकू विमान के उड़ने और उतरने का प्रदर्शन, युद्धपोत से मिसाइल फायरिंग करने, हेलीकॉप्टर और लड़ाकू विमान की उड़ान, समुद्री कमांडों के परिचालन, आईएनएस विराट सहित युद्धपोतों की स्‍टीम् पास्‍ट आदि शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने आईएनएस विक्रमादित्य के बोर्ड पर सैनिकों, नाविकों और वायु सैनिकों के साथ बातचीत की।

प्रधानमंत्री के भाषण के मुख्‍य अंश इस प्रकार है :-

रक्षा मंत्री, श्री मनोहर पर्रिकर जी,

वायु सेना, थल सेना और नौसेना के प्रमुखों,

हमारे कमांडरों,

अपने सैन्य अधिकारियों से एक बार फिर मिलने से मुझे बहुत खुशी और गर्व हो रहा है। मुझे इस बात से खुशी है कि हम दिल्ली से बाहर एक सैन्‍य बेस पर मुलाकात कर रहे हैं।

कोच्चि हिंद महासागर के शीर्ष पर और हमारी समुद्री इतिहास के चौराहे पर स्थित है।

भारत का इतिहास समुद्रों से प्रभावित रहा है और हमारे भविष्य की समृद्धि और सुरक्षा का रास्‍ता भी इन्‍हीं महासागरों से होकर गुजरता है।

विश्‍व के सौभाग्‍य की कुंजी भी इन्‍हीं में छिपी है।

यह विमान वाहक जहाज हमारी समुद्री शक्ति का साधन और हमारी समुद्री जिम्मेदारी का प्रतीक है।

भारतीय सशस्त्र सेनाएं हमेशा से न केवल अपनी शक्ति के लिए जानी जाती हैं, बल्कि वे अपनी परिपक्वता और जिम्मेदारी से जानी जाती है, जिसका वे निर्वहन करती हैं।

वे हमारे समुद्रों और सीमाओं की रक्षा करती हैं और हमारे राष्ट्र और हमारे नागरिकों को सुरक्षित रखती हैं।

आपदा और संघर्ष की स्थिति में वे हमारे लोगों के लिए राहत और आशा का संचार करने के अलावा भी बहुत कार्य करती हैं। वे राष्‍ट्र की भावना को ऊंचा करती हैं और विश्‍व का विश्वास भी जीतती हैं।

चेन्नई में आपने बारिश और नदी के प्रकोप से लोगों का जीवन बचाने के लिए एक युद्ध लड़ा है। नेपाल में, आपने साहस, विनम्रता और करुणा के साथ सेवा की और नेपाल और यमन में आपने न केवल नागरिकों और बल्कि संकटग्रस्‍त हर आदमी का हाथ थामा।

हमारी सेनाएं हमारे देश की विविधता और एकता को दर्शाती हैं और उनकी सफलता उन्‍हें प्राप्‍त नेतृत्‍व से मिलती है।

मैं अपनी सेनाओं के लिए देश का आभार व्यक्त करता हूं।

जिन सैनिकों ने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया और जो विश्‍व की दुर्गम सीमाओं की निगरानी करते हैं, उन सैनिकों के साथ हमारी सहानुभूति है। जब वे घर छोड़ते है, तो वे अपने परिवार से अनिश्चित विदाई करते हैं। उनके परिजनों को कभी-कभी उनका ताबूत भी स्‍वीकार करना पड़ा है।

हमने आपकी सेवा का सम्‍मान करने के लिए ‘वन रैंक वन पेंशन’ के वायदे को तेजी से लागू किया है, जो दशकों से पूरा नहीं हो सका था। हम राष्‍ट्रीय युद्ध स्‍मारक और संग्रहालय बनाएंगे,  क्‍योंकि आप राजधानी में लोगों के दिलों में रहने के हकदार हैं।

हम पूर्व सैनिकों के लिए कौशल और अवसरों में सुधार लाएंगे, ताकि जब वे सेवा से बाहर आयें, तो स्‍वाभिमान और गौरव से एक बार फिर देश की सेवा कर सकें।

मैं अपने आंतरिक सुरक्षा बलों की भी सराहना करता हूं, उनकी वीरता और बलिदानों ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को परास्‍त किया है और वामपंथी उग्रवादी हिंसा को कम किया है तथा पूर्वोत्तर को अधिक शांतिपूर्ण बनाया है।

मैं लंबे समय से चली आ रही नागा समस्या में नई आशा लाने के लिए हमारे वार्ताकारों को धन्‍यवाद देता हूं।

भारत परिवर्तन के एक रोमांचक क्षण से गुजर रहा है। देश में आशा और आशावाद का ऊंचा दौर चल रहा है। भारत में अंतर्राष्ट्रीय आत्मविश्वास और दिलचस्‍पी का एक नया दौर व्‍याप्‍त है। आज हम विश्‍व में सबसे तेजी से बढ़ती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गए हैं। हमारी अर्थव्यवस्था के लिए एक अधिक टिकाऊ पथ पर है।

हमारे कारखाने फिर से गतिविधियों के साथ गुनगुना रहे हैं। हम भविष्‍य पर एक नजर रखते हुए उच्च गति से अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहे हैं। विदेशी निवेश तेजी से बढ़ रहा है।

हर नागरिक अवसरों से भरा भविष्य देख सकता है और विश्वास के साथ बुनियादी जरूरतों को पूरा कर सकता है। भारत की समृद्धि और हमारी सुरक्षा के लिए यह स्थिति महत्वपूर्ण है।

परस्‍पर निर्भर दुनिया में भारत का परिवर्तन हमारी अंतरराष्ट्रीय भागीदारी के साथ गहराई से जुड़ा है और इसी प्रकार हमारी सुरक्षा भी जुड़ी है।

इसलिए हमारी विदेश नीति में नई तीव्रता और उद्देश्य का समावेश हुआ है। पूर्व में, हमने परम्‍परागत भागीदारी को जापान, कोरिया और आसियान के साथ मजबूत बनाया है। हमने ऑस्ट्रेलिया, मंगोलिया और प्रशांत द्वीप समूह के साथ भी नई शुरूआत की है।

हमने हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी पहुंच को बढ़ाया है, और पहली बार अपने समुद्री क्षेत्र के लिए एक स्पष्ट रणनीति व्यक्त की है। हमने अफ्रीका के साथ अपने संबंधों को एक नए स्तर पर आगे बढ़ाया है।

हमने मध्य एशिया के लिए अपने प्राचीन संबंधों का पता लगाया है। हमने पश्चिम एशिया और खाड़ी में घनिष्ठ संबंधों और सुरक्षा सहयोग की स्थापना की है।

रूस हमेशा से हमारे लिए शक्ति का स्रोत रहा है। यह हमारे भविष्य के लिए
भी महत्वपूर्ण बना रहेगा।

हमने अमेरिका के साथ रक्षा सहित एक व्यापक तरीके से अपनी भागीदारी को आगे बढ़ाया है। यूरोप में भी हमारी रणनीतिक साझेदारी मजबूत हुई है।

दुनिया भारत को सिर्फ वैश्विक अर्थव्यवस्था के एक नए उज्ज्वल स्थान के रूप में ही नहीं देख रही है, बल्कि इसे क्षेत्रीय और वैश्विक शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए एक प्रमुख केन्‍द्र के रूप में भी देखा जाता है।

दुनिया आतंकवाद और कट्टरपंथ के बढ़ते खतरे से निपटना चाहती है और इस्लामी दुनिया सहित सभी क्षेत्रों के देश भारत का सहयोग करने के इच्‍छुक हैं।

हम आतंकवाद और युद्ध विराम उल्‍लंघन, लापरवाह परमाणु निर्माण और खतरे सीमा अपराधों और सैन्य आधुनिकीकरण का विस्तार होता हुआ देख रहे हैं। पश्चिम एशियाई में अस्थिरता की छाया लंबी हो रही है।

इसके अलावा, हमारे क्षेत्र अनिश्चित राजनीतिक संक्रमण, कमजोर संस्थाओं और आंतरिक संघर्षों से ग्रस्‍त हैं तथा प्रमुख शक्तियों ने हमारी भूमि और समुद्री पड़ोस में अपनी गतिविधियां बढ़ाई हैं।

समुद्रों में मालदीव और श्रीलंका से लेकर पहाड़ों में नेपाल और भूटान तक हम अपने हितों और संबंधों की सुरक्षा के लिए कार्य कर रहे हैं।

हमारे मार्ग में अनेक चुनौतियों और बाधायें है, लेकिन हम इनके लिए कार्य कर रहे है, क्‍योंकि शांति के लाभ बहुत बड़े है और हमारे बच्‍चों का भविष्‍य भी दांव पर है।

हमने सुरक्षा विशेषज्ञों को एक दूसरे के आमने-सामने लाने के लिए एनएसए स्‍तर की वार्ता शुरू की है। लेकिन हम देश की सुरक्षा में कोई कोताही नहीं बरतेंगे और आतंकवाद पर उनकी प्रतिबद्धता की प्रगति पर नजर रखेंगे।

हम एक संयुक्‍त, शांतिपूर्ण, समृद्ध और लोकतांत्रिक राष्ट्र के निर्माण में मदद के लिए अफगानिस्‍तान के लोगों की मदद के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं।

हम अपनी आर्थिक भागीदारी की पूरी क्षमता का पूरा उपयोग करने के लिए चीन के साथ नजदीकी संबंधों को आगे बढ़ा रहे है।

मुझे विश्‍वास है कि भारत और चीन अपने हितों और जिम्मेदारियों के प्रति सजग रहते हुए दो विश्‍वस्‍त राष्ट्रों के रूप में अपने आपसी संबंधों से भी जटिलता से अलग रचनात्मक रूप से कार्य  कर सकते हैं।

तेजी से परिवर्तन हो रहे विश्‍व में भारत के सामने कई परिचित और कई नई चुनौतियां है। ये चुनौतियां भूमि, समुद्र और हवा तीनों जगहों पर है। इनमें आतंकवाद से लेकर परमाणु पर्यावरण के पारंपरिक खतरे शामिल हैं।

हमारी जिम्मेदारियों हमारी सीमाओं और तटों तक ही सीमित नहीं हैं। वे हमारे हितों और नागरिकों तक व्‍याप्‍त है।

चूंकि हमारी दुनिया में बदलाव होते रहते हैं, अर्थव्‍यवस्‍था का स्‍वरूप भी बदल जाता है और प्रौद्योगिकी नये स्‍वरूप अख्तियार कर लेती है, इसलिए टकराव का स्‍वरूप और युद्ध के उद्देश्‍य भी बदल जायेंगे। 

हम जानते हैं कि पुरानी प्रतिद्वंद्विता नये क्षेत्रों जैसे कि अंतरिक्ष एवं साइबर क्षेत्रों में भी उभर कर सामने आ सकती है। हालांकि, इसके साथ ही नई प्रौद्योगिकियां परंपरागत एवं नवीन चुनौतियों दोनों से ही कारगर ढंग से निपटने के लिए नये तरीके सुलभ करा देती हैं। 

इसलिए, भारत में हमें मौजूदा हालात के लिए अवश्‍य तैयार रहना चाहिए और भविष्‍य के लिए तैयारी करनी चाहिए। 

भारत को इस बात का पूरा भरोसा है कि हमारे रक्षा बल किसी भी दुस्‍साहस का मुंहतोड़ जवाब देने एवं उसे विफल करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। 

हमारे परमाणु सिद्धांत के अनुरूप हमारा सामरिक शक्ति संतुलन मजबूत एवं विश्वसनीय है और हमारी राजनीतिक इच्‍छाशक्ति स्‍पष्‍ट है। 

हमने रक्षा खरीद की प्रक्रिया तेज कर दी है। हमने अनेक लम्बित अधिग्रहणों को मंजूरी दे दी है। 

हम किसी भी किल्‍लत को खत्‍म करने और प्रतिस्थापन के लिए ठोस कदम उठा रहे हैं। 

हम सीमा पर बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के विस्‍तारीकरण की गति को तेज कर रहे हैं और अपने रक्षा बलों एवं उपकरणों की गति‍शीलता को बेहतर कर रहे हैं। इनमें सीमावर्ती क्षेत्र के लिए रणनीतिक रेलवे भी शामिल है। 

हम मौलिक नई नीतियों एवं पहलों के जरिये भारत में रक्षा विनिर्माण में बदलाव ला रहे हैं। 

हमारा सार्वजनिक क्षेत्र इस चुनौती से निपटने के लिए कमर कस रहा है। निजी क्षेत्र ने बड़े उत्‍साह के साथ प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की है। 

और, विदेशी रक्षा कं‍पनियां ‘मेक इन इंडिया’ के लिए महत्‍वाकांक्षी नये प्रस्‍तावों के साथ यहां आ रही हैं। ये प्रस्‍ताव लड़ाकू जेट विमानों एवं हेलिकॉप्टरों से लेकर परिवहन विमानों एवं यूएवी तक और वैमानिकी से लेकर उन्‍नत सामग्री तक के बारे में हैं। 

हम खुद को तब तक एक सुरक्षित राष्‍ट्र एवं सुदृढ़ सैन्‍य शक्ति नहीं कह सकते, जब तक कि हम घरेलू क्षमताएं विकसित न कर लें। इससे पूंजीगत लागत और तैयार स्‍टॉक (इन्वेंटरी) भी कम हो जायेगा। इसके अलावा, यह भारत में उद्योग, रोजगार और आर्थिक विकास के लिए बड़ा उत्‍प्रेरक साबित होगा। 

हम जल्‍द ही अपनी खरीद नीतियों एवं प्रक्रिया में सुधार करेंगे और हमारी ऑफसेट नीति रक्षा प्रौद्योगिकियों में हमारी क्षमताओं को बेहतर करने के लिहाज से एक सामरिक उपकरण बन जाएगी। रक्षा प्रौद्योगिकी अब एक ऐसी राष्‍ट्रीय कोशिश साबित होगी जो हमारे देश के सभी संस्‍थानों की संभावनाओं का दोहन करेगी। 

सशस्त्र बल ‘मेक इन इंडिया’ मिशन की सफलता में काफी महत्‍वपूर्ण साबित होंगे। मैं विशेषकर गहन पूंजी वाली नौसेना और वायु सेना में आपकी स्‍थानीयकरण योजनाओं से काफी उत्‍साहित हूं।

हम चाहते है कि घरेलू अधिग्रहण के लिए स्‍पष्‍ट लक्ष्‍य तय किये जायें, विशिष्टताओं के बारे में अधिक स्पष्टता हो और नवाचार, डिजाइन एवं विकास कार्यों में हमारे रक्षा बलों, विशेषकर जंग के दौरान हथियारों का इस्‍तेमाल करने वाले लोगों की कहीं ज्‍यादा भागीदारी हो। 

सबसे अहम बात यह है कि हम चाहते हैं कि हमारे सशस्‍त्र बल भविष्‍य के लिए खुद को पूरी तरह से तैयार रखें और एक ही तरह के कदमों अथवा पुराने सिद्धांतों पर आधारित एवं वित्तीय वास्तविकताओं से परे परिप्रेक्ष्य योजनायें तैयार कर इसे कतई हासिल नहीं किया जा सकता।

विगत वर्ष के दौरान हमने इस दिशा में प्रगति देखी है, लेकिन इसके साथ ही मेरा यह मानना है कि अपनी मान्यताओं, सिद्धांतों, उद्देश्यों एवं रणनीतियों में सुधार करने के लिए हमारे रक्षा बलों व हमारी सरकार को अभी कुछ और ज्‍यादा करने की जरूरत है। हमें बदलती दुनिया को ध्‍यान में रखते हुए अपने लक्ष्‍यों एवं अपने उपकरणों को निश्चित रूप से परिभाषित करना होगा।

ऐसे समय में जब प्रमुख शक्तियां अपने सशस्‍त्र बलों को कम कर रही हैं और प्रौद्योगिकी पर कहीं ज्‍यादा भरोसा कर रही हैं, हम अब भी अपने रक्षा बलों का आकार बढ़ाने पर ही विशेष जोर दे रहे हैं। 

सशस्‍त्र बलों के आधुनिकीकरण के साथ-साथ विस्‍तारीकरण भी एक मुश्किल और अनावश्यक लक्ष्य है। 

हमें ऐसे रक्षा बलों की जरूरत है जो न केवल वीर हो, बल्कि चुस्त, मोबाइल और प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित भी हो। 

हमें अकस्‍मात शुरू होने वाले युद्धों को जीतने की क्षमातायें हासिल करने की जरूरत है, जिसमें लम्‍बे समय तक चलने वाले युद्धों की परंपरागत तैयारी काम नहीं आयेगी। हमें अपने ऐसे पूर्वानुमानों पर नये सिरे से गौर करने की जरूरत है जिसके चलते इन्‍वेंटरी में भारी-भरकम रकम फंस जाती है। 

चूंकि हमारी सुरक्षा क्षितिज और जिम्मेदारियां हमारे तटों एवं सीमाओं से भी परे चली जाती हैं, इसलिए हमें रेंज और गतिशीलता के लिहाज से अपने सशस्‍त्र बलों को तैयार करना होगा। 

हमें अपनी क्षमताओं में डिजिटल नेटवर्कों एवं अंतरिक्ष संबंधी परिसम्‍पत्तियों की ताकत को भी पूरी तरह से शामिल करना चाहिए। इसके साथ ही हमें उनका बचाव करने के लिए भी पूरी तरह से तैयार रहना चाहिए, क्‍योंकि हमारे दु‍श्‍मनों के निशाने पर सबसे पहले वही रहेंगे। 

यह भी ध्‍यान में रखना होगा कि नेटवर्क अखण्‍ड हों और समस्‍त एजेंसियों एवं सशस्‍त्र बलों के लिए एकीकृत हों। इसके साथ ही नेटवर्कों का सटीक, स्‍पष्‍ट एवं तुरंत कार्रवाई करने में समर्थ होना भी आवश्‍यक है। 

हम धीमी गति से अपने सशस्‍त्र बलों के ढांचे में सुधार लाते रहे हैं। हमें समूची प्रक्रिया को अवश्‍य ही छोटा कर देना चाहिए। 

हमें सशस्‍त्र बलों के हर स्‍तर पर एकजुटता को बढ़ावा देना चाहिए। समान उद्देश्‍य और समान ध्‍वज रहने के बावजूद हम अलग-अलग रंगों की वर्दी पहनते हैं। शीर्ष स्‍तर पर एकजुटता अत्‍यंत आवश्‍यक है, जिसकी जरूरत लम्‍बे समय से महसूस की जा रही है। 

वरिष्‍ठ सैन्‍य अधिकारियों को निश्चित रूप से तीनों सेवाओं की कमान का अनुभव होना चाहिए, प्रौद्योगिकी आधारित माहौल का अनुभव होना चाहिए और आतंकवाद से लेकर सामरिक चुनौतियों का सामना करने का अनुभव होना चाहिए।

हमें ऐसे सैन्‍य कमांडरों की आवश्‍यकता है जो न केवल युद्ध भूमि में शानदार ढंग से नेतृत्व करे, बल्कि भविष्य की जरूरतों को ध्‍यान में रखते हुए हमारे सशस्‍त्र बलों और सुरक्षा प्रणालियों का मार्गदर्शन करने वाले उत्‍कृष्‍ट विचारक भी हो।

हमारे सैन्‍य अधिकारीगण, 

यह दो विश्‍व युद्धों और हमारे 1965 के युद्ध के समापन की सालगिरह है। 

यह गरीबी और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र में समस्‍त मानवता के एकजुट होने का भी साल है। 

अतीत की महान त्रासदियों की यादें और बेहतर विश्‍व के लिए हमारे संयुक्‍त प्रयास हमें प्रगति और जोखिम की चिरस्थायी मानव कहानी की याद दिला रहे हैं। 

वर्दीधारक पुरुषों एवं महिलाओं के पास अनेक जिम्‍मेदारियां होती हैं। शान्ति के उद्देश्‍य के लिए कार्य करना। प्रगति का प्रहरी बनना। 

मैं जानता हूं कि हमारे सशस्‍त्र बल इस सिद्धांत से प्रेरित रहते हैं। हमारे राष्‍ट्र, हमारे मित्रों और हमारी दुनिया के लिए।

और, आप भारत के वायदे को पूरा करने और दुनिया में उसका समुचित स्‍थान दिलाने में मदद करेंगे।

धन्‍यवाद।

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जी-20 की सफलता के पीछे सामूहिकता की शक्ति : पीएम मोदी
September 22, 2023
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"आज का कार्यक्रम मजदूर एकता के बारे में है और आप और मैं दोनों मजदूर हैं"
"क्षेत्र में सामूहिक रूप से काम करने से अलग-थलग रहकर काम करने की भावना ख़त्म हो जाती है और एक टीम का निर्माण होता है"
"सामूहिक भावना में शक्ति है"
“एक सुव्यवस्थित कार्यक्रम के दूरगामी लाभ होते हैं, सीडब्ल्यूजी व्यवस्था ने निराशा की भावना पैदा की, जबकि जी20 ने देश को बड़े आयोजन के प्रति आश्वस्त किया
"मानवता के कल्याण के लिए भारत मजबूती से खड़ा है और जरूरत के समय हर जगह पहुंचता है"

आप में से कुछ कहेंगे नहीं-नहीं, थकान लगी ही नहीं थी। खैर मेरे मन में कोई विशेष आपका समय लेने का इरादा नहीं है । लेकिन इतना बड़ा सफल आयोजन हुआ, देश का नाम रोशन हुआ, चारों तरफ से तारीफ ही तारीफ सुनने को मिल रही है, तो उसके पीछे जिनका पुरुषार्थ है, जिन्‍होंने दिन-रात उसमें खपाए और जिसके कारण ये सफलता प्राप्‍त हुई, वे आप सब हैं। कभी-कभी लगता है कि कोई एक खिलाड़ी ओलंपिक के podium पर जा करके मेडल लेकर आ जाए और देश का नाम रोशन हो जाए तो उसकी वाहवाही लंबे अरसे तक चलती है। लेकिन आप सबने मिल करके देश का नाम रोशन किया है ।

शायद लोगों को पता भी नहीं होगा । कितने लोग होंगे कितना काम किया होगा, कैसी परिस्थितियों में किया होगा। और आप में से ज्‍यादातर वो लोग होंगे जिनको इसके पहले इतने बड़े किसी आयोजन से कार्य का या जिम्‍मेदारी का अवसर ही नहीं आया होगा। यानी एक प्रकार से आपको कार्यक्रम की कल्‍पना भी करनी थी, समस्‍याओं के विषय में भी imagine करना था कि क्‍या हो सकता है, क्‍या नहीं हो सकता है। ऐसा होगा तो ऐसा करेंगे, ऐसा होगा तो ऐसा करेंगे। बहुत कुछ आपको अपने तरीके से ही गौर करना पड़ा होगा। और इसलिए मेरा आप सबसे से एक विशेष आग्रह है, आप कहेंगे कि इतना काम करवा दिया, क्‍या अभी भी छोड़ेंगे नहीं क्‍या।

मेरा आग्रह ऐसा है कि जब से इस काम से आप जुड़े होंगे, कोई तीन साल से जुड़ा होगा, कोई चार साल से जुड़ा होगा, कोई चार महीने से जुड़ा होगा। पहले दिन से जब आपसे बात हुई तब से ले करके जो-जो भी हुआ हो, अगर आपको इसको रिकॉर्ड कर दें, लिख दें सारा, और centrally जो व्‍यवस्‍था करते हैं, कोई एक वेबसाइट तैयार करें। सब अपनी-अपनी भाषा में लिखें, जिसको जो भी सुविधा हो, कि उन्‍होंने किस प्रकार से इस काम को किया, कैसे देखा, क्‍या कमियां नजर आईं, कोई समस्‍या आई तो कैसे रास्‍ता खोला। अगर ये आपका अनुभव रिकॉर्ड हो जाएगा तो वो एक भविष्‍य के कार्यों के लिए उसमें से एक अच्‍छी गाइडलाइन तैयार हो सकती है और वो institution का काम कर सकती है। जो चीजों को आगे करने के लिए जो उसको जिसके भी जिम्‍मे जो काम आएगा, वो इसका उपयोग करेगा।

और इसलिए आप जितनी बारीकी से एक-एक चीज को लिख करके, भले 100 पेज हो जाएं, आपको उसके लिए cupboard की जरूरत नहीं है, cloud पर रख दिया फिर तो वहां बहुत ही बहुत जगह है। लेकिन इन चीजों का बहुत उपयोग है। मैं चाहूंगा कि कोई व्‍यवस्‍था बने और आप लोग इसका फायदा उठाएं। खैर मैं आपको सुनना चाहता हूं, आपके अनुभव जानना चाहता हूं, अगर आप में से कोई शुरूआत करे।

गमले संभालने हैं मतलब मेरे गमले ही जी-20 को सफल करेंगे। अगर मेरा गमला हिल गया तो जी-20 गया। जब ये भाव पैदा होता है ना, ये spirit पैदा होता है कि मैं एक बहुत बड़े success के लिए बहुत बड़ी महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी संभालता हूं, कोई काम मेरे लिए छोटा नहीं है तो मान कर चलिए सफलता आपके चरण चूमने लग जाती है।

साथियों,

इस प्रकार से मिल करके अपने-अपने विभाग में भी कभी खुल करके गप्‍पे मारनी चाहिए, बैठना चाहिए, अनुभव सुनने चाहिए एक-दूसरे के; उससे बहुत लाभ होते हैं। कभी-कभी क्‍या होता है जब आप अकेले होते हैं तो हमको लगता है मैंने बहुत काम कर दिया। अगर मैं ना होता तो ये जी-20 का क्‍या हो जाता। लेकिन जब ये सब सुनते हैं तो पता चलता है यार मेरे से तो ज्यादा उसने किया था, मेरे से तो ज्‍यादा वो कर रहा था। मुसीबत के बीच में देखो वो काम कर रहा था। तो हमें लगता है कि नहीं-नहीं मैंने जो किया वो तो अच्‍छा ही है लेकिन ओरों ने भी बहुत अच्‍छा किया है, तब जा करके ये सफलता मिली है।

जिस पल हम किसी और के सामर्थ्य को जानते हैं, उसके efforts को जानते हैं, तब हमें ईर्ष्या भाव नहीं होता है, हमें अपने भीतर झांकने का अवसर मिलता है। अच्‍छा, मैं तो कल तो सोचता रहा मैंने ही सब कुछ किया, लेकिन आज पता चला कि इतने लोगों ने किया है। ये बात सही है कि आप लोग ना टीवी में आए होंगे, ना आपकी अखबार में फोटो छपी होगी, न कहीं नाम छपा होगा। नाम तो उन लोगों के छपते होंगे जिसने कभी पसीना भी नहीं बहाया होगा, क्‍योंकि उनकी महारत उसमें है। और हम सब तो मजदूर हैं और आज कार्यक्रम भी तो मजदूर एकता जिंदाबाद का है। मैं थोड़ा बड़ा मजदूर हूं, आप छोटे मजदूर हैं, लेकिन हम सब मजदूर हैं।

आपने भी देखा होगा कि आपको इस मेहनत का आनंद आया होगा। यानी उस दिन रात को भी अगर आपको किसी ने बुला करके कुछ कहा होता, 10 तारीख को, 11 तारीख को तो आपको नहीं लगता यार पूरा हो गया है क्‍यों मुझे परेशान कर रहा है। आपको लगता होगा नहीं-नहीं यार कुछ रह गया होगा, चलो मुझे कहा है तो मैं करता हूं। यानी ये जो spirit है ना, यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।

साथियो,

आपको पता होगा पहले भी आपने काम किया है। आप में से बहुत लोगों को ये जो सरकार में 25 साल, 20 साल, 15 साल से काम करते होंगे, तब आप अपने टेबल से जुड़े हुए होंगे, अपनी फाइलों से जुड़े होंगे, हो सकता है अगल-बगल के साथियों से फाइल देते समय नमस्‍ते करते होंगे। हो सकता है कभी लंच टाइम, टी टाइम पर कभी चाय पी लेते होंगे, कभी बच्‍चों की पढ़ाई की चर्चा कर लेते होंगे। लेकिन रूटीन ऑफिस के काम में हमें अपने साथियों के सामर्थ्‍य का कभी पता नहीं चलता है। 20 साल साथ रहने के बाद भी पता नहीं चलता है कि उसके अंदर और क्‍या सामर्थ्‍य है। क्‍योंकि हम एक प्रोटोटाइप काम से ही जुड़े रहते हैं।

जब इस प्रकार के अवसर में हम काम करते हैं तो हर पल नया सोचना होता है, नई जिम्मेदारी बन जाती है, नई चुनौती आ जाती है, कोई समाधान करना और तब किसी साथी को देखते हैं तो लगता है इसमें तो बहुत बढ़िया क्वालिटी है जी। यानी ये किसी भी गवर्नेंस की success के लिए, फील्‍ड में इस प्रकार से कंधे से कंधा मिला करके काम करना, वो silos को भी खत्‍म करता है, वर्टिकल silos और होरिजेंटल silos, सबको खत्म करता है और एक टीम अपने-आप पैदा हो जाती है।

आपने इतने सालों से काम किया होगा, लेकिन यहां जी-20 के समय रात-रात जगे होंगे, बैठे होंगे, कहीं फुटपाथ के आसपास कही जाकर चाय ढूंढी होगी। उसमें से जो नए साथी मिले होंगे, वो शायद 20 साल की, 15 साल की नौकरी में नहीं मिले होंगे। ऐसे नए सामर्थ्यवान साथी आपको इस कार्यक्रम में जरूर मिले होंगे। और इसलिए साथ मिल करके काम करने के अवसर ढूंढने चाहिए।

अब जैसे अभी सभी डिपार्टमेंट में स्‍वच्‍छता अभियान चल रहा है। डिपार्टमेंट के सब लोग मिलकर अगर करें, सचिव भी अगर चैंबर से बाहर निकल कर के साथ चले, आप देखिए एकदम से माहौल बदल जाएगा। फिर वो काम नहीं लगेगा वो फेस्टिवल लगेगा, कि चलो आज अपना घर ठीक करें, अपना दफ्तर ठीक करें, अपने ऑफिस में फाइलें निकाल कर करें, इसका एक आनंद होता है। और मेरा हर किसी से, मैं तो कभी-कभी ये भी कहता हूं भई साल में एकाध बार अपने डिपार्टमेंट का पिकनिक करिए। बस ले करके जाइए कहीं नजदीक में 24 घंटे के लिए, साथ में रह करके आइए।

सामूहिकता की एक शक्ति होती है। जब अकेले होते हैं कितना ही करें, कभी-कभी यार, मैं ही करूंगा क्‍या, क्‍या मेरे ही सब लिखा हुआ है क्‍या, तनख्‍वाह तो सब लेते हैं, काम मुझे ही करना पड़ता है। ऐसा अकेले होते हैं तो मन में विचार आता है। लेकिन जब सबके साथ होते हैं तो पता चलता है जी नहीं, मेरे जैसे बहुत लोग हैं जिनके कारण सफलताएं मिलती हैं, जिनके कारण व्‍यवस्‍थाएं चलती हैं।

साथियो,

एक और भी महत्‍व की बात है कि हमें हमेशा अपने से ऊपर जो लोग हैं वो और हम जिनसे काम लेते हैं वो, इनसे hierarchy की और प्रोटोकॉल की दुनिया से कभी बाहर निकल करके देखना चाहिए, हमें कल्‍पना तक नहीं होती है कि उन लोगों में ऐसा कैसा सामर्थ्‍य होता है। और जब आप अपने साथियों की शक्ति को पहचानते हैं तो आपको एक अद्भुत परिणाम मिलता है, कभी आप अपने दफ्तर में एक बार ये काम कीजिए। छोटा सा मैं आपको एक गेम बताता हूं, वो करिए। मान लीजिए आपके यहां विभाग में 20 साथियों के साथ आप काम कर रहे हैं। तो उसमे एक डायरी लीजिए, रखिए एक दिन। और बीसों को बारी-बारी से कहिए, या तो एक बैलेट बॉक्‍स जैसा रखिए कि वो उन 20 लोगों का पूरा नाम, वो मूल कहां के रहने वाले हैं, यहां क्‍या काम देखते हैं, और उनके अंदर वो एक extraordinary क्‍वालिटी क्‍या है, गुण क्‍या है, पूछना नहीं है उसको। आपने जो observe किया है और वो लिख करके उस बक्‍से में डालिए। और कभी आप बीसों लोगों के वो कागज बाद में पढ़िए, आपको हैरानी हो जाएगी कि या तो आपको उसके गुणों का पता ही नहीं है, ज्‍यादा से ज्‍यादा आप कहेंगे उसकी हेंड राइटिंग अच्‍छी है, ज्‍यादा से ज्‍यादा कहेंगे वो समय पर आता है, ज्‍यादा से ज्‍यादा कहते हैं वो polite है, लेकिन उसके भीतर वो कौन से गुण हैं उसकी तरफ आपकी नजर ही नहीं गई होगी। एक बार try कीजिए कि सचमुच में आपके अगल-बगल में जो लोग हैं, उनके अंदर extraordinary गुण क्‍या है, जरा देखें तो सही। आपको एक अकल्‍प अनुभव होगा, कल्‍पना बाहर का अनुभव होगा।

मैं सा‍थियो सालों से मेरा human resources पर ही काम करने की ही नौबत आई है मुझे। मुझे कभी मशीन से काम करने की नौबत नहीं आई है, मानव से आई है तो मैं भली-भांति इन बातों को समझ सकता हूं। लेकिन ये अवसर capacity building की दृष्टि से अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण अवसर है। कोई एक घटना अगर सही ढंग से हो तो कैसा परिणाम मिलता है और होने को हो, चलिए ऐसा होता रहता है, ये भी हो जाएगा, तो क्‍या हाल होता है, हमारे इस देश के सामने दो अनुभव हैं। एक- कुछ साल पहले हमारे देश में कॉमन वेल्‍थ गेम्‍स का कार्यक्रम हुआ था। किसी को भी कॉमन वेल्‍थ गेम्‍स की चर्चा करोगे तो दिल्‍ली या दिल्‍ली से बाहर का व्‍यक्ति, उसके मन पर छवि क्‍या बनती है। आप में से जो सीनियर होंगे उनको वो घटना याद होगी। सचमुच में वो एक ऐसा अवसर था कि हम देश की branding कर देते, देश की एक पहचान बना देते, देश के सामर्थ्‍य को बढ़ा भी देते और देश के सामर्थ्‍य को दिखा भी देते। लेकिन दुर्भाग्‍य से वो ऐसी चीजों में वो इवेंट उलझ गया कि उस समय के जो लोग कुछ करने-धरने वाले थे, वे भी बदनाम हुए, देश भी बदनाम हुआ और उसमें से सरकार की व्‍यवस्‍था में और एक स्‍वभाव में ऐसी निराशा फैल गई कि यार ये तो हम नहीं कर सकते, गड़बड़ हो जाएगा, हिम्‍मत ही खो दी हमने।

दूसरी तरफ जी-20, ऐसा तो नहीं है कि कमियां नहीं रही होंगी, ऐसा तो नहीं है जो चाहा था उसमें 99-100 के नीचे रहे नहीं होंगे। कोई 94 पहुंचे होंगे, कोई 99 पहुंचे होंगे, और कोई 102 भी हो गए होंगे। लेकिन कुल मिलाकर के एक cumulative effect था। वो effect देश के सामर्थ्‍य को, विश्‍व को उसके दर्शन कराने में हमारी सफलता थी। ये जो घटना की सफलता है, वो जी-20 की सफलता और दुनिया में 10 editorials और छप जाएं इससे मोदी का कोई लेना-देना नहीं है। मेरे लिए आनंद का विषय ये है कि अब मेरे देश में एक ऐसा विश्‍वास पैदा हो गया है कि ऐसे किसी भी काम को देश अच्‍छे से अच्‍छे ढंग से कर सकता है।

पहले कहीं पर भी कोई calamity होती है, कोई मानवीय संबंधी विषयों पर काम करना हो तो वेस्‍टर्न world का ही नाम आता था। कि भई दुनिया में ये हुआ तो फलाना देश, ढिंगना देश, उसने ये पहुंच गए, वो कर दिया। हम लोगों का तो कहीं चित्र में नाम ही नहीं थ। बड़े-बड़े देश, पश्चिम के देश, उन्‍हीं की चर्चा होती थी। लेकिन हमने देखा कि जब नेपाल में भूकंप आया और हमारे लोगों ने जिस प्रकार से काम किया, फिजी में जब साइक्‍लोन आया, जिस प्रकार से हमारे लोगों ने काम किया, श्रीलंका संकट में था, हमने वहां जब चीजें पहुंचानी थीं, मालदीव में बिजली का संकट आया, पीने का पानी नहीं था, जिस तेजी से हमारे लोगों ने पानी पहुंचाया, यमन के अंदर हमारे लोग संकट में थे, जिस प्रकार से हम ले करके आए, तर्कीये में भूकंप आया, भूकंप के बाद तुरंत हमारे लोग पहुंचे; इन सारी चीजों ने आज विश्‍व के अंदर विश्‍वास पैदा किया है कि मानव हित के कामों में आज भारत एक सामर्थ्‍य के साथ खड़ा है। संकट की हर घड़ी में वो दुनिया में पहुंचता है।

अभी जब जॉर्डन में भूकंप आया, मैं तो व्‍यस्‍त था ये समिट के कारण, लेकिन उसके बावजूद भी मैंने पहला सुबह अफसरों को फोन किया था कि देखिए आज हम जॉर्डन में कैसे पहुंच सकते हैं। और सब ready करके हमारे जहाज, हमारे क्‍या–क्‍या equipment लेकर जाना है, कौन जाएगा, सब ready था, एक तरफ जी-20 चल रहा था और दूसरी तरफ जॉडर्न मदद के लिए पहुंचने के लिए तैयारियां चल रही थीं, ये सामर्थ्‍य है हमारा। ये ठीक है जॉर्डन ने कहा कि हमारी जिस प्रकार की टोपोग्राफी है, हमें उस प्रकार की मदद की आवश्‍यकता नहीं रहेगी, उनको जरूरत नहीं थी और हमें जाना नहीं पड़ा। और उन्‍होंने अपनी स्थितियों को संभाल भी लिया।

मेरा कहने का तात्‍पर्य ये है कि जहां हम कभी दिखते नहीं थे, हमारा नाम तक नहीं होता था। इतने कम समय में हमने वो स्थिति प्राप्त की है। हमें एक global exposure बहुत जरूरी है। अब साथियो हम यहां सब लोग बैठे हैं, सारी मंत्री परिषद है, यहां सब सचिव हैं और ये कार्यक्रम की रचना ऐसी है कि आप सब आगे हैं वो सब पीछे हैं, नॉर्मली उलटा होता है। और मुझे इसी में आनंद आता है। क्‍योंकि मैं जब आपको यहां नीचे देखता हूं मतलब मेरी नींव मजबूत है। ऊपर थोड़ा हिल जाएगा तो भी तकलीफ नहीं है।

और इसलिए साथियो, अब हमारे हर काम की सोच वैश्विक संदर्भ में हम सामर्थ्‍य के साथ ही काम करेंगे। अब देखिए जी-20 समिट हो, दुनिया में से एक लाख लोग आए हैं यहां और वो लोग थे जो उन देश की निर्णायक टीम के हिस्‍से थे। नीति-निर्धारण करने वाली टीम के हिस्‍से थे। और उन्‍होंने आ करके भारत को देखा है, जाना है, यहां की विविधता को सेलिब्रेट किया है। वो अपने देश में जा करके इन बातों को नहीं बताएंगे ऐसा नहीं है, वो बताएगा, इसका मतलब कि वो आपके टूरिज्‍म का एम्बेसडर बन करके गया है।

आपको लगता होगा कि मैं तो उसको आया तब नमस्‍ते किया था, मैंने तो उसको पूछा था साहब मैं क्‍या सेवा कर सकता हूं। मैंने तो उसको पूछा था, अच्‍छा आपको चाय चाहिए। आपने इतना काम नहीं किया है। आपने उसको नमस्‍ते करके, आपने उसको चाय का पूछ करके, आपने उसकी किसी जरूरत को पूरी करके, आपने उसके भीतर हिन्‍दुस्‍तान के एम्बेसडर बनने का बीज बो दिया है। आपने इतनी बड़ी सेवा की है। वो भारत का एम्बेसडर बनेगा, जहां भी जाएगा कहेगा अरे भाई हिन्‍दुस्‍तान तो देखने जैसा है, वहां तो ऐसा-ऐसा है। वहां तो ऐसी चीजें होती हैं। टेक्‍नोलॉजी में तो हिन्‍दुस्‍तान ऐसा आगे हैं, वो जरूर कहेगा। मेरा कहने का तात्‍पर्य है कि मौका है हमारे लिए टूरिज्‍म को हम बहुत बड़ी नई ऊंचाई पर ले जा सकते हैं।