परीक्षा पे चर्चा के दौरान, उन पैंरेंट्स को जवाब देते हुए जिन्होंने पूछा कि बदलते समय में बच्चों की परवरिश कैसे करें और यह कैसे सुनिश्चित करें कि उन्हें अच्छे संस्कार दिए जाएं, प्रधानमंत्री मोदी ने बच्चों को अपनी वैल्यूज के साथ बोझ न बनाने का सुझाव दिया।

उन्होंने कहा, "छात्रों को उनके माता-पिता और परिवार द्वारा मूल्य दिया जाना चाहिए, लेकिन कभी-कभी हमें स्थिति का आत्म-मूल्यांकन करने की आवश्यकता होती है। बच्चों को अपने पैरैंट्स के समान मूल्य का पालन करने की आवश्यकता नहीं है।"

लुधियाना की एक शिक्षिका प्रतिभा गुप्ता ने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा, "हम छात्रों को स्वयं काम करने के लिए कैसे प्रेरित कर सकते हैं?"

सवाल का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "कई बार बड़े होने के बावजूद हमें भी मूल्यांकन करना चाहिए। हम एक सांचा तैयार कर लेते हैं और बच्चे को उसमें ढालने की कोशिश करते रहते हैं। हम इसे सोशल स्टैटस का प्रतीक बना देते हैं। अक्सर माता-पिता अपने मन में कुछ लक्ष्य तैयार कर लेते हैं, कुछ पैरामीटर बना लेते हैं और कुछ सपने भी पाल लेते हैं. फिर अपने उन सपनों और लक्ष्यों को पूरा करने का बोझ बच्चों पर डाल देते हैं। जाने-अनजाने में हम बच्चों को Instrument मानने लगते हैं। मैं पहले उन्हें ट्रेनिंग देने का सुझाव देता हूं, वे मोटिवेट खुद हो जाएंगे।“

प्रधानमंत्री ने सकारात्मक सुदृढीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया और बच्चे को डराकर नकारात्मक प्रेरणा के खिलाफ आगाह किया। उन्होंने कहा कि बड़ों के सक्रिय प्रयासों से, बच्चों को प्रेरणा मिलती है क्योंकि वे बड़ों के अनुकरणीय व्यवहार को ऑब्जर्व करते हैं।

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