1. भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री महामहिम श्री नरेंद्र मोदी इस समय चीन के प्रधानमंत्री महामहिम श्री ली क्यांग के निमंत्रण पर वहां के दौरे पर हैं। प्रधानमंत्री ने इस दौरे में चीन के राष्ट्रपति महामहिम श्री शी जिनपिंग से मुलाकात की और प्रधानमंत्री श्री ली क्यांग से वार्ता की। वह चीन के नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति के अध्यक्ष महामहिम श्री झांग देजियांग से भी मिले। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग और चीन के प्रधानमंत्री ली क्यांग की ओर से इस यात्रा के दौरान दिखाए गए विशेष रुख की काफी प्रशंसा की और गर्मजोशी से स्वागत करने पर चीन की जनता को धन्यवाद दिया।
  2. दोनों देशों के नेताओं ने दिपक्षीय रिश्तों में हुई प्रगति की समीक्षा की। दोनों नेताओं ने माना की राष्ट्रपति शी जिनपिंग का सितंबर, 2014 की भारत दौरा द्विपक्षीय रिश्तों के विकास में अहम मील का पत्थर था। दोनों नेताओं का मानना था कि आपसी रिश्तों को मजबूत करना एक ऐतिहासिक अनिवार्यता है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे पर हुए समझौतों पर नजदीकी सहयोग को और बढ़ाना बातचीत का अहम हिस्सा रहा।
  3. दोनों नेताओं ने माना कि भारत और चीन का इस क्षेत्र में बड़ी ताकतों के तौर पर उदय हुआ है और दुनिया में एशियाई सदी का अहसास कराने का यह बिल्कुल सही समय है। उन्होंने इस बात पर गौर किया कि 21वीं सदी के एशिया और दुनिया में भारत और चीन के रिश्ते बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। दोनों नेता इस बात पर सहमत थे कि अपने-अपने देश के विकास लक्ष्यों और सुरक्षा हितों को मजबूत करने के लक्ष्य की तरफ बढ़ने में दोनों एक दूसरे की मदद करें। दोनों एक दूसरी की चिंताओं, हितों और आकांक्षाओं के प्रति सम्मान प्रदर्शित करें और संवेदनशील रहें। दो सबसे बड़े विकासशील देशों, उभरती अर्थव्यवस्थाओं और वैश्विक ढांचे के दो महत्वपूर्ण ध्रुवों के बीच रिश्तों का यह रचनात्मक मॉडल आपसी रिश्तों और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को मजबूत करने का नया आधार है।

 

 राजनीतिक वार्ता और सामरिक संवाद को मजबूती

  1. द्विपक्षीय रिश्तों को बढ़ाने की जरूरत, भारत-चीन की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय भूमिका और आपसी रणनीतिक भरोसा कायम करने की अनिवार्यता को देखते हुए दोनों नेता एक दूसरे से संवाद बढ़ाने पर राजी हुए। उनका मानना था कि वार्ता की मौजूदा व्यवस्था का पूरा इस्तेमाल करते हुए संवाद बढ़ाया जाए।
  2. दोनों देशों के बीच शासनाध्यक्षों/राष्ट्राध्यक्षों के नियमित दौरों पर रजामंदी हुई। दोनों देशों के नेताओं की विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर मौजूदगी के अवसर का भी इस दिशा में इस्तेमाल करने पर सहमति हुई। दोनों नेताओं का मानना था कि इन मंचों का इस्तेमाल आपसी रिश्तों, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर बातचीत के लिए किया जाए।
  3. बातचीत में इस बात पर गौर किया गया किया गया कि भारतीय राज्यों और चीनी प्रांतों ने आपसी संबंधों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसलिए दोनों के बीच एक राज्य या प्रांतीय नेताओं के फोरम के गठन पर सहमति बनी। इस फोरम की पहली बैठक 15 मई, 2015 को बीजिंग में हुई।
  4. बातचीत के दौरान दोनों देशों के बीच सहयोग और तालमेल बढ़ाने में भारत के विदेश मंत्रालय और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के अंतरराष्ट्रीय विभाग के तत्वाधान में आयोजित वार्ताओं की भूमिका को स्वीकार किया गया और दोनों पक्षों की ओर से इस व्यवस्था को संस्थागत रूप देने और इसे विस्तार देने पर रजामंदी हुई।
  5. दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, आर्थिक संबंधों को मजबूत करने, पर्यटन को बढ़ावा देने और लोगों के बीच आपसी संपर्क बढ़ाने के उद्देश्य से एक दूसरे के यहां एक अतिरिक्त महावाणिज्य दूतावास खोला जाए। भारत अपना महावाणिज्य दूतावास चेंगदू में खोलेगा। जबकि चीन का महावाणिज्य दूतावास चेन्नई में खोला जाएगा।
  6. दोनों देशों ने माना कि सैन्य समझौतों को बढ़ावा देने से आपसी विश्वास और भरोसा मजबूत होगा। भारतीय पक्ष ने चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग के उपाध्यक्ष के भारत दौरे का स्वागत किया। चीन ने इस साल भारतीय रक्षा मंत्री और दूसरे सैन्य नेताओं को अपने यहां आने का न्यौता दिया। दोनों देशों की सेनाओं के पांचवें संयुक्त आंतकवाद रोधी प्रशिक्षण को 2015 में चीन में आयोजित करने पर भी सहमति बनी। दोनों ओर से एक दूसरे के नौसेना पोतों की आवाजाही पैसेक्स और सार अभ्यास करने पर भी सहमति बनी।
  7. दोनों देशों ने सीमावर्ती इलाकों में शांति बनाए रखने के लिए अब तक के समझौते और प्रोटोकोल की सकारात्मक भूमिकाओं को स्वीकार किया। सीमा पर सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता के मद्देनजर दोनों पक्षों की ओर से वार्षिक दौरे करने, सेना मुख्यालयों और पड़ोसी कमान के बीच बातचीत करने पर राजी हुए। इसके साथ ही दोनों देशों के सैन्य मुख्यालयों के बीच हॉटलाइन के  परिचालन के प्रयास, सीमा कमांडरों के बीच आदान-प्रदान और भारत-चीन सीमा के सभी सेक्टरों में व्यक्तिगत मुलाकातों को बढ़ावा दिया जाएगा।
  8. दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि सीमा के सवाल को जल्दी सुलझाना दोनों देशों के बुनियादी हितों में होगा और इस ओर दोनों देशों के सामरिक उद्देश्यों को देखते हुए कदम बढ़ाया जाना चाहिए। दोनों देशों के व्यापक रिश्तों और दूरगामी हितों के मद्देनजर दोनों पक्ष सीमा के सवाल के राजनीतिक हल के प्रति प्रतिबद्ध दिखे। विशेष प्रतिनिधियों के जरिये इस दिशा में हुई अहम प्रगति का सकारात्मक आकलन किया गया। सीमा के सवाल को हल करने के लिए तीन चरणों की प्रक्रिया के प्रति प्रतिबद्धता जताई गई। साथ ही सीमा के मामले को सुलझाने के लिए एक ढांचा तय करने के लिए लगातार कोशिश करने पर भी सहमति जताई गई। यह ढांचा अब तक के नतीजों और विकसित हुई आपसी समझदारी पर आधारित होगा। सीमा के सवाल को सुलझाने के लिए एक उचित, पारदर्शी और दोनों ओर स्वीकार्य हल की ओर जल्द से जल्द बढ़ने पर जोर दिया गया।  
  9. दोनों देश सीमा के सवाल के साथ दूसरे अनसुलझे मतभेदों को सक्रिय तौर पर दूर करने की कोशिश करेंगे। दोनों पक्षों ने माना इन मतभेदों को आपसी रिश्तों में नई सक्रियता के रास्ते में नहीं आने देना चाहिए। भारत-चीन सीमा पर शांति को दोनों देशों के रिश्तों की  बेहतरी का गारंटी माना गया। दोनों पक्षों ने सीमा के सवाल को सुलझाने के लिए मौजूदा समझौतों को लागू करने और सीमा पर शांति कायम करने की प्रतिबद्धता जताई।

 

नजदीकी विकासात्‍मक साझेदारी में अगला कदम

13    दोनों पक्षों ने नजदीकी विकासात्‍मक साझेदारी को और मजबूत बनाने का संकल्‍प लिया क्‍योंकि इससे आर्थिक विकास को गति मिलेगी और दोनों देशों के साथ-साथ सम्‍बद्ध क्षेत्रों और विश्‍व में समृद्धि आयेगी।

14    पिछले कुछ वर्षों में दोतरफा व्‍यापार और निवेश के प्रवाह में बढ़ोतरी को ध्‍यान में रखते हुए, दोनों पक्षों ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने के लिए सकारात्‍मक योगदान देने और एक दूसरे की वृद्धि और विकास की प्रक्रिया में सहयोग देने का निश्‍चय किया। इस संबंध में इस बात पर सहमति हुई कि दोनों पक्ष द्विपक्षीय व्‍यापार और निवेश में आने वाली बाधाओं को समाप्‍त करने के लिए आवश्‍यक उपाय करेंगे, एक-दूसरे की अर्थव्‍यवस्‍थाओं के लिए बाजार की पहुंच बढ़ायेंगे, और भारतीय फॉर्मास्‍यूटिकल, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं, पर्यटन, वस्‍त्र और कृषि उत्‍पादों में व्‍यापार और निवेश आदान-प्रदान को मजबूत करने के लिए दोनों देशों की स्‍थानीय सरकारों को सहयोग देंगे ताकि पांच वर्ष की व्‍यापार और आर्थिक विकास योजना में पहचाने गए क्षेत्रों में वर्तमान और संभावित स्थितियों का अधिक से अधिक लाभ उठाया जा सके। इस पर सितम्‍बर 2014 में हस्‍ताक्षर किए गए थे।

15    दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्‍यापार को आसान बनाने के लिए संयुक्‍त उपाय करने का संकल्‍प किया ताकि इसकी निरंतरता बनी रहे। इस दिशा में किए जाने वाले उपायों में पंजीकरण सहित फॉर्मास्‍यूटिकल प्रबंध, दोतरफा व्‍यापार के लिए कृषि उत्‍पादों के बारे में पौधों में होने वाली बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए बातचीत, भारतीय आईटी कंपनियों और चीनी उद्य‍मों के बीच नजदीकी संपर्क और पर्यटन, फिल्‍मों, स्वास्थ्य, आईटी और उपकरणों में सेवा व्‍यापार बढ़ाना शामिल है। दोनों पक्ष इस दिशा में कार्य करने के लिए भारत-चीन संयुक्‍त आर्थिक समूह का पूरा इस्‍तेमाल करेंगे। दोनों नेताओं ने एशिया प्रशांत व्‍यापार समझौते के ढांचे के भीतर प्रमुख भारतीय उत्‍पादों में शुल्‍क कटौती से जुड़े मुद्दों में आपसी सहयोग और आदान-प्रदान की भावना से बातचीत में तेजी लाने के फैसले का स्‍वागत किया।

16    दोनों नेता इस बात पर सहमत थे कि द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग के नये क्षेत्रों का पता लगाने के लिए रणनीतिक आर्थिक बातचीत एक महत्‍वपूर्ण तंत्र है। भारत के नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष और चीन के एनडीआरसी के अध्‍यक्ष की सह-अध्‍यक्षता में दोनों देशों के बीच रणनीतिक आर्थिक बातचीत भारत में इस वर्ष की दूसरी छमाही में होगी।

17    दोनों नेताओं ने निवेश परियोजनाओं में सकारात्‍मक गति की सराहना की क्‍योंकि चीनी कंपनियों ने 'मेक इन इंडिया' के लिए आमंत्रण पर प्रतिक्रिया दी है और भारतीय कंपनियों ने चीन में अपनी उपस्थिति बढ़ाई है।

18    दोनों नेताओं ने रेलवे के क्षेत्र में उठाये गए कदमों और इस क्षेत्र में  हासिल प्रगति पर संतोष व्‍यक्‍त किया। इस क्षेत्र में किए गए सहयोग में वर्तमान चेन्‍नई-बंगलुरू-मैसूर लाइन पर स्‍पीड बढ़ाने, दिल्‍ली-नागपुर सेक्‍शन पर हाईस्‍पीड रेल संपर्क के लिए प्रस्‍तावित संभावना का अध्‍ययन, भुवनेश्‍वर बईयप्‍पनहली स्‍टेशन दोबारा विकसित करने की योजना, परिवहन प्रशिक्षण और रेलवे विश्‍ववि़द्यालय स्‍थापित करने की परियोजना शामिल हैं। दोनों नेताओं ने इस प्रमुख बुनियादी ढांचा क्षेत्र में साझेदारी के लिए आगे कदम उठाने की कार्य योजना का स्‍वागत किया।

19    दोनों नेताओं ने भारत के नीति आयोग और चीन के डेवलपमेंट रिसर्च सेंटर के बीच बातचीत शुरू करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का स्वागत किया।

20  दोनों पक्षों ने दोनों देशों के वित्तीय नियामकों और उद्यमों के बीच सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की ताकि नज़दीकी विकासात्मक साझेदारी विकसित हो सके।

संस्कृति और लोगों के बीच संपर्क

21  प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री ली ने 15 मई, 2015 को बीजिंग में योग-ताईशी देखा। दोनों पक्ष 21 जून, 2015 को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का सफलतापूर्वक आयोजन करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हो गये। दोनों नेताओं ने भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और यूनान नेशनल यूनिवर्सिटी के बीच सहयोग का स्वागत किया।

22  दोनों नेताओं ने महसूस किया कि दोनों देशों के शिक्षण संस्थानों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ाकर दोनों पक्ष सामाजिक-आर्थिक विकास में सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने विस्तारित, शैक्षणिक आदान-प्रदान कार्यक्रम पर हस्‍ताक्षर करने का स्‍वागत किया।

23  दोनों पक्षों ने भारत-चीन सांस्कृतिक आदान-प्रदान पहल में हासिल प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। दोनों पक्ष इस वर्ष की दूसरी छमाही से 200-200 युवाओं का वार्षिक आदान-प्रदान करेंगे।

24  कर्नाटक और सीचुआन के बीच प्रांतीय साझेदारी और औरंगाबाद-दूनहुआंग, चेन्नई-चोंगकिंग तथा हैदराबाद-शिंगदाओ के बीच नजदीकी संबंध स्थापित करने संबंधी समझौतों का स्वागत किया गया।

25  नज़दीकी बातचीत और आपसी समझ बढ़ाने के लिए दोनों पक्षों ने ''भारत-चीन विचारक मंच'' स्थापित करने का फैसला किया, जिसकी हर वर्ष भारत और चीन में बारी-बारी से बैठक होगी। दोनों नेताओं ने 'उच्च स्तरीय मीडिया मंच' बनाने पर सहमति व्यक्त की और भारत के विदेश मंत्रालय तथा चीन के सूचना कार्यालय को वार्षिक आधार पर बारी-बारी से भारत और चीन में इसकी बैठक बुलाने की जिम्मेदारी सौंपी। दोनों नेताओं ने फूदान यूनिवर्सिटी, शंघाई में गांधीवादी और भारतीय अध्ययन केन्द्र की स्थापना का स्वागत किया।

सहयोग के नए क्षेत्र

26  दोनों नेताओं ने भारत-चीन के बीच नज़दीकी विकासात्मक साझेदारी के नए क्षेत्रों में विस्तार के साथ सहयोग को लगातार बढ़ाने का स्वागत किया। दोनों नेताओं ने निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग शुरू करने और विस्तार का स्वागत किया और सम्बद्ध एजेंसियों को यह काम सौंपा कि वह उद्देश्यपूर्ण तरीके से परियोजनाओं को लागू करें :

  1. गुजरात में गांधी नगर/अहमदाबाद में महात्मा गांधी राष्ट्रीय कौशल विकास और उद्यमिता संस्थान की स्थापना के लिए कार्य योजना पर हस्ताक्षर सहित व्यावसायिक परीक्षण कौशल विकास में सहयोग बढ़ाना;
  2. संयुक्त निरूपण परियोजनाओं के लिए पथ प्रदर्शक स्मार्ट शहरों के रूप में भारत में गिफ्ट सिटी और चीन में शेनचेन की पहचान के साथ स्मार्ट शहरों के विकास में सहयोग शुरू करना;

          iii.       बाहरी अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण इस्तेमाल और परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग;

  1. सार्वजनिक स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा और परंपरागत दवाओं के क्षेत्र में;
  2. दोनों पक्षों ने भारत और चीन के अंतरिक्ष प्राधिकरणों के बीच अंतरिक्ष सहयोग तंत्र की स्थापना तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और चायना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के बीच 2015-2020 अंतरिक्ष सहयोग पर हस्ताक्षर करने का स्वागत किया। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि उपग्रह दूरसंवेदी सेंसिंग, अंतरिक्ष आधारित मौसम विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान, चन्द्र संबंधी और गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण, उपग्रह नौवहन, अंतरिक्ष घटकों, महत्वपूर्ण प्रक्षेपण सेवाओं और शिक्षा तथा प्रशिक्षण के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाया जाए।
  3. हाल में चीन के न्याय मंत्री की भारत यात्रा को ध्यान में रखते हुए दोनों देश कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सहयोग को मज़बूत बनाने पर सहमत हो गए। इनमें जेल में बंद दोनों पक्षों के नागरिकों के कल्याण के लिए उपाय शामिल हैं। दोनों पक्षों ने अपराधियों के स्थानांतरण के लिए एक समझौते पर विचार-विमर्श शुरू करने का स्वागत किया।

सीमा-पार से सहयोग

27  भारतीय पक्ष ने बाढ़ के मौसम में जलविज्ञान आंकड़े प्रदान करने और आपात प्रबंधन में सहायता के लिए चीन की सराहना की। दोनों पक्ष जल विज्ञान आंकड़े और आपात प्रबंधन के प्रावधान के बारे में विशेषज्ञ स्तर के तंत्र के जरिए सहयोग और मज़बूत बनाएंगे तथा आपसी हित के अन्य मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। 

28  दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि सीमा व्यापार, दोनों देशों के लोगों द्वारा तीर्थयात्रा और अन्य आदान-प्रदान से आपसी विश्वास को बढ़ाया जा सकता है और इस बात पर सहमति व्यक्त की कि सहयोग को बढ़ाया जाना चाहिए ताकि सीमा को सहयोग और आदान-प्रदान के सेतू में बदला जा सके। दोनों पक्ष व्यापार वाली वस्तुओं की सूची बढ़ाने तथा नाथूला, शियांगला/लिपू-लेख दर्रे और शिपकी ला पर सीमा व्यापार बढाने के बारे में समझौता वार्ता करने पर सहमत हो गए।

29  भारतीय पक्ष ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए विदेश मंत्रालय और चीन गणराज्य के तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र की स्थानीय सरकार द्वारा सहयोग और सहायता करने की सराहना की। दोनों देशों के बीच धार्मिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और भारतीय तीर्थ यात्रियों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए चीनी पक्ष 2015 में नाथूला दर्रे के रास्ते यात्रा का मार्ग शुरू करेगा।

क्षेत्रीय और वैश्विक एजेंडा की स्थापना

30  उभरती हुई विश्व व्यवस्था में दो प्रमुख शक्तियों के रूप में भारत और चीन के बीच वचनबद्धता द्विपक्षीय आयामों को आगे ले जा सकती है और इसका क्षेत्रीय, बहुउद्देश्यीय और वैश्विक मुद्दों से महत्वपूर्ण संबंध है। दोनों पक्ष न केवल अंतर्राष्ट्रीय शांति, सुरक्षा और विकास को प्रभावित करने वाली घटनाओं के बारे में विचार-विमर्श बढ़ाने पर सहमत हुए बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक एजेंडा और परिणामों को स्थापित करने के लिए मिलकर कार्य करने पर सहमत हो गए। उन्होंने आरआईसी, ब्रिक्स और जी-20 सहित बहुउद्देश्यीय मंचों में समन्वय और सहयोग को और मजबूत बनाने, विकासशील देशों के हितों को बढ़ावा देने तथा एक बेहतर विश्व के निर्माण पर सहमति व्यक्त की। भारत 2016 में जी-20 शिखर बैठक की मेजबानी में चीन को सहयोग देगा।

31  दोनों नेताओं ने डब्ल्यूटीओ संबंधी मुद्दों पर एक द्विपक्षीय सलाहकार तंत्र शुरू करने के फैसले का स्वागत करते हुए इसे वैश्विक व्यापार बातचीत के संदर्भ में सहयोग बढ़ाने के लिए एक सकारात्मक कदम बताया।

  1. दोनों पक्षों ने सभी रूपों में आतंकवाद की कड़े शब्दों में निंदा की और इसका विरोध किया तथा आतंकवाद से निपटने में सहयोग करने की वचनबद्धता को दोहराया। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि आतंकवाद को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता और सभी देशों के आग्रह किया कि वे आतंकवादी नेटवर्क और उन्हें वित्तीय मदद देने वालों को समाप्त करने के लिए गंभीरता से कार्य करें और संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के प्रासांगिक सिद्धांतों और उद्देश्यों के अनुसार सीमा पार से आतंकवादी गतिविधियों को रोकें। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौते के बारे में बातचीत को जल्द समाप्त करने का आह्वान किया।
  2. दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र के मामलों और शासन के ढांचे में विकासशील देशों की बढ़ी हुई भागीदारी को मान्यता देने सहित संयुक्त राष्ट्र के व्यापक सुधार का समर्थन किया। एक विशाल विकासशील देश के रुप में अंतर्राष्ट्रीय मामलों में भारत की स्थिति  के लिए चीन अत्यधिक महत्व रखता है और सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र में वृहद भूमिका निभाने की भारत की आकांक्षा का समर्थन करता है।
  3. दोनों पक्ष शंघाई सहयोग संगठन के दायरे के अंतर्गत सहयोग जारी रखने के लिए तैयार हैं। चीन ने शंघाई सहयोग संगठन की पूर्ण सदस्यता के लिए भारत के आवेदन का स्वागत किया।
  4. दोनों पक्ष क्षेत्रीय बुनियादी ढांचा और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एशियाई बुनियादी ढांचा विकास बैंक की स्थापना की तैयारी बढ़ाने के लिए संबद्ध पक्षों के साथ मिलकर काम करने पर सहमत हो गए।
  5. दोनों पक्षों ने बीसीआईएम (बांग्लादेश, चीन, भारत और म्यांमार) आर्थिक गलियारे की रूपरेखा के अंतर्गत सहयोग के बढ़ाने के क्षेत्र में हुई प्रगति का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने बीसीआईएम आर्थिक गलियारे के संयुक्त अध्ययन समूह की दूसरी बैठक को याद किया और इस बात पर सहमति व्यक्त की बैठक में हुई सहमति को लागू करने के प्रयासों को जारी रखा जाए।
  6. दोनों पक्ष सार्क में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हो गए।

38   दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को आगे बढ़ाने और क्षेत्रीय आर्थिक विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने में एपेक की महत्वपूर्ण भूमिका है। दोनों पक्षों ने बीजिंग एपेक बैठक की सफलता का स्वागत किया। चीन ने स्वीकार किया कि वैश्विक आर्थिक विकास को प्रबल करने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है, एपेक के खुलेपन का समर्थन किया और एपेक के साथ अपने संपर्क को मजबूत बनाने की भारत की इच्छा का स्वागत किया।

39  दोनों पक्षों ने 17 अप्रैल, 2015 को बीजिंग में हथियार नियंत्रण और अप्रसार के बारे में भारत-चीन वार्ता का स्वागत किया। दोनों देशों ने वैश्विक हथियार नियंत्रण और अप्रसार के प्रति उनके दृष्टिकोण में समानता की चर्चा करते हुए इस विषय में द्विपक्षीय और बहुउद्देश्यीय मंचों पर सहयोग जारी रखने पर सहमति व्यक्त की। चीनी पक्ष ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अप्रसार के प्रयासों को मजबूत करने के लिए एनएसजी का सदस्य बनने की भारत की आकांक्षाओं पर गौर किया।

40  दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि आज की दुनिया और आने वाली पीढ़ियों के खातिर जलवायु परिवर्तन एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। उन्होंने इस वर्ष के अंत में पेरिस में होने वाले सीओपी 21 से यूएनएफसीसीसी में महत्वकांक्षी, व्यापक, सार्वभौमिक, संतुलित और समान जलवायु समझौते की समाप्ति के लिए अन्य देशों के साथ मिलकर काम करने के महत्व पर बल दिया। इससे इस साझा वैश्विक चुनौती से निपटने में उचित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, अनुकूलन और किफायत तथा वित्तीय सहयोग को प्रोत्साहन मिलेगा। दोनों पक्षों ने यात्रा के दौरान भारत और चीन की सरकार के बीच जलवायु परिवर्तन के बारे में संयुक्त वक्तव्य जारी किया।

41  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री ली क्यांग को भारत यात्रा पर आने का निमंत्रण दिया। प्रधानमंत्री ली ने उनके निमंत्रण को सहर्ष स्वीकार कर लिया।

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December 06, 2025
India is brimming with confidence: PM
In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder: PM
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।