महामहिम नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री, भारत गणराज्य और महामहिम गुयेन जुआन फुक, प्रधानमंत्री, वियतनाम समाजवादी गणराज्य ने 21 दिसंबर 2020 को एक वर्चुअल सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की, जिसमें उन्होंने व्यापक द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की और भारत-वियतनाम व्यापक रणनीतिक साझेदारी का भविष्य में मार्गदर्शन करने के लिए निम्नलिखित शांति, समृद्धि और जनता के लिए संयुक्त दृष्टिकोण (ज्वाइंट विजन फॉर पीस, प्रॉसपेरिटी एंड पीपल्स) को सामने रखा :


शांति


1. अपनी व्यापक रणनीतिक साझेदारी को आगे और मजबूत करने की अपनी पारस्परिक इच्छा की पुष्टि करते हुए, नेताओं ने गहरी जड़ों वाले ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों, साझा मूल्यों और हितों, परस्पर रणनीतिक विश्वास और समझदारी और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के लिए साझी प्रतिबद्धता की नींव पर लगातार उच्चस्तरीय और संस्थागत आदान-प्रदान तैयार करने पर सहमति जताई। वे जुड़ाव वाले सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग के लिए नए अर्थ और प्रोत्साहन को जोड़ेंगे, राष्ट्रीय विकास में एक-दूसरे की सहायता करेंगे और शांतिपूर्ण, स्थिर, सुरक्षित, मुक्त, खुला, समावेशी और नियम आधारित क्षेत्र बनाने के लिए काम करेंगे।


2. क्षेत्र में और इसके बाहर उभरते हुए भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक परिस्थितियों के बीच अपने सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए, नेताओं ने सहमति जताई कि भारत और वियतनाम के बीच ज्यादा मजबूत रक्षा और सुरक्षा साझेदारी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व होगी। इसे पाने के लिए, दोनों पक्ष तीनों सैन्य सेवाओं और तट रक्षक बलों के लिए सैन्य स्तर पर आदान-प्रदान, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को आगे बढ़ाएंगे और वियतनाम तक विस्तारित भारत की डिफेंस क्रेडिट लाइंस पर रक्षा उद्योग में अपनी साझेदारी को अधिक मजबूत बनाएंगे। वे साझा रसद सहायता, नियमित जहाज यात्राओं, संयुक्त अभ्यासों, सैन्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी को साझा करने, सूचनाओं का आदान-प्रदान करने और संयुक्त राष्ट्र के शांति कार्यक्रम में सहयोग के जरिए रक्षा आदान-प्रदान को आगे संस्थागत रूप देंगे। दोनों पक्ष साइबर और समुद्री क्षेत्र में पारंपरिक और गैर-पारंपरिक सुरक्षा खतरों, आतंकवाद, प्राकृतिक आपदाओं, स्वास्थ्य सुरक्षा, जल सुरक्षा, जहां जरूरत होगी, वहां पर विस्तारित कानूनी और न्यायिक सहयोग समेत अंतर-देशीय अपराधों इत्यादि से निपटने के लिए संस्थागत संवाद व्यवस्था के माध्यम से बहुत घनिष्ठता से जुड़ेंगे।

3. समृद्धि और सुरक्षा के बीच जुड़ाव को रेखांकित करते हुए, नेताओं ने अंतर्राष्ट्रीय कानून, खास तौर पर 1982 के यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑन लॉ ऑफ सी (यूएनसीएलओएस) के अनुसार, बिना किसी धमकी या ताकत का इस्तेमाल किए, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करते हुए दक्षिण चीन सागर में शांति, स्थिरता, सुरक्षा और समुद्री व हवाई परिवहन की आजादी को बनाए रखने के महत्व को दोहराया। दोनों नेताओं ने दावेदारों और सभी अन्य देशों की ओर से सभी गतिविधियों में गैर-सैन्यीकरण और आत्मसंयम, और उन कार्यों को करने से बचने के महत्व को रेखांकित किया, जो स्थिति को और अधिक जटिल बना सकते हैं या शांति व स्थिरता को प्रभावित करने वाले विवाद बढ़ा सकते है। दोनों नेताओं ने यूएनसीएलओएस की ओर से तय किए गए कानूनी ढांचे के दायरे में ही महासागरों और समुद्रों में सभी गतिविधियां करने और इस यूएनसीएलओएस को ही समुद्री क्षेत्रों में समुद्री अधिकार, संप्रभु अधिकार, क्षेत्राधिकार और वैध हितों का फैसला करने का आधार बनाने पर जोर दिया। दोनों नेताओं ने अंतर्राष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से यूएनसीएलओएस, जो गैर-पक्षकार देशों समेत सभी देशों के वैध अधिकारों और हितों के बीच पक्षपात नहीं करता है, के अनुसार स्वतंत्र और प्रभावी कोड ऑफ कंडक्ट इन साउथ चाइना सी (डीओसी) के शीघ्र निष्कर्ष पर पहुंचने को लेकर होने वाली पूर्ण और स्वतंत्र चर्चाओं में डिक्लरेशन ऑन कंडक्ट ऑफ पार्टीज इन साउथ चाइना सी (डीओसी) को पूर्ण और प्रभावी ढंग से लागू करने की अपील की।


4. क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि को स्थायी बनाने में आसियान-भारत सहयोग के महत्व को स्वीकार करते हुए, नेताओं ने आसियान-केंद्रित पर साझा रूप से ध्यान देने के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझेदारी को आगे प्रोत्साहित करने के लिए प्रमुख क्षेत्रों और आसियान आउटलुक ऑन इंडो-पैसफिक (एओआईपी) और इंडियाज इंडो-पैसफिक ओसियंस इनिशिएटिव (आईपीओआई) में व्यक्त किए गए उद्देश्यों और सिद्धांतों के अनुसार आसियान और भारत के बीच व्यावहारिक सहयोग को बढ़ाने वाले अवसरों का स्वागत किया। दोनों पक्ष क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और प्रगति सुनिश्चित करने के क्रम में समुद्री अर्थव्यवस्था (ब्लू इकॉनमी), समुद्री रक्षा और सुरक्षा, समुद्री पर्यावरण और समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग और समुद्री संपर्क के क्षेत्र में नए और व्यावहारिक साझेदारियों का भी पता लगाएंगे।

 

5. क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर अपने दृष्टिकोणों और विचारों की समानता, अंतर्राष्ट्रीय कानून और नियमों पर आधारित व्यवस्था के प्रति अपने साझा सम्मान, और वैश्विक संवाद में समावेशिता और निष्पक्षता में अपने भरोसे से ताकत हासिल करते हुए, दोनों पक्ष बहुपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करेंगे, जिसमें संयुक्त राष्ट्र, आसियान की अगुवाई वाली व्यवस्थाएं और मेकांग उप-क्षेत्रीय साझेदारी शामिल हैं। दोनों पक्ष संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समेत अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को अधिक प्रतिनिधिकारी, समकालीन और मौजूदा चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाने के लिए सुधरे हुए बहुपक्षवाद को सक्रियता के साथ प्रोत्साहित करेंगे। वे कोविड-19 महामारी का प्रबंधन करने में अपने अनुभव साझा करेंगे और साझेदारी को बढ़ावा देंगे, स्वास्थ्य पेशेवरों की ऑनलाइन ट्रेनिंग का समर्थन करेंगे, टीके के विकास में संस्थागत सहयोग लाएंगे, खुली आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ावा देंगे, सीमा-पार आवाजाही को सुविधाजनक बनाएंगे और डब्लूएचओ जैसी बहुपक्षीय संस्थाओं में घनिष्ठ संपर्क और तालमेल को बनाए रखेंगे।


6. आतंकवाद, हिंसक अतिवाद और कट्टरपंथ से विश्व शांति और मानवता के लिए पैदा हुए खतरे को स्वीकार करते हुए, सीमापार आतंकवाद, आतंकवाद को वित्तीय मदद देने वाले नेटवर्क और सुरक्षित ठिकानों समेत आतंकवाद के सभी स्वरूपों और आयामों का मुकाबला करने के अपने संकल्प को द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक प्रयासों में ज्यादा बेहतर तालमेल के जरिए अमल में लाएंगे। दोनों पक्ष अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक घोषणा (कंप्रेहेंसिव कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म) (सीसीआईटी) को जल्द स्वीकार करने के लिए मजबूत सहमति बनाने के लिए संयुक्त प्रयासों को आगे बढ़ाएंगे।

 

समृद्धि

7. कोविड-19 महामारी की पैदा की हुई नई चुनौतियों के साथ-साथ नए अवसरों को स्वीकार करते हुए, दोनों पक्ष विश्वसनीय, कुशल और लचीली आपूर्ति श्रृंखला बनाने की दिशा में काम करेंगे और मानव-केंद्रित वैश्वीकरण को बढ़ावा देंगे। वे जल्द से जल्द 15 अरब अमेरिकी डॉलर के व्यापार लक्ष्य को पाने का प्रयास करेंगे और ठोस कार्ययोजना और एक-दूसरे के देश में मौजूद नई आपूर्ति श्रृंखलाओं के आधार पर द्विपक्षीय व्यापार के लिए महत्वाकांक्षा का उच्च स्तर तय करेंगे।

 

8. एक तरफ भारत का बड़ा घरेलू बाजार और आत्मनिर्भरता का दृष्टिकोण और दूसरी तरफ वियतनाम की बढ़ती आर्थिक जीवन शक्ति और क्षमताएं, दोनों के बीच एक-दूसरे की पूरक क्षमता को स्वीकार करते हुए, दोनों पक्ष एक-दूसरे की अर्थव्यवस्था में दीर्घकालिक निवेश करके, संयुक्त उद्यमों को प्रोत्साहित करके, नए वैश्विक मूल्य श्रृंखला से जुड़ाव लाकर, भौतिक और डिजिटल संपर्क सुधार करके, ई-कॉमर्स को प्रोत्साहित करके, व्यापार यात्रा के लिए सुविधाएं देकर, क्षेत्रीय व्यापार ढांचे में सुधार लाकर और पारस्परिक रूप से अधिक बाजार तक पहुंच देकर अपनी द्विपक्षीय आर्थिक भागीदारी को लगातार उन्नत बनाते रहेंगे। भारत के 2024 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य और वियतनाम की 2045 तक उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था बनने की महत्वाकांक्षा से जन्मे साझेदारी के नए फलकों का एमएसएमई समेत अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों और दोनों देशों के कृषक समुदायों के लिए पूरी तरह से दोहन किया जाएगा।

9. युवा आबादी के साथ दो उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के रूप में प्रगति और समृद्धि की साझा जरूरत को रेखांकित करते हुए, भारत और वियतनाम के बीच आर्थिक और विकास साझेदारी निरंतर सुशासन, जनता का सशक्तीकरण, और टिकाऊ और समावेशी विकास के लिए नई तकनीक, नवाचार, और डिजिटलीकरण के वादे से संचालित होगी। इसके लिए, दोनों पक्ष भारत के “डिजिटल इंडिया” मिशन और वियतनाम के “डिजिटल सोसाइटी” विजन के बीच तालमेल, और परमाणु और अंतरिक्ष तकनीक के शांतिपूर्ण उपयोग, सूचना और संचार तकनीक में परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकियों, समुद्र विज्ञान, टिकाऊ कृषि, जल संसाधन प्रबंधन, व्यापक स्वास्थ्य सेवाएं, टीके और दवाएं, स्मार्ट सिटीज और स्टार्ट-अप्स में घनिष्ठ सहयोग लाएंगे।

 

10. सतत विकास और जलवायु अभियान के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, विकासशील देशों के रूप में अपनी ऊर्जा सुरक्षा को पूरा करते हुए, दोनों पक्ष नए और नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों, ऊर्जा संरक्षण और जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों में भागीदार होंगे। भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में वियतनाम की संभावित भागीदारी सौर ऊर्जा के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल में सहयोग के नए अवसर लाएगी। इसके साथ, दोनों पक्ष तेल और गैस क्षेत्र में तीसरे देशों में संभावित खोज परियोजनाओं और शोधन परियोजनाओं में सहयोग करने समेत अपनी दीर्घकालिक साझेदारी को अधिक मजबूत बनाएंगे। दोनों पक्ष जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन में सहयोग को मजबूत बनाएंगे और इस लक्ष्य को पाने के लिए, भारत निकट भविष्य में आपदारोधी अवसंरचना गठबंधन (कोएलिशन फॉर डिजास्टर रिजिलियंस इंफ्रास्ट्रक्चर) में वियतनाम के शामिल होने की उम्मीद करता है।

11. स्थानीय समुदायों तक ठोस और विभिन्न लाभों को पहुंचाने और सतत विकास लक्ष्यों में ऐसे योगदान में अपनी विकास साझेदारी की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए, मेकांग-गंगा त्वरित प्रभाव परियोजनाओं और आईटीईसी व ई-आईटीईसी कार्यक्रमों को विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार देते हुए भारत की वियतनाम में विकास सहायता व क्षमता निर्माण को अधिक मजबूत बनाना होगा।


जनता


12. भारत और वियतनाम के बीच गहरे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों पर जोर देते हुए, दोनों पक्ष बौद्ध और चाम संस्कृतियों, परंपराओं और प्राचीन शास्त्रों सहित साझा संस्कृति और सभ्यता की विरासत को संजोएंगे, इसमें समझ और शोध कार्यों को बढ़ावा देंगे। साझा सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में सहयोग को अपनी विकास साझेदारी के प्रमुख स्तंभ के तौर पर अपनाया जाएगा। दोनों देशों में सतत विकास लक्ष्य 2 और 3 को पाने में चिकित्सा की पारंपरिक पद्धतियों का बहुत महत्व है। पिछले हजारों वर्षों से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के कारण, पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां जैसे आयुर्वेद और वियतनाम-पारंपरिक चिकित्सा पद्धति, स्वास्थ्य के समृद्ध ज्ञान वाले बहुत से सूत्रों को साझा करती है। योग, शांति और सद्भाव के प्रतीक के रूप में उभरा है और आध्यात्मिक कल्याण और सुख की साझा खोज है। दोनों देश जनकल्याण के लिए चिकित्सा की पारंपरिक पद्धतियों को मजबूत बनाने और उसके साक्ष्य-आधारित एकीकरण पर सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। दोनों पक्ष 2022 में भारत-वियतनाम राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ को यादगार बनाने के लिए भारत-वियतनाम सांस्कृतिक और सभ्यता संबंधों पर एक विश्व कोश को प्रकाशित करने के लिए सक्रिय रूप से सहयोग करेंगे।


13. दोनों देशों के लोगों की परस्पर मित्रतापूर्ण भावनाओं से जन्मे अपने संबंधों की ताकत और समर्थन को मान्यता देते हुए, दोनों पक्ष सीधी उड़ानें बढ़ाकर, सरल वीजा प्रक्रियाओं से यात्राओं को आसान बनाकर और पर्यटन की सुविधाएं देते हुए जनता के स्तर पर घनिष्ठ आदान-प्रदान बढ़ाने के प्रयासों को तेज करेंगे। वे अपने रिश्तों ज्यादा मजबूत और संस्थागत बनाएंगे जैसे कि संसदीय आदान-प्रदान; भारतीय प्रदेशों और वियतनामी प्रांतों के बीच संबंधों; राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों, मैत्री समूहों और युवा संगठनों के बीच आदान-प्रदान; शैक्षिक और अकादमिक संस्थानों के बीच सहयोग; थिंक टैंकों के बीच जुड़ाव; संयुक्त शोध कार्यक्रम; शैक्षिक छात्रवृत्तियों; और मीडिया, फिल्म, टीवी शो और खेलों में आदान-प्रदान। वे भारत-वियतनाम संबंधों और उनके ऐतिहासिक रिश्तों से जुड़ी सामग्री को एक-दूसरे के स्कूलों की पाठ्यपुस्तकों में बढ़ावा देने के लिए दोनों पक्षों की संबंधित एजेंसियों के बीच सहयोग को सुविधाजनक बनाएंगे।

 

14. दोनों प्रधानमंत्रियों ने विश्वास व्यक्त किया कि उनका उपरोक्त साझा विजन भारत-वियतनाम व्यापक रणनीतिक साझेदारी के नए युग के लिए आधारशिला का काम करेगा। इस विजन को साकार करने के लिए, दोनों पक्ष समय-समय पर ठोस कार्य योजनाएं बनाएंगे, जिसकी शुरुआत 2021-2023 तक होगी।


परिणाम:

(ए) इस संयुक्त दृष्टिकोण पत्र को अपनाते हुए, दोनों नेताओं ने 2021-2023 की अवधि के लिए कार्ययोजना पर हस्ताक्षर का स्वागत किया।

(बी) दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत सरकार की ओर से वियतनाम को दी गई 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर के डिफेंस लाइन ऑफ क्रेडिट के तहत वियतनाम बॉर्डर गार्ड कमांड के लिए हाई स्पीड गार्ड बोट (एचएसजीबी) विनिर्माण परियोजना को सफलतापूर्वक लागू करने, पूरी तरह तैयार एचएसजीबी वियतनाम को सौंपने, भारत निर्मित एचएसजीबी के उद्घाटन और वियतनाम निर्मित एचएसजीबी के निर्माण शुरुआत किए जाने पर संतोष जताया।

(सी) दोनों नेताओं ने वियतनाम के निन्ह थुआन प्रांत में स्थानीय समुदाय के लाभ के लिए भारत की ओर से दी गई 15 लाख डॉलर के ‘सहायता अनुदान’ से सात विकास परियोजनाएं पूरी होने की सराहना की।

(घ) दोनों प्रधानमंत्रियों ने संतोष जताया एमओयू/समझौतों/कार्यान्वयन संबंधी समझौतों पर हस्ताक्षर के साथ-साथ नीचे सूचीबद्ध विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को आगे मजबूत बनाने वाली घोषणाओं पर भी संतोष जताया:

हस्ताक्षर किए गए एमओयू/समझौते :

रक्षा उद्योग सहयोग पर कार्यान्वयन संबंधी समझौता।
नेशनल टेलिकॉम इंडस्ट्री, न्हा ट्रांग में आर्मी सॉफ्टवेयर पार्क के लिए 50 लाख अमेरिकी डॉलर के भारतीय अनुदान सहायता के लिए समझौता।
यूनाइटेड नेशन पीसकीपिंग में सहयोग के लिए संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान में सीयूएनपीकेओ-वीएनडीपीकेओ के बीच सहयोग के लिए कार्यान्वयन संबंधी समझौता।
भारत के परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड और वियतनाम की विकिरण एवं परमाणु सुरक्षा एजेंसी के बीच एमओयू।
सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान और वियतनाम पेट्रोलियम संस्थान के बीच एमओयू।
नेशनल सोलर फेडरेशन ऑफ इंडिया और वियतनाम क्लीन एनर्जी एसोसिएशन के बीच एमओयू।
टाटा मेमोरियल सेंटर और वियतनाम नेशनल कैंसर हॉस्पिटल के बीच एमओयू।

घोषणाएं:

त्वरित प्रभाव की परियोजनाओं को मौजूदा प्रति वर्ष 5 की संख्या से बढ़ाकर 2021-2022 तक प्रति वर्ष 10 करना।
वियतनाम में विरासत (माय सन में मंदिर के एफ-ब्लॉक, क्वांग नाम में डोंग डुओंग बौद्ध मठ और फु येन में न्हान चाम टॉवर) संरक्षण में नई विकास भागीदारी परियोजनाएं।
भारत-वियतनाम सभ्यता और सांस्कृतिक संबंधों पर विश्वकोश के लिए एक द्विपक्षीय परियोजना की शुरुआत करना।

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December 06, 2025
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Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।