मित्रों,
अक्षय तृतीय का पावन पर्व हमारे कृषि प्रधान देश में अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर हैं|
किसानों के इस पवित्र पर्व के ही दिन देश के एक वरिष्ठ किसान प्रेमी नेता ने विदाई ली|
भारत के पूर्व उप राष्ट्रपति और तीन बार राजस्थान के यशस्वी मुख्यमंत्री रहे स्व. भैरोंसिंहजी शेखावत का निधन मेरे जैसे अनेक लोगों के लिए एक दुःखद घटना हैं|
करीब ३५ वर्ष के लंबे दौर तक मेरा उनसे परिचय रहा| व्यंग्य, विनोद में वह माहिर थे| वर्ष १९५२ से लगातार जनता का चुना हुआ प्रतिनिधि रहना जनसेवा रूपी तपस्या का परिचायक है|
वर्तमान राजनीति में समय के अनुसार सावधानी से चलने का वातावरण प्रचलित है, ऐसी परिस्थितियों में ऐसे लोग बिरले ही होते हैं जो धारा के विरूद्ध तैरने की हिम्मत रखते है|
स्व. भैरोंसिंहजी के राजनीतिक जीवन की शुरूआत में ही जागीरदारी हटाओ का कानुन आया था| राजस्थान में एक राजपूत के लिए इस कानून का समर्थन करना कठिन निर्णय था| जनसंघ के उनके बहुत से साथी इस संवेदनशील मुदे पर पार्टी छोड कर चले गए थे परंतु भैरोंसिंहजी अटल रहे| उन्होने वोट बैंक की राजनीति के समक्ष हार स्वीकार नहीं की |
कुछ वर्ष पहले राजस्थान में बनी कथित सती की घटना ने ऊहापोह मचाई| किसी भी राजपूत नेता के लिए भावनात्मक रूप ले चुकी सती वाली घटना के खिलाफ आवाज उठाना राजनीतिक आत्महत्या करने जैसा था| लेकिन स्व. श्री भैरोंसिंहजी ने ऐसे कठिन दौर में लाभ - हानि की परवाह किए बिना गर्जना कर कहा था कि, विधवा दहन को सती कह कर भावनाएं भडकाने वाले लोग समाज द्रोही हैं|
मित्रो, सार्वजनिक जीवन में दुष्प्रचार, आरोपों, गंदगी, झूठ के सहारे राजनीतिक नौकाएं पार करने वालों का वर्ग बढता जा रहा हैं, ऐसे माहौल में इस तरह के विचार-प्रतिबद्ध नेता ही प्रेरणा देते हैं |
स्व. भैरोंसिंहजी के जीवन और कार्य को नमन |


