प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, स्वयंसेवक के रूप में अपने कार्यकाल से ही, देश के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए सक्रिय रूप से कार्यरत रहे हैं। इससे उन्हें ग्रामीण मुद्दों को बारीकी से समझने में मदद मिली, जिससे वे उनसे संवेदनशीलता से निपट सकें। महिलाओं से जुड़ने की उनकी अनूठी क्षमता के कारण महिलाएं उनके सामने सबसे पेचीदा और संवेदनशील विषयों पर भी सहजता से बात कर पाती हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, घर में ही नल के माध्यम से पानी की उपलब्धता सभी के लिए एक प्रमुख आकांक्षा बन गई है।
2014 में सत्ता में आने के बाद, पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता और कमी का आकलन करने और उससे निपटने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया। इस विचार-मंथन के परिणामस्वरूप, 2019 में ‘जल जीवन मिशन योजना’ शुरू की गई, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की पहुंच को तेजी से बदलना है।
2019 में, भारत के लगभग 19.32 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल 3.23 करोड़ (17%) परिवारों के घरों में ही नल कनेक्शन था। इसका मतलब है कि लगभग 16 करोड़ परिवार बाहरी जल स्रोतों पर निर्भर थे। खासकर पानी की कमी वाले इलाकों में, गर्मियों के दौरान पीने योग्य पानी की कमी ने लोगों के दैनिक जीवन को काफी प्रभावित किया।
जल जीवन मिशन, भारत के हर घर में पाइप से पानी पहुंचाने की केंद्रीय सरकार की एक पहल है, जिसका नेतृत्व जल शक्ति मंत्रालय कर रहा है। 2024 तक पूरे देश में हर घर में नल कनेक्शन स्थापित करने के लक्ष्य के साथ, यह मिशन ग्रामीण घरों के लिए सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल को प्राथमिकता देता है। ग्रेवाटर प्रबंधन, जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन जैसे उपायों के माध्यम से स्रोत स्थिरता पर भी जोर दिया जाता है। एक समुदाय-आधारित दृष्टिकोण अपनाते हुए, मिशन जल संरक्षण के लिए व्यापक समझ और प्रतिबद्धता को बढ़ावा देने के लिए सूचना, शिक्षा और संचार पक्षों को एकीकृत करता है। इसके अतिरिक्त, 2019-20 के बजट में घोषित हर घर नल से जल कार्यक्रम, जल जीवन मिशन का एक अभिन्न अंग है, जिसका उद्देश्य स्रोत स्थिरता उपायों को लागू करना और लोगों को पानी बचाने के लिए प्रोत्साहित करना है।
"सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास" के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, जल जीवन मिशन (JJM) "समानता और समावेश" के सिद्धांत को अपनाता है, यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी व्यक्ति को गांवों में नल-जल कनेक्शन और निरंतर जल आपूर्ति प्राप्त करने से वंचित नहीं किया जाएगा, विशेष रूप से समाज के वंचित और कमजोर वर्गों को प्राथमिकता दी जाएगी।
पिछले प्रयासों से हटकर जल जीवन मिशन में ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की कमी की चुनौती के त्वरित समाधान और लंबे समय तक टिकाऊ उपायों को सुनिश्चित करने के लिए फोकस को पुनर्निर्धारित किया गया है। जल आपूर्ति के लिए ध्यान अब केवल "बस्तियों" से हटकर "घरों" पर स्थानांतरित हो गया है। मिशन, सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण से हटकर सीधे घरों में सुरक्षित पानी पहुंचाने को प्राथमिकता देता है।
मिशन में स्थानीय समुदायों को शामिल करते हुए, राजमिस्त्री, प्लंबर, पंप ऑपरेटर और लोक स्वास्थ्य इंजीनियरों के लिए व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल हैं। इसका उद्देश्य सुसंगत और विश्वसनीय नल जल सेवा सुनिश्चित करना है। लोक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग, ग्राम पंचायतें और उनकी उप-समितियां सार्वजनिक उपयोगिताओं को उपलब्ध कराती हैं, जिससे लोगों के जीवन स्तर में सुधार होता है और रहन-सहन में आसानी आती है। पारदर्शिता बढ़ाने और समुदायों को सशक्त बनाने के लिए, जल आपूर्ति पहल स्थानीय मांगों के अनुरूप तैयार की जाती हैं। मोदी सरकार के विकेंद्रीकृत, मांग-आधारित दृष्टिकोण के तहत, योजनाओं को समुदाय की भागीदारी के साथ बनाया और क्रियान्वित किया जाता है। स्थानीय ग्राम समुदाय जल आपूर्ति प्रणाली का स्वामित्व लेता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि हर घर को स्थायी और भरोसेमंद तरीके से पानी मिले। इन प्रणालियों को उनके पूरे जीवनकाल तक चलने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे सार्वजनिक धन की बचत होती है और घरों को दीर्घकाल में पाइप से सुरक्षित पानी मिलता है।
"स्पीड और स्केल" पर ध्यान देने के साथ, इस परिवर्तनकारी मिशन ने अगस्त 2019 में मिशन की शुरुआत में 3.23 करोड़ घरों से ग्रामीण नल कनेक्शनों का तेजी से विस्तार किया है, जो सिर्फ चार वर्षों में 13 करोड़ हो गया है। छह राज्यों (गोवा, तेलंगाना, हरियाणा, गुजरात, पंजाब और हिमाचल प्रदेश) तथा तीन केंद्र शासित प्रदेशों (पुडुचेरी, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली, और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह) ने 100% कवरेज हासिल कर ली है। बिहार, 96.39% पर, और मिजोरम, 92.12% पर, फुल सैचुरेशन के करीब हैं। देश भर में कुल 145 जिलों और 186,818 गांवों ने पूर्ण कवरेज की सूचना दी है।
मोदी सरकार के जल जीवन मिशन (JJM) द्वारा सृजित प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार संभावनाओं का गहन विश्लेषण करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के तकनीकी समर्थन के साथ IIM-बैंगलोर द्वारा एक व्यापक अध्ययन किया गया है। अध्ययन बताता है कि JJM के माध्यम से रोजगार सृजन की भारी क्षमता है, जो लगभग 2.82 करोड़ व्यक्ति-वर्ष के बराबर है। रोजगार सृजन का अनुमान है कि JJM के निर्माण चरण के दौरान 59.93 लाख व्यक्ति-वर्ष प्रत्यक्ष रोजगार के साथ-साथ पूरे देश में 2.22 करोड़ व्यक्ति-वर्ष अतिरिक्त अप्रत्यक्ष रोजगार होगा। अप्रत्यक्ष रोजगार पाइप, वाल्व और पंप जैसी सामग्री के उत्पादन में लगे कर्मियों से उत्पन्न होता है। इसके अतिरिक्त, आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की पहुंच के मुद्दे को भी सफलतापूर्वक संबोधित किया गया है।
भारत में हर दिन, अब नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा "हर घर जल" विजन को साकार करने के लिए उल्लेखनीय उपलब्धियों और महत्वपूर्ण प्रगति का प्रमाण है।
1 जनवरी, 2023 से, प्रतिदिन औसतन 87,500 नल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं, जो जमीनी स्तर पर शानदार सफलता का प्रमाण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा प्रमाणित होना इस मिशन की सफलता का एक और प्रमाण है। WHO का अनुमान है कि 100% नल जल कवरेज के साथ, 4 लाख से अधिक डायरिया से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है, जिससे बड़ी आर्थिक बचत होगी। इसके अलावा, WHO का अनुमान है कि 100% नल जल कवरेज से हर दिन 6.6 करोड़ से अधिक घंटे बचेंगे, जिसका प्राथमिक लाभ महिलाओं को मिलेगा, जिन्हें अब पानी इकट्ठा करने में कम समय लगेगा। उल्लेखनीय रूप से, नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर माइकल केमर के निष्कर्ष इस बात को रेखांकित करते हैं कि सुरक्षित पेयजल 5 वर्ष से कम उम्र के 1.36 लाख बच्चों की मौतों को रोक सकता है, जिससे बाल मृत्यु दर में लगभग एक तिहाई की कमी आएगी। ये निष्कर्ष निस्संदेह साबित करते हैं कि नरेन्द्र मोदी सरकार का ‘हर घर जल मिशन’ एक अभूतपूर्व सफलता है!




