पूर्व राष्ट्रपति कलाम हम सभी के मार्गदर्शक थे जो हमारी सभ्यता के तीनों गुण – दम (आत्म-नियंत्रण), दान और दया से परिपूर्ण थे: पीएम मोदी
देश के लिए राष्ट्रपति कलाम का विज़न स्वतंत्रता, विकास और शक्ति के तीन स्तंभों से प्रेरित था: प्रधानमंत्री
डॉ. कलाम का व्यक्तित्व एक बच्चे की ईमानदारी, युवा होते एक बच्चे का उत्साह और एक वयस्क की परिपक्वता का सम्मिश्रण: प्रधानमंत्री मोदी

एपीजे अब्दुल कलाम के रूप में भारत ने एक हीरा खो दिया है। लेकिन उस हीरे की चमक और रोशनी हमें उस मंजिल तक पहुंचाएगी, जो उस स्वप्नद्रष्टा ने देखी थी। उन्होंने ख्वाब देखा था कि भारत एक नालेज सुपरपावर (ज्ञान शक्तिपुंज) के रूप में पहली कतार के देशों में शुमार हो।

हम उस लक्ष्य की ओर बढ़ेंगे। वैज्ञानिक पृष्ठभूमि से चलकर राष्ट्रपति पद तक पहुंचे कलाम सच्चे मायनों में जनता के राष्ट्रपति थे और यही कारण था कि उन्हें जनता से अथाह प्यार और सम्मान मिला और शायद उनके लिए सफलता का अर्थ भी यही था।

उनकी हर कथनी-करनी में इसी की झलक मिली। गरीबी से लड़ने का उनका हथियार था ज्ञान और इसे फैलाने में उन्होंने कभी कोई कसर नहीं छोड़ा। रक्षा कार्यक्रम के वैज्ञानिक के रूप में उन्होंने क्षितिज को पार किया तो एक सच्चे संत के रूप में उन्होंने बताया कि सद्भाव का आकाश सबसे बड़ा है।

हर बड़ी शख्सियत का जीवन एक प्रिज्म की तरह होता है। रोशनी उससे होकर गुजरती है तो हम पर सतरंगी किरणों की वर्षा होती हैै। कलाम का आदर्शवाद यथार्थ के आधार पर टिका था। सही मायनों में हर वंचित बच्चा यथार्थवादी होता है। गरीबी से भ्रम पैदा नहीं होता है।

गरीबी एक ऐसी डरावनी विरासत है जिसके बोझ तले बच्चा सपना भी नहीं देख सकता है। वह उससे पहले ही परास्त हो जाता है। लेकिन कलाम जी को परिस्थितियों से हार मानना स्वीकार नहीं था। उनका बचपन भी कठिन था। अपनी पढ़ाई के लिए उन्होंने अखबार भी बेचा। आज सभी अखबार उनकी याद और श्रद्धांजलि से पटे पड़े हैैं।

उन्होंने कभी खम ठोककर यह नहीं कहा कि उनका जीवन दूसरों के लिए रोल माडल है, लेकिन यह सच्चाई है कि उनसे प्रेरणा लेकर गरीबी और अंधकार से भ्रमित और ग्रसित किसी असहाय बच्चे को बाहर निकलने में मदद मिल सकती है। कलाम मेरे मार्गदर्शक हैैं। उसी तरह जैसे हर बच्चे के।

उनका आचरण, समर्पण और उनकी प्रेरणादायी सोच उनके पूरे जीवन से प्रस्फुटित होती है। अहं उन पर कभी हावी नहीं हो सका और चापलूसी कभी रास नहीं आई। हाई प्रोफाइल मंत्री हों या उच्च सामाजिक वर्ग के श्रोता या फिर युवा छात्र, उन पर इसका कभी कोई फर्क नहीं दिखा।

वह हर किसी के लिए एक समान थे। उनके व्यक्तित्व में अदभुत बात थी- वह था एक छोटे बच्चे की ईमानदारी, युवा होते एक बच्चे का उत्साह और एक वयस्क की परिपक्वता का मिश्रण। यह हर क्षण उनके व्यक्तित्व में झलकता था। संसार से उन्होंने जो कुछ लिया वह पूरा समाज पर लुटा दिया। गहरी आस्था रखने वाले कलाम हमारी सभ्यता के तीनों गुण - दम(आत्म नियंत्रण), दान और दया से भरपूर थे।

लेकिन इस व्यक्तित्व में प्रयत्नशीलता की आग थी। राष्ट्र के लिए उनकी दृष्टि का निर्माण स्वतंत्रता, विकास और शक्ति के तीन स्तंभों पर हुआ था। हमारे इतिहास में स्वतंत्रता का मतलब राजनीतिक स्वतंत्रता से है। परंतु इसमें वैचारिक व बौद्धिक स्वतंत्रता भी शामिल है। वह भारत को विकासशील देश से विकसित राष्ट्र के रूप में परिवर्तित होते और समवेत आर्थिक विकास के जरिये गरीबी को समाप्त करना चाहते थे।

इसीलिए उन्होंने कहा था कि नेताओं को केवल 30 फीसद समय राजनीति में और 70 फीसद विकास में लगाना चाहिए। वह अक्सर सांसदों को बुलाकर उनके साथ उनके क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक समस्याओं पर चर्चा किया करते रहते थे।

उनके मुताबिक, राष्ट्र की शक्ति का तीसरा स्तंभ यानी क्षमता केवल आक्रामकता से नहीं, बल्कि समझ विकसित करने से मजबूत होता है। एक असुरक्षित राष्ट्र शायद ही कभी समृद्धि के रास्ते पर जा सकता है। शक्ति से सम्मान प्राप्त होता है। हमारी नाभिकीय एवं अंतरिक्ष संबंधी उपलब्धियों में उनके योगदान ने ही भारत के अंदर विश्व में उचित स्थान पाने की शक्ति व भरोसा पैदा किया है।

हम ऐसी सर्वश्रेष्ठ संस्थाएं खड़ी कर उनकी याद को सम्मान दे सकते हैं जो विज्ञान एवं तकनीक को बढ़ावा देती हों और प्रकृति की आश्चर्यजनक शक्ति के साथ तादात्म्य स्थापित करने में हमारी मदद करें। अक्सर हम लालच के वशीभूत होकर प्रकृति का शोषण करने लगते हैं। लेकिन कलाम जी को पेड़ों में कविता, जबकि पानी, हवा और सूरज में ऊर्जा दिखाई देती थी। हमें अपनी दुनिया को उनकी आंखों और उन्हीं के जैसे उत्साह से देखने का अभ्यास करना होगा।

मनुष्य अपने जीवन को अपनी इच्छा, संकल्प, क्षमता और साहस के अनुसार संचालित कर सकता है। परंतु उसे अपने जन्म का स्थान और मृत्यु का समय तय करने का अधिकार नहीं मिला है। परंतु यदि कलाम जी को यह अधिकार मिलता तो अवश्य ही वह कक्षा में अपने प्रिय छात्रों को पढ़ाते हुए संसार से रुखसत होना पसंद करते। यदि कोई कहता है कि अविवाहित होने के नाते उनके कोई संतान नहीं थी, तो यह सही नहीं होगा।

वस्तुत: वह प्रत्येक भारतीय बच्चे के पिता थे। जिन्हें वह न केवल पढ़ाते और मनाते थे, बल्कि उनका जोश बढ़ाते थे और अपनी दृष्टि की आभा और स्नेह से उनके भीतर से अज्ञान के अंधेरे को दूर करते थे। उन्होंने खुद भविष्य को देखा और दूसरों को रास्ता दिखाया।

मैने जब उस कमरे में प्रवेश किया, जहां उनका पार्थिव शरीर रखा गया था तो मेरी नजर द्वार के पास लटकी एक पेंटिंग पर पड़ी। उस पर कलाम की किताब इग्नाइटेड माइंड्स की कुछ प्रेरणादायी पंक्तियां लिखी थीं। उनका काम उनके साथ समाप्त नहीं होगा। यह अनंत के लिए है। उनकी प्रेरणा बच्चों के जीवन और काम को दिशा दिखाएगी और फिर आगे उनके बच्चों के लिए भी मार्गदर्शक बनेगी।

 

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आपकी पूंजी, आपका अधिकार
December 10, 2025

कुछ दिन पहले ‘हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट’ में अपनी स्पीच के दौरान, मैंने कुछ चौंकाने वाले आंकड़े रखे थे:

भारतीय बैंकों में हमारे अपने नागरिकों के 78,000 करोड़ रुपये अनक्लेम्ड पड़े हैं।

इंश्योरेंस कंपनियों के पास करीब 14,000 करोड़ रुपये अनक्लेम्ड पड़े हैं।

म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास लगभग 3,000 करोड़ रुपये हैं और 9,000 करोड़ रुपये के डिविडेंड भी अनक्लेम्ड पड़े हैं।

इन बातों ने बहुत से लोगों को चौंका दिया है।

आखिरकार, ये एसेट्स अनगिनत परिवारों की मेहनत से बचाई गई सेविंग और इन्वेस्टमेंट को दिखाते हैं।

इसे ठीक करने के लिए, अक्टूबर 2025 में आपकी पूंजी, आपका अधिकार - Your Money, Your Right पहल शुरू की गई थी।

इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक नागरिक अपने अधिकार के अनुसार अपना हक वापस पा सके।

फंड को ट्रैक करने और क्लेम करने की प्रक्रिया को आसान व पारदर्शी बनाने के लिए, डेडिकेटेड पोर्टल भी बनाए गए हैं। जो इस प्रकार हैं:

• भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) – UDGAM पोर्टल https://udgam.rbi.org.in/unclaimed-deposits/#/login

• भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) – बीमा भरोसा पोर्टल: https://bimabharosa.irdai.gov.in/Home/UnclaimedAmount

• भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI)– MITRA पोर्टल: https://app.mfcentral.com/links/inactive-folios

• कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय, IEPFA पोर्टल: https://www.iepf.gov.in/content/iepf/global/master/Home/Home.html

मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि दिसंबर 2025 तक, पूरे ग्रामीण और शहरी भारत के 477 जिलों में फैसिलिटेशन कैंप लगाए गए हैं। हमारा जोर दूर-दराज के इलाकों को कवर करने पर रहा है।

सरकार, नियामक संस्थाओं, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों सहित सभी हितधारकों की संयुक्त कोशिशों के माध्यम से, करीब 2,000 करोड़ रुपये पहले ही वास्तविक हकदारों को वापस मिल चुके हैं।

लेकिन हम आने वाले दिनों में इस अभियान को और बढ़ाना चाहते हैं। और ऐसा करने के लिए, मैं आपसे इन बातों पर मदद का अनुरोध करता हूँ:

पता कीजिए कि क्या आपके या आपके परिवार के पास कोई अनक्लेम्ड डिपॉजिट, बीमा की रकम, डिविडेंड या इन्वेस्टमेंट हैं।

ऊपर बताए गए पोर्टलों पर जाएं।

अपने जिले में सुविधा कैंप का लाभ उठाएं।

जो आपका है, उसे क्लेम करने के लिए अभी कदम बढ़ाएं और एक भूली हुई फाइनेंशियल संपत्ति को एक नए अवसर में बदलें। आपका पैसा आपका है। आइए, यह सुनिश्चित करें कि यह आपको वापस मिले।

आइए, साथ मिलकर एक पारदर्शी, आर्थिक रूप से सशक्त और समावेशी भारत बनाएं!