75 वर्ष की आयु में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व्यक्तिगत अनुशासन, राजनीतिक दृढ़ विश्वास और राष्ट्रीय परिवर्तन के एक दुर्लभ संगम का प्रतिनिधित्व करते हैं। गुजरात के छोटे से शहर वडनगर से शुरू हुई उनकी जीवनगाथा, भारत के आर्थिक विकास, सामाजिक सुधार और वैश्विक पुनरुत्थान की अपनी यात्रा से अभिन्न हो गई है। इस उपलब्धि पर पहुँचते ही, छत्तीसगढ़ भी अपने गठन के 25 वर्ष पूरे कर रहा है, जो साझा चिंतन का एक क्षण है।

2014 से 2018 के बीच, मुझे उनके कैबिनेट में सेवा देने का अवसर मिला। इन वर्षों ने मुझे उनके नेतृत्व की गहरी समझ प्रदान की — निर्णायक, अनुशासित और यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ संकल्पित कि छत्तीसगढ़ जैसे संसाधन-समृद्ध राज्यों को राष्ट्रीय नीतियों का लाभ मिले। उदाहरण के लिए खान और खनिज (Development and Regulation) अधिनियम में सुधारों ने खनिज-संपन्न राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ाई और हमारी अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान की।

कभी माओवादी हिंसा का पर्याय रहा बस्तर अब बदल रहा है। सड़कें, स्कूल और बाज़ार भय और अलगाव की जगह ले रहे हैं। वरिष्ठ नेताओं सहित 450 से ज़्यादा माओवादियों का सफ़ाया किया जा चुका है और 2026 तक राज्य को माओवाद-मुक्त बनाने का लक्ष्य है। यह बदलाव केंद्र सरकार के सुरक्षा और विकास के दोहरे दृष्टिकोण को दर्शाता है।

राष्ट्रीय कार्यक्रमों ने छत्तीसगढ़ के लोगों के जीवन को सीधे तौर पर प्रभावित किया है। प्रधानमंत्री आवास योजना ने पक्के घर उपलब्ध कराए हैं; उज्ज्वला ने महिलाओं को धुएँ से भरी रसोई से मुक्ति दिलाई है; आयुष्मान भारत ने चिकित्सा संबंधी परेशानियों को कम किया है; जन-धन, आधार और मोबाइल ने प्रत्यक्ष धन हस्तांतरण को संभव बनाया है और मुद्रा ऋण, सौभाग्य और जल जीवन ने आजीविका और बुनियादी सुविधाओं को सहारा दिया है।

पीएम-किसान योजना के तहत अब भी 9 करोड़ से अधिक किसानों को प्रति वर्ष 6,000 रुपये दिए जाते हैं। छत्तीसगढ़ के किसानों को अब देश में धान के लिए सबसे उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मिलता है — प्रति एकड़ 21 क्विंटल के लिए 3,100 रुपये प्रति क्विंटल। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के साथ किए गए समझौते दूध क्रांति को गति दे रहे हैं, जबकि 2023 से राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा दिए जा रहे बाजरे पोषण और आर्थिक लाभ ला रहे हैं। वन धन विकास केंद्रों (Van Dhan Vikas Kendras) के माध्यम से वन उत्पादों के आदिवासी संग्रहकर्ताओं को प्रोसेसिंग और मार्केटिंग के लिए क्लस्टरों में संगठित किया गया है। लघु वन उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य सुकमा और नारायणपुर जैसे स्थानों में आय के स्थिर स्रोत सुनिश्चित करता है। छत्तीसगढ़ में लगभग 31 लाख परिवार स्वयं सहायता समूहों से जुड़े हैं, जिनमें से कई आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रहे हैं। लखपति दीदी पहल महिलाओं को उद्यमी बनने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान में आतंकवादी बुनियादी ढांचे पर सटीक मिसाइल और हवाई हमले किए, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे समूहों से जुड़े शिविरों को निशाना बनाया गया। यह निर्णायक कार्रवाई, 22 अप्रैल को पहलगाम हमले में 26 नागरिकों की हत्या के प्रतिशोध में की गई, राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता और आतंकवाद के प्रति भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाती है, और शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने के व्यापक प्रयासों के साथ मेल खाती है।

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ ने 2024-25 सत्र से राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करना शुरू कर दिया है। विश्वविद्यालय फ्लेक्सिबल डिग्री स्ट्रक्चर, मल्टीपल एंट्री और एग्जिट विकल्प, और योग्यता-आधारित पाठ्यक्रम लागू कर रहे हैं, जिससे राज्य के संस्थानों को राष्ट्रीय सुधारों के साथ जोड़ा जा रहा है।

भारत आज वैश्विक स्तर पर एक बड़ा भूमिका निभा रहा है। 2023 में G20 की अध्यक्षता के दौरान, “वसुधैव कुटुम्बकम — एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” थीम ने साझा विकास की भावना को व्यक्त किया। दिल्ली घोषणा-पत्र ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, क्लाइमेट फाइनेंसिंग और इंक्लूसिव डेवलपमेंट में सहयोग को बढ़ावा दिया। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से साझेदारियों, इंडो-पैसिफिक में क्वाड सहयोग, और 100 से अधिक देशों को वैक्सीन आपूर्ति ने जिम्मेदार नेतृत्व को प्रदर्शित किया।

योग भारत के सबसे मजबूत सांस्कृतिक निर्यातों में से एक बन गया है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस और नई दिल्ली में आयोजित योग कनेक्ट 2025 शिखर सम्मेलन में 190 देशों ने भाग लिया। यूनेस्को ने योग को मानवता की कल्याणकारी साझी विरासत का हिस्सा माना है।

भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम भी तेजी से आगे बढ़ा है। मई 2025 में, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए Axiom-4 मिशन में भाग लिया, जो आगामी गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए अनुभव जुटाने का अवसर था। पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों में प्रगति छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों को कृषि और आपदा प्रबंधन में मदद कर रही है। भारत ने विकास को स्थिरता के साथ जोड़ा है। जुलाई 2025 में, इसने गैर-जीवाश्म स्रोतों से स्थापित विद्युत क्षमता का 50% हासिल कर लिया, जो निर्धारित समय से पाँच साल पहले था। खनिजों और वनों से समृद्ध छत्तीसगढ़ के लिए, यह परिवर्तन विविधीकरण और पर्यावरण संरक्षण का समर्थन करता है।

शहरी विकास भी उतना ही जरूरी है। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत, रायपुर और बिलासपुर में पानी की व्यवस्था, डिजिटल सेवाएँ और अन्य सार्वजनिक सुविधाएँ सुधारी जा रही हैं। यह बस्तर के ग्रामीण विकास के काम को भी साथ में पूरा करता है।

2025 में भारत ने कई पुराने ब्रिटिश युग के कानून रद्द कर दिए, जैसे भारतीय दंड संहिता और दंड प्रक्रिया संहिता। अब सरल नियम, डिजिटल शासन और बेहतर पारदर्शिता जीवन और व्यापार दोनों में सुगमता ला रही हैं।

विकसित भारत@2047 विजन भारत की स्वतंत्रता शताब्दी के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करती है। छत्तीसगढ़ ने अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ाने, बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और आईटी, शिक्षा और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ‘विकसित छत्तीसगढ़’ दस्तावेज तैयार किया है।

यह क्षण प्रतीकात्मक रूप से महत्वपूर्ण है। पीएम मोदी के 75वें जन्मदिन के अवसर पर, छत्तीसगढ़ अपनी राज्य स्थापना की 25वीं वर्षगांठ मना रहा है। ये दोनों मील के पत्थर एक साझा परिवर्तन को दर्शाते हैं—भारत आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है, और छत्तीसगढ़ शांति, समृद्धि और सशक्तिकरण की ओर बढ़ रहा है।

अमृत काल फ्रेमवर्क — जो सेमीकंडक्टर्स, ग्रीन हाइड्रोजन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर जोर देता है — 2047 तक भारत को एक अग्रणी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने का मार्ग दिखाता है। छत्तीसगढ़ के लिए, यह नए क्षेत्रों में विविधीकरण की दिशा भी प्रदान करता है।

पीएम मोदी के सार्वजनिक जीवन के पीछे एक व्यक्तिगत अनुशासन है जो प्रेरित करता है। एक ऐसे नेता के लिए जो बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे हैं, यह संतुलन स्पष्टता और निरंतरता दोनों प्रदान करता है। 75 साल की उम्र में, वह व्यक्तिगत संकल्प और National Destiny के बीच संबंध का प्रतीक बन गए हैं।

(विष्णु साई देव छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री हैं। व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं।)

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September 27, 2025

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की करिश्माई उपस्थिति और संगठनात्मक नेतृत्व की खूब सराहना हुई है। लेकिन कम समझा और जाना गया पहलू है उनका पेशेवर अंदाज, जिसे उनके काम करने की शैली पहचान देती है। एक ऐसी अटूट कार्यनिष्ठा जो उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री और बाद में भारत के प्रधानमंत्री रहते हुए दशकों में विकसित की है।


जो उन्हें अलग बनाता है, वह दिखावे की प्रतिभा नहीं बल्कि अनुशासन है, जो आइडियाज को स्थायी सिस्टम में बदल देता है। यह कर्तव्य के आधार पर किए गए कार्य हैं, जिनकी सफलता जमीन पर महसूस की जाती है।

साझा कार्य के लिए योजना

इस साल उनके द्वारा लाल किले से दिए गए स्वतंत्रता दिवस के भाषण में यह भावना साफ झलकती है। प्रधानमंत्री ने सबको साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया है। उन्होंने आम लोगों, वैज्ञानिकों, स्टार्ट-अप और राज्यों को “विकसित भारत” की रचना में भागीदार बनने के लिए आमंत्रित किया। नई तकनीक, क्लीन ग्रोथ और मजबूत सप्लाई-चेन में उम्मीदों को व्यावहारिक कार्यक्रमों के रूप में पेश किया गया तथा जन भागीदारी — प्लेटफॉर्म बिल्डिंग स्टेट और उद्यमशील जनता की साझेदारी — को मेथड बताया गया।

GST स्ट्रक्चर को हाल ही में सरल बनाने की प्रक्रिया इसी तरीके को दर्शाती है। स्लैब कम करके और अड़चनों को दूर करके, जीएसटी परिषद ने छोटे कारोबारियों के लिए नियमों का पालन करने की लागत घटा दी है और घर-घर तक इसका असर जल्दी पहुंचने लगा है। प्रधानमंत्री का ध्यान किसी जटिल रेवेन्यू कैलकुलेशन पर नहीं बल्कि इस बात पर था कि आम नागरिक या छोटा व्यापारी बदलाव को तुरंत महसूस करे। यह सोच उसी cooperative federalism को दर्शाती है जिसने जीएसटी परिषद का मार्गदर्शन किया है: राज्य और केंद्र गहन डिबेट करते हैं, लेकिन सब एक ऐसे सिस्टम में काम करते हैं जो हालात के हिसाब से बदलता है, न कि स्थिर होकर जड़ रहता है। नीतियों को एक living instrument माना जाता है, जिसे अर्थव्यवस्था की गति के अनुसार ढाला जाता है, न कि कागज पर केवल संतुलन बनाए रखने के लिए रखा जाता है।

हाल ही में मैंने प्रधानमंत्री से मिलने के लिए 15 मिनट का समय मांगा और उनकी चर्चा में गहराई और व्यापकता देखकर प्रभावित हुआ। छोटे-छोटे विषयों पर उनकी समझ और उस पर कार्य करने का नजरिया वाकई में गजब था। असल में, जो मुलाकात 15 मिनट के लिए तय थी वो 45 मिनट तक चली। बाद में मेरे सहयोगियों ने बताया कि उन्होंने दो घंटे से अधिक तैयारी की थी; नोट्स, आंकड़े और संभावित सवाल पढ़े थे। यह तैयारी का स्तर उनके व्यक्तिगत कामकाज और पूरे सिस्टम से अपेक्षा का मानक है।

नागरिकों पर फोकस

भारत की वर्तमान तरक्की का बड़ा हिस्सा ऐसी व्यवस्था पर आधारित है जो नागरिकों की गरिमा सुनिश्चित करती है। डिजिटल पहचान, हर किसी के लिए बैंक खाता और तुरंत भुगतान जैसी सुविधाओं ने नागरिकों को सीधे जोड़ दिया है। लाभ सीधे सही नागरिकों तक पहुँचते हैं, भ्रष्टाचार घटता है और छोटे बिजनेस को नियमित पैसा मिलता है, और नीति आंकड़ों के आधार पर बनाई जाती है। “अंत्योदय” — अंतिम नागरिक का उत्थान — सिर्फ नारा नहीं बल्कि मानक बन गया है और प्रत्येक योजना, कार्यक्रम के मूल में ये देखने को मिलता है।

हाल ही में मुझे, असम के नुमालीगढ़ में भारत के पहले बांस आधारित 2G एथेनॉल संयंत्र के शुभारंभ के दौरान यह अनुभव करने का सौभाग्य मिला। प्रधानमंत्री इंजीनियरों, किसानों और तकनीकी विशेषज्ञों के साथ खड़े होकर, सीधे सवाल पूछ रहे थे कि किसानों को पैसा उसी दिन कैसे मिलेगा, क्या ऐसा बांस बनाया जा सकता है जो जल्दी बढ़े और लंबा हो, जरूरी एंज़ाइम्स देश में ही बनाए जा सकते हैं, और बांस का हर हिस्सा डंठल, पत्ता, बचा हुआ हिस्सा काम में लाया जा रहा है या नहीं, जैसे एथेनॉल, फ्यूरफुरल या ग्रीन एसीटिक एसिड।

चर्चा केवल तकनीक तक सीमित नहीं रही। यह लॉजिस्टिक्स, सप्लाई-चेन की मजबूती और वैश्विक कार्बन उत्सर्जन तक बढ़ गई। उनके द्वारा की जा रही चर्चा के मूल केंद्र मे समाज का अंतिम व्यक्ति था कि उसको कैसे इस व्यवस्था के जरिए लाभ पहुंचाया जाए।

यही स्पष्टता भारत की आर्थिक नीतियों में भी दिखती है। हाल ही में ऊर्जा खरीद के मामलें में भी सही स्थान और संतुलित खरीद ने भारत के हित मुश्किल दौर में भी सुरक्षित रखे। विदेशों में कई अवसरों पर मैं एक बेहद सरल बात कहता हूँ कि सप्लाई सुनिश्चित करें, लागत बनाए रखें, और भारतीय उपभोक्ता केंद्र में रहें। इस स्पष्टता का सम्मान किया गया और वार्ता आसानी से आगे बढ़ी।

राष्ट्रीय सुरक्षा को भी दिखावे के बिना संभाला गया। ऐसे अभियान जो दृढ़ता और संयम के साथ संचालित किए गए। स्पष्ट लक्ष्य, सैनिकों को एक्शन लेने की स्वतंत्रता, निर्दोषों की सुरक्षा। इसी उद्देश्य के साथ हम काम करते हैं। इसके बाद हमारी मेहनत के नतीजे अपने आप दिखाई देते हैं।

कार्य संस्कृति

इन निर्णयों के पीछे एक विशेष कार्यशैली है। उनके द्वारा सबकी बात सुनी जाती है, लेकिन ढिलाई बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाती है। सबकी बातें सुनने के बाद जिम्मेदारी तय की जाती है, इसके साथ ये भी तय किया जाता है कि काम को कैसे करना है। और जब तक काम पूरा नहीं हो जाता है उस पर लगातार ध्यान रखा जाता है। जिसका काम बेहतर होता है उसका उत्साहवर्धन भी किया जाता है।

प्रधानमंत्री का जन्मदिन विश्वकर्मा जयंती, देव-शिल्पी के दिवस पर पड़ना महज़ संयोग नहीं है। यह तुलना प्रतीकात्मक भले हो, पर बोधगम्य है: सार्वजनिक क्षेत्र में सबसे चिरस्थायी धरोहरें संस्थाएं, सुस्थापित मंच और आदर्श मानक ही होते हैं। आम लोगों को योजनाओं का समय से और सही तरीके से फायदा मिले, वस्तुओं के मूल्य सही रहें, व्यापारियों के लिए सही नीति और कार्य करने में आसानी हो। सरकार के लिए यह ऐसे सिस्टम हैं जो दबाव में टिकें और उपयोग से और बेहतर बनें। इसी पैमाने से नरेन्द्र मोदी को देखा जाना चाहिए, जो भारत की कहानी के अगले अध्याय को आकार दे रहे हैं।

(श्री हरदीप पुरी, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री, भारत सरकार)