आज, जब भारत आयुष्मान भारत दिवस मना रहा है, हम केवल एक सरकारी योजना की वर्षगांठ नहीं मना रहे हैं - हम देश भर में लाखों लोगों द्वारा स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने, उस तक पहुँचने और उसका अनुभव करने के तरीके में एक व्यापक बदलाव का जश्न मना रहे हैं। स्वास्थ्य के लिए वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के एक साहसिक दृष्टिकोण के रूप में शुरू हुआ यह कार्यक्रम डिजिटल-फर्स्ट, पेशेंट-केंद्रित पब्लिक हेल्थ मॉडल के लिए एक वैश्विक मानक बन गया है। आयुष्मान भारत की सफलता भारत के शीर्ष नेतृत्व की अटूट प्रतिबद्धता और दूरदर्शिता का परिणाम है। प्रधानमंत्री के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन में और नीति आयोग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) के रणनीतिक निर्देशों के साथ, यह योजना न केवल एक कल्याणकारी पहल के रूप में, बल्कि स्वास्थ्य समानता के लिए एक नए सिरे से परिकल्पित फ्रेमवर्क के रूप में जन्मी। ये संस्थाएं मिशन को आगे बढ़ाने का कार्य लगातार करती रही हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि आयुष्मान भारत एक स्थिर योजना न रहे, बल्कि वास्तविक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए लगातार विकसित होती रहे।

अदृश्य इंजन के रूप में टेक्नोलॉजी

आयुष्मान भारत के ट्रांसफॉर्मेशन के मूल में एक शक्तिशाली लेकिन अक्सर अनदेखी ताकत है – टेक्नोलॉजी। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) के माध्यम से, भारत में स्वास्थ्य सेवा पोर्टेबल, कनेक्टेड और वास्तव में पेशेंट-केंद्रित बन रही है। डिजिटल स्वास्थ्य आईडी, इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड और तत्काल क्लेम प्रोसेसिंग के साथ, मरीजों को अब कागजी कार्रवाई या भुगतान की परेशानियों के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। उनकी मेडिकल हिस्ट्री उनके साथ ट्रैवल करती है, जिससे केयर तेज, सुचारू और अधिक जानकारीपूर्ण हो जाती है।

पर्दे के पीछे, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भारी काम कर रहा है - पैटर्न का पता लगाना, अनियमितताओं को चिह्नित करना, स्वास्थ्य प्रवृत्तियों की भविष्यवाणी करना और समस्या बनने से पहले कमियों की पहचान करना। धोखाधड़ी से निपटने में ये स्मार्ट उपकरण भी महत्वपूर्ण हैं। रियल टाइम ऑडिट और बिलिंग निगरानी के साथ, सिस्टम संदिग्ध गतिविधियों को जल्दी से पहचान सकता है और उन पर कार्रवाई कर सकता है। दंड और ब्लैकलिस्टिंग की सख्त नीति पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखने में मदद करती है।

यह सब एक मजबूत क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा संभव हुआ है, जो राज्यों, अस्पतालों और डॉक्टरों के बीच निर्बाध डेटा शेयरिंग सुनिश्चित करता है। चाहे कोई मरीज ग्रामीण असम में हो या शहरी मुंबई में, वे अब केयर की एक ही निरंतरता की उम्मीद कर सकते हैं। जो प्रणाली कभी बिखरी हुई थी, वह अब एक एकीकृत, विश्वसनीय और तकनीक-सक्षम स्वास्थ्य सेवा नेटवर्क में विकसित हो रही है।

स्मार्ट एम्पैनलमेंट के साथ अस्पताल नेटवर्क की पुनर्कल्पना

आयुष्मान भारत की सबसे बड़ी ताकत इसका व्यापक और समावेशी अस्पताल नेटवर्क है। आज, 29,000 से ज़्यादा अस्पताल - सार्वजनिक और निजी दोनों का बराबर मिश्रण - इस योजना के तहत सूचीबद्ध हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे चिकित्सा मानकों और सामर्थ्य बेंचमार्क दोनों को पूरा करते हैं, प्रत्येक अस्पताल की कठोर गुणवत्ता जाँच और मूल्य निर्धारण ऑडिट किया गया है। यह सिर्फ़ संख्याओं के बारे में नहीं है - यह एक ऐसी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली बनाने के बारे में है जिस पर मरीज भरोसा कर सकें।

इस प्रणाली के मूल में एक फ्लेक्सिबल प्राइसिंग मॉडल है जो राज्य-विशिष्ट लागतों के अनुकूल है, यह सुनिश्चित करता है कि अस्पतालों को उचित भुगतान की जाए जबकि मरीजों के लिए उपचार निःशुल्क और कैशलेस हो। लाभार्थियों के पास अब सामान्य चिकित्सा और सर्जरी से लेकर कार्डियोलॉजी और ऑन्कोलॉजी तक 27 specialties में 1,961 procedures तक पहुँच है, बगैर बिल की चिंता किए।

इस यात्रा में निजी क्षेत्र की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण रही है। जो हिचकिचाहट से शुरू हुआ था, वह सक्रिय सहयोग में बदल गया है। निजी अस्पतालों, खासकर ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में, उन रोगियों की लगातार आमद देखी जा रही है, जो पहले उनकी पहुँच से बाहर थे। सुनिश्चित भुगतान और सुव्यवस्थित दावा प्रक्रिया के साथ, सिस्टम में भरोसा बढ़ा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि छोटे निजी अस्पताल भी - न केवल बड़े कॉर्पोरेट नाम - इस योजना के तहत फल-फूल रहे हैं, जिससे भारत के स्वास्थ्य सेवा इकोसिस्टम में संतुलन और अधिक समानता आ रही है।

स्वास्थ्य सेवा की अर्थव्यवस्था में बदलाव

आयुष्मान भारत, भारत में स्वास्थ्य सेवा अर्थशास्त्र के काम करने के तरीके को बदल रहा है, खास तौर पर निजी क्षेत्र के लिए। परंपरागत रूप से प्रति मरीज हाई मार्जिन पर ध्यान केंद्रित करने वाले कई अस्पताल अब वॉल्यूम-ड्राइव मॉडल में वैल्यू देखते हैं - सरकार समर्थित कवरेज के माध्यम से कम लागत पर अधिक रोगियों का इलाज करना। हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, जिला स्तर पर AB PM-JAY योजना के तहत संचालित 100 बिस्तरों वाला एक निजी अस्पताल चार साल के भीतर financially viable हो सकता है, उसके बाद लाभदायक हो सकता है।

यह बदलाव विशेष रूप से टियर 2 और टियर 3 शहरों में महत्वपूर्ण है, जहाँ स्वास्थ्य सेवा की मांग तेजी से बढ़ रही है। यह योजना न केवल देखभाल तक पहुँच का विस्तार कर रही है, बल्कि क्षेत्रीय स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश को भी प्रोत्साहित कर रही है, रोजगार सृजन का समर्थन कर रही है और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा दे रही है। भूमि सब्सिडी जैसे सरकारी समर्थन से breakeven timelines में और तेज़ी आती है, जिससे स्वास्थ्य सेवा न केवल सुलभ हो जाती है बल्कि एक स्मार्ट निवेश भी बन जाती है।

पेशेंट एक्सपीरियंस में बदलाव

आयुष्मान भारत का असली असर इसके लाभार्थियों की नज़र से ही देखा जा सकता है। लाखों लोगों के लिए इसने डर की जगह राहत ला दी है - कैशलेस उपचार की पेशकश की है जिससे मरीज़ों को अस्पताल के बिलों पर नहीं बल्कि इलाज पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति मिलती है। सार्वजनिक और निजी अस्पतालों के बीच चयन करने की स्वतंत्रता के साथ, लोग अब सम्मान और नियंत्रण के साथ देखभाल प्राप्त कर सकते हैं, जो गरीबों के स्वास्थ्य सेवा अनुभव में एक बड़ा बदलाव दर्शाता है।

आयुष्मान भारत एक वैश्विक उदाहरण बनकर उभरा है कि जब स्वास्थ्य सेवा को बड़े पैमाने पर और सहानुभूति के साथ डिज़ाइन किया जाता है तो क्या संभव हो सकता है। दुनिया की सबसे बड़ी public health assurance scheme के रूप में, इसने अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया और लैटिन अमेरिका के देशों का ध्यान आकर्षित किया है, जो किफायती, उच्च प्रभाव वाली स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए इसके मॉडल को अपनाना चाहते हैं।

आज, आयुष्मान भारत के अंतर्गत यूरोपीय संघ की पूरी आबादी से ज़्यादा भारतीय शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक को सालाना 5 लाख रुपये का सरकारी स्वास्थ्य बीमा मिलता है। इसका डिजिटल-फर्स्ट, जन-केंद्रित दृष्टिकोण नए मानक स्थापित कर रहा है - दुनिया को दिखा रहा है कि बड़े पैमाने पर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियाँ न केवल कुशल हो सकती हैं, बल्कि बेहद मानवीय भी हो सकती हैं।

स्वास्थ्य-संप्रभु भारत की ओर

जैसा कि हम भविष्य की ओर देखते हैं, आयुष्मान भारत curative care से आगे बढ़ रहा है। Health and Wellness Centres (HWCs) के माध्यम से, रोकथाम, प्रारंभिक जांच और जीवनशैली प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। टेलीमेडिसिन, AI डायग्नोस्टिक्स और स्वदेशी स्वास्थ्य सेवा इनोवेशंस का एकीकरण अगले मोर्चे को चिह्नित करता है - जो हमें सच्ची स्वास्थ्य संप्रभुता के करीब ले जाता है, जहां हर भारतीय के पास न केवल स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच है, बल्कि उनकी well-being पर ownership भी है।

आयुष्मान भारत दिवस सिर्फ़ एक स्मरणोत्सव नहीं है — यह भारत की उस इच्छा का उत्सव है जो यह सुनिश्चित करती है कि गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा सिर्फ़ कुछ लोगों का विशेषाधिकार न हो, बल्कि सभी का अधिकार हो। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, मिशन स्पष्ट है: एक ऐसी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का निर्माण करना जो समावेशी, इंटेलिजेंट और सबसे बढ़कर मानवीय हो।

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प्रधानमंत्री 20-21 दिसंबर को असम का दौरा करेंगे
December 19, 2025
प्रधानमंत्री असम में लगभग 15,600 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और आधारशिला रखेंगे
प्रधानमंत्री गुवाहाटी में लोकप्रिय गोपीनाथ बरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के नए टर्मिनल भवन का उद्घाटन करेंगे
लगभग 1.4 लाख वर्ग मीटर में विस्तारित यह नया टर्मिनल भवन प्रति वर्ष 1.3 करोड़ यात्रियों को संभालने की क्षमता रखता है
नए टर्मिनल भवन की प्रेरणा "बांस के उद्यान" विषय के अंतर्गत असम की जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत से ली गई है
प्रधानमंत्री डिब्रूगढ़ के नामरूप में असम वैली फर्टिलाइजर एंड केमिकल कंपनी लिमिटेड की अमोनिया-यूरिया उर्वरक परियोजना के लिए भूमिपूजन करेंगे
इस परियोजना का निर्माण 10,600 करोड़ रुपये से अधिक के अनुमानित निवेश से किया जाएगा और यह असम तथा पड़ोसी राज्यों की उर्वरक आवश्यकताओं को पूरा करने और आयात पर निर्भरता कम करने में सहायता प्रदान करेगी
प्रधानमंत्री गुवाहाटी के बोरागांव स्थित शहीद स्मारक क्षेत्र में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 20-21 दिसंबर को असम की यात्रा पर रहेंगे। 20 दिसंबर को दोपहर लगभग 3 बजे प्रधानमंत्री गुवाहाटी पहुंचकर लोकप्रिय गोपीनाथ बारदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के नए टर्मिनल भवन का निरीक्षण और इसका उद्घाटन करेंगे। इस अवसर पर वे एक जनसभा को संबोधित करेंगे।

21 दिसंबर को सुबह लगभग 9:45 बजे, प्रधानमंत्री गुवाहाटी के बोरागांव स्थित शहीद स्मारक क्षेत्र में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इसके बाद, वे असम के डिब्रूगढ़ जिले के नामरूप जाएंगे, जहां वे असम वैली फर्टिलाइजर एंड केमिकल कंपनी लिमिटेड की अमोनिया-यूरिया परियोजना के लिए भूमि पूजन करेंगे। वे इस अवसर पर एक सभा को संबोधित भी करेंगे।

20 दिसंबर को प्रधानमंत्री गुवाहाटी में लोकप्रिय गोपीनाथ बारदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के नए टर्मिनल भवन का उद्घाटन करेंगे, यह असम की कनेक्टिविटी, आर्थिक विस्तार और वैश्विक जुड़ाव में एक परिवर्तनकारी उपलब्धि सिद्ध होगा।

लगभग 1.4 लाख वर्ग मीटर में विस्तारित नवनिर्मित एकीकृत नया टर्मिनल भवन, रनवे, एयरफील्ड सिस्टम, एप्रन और टैक्सीवे में किए गए बड़े उन्नयन के समर्थन से, प्रति वर्ष 1.3 करोड़ यात्रियों को संभालने की क्षमता के साथ तैयार किया गया है।

भारत का पहला प्रकृति-विषय से जुड़ा यह हवाई अड्डा टर्मिनल, असम की जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत से प्रेरित है, जिसका विषय "बांस के उद्यान" है। टर्मिनल में पूर्वोत्तर से प्राप्त लगभग 140 मीट्रिक टन बांस का अभूतपूर्व उपयोग किया गया है, जो काजीरंगा से प्रेरित हरे-भरे परिदृश्य, जापी आकृतियां, प्रतिष्ठित गैंडे का प्रतीक और कोपो फूल को प्रतिबिंबित करने वाले 57 बाग-विषय वाले स्तंभों से पूरित है। एक अनूठा "आकाश वन", जिसमें लगभग एक लाख स्थानीय प्रजातियों के पौधे हैं और यह यहां आने वाले यात्रियों को वन जैसा अनुभव प्रदान करता है।

यह टर्मिनल यात्रियों की सुविधा और डिजिटल नवाचार के क्षेत्र में नए मानक स्थापित करता है। तेज़ और सहज सुरक्षा जांच के लिए फुल-बॉडी स्कैनर, डिजियात्रा-सक्षम संपर्क रहित यात्रा, स्वचालित सामान प्रबंधन, त्वरित आव्रजन और एआई-संचालित हवाई अड्डा संचालन जैसी सुविधाएं निर्बाध, सुरक्षित और कुशल यात्रा सुनिश्चित करती हैं।

21 दिसंबर की सुबह नामरूप जाने से पहले, प्रधानमंत्री शहीद स्मारक क्षेत्र का दौरा करेंगे और ऐतिहासिक असम आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। यह छह वर्ष लंबा जन आंदोलन था जिसने विदेशियों से मुक्त असम और राज्य की पहचान की रक्षा के लिए सामूहिक संकल्प को मूर्त रूप दिया।

बाद में दिन में, प्रधानमंत्री असम के डिब्रूगढ़ जिले के नामरूप में ब्रह्मपुत्र घाटी उर्वरक निगम लिमिटेड (बीवीएफसीएल) के वर्तमान परिसर के भीतर स्थित नई ब्राउनफील्ड अमोनिया-यूरिया उर्वरक परियोजना का भूमिपूजन करेंगे।

प्रधानमंत्री के किसान कल्याण के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए, 10,600 करोड़ रुपये से अधिक के अनुमानित निवेश वाली यह परियोजना असम और पड़ोसी राज्यों की उर्वरक आवश्यकताओं को पूर्ण करेगी, आयात पर निर्भरता कम करने के साथ-साथ पर्याप्त रोजगार सृजित करेगी और क्षेत्रीय आर्थिक विकास को गति प्रदान करेगी। यह औद्योगिक पुनरुद्धार और किसान कल्याण की आधारशिला है।