Congress is out of the race in Uttar Pradesh: Narendra Modi

Published By : Admin | May 11, 2014 | 13:23 IST
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Excerpts from Shri Narendra Modi’s interview with Amar Ujala:

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी मानते हैं कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उत्तर प्रदेश में रेस से ही बाहर है।

अमर उजाला के आशुतोष चतुर्वेदी और संजय पांडेय को दिए ईमेल इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि यदि नीयत साफ हो तो कठिन से कठिन काम को भी अंजाम दिया जा सकता है। उनका मानना है कि देश के विकास के लिए हर राज्य के हिसाब से अलग-अलग विकास मॉडल बनाए जाने की जरूरत है। प‌ढ़िए नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू विस्तार से-

सवाल: आप प्रधानमंत्री बने तो आपकी प्राथमिकता क्या होगी? संभावित सरकार में आडवाणी जी, जोशी जी जैसे वरिष्ठ नेताओं की क्या भूमिका होगी

जवाब: सरकार बनने पर हमारा पहला काम सरकार तथा सरकारी व्यवस्था में लोगों का भरोसा लौटाना होगा। दूसरा अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए हम प्रभावी कदम उठाएंगे। महंगाई को काबू में करने के लिए भी तत्काल कदम उठाए जाएंगे। सरकारी व्यवस्था में जान फूंकना एवं निर्णय प्रक्रिया को कारगर बनाना होगा। इसके अलावा ‘पॉलिसी पैरालिसिस’ से निजात पाना भी हमारी प्राथमिकता होगी। वरिष्ठ नेताओं की भूमिका का सवाल सरकार बनने के बाद का है। समय आने पर इस पर भी फैसला ले लिया जाएगा।

सवालः चीन भारत के लिए समस्याएं पैदा करता है उसको लेकर आपकी क्या नीति होगी?

जवाबः अपनी सीमाओं की रक्षा करने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध रहेगी। परंतु जहां भी सीमा विवाद हो, परिपक्व तरीके से पड़ोसी देशों के साथ बैठकर शांतिपूर्ण रूप से समस्याओं का हल निकालने में हमारा विश्वास है। हम न किसी को आंख दिखाना चाहते हैं और न ही चाहते हैं कि कोई हमें आंख दिखाए। हम चाहते हैं कि आंख से आंख मिलाकर बात करें।

सवालः आपके और अमेरिका के संबंध सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बनते रहे हैं। अमेरिका के साथ संबंध किस दिशा में जाएंगे

जवाबः जब दो देशों के संबंधों की बात की जाए तो व्यक्तिगत क्षति या व्यक्तिगत अनुभव गौण हो जाते हैं। इस बारे में मेरे विचार बहुत स्पष्ट हैं। अमेरिका हो या दुनिया का कोई अन्य देश एक परिपक्व राष्ट्र के रूप में भारत सभी के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करने के लिए कटिबद्ध है। अमेरिका के साथ भारत के संबंधों में एक नए दौर की शुरूआत वाजपेयी जी की सरकार में हुई थी। हम उसे और आगे बढ़ाने के लिए काम करेंगे।

सवालः माना जा रहा है कि आपने सभी क्षेत्रीय दलों से बैर मोल ले लिया है। चाहे वह जयललिता हों या ममता या मायावती अगर सहयोग की जरूरत पड़ी तो बात कैसे बनेगी

जवाबः देखिए, चुनाव के दौरान आरोप-प्रत्यारोप का दौर तो चलेगा ही। और यही हमारे लोकतंत्र की विशेषता भी है। मुझे पूरा भरोसा है कि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार केंद्र में बनने जा रही है। भाजपा और साथी दल केंद्र में सरकार बनाने के लिए जरूरी संख्या बल अवश्य हासिल कर लेंगे। हमारा 25 दलों का बड़ा और ताकतवर गठबंधन है और शायद यह भारत के चुनावी इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा प्री पोल अलायंस है।

सवालः गांधी परिवार के बारे में आप क्या सोचते हैं। आप राहुल और सोनिया को तो निशाना बनाते हैं, लेकिन प्रियंका पर कुछ भी नहीं बोलते। जबकि वह आपके खिलाफ बोलने का कोई अवसर नहीं छोड़तीं। आपका क्या कहना है

जवाबः मैं पहले ही कह चुका हूं कि एक बेटी होने के नाते उन्हें अपनी मां और भाई के लिए प्रचार करने का पूरा अधिकार है। यह स्वाभाविक है कि एक बेटी अपनी माता का बचाव करेगी और एक बहन अपने भाई का बचाव करेगी। मुझे इससे कोई समस्या नहीं है।

सवालः राबर्ट वाड्रा आप सभी के निशाने पर हैं। उमा भारती कहती रही हैं कि एनडीए सरकार आई तो वाड्रा जेल में होंगे। वाड्रा के कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ क्या कोई जांच बिठाएंगे

जवाबः देखिए, हमारा देश कानून के मुताबिक चलता है। यह उच्च पदों पर बैठे लोगों की पसंद या नापसंद के आधार पर नहीं चलता। कानून के ऊपर कोई नहीं है चाहे वह स्वयं नरेंद्र मोदी की क्यों न हों। लिहाजा यह कोई बहस का मुद्दा नहीं है।

सवालः अहमद पटेल ने अमर उजाला से बातचीत में कहा है कि नरेंद्र मोदी किसी के दोस्त नहीं हो सकते। आप क्या कहना चाहेंगे?

जवाबः मेरा यह बिल्कुल स्पष्ट मत है कि राजनीति में प्रतिस्पर्धा तो हो सकती है, परंतु दुश्मनी नहीं। शायद किसी राजनीतिक मजबूरी के चलते अहमद भाई को ऐसा बयान देने के लिए विवश होना पड़ा होगा। परंतु जो आप कह रहे हैं वैसा बयान उन्होंने यदि दिया है तो मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि मुझे मेरी दोस्ती मुबारक और उन्हें उनकी दुश्मनी मुबारक।

सवालः महंगाई ने आम आदमी को तबाह कर दिया है आपने अपने भाषणों में जिक्र किया कि महंगाई पर रोक लगाएंगे। आखिर कैसे लगाम लगेगी महंगाई पर

जवाबः महंगाई पर लगाम लगाने के लिए मांग और आपूर्ति के असंतुलन को दूर करने की जरूरत है। इसके लिए खाद्य कानून एवं अन्य पदार्थों की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। यह तभी संभव होगा जब कृषि पर जोर दिया जाए और सिंचाई सुविधाओं का विकास किया जाए। हमें एक नई सोच के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। हमारी पार्टी के घोषणापत्र में कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का उल्लेख किया गया है। आश्चर्य की बात है कि आज हमारे देश में कृषि क्षेत्र का कोई रियल टाइम डाटा उपलब्ध नहीं है। लिहाजा कृषि विकास के लिए योजनाएं बनाने का कोई सटीक आधार नहीं होता। हम कृषि क्षेत्र का रियल टाइम डाटा हासिल कर उसके मुताबिक नीतियां और कार्यक्रम बनाएंगे। खाद्यान्न की कीमतों को सुव्यवस्थित रखने के लिए विशेषज्ञ फंड बनाया जाएगा। इसके अलावा हम गुजरात की श्वेत क्रांति का देश भर में प्रसार करना चाहेंगे।

सवालः एफडीआई के संबंध में आप क्या सोचते हैं। क्या यह भारत की आर्थिक प्रगति के लिए जरूरी है। रिटेल में एफडीआई को लेकर आप का क्या मानना है?

जवाबः अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए तेज विकास की जरूरत है। और विकास के लिए निवेश की आवश्यकता है। हमारे यहां निवेश तभी आएगा जब वातावरण अनुकूल होगा। निवेश तभी आएगा जब निवेशकों का भरोसा हम व्यवस्था में लौटा पाएंगे। ऐसे में नीतियों का महत्व तो है ही, परंतु विश्वसनीयता और ट्रैक रिकार्ड भी मायने रखता है। रिटेल एफडीआई में हमारा रुख पार्टी के घोषणापत्र में स्पष्ट कर दिया गया है।

सवालः उत्तर प्रदेश और बिहार से इतनी बड़ी संख्या में इतने बड़े-बड़े नेता आए फिर भी ये राज्य पिछड़े हुए हैं। इन राज्यों की स्थिति कैसे सुधारी जा सकती है

जवाबः आम तौर पर हमारे देश के लोगों की समस्याएं समान हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार की जनता को पिछले कई सालों से जातिवाद का जहर फैलाने वाली पार्टियों का कुशासन झेलना पड़ा है। विकास की राजनीति के बजाय यह राज्य अगड़ों-पिछड़ों की राजनीति के चलते विकास की दौड़ से काफी पिछड़ गए हैं। यही वजह है कि देश को अनेक कद्दावर नेता देने वाले ये राज्य आज बेहाल स्थिति में हैं। हमारा मानाना है कि जब तक उत्तर प्रदेश और बिहार विकास की दौड़ में आगे न आएं तब तक भारत विकसित नहीं हो सकता है। उत्तर प्रदेश एवं बिहार के लोगों में और विशेषकर वहां के युवाओं में इस बार भाजपा को लेकर बहुत उत्साह है बहुत आशाएं भी हैं। यदि हम सत्ता में आए तो इन राज्यों के विकास के लिए खास रोडमैप तैयार किया जाएगा। अहम बात नीयत की है। यदि आपकी नीयत सही है तो इन राज्यों में भी विकास की अपार संभावनाएं हैं। भरपूर प्राकृतिक संसाधन से लैस ये राज्य भ्रष्टाचार और कुशासन के चलते ही विकास से महरूम हैं। दरअसल अब ये स्पष्ट हो रहा है कि बिहार एवं उत्तर प्रदेश के लोग भी विकास एवं सुशासन के लिए उतने तत्पर हैं, जितने अन्य राज्यों के लोग। सो हमारी कोशिश होगी कि हम जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पुरजोर प्रयास करें।

सवालः यूपी में भाजपा कितनी सीटें जीतेगी? यूपी में प्रमुख प्रतिद्वंद्वी आप किसे मानते हैं? जवाबः भाजपा उत्तर प्रदेश में भारी अंतर से जीत दर्ज करने जा रही है। कांग्रेस तो रेस में है ही नहीं। वहीं समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की अवसरवादी राजनीति को भी जनता अब पहचान चुकी है। देश के सबसे बड़े राज्य की जनता में अब विकास की भूख जाग उठी है। भाजपा की रैलियों में उमड़ रहा अपार जन सैलाब इस बात का सबूत है कि उत्तर प्रदेश में इस बार मुकाबला भाजपा के पक्ष में एकतरफा जाने वाला है। संप्रदाय और जाति की घिसी पिटी राजनीति से ऊब चुकी जनता इस बार भाजपा की विकास की राजनीति पर अपनी मुहर लगाने जा रही है। हम उत्तर प्रदेश में इस बार अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे। जैसा कि मैंने सार्वजनिक रूप में कहा है, ‘इस बार यूपी में ‘सबका’ सफाया होने वाला है। यानी सपा बसपा और कांग्रेस का।’

सवालः यदि आप वाराणसी और वडोदरा दोनों सीटें जीतते हैं तो कौन सी सीट छोड़ेंगे

जवाबः इस बात का निर्णय मेरी पार्टी करेगी कि किस सीट से मैं लोकसभा में पार्टी का प्रतिनिधित्व करूंगा। पार्टी का अनुशासित कार्यकर्ता होने के नाते मैं अपनी पार्टी के निर्णय का पूरी निष्ठा से पालन करने को प्रतिबद्ध हूं।

सवालः बनारस की गली-मुहल्लों में चर्चा है कि मोदी के आते ही बनारस का कायाकल्प हो जाएगा। लोगों के बीच आपने भारी अपेक्षाएं जगा दी हैं, कैसे होगा यह सब

जवाबः देश की इस सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी को उसका पुराना गौरव दिलाने के लिए हम विशेष योजना कार्यान्वित करेंगे। हम वाराणसी को वैश्विक धरोहर स्थल के रूप में देखते हैं। ज्ञान आध्यात्म चिंतन और संस्कृति की इस नगरी को वैश्विक पर्यटन केंद्र बनाने की हमारी मंशा है। गंगा बनारस की जीवन रेखा है। और इसे माता का दर्जा हासिल है। लेकिन सरकारों की उदासीनता के चलते गंगा आज सर्वाधिक प्रदूषित नदियों में से एक मानी जा रही है। हालांकि इसके सफाई अभियान पर हजारों करोड़ खर्च करने का दावा किया जाता है। लेकिन हकीकत यह बताती है कि गंगा की सफाई के नाम पर सिर्फ भ्रष्टाचार ही हुआ है सफाई नहीं। हमारी सरकार गंगा के शुद्धीकरण का कार्य पूरी ईमानदारी से करेगी और दुनिया भर के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस न पहुंचे इसका ध्यान रखेगी। वाराणसी के बुनकर शहर के इतिहास का अभिन्न अंग हैं। बनारसी साड़ी न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर में विख्यात है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही इस विरासत को दिल्ली और लखनऊ की सरकारों की असंवेदनशीलता का खामियाजा भुगतना पड़ा। वाराणसी के हथकरघा उद्योग को आधुनिक बनाने तथा इसका वैल्यू एडीशन करने के लिए मैं प्रतिबद्ध हूं। इसके विकास के लिए जरूरी बेहतरीन कच्चे माल से लेकर उत्पाद की मार्केटिंग का काम हम सुनिश्चित करेंगे। ताकि बनारसी साड़ी के अतीत का वैभव फिर से स्थापित हो सके। दुनिया भर के ज्ञान केंद्र के रूप में प्रसिद्ध और देश-विदेश के पर्यटकों को लुभाने वाले बनारस में ढांचागत सुविधाएं अपनी बदहाली स्वयं बयां कर रही हैं। यह हमारी सरकारों की लापरवाही या फिर अज्ञानता ही है कि जिस ऐतिहासिक स्थल पर देश दुनिया के लोगों की आवाजाही है वह शहर मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। हम इस बात का पूरा ख्याल रखेंगे कि वाराणसी को ढांचागत सुविधाओं से लैस करें। सड़क बिजली पानी परिवहन और दुनिया भर के अतिथियों के सत्कार के लिए बेहतरीन होटलों की सर्वोत्तम सुविधाएं खड़ी करें। हम चाहते हैं कि पर्यटक जब यहां से वापस लौटे तो वह शहर की सुनहरी यादें अपनी स्मृति में लेकर जाए।

सवालः अपने नामांकन भरने के दौरान एक भावुक बयान दिया था, ‘ तो किसी ने मुझे भेजा है। और खुद आया हूं। मुझे मां गंगा ने बुलाया है।बनारस समेत समूचे यूपी में आप गंगा की स्थिति से भली भांति अवगत हैं कैसे करेंगे गंगा का उद्धार

जवाबः कोई भी काम आपके मनोबल से बड़ा नहीं होता। यदि मन में अटल विश्वास के साथ काम करने की नीयत हो तो हर काम को अंजाम दिया जा सकता है। जहां तक मां गंगा का सवाल है तो आज तक इस संबंध में सिर्फ कागजों पर बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाने के अलावा ठोस कुछ भी नहीं किया गया। केंद्र की सरकार ने गंगा सफाई के नाम पर हजारों करोड़ रुपये फूंक डाले परंतु गंगा आज भी मैली की मैली ही है। मैं यहां गुजरात का एक दृष्टांत पेश करना चाहता हूं। एक वक्त था जब अहमदाबाद में साबरमती नदी एक गंदे नाले के रूप में तब्दील हो गई थी। नदी जैसा कुछ बचा नहीं था। विशालकाय सूखा मैदान बन चुकी साबरमती नदी में शहर भर की गंदगी का अंबार लगा रहता था। हमने शहर के मध्य से गुजरने वाली इस नदी में सफाई अभियान चलाया। नदियों को जोड़ने की योजना के तहत इसे नर्मदा के पानी से छलकाकर वास्तव में इठलाती नदी की सूरत प्रदान की। आज साबरमती नदी शहरवासियों की सैर का मुख्य ठिकाना बन गई है। इससे शहर में खूबसूरती तो बढ़ी ही है, साथ ही बारहों महीने पानी से लबालब होने के कारण शहर का जलस्तर भी ऊंचा हो गया है। कहना सिर्फ इतना है कि एक राज्य के रूप में सीमित संसाधनों के बल पर हमने ऐसी नदी का कायापलट किया जो अपना वास्तविक स्वरूप खो चुकी थी। जाहिर है कि गंगा की सफाई का काम भी कुछ इसी तरह करना होगा। हां इसका दायरा जरूर विशाल होगा। लेकिन बात नीयत और जज्बे की है। करोड़ों देशवासियों की आस्था से जुड़ी मां गंगा के उद्धार के लिए हम ठोस योजना के साथ कार्य को अमली जामा पहनाएंगे।

सवालः चुनाव अभियान के दौरान आप देश भर में घूमे, साथ ही यूपी के लगभग प्रमुख शहरों में आपकी रैलियां हुईं। लोगों की अपेक्षाएं चरम पर हैं। समूचे यूपी का पुनरुद्धार कैसे करेंगे? जवाबः पिछले बरसों के दौरान राजनीति के गिरते स्तर ने सरकारों के प्रति लोगों के मन में तिरस्कार और निराशा की भावना पैदा कर दी है। लंबे अरसे के बाद चुनावी राजनीति में जनता की दिलचस्पी उभरकर सामने आ रही है। समूचे देश में आशा का संचार हो रहा है। मैं इस बात से बखूबी वाकिफ हूं कि जनता को भाजपा से बहुत उम्मीदें हैं। मैं समझता हूं कि हमारी जनता को भी सपने संजोने एवं आशाओं के दीप प्रज्वलित करने का अधिकार है। अपेक्षाओं का चरम पर होना कोई बुरी बात नहीं है। हमें इन बातों का पूरी तरह से ध्यान है और उसी के मुताबिक कड़ी मेहनत करने की मानसिक तैयारी भी हम कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश का विकास हमारी प्राथमिकता में है। इस राज्य के विकास के साथ पश्चिम और पूर्वी भारत के बीच विकास के असंतुलन को साधने में काफी मदद मिलेगी।

सवालः बगैर राज्य सरकार के सहयोग के केंद्र सरकार अकेले कैसे किसी राज्य का स्तर उठा सकती है? जवाबः यह सही है कि केंद्र और राज्य के सहयोग से प्रगति की राह आसान हो जाती है। नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन में दोनों पक्षों की सहभागिता विकास को एक नई ऊंचाई प्रदान करती है। हमारा पुरजोर प्रयास होगा कि हम केंद्र और राज्यों के बीच सद्भावनापूर्ण संबंध स्थापित करें। विवादास्पद मुद्दों पर आम सहमति बनाने की कोशिश करें। देशहित का ध्यान रखते हुए हम एक श्रेष्ठ भारत के निर्माण की दिशा में कार्यरत रहेंगे।

सवालः उत्तराखंड में चुनाव प्रचार के दौरान आपने कहा कि उत्तराखंड की त्रासदी ने आपको झकझोर दिया था, लेकिन मुझे आंसू पोंछने की इजाजत नहीं मिली। अब उत्तराखंड के विकास का आपके पास क्या मॉडल है

जवाबः हम सभी पर्वतीय और दूरदराज स्थित राज्यों की विशेष जरूरतों और समस्याओं को समझते हैं। इन राज्यों की सरकारों की सलाह से राज्य आधारित विकास प्राथमिकता मॉडल तैयार किए जाएंगे ताकि लोगों की आकांक्षाएं पूरी हो सकें। भाजपा वैश्विक स्तर पर हिमालय के संरक्षण के लिए चेतना जगाने को प्रतिबद्ध है। इसके तहत कई कदम उठाएं जाएंगे जैसे विभिन्न प्रदेशों और क्षेत्रों को समन्वित कर अंतर-सरकारी साझेदारी के अंतर्गत एक अद्भुत और अभूतपूर्व कार्यक्रम ‘नेशनल मिशन ऑन हिमालय’ शुरू करना। हिमालय संरक्षण फंड की स्थापना करना। हिमालय प्रौद्योगिकी को समर्पित एक केंद्रीय प्रौद्योगिकी की स्थापना करना। हिमालय के ग्लेशियर (जहां से उत्तर भारत की ज्यादातर नदियां निकलती हैं) को पिघलने से बचाने के लिए विशेष कार्यक्रम को महत्व के हिसाब से क्रियान्वित करना। भाजपा उत्तराखंड की खास समस्याओं तथा चुनौतियों का अध्ययन कर विकास की दिशा में उचित कदम उठाएगी।

सवालः पर्यटन उद्योग पर आपका फोकस रहा है। हिमाचल में आपने पर्यटन की अपार संभावनाएं बताईं हैं। आपने खुद को हिमाचल के साथ भावनात्मक रूप में जोड़ा है। हिमाचल की दुर्गम पहाड़ियों के बीच आप विकास का रास्ता कैसे निकालेंगे

जवाबः निश्चित तौर पर पर्यटन आज दुनिया की अर्थव्यवस्था में अहम रोल अदा कर रहा है। हमारे देश में भी पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। लेकिन अफसोस हम इसका फायदा नहीं उठा पाए। पहाड़ों की नैसर्गिक खूबसूरती के जरिए सैलानियों का मन मोह लेने वाले हिमाचल में पर्यटन उद्योग के लिए अनुकूल माहौल है। जरूरत है तो बस सरकार द्वारा इस दिशा में कार्य करने की। हम हिमाचल में पर्यटन विकास के लिए स्थानीय वस्तुस्थिति को ध्यान में रखते हुए योजना बनाएंगे। हमारे देश में आध्यात्म की बहुमूल्य विरासत है। हिमाचल में दुनिया भर के बौद्ध मतावलंबियों को आकर्षित करने का माद्दा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि पर्यटन उद्योग के विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर एक पूर्व शर्त मानी जाती है। सड़क बिजली पानी और परिवहन जैसी प्राथमिक सुविधाएं सैलानियों की राह आसान करती है। हमारा प्रयास होगा कि हिमाचल में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने पर विशेष ध्यान दें।

सवालः कश्मीर देश की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, इसे कैसे संभालेंगे

जवाबः कश्मीर भारत का अविभाज्य हिस्सा है। मेरा मानना है कि वहां के लोगों की देश के संविधान में उतनी ही आस्था है, जितनी अन्य राज्यों के लोगों की। इसी तरह भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार उन्हें भी उतने ही हासिल हैं, जितने देश के अन्य नागरिकों को। कश्मीर समस्या दशकों से देश के लिए बड़ी चुनौती रही है। मौजूदा हालात में दो चीजों पर काम करने की जरूरत है, पहली बात कश्मीरी जनता का दिल जीतना। शुरू से ही भ्रामक स्थिति में जी रहे कश्मीरियों को भरोसा दिलाना होगा कि समूचा देश उनके साथ खड़ा है। कश्मीर की तरक्की और अमनचैन के लिए हम नेक नीयत के साथ प्रयास करेंगे। दूसरी बात अविश्वास की खाई को पाटना। कश्मीरी जनता के मन में जो भी अविश्वास है उसे दूर करने के लिए सार्थक प्रयास किए जाएंगे। इसके तहत कश्मीरियों को सुशासन की छांव में सुरक्षा के अहसास के साथ विकास का साझीदार बनाया जाएगा। राज्य में व्याप्त बेरोजगारी से निपटने के लिए विशेष कदम उठाए जाएंगे। इसके अलाव कश्मीर में व्यवसाय और पर्यटन को नई ऊंचाई पर ले जाने की भी हमारी पार्टी की मंशा है। कुल मिलाकर कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत की नीति पर चलते हुए राज्य को सचमुच ही इस पृथ्वी का स्वर्ग बनाने का हर संभव प्रयास करेंगे।

सवालः पाकिस्तान भारत को लगातार चुनौती देता है, लेकिन यह भी सच है कि आप पड़ोसी नहीं बदल सकते। पाकिस्तान को कैसे साधेंगे

जवाबः मैं अपने विचार इस बारे में पहले ही व्यक्त कर चुका हूं कि हम वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत में विश्वास करते हैं। दोनों देशों का संबंध आपसी सम्मान और सहअस्तित्व पर आधारित होना चाहिए। भारत-पाकिस्तान का एक साझा इतिहास रहा है। दोनों देशों की साझी विरासत है। गरीबी से दोनों जूझ रहे हैं। समाज का एक बड़ा तबका गरीबी की वजह से शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनेक समस्याओं से जूझ रहा है। मैं समझता हूं कि आपस में लड़ने के बजाय दोनों मुल्कों का गरीबी के खिलाफ लड़ना ज्यादा जरूरी है।

Courtesy: Amar Ujala

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PM Modi’s interview to Yomiuri Shimbun in Japan
May 20, 2023
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In a interview with the Yomiuri Shimbun, Indian Prime Minister Narendra Modi, who was invited to the G7 summit, underscored the importance of cooperation between the G7 and G20 in addressing pressing global issues. Modi, who also chairs the G20, emphasized his commitment to leading the international community in resolving the challenges of the "Global South," including developing and emerging countries.

Modi noted the geopolitical tensions causing disruptions in food and energy supply chains, stressing the need for collaboration with Japan and like-minded countries to continuously address the core concerns of developing countries.

Regarding Russia's invasion of Ukraine, Modi reaffirmed his strong support for an international order based on respect for national sovereignty and territorial integrity, underlining the significance of the UN Charter and international law.

Although India is not a party to the Nuclear Non-Proliferation Treaty and is believed to possess nuclear weapons independently, Modi unequivocally stated that the use of weapons of mass destruction is absolutely unacceptable. He expressed his readiness to work with all countries towards a world without nuclear weapons, a vision promoted by Prime Minister Kishida.

Question 1: What is the significance of your participation in the G7 Summit as the chair of the G20 at this juncture of international affairs?

The G7 and G20 summits are crucial platforms for global cooperation. As the G20 chair, I will represent the perspectives and priorities of the Global South at the G7 Summit in Hiroshima. Strengthening collaboration between the G7 and G20 is vital in addressing global challenges like climate change, supply chain disruptions, economic recovery, energy instability, healthcare, food security, and peace and security. The Special Strategic and Global Partnership between India and Japan provides a strong foundation for our joint efforts, contributing to global cooperation on these issues.

Question 2: How do you view Russia's invasion of Ukraine, and how does India respond to negative reactions regarding its abstention from voting on UN resolutions and increased oil imports from Russia?

India advocates for dialogue and diplomacy to resolve disputes and prioritize the well-being of people affected by rising costs of essentials. India abstained from UN General Assembly resolutions to condemn the invasion but remains committed to upholding the UN Charter, international law, sovereignty, and territorial integrity. India supports a peaceful resolution to the Ukraine crisis and is ready to contribute constructively within the UN and beyond.

Question 3: As a prominent leader of the Global South, how do you view the intensifying rivalries among major powers and how will India work with them to attain global peace and stability?

The world faces challenges like the COVID-19 pandemic, disruptions in supply chains, terrorism, and climate change, disproportionately affecting the developing world. India prioritizes addressing these concerns and emphasizes human-centric development through collaboration with Japan and other partners. India aims to serve as a bridge between different voices, promoting a constructive agenda focused on achieving shared objectives for the betterment of humanity.

Question 4: How will India address China's military expansion in the South China Sea and the East China Sea, and the rising tension in the Taiwan Strait to maintain international law and territorial integrity?

India stands for respecting sovereignty, peaceful resolution of disputes, and adherence to international law. India is committed to protecting its sovereignty and integrity while promoting peaceful resolution of maritime disputes based on international law. India has successfully resolved land and maritime boundaries with Bangladesh, showcasing its approach.

Disclaimer: This is an approximate translation of the Prime Minister's interview. The original interview published in Japanese language and may be accessed here