QuoteToday, the whole country is fighting against Coronavirus: PM Modi
QuoteMahabharata war took 18 days to conclude, the war against Coronavirus will take 21 days
QuotePM Modi advises people to follow the lockdown and stay indoors to fight against Coronavirus

हर-हर महादेव !!

काशी के सभी बहनों-भाइयों को मेरा प्रणाम।

आज काबुल में गुरुद्वारे में हुए आतंकी हमले से मन काफी दुखी है। मैं इस हमले में मारे गए सभी लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं।

साथियों,

आज नववर्ष का पहला दिन है। चैत्र नवरात्र के पावन पर्व का पहला दिन है। आप सभी पूजा-अर्चना में व्यस्त होंगे। इसके बीच आपने इस कार्यक्रम के लिए समय निकाला, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं।

 

साथियों,

आप जानते हैं, नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री स्नेह, करुणा और ममता का स्वरूप हैं।  उन्हें प्रकृति की देवी भी कहा जाता है।

आज देश जिस संकट के दौर से गुजर रहा है, उसमें हम सभी को मां शैलसुते के आशीर्वाद की बहुत आवश्यकता है। मेरी मां शैलपुत्री से प्रार्थना है, कामना है corona महामारी के विरुद्ध जो युद्ध देश ने छेड़ा है, उसमें हिन्दुस्तान को, एक सौ तीस करोड़ देशवासियों को विजय प्राप्त हो।

काशी का सांसद होने के नाते मुझे, ऐसे समय में आपके बीच होना चाहिए था। लेकिन आप यहां दिल्ली में जो गतिविधियां हो रही हैं, उससे भी परिचित हैं। यहां की व्यस्तता के बावजूद, मैं वाराणसी के बारे में निरंतर अपने साथियों से update ले रहा हूं।

साथियों,

याद कीजिए, महाभारत का युद्ध 18 दिन में जीता गया था। आज corona के खिलाफ जो युद्ध पूरा देश लड़ रहा है, उसमें 21 दिन लगने वाले हैं। हमारा प्रयास है इसे 21 दिन में जीत लिया जाए।

महाभारत के युद्ध के समय भगवान श्री कृष्ण महारथी थे, सारथी थे। आज 130 करोड़ महारथियों के बलबूते पर,  हमें corona के खिलाफ इस लड़ाई को जीतना है। इसमें काशी वासियों की भी बहुत बड़ी भूमिका है।

काशी के बारे में कहा गया है-

मुक्ति जन्म महि जानि, ज्ञान खानि अघ हानि कर।

जहां बस संभु भवानि, सो कासी सेइअ कस न?

अर्थात, ये ज्ञान की खान है, पाप और संकट का नाश करने वाली है।

संकट की इस घड़ी में, काशी सबका मार्गदर्शन कर सकती है, सबके लिए उदाहरण प्रस्तुत कर सकती है।

काशी का अनुभव शाश्वत, सनातन, समयातीत है।

और इसलिए, आज लॉकडाउन की परिस्थिति में काशी देश को सिखा सकती है-  संयम,

समन्वय और संवेदनशीलता।

काशी देश को सिखा सकती है- सहयोग, शांति, सहनशीलता।

काशी देश को सिखा सकती है- साधना, सेवा, समाधान

 

साथियों,

काशी का तो अर्थ ही है शिव।

शिव यानि कि कल्याण।

शिव की नगरी में, महाकाल महादेव की नगरी में संकट से जूझने का, सबको मार्ग दिखाने का सामर्थ्य नहीं होगा तो फिर किसमें होगा?

 

साथियों,

corona वैश्विक महामारी को देखते हुए देश भर में व्यापक तैयारी की जा रही है।

 

लेकिन हमें ये सब के लिए मेरे लिए भी और आपके लिए भी ध्यान रखना है कि Social Distancing, घरों में बंद रहना इस समय एकमात्र सबसे बेहतर उपाय है।

मुझे ऐहसास है कि आप सभी के बहुत सारे प्रश्न होंगे, कुछ चिंताएं भी होंगी और मेरे लिए कुछ सुझाव भी होंगे।

तो आइए, हम अपने संवाद की शुरूआत करते हैं। आप अपना सवाल पूछेंगे मैं जरूर अपनी बात रखने का प्रयास रखूंगा।

 

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नमस्कार प्रधानमंत्री जी 

नमस्कार

 

प्रश्न- मैं प्रोफेसर कृष्णकांत बाजपेयी हूं। मैं वाराणसी में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइनिंग टेक्नॉलोजी का निदेशक हूं साथ में, ब्लॉगर हूँ, राइटर हूँ और वर्तमान में जो आपने corona के खिलाफ युद्ध छेड़ा है उसने एक सैनिक हूं और सैनिक होने के नाते हम लोग कुछ दिनों से काम कर रहे हैं। जागरूकता भी कर रहे हैं। और उसमें पता चलता है, जब कई लोगों से बात करते हैं, तो बहुत से लोग ऐसा कहते हैं कि यह बीमारी हमें नहीं हो सकती है, क्योंकि हमारा खान-पान जिस तरह का है, जैसा हमारा परिवेश है, जैसे हमारे रीति-रिवाज और परंपराएं हैं और वातावरण भी कि गर्मी आने वाली है, ज्यादा गर्मी हो जाएगी है, तो यह virus खत्म हो जाएगा, हम लोगों को नहीं होगा तो इसलिए कई चीजों को लेकर उदासीनता हो जाती है उसमें मार्गदर्शन करें।

 

कृष्णकांत जी मुझे बहुत गर्व होता है जब आप जैसे प्रबुद्ध नागरिकों को अपने व्यक्तिगत कार्यों, अपने व्यवसाय के साथ ही लोगों को जागरूक करने के महत्वपूर्ण काम को करते हुए देखता हूं। 

आपका यह सेवाभाव और समाज के प्रति यह संवेदना जरूर परिणाम लाएगी, जरूर हमें corona के खिलाफ इस लड़ाई में विजय दिलाएगी।

आपने जो बात कही वह सही है कि कई लोगों को इस बारे में कुछ गलतफहमी है देखिए मनुष्य का स्वभाव होता है कि जो कुछ भी सरल हो, खुद को जरा भाता हो, अनुकूल हो, उसे बस तुरंत स्वीकार कर लेता है कोई बात आपको अपने पसंद की लगती है आपको सूट करती है तो आप उसे तुरंत सच मान लेते हैं, ऐसे में कई बार होता यह है कि कई अहम बात जो प्रामाणिक होती है अधिकृत होती है उस पर लोगों का ध्यान जाता ही नहीं है हमारे यहां भी कुछ लोगों के साथ यही हो रहा है मेरा ऐसे लोगों से आग्रह है कि जितनी जल्दी हो सके अपनी गलतफहमी से बाहर निकलें, सच्चाई को समझें देखिए इस बीमारी में जो बातें सामने आई है उसमें सबसे बड़ी सच्चाई यह है कि यह बीमारी किसी से भी भेदभाव नहीं करती है। यह समृद्ध देश पर भी कहर बरपाती है और गरीब के घर पर भी कहर बरपाती आती है। यहां तक कि लोग व्यायाम करते हैं, अपने स्वास्थ्य का बहुत ध्यान रखते हैं यह virus उनको भी अपनी चपेट में ले लेता है। इसलिए कौन क्या है, कहां है, क्या काम करता है क्या नहीं करता, इसका कोई महत्व नहीं है। इन सब में दिमाग लगाने के बजाय बीमारी कितनी भयानक है कितनी खतरनाक है इस बात पर ही ध्यान केंद्रित किया जाए, यह समझना चाहिए। आपकी बात भी सही है कि कुछ लोग ऐसे हैं जो अपने कानों से सुनते हैं अपने आंखों से देखते हैं और अपनी बुद्धि से समझते भी हैं लेकिन अमल नहीं करते हैं उनको इन खतरों का पता ही नहीं होता यह बेफिक्र होते हैं क्या सावधानी बरतनी है उन्हें यह भी पता नहीं लेकिन वे उसी कभी अमल में लेना ही नहीं चाहते टीवी पर आपने कितनी बार देखा होगा सिगरेट पीने से कैंसर होता है गुटखा खाने से कैंसर होता है कई बार ऐसा होता है कि लोग सिगरेट पीते पीते ही इस तरह के advertisement देखते रहते हैं लेकिन इसका उनके मन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है यही जो बातें मैं कह रहा हूं लोग कई बार जानते बुझते हुए भी सावधानी नहीं बरतते हैं लेकिन हां नागरिक के रूप में हमें अपने कर्तव्य करते रहना चाहिए। हमें social distancing पर ध्यान देना चाहिए। हमें घर में रहना चाहिए और आपस में दूरी बनाए रखना चाहिए। corona जैसी महामारी से दूर रहने का अभी यही एकमात्र उपाय है। अगर व्यक्ति संयम से रहे और निर्देशों का पालन करें, तो वह तो उसके इस virus के आने के चपेट में आने की संभावना कम हो जाती है। आप ये भी ध्यान रखिए कि corona से संक्रमित, यह बहुत महत्वपूर्ण बात है corona से संक्रमित दुनिया में एक लाख से अधिक लोग ठीक भी हो चुके हैं और भारत में भी दर्जनों लोग corona के शिकंजे से बाहर निकले हैं।

कल तो एक खबर मैं देख रहा था कि इटली में 90 वर्ष से भी ज्यादा आयु की माताजी भी स्वस्थ हुई है।

मैं आपको यह भी जानकारी देना चाहता हूं कि corona से जुड़ी सही और सटीक जानकारी के लिए सरकार ने Whatsapp के साथ मिलकर एक हेल्प डेस्क भी बनाई है अगर आपके पास Whatsapp की सुविधा है, तो मैं एक नंबर लिखवाता हूं लिख लीजिए यह नंबर हर एक को काम आएगा अगर आप Whatsapp पर हैं तो इसका उपयोग कीजिए नंबर मैं लिखवाता हूं 9013 51 51 51 पर Whatsapp करके आप इस सेवा से जुड़ सकते हैं अगर आप Whatsapp पर नमस्ते लिखेंगे तो तुरंत आपको उचित जवाब आना शुरू हो जाएगा।

साथियों जो भी लोग मुझे सुन रहे, हमारे काशी के भाई-बहन और हिंदुस्तान के और कोई भी लोग भी सुन रहे हैं तो जरूर आप इस Whatsapp पर नमस्ते लिखेंगे अंग्रेजी में या हिंदी में तो आपको तुरंत आपको वह respond करेंगे तो आइए मैं कृष्णकांत जी का धन्यवाद करते हुए आगे चलता हूं।

 

नमस्कार प्रधानमंत्री जी

 

नमस्ते जी

 

प्रश्न - मेरा नाम मोहिनी झंवर है, मैं सामाजिक कार्यकर्ता हूं और महिलाओं के लिए काम करती हूं। सर social distancing का पता तो सभी को हैं लेकिन इससे कुछ आशंकाएं भी पैदा हो रही हैं जैसे media से पता चला कि देश के कुछ जगहों में डॉक्टर और अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारी एयलाइनों में काम करने वाले कर्मचारी उनके साथ corona के शक के साथ व्यवहार किया जाता है यह सब बातें पता चलने पर हमें बहुत ठेस पहुंचती है। बस यह जानना चाहती हूं कि सरकार उसके लिए क्या कदम उठा रही है।

 

मोहिनी जी आपकी पीड़ा सही है मेरी भी पीड़ा यही है कल मैंने nurses के साथ डॉक्टर के साथ lab technicians के साथ इन विषयों पर विस्तार से बात की है। इस देश के सामान्य मानवीय का मन अगर हम आमतौर पर देखें। मैं एक सामान्य जीवन की बात करता हूं तो सही समय पर सही काम करने और जरूरी कदम उठाने में सारे लोग सारे देश के लोग बहुत विश्वास रखते हैं आपने देखा होगा कि 22 मार्च को किस तरह पूरे देश ने जनता कर्फ्यू में बढ़-चढ़कर के अपनी भागीदारी निभाई और दुनिया को अचंभित कर दिया और फिर शाम को ठीक 5:00 बजे 5 मिनट तक कैसे देशभर के लोग अभिवादन के लिए सामने आए। साथ ही अलग-अलग जगहों से एक साथ एक मन होकर corona के खिलाफ हमारी जो नर्सेज लड़ रही हैं डॉक्टर लड़ रहे हैं लैब टेक्नीशियन लड़ रहे हैं पैरामेडिकल स्टाफ लड़ रहे हैं, उन सब के प्रति धन्यवाद का एक अभूतपूर्व दृश्य प्रस्तुत किया है यह पूरे देश ने किया है यह सम्मान का एक प्रकट रूप था लेकिन बहुत कम लोग इस बात को समझ पाते हैं कि इस छोटे से कार्यक्रम के द्वारा और भी कुछ हुआ है इसके अंतर्निहित एक अप्रकट बात हुई थी और आप तो मोहिनी जी समाज सेवा में लगी हुई हैं इस बात को बड़ी बातें समझ सकती हैं समाज के मन में इन सबके मन के लिए आदर सम्मान का भाव होता ही है डॉक्टर जिंदगी बचाते हैं, और हम उनका ऋण कभी नहीं उतार सकते हैं। जिन लोगों ने वुहान में रेस्क्यू ऑपरेशन किया, मैंने उनको पत्र लिखा, मेरे लिए वह पल बहुत भावुक था वह सिर्फ लिखने के लिए लिखा गया पत्र नहीं था अभी इटली से लोगों को लाने वाला एयरइंडिया के क्रू जिनमें सभी महिलाएं थी मैंने उनकी तस्वीर को भी social media पर साझा किया था शायद आप लोगों ने देखा भी हो। हां कुछ स्थानों से ऐसी घटनाओं की जानकारी भी मिली है जिसमें हृदय को गहरी चोट पहुंची है, बहुत दर्द होता है पीड़ा होती है मेरी सभी नागरिकों से अपील है कि अगर कोई गतिविधि ऐसी कहीं दिखाई दे रही है इस सेवा में रत इस महामारी से बचाने के लिए जो हमें हमारे काम में लगे हैं डॉक्टर हैं नर्स है मेडिकल के लोग हैं सफाई के लोग हैं अगर उनके साथ बुरा बर्ताव होता है तो आप भी अगर वहां उस इलाके के लोगों को जानते हैं तो उनको चेतावनी दीजिए उन को समझाइए कि आप यह गलत कर रहे हैं ऐसा नहीं कर सकते हैं और जो भी सेवा कर रहे हैं उनकी हमें मदद करनी चाहिए और बताना चाहिए कि ऐसा नहीं होना चाहिए और मैं आपको बता दूं जब कल सब डॉक्टर से बात कर रहा था मुझे पता चला घटना भले ही कहीं छुटपुट होंगी लेकिन मेरे लिए गंभीर है और इसलिए मैंने तत्काल गृह विभाग को, राज्यों के सभी डीजीपी को सख्ती से काम करने के लिए कहा है कि ऐसे कोई भी व्यक्ति, डॉक्टरों के साथ, नर्सों के साथ, सेवा करने वाले पैरामेडिकल के साथ, अगर इस प्रकार का कुछ भी करेंगे उनको बहुत महंगा पड़ेगा और सरकार सख्त कदम उठाएगी संकट की इस घड़ी में मैं देशवासियों का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा किस घड़ी में अस्पतालों में यह सफेद कपड़ों में दिख रहे डॉक्टर और नर्स ईश्वर का ही रूप है। आज यही हमें मृत्यु से बचा रहे हैं, अपने जीवन को खतरे में डाल कर के यह लोग हमारा जीवन बचा रहे हैं।

साथियों हमारे समाज में यह संस्कार दिनों दिन प्रबल होता है। यह हम सबका दायित्व है कि जो लोग देश की सेवा करते हैं देश के लिए खुद को खपाते हैं उनका सार्वजनिक सम्मान हर पल होते रहना चाहिए आपने देखा होगा कि बीते कुछ वर्षों में एक परंपरा हमारे सामने आती है देखने को मिलती है एयरपोर्ट पर जब फौज के जवान जाते हैं तो उनके सम्मान में लोग खड़े हो जाते हैं तालियां भी बजाते हैं यह आभार प्रकट करने का तरीका है हमारे संस्कारों में यह दिनों दिन बढ़ता ही जाना चाहिए। मोहिनी जी आप तो बहुत सेवा के कार्य में लगी हुई हैं इन दिनों आप भी जरूर कुछ ना कुछ करती होंगी मैं फिर आपका एक बार आभार व्यक्त करता हूं आइए काशी के किसी और से बात करने का मौका मिलेगा

 

प्रश्न - प्रणाम मैं अखिलेश प्रताप मैं कपड़े का व्यापारी हूं और मैं अपने इस काम के साथ-साथ समाज सेवा भी करता हूं। मेरे मन में यह प्रश्न था कि आज के दिन जो लॉकडाउन हो गया है इस वजह से बहुत से हमारे साथी लोग घर पर अटक गए हैं तथा हमारे जो गरीब लोग हैं प्रतिदिन मेहनत करके कमाते हैं, उन लोगों के सामने समस्या आई है, अगर हमारे बनारस सहित वाराणसी से पूरे देश में जो गरीब भर के लोग हैं इनके ऊपर विशेष ध्यान देने की जरूरत है तो मैं आप लोगों से निवेदन करता हूं कि हम लोगों को मार्गदर्शन दें जो राष्ट्र के युवा और समाज के जो लोग हैं वह किस तरह से इस संकट की घड़ी में इन लोगों की मदद कर सकते हैं।

 

काशी में बात और कपड़े वाले से बात ना हो तो बात अधूरी रह जाती है और अखिलेश जी मुझे खुशी है कि आप व्यापारी हैं लेकिन अपने सवाल गरीबों का पूछा। मैं बहुत आभारी हूं आपका। corona को पराजित करने के लिए एक रणनीति के तहत, विशेषज्ञों से मिले दिशानिर्देशों के मुताबिक ही यह कहा जा रहा है कि हर व्यक्ति दूसरे से कम से कम एक डेढ़ मीटर की दूरी पर रहे। यह corona के खिलाफ लड़ाई की सैन्य नीति है। मैं इसको सैन्य नीति कहूंगा।

साथियों हम इस बात पर विश्वास करने वाले लोग हैं, जो मानते हैं कि मनुष्य ईश्वर का ही अंश है व्यक्ति मात्र में ईश्वर का वास है यही हमारे संस्कार हैं यही हमारी संस्कृति है corona virus ना हमारी संस्कृति को मिटा सकता है और ना ही हमारे संस्कारों को मिटा सकता है और इसलिए संकट के समय हमारी संवेदनाएं और जागृत हो जाती हैं। corona के जवाब देने का दूसरा एक ताकतवर तरीका है और वह तरीका है करुणा। corona का जवाब करुणा से है। हम गरीबों के प्रति जरूरतमंदों के प्रति करुणा दिखा कर भी corona को पराजित करने का एक कदम यह भी ले सकते हैं हमारे समाज में हमारी परंपरा में दूसरों की मदद की एक समृद्ध परिपाटी रही है। हमारे यहां तो कहा जाता है साईं इतना दीजिए, जामे कुटुम समाय, मैं भी भूखा ना रहूं साधु भी ना भूखा रह जाए।

अभी नवरात्र शुरू हुआ है, अगर हम अगले 21 दिन तक और मैं यह बात अपने काशी के सभी भाई बहनों को कहना चाहूंगा कि जिनके पास जितनी शक्ति है देश में भी जिसके पास यह शक्ति है उनसे यही कहूंगा की नवरात्रि का जब प्रारंभ हुआ है तब अगले 21 दिन तक प्रतिदिन 9 गरीब परिवारों की मदद करने का प्रण लें। 21 दिन तक 9 परिवारों को आप संभाले। मैं मानता हूं कि अगर इतना भी हम कर लें, तो मां की इससे बड़ी आराधना क्या हो सकती है। यह सच्चा और पक्का नवरात्रा हो जाएगा इसके अलावा आपके आसपास जो पशु हैं उनकी भी चिंता करनी है लोकडाउन की वजह से अनेक पशुओं के सामने जानवरों के सामने भी भोजन का संकट आ गया है मेरी लोगों से प्रार्थना है कि अपने आसपास के पशुओं का भी ध्यान रखें। अखिलेश जी अगर मैं कहूं सब कुछ ठीक है सब कुछ सही है तो मैं मानता हूं कि मैं खुद को भी धोखा देने वाली बात कर रहा हूं।

इस समय केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें हो, जितना ज्यादा हो सके, जितना अच्छा हो सके इसके लिए भरसक प्रयास कर रही है मुझे राज्य सरकारों पर पूरा भरोसा है कि वह अपने राज्यों के प्रत्येक नागरिक की चिंताओं को समझते हुए पूरी संवेदनशीलता के साथ उनकी देखभाल करेगी लेकिन साथियों हम यह भी जानते हैं कि सामान्य परिस्थिति में यानी कोई तकलीफ नहीं है कोई आपदा नहीं कोई मुसीबत नहीं है सामान्य परिस्थिति में भी कभी बिजली चली जाती है कभी पानी आना बंद हो जाता है कभी हमारी मदद के लिए आने वाले कर्मचारी हैं वे अचानक लंबी छुट्टी ले लेते हैं तमाम तरह की दिक्कत है बिना बताए बिना किसी पूर्व सूचना के हमारे जीवन में आती रहती है यह हम सब हिंदुस्तानियों को अनुभव है ऐसे में और वह तो मैं संकट के समय नहीं सामान्य स्थिति में में भी आती है ऐसे में जब देश के सामने जब इतना बड़ा संकट हो पूरे विश्व के सामने इतनी बड़ी चुनौती हो तब मुश्किलें नहीं आएगी सब कुछ अच्छे से होगा यह कहना अपने साथ धोखा करने जैसा होगा मैं मानता हूं कि यह सवाल बहुत महत्वपूर्ण है कि व्यवस्था ठीक है या नहीं, सब कुछ सही से हो रहा है या नहीं नहीं हो रहा है लेकिन जरा पलभर सोचिए इससे भी महत्वपूर्ण ज्यादा सवाल यह है कि corona जैसे संकट में हमें तकलीफें सह करके भी हमें विजयी होना है या नहीं होना है, जो तकलीफें आज हम उठा रहे हैं जो मुश्किलें आज हो रही है उसकी उम्र फिलहाल 21 दिन ही है लेकिन corona का संकट समाप्त नहीं हुआ तो इसका फैलना नहीं रुका तो फिर यह संकट यह तकलीफे कितना ज्यादा नुकसान हो सकता है इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता ऐसे कठिन समय में प्रशासन के द्वारा नागरिकों के द्वारा सिविल सोसाइटी के द्वारा सामाजिक संगठन सांस्कृतिक संगठन धार्मिक संगठन राजनीतिक संगठन सबको जो भी कार्य कर रहे हैं उसे ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता है। आप सोचिए अस्पतालों में लोग 18-18 घंटे काम कर रहे हैं कई जगह अस्पतालों में हेल्थ सेक्टर से जुड़े लोगों को को 2 या 3 घंटे से ज्यादा सोने को नहीं मिल रहा है सोसाइटी के लोग हैं जो गरीबों की मदद के लिए दिन रात एक किए हुए हैं इस कठिन परिस्थिति में ऐसे लोगों को हमें नमन करना चाहिए। हां, हो सकता है कुछ जगहों पर कमियां हो किसी ने लापरवाही की हो, लेकिन ऐसी घटनाओं को खोज-खोज कर उन्हीं पर ध्यान केंद्रित करके उन्हीं को आधार बनाकर उसी को प्रचारित करना, उस सेक्टर को बदनाम करना, उनको हताश कर देना कर देना इससे ऐसे समय में कभी लाभ नहीं होता मैं तो आग्रह करूंगा हम समझे निराशा फैलाने के लिए हजारों कारण हो सकते हैं। मैं यह नहीं कह रहा सब गलत होते हैं हजारों कारण हो सकते हैं लेकिन जीवन तो आशा और विश्वास से ही चलता है नागरिक के नाते कानून और प्रशासन को जितना ज्यादा सहयोग करेंगे उतने ही बेहतर नतीजे निकलेंगे हम सभी का प्रयास होना चाहिए कि प्रशासन पर कम से कम दबाव डालें। प्रशासन का सहयोग करें। अस्पताल में काम करने वाले लोग, पुलिसकर्मी सरकारी दफ्तरों में अभी जो लोग काम कर रहे हैं, जो हमारे media कर्मी हैं यह कोई बाहर के लोग हैं क्या, बाहर से आए हैं क्या, यह हमारे ही लोग हैं जी, इतना बड़ा बोझ उन पर आए हैं तो कुछ बोझ हमें भी उठाना चाहिए हमें उनका हौसला बढ़ाना चाहिए। जो इस कठिन परिस्थिति में काम कर रहे हैं। अखिलेश जी व्यापार जगत में रहते हुए गरीबों की यह चिंता करने की आपकी यह भावना और देश ऐसे अखिलेशों से भरा हुआ है जी देश में ऐसे अखिलों की कमी नहीं है आइए हम मिलकर के गरीबों का भी भला करें, जिम्मा उठाएं और इस लड़ाई को जीते, आइए और भी कोई सवाल होंगे।  

 

प्रश्न- नमस्कार प्रधानमंत्री जी, मैं डॉक्टर गोपाल नाथ, प्रोफेसर माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट चिकित्सा विज्ञान संस्थान बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से हूं। corona के डायग्नोसिस लैब का इंचार्ज भी हूं तो 16 जिलों की जिम्मेदारी संभाल रहा हूं और साथ में मां गंगा के जल से bacteriophages...जिस समस्या पर मैं सवाल पूछने जा रहा हूं मैं उसकी वैकल्पिक व्यवस्था पर रिसर्च कर रहा हूं। प्रधानमंत्री जी हमारे यहां आमतौर पर लोगों की आदत है कि वह खुद से डॉक्टरी करने लग जाते हैं, उन्होंने कहीं से पढ़ लिया कहीं से सुन लिया, खुद से इलाज करने लग जाते हैं, जो एक बहुत ही खतरनाक स्थिति की ओर ले जाता है। यह मैं एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट होने के नाते कह सकता हूं corona की इस बीमारी में यह एक स्थिति और भयावह हो जाती है क्योंकि हम जानते हैं ना तो अभी वैक्सीन बन पाया है ना ही कोई स्पेसिफिक दवा डेवल हो पाई है फिर भी तरह-तरह की भ्रांतियां समाज में फैली हुई हैं क्या हमें समाज को इस दिशा में और अधिक जागरूक करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए

 

प्रोफेसर साहब आप तो स्वयं इस क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं और इसलिए और आप सच क्या है झूठ क्या है भली-भांति पकड़ सकते हैं इन विषय में हम से ज्यादा ज्ञान आपके पास है और उसके बाद भी आपको चिंता होना बहुत जायज है। हमारे यहां डॉक्टरों को पूछे बिना ही सर्दी, जुकाम बुखार की दवाई लेने की आदत है। रेल के डिब्बे में अगर हम ट्रैवल करते हैं और एक बच्चा रोने लग जाए और लंबे समय तक रोता है और बंद ना करें के सभी डिब्बों से लोग आकर के सलाह देंगे कि यह ले लो यह ले लो यह दे दो यह खिला दो यह हमने रेल के डिब्बों में देखा होगा मुझे लगता है कि हमें इन आदतों से बचना है corona के संक्रमण का इलाज अपने स्तर पर बिल्कुल नहीं करना है घर में रहना है और जो करना है सिर्फ और सिर्फ डॉक्टरों की सलाह से करना है। टेलीफोन पर अपने डॉक्टर से बात कीजिए उससे पूछिए अपनी तकलीफ बताइए क्योंकि करीब करीब सभी परिवारों में किसी न किसी डॉक्टर का परिचय होता है। हमें यह ध्यान रखना है कि अभी तक corona के खिलाफ कोई भी दवाई कोई भी दवाई कोई भी वैक्सीन पूरी दुनिया में नहीं बनी है इस पर हमारे देश में भी और दूसरे देशों में भी हमारे जितने साइंटिस्ट है वैज्ञानिक हैं अनुसंधान करने वाले लोग हैं वह तेजी से काम कर रहे हैं काम चल रहा है और इसलिए मैं कहूंगा देशवासियों अगर आपको कोई भी किसी भी प्रकार की दवाई का सुझाव दें कृपा करके अपने डॉक्टर से पहले बात कर लीजिए सिर्फ डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही आप दवाई खाएं आपने खबरों में भी देखा होगा की दुनिया के कुछ देशों में अपनी मर्जी से दवाई लेने के कारण कैसे जीवन संकट में पड़ गए हैं हम सभी को हर तरह की अफवाहों से, अंधविश्वासों से बचना है। डॉक्टर गोपाल जी आपका आभारी हूं कि क्योंकि आप तो विज्ञान के साथ जुड़े हुए हैं और गंगा जी की भी चिंता कर रहे हैं और यह समाज जीवन में जो चल रहा है उसकी चिंता कर रहे हैं। जो आपको चिंता लेकिन मुझे विश्वास है कि हमें लोगों को समझाना होगा। आइए गोपाल जी का धन्यवाद करते हुए अगला एक सवाल ले लेते हैं।

 

प्रश्न - नमस्कार प्रधानमंत्री जी मेरा नाम अंकिता खत्री है और मैं एक गृहणी होने के साथ-साथ विभिन्न रचनात्मक कार्य में सक्रिय हूं। इस समय आप की प्रेरणा से social media पर कुछ क्रिएटिव करो ना के हैशटैग के साथ एक अभियान का आरंभ किया है मैंने जिसमें काशी के विभिन्न रचनाकारों कलाकारों को आह्वान कर रही हूं,

अच्छा आपने भी मेरी तरह पोस्टर दिखा दिया।

सब आप की प्रेरणा से माननीय प्रधानमंत्री जी और आप की प्रेरणा से ही यही इस अभियान का आरंभ किया है क्योंकि हमेशा ही रचनात्मकता ही काम आती है, आप स्वयं इतने रचनात्मक सकारात्मक हैं, ऐसी नकारात्मक परिस्थिति में भी, मैंने कहीं सुना था कि जो रचता है, वही बचता है आप की प्रेरणा से इस अभियान का आरंभ किया है इसके अंतर्गत काशी के विभिन्न रचनाकारों को लेखकों को कवियों को चित्रकारों को आमंत्रित कर रही हूं और प्रयास रहेगा कि 21 दिवस का यह जो काल है उसमें उसका संकलन हो, उसका प्रकाशन हो और काशी की तरफ से हम आप को समर्पित कर सकें। किंतु एक गृहणी के रूप में मेरा सवाल है और एक चिंता है जिसे आपसे साझा करना चाहती हूं लॉकडाउन की इस अवधि में सारे बच्चे घर पर हैं और बच्चों को संभालना हमारे लिए दूर हो कार्य हो रहा है चुनौतीपूर्ण कार्य हो रहा है ऐसे में बच्चे ऐसे भी हैं जो जिनके एग्जाम प्रभावित हुए हैं मेरा खुद का बेटा बारहवीं का बोर्ड का एग्जाम दे रहा था और उसका एक पेपर स्थगित हो गया है तो घर वालों को थोड़ी सी चिंता बनी हुई है। तो क्या किया जाए।

 

मोहिनी जी पहली बात तो यह है कि आप रचनात्मक काम को बहुत अच्छे तरीके से कर रही हैं और उसके कारण जीवन में ऊर्जा रहती है लेकिन आपने कहा कि सब रचनाकारों को इकट्ठा कर रही है मेरी विनती है कि किसी को इकट्ठा मत करो, social distancing social डिस्टेंस यह सबसे पहली बात है हां हां आप ऑनलाइन सबसे मांगिए, उनकी कला का संकलन कीजिए और कल्पना अच्छी है जो इस भाव के लोग हैं उनकी रचनाएं उनकी चीजें जरूर देश को काम आएंगी और यह सही है कि आप यह अपना बहुत बड़ी है लेकिन आपदा को अवसर में बदलना ही मानव जीवन की विशेषता है इन दिनों social media में आपको लॉकडाउन का एक और प्रभाव देखने को मिल रहा है बहुत से लोग ट्विटर पर फेसबुक पर इंस्टाग्राम पर विस्तार से बता रहे हैं कि कैसे वे अपने बच्चों के साथ ज्यादा समय बिता रहे हैं यह सही है कि पहले संयुक्त परिवार होता था तो बच्चों को संभालने काम दादा-दादी कर लेते थे आज जरा छोटे परिवार हुए तो मुश्किल होना स्वभाविक है लेकिन आपने देखा होगा कि टीवी में इलेक्ट्रॉनिक media में रेडियो पर इसे लेकर कई नए नए शो बन रहे हैं हमारे देश के media में भी क्रिएटिविटी है उन्होंने लोगों को इंगेज रखने के लिए लोगों को घरों में है तो क्या करना चाहिए बड़ा अच्छे ढंग से इतने बड़े समय में जो किया और इस लॉकडाउन में नई-नई बातें वह दिखा रहे हैं, सिखा रहे हैं।

 

इस सबके बीच मेरे मन को कुछ और बातों ने भी बहुत प्रभावित किया है मैं देख रहा हूं कि मानव जाति कैसे इस वैश्विक संकट से जीतने के लिए एक साथ आ गई है। और इसमें भी सबसे बड़ी भूमिका निभा रही है हमारी बाल सेना, हमारी बालकों की सेना, मैंने ऐसे वीडियो देखें हैं जिसमें चार चार पांच साल के बच्चे माता-पिता को समझा रहे हैं कि कैसे हाथ धोना है बाहर नहीं निकलना है ऐसा नहीं करना है वैसा नहीं करना है बालक समझा रहे हैं छोटे-छोटे बालक बालिकाएं इस संकट पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। मैं ऐसे वीडियो social media में काफी एंगेज रहता हूं कभी-कभी मुझे अच्छा लगता है कि सामान्य जन से जुड़ता हूं। तो इन दिनों मैंने देखा कई परिवारों ने अपने परिवार के बच्चों की चीजों को social media पर रखा है और घर में बच्चों की वीडियो बना-बना कर और अब तो मोबाइल फोन पर बन जाती है वीडियों। मैंने जो वीडियो देखी है अगर डिलीट नहीं हो गई हो तो मैं उनको इकट्ठा करके जरूर शेयर कर दूंगा अगर आज मौका मिल गया तो आज ही करूंगा और आप सब देखें जरूर देखें और जरूर देखें कि बच्चों ने कितना कमाल कर दिया आपको याद होगा जब मैंने स्वच्छता की बात की थी, स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया था, तो आपने हर घर में देखा होगा, बच्चों ने एक तरह से इस अभियान की कमान संभाली थी, आज के बच्चों की आज की युवा पीढ़ी की शक्ति मुझे तो बहुत प्रभावित करती है, मैं उनके टैलेंट, उनके सोचने का तरीका मुझे बड़ा आनंद आता है और हां कुछ माता-पिता को यह चिंता सता रही होगी कि इतने लंबे समय तक घर में रहने पर कहीं बच्चे ही उनको बिठाकर पढ़ाना ना शुरू कर दे उन्हें यह डर लग रहा है वैसे मुझे पक्का विश्वास है बच्चे अपने मां बाप को कुछ ना कुछ पढ़ा कर रहेंगे 21 दिन में बहुत कुछ सिखा देंगे।

वैसे साथियों नमो ऐप पर आप सब के सुझाव और फीडबैक भी पढ़ रहा हूं। श्री ओम प्रकाश ठाकुर जी, मुकेश दास जी, प्रभांशु जी, अमित पांडे जी कविता जी देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग लोगों ने अपने अपने तरीके से अलग अलग सुझाव दिए हैं कि लॉकडाउन को सख्ती के साथ और लंबे समय के लिए लागू किया जाए केवल आप ही नहीं पूरे देश से आप ही की तरह हजारों प्रबुद्ध नागरिकों ने भी फेसबुक टि्वटर इंस्टाग्राम औऱ यू ट्यूब पर इस महामारी से निपटने के लिए यही सलाह दी है, अपील की है जब हमारे देशवासियों में खुद से ही यह संकल्प और यह समझदारी हो कि इस चुनौती से जूझने की यह दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो मुझे पूरा भरोसा है कि यह देश इस महामारी को जरूर जरूर हराएगा।

अंत में फिर आपसे कहूंगा कि आप सब, मेरे काशीवासी मैं थोड़ा नहीं आ पाया हूं आपके बीच में मुझे क्षमा करें। लेकिन आप खुद को सुरक्षित रखें, देश को भी सुरक्षित रखें एक बड़ी लड़ाई है जिसमें बनारस के लोगों को भी अपना पूरा योगदान देना होगा। पूरे देश को मार्ग दिखाना होगा सभी काशीवासियों को आज फिर एक बार दिल्ली से प्रणाम करता हूं और मुझे विश्वास है कि आपने हमेशा काशी को संभाला है आगे भी आप काशी को संभालेंगे यह मुझे पूरा विश्वास है आप सब का बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  • Mahendra singh Solanki Loksabha Sansad Dewas Shajapur mp November 20, 2023

    नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो
  • Laxman singh Rana July 06, 2022

    namo namo 🇮🇳🙏🚩
  • Laxman singh Rana July 06, 2022

    namo namo 🇮🇳🙏🌷
  • Laxman singh Rana July 06, 2022

    namo namo 🇮🇳🙏
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PM chairs 48th PRAGATI meeting
June 25, 2025
QuotePM reviews key projects in Mines, Railways, and Water Resources; calling for time-bound execution
QuoteFocus on Health equity: PM urges States to fast-track development of Health Infrastructure in remote and Aspirational districts
QuotePM highlights strategic role of Defence self-reliance; encourages nationwide adoption of best practices

Prime Minister Shri Narendra Modi chaired the 48th meeting of PRAGATI, the ICT-enabled, multi-modal platform aimed at fostering Pro-Active Governance and Timely Implementation, by seamlessly integrating efforts of the Central and State governments, at South Block, earlier today.

During the meeting, Prime Minister reviewed certain critical infrastructure projects across the Mines, Railways, and Water Resources sectors. These projects, pivotal to economic growth and public welfare, were reviewed with a focus on timelines, inter-agency coordination, and issue resolution.

Prime Minister underscored that delays in project execution come at the dual cost of escalating financial outlays and denying citizens timely access to essential services and infrastructure. He urged officials, both at the Central and State levels, to adopt a results-driven approach to translate opportunity into improving lives.

During a review of Prime Minister-Ayushman Bharat Health Infrastructure Mission (PM-ABHIM), Prime Minister urged all States to accelerate the development of health infrastructure, with a special focus on Aspirational Districts, as well as remote, tribal, and border areas. He emphasized that equitable access to quality healthcare must be ensured for the poor, marginalized, and underserved populations, and called for urgent and sustained efforts to bridge existing gaps in critical health services across these regions.

Prime Minister emphasised that PM-ABHIM provides a golden opportunity to States to strengthen their primary, tertiary and specialised health infrastructure at Block, District and State level to provide quality health care and services.

Prime Minister reviewed exemplary practices fostering Aatmanirbharta in the defence sector, undertaken by various Ministries, Departments, and States/UTs. He lauded these initiatives for their strategic significance and their potential to spur innovation across the defence ecosystem. Underscoring their broader relevance, Prime Minister cited the success of Operation Sindoor, executed with indigenous capabilities, as a powerful testament to India’s advancing self-reliance in defence sector.

Prime Minister also highlighted how the States can avail the opportunity to strengthen the ecosystem and contribute to Aatmanirbharta in defence sector.