Text of PM’s interaction with school children on the eve of Teachers' Day

Published By : Admin | September 4, 2015 | 17:57 IST
PM Narendra Modi interacts with school students on eve of #TeachersDay
PM Modi answers to questions put up by youngsters from across India #TeachersDay
Students ask, the PM answers #TeachersDay
PM Modi's pep talk leaves children mesmerised #TeachersDay
Reading about Swami Vivekananda influenced me in a big way: PM Narendra Modi
To serve the nation, it is not necessary to join force or become a politician. Just by doing our small bits we can serve our motherland: PM
Classroom gives a sense of mission and a sense of priority: PM Modi #TeachersDay
To be a good orator, you need to be a good listener: PM Modi #TeachersDay

प्रश्‍न – May I know who has being the biggest influence on you sir?

प्रधानमंत्री जी –
अच्छा पूर्णा ये बताओ कि एवरेस्ट से नीचे आने के बाद तुम्हारे सारे दोस्त तुम्हारे साथ संबंध कैसा रखते हैं। तुम्हें बहुत बड़ा मानते हैं और तुमसे दूर भागते हैं ऐसा नहीं होता है न। क्या होता है? बड़े बनने का बहुत बड़ा तकलीफ होता है बेटा। सारे तुम्हारे दोस्त तुम्‍हारे साथ पहले जैसा ही दोस्ती रखते हैं। नहीं रखते।

बेटा तुम्हारा सवाल बड़ा महत्वपूर्ण है कि मेरे जीवन पर किसकी ज्यादा influence रही है। वैसे जीवन बनता है किसी एक व्यक्ति के कारण नहीं बनता। अगर हम receptive mind के हैं हर चीजों को ग्रहण करने का प्रयास करते रहते हैं, तो एक निरंतर प्रवाह चलता रहता है। लोग हमें कुछ न कुछ देकर के जाते हैं। कभी-कभार रेल के डिब्बे में प्रवास करते समय दो घंटे में एक-आध चीज सीखने को मिल जाती है। तो एक तो मेरा स्वभाव बहुत छोटी उम्र से जिज्ञासु रहा। curiosity रहती थी चीजों को समझने की कोशिश करता था। उसका मुझे benefit ज्यादा मिला। दूसरा मेरे सब teacher के प्रति मेरा थोड़ा लगाव रहता था। मेरे परिवार में भी एक हमारी माताजी वगैरह हमारी काफी देखभाल करती थीं। लेकिन बचपन में छोटा गांव था तो और कोई activity नहीं थी तो समय कहां बिताएं, तो हम लाइब्रेरी चले जाते थे और अच्छा था कि मेरे गांव में अच्छी लाइब्रेरी थी, किताबें भी अच्छी थीं। तो स्वामी विवेकानन्द जी को मुझे पढ़ने का अवसर मिला और ज्यादातर मुझे फिर उसी में मस्त रहने का आनन्द आने लग गया। ऐसा लगता है कि शायद उन किताबों ने और उनके जीवन ने मुझ पर ज्यादा प्रभाव पैदा किया। thank you.

प्रश्‍न – Sir, I want to become a successful leader and contribute to politics. What personality traits and qualities do I need to nurture?

प्रधानमंत्री जी –
देश में एक जो राजनीतिक जीवन की इतनी बदनामी हो चुकी है कि लोगों को डर लगता है कि यहां तो जा ही नहीं सकते, जाना ही नहीं चाहिए, अच्छे लोगों का वहां पर काम नहीं है। इसके कारण देश का बहुत नुकसान होता है। हम लोकतांत्रिक व्यवस्था में हैं। पोलिटिक्स, पोलिटिकल सिस्टम, पोलिटिकल पार्टी ये उसी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। और देश के लिये बहुत आवश्यक है कि राजनीति में अच्छे लोग आएं, विद्वान लोग आएं, जीवन के भिन्न-भिन्न क्षेत्र के लोग आएं, सभी क्षेत्रों के लोग रहने चाहिए। और तभी हमारी राजनीतिक जीवन भी अत्यंत समृद्ध बनेगा। आप देखिए महात्मा गांधी जी जब आजादी का आंदोलन चलाते हैं। आपने देखा होगा जीवन के सब क्षेत्र के लोग आंदोलन में जुड़े थे। और उसके कारण उस आजादी के आंदोलन की ताकत बहुत बड़ी थी, बहुत बड़ी ताकत थी। पूरे आंदोलन के शब्द की ताकत भी बहुत बड़ी थी। और इसलिये जीतनी ज्यादा मात्रा में अच्छे लोग आएंगे उतना देश के कल्याण में, बहुत महत्वपूर्ण रोल होगा उनका। जहां तक आप राजनीति में आना चाहती हो, आपको leadership रोल करना पड़ेगा। जैसे आप इस Olympiad में विजयी हुई। तो आपके अंदर एक leadership quality होगी तभी किया होगा। आप सोचिए कि आपके गांव में स्कूल में कोई घटना घटती है, तो सबसे पहले आप पहुंचती हैं क्या। कोशिश कीजिये। और जैसे ही आप पहुंचती हैं लोगों को लगता है देखो ये तो पहुंच गई, चलो अपन भी दौड़ो। मतलब की आपकी leadership quality धीरे-धीरे establish हो जाएगी। आपको भी विश्वास बनेगा चलो भई मैं दस लोगों को लेकर चलूं, मैं बीस लोगों को लेकर चलूं। leadership quality सहज होती है; evolve भी की जा सकती है। आप कैसे पहुंचते हैं। दूसरा leader क्यों बनना है ये clarity होनी चाहिए, चुनाव लड़ने के लिये, कुर्सी पाने के लिये, कि जिस समाज के बीच में आप जीते हो वहां की समस्याओं का समाधान करने के लिए। अगर उनके समस्याओं के समाधान करने के लिये करना है, तो हमें उनके प्रति इतना लगाव चाहिए, इतना प्रेम चाहिए उतने उनका दुख हमें चैन से सोने न दे। और उनका सुख हमारी खुशियों से बेहतर हो। ये जब तक हमारे भीतर भाव पैदा नहीं होता leader बनना मुश्किल होता है। और इसलिये आप अपने आपको देखो कि आप किस प्रकार से कर पाती हो क्या। और अगर कर पाती हो तो तुम्हें किसी की जरूरत नहीं पड़ेगी। अपने आप देश तुम्हें leader बना देगा। Wish the All the best.

प्रश्‍न – प्रधानमंत्री जी, डिजिटल इंडिया कार्यक्रम एक बहुत अनोखा कार्यक्रम है। लेकिन भारत के कई स्थानों पर बिजली नहीं पहुंच पाती है। तब यह कैसे संभव होगा?

प्रधानमंत्री जी –
देखिये तुमने सवाल पूछा की आप डिजिटल इंडिया की बात कर रहे हो लेकिन बहुत जगह पर बिजली नहीं है। आपकी बात सही है। मैंने अभी-अभी एक 15 अगस्त को सुना होगा मैंने लालकिले पर से एक बात की थी कि हमारे देश में 18000 गांव ऐसे हैं की जहां बिजली नहीं है। मैंने हमारे सरकारी अधिकारियों की meeting ली, दो तीन meeting कर चुका हूं अब तक और मैं उनके पीछे लगा हूं कि मुझे एक हजार दिन में next 1000 day में 18000 villages में बिजली पहुंचानी है। तो एक तो काम जो आप कह रहे हो, पूरा करने की दिशा में प्रयास हो रहा है। दूसरा अगर बिजली नहीं है तो आज digital activity रुकती नहीं है। Solar System से भी किया जा सकता है और Digital India, हम सब अब उससे अछूते नहीं रह सकते। वो हमारी जिन्दगी का हिस्सा बनते जा रहा है। और हमें भी अगर गति बढ़ानी है, Transparency लानी है, Good Governance की ओर जाना है तो e- Governance का उपयोग करना है। सामान्य मानवी को उसका हक उसके हथेली में ऐसे मोबाइल फोन पर उसकी सारी बातें क्यों न हों । एक प्रकार से empowerment movement है Digital India. ये कोई तामझाम नहीं है कि हमारे देश में इतने मोबाइल फोन है या हमारे देश में नहीं है। ये सामान्य नागरिक को empower करने वाला मिशन है। और इसलिये बिजली कभी रुकावट नहीं बनेगी। दूसरा मेरा एक dream है कि 2022, जब देश आजादी के 75 साल मनाए, तब तक घरों में 24/7 बिजली होनी चाहिए। बिजली बीच-बीच में तो चली जाती है न, दिल्ली में अनुभव है, Generator रखना पड़ता है। तो उससे मुक्ति मिलनी चाहिए। इस पर अब मैं लगा हूं तो आप जो चाहते हैं वो हो जाएगा।

प्रश्‍न – आपको कौन सा game पसंद है?

प्रधानमंत्री जी –
देखिए, जो खेल में आगे जाते हैं उसमें और जब लड़कियां खेल में आगे जाती हैं। तो मैं कहता हूं कि उनकी माता का बहुत बड़ा रोल है, बहुत बड़ा role होता है। तब जाकर के क्योंकि मां चाहती है कि अब बच्ची बड़ी हो रही है तो Kitchen में मदद करे, हर काम में मदद करे और वो सब बंद करके मां कहती हैं कि नहीं जाओ बेटा तुम खेलो। आगे बढ़ो या अपने आपमें मां का बहुत बड़ा त्याग होता है। ये शारीरिक क्षमता में परमात्मा ने उसे कुछ न कुछ कमी दी है। उसके बावजूद भी इस बच्ची ने ये कमाल किया है। मैं उनके teacher को विशेष रूप से अभिनन्दन देता हूं। उसने ऐसे बालक के रूप में कितना समय बिताया होगा। तब जाकर के सोनिया में ये हिम्मत आई होगी। मैं शिक्षक को भी बधाई देता हूं और सोनिया को भी बधाई देता हूं। अब उसने मुझे पूछा है कि आपको कौनसा खेल खेलते हैं। अब राजनीति वाले क्या खेलते हैं, सबको मालूम है। लेकिन मैं सामान्य छोटे से गांव से था और उस समय हमने तो ये सारे आ जो खेल के नाम हैं वो तो हमनें कभी सुना नहीं देखा नहीं तो सवाल ही नहीं था। और न ही कोई हमारा कोई पारिवारिक ऐसा background था। जो हम ऐसे खेल खेल पाएं तो पेड़ पर चढ़ जाना, लटक जाना, उछल जाना, यही हमारे खेल हुआ करते थे। ज्यादा से ज्यादा कबड्डी, खोखो स्कूल में खेलते थे। लेकिन मुझे कपड़े हाथ से धोने पड़ते थे तो मैं तालाब जाता था उसके कारण मुझे तैरना आ गया तो फिर वो मेरी hobby बन गई काफी देर तक मैं तालाब में तैरता था तो वो एक मेरी आदत बन गई थी। थोड़ा आगे बढ़ा योगा दुनिया से जुड़ गया तो उसमें मेरी रुची बढ़ गई। लेकिन जिसको आप खेल कहते हैं। मेरे एक teacher थे परमार साहब करके अब तो पता नहीं कहां हैं मैंने बाद में ढूंढा लेकिन मुझे कभी मिले नहीं। वे बड़ोदा के पास बांद्रा के शायद रहने वाले थे। और मेरे गांव में वे teacher थे, वो P.T. teacher थे और उन्होंने एक पूराने व्ययामशाला को जिन्दा किया था। तो मैं सुबह पांज बजे उस व्ययामशाला में चला जाता था। और मलस्तम सीखता था मैं लेकिन न मेरी उतनी क्षमता थी मैं किसी स्पर्धा में पहुंच नहीं पाया। लेकिन उनके कारण मैं थोड़ा मलस्तम सीख रहा था। लेकिन जैसा आप जानते हैं हमारे देश के गांवों में उस प्रकार से तो खेल वेल होते नहीं हैं लेकिन हिन्दुस्तान का हर बालक होता है। क्रिकेट खेलता नहीं तो कम से कम क्रिकेट जहां खेला जाता है वहां किनारे पर बैठा रहता है और boll बाहर गया तो बेचारा उठाकर देता है उनको तो मैं ये सेवा बहुत करता था। सोनिया बहुत बहुत अभिनन्दन बहुत-बहुत बधाई तुम्हें।

प्रश्‍न – Given the condition of to west management sector of India which is highly unorganized, high intervention of the Government is required. Sir, what are the challenges and problems you faced, when you are implementing the Swachh Bharat Abhiyaan?

प्रधानमंत्री जी -
जब मैंने विचार रखा था तब तो मुझे लग रहा था कि बहुत challenges है। अब नहीं लग रहा है। इसलिये नहीं लग रहा है कि 8वीं 9वीं कक्षा की बच्चियां भी अगर waste management पर app बनाती हो और दुनिया में जाकर के ईनाम जीतकर के आती हो। मतलब मेरा देश स्वच्छ होकर रहेगा। ये स्वच्छ भारत अभियान ये ज्यादा हमारे स्वभाव से जुड़ा हुआ है। अगर हमलोग गंदगी से नफरत करने का स्वभाव develop कर लें तो स्वच्छता अपने आप आएगी। मुझे इन दिनों कई लोग मिलते हैं और कहते हैं कि हमारे घर में हमारा पोता जो है तीन साल का है लेकिन वो कूड़ा कचरा फैंकने नहीं देता और मोदी-मोदी करता है तो मैं बताऊं इस काम में सामान्य रूप से सरकार कोई कार्यक्रम लाती है या कोई राजनेता किसी कार्यक्रम को बोलता है तो हमारे देश में सिर्फ विपक्ष नहीं और लोग भी उसकी बाल की खाल उखाड़ने में लग जाते हैं। उसको परेशान कर देते हैं कि ये नहीं हुआ वो नहीं हुआ। ये एक कार्यक्रम ऐसा है कि जिसका सब कोई समर्थन कर रहा है। आपने देखा होगा मीडिया के लोगों ने इसको कितना आगे बढ़ाया है। अपनी कमाई का समय छोड़कर के यानी कमाई छोड़ कर के वो स्वच्छता के लिये कैमरा लेकर के खड़े हो जाते हैं। और कोई फैंकता है तो लेकर के उसका इंटरव्यू करते हैं उनको डराते देते हैं। अब ये जो लोक शिक्षा जो काम हो रहा है। दूसरा है व्यवस्थाएं ये बात सही है कि हमें waste management किये बिना हम ultimate solution नहीं ला सकते। कुछ सरल उपाय है सरल उपाय मान लीजिये एक छोटा शहर है उसे पांच किलोमीटर की radius में कुछ गांव हैं अगर वो गांव earth-worms लाकर के कैंचुएं ला कर के ये शहर का कूड़ा कचरा वहां डालते हैं और उन कैंचुओं से अगर fertilizer बनाते हैं और fertilizer बेच देते हैं तो शहर स्वच्छ हो जाता है गांव की income हो जाती है। और आसानी से चीजों को जोड़ा जा सकता है छोटे छोटे प्रयोग हैं उससे भी हम waste को wealth में create कर सकते हैं। आज अपने आप में waste अपने आप में बहुत बड़ा बिजनेस है, बहुत बड़ा बिजनेस है। बहुत बड़ी मात्रा में professional waste management के उद्योग में आ रहे हैं। और हम भी चाहते हैं की सरकार जहां viability gap funding देना है देकर करे इस काम को आगे बढ़ाएं। नगर पालिकाओं को प्रोत्साहित कर रहे हैं, महानगर पालिकाओं को प्रोत्साहित कर रहे हैं और गांवों में भी गांवों में मुख्य बात रहती है। गांवों में मुख्य बात रहती है कि पानी का निकाल कैसे हो। गंदे पानी का निकाल वो एक बार हमने organize कर लिया तो फिर वहां समस्या नहीं होती बाकी चीजें तो अपने खेत में डाल देते हैं। जो अपने आप fertilizer में convert हो जाती है। तो हमारे देश के अलग –अलग जगह पर अलग अलग स्वभाव होते हैं। उसको लेकर के सरकार की तरफ से कई योजनाएं चल रही हैं बजट भी दिया जा रहा है और परिणाम भी दिखाई दे रहा है। एक बहुत बहुत बधाई आपने एक अच्छा काम हाथ में लिया।

प्रश्‍न – For last of students aspiring to become engineer, doctors etc. Excelling in a three hour computer exam becomes the whole-sole purpose of education sacrificing their school life, their childhood and curiosity. Sir, what message do you want to give them and what steps will you take to improve this situation?

प्रधानमंत्री जी -
अनमोल तुम इतने छोटे हो और अभी जो फिल्‍म दिखाई उसमें तुम भी तो इंजीनियर बनना चाहते हो। किसी ने तो तुम पर दबाव डाला होगा। अच्‍छा तुम्‍हारे मास्‍टर जी परेशान करते हैं क्‍या? ये करो, वो करो, तुमको ये talent भी है ऐसा होता है क्‍या? और घर में क्‍या कहते है? घर में भी कहते होंगे कि तुम extra activity बहुत खराब करते हो, तुम अपना दिमाग एक जगह पर लगाओ ऐसा कहते होंगे। पापा क्‍या करते है, नौकरी करते हैं, बिजनेसमैन?

देखिए यह बात सही है कि हमारे यहां मां-बाप का भी एक स्‍वभाव होता है। जो काम वो नहीं कर पाए अपने जीवन में, वो बच्‍चों से करवाना चाहते है। जो पिता खुद डॉक्‍टर बनना चाहता था बन नहीं पाया तो बेटे के पीछे पड़ जाता है कि तू डॉक्‍टर बन, डॉक्‍टर बन। ये सबसे बड़ी कठिनाई है। सचमुच में एक छोटा सा बदलाव लाने के लिए मैं प्रयास कर रहा हूं आने वाले दिनों में शायद होगा।

आपने देखा होगा कि हमारे यहां स्‍कूलों में Character Certificate देते हैं। जब School Leaving Certificate मिलता है, तब उसके साथ Character Certificate भी मिलता है। आपको भी मिला होगा। हम सबको भी मिला होगा। हरेक के पास Character Certificate होता है और जो जेल में हैं उनके पास भी होता है। जो फांसी पर लटक गया होगा उसके भी घर में पड़ा होगा स्‍कूल का Character Certificate. इसका यह मतलब हुआ कि ऐसे ही कागज बांटा जाता है एक रिचुअल हो गया है। तो मैंने डिपार्टमेंट को कहा है कि Character Certificate की बजाय, Aptitude Certificate देना चाहिए और हर तीन महीने एक software बना करके उसके दोस्‍तों से भरवाना चाहिए कि ये तुम्‍हारा दोस्‍त है तुमको क्‍या लगता है उसको क्‍या विशेषताएं हैं ।क्‍या करता है discipline में रहता है, समय पालन का शौक है। मित्रों के साथ अच्‍छी बात है क्‍या-क्‍या करता है उसको लिखो। उसके मां बाप से भरना चाहिए। टीचर, चारों तरफ से उसके विषय में जान‍कारियां इकट्टी कर लेनी चाहिए। ultimately निकलेगा कि उसकी चीजों में ये तीन चार चीजें विशेष हैं और जब वो निकले तो उसे बताना चाहिए कि देखो भई तुम्‍हारे लिए, उसके मां बाप को बताना चाहिए हैं फिर उसको अपने जीवन की दिशा तय करने में बहुत मदद मिलेगी। तो एक बदलाव है कठिन काम है। लेकिन लाने का मेरा प्रयास है अभी इस पर डिपार्टमेंट काफी काम कर रहा है। उससे ये कठिनाई एक तो दूर हो जाएगी।

दूसरा ये जो हमारी सोच है कि ये करने से ही कैरियर बनती है। ऐसा नहीं है। आप कभी छोटा सा काम लेकर भी काफी कुछ कर सकते हैं। अपने आप में कुछ अचीव कर स‍कते हैं और जब तक हम सिर्फ एक डिग्री और नौकरी उसी दायरे में सोचते रहते हैं। सामाजिक प्रतिष्‍ठा भी डिग्री और नौकरी से जुड़ जाती है तो ये कठिनाई रहती है। हम खुला छोड़ दें अपने आप को और तय करें कि मुझे कविताएं लिखने का शौक है मैं कविताएं लिखूगां देखा जाएगा क्‍या होता है। आप अपने आप में रमबाण हो जाएंगे आपको पेंटिंग का शौक है आप करते चले जाइये। आप कभी न कभी जीवन में इतना संतोष पाएंगे कि कोई और चीज आप को संतोष नहीं दे सकेगी और इसलिए ये तीन घंटे के exam और उसके कारण परीक्षण और उसके कारण निर्णय उसके दायरे से बाहर आकर करके खुद को जानना और जानकर के राह तय करना। ये अगर किया तो मैं समझता हूं कि लाभ करता होगा। अनमोल तुम्‍हें बहुत-बहुत बधाई। काफी प्रगति करो।

प्रश्‍न - Sir, I would like to work for my country India. In what ways can I serve my country? Can you please advise me for what I can do?

प्रधानमंत्री जी –
देखिए, अभी तुमने जो किया है वो भी देश की सेवा है, अभी जो कर रही हो वो भी देश की सेवा है। कुछ लोगों के मन में रहता है कि देश की सेवा करना यानी फौज में जाना, देश की सेवा करना यानी राजनेता बनना, चुनाव लड़ना ऐसा नहीं है देश की सेवा हम छोटी छोटी चीजों से भी कर सकते हैं। अगर एक बालक अपने घर में सौ रूपये का बिजली का बिल आता है और वो प्रयास करे कि बिना समय बिजली बंद कर दो, पंखा बंद कर दो फालतू लाइट और सौ रूपये का 90 रूपये का बिल आ गया तो मैं समझता हूं कि ये देश की सेवा है। देश की सेवा करना यानी कोई बहुत बड़ी-बड़ी चीजें करनी नहीं होतीं। हम खाना खाते हैं और कभी-कभी खाना छोड़ देते हैं। waste जाता है। अब मुझे बताइए ये अगर न हुआ और खाना जितना चाहिए, उतना ही लिया, उतना ही खाया। तो देश की सेवा है कि नहीं है, वो देश की सेवा है। हमारे स्‍वभाव में लाने की आवश्‍यकता है कि हमारे सामान्‍य व्‍यवहार से मैं देश का कुछ नुकसान तो नहीं करता हूं। मेरे समय का, शक्‍ति का उपयोग मैं देश के लिए ही करता हूं क्‍या।

आप देखिए, अगर मैं स्‍कूटर चालू किया। चालू किया और इतने में फोन आया और मैं अंदर दौड़ा घर में फोन लेने के लिए और बाहर स्‍कूटर चालू चल रहा है, पेट्रोल जल रहा है। पैसा तो आपका भी जा रहा है, लेकिन देश का भी जा रहा है। बहुत-सी चीजें ऐसी हैं जिसको सहज रूप से करने से भी हम देश की सेवा कर सकते हैं। हम मान लीजिए थोड़ा पढ़े-लिखे हैं और हमारे घर में कपड़े धोने वाली कोई महिला आती है। 40-50 साल उसकी आयु है। कभी मन करता है कि मैं उसको बैठाऊं और उसको सिखाऊं कि चलो भई मैं आधा घंटा आपके साथ बैठूंगी और आपको मैं पढ़ना सिखाऊंगी। मैं समझता हूं, एक बड़ी आयु की उम्र जो हमारे घर में काम करती है, लेकिन अगर उसको सिखा दिया पढ़ना और वो शिक्षित हो गई तो आप बहुत बड़ी देश सेवा का हिस्‍सा है वो। करोड़ों लोगों के द्वारा छोटे-छोटे देश हित के काम इससे बड़ी कोई देशभक्‍ति नहीं हो सकती। करोगे? Will you do something, thank you.

प्रश्‍न – Sir, why not the youth of today are not taking teaching as a lucrative profession? Statistics clearly shows that India lacks good teachers. Sir, How can you attract the best of the youth today to the teaching profession and motivate them to become the next Sir Sarvepalli Radhakrishnan of tomorrow?

प्रधानमंत्री जी –
ऐसा नहीं है कि देश में अच्‍छे टीचर नहीं है। आज भी देश में बहुत अच्‍छे टीचर है और आज भी हम। आज देश देखता होगा। इन बालकों के साथ मैं बात कर रहा हूं। ये वो होनहार बालक है जिनके अंदर कोई spark था और उनके टीचरों ने पहचाना और उन टीचरों ने उनके जीवन को mould किया और उसका नतीजा है कि इन लोगों ने अपने-अपने कारण से देश को बहुत बड़ा सम्‍मान दिया है। इन बच्‍चों के माध्‍यम से मैं देख रहा हूं, टीचर को। जिन्‍होंने इन बच्‍चों को तैयार किया है। इसका मतलब हुआ कि आज का ये कार्यकम विद्यार्थियों को भी वो प्रेरणा देता है कि हम भी कुछ कर सकते हैं और टीचर को भी प्रेरणा देता है कि हम भी हमारे एक-आध दो विद्यार्थियों को ऐसे तैयार कर सकते हैं। ये आज का, 5 सितम्‍बर का, शिक्षक दिवस का कार्यक्रम सचमुच में एक अनोखा कार्यक्रम बन गया है और हर एक के पास कुछ न कुछ देश के सामने गौरव दिलाने के लिए कुछ न कुछ है। मैं चाहता हूं कि teaching profession पीढ़ियों को तैयार करने का काम है। जैसे teaching profession में अच्‍छे लोग है, अच्‍छे लोग आते भी हैं।

लेकिन एक काम और हम कर सकते हैं। समाज जीवन में जिन्‍होंने अपने जीवन की बहुत achievements की है, क्‍या वे सप्‍ताह में एक घंटा ज्‍यादा में नहीं कह रहा हूं, सप्‍ताह में एक घंटा या साल में 100 hour। वे उन students को पढ़ाने के लिए लगा सकते हैं। डॉक्‍टर हो, वकील हो, इंजीनियर हो, जज हो, हम लोग नहीं चलेंगे उसमें नहीं तो कुछ और पढ़ाकर आएंगे। लेकिन ये लोग है जो सचमुच में आईएस, आईपीएस अफसर हैं, वे अगर जाएं और तय करें भई मैं यहां रहता हूं, मेरा व्‍यवसाय यहां है। साल में 100 आवर

फलाने स्‍कूल के आठवीं कक्षा के बच्चों के साथ बिताउंगा इस वर्ष। आप देखिए, शिक्षा में एक नई ताकत आ सकती है। तो teacher यानी एक व्‍यवस्‍था से टीचर बना, ऐसा नहीं है। कहीं से भी वो कर सकता है। अगर ये हम आदत डाले देश में और मैं चाहूंगा देश में जो इस प्रकार के लोग मेरे विचार सुन रहे हैं वे भी तय करे कि भई मैं सप्‍ताह में एक घंटा या साल में 100 घंटे किसी एक निश्‍चित की हुई स्‍कूल, निश्‍चित किया हुआ स्‍कूल मैं जाउंगा, खुद पढ़ाउंगा उनसे बातें करूंगा, आप देखिए कैसा बदलाव आता है और इसलिए कोई कमी नहीं है talent की इस देश में। सिर्फ थोड़ा उसको channelize करना है। ok, Aatmik wish you all the best. तबीयत कैसी रहती है भई। तुम्‍हारा medical check-up regular होता है? you don’t have any problem. Ok, wish you all the best.

प्रश्‍न – आपको क्‍या लगता है कि किसी विद्यार्थी के लिए सफलता की क्‍या recipe हो सकती है?

प्रधानमंत्री जी –
देखिए, सफलता की कोई recipe नहीं हो सकती, और होनी भी नहीं चाहिए। ठान लेना चाहिए कि विफल होना नहीं है और जो ये ठान लेता है कभी न कभी तो सफलता उसके चरण चूमने लग जाती है। एक कठिनाई रहती है ज्‍यादातर लोगों में कि एक प्रकार से अगर एक-आध विफलता आई, तो वो विफलता उसके सपनों का कब्रिस्‍तान बन जाती है। विफलता को कभी-भी सपनों का कब्रिस्‍तान नहीं बनने देना चाहिए। actually विफलता को हमें सपने पूरे करने के लिए सीख लेने का आधार बनाना चाहिए। एक foundation बनाना चाहिए और जो विफलता से सीखता है वही सफल होता है। दुनिया में कोई ऐसा व्‍यक्‍ति नहीं हो सकता है कि जिसको विफलता कभी आई ही न हो और सिर्फ सफलता ही सफलता आई हो और इसलिए विफलता की तरफ देखने का दृष्‍टिकोण सफलता के लिए बहुत बड़ा महत्‍वपूर्ण होता है। आप लोगों को मैं किताब पढ़ने के लिए सुझाव देता हूं 1913 में शायद ये किताब लिखी गई थी और शायद दुनिया की हर भाषा में ये किताब, उसका translation हुआ है। Pollyanna, किताब का नाम है Pollyanna और उसमें हर चीज़ को positive कैसे देखना है, एक दृष्‍टिकोण दिया है और बहुत छोटी किताब है। 60-70 पेज की किताब है, आप लोग तो एकदम फटाक से पढ़ लोगे और फिर तो आप स्‍कूल में उस पर game कर सकते हो। हर घटना को आप उस Pollyanna की किताब से देखकर के बता सकते हो कि इसका अर्थ ये है। हर चीज में से निकाल सकते हो। आपके स्‍कूल में खेल का एक कारण भी बन सकती है Pollyanna बुक। तो एक तो मैं आग्रह करूंगा कि आप सब बच्‍चों को उस किताब को पढ़ना चाहिए जिसमें positive thinking के लिए काफी अच्‍छा मार्गदर्शन है और इसलिए मैं कहता हूं कि इसको recipe की तरह कोई, ये चार चीज डालो, ये चार चीज डालो ये सुबह करो, एक दिन शाम को करो फिर success होगे। ऐसी कोई recipe नहीं हो सकती है और इसलिए हमारे मन की रचना होनी चाहिए कि मुझे विफल नहीं होना है।

कभी देखा होगा आपने कि कोई एक व्‍यक्‍ति ड्राइविंग सीखता है और सीखने के बाद एक-आध बार गाड़ी लेकर जाता है और एक छोटा सा एक्‍सीडेंट हो जाता है तो डर जाता है। फिर जीवन भर गाड़ी को हाथ नहीं लगाता है। फिर तो वो कभी ड्राइवर बन ही नहीं सकता। कुछ लोग सोचते हैं कि मुझे तैरना सीखना है लेकिन मैं पानी में जम्‍प नहीं लगाउंगा। अगर तुम पानी में कूदोगे नहीं तो तुम तैराक कैसे बन सकते हो। तो पहली तो बात होती है झोंकना पड़ता है अपने आप को। आप झोंक दीजिए, सफलता कभी न कभी मिलेगी। सफलता को समय के पाबंद में मत डालिए। सफलता के कोई पैरामीटर मत तय कीजिए। मान लीजिए आप 100 मीटर की दौड़ में गए है और आप 10वें नंबर पर आए। दुनिया की नजरों में आप विफल हो गए। लेकिन पिछली बार अगर आप चार मिनट में दौड़े थे, इस बार तीन मिनट में पूरा किया, मतलब आप सफल है। चीजों को कैसे देखते हैं उस पर है। अगर ये आपने कर लिया तो मैं नहीं मानता हूं कि विफलता कभी आपके पास आ सकती है और आप तो खुद लीडर हो। अब मैं आपके यहां झारखंड के नेता यहां बैठे हैं, मैं उनको कह रहा हूं कि ये अंशिका का नाम लिखो, चार साल के बाद ये लीडर बन जाएगी।

प्रश्‍न – When you were a student, what fascinated you the most? Your classroom learning or activities outside the classroom?

प्रधानमंत्री जी –
मैं पढ़ने में बहुत... तो फिर ज्‍यादातर और ही सब करता रहता था। कुछ साथियों के, कुछ परिवार की आर्थिक व्‍यवस्‍था के लिए भी काफी समय जाता था। लेकिन मैं observation का मेरा बड़ा स्‍वभाव था। मैं चीजों को बड़ी बारीकी से देखा करता था समझता था और वो सिर्फ क्‍लासरूम में नहीं क्‍लासरूम के बाहर भी हुआ करती थी। मैं अवसर खोजता रहता था। जब 1965 का वॉर हुआ। हम तो छोटे थे तो हम हमारे गांव के लोग, हमारे गांव से एक दूर दूसरा स्‍टेशन था जहां से फौजी जाने वाले थे। तो उनके लिए मिठाई विठाई लेकर के जा रहे थे तो हम भी चले गए तो पहली बार हमने कुछ देखा कि ये तो भई अलग दुनिया है ये सब देखिए मरने के लिए जा रहे हैं, देश के लिए मरने के लिए जा रहे हैं। ऐसी जब चीजें देखने लगे तो मन में लगा कि भई ये हम जहां बैठे है, उसके बाहर तो बहुत बड़ी दुनिया है। तो उन्‍हीं चीजों में से धीरे-धीरे-धीरे सीखने का प्रयास करने लगे। लेकिन ये बात सही है कि क्‍लासरूम में हमें एक Sense of priority मिलता है एक Sense of mission मिलता है। बाकी चीजें उसमें से हमको आधार बनाकर के खोजनी पड़ती है। हमारा अपना temperament develop करना पड़ता है और मेरा शायद बाहर की तरफ ध्‍यान ज्‍यादा था और शायद उसी ने मुझे बनाया होगा। ऐसा लगता है मुझे। Thank you.

प्रश्‍न - Everybody knows that you have penned down collection of poems title ‘akkha aa dhanya chhe’ our eyes are so blessed. How do you develop interest in literature?

प्रधानमंत्री जी –
आप कहां, असम से है? अच्‍छा दिल्‍ली में रहती है। तो असम और बंगाल वहां तो कला बहुत होती हैं। ये बात सही है कि यहां से सब लोग होंगे, जितने students। आपमें से कौन है जिसने कविताएं लिखी हैं? कभी एक-आध लाइन, दो लाइन, कितने हैं? ज़रा हाथ ऊपर करो तो। देखिए काफी है। मतलब कि हर एक के भीतर, कविता का वास होता है। हर एक इंसान के अंदर। कुछ लोगों की कविता कलम से टपकती है। कुछ लोगों की कविताएं आंसू से निकलती हैं तो कुछ लोगों की कविता ऐसे ही अंदर की अंदर समा जाती है। तो ये चीजें ईश्‍वर ने दी होती हैं। ये कोई ऐसा नहीं है कि कोई किसी एक को देते हैं। कोई उसको ज़रा संवारता है, संभालता है। मैं जो लिखा हूं उसको कविता कहने के लिए अभी तो मेरी तैयारी नहीं है। लेकिन और कुछ कह नहीं सकते, इसलिए कविता कहनी पड़ रही है। अब जैसे दो wheel हो, एक frame हो, सीट हो, गवर्नर हो तो लोग कहेंगे साईकिल है। भले ही चलती नहीं हो फिर भी साईकिल ही कहेंगे। तो वैसे ही मेरी ये रचनाएं हैं तो उनको एकदम कविता के तराजू में तोलने से वो कविता मानी जाए ऐसी तो नहीं होगी। लेकिन मेरे मन में जो भाव उठते थे। जो मैंने पहले ही कहा मेरा बड़ा observation का स्‍व्‍भाव था। प्रकृति के साथ ज्‍यादा जुड़ा रहता था। उन्‍हीं चीजों को कभी-कभार कागज़ पर डाल देता था। फिर एक, कभी मैंने तो सोचा भी नहीं था लेकिन हमारे गुजरात के साहित्‍यिक जगत के एक बहुत बड़े व्‍यक्‍ति थे। वो मेरे पीछे लग गए और फिर उनके आग्रह पर वो छप गई और छपने के बाद दुनिया को पता चला कि ये भी ये काम करता है। कोई खास कारण नहीं है। चलते-चलते दुनिया को देखता था, अनुभव करता था, तो अपनी अभिव्‍यक्‍ति कागज पर व्‍यक्‍त कर देता था। उसी की वो किताब है। अब तो उसके शायद और कई भाषाओं में उसका translation भी हुआ है। लेकिन मुझे... आपने देखी है उस किताब को, आपने देखा है? Online available है। online मेरी सारी किताबें available है, आप online उसको देख सकती है। thank you।

प्रश्‍न - Whenever we see you speaking in public, even today, you never use a written speech, which motivates us deeply. Sir, I want to know that how have you develop the mastery in oratory?

प्रधानमंत्री जी –
अभी तुम बोल रही हो न, तो बहुत अच्‍छा बोल रही हो। तुम्‍हें oratory आती है? देखिए अगर अच्‍छी oratory के लिए सबसे पहली आवश्‍यकता है – आपने अच्‍छे श्रोता बनना चाहिए। अगर आप बहुत अच्‍छे listener है और बड़े अच्‍छे ढंग से सुनते हैं। मतलब सिर्फ कान नहीं। आंख, विचार सब चीजें अगर involve है तो आपको धीरे-धीरे-धीरे grasp हो जाएगा और आप आसानी से। आपका confidence लेवल अपने आप बनने लगेगा। अच्‍छा ये करता है, मैं भी कर सकता हूं। ये कर सकता है, मैं भी कर सकता हूं।

दूसरा, ये चिन्‍ता मत कीजिए कि और लोग क्‍या कहेंगे। ज्‍यादातर लोग इस बात से डरते हैं कि खड़ा हो जाऊंगा, माइक नहीं चलेगा तो क्‍या होगा, मेरा पैर फिसल जाएगा। चिन्‍ता मत कीजिए। ज्‍यादा से ज्‍यादा पहली बार दो लोग हंसेंगे, हंसने दीजिए क्‍या हैं। ये confidence level होना चाहिए।

तीसरा, नोट बनाने की आदत होनी चाहिए। हमारी रुचि के जो subject है उसमें कहीं पर भी कुछ पढ़ा तो लिख लेना चाहिए। material तैयार होता जाएगा। फिर जब कभी जरूरत पड़ी तो वो आपका material आपके knowledge के लिए बड़ा उपकारक होगा। और चीजों को पढ़ोगे, बोलोगे तो articulation आ जाएगा। दूसरा एक problem होता है orators का, कि उनको जो बताना है वो बताने में बड़ी देर हो जाती है और तब तक लोगों का ध्‍यान हट जाता है। इसके करेक्‍शन के लिए अगर लिखने की आदत डाल दो कि आपको जो कहना है ये दो वाक्‍यों से कहो तो अच्‍छा रहेगा कि एक वाक्‍य से कहो तो अच्‍छा रहेगा। sharpness आएगा और ये practice से हो सकता है। मैंने ये सब नहीं किया है क्‍योंकि मेरे पास, मुझे कोई काम नहीं था तो मैं बोलता था तो बोल दिया। ऐसा ही है। लेकिन अगर ढंग से करना है। दूसरा, इन दिनों आप लोग तो Google गुरु के विद्यार्थी है। तो public speaking के बहुत सारे courses चलते हैं उस पर। आप उसको study कर सकते हैं। दूसरा, आप you tube पर जाकर के दुनिया के कई ऐसे गणमान्‍य लोग है, उनकी speeches available है। उसको थोड़ा देखना चाहिए। आपको धीरे-धीरे ध्‍यान में आएगा कि हां, हम भी कुछ कह सकते हैं, हम भी कुछ बोल सकते हैं। मैं कागज इसलिए नहीं रखता कि मैं अगर रखूं तो वो गड़बड़ हो जाता है इसलिए मैं रखता नहीं उसको अपने पास। धन्‍यवाद।

प्रश्‍न – आजकल विद्यार्थियों के ऊपर बहुत दबाव रहता है, इंजीनियर अथवा डॉक्‍टर बनने का। हम अपने अभिभावकों को कैसे समझाएं कि यदि आपके अभिभावकों ने भी आप पर इसी प्रकार का कुछ दबाव डाला होता तो शायद आज इस देश को आपके जैसा अद्भुत प्रधानमंत्री नहीं मिल पाता, क्‍या कहना चाहेंगे इस बारे में?

प्रधानमंत्री जी –
देखिए, मेरे नसीब में तो वो था नहीं। शायद मैं अगर स्‍कूल में कलर्क भी बनने गया होता तो मेरे मां-बाप के लिए वो बड़ा उत्‍सव होता। उनके लिए ऐसा आनंद होता कि वहां चलो बच्‍चा बड़ा बन गया। इसलिए वो डॉक्‍टर मैं बनूं, या इंजीनियर बनूं वो सपने देखने की वो स्‍थिति नहीं थी, क्षमता नहीं थी, वो अवस्‍था नहीं थी। तो वो तो शायद। लेकिन मैं इस बात से सहमत हूं कि मां-बाप ने अपने सपने, अपने बच्‍चों पर नहीं थोपने चाहिए और जब आप अपने सपने अपने बच्‍चों पर थोपते हैं तो इसका मतलब आप अपने बच्‍चे को जानते नहीं है। न उसकी क्षमता जानते हैं, न उसका स्‍वभाव जानते हैं क्‍योंकि आपने ध्‍यान नहीं दिया है और पिता तो पता नहीं इतने क्‍या व्‍यस्‍त हैं उनको फुर्सत ही नहीं है। कभी मेहमान आएंगे तो बच्‍चे को बुलाकर के अरे भई तुम क्‍या पढ़ते हो, आठवीं। हां, मेरी बेटी आठवीं पढ़ती है। ऐसा ही करते है पिताजी। उनको मालूम नहीं होता है। मेरा एक बेटा आठवीं में है, एक सातवीं में है, एक पांचवी में है। वो इतने अपनी दुनिया में व्‍यस्‍त होते हैं और फिर कह देते हैं तुम डॉक्‍टर बनो, इंजीनियर बनो। और इसलिए मां-बाप को अपने बच्‍चों के साथ समय बिताना चाहिए। उनसे पूछते रहना चाहिए, तुम्‍हें क्‍या लगता है, तुम्‍हें क्‍या अच्‍छा लगता है? और जो अच्‍छा लगता है उसमें उसे मदद करनी चाहिए, तो सफलता बहुत आसानी से मिलेगी। थोप देने से नहीं मिलेगी और इसलिए तुम्‍हारी चिन्‍ता स्‍वाभाविक है। मैं तुम्‍हारे माता-पिता को जरूर संदेश देता हूं कि अगर तुम्‍हें जर्नलिस्‍ट बनना है तो तुम्‍हें जरूर मदद करें। thank you।

प्रश्‍न – हाल ही में हमने अभी विश्‍व योग दिवस मनाया है। भारत ने संपूर्ण विश्‍व को योग का पाठ पढ़ाया, जिसे एक बार फिर से आपने गौरव प्रदान किया है। सर, इसके लिए हम आपके आभारी है। आपके मन में यह विचार कैसे आया?

प्रधानमंत्री जी –
दरअसल, मैं बहुत साल पहले, जबकि मैं मुख्‍यमंत्री भी नहीं रहा, कभी प्रधानमंत्री भी नहीं बना था। ऑस्‍ट्रेलियन सरकार के निमंत्रण पर, मैं ऑस्‍ट्रेलिया गया था और मैं हैरान था कि जिसको भी पता चलता था कि मैं इंडिया से हूं तो वो मुझे योगा के लिए पूछता था और ऑस्‍ट्रेलिया के शायद 10 में से 6 लोग होंगे जो मुझे योगा के लिए पूछते थे और मैं हैरान था उसमें से कुछ लोग होते थे जिनको योगा के नाम भी बोलना आता था और बड़ी curiosity से। तो मेरे मन में लगा कि भई एक ऐसी ताकत है जिसको हमें पहचानना चाहिए। मैं बताता रहता था सबके, लेकिन मेरी बात उतना लोगों के कान पर जाते नहीं थी। मुझे जब अवसर मिला तो मैंने यूएन में जा करके विषय रखा और उसको देश ने, दुनिया ने ऐसे ही समर्थन दिया। शायद UN में इस प्रकार का प्रस्‍ताव है। जिसको सिर्फ 100 दिवस में पारित हुआ हो और दुनिया के 177 countries ने उसके co-sponsor बने हो, ऐसी एक भी भूतकाल में घटना नहीं है। मतलब योग का कितना महत्‍व है हमें पता नहीं था जितना कि दुनिया को पता था।

दूसरा, 21 जून, मैं देख रहा हूं कि हमारे मीडिया में ऐसी-ऐसी कथाएं आती थी कि 21 जून क्‍यों रखा? मैं आज पहली बार बता देता हूं। हमारा ऊर्जा का सबसे बड़ा कोई स्रोत है तो सूर्य है और 21 जून हमारे भू-भाग पर। पूरे पृथ्वी पर तो नहीं लेकिन हमारे इस भू-भाग पर 21 जून सबसे लंबा दिवस होता है। सूर्य सबसे लंबे समय तक होता है। ऊर्जा सबसे ज्‍यादा हमें उस दिन मिलती है और इसलिए मैंने 21 जून का suggestion दिया था जो दुनिया ने माना था और आज तो विश्‍व पूरा। मैं मानता हूं कि हिन्‍दुस्‍तान के नौजवान अगर योग को एक प्रोफेशन बनाए तो पूरे विश्‍व में अच्‍छे योग टीचरों की requirement हैं। बहुत बड़ी economical activity भी है। holistic health के लिए भी बहुत उपयोगी है। तनाव मुक्‍त जीवन के लिए भी बहुत उपयोगी है और आप शतरंज खेलती है? शतरंज का एक गुण है, शतरंज की सबसे बड़ी ताकत होती है patience, धैर्य। बाकी हर खेल में उत्‍तेजना होती है, इसमें patience होती है और बालक मन के लिए शतरंज के खेल से एक patience का बहुत बड़ा गुण का विकास होता है। योग का भी वही स्‍वभाव है जो आपके भीतर की शक्‍तियों को बहुत ताकतवर करता है। तो अब दुनिया ने उसको स्‍वीकारा है, अब हम लोगों की जिम्‍मेवारी है कि हम इसको dilute न होने दे और actually जो real योग है उससे दुनिया परिचित हो, ये भारत की जिम्‍मेवारी बनती है। thank you।

प्रश्‍न - We really like your unique sense of dressing. You are like a brand ambassador of Indian clothes and colour. ‘Modi kurta’ has become very popular. So, how did the idea came in your mind in promoting the Indian clothes all over the world?

प्रधानमंत्री जी –
– देखिए, ये बाजार में कुछ बड़े भ्रम चलते हैं कि मोदी का कोई fashion designer है और मैंने देखा मैं तो हैरान था कुछ fashion designer भी खुद अपने आपको claim करते हैं कि हम मोदी fashion designer है। अब हम हर सवालों का जवाब कहां देते रहे, हम कभी बोलते नहीं, लेकिन न मैं किसी fashion designer को जानता हूं न मैं किसी फैशन डिजायनर को मिला हूं। जिन्‍दगी की कथा ऐसी है मैंने बहुत छोटी उम्र में घर छोड़ दिया था। मैं एक परिव्राजक के रूप में 35-40 साल तक घूमता रहा। एक छोटा-सा बैग रहता था मेरे पास और वहीं मेरा संसार था। उसमें एक-दो कपड़े रहते थे, एक-आध दो किताब रहती थी, वहीं मैं लेकर के घूमता रहता था। तो गुजरात आप जानते हैं कि वहां सर्दी नहीं होती है। कभी सर्दी आ गई तो full sleeve का शर्ट पहन लिया तो enough है। वहां सर्दी-वर्दी होती नहीं है। तो मैं कुर्ता-पायजामा पहनता था, कपड़े खुद धोता था तो मेरे मन में दो विचार आएं कि इतना ज्‍यादा धोने की क्‍या जरूरत है और दूसरा विचार आया कि बैग में मेरी जगह ज्‍यादा लेता है। तो मैंने क्‍या किया एक दिन खुद ही कातर लेकर के इसकी लंबी बांहें थी तो इसको काट दिया और वो मुझे comfort हो गया और तब से ये चल रहा है।

अब उसको पता नहीं कोई fashion designer अपने साथ जोड़े रहे हैं। तो एक प्रकार से मेरी सुविधा और सरलता से जुड़ा हुआ विषय था। लेकिन बचपन से मेरा एक स्‍वभाव था, ढंग से रहने का। मेरी पारिवारिक अवस्‍था तो ऐसी नहीं थी। अब प्रैस कराने के लिए हमारे पास पेसे नहीं थे तो हम क्‍या करते थे और कपड़े खुद धोते थे, तालाब में जाते थे। फिर सुबह स्‍कूल जाने से पहले मैं बर्तन में लोटा, लोटा बोलते है?, उसमें कोयला रख देता था, गर्म कोयला और फिर उसी से प्रैस करता था और फिर स्‍कूल पहनकर के बड़े ठाट से जाता था। तो अच्‍छी तरह रहने का एक स्‍वभाव पहले से बना था। 

हमारे एक रिश्‍तेदार ने एक बार हमको जूते गिफ्ट किए थे, कैनवास के। तो शायद वो उस समय 10 रुपए के आते होंगे। तो मैं क्‍या करता था स्‍कूल में क्‍लास पूरा होने के बाद क्‍लास में थोड़ी देर रुक जाता था और जो chock stick से टीचर लिखते थे और टुकड़े फेंक देते थे, उसे इकट्ठे करता था और ले आता था। फिर दूसरे दिन मेरे वो canvas के शूज़ पर chock stick से उसको लगा देता था, white लगते थे। तो ऐसे ही स्‍वभाव तो था मेरा, लेकिन कोई fashion designer वगैरह कुछ नहीं है। लेकिन मैं मानता हूं कि हमने ढंग से तो रहना चाहिए, occasion के अनुसार रहने का प्रयास करना चाहिए। उसकी अपनी एक अहमियत तो होती ही है। thank you।

अब धन्‍यवाद तो हो गया है, लेकिन मैं भी धन्‍यवाद करता हूं उन बच्‍चों का और मैं कार्यक्रम के आयोजकों को बधाई देता हूं कि पूरा कार्यक्रम का संचालन बच्‍चों के हाथों से करवाया और बहुत बढ़िया ढंग से किया सब बच्‍चों ने। बहुत-बहुत बधाई।

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PM Modi’s remarks at the BRICS session: Environment, COP-30, and Global Health
July 07, 2025

Your Highness,
Excellencies,

I am glad that under the chairmanship of Brazil, BRICS has given high priority to important issues like environment and health security. These subjects are not only interconnected but are also extremely important for the bright future of humanity.

Friends,

This year, COP-30 is being held in Brazil, making discussions on the environment in BRICS both relevant and timely. Climate change and environmental safety have always been top priorities for India. For us, it's not just about energy, it's about maintaining a balance between life and nature. While some see it as just numbers, in India, it's part of our daily life and traditions. In our culture, the Earth is respected as a mother. That’s why, when Mother Earth needs us, we always respond. We are transforming our mindset, our behaviour, and our lifestyle.

Guided by the spirit of "People, Planet, and Progress”, India has launched several key initiatives — such as Mission LiFE (Lifestyle for Environment), 'Ek Ped Maa Ke Naam' (A Tree in the Name of Mother), the International Solar Alliance, the Coalition for Disaster Resilient Infrastructure, the Green Hydrogen Mission, the Global Biofuels Alliance, and the Big Cats Alliance.

During India’s G20 Presidency, we placed strong emphasis on sustainable development and bridging the gap between the Global North and South. With this objective, we achieved consensus among all countries on the Green Development Pact. To encourage environment-friendly actions, we also launched the Green Credits Initiative.

Despite being the world’s fastest-growing major economy, India is the first country to achieve its Paris commitments ahead of schedule. We are also making rapid progress toward our goal of achieving Net Zero by 2070. In the past decade, India has witnessed a remarkable 4000% increase in its installed capacity of solar energy. Through these efforts, we are laying a strong foundation for a sustainable and green future.

Friends,

For India, climate justice is not just a choice, it is a moral obligation. India firmly believes that without technology transfer and affordable financing for countries in need, climate action will remain confined to climate talk. Bridging the gap between climate ambition and climate financing is a special and significant responsibility of developed countries. We take along all nations, especially those facing food, fuel, fertilizer, and financial crises due to various global challenges.

These countries should have the same confidence that developed countries have in shaping their future. Sustainable and inclusive development of humanity cannot be achieved as long as double standards persist. The "Framework Declaration on Climate Finance” being released today is a commendable step in this direction. India fully supports this initiative.

Friends,

The health of the planet and the health of humanity are deeply intertwined. The COVID-19 pandemic taught us that viruses do not require visas, and solutions cannot be chosen based on passports. Shared challenges can only be addressed through collective efforts.

Guided by the mantra of 'One Earth, One Health,' India has expanded cooperation with all countries. Today, India is home to the world’s largest health insurance scheme "Ayushman Bharat”, which has become a lifeline for over 500 million people. An ecosystem for traditional medicine systems such as Ayurveda, Yoga, Unani, and Siddha has been established. Through Digital Health initiatives, we are delivering healthcare services to an increasing number of people across the remotest corners of the country. We would be happy to share India’s successful experiences in all these areas.

I am pleased that BRICS has also placed special emphasis on enhancing cooperation in the area of health. The BRICS Vaccine R&D Centre, launched in 2022, is a significant step in this direction. The Leader’s Statement on "BRICS Partnership for Elimination of Socially Determined Diseases” being issued today shall serve as new inspiration for strengthening our collaboration.

Friends,

I extend my sincere gratitude to all participants for today’s critical and constructive discussions. Under India’s BRICS chairmanship next year, we will continue to work closely on all key issues. Our goal will be to redefine BRICS as Building Resilience and Innovation for Cooperation and Sustainability. Just as we brought inclusivity to our G-20 Presidency and placed the concerns of the Global South at the forefront of the agenda, similarly, during our Presidency of BRICS, we will advance this forum with a people-centric approach and the spirit of ‘Humanity First.’

Once again, I extend my heartfelt congratulations to President Lula on this successful BRICS Summit.

Thank you very much.