प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्पष्ट मत है कि भ्रष्टाचार निवारण के साथ जनकल्याण के कार्यों से किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया जा सकता। अब जब लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान महज हफ्ता भर बचा है, तब उन्होंने उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए अपनी योजनाओं का खुलासा किया। प्रधानमंत्री तीसरे कार्यकाल में अब तक हुए जनहितकारी कार्यों को तेजी से बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध दिखे। पेश है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हिन्दुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर की विशेष बातचीत...

सवाल: आपने हाल में कहा कि तीसरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई और तेज होगी। क्या यह कार्रवाई राजनीतिक भ्रष्टाचार तक ही सीमित रहेगी या नौकरशाही और सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार को भी खत्म करने के लिए होगी, क्योंकि निचले स्तर पर आज भी भ्रष्टाचार बड़ी समस्या बना हुआ है ?

जवाब: 2014 में सरकार बनने के साथ ही हमने भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए कई स्तरों पर प्रयास शुरू किए। केंद्रीय भर्तियों की समूह-सी, समूह-डी भर्तियों से साक्षात्कार खत्म कर दिए। स्वीकृतियों के लिए राष्ट्रीय एकल विंडो प्रणाली शुरू की गई। सरकारी सेवाएं ज्यादा से ज्यादा फेसलेस हों, इसका प्रयास किया।
हमने गरीबों का पैसा बिचौलियों की जेब में जाने से बचाने के लिए डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) योजना लागू की। आज इस वजह से 10 करोड़ से ज्यादा फर्जी नाम और ऐसे लाभार्थी जो पैदा भी नहीं हुए थे, वो कागजों से हटे हैं। ऐसा करके सरकार ने पौने तीन लाख करोड़ रुपए गलत हाथों में जाने से बचाए। 2014 से पहले ईडी ने सिर्फ पांच हजार करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की थी, जबकि पिछले 10 वर्षों में एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति अटैच हुई। वहीं, 2014 से पहले ईडी ने सिर्फ 34 लाख रुपये जब्त किए थे। हमारी सरकार में यह आंकड़ा 2200 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इस पैसे को गरीब कल्याण की योजनाओं में लगाया जाता तो कितने लोगों को लाभ होता। युवाओं के लिए कितने अवसर तैयार हो सकते थे। बुनियादी ढांचे की कई नई परियोजनाएं तैयार हो जातीं। भ्रष्टाचार चाहे जिस स्तर का हो, उसकी मार देश के लोगों पर ही पड़ती है।

भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध हूं। जिन राज्यों में भाजपा की सरकार है, वहां भी भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाए जा रहे हैं। अब ये जो नैरेटिव आपके सुनने में आया है कि सिर्फ राजनीतिक भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई हो रही है, ये वो लोग चला रहे हैं जिन पर जांच की तलवार लटकी है। मैं आपको एक और तथ्य बताता हूं, जिसकी ज्यादा चर्चा नहीं होती। ईडी के पास भ्रष्टाचार के जितने मामले हैं, उनमें से केवल तीन फीसदी ही राजनीति से जुड़े व्यक्तियों के हैं। बाकी 97% मामले अधिकारियों और अन्य अपराधियों से संबंधित हैं। इनके विरुद्ध भी कार्रवाई हो रही है। जिन लोगों को भ्रष्ट व्यवस्था में फायदा दिखता है, वो लोगों के सामने गलत तस्वीर पेश कर रहे हैं। ईडी ने कई भ्रष्ट अफसरों को भी गिरफ्तार किया है। भ्रष्ट नौकरशाहों, आतंकी फंडिंग से जुड़े अपराधियों, मादक पदार्थों के तस्करों की भी हजारों करोड़ की संपत्ति जब्त की गई है।

मैं हिन्दुस्तान के पाठकों को विश्वास दिलाता हूं कि देश के लोगों का हक छीनने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं रुकेगी।

सवाल: यह चुनाव पिछले दो चुनावों से किस प्रकार भिन्न है, क्योंकि यह कहा जा रहा है कि मतदाताओं में ज्यादा उत्साह नहीं है और कोई लहर नजर नहीं आ रही है? क्या एंटी इंकबेंसी हो सकती है?

जवाब: चुनाव तो भारत में लोकतंत्र का महापर्व माना जाता है। चुनाव उत्साहहीन नहीं है। विपक्ष अपनी पक्की हार से उत्साहहीन है। विपक्ष भी यह मानकर चल रहा है कि एनडीए की ही सरकार आएगी। ऐसे में विपक्ष के बहुत से नेता प्रचार में जाने से बच रहे हैं। कई लोगों ने अभी से ईवीएम का बहाना भी अपनी पोटली से निकाल लिया है।

आपको लहर देखनी है तो जमीन पर लोगों के बीच जाना होगा। वहां आपको पता चलेगा कि भाजपा सरकार की तीसरी पारी को लेकर लोगों में कितना उत्साह है। हमारे कार्यकर्ता तो मैदान में हैं ही। जनता भी सड़कों पर उतरकर ‘फिर एक बार मोदी सरकार’ के नारे लगा रही है। आपने पिछली बार पूरे विश्व में ऐसा कब देखा था कि किसी सरकार के 10 साल पूरे होने के बाद भी जनता पूरे जोश के साथ उसी सरकार को वापस लाने में जुटी हो। ऐसे में 2024 का चुनाव राजनीति के जानकारों के लिए भी अध्ययन का विषय है।

भारत के लोग देख रहे हैं कि आज हमारा देश, दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी और तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम भारत में है। भारत के अंतरिक्ष अभियान, मेक इन इंडिया अभियान और अभूतपूर्व ढंग से बुनियादी ढांचे केविस्तार की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। रेल, सड़क और एयरपोर्ट के विकास से लोगों को सुविधा हुई है। रियल टाइम डिजिटल पेमेंट में हम दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले बहुत आगे हैं।

500 वर्षों के इंतजार के बाद भगवान श्री राम अयोध्या में अपने भव्य मंदिर में विराजमान हुए हैं। कश्मीर अनुच्छेद 370 की बेड़ियों से आजाद होकर देश की विकासगाथा का हिस्सा बन गया है और सबसे बड़ी बात, पहली बार देश के लोगों को भाजपा मॉडल और कांग्रेस मॉडल की तुलना करने का स्पष्ट मौका मिला है। पांच से छह दशक तक कांग्रेस ने भी पूर्ण बहुमत वाली सरकार चलाई थी। भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार को अभी सिर्फ एक दशक हुआ है। जब उनकी पूर्ण बहुमत की सरकार थी, तो वो अपने परिवार को मजबूत करने में लगे रहे। आज जब हमारी पूर्ण बहुमत की सरकार है तो हमारी प्राथमिकता देश को मजबूत करना है। गांव, गरीब, किसान और मध्यम वर्ग को सशक्त बनाना है। दोनों का फर्क देश ही नहीं बल्कि विश्व देख रहा है।

हमारा 10 वर्षों का रिपोर्ट कार्ड इस बात का प्रमाण है कि भाजपा की गारंटी पूरी होती है। अब हम 2047 में विकसित भारत का विजन लेकर लोगों के बीच जा रहे हैं। हमारे पास एक ऐसे भारत का विजन है, जिसमें हर व्यक्ति के सिर पर पक्की छत हो और युवाओं के लिए रोजगार के अनेक अवसर हों। हम उस भारत के निर्माण में जुटे हैं जहां किसान समृद्ध और महिलाएं सशक्त हों।

25 करोड़ लोगों का गरीबी से बाहर आना, 11 करोड़ से ज्यादा घरों में शौचालय बनना और चार करोड़ गरीबों को अपना पक्का मकान मिलना, ये दिखाता है कि केंद्र की भाजपा सरकार गरीब की सेवा के लिए समर्पित है। और पिछले 10 वर्षों में जो हुआ है, वो सिर्फ ट्रेलर है। हमें देश को बहुत आगे ले जाना है।

सवाल: गन्ने के साथ ही उसके 126 बाइ-प्रोडक्ट्स के लिए भी कदम उठाए जाने की जरूरत है। जैसे ब्राजील में गन्ने से इथेनॉल का 30 से 35% प्रतिशत इस्तेमाल पेट्रोल में हो रहा है। अपने देश में यह अभी 10 फीसदी तक ही है। कुछ जगह तो गन्ने की खोई से पेपर, क्राकरी और प्लाईबोर्ड भी बन रहे हैं? अगली सरकार में इसे लेकर क्या कुछ नया करने जा रहे हैं?

जवाब: मैं आपको इस प्रश्न के लिए बधाई देता हूं कि आपने इतना महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया। इथेनॉल ब्लेंडिंग से गन्ना किसानों की आय तो बढ़ी ही है, साथ ही सतत विकास के हमारे प्रयासों को भी मजबूती मिली है। हमने पेट्रोल में 10% तक इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य पांच महीने पहले ही हासिल कर लिया था। फिलहाल हम 12% के आसपास पहुंच चुके हैं। हम 20% तक इथेनॉल ब्लेंडिंग के लक्ष्य की ओर बिल्कुल सही तरीके से बढ़ रहे हैं। जी20 समिट के दौरान भारत ने ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस का गठन किया और दुनियाभर के देशों से इसमें शामिल होने की अपील की। ये बायोफ्यूल और पर्यावरण को लेकर भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

सरकार ने इथेनॉल डिस्टिलरीज में 40 हजार करोड़ रुपए का निवेश भी किया है, जिससे बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन हुआ है। हम जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को तेजी से कम कर रहे हैं। उसमें भी गन्ने के बाइ-प्रोडक्ट्स से काफी मदद मिल रही है। गन्ने की खोई से बिजली उत्पादन में भी वृद्धि हुई है। देश में गन्ने की खोई और बायोमास से ऊर्जा उत्पादन की क्षमता भी लगातार बढ़ाई जा रही है।

अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान जो कप, प्लेट, कटोरे और चम्मच उपयोग में लाए गए थे, वो गन्ने की खोई से बने थे। हमारे जीवन में इस तरह की चीजों का उपयोग बढ़ने से गन्ने के बाइ-प्रोडक्ट की उपयोगिता बढ़ गई।

सवाल: कहा जाता है पहाड़ का पानी और जवानी उसके काम नहीं आती। हर रोज 230 लोग गांव छोड़ रहे हैं। केंद्र ने बॉर्डर के गांवों के विकास के लिए 49 गांवों में बायब्रेंट विलेज योजना शुरू की है। बाकी इलाकों में पलायन रोकने के लिए क्या उपाय और किए जायेंगे।

जवाब: पिछले 10 वर्षों में मैंने हर उस काम को करने का बीड़ा उठाया है, जिसे पिछली सरकारों ने असंभव मान लिया था। समस्याएं देखकर बैठ जाना, ये मेरे स्वभाव में नहीं है। जिन्होंने दशकों तक पहाड़ी इलाकों की उपेक्षा की उनके समय में ये कहावत ठीक बैठती थी, कि पहाड़ का पानी और जवानी उसके काम नहीं आती। लेकिन मैंने इस कहावत को बदलने का संकल्प लिया है। केंद्र और उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने पहाड़ी इलाकों के विकास पर विशेष फोकस रखा है।

जब मैं कहता हूं कि ये दशक उत्तराखंड का दशक है, तो मेरे इस विश्वास के पीछे ठोस आधार है। मुझे उत्तराखंड की क्षमता, यहां के लोगों के सामर्थ्य पर पूरा भरोसा है। यहीं के लोग मिलकर उत्तराखंड को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। यहां पलायन की समस्या रोकने के लिए पिछले कुछ वर्षों में हमने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यहां के लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और कनेक्टिविटी के बेहतर अवसर देने का प्रयास किया है। रोड, रेलवे, रोपवे और एयरवेज को बेहतर करने के लिए अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। इसका प्रभाव ये हुआ कि पहाड़ के युवाओं को यहीं पर शिक्षा और रोजगार के बेहतर अवसर मिलने लगे हैं।

जैसे हमने उत्तराखंड के 20 कॉलेज में आईटी लैब और हॉस्टल बनाने की योजना को स्वीकृति दी गई है। आंत्रप्रेन्योरशिप डवलपमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ मिलकर यहां के कॉलेजों में आंत्रप्रेन्योरशिप कार्यक्रम चलाया जा रहा है। पीएम उषा के तहत कुमाऊं यूनिवर्सिटी में मेरू Ü(MERU) सेंटर को स्वीकृति दी गई है। एसडीएस यूनिवर्सिटी, ओपन यूनिवर्सिटी, दून यूनिवर्सिटी में छात्रों के लिए नए संसाधन विकसित किए जा रहे हैं। उत्तराखंड जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटकों की संख्या बढ़ने से कई स्तरों पर रोजगार के नए अवसर तैयार होते हैं। हमारी सरकार ने बद्रीनाथ, केदारनाथ, हेमकुंड साहिब, मानस खंड के मंदिरों तक पहुंच को आसान बनाया, और वहां ऐसी सुविधाएं विकसित की, जिससे पर्यटकों की संख्या बढ़ने लगी।

मैं आपको केदारनाथ का उदाहरण देता हूं। 2012 में वहां साढ़े पांच लाख श्रद्धालु आए थे, जो कि एक रिकॉर्ड था। 2013 में आई प्राकृतिक आपदा ने वहां बहुत नुकसान पहुंचाया। वहां की हालत देखकर लोग उम्मीद छोड़ चुके थे कि वो कभी केदारनाथ जा पाएंगे। लेकिन हमारी सरकार ने इस स्थिति को बदलने का संकल्प लिया। इसी का परिणाम है कि 2023 में करीब 20 लाख यात्री बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे थे। अगर मैं पूरी चारधाम यात्रा के श्रद्धालुओं को जोड़ लूं तो ये संख्या 55 लाख से ज्यादा हो जाएगी।

पर्वतमाला योजना, चार धाम परियोजना से आने वाले कुछ समय में उत्तराखंड में अभूतपूर्व तरीके से पर्यटन का विस्तार होगा। मुझे विश्वास है कि जल्द ही श्रद्धालुओं की संख्या करोड़ों में पहुंच जाएगी। पहाड़ों की संवेदनशीलता को देखते हुए हमने आपदाओं से निपटने में भी अपनी क्षमता का विस्तार किया है। आपको याद होगा, तुर्किए में प्राकृतिक आपदा के दौरान बचाव दल के रूप में भारत ने कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस कार्य के लिए दुनियाभर में भारतीय दल की सराहना हुई। उत्तराखंड में भी हम आपदाओं से निपटने और जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने में और सक्षम हुए हैं। रोजगार को बढ़ावा देने के लिए हमारी सरकार कृषि और बागवानी से जुड़ी कई योजनाएं चला रही है। सेब, कीवी और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में होने वाले फलों की बागवानी और पॉलीहाउस के निर्माण पर विशेष फोकस किया जा रहा है।

हमारी वाइब्रेंट विलेज योजना का लाभ सिर्फ बॉर्डर के गांवों को नहीं होगा। देश के पहले गांव तक अगर सड़क जाएगी तो वो कई जिलों और गांव से होकर ही जाएगी। देश के पहले गांव तक अगर टेलीकॉम सुविधा जाएगी, तो वो उसके पहले के कई गांवों को नेटवर्क से जोड़ती हुई जाएगी। वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत 600 से अधिक गांवों का विकास किया जा रहा है। इन गांवों में सुविधाएं बढ़ाने के साथ-साथ इस बात का ख्याल रखा जा रहा है कि वहां की परंपराओं और संस्कृति को कोई नुकसान ना पहुंचे।

सवाल: पर्यटन विकास के लिहाज से नए नगर बसाने की योजना जरूरी मानी जा रही है। सुविधाओं की कमी से दूर दराज के गांवों तक पर्यटक नहीं पहुंच पाते। 429 गांवों में अभी मोबाइल की घंटी नहीं बज सकी। केंद्र मदद करेगा?

जवाब: मुझे लगता है, हिंदुस्तान के संवाददाताओं को ग्राउंड पर और ज्यादा समय बिताने की जरूरत है। ये बात सही है कि आजादी के बाद के दशकों तक उत्तराखंड, कांग्रेस की घनघोर उपेक्षा का शिकार रहा है। इस वजह से उत्तराखंड विकास के मामले में बहुत पीछे रहा। अब भाजपा सरकार इस स्थिति से उत्तराखंड को निकालने के लिए पूरी शक्ति से काम कर रही है। उत्तराखंड में पर्यटन के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर पर जो काम हमारी सरकार ने शुरू किया है, उसने उत्तराखंड के पर्यटन को विस्तार दिया है। मुख्य पर्यटक स्थलों के अलावा ऐसे स्थान जहां बहुत ज्यादा पर्यटक नहीं जाते, उन्हें भी पर्यटन मानचित्र पर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसे स्थानों पर इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करके पर्यटन की संभावनाएं विकसित की जा रही हैं।

कुछ साल पहले तक पिथौरागढ़ जो कि उत्तराखंड का बहुत ही खूबसूरत पर्यटक स्थल है, देहरादून और दिल्ली से बहुत दूर माना जाता था। यहां पहुंचने में यात्रियों को कई घंटे लग जाते थे, लेकिन आज ये दूरी बहुत कम समय में तय की जा सकती है। हेलीकॉप्टर, विमान सेवाओं ने यहां पहुंचना आसान बनाया है। सड़कों को चौड़ा किया गया है, जिससे सड़क यात्रा भी सुविधाजनक हो गई।

जल्द ही केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री करीब 900 किलोमीटर लंबे हाइवे से जुड़ जाएंगे। कर्णप्रयाग-ऋषिकेश रेलवे लाइन से बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम तक पहुंचना आसान हो जाएगा। देहरादून में ट्रैफिक का दबाव कम करने के लिए 700 करोड़ रुपए की लागत से बाइपास रोड तैयार किया जा रहा है। वंदे भारत ट्रेन के जरिए आज दिल्ली से देहरादून 5 घंटे से भी कम वक्त में पहुंचा जा सकता है।

फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी हमारी सरकार का लगातार फोकस रहा है। उत्तराखंड के दूर-दराज के गांवों तक भी 4G मोबाइल टावर लगाने की मंजूरी दी जा चुकी है। यहां बीएसएनएल करीब 500 नए 4G टावर लगा रही है, साथ ही 60 से ज्यादा टावर अपग्रेड किए जा रहे हैं। इससे जिन गांवों में अभी तक 2G या 3G सर्विस मिल रही है, उन्हें 4G की सुविधा मिलने लगेगी। इस प्रोजेक्ट पर 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जा रहे हैं। उत्तराखंड की लगभग 93% जनता के पास 4G इंटरनेट सर्विस का लाभ पहुंच रहा है, हमारी सरकार की तीसरी पारी में हम ये आंकड़ा 100% तक ले जाएंगे।

भारत में 5G का विस्तार दुनिया में सबसे तेज गति से हुआ है। उत्तराखंड के भी कई इलाकों में 5G की सर्विस मिल रही है। आज उत्तराखंड के चारों धामों में 5G कनेक्टिविटी है। देश की 2 लाख वीं 5G साइट गंगोत्री ही है। मैं उत्तराखंड के लोगों से कहना चाहूंगा कि उनका सपना ही मेरा संकल्प है। उत्तराखंड के लोगों की आकांक्षाओं को आवाज देने के लिए भाजपा ने मजबूत उम्मीदवार खड़े किए हैं। इन लोगों के माध्यम से वहां के लोग हमेशा मुझसे जुड़े रहेंगे। ये सशक्त, कर्मठ और जमीन से जुड़े उम्मीदवार उत्तराखंड के प्रतिनिधि बनकर देश की संसद में जाएंगे और राज्य के विकास के लिए निरंतर कार्य करते रहेंगे।

Source: Hindustan

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