PM Modi's interview to Navbharat Times

Published By : Admin | May 7, 2019 | 10:58 IST

आप पूरा देश घूम रहे हैं। किस तरह का मूड आप देश की जनता का देख रहे हैं?

2014 को  लेकर जो एनालिसिस होता था, उसमें यह आता था की यूपीए सरकार के प्रति लोगों में इतना गुस्सा था कि मोदी को बिठा दिया। मैं नया था, हमको भी लगता था कि इसलिए देश ने मुझे मौका दिया, पर अब मुझे लगता है कि ऐसा नहीं है। देश की एक बहुत मैच्योर थिंकिंग है। अस्थिरता से देश का कितना नुकसान हुआ है। देश के 30 साल इसमें गए हैं। देश में एक स्थिर सरकार होनी चाहिए, यह 2014 में जनता का मिजाज रहा होगा, ऐसा मुझे आज ज्यादा महसूस होता है। इन दिनों मैं देखता हूं कि जनता के सामने यह क्लियर है कि देश को स्थिर सरकार चाहिए। दूसरा 2014 में एक उत्सुकता थी कि मोदी कौन है, नाम सुना है, गुजरात में उसने अच्छा काम किया है? अभी उसने खुद देखा है। नाम और काम, आज दोनों जनता के सामने हैं और इसलिए मेरा पूरा विश्वास है कि 2019 में 2014 से ज्यादा हमारा विस्तार होगा, बीजेपी का भी और एनडीए का भी। हम पिछली बार नॉर्थ-ईस्ट में कम थे, साउथ में कम थे। इस बार ईस्टर्न इंडिया हो, साउथ हो, ये भी हमें सेवा करने का मौका देंगे।

2014 के मोदी व 2019 के मोदी में, अपने आप में क्या फर्क देखते हैं?

एक तो मुझे लगता है कि जो बहती नहीं, बढ़ती नहीं, तो जिंदगी नहीं। जिंदगी बहती भी होनी चाहिए और बढ़ती भी होनी चाहिए। दूसरा, अगर मैं पॉलिटिकल दुनिया को देखूं, तो मैं गुजरात में था, तो ऑल इंडिया लेवल के लोग मुझे साल में तीन चार बार गाली देते थे और मेरा डाइजेशन उतना ही था। 2019 में रोज नई गाली और महामिलावट के जितने साथी हैं, दुनिया के हर डिक्शनरी से निकाली गई गाली देते हैं, तो मेरा डाइजेशन पावर काफी बढ़ा है।

आपने नवीन पटनायक की तारीफ की है। उसके पहले आपने एक मीटिंग में मायावती के लिए कहा था कि उनका इस्तेमाल हो गया। इस नरमी को अगर चुनाव के संदर्भ में देखा जाए, तो आप क्या कहेंगे?

ये हमारे देश में जो अंपायर है, वही बॉलिंग और बैटिंग करना शुरू कर देते हैं। जो चीजें जैसी हैं, वैसी रिपोर्ट करने के बजाय दिमाग में चौबीसों घंटे राजनीति भरी रहती है और इसलिए हर चीज में राजनीतिक अर्थ निकालते रहते हैं। आप हिंदुस्तान के सभी प्रधानमंत्री के भाषण निकाल लीजिए, मेरे और अटल जी के भाषण में ही यह आया है कि हम यह नहीं कहते कि देश में कुछ नहीं हुआ। हम यही कहते हैं कि अब तक जितनी भी सरकारें आईं, सबने काम किया है। लेकिन तब चुनाव नहीं था, तो आपने रजिस्टर नहीं किया। मेरा ये मत है कि मैं कॉम्पिटिटिव को-ऑपरेटिव फेडरलिजम का पक्षकार हूं।

फेडरलिजम में राज्य सरकार का महत्व होता है, इसीलिए मैं कहता हूं कि केंद्र और राज्य के चुनाव एक साथ होने चाहिए। ये जो केंद्र और राज्य की लड़ाई कनवर्ट हो जाती है, वो नहीं होगी। चुनावी मजबूरी होती है। बोलना पड़ता है क्योंकि पीएम एक पॉलिटिकल पार्टी का वर्कर होता है। उसका बहुत नुकसान होता है। एक साथ चुनाव होने पर जो भी होगा, एक-दो महीने में हो जाएगा। राज्य वाले राज्य चलाएंगे। केरल में भी जितनी बातें ठीक हुईं, उसकी सार्वजनिक रूप से तारीफ की। शरद पवार की भी मैंने कई तारीफ की, लेकिन मैं उनकी राजनीति से सहमत नहीं हूं।

मायावती को लेकर आपने जो कहा? 

मैंने मायावती के लिए कहा ही नहीं। मैंने यूज करने की आदत वालों के लिए कहा है। इसमें बहुत फर्क है। कैसे ये खेल खेले जाते हैं, मेरा फोकस उस पर है। आप ईमानदारी से गठबंधन कीजिए ना। गठबंधन में खेल क्यों खेलते हैं, मेरा मुद्दा वो था, क्योंकि आप सुपर पॉलिटिक्स चलाते हैं और वंदे भारत स्पीड से दौड़ते हैं, इसलिए आप 10 कदम आगे चले जाते हो।

लुटियंस का सर्कल आपको क्या अब भी अपने खिलाफ ऐक्टिव लगता है? 

देश में दिल्ली में जिन्हें आप लुटियंस कहते हैं, उनके लिए मोदी कोई पहला शिकार नहीं है। आंबेडकर के साथ इस टोली ने भी यही किया है। सरदार वल्लभ भाई पटेल के साथ भी यही किया है। मोरारजी देसाई की भी बस एक ही पहचान बना दी थी। देवेगौड़ा के साथ भी यही किया कि वे सोते रहते हैं। गुजराल के साथ भी यही किया कि वह तो इंडिया इंटरनैशनल सेंटर के प्राइम मिनिस्टर हैं। एक परिवार के सिवा बाकी सबको नीचा दिखाना इनका स्वभाव है, इनका अजेंडा है। मेरे बाद जो आएगा, यदि वह इस परिवार का न हुआ, तो उसे भी यही भुगतना है।

2014 में आप अच्छे बहुमत से जीते थे, लेकिन तब भी आपने अपने सहयोगी दलों को साथ रखा, उन्हें इग्नोर नहीं किया। अगर आप 2019 में भी उसी तरह से जीतते हैं, तो ऐसी संभावना देखेंगे कि दूसरी पार्टियों के भी और लोग आपके साथ जुड़ें?

नंबर एक, भारतीय जनता पार्टी 2014 से ज्यादा सीटों के साथ जीतेगी। दूसरा, एनडीए के हमारे साथी भी पहले से ज्यादा सीटों से जीतेंगे। तीसरा, भौगोलिक दृष्टि से भारत के अनेक नए क्षेत्रों में हमें सेवा करने का अवसर मिलेगा। चौथा, अगर सरकार बनती है, तो पूर्ण बहुमत से बनेगी, ये मेरा कन्विक्शन है। सरकार बहुमत से चलती है, लेकिन देश बहुमत के अहंकार से नहीं चलता। देश सहमति के भाव से चलता है। अगर किसी एक पार्टी का भी, कोई एक भी मेंबर एमपी हो, तो उस पार्टी को भी हमको साथ लेकर चलना चाहिए, क्योंकि हमें देश चलाना है और इसलिए सरकार चलाने और देश चलाने में बहुत फर्क है। सरकार चलाने के लिए जनता हमें पूरी शक्ति देने वाली है। देश चलाना लीडर की जिम्मेदारी है, प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी है। रूलिंग पार्टी की जिम्मेदारी है, सबको साथ लेकर चलना, अपोजिशन को भी।

अगर आपके पास बहुमत होता है, तब भी क्या दूसरे दलों के लिए आपके दरवाजे खुले रहेंगे?

मेरा मत है कि देश चलाने के लिए हर किसी को साथ लेकर चलना चाहिए। मान लीजिए कोई एक दल बहुत बड़ा है, मगर संसद में उसका उतना प्रतिनिधित्व नहीं है, तो उनके साथ भी देश चलाने के लिए अच्छी भावना होनी चाहिए। सरकार चलाना और देश चलाना, दोनो चीजें अलग हैं।

आपको लगता है कि क्या यह टोली पहले से कमजोर हुई है?

ऐसा है कि मैं उनके ऊपर इतना ध्यान नहीं देता हूं कि वे पहले कितने ताकतवर थे, और अब कितने कमजोर हैं, मुझे सकारात्मक काम करना है। लोकतंत्र है, लोग अपना काम करते हैं और मैं अपना काम करता हूं।

जब भी चुनाव होता है तो पाकिस्तान का जिक्र क्यों आ जाता है?

देश में आतंकवाद एक मुद्दा है। सामान्य आदमी की सुरक्षा एक मुद्दा है और होना भी चाहिए। अगर गुड़गांव म्यूनिसिपैलिटी का चुनाव है तो वहां पाकिस्तान मुद्दा नहीं होगा। यह म्यूनिसिपैलिटी का चुनाव नहीं है। यह देश का चुनाव है और उसमें आतंकवाद मुद्दा रहेगा और जब आतंकवाद मुद्दा रहेगा तो उससे जुड़ी जो भी ताकतें हैं, उनका जिक्र आएगा। अगर पाकिस्तान टेररिजम एक्सपोर्ट करता है तो उसका जिक्र आएगा

तीन तलाक पर कानून लाने के बाद अब ऐसे दो मुद्दे हैं जिन्हें लेकर मोदी सरकार पर पूरे देश की नजर टिकी है- पहला कॉमन सिविल कोड का और दूसरा अयोध्या का। इस पर क्या कहना है आपका?

तीन तलाक का मसला एक महिला के सम्मान का विषय है। इसका रिलिजन से कोई लेना-देना नहीं है। दुनिया के करीब-करीब सभी इस्लामिक देशों में तीन तलाक प्रतिबंधित है। जिस भावना के साथ उन देशों ने इसे प्रतिबंधित किया, उसी भावना के साथ भारत ने भी यह कदम उठाया कि हमारी मुस्लिम बेटियों को मान सम्मान मिलना चाहिए। दूसरा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस पर भारत सरकार निर्णय ले और हमारा भी मत रहा है कि जो धार्मिक मान्यताएं हैं, उनको छुए बिना ही इन चीजों को कैसे कर सकते हैं और हमने उसे सफलतापूर्वक किया है। पूरी चर्चा में न कहीं कुरान आया है और न इस्लाम आया है। महिला को ही सेंटर में रखकर हमने किया है। और मैं मानता हूं कि इस सत्र में वह काम पूरा भी हो जाएगा। दो जो सवाल आपने पूछे हैं, हमारे देश के संविधान में भी यही भाव है कि देश में सबको समान होना चाहिए। किसी न किसी कारण वो प्रक्रिया अभी धीमी चली है, कभी न कभी आगे बढ़ेगी। तीसरा जो आपने सवाल पूछा है वह मैटर सुप्रीम कोर्ट में है।

अयोध्या विवाद पर मध्यस्थता के लिए आप आगे हाथ नहीं बढ़ाएंगे? जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सुझाव दिया है?

अभी सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फील्ड में हाथ लगाया है, जो नॉर्मली उनका फील्ड नहीं बनता है। अब देखते हैं कि सुप्रीम कोर्ट क्या करता है, ये उसके लिया नया-नया अनुभव है।

ये भी कहा जा रहा है कि बीजेपी दो लोगों की पार्टी बनकर रह गई है, जबसे आपका 2014 से युग शुरू हुआ है?

बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पॉलिटिकल पार्टी है। 11 करोड़ मेंबर हैं। पूरी तरह डेमोक्रेटिक एलिमेंट से भरी हुई पॉलिटिकल पार्टी है। उसकी निर्णय लेने की प्रक्रिया डेमोक्रेटिक है। पहले पर्सेप्शन था कि बीजेपी उच्च वर्ण की पार्टी है। कुछ लोग वो पुरानी डायरी लेकर अब भी घूम रहे हैं। जबकि, बीजेपी में समाज के सब तबके के लोग हैं। पहले एक इंप्रेशन था कि बीजेपी हिंदी हार्ट लैंड की पार्टी है। ये बीजेपी गुजरात में भी सरकार चलाती है, गोवा में भी, कर्नाटक में भी चला चुकी है और तमिलनाडु में भी हम साथ रहे हैं। …अब कुछ लोग सुधरना ही नहीं चाहते तो हम क्या करेंगे।

दूसरा यह कॉन्सेप्ट बनाया था कि बीजेपी शहरी पार्टी है। आप हमारे सारे एमपी देखेंगे, वे ग्रामीण बैकग्राउंड के है, एग्रीकल्चर बैकग्राउंड के हैं। अब पर्सेप्शन बना दिया गया है कि बीजेपी में एससी/एसटी नहीं हैं। अधिकांश एसटी बीजेपी के हैं। अधिकांश महिला बीजेपी की हैं। कैबिनेट कमिटी ऑफ सिक्युरिटी में दो महिलाओं का होना पहली बार हुआ है। अधिकतर कैबिनेट मिनिस्टर महिलाएं... पहली बार हुआ है। लेकिन इस बीजेपी को देखने के लिए कोई तैयार नहीं है। इसका कारण है कि उनके अंदर इनहैरंट बीजेपी के लिए नकारात्मक भाव है। तो कैसे भी करके बीजेपी को नीचा दिखाना है, इसके बारे में सही सोचना नहीं है। जबकि जितनी बातें मैंने बताईं वे पब्लिक डोमेन में हैं। बीजेपी सर्वव्यापी है, सर्वस्पर्शी है और सर्वसमावेशक है।

जब चुनाव के 5 चरण हो चुके हैं, तो आप क्या राजनीतिक परिदृश्य देख रहे हैं? 

जैसे-जैसे मतदान का एक-एक चरण संपन्न हो रहा है, हम तीन तरह के ट्रेंड स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। पहली बात तो यह है कि लोग जबर्दस्त उत्साह के साथ मतदान कर रहे हैं। अधिकतर जगहों पर यह उत्साह 2014 से भी ज्यादा है। दूसरी बात कि हर चरण के साथ भारतीय जनता पार्टी के लिए लोगों का समर्थन और मजबूत होता जा रहा है। लोग इसी सरकार को फिर से लाना चाहते हैं, इसलिए देश में एक भारी प्रो-इन्कंबेंसी वेव चल रही है। हमारी पार्टी से कहीं ज्यादा जनता खुद हमारे चुनावी अभियान को संचालित कर रही है। इस दृष्टि से अभी तक का यह एक अनोखा चुनाव रहा है।

तीसरी बात, हर चरण के साथ ही विपक्ष की निराशा और हताशा और स्पष्ट होती जा रही है, बढ़ती जा रही है। ‘परिवार’ के एक करीबी नेता ने कांग्रेस पार्टी के बहुमत पाने की किसी भी संभावना को खारिज कर दिया है। कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है, जिसको पता भी हो कि ज़मानत ज़ब्त होनेवाली है, फिर भी वह दावा करती है कि हम जीत रहे है। इसलिए, जब पार्टी के एक बड़े नेता ऐसा बोलते है तो यह बताता है कि चुनावों में कांग्रेस पार्टी की हालत कितनी खराब होने वाली है।

कांग्रेस की स्थिति इस बात से भी जाहिर होती है कि पार्टी ने बड़े गर्व से माना कि वह ‘वोटकटवा’ के तौर पर काम कर रही है। आप कल्पना कर सकते हैं कि एक पार्टी जिसने कभी पंचायत से पार्लियामेंट तक शासन किया हो, वह ‘वोटकटवा’ बनने में भी गौरव का अनुभव कर रही है।

आप बीजेपी की तरफ से चुनावी अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। आपको 14 और 19 के चुनाव में क्या फर्क नजर आ रहा है?

सबसे बड़ा फर्क ये है कि इस बार चुनावी अभियान का नेतृत्व मैं नहीं, बल्कि जनता खुद कर रही है।
आज देश में लोग कह रहे हैं कि -

भारत की विकास यात्रा आगे बढ़ रही है तो उस यात्रा को रुकने नहीं देंगे।

भारत का विश्व में मान सम्मान बढ़ रहा है तो अब देश को झुकने नहीं देंगे।

भारत से आतंकवाद-नक्सलवाद खत्म हो रहा है तो उसे फिर पनपने नहीं देंगे।

भारत में भ्रष्टाचार आखिरी सांसें गिन रहा है तो उसे फिर जड़ जमाने नहीं देंगे।

भारत इसी तरह से आगे बढ़ता रहे, विकास का कारवां चलता रहे, नया भारत मजबूत आकार लेता रहे, इसलिए पूरा देश हमारे लिए उठ खड़ा हुआ है और हमारे चुनावी अभियान का नेतृत्व कर रहा है। सबसे महत्वपूर्ण फर्क ये है कि देश के युवाओं ने इसकी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली है। उन्होंने चुनाव अभियान को एक नई ऊंचाई दी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यंगस्टर्स वंशवाद और भ्रष्टाचार नहीं चाहते, वे बेहतर भविष्य चाहते हैं।

2014 में दिल्ली के लिए मैं नया था, लोग मुझे गुजरात के मुख्यमंत्री के नाते जानते थे। और लोगों ने गुजरात की विकास गाथा के बारे में सुना था। अब 5 साल के बाद सबसे बडा फर्क ये आया है कि लोगों ने देखा है कि देश में तेज गति से काम मुमकिन है। भ्रष्टाचार से मुक्त शासन मुमकिन है। बिना भेदभाव हर गरीब का विकास मुमकिन है। बिना बिचौलियों के भी सरकारी मदद मुमकिन है। हर गरीब को घर, बिजली, गैस, शौचालय मुमकिन है। इसलिए यह कह सकते है की 2014 में नाम और उम्मीदों पर लोगों ने वोट दिया था। 2019 में काम और विश्वास पर लोग वोट देने वाले है।

क्या इस बार सत्ता में होने से आपकी चुनौती कहीं ज्यादा बढ़ गई है? 2014 में आप विपक्ष में थे, आपकी कोई जवाबदेही नहीं थीं लेकिन 19 में अब आप सरकार में हैं?

जिसे आप चुनौती कह रहे हैं, उसे मैं जिम्मेदारी मानता हूं। ऐसा इसलिए क्योंकि 2014 में लोगों का मोदी के प्रति जो प्यार और विश्वास था, वो 2019 में और बढ़ गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि 2014 में बुनियादी आवश्यकताओं के लिए जो आशाएं और अपेक्षाएं थीं, वो निरंतर विकास के साथ 2019 में आकांक्षाओं में बदल गई हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि 2014 के चनाव से पहले जहां सरकार का मतलब घोटाला, भ्रष्टाचार और लूट-खसोट था, वहीं 2019 के चुनाव में सरकार का मतलब विकास, विकास और विकास है। जब मैं लोगों की इस भावना को देखता हूं, तब लगता है कि मुझे अपनी नींद और कम करनी पड़ेगी, ज्यादा जागना पड़ेगा, ज्यादा दौड़ना पड़ेगा।

5 साल पहले आप अच्छे दिन के वादे पर सरकार में आये थे, आप उस पैमाने पर अपने को कितना खरा पाते है? अगर आप से अपनी सरकार को नम्बर देने को कहा जाए तो आप कितने नम्बर देना चाहेंगे?

देखिए, नंबर देने का काम तो मैं नवभारत टाइम्स के पाठकों पर छोड़ता हूं। लेकिन 5 साल में क्या हुआ वह में आपके सामने रखता हूं। 5 साल पहले देश फ्रेजाइल 5 में था, आज देश सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यस्था है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत 142वें नंबर पर था और आज 77वें नंबर पर है। आज देश में दोगुना FDI आ रहा है।आज गरीबी काफी तेज़ गति से मिट रही है। घर, अस्पताल, रोड, हाइवे, एयरपोर्ट सब कहीं अधिक तेजी से बन रहे हैं। पहले महंगाई दर डबल डिजिट में हुआ करती थी, आज वो निम्नतम स्तर का रिकॉर्ड तोड़ रही है।सैनिटेशन कवरेज 38 फीसदी था, जो आज करीब-करीब सौ प्रतिशत हो गया है।देश में 18 हजार गांव अंधेरे में डूबे थे, हमने हर गांव में तो बिजली पहुंचाई ही, अब हर घर तक बिजली पहुंचा रहे हैं।

इस चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा क्या है? राष्ट्रवाद या कोई और?

चुनाव में हमारा मुद्दा एक विकसित, सुरक्षित और समृद्ध भारत है। 5 साल में हमने विकास के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं और हमारे पास विकसित भारत का रोडमैप है। लोगों ने देखा है कि सरकार ने कैसे आतंकवाद का डटकर मुक़ाबला किया है। एक सुरक्षित भारत बनाने का निश्चय और संकल्प हमारे पास है।

इस चुनाव में आप मुकाबला किससे मान रहे हैं? कांग्रेस से, रीजनल पार्टीज से या खुद नरेंद्र मोदी से ही?

इस चुनाव में जनता भी नहीं समझ पा रही है कि मोदी के मुकाबले कौन खड़ा है।

विपक्ष का कहना है कि अगर सरकार के पास पांच साल की उपलब्धियां हैं, तो बीजेपी को उनको आगे करके वोट मांगना चाहिए लेकिन बीजेपी का पूरा चुनावी अभियान पाकिस्तान के खिलाफ एयर स्ट्राइक पर केंद्रित हो रहा है?

इस चुनाव में मैं आकड़ों के आधार पर चुनाव प्रचार को केंद्रित रख रहा हूं। विपक्ष के पास सरकार के खिलाफ कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए उन्होंने पूरा चुनाव मुझ पर केंद्रित कर रखा है। मुझे कोसने पर केंद्रित कर रखा है। आज मैं आपको ऐसे आंकड़े दे रहा हूं, जिन्हें देखकर आपको मेरी सरकार के काम करने की गति के बारे में पता चलेगा। आज हर रोज प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत लगभग 70 हजार माताओं-बहनों को मुफ्त गैस कनेक्शन मिल रहे हैं।

सौभाग्य योजना के तहत लगभग 50 हजार घरों को बिजली कनेक्शन दिए जा रहे हैं। हर रोज जन धन योजना के तहत करीब 2 लाख 10 हजार गरीबों के बैंक अकाउंट खुले हैं। मुद्रा योजना के तहत लगभग 1 लाख 15 हजार उद्यमियों को लोन दिए गए हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 11 हजार से अधिक घर बन रहे हैं और उसकी चाबी सौंपी जा रही है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत 60 हजार से अधिक शौचालयों का निर्माण हो रहा है। करीब 1 लाख 30 हजार किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड दिए गए हैं। आयुष्मान भारत योजना के तहत 9 हजार से अधिक लोगों का मुफ्त इलाज हो रहा है। डीबीटी के तहत 400 करोड़ रुपए से अधिक की रकम सीधे गरीबों के बैंक खातों में ट्रांसफर हो रही है। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना से करीब-करीब एक लाख 5 हजार लोगों को लाभ मिल रहा है।

इसलिए आज जब मेरे पास उपलब्धियों की लंबी चौड़ी लिस्ट है तो मैं अपने सभी भाषणों में विकास के उन सभी कार्यों का विवरण देता हूं। आप मेरा कोई भी भाषण उठाकर देख लीजिए। लेकिन मैं यह तय नहीं कर सकता कि आपकी खबर की हेडलाइन क्या होगी। यदि देश की सुरक्षा और आतंकवादियों के खिलाफ की गई कार्रवाई आपको हेडलाइन के लिए उपयुक्त लगती है तो वह आपका निर्णय है।

सेना जिस तरह चुनावी मुद्दा बन रहा है, उस पर आप क्या कहना चाहेंगे। सेना सबकी है, फिर सेना के शौर्य को किसी एक पार्टी की तरफ से चुनाव में इस्तेमाल करने को कहां तक जायज मानते हैं?
सेना देश की है, पराक्रम भी देश का है और विजय भी देश की है। और मेरा मानना है कि कांग्रेस हो या कोई भी विपक्षी पार्टी– सबको इस बात का गर्व होना चाहिए। सबको इस पराक्रम का महिमामंडन करना चाहिए।

जब सशस्त्र बलों ने बालाकोट एयर स्ट्राइक्स की जानकारी दी तो आखिर किसने सबूत की मांग की थी?

किसने सशस्त्र बलों की कार्रवाई पर लगातार सवाल उठाकर उनके मनोबल को गिराने का प्रयास किया? किसने आर्मी चीफ को ‘सड़क का गुंडा’ कहा? किसने अचानक नींद से जाग कर यह कहना शुरू कर दिया कि उन्होंने भी सर्जिकल स्ट्राइक की थी, लेकिन अभी तक यह नहीं बता पा रहे हैं कि कितनी की थी। कुछ लोग तीन बता रहे हैं तो कुछ लोग 6, कुछ लोग तो 10 से भी अधिक सर्जिकल स्ट्राइक करने की बात कह रहे हैं। ये क्या मजाक है? मैं समझता हूं कि जो लोग इस प्रकार की हरकतों के लिए जिम्मेदार हैं, आपको उनसे जाकर यह प्रश्न पूछना चाहिए।

क्या आपको नहीं लगता पांच साल के दरम्यान इस तरह का माहौल बन गया है जहां विचारों से भिन्नता को राष्ट्रवाद और देशद्रोह की कसौटी पर कसा जाने लगा है? इसकी क्या वजह आप देखते हैं?

क्या आप पिछले 5 वर्षों में ऐसा कोई उदाहरण बता सकते हैं जहां किसी व्यक्ति को हमसे अलग राय रखने पर सजा दी गई हो? ये कुछ चुनिंदा लोग अपने फायदे के लिए ऐसा बोलते हैं लेकिन अब समय आ गया है कि वे ऐसी बातें करना बंद करें। भारत की सांस्कृतिक विविधता ऐसी है जहां हम अलग-अलग विचारधारा के समाज के सभी वर्गों के लोगों का स्वागत करते हैं। हमारी पार्टी ने तो इमरजेंसी का पुरजोर विरोध किया था और इसके खिलाफ संघर्ष किया था। लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को लेकर कोई सवालिया निशान नहीं खड़ा कर सकता।

आप 40 साल पहले की बात कर रहे हैं, जब आपातकाल के दौरान देश में फासिस्ट माइंडसेट व्याप्त था। उस दौरान लोगों को अपनी अलग राय रखने पर जेल में डाल दिया जाता था। अदालतों की अवमानना की जा रही थी और जजों की वरिष्ठता को सिर्फ इसलिए अनदेखा किया जा रहा था क्योंकि एक नेता को एक न्यायाधीश का फैसला पसंद नहीं आया था। राजीव गांधी के शासनकाल में प्रेस की स्वतंत्रता खतरे में थी। लेकिन अब यह सब नहीं होता है। लोगों के अलग-अलग विचार हमें और मजबूत बनाते हैं। लेकिन हां, ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ कहने वाले लोगों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अमर जवान ज्योति को तोड़ने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जैसा 2012 में मुंबई में कांग्रेस के शासन में हुआ था।

जो भी भारत की एकता, अखंडता को कमजोर करेगा है और हमारी विविधता पर प्रहार करेगा उसे उसकी सजा भुगतनी पड़ेगी। कोई कैसे यह बर्दाश्त कर सकता है कि 6 दशक तक देश में शासन करने वाली पार्टी कांग्रेस अपने घोषणा पत्र में यह कहे कि सत्ता में आने पर देशद्रोह का कानून खत्म कर देंगे। फिर तो देश को तोड़ने वाली ताकतें मजबूत हो जाएंगी।

राहुल गांधी के संदर्भ में आपका एक बयान आया जिसमें आपने राजीव गांधी को भ्रष्टाचार से जोड़ा, यह बयान आवेश में था या इसे आप आगे ले जाएंगे?

मैंने तो महज एक फैक्ट की चर्चा की, जानकारी दी है। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि आखिर इसके कारण कांग्रेस के पूरे इकोसिस्टम में इतना ज्यादा गुस्सा क्यों है/ जब कांग्रेस अध्यक्ष एक मौजूदा पीएम को गाली देते हैं, उनके परिवार और उनकी गरीबी का मजाक उड़ाते हैं, तब तो कांग्रेस का यही इकोसिस्टम ताली बजाना शुरू कर देता है। लेकिन वहीं जब मैं उनके पिता को लेकर एक स्थापित तथ्य के बारे में कुछ कहता हूं तो ये सारे लोग अपना आपा खो बैठते हैं। सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि कांग्रेस के इको-सिस्टम से भी किसी ने न तो ये कहा कि वो भ्रष्ट नहीं थे और न ही ये कहा कि मैं तथ्यात्मक रूप से गलत था। मैंने पहले भी यह कहा था और फिर से दोहरा रहा हूं। मैं कांग्रेस और उनके इकोसिस्टम को चुनौती देता हूं कि वे दिल्ली में राजीव गांधी के नाम पर चुनाव लड़ कर दिखाएं।

कांग्रेस कह रही है कि आप राफेल के मुद्दे से भाग रहे हैं?

इस मुद्दे पर चाहे संसद हो या संसद के बाहर, हर लोकतांत्रिक मंच पर बहस हुई है। ये लोग सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन देखिए क्या हुआ? सीएजी भी गए, लेकिन वहां भी देखिए क्या हुआ? हर बार कांग्रेस एक नए झूठ के साथ सामने आती है और हर बार उसका झूठ हवा में उड़ जाता है। हमारे देश में पहले भी रक्षा सौदों को लेकर न सिर्फ विवाद हुआ, बल्कि उनमें जमकर भ्रष्टाचार भी हुआ। कांग्रेस की यही विरासत थी। उसने हमेशा रक्षा सौदों का एक एटीएम की तरह इस्तेमाल किया। शायद, कांग्रेस अध्यक्ष यह समझते हैं कि चूंकि उनके परिवार के लोगों ने हमेशा रक्षा सौदों में निजी स्तर पर गड़बड़ी की है, बेईमानी की है, इसलिए देश में कोई भी ईमानदार रक्षा सौदा संभव ही नहीं है।

पिछले चुनाव में उत्तर प्रदेश ने ऐतिहासिक फैसला दिया था, उत्तर के कई राज्यों ने बीजेपी को क्लीन स्वीप दिया। आपको इस बार सबसे ऐतिहासिक फैसले की उम्मीद कहां से है?

पूरे देश से ऐतिहासिक और निर्णायक परिणाम आएगा।

अगर बहुमत से कम रहे तो क्या क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन सरकार बनाने को तैयार हैं? उन दलों का भी सहयोग ले सकते हैं, जो अभी विरोध में हैं?

भाजपा को इस चुनाव में भी स्पष्ट बहुमत मिलेगा। एनडीए के सहयोगी दल भी अपने अपने चुनाव जीत कर आएंगे और पूर्ण बहुमत वाली एनडीए सरकार फिर से बनेगी।

विपक्ष में आप किसको बेहतर नेता मानते हैं?

एज अ पर्सन मुझे सब अच्छे लगते हैं। व्यक्तिगत रूप से हमें किसी से कोई समस्या नहीं। हमारा विरोध राजनीतिक विचारों का है। व्यक्ति के नाते हमें किसी से कोई प्रॉब्लम नहीं होता। हां, कुछ लोगों से ज्यादा मिलना हुआ और कुछ से कम। लेकिन मेरे लिए सब महत्वपूर्ण है।

दिल्ली में रहने के बावजूद ऐसा क्यों लगता है कि आपने दिल्ली को उतना नहीं अपनाया, जितना बनारस या अहमदाबाद को? क्या दिल्ली की राजनीति की वजह से ऐसा है?

राजनीति तो मेरे ब्लड में ही नहीं है। मैं एक गैर-राजनीतिक प्रधानमंत्री हूं। मैं व्यवस्था, विकास इन्हीं सब चीजों में डूबा रहता हूं। मैं चुनावी सभाओं के अलावा राजनीतिक बातें नहीं करता हूं। वह मेरे स्वभाव में भी नहीं है। मेरे मरने के बाद लोग कुछ चीजें खोजकर निकालें कि ऐसा क्यों था, क्योंकि अभी तो यह उन्हें सूट नहीं करेगा, वरना मैं तो दिल्ली को इतना महत्व देता हूं कि आज मैं दिल्ली को पूरे हिंदुस्तान में ले जा रहा हूं।

आपने गंगा की सफाई के लिए नमामि गंगे प्रोजेक्ट चलाया। दिल्ली में यमुना इतनी मैली है। इसकी सफाई कैसे होगी?

गंगा एक प्रतीक है और 40 करोड़ लोगों की जिंदगी से जुड़ी है गंगा। उसका मूल महत्व पर्यावरण से है और इकॉनमी से भी, सिर्फ आस्था का विषय नहीं है। मैंने इस बार पानी की मिनिस्ट्री बनाने का फैसला किया है, मैनिफेस्टो में है। उसके पीछे मकसद यही है कि हमें पानी का उत्सव करना चाहिए। गुजरात में आपने देखा होगा कि कैसे हमने साबरमती को जिंदा किया। मेरे लिए दिस रिवर, दैट रिवर… अजेंडा नहीं है, आपके लिए पॉलिटिकल अजेंडा हो सकता है, मेरे लिए नहीं।

दिल्ली सरकार आरोप लगाती रही है कि केंद्र उसे काम करने नहीं देता?

लोग राजनीतिक आरोप लगाते हैं। शीला दीक्षित पर कितने भयंकर आरोप लगे थे। पांच साल से वे बैठे हैं, क्या किया उन्होंने…। अब वो शीला जी के साथ समझौता करने के लिए रात दिन एक किए हुए थे।

दिल्ली को आप किस तरह देखते हैं, लोकल बॉडी में लगातार जीतने, पिछली बार सातों सीटें जीतने के बाद भी बीजेपी यहां 20 साल से सत्ता से दूर है।

दिल्ली एक तरह से मिनी-भारत है। यह भारत की विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और रीति-रिवाजों का केंद्र है। 1984 में दिल्ली में हुई सिखों की दुर्भाग्यपूर्ण हत्या की घटना को छोड़ दें तो इतनी विविधता होने के बावजूद दिल्ली में सभी शांतिपूर्ण तरीके से रहते हैं। दिल्ली के लोग भी मेहनती होते हैं। अपनी मेहनत से उन्होंने गरीबी से लड़ाई लड़ी है। अपनी मेहनत से उन्होंने दिल्ली को एक बेहतर शहर बनाया है। दिल्ली के दिल में जोश है कुछ कर गुजरने का। ईमानदारी है। हौसला है। देशभक्ति है। बीजेपी है।

दिल्ली के लोग जानते हैं कि उन्हें एक ऐसी पार्टी का चुनाव करने की जरूरत है जो उनकी आकांक्षाओं को समझती हो, न कि ऐसी पार्टी जो केवल अराजकता फैलाना जानती हो। वे जानते हैं कि उन्हें एक ऐसी पार्टी का चुनाव करने की जरूरत है जो विकास में विश्वास रखती हो, न कि ऐसी पार्टी जो केवल वंशवाद में विश्वास रखती हो।

2014 के मुकाबले आप 2019 के प्रचार को कैसे देखते हैं, खासकर इस लिहाज से कि पिछले पांच साल में देश में जबरदस्त 4जी क्रांति हुई है, लोग मोबाइल पर घंटों लाइव विडियो देख रहे हैं, क्या आपको लगता है कि इसका असर राजनीतिक संवाद पर या रैलियों में आने वाली भीड़ पर हुआ है।

मैं देख रहा हूं कि इस बार मेरी रैलियों में तो 2014 की तुलना में अधिक लोग आ रहे हैं। वैसे तो लोगों ने राजनीतिक रैलियों में जाना कम कर दिया है, लेकिन भाजपा की रैलियों में ऐसा नहीं है। तकनीक ने लोकतंत्र को और मुखर बना दिया है। अब एक आम आदमी भी आसानी से तकनीक के माध्यम से अपनी राय व्यक्त कर सकता है। इससे उन्हें बेहतर निर्णय लेने में मदद मिल रही है, जिसकी वजह से शायद कुछ राजनीतिक दलों की रैलियों में लोगों की संख्या में कमी आई है। हम हर संभव माध्यमों द्वारा अधिक से अधिक लोगों से जुड़ने का प्रयास करते हैं। मेरे यूट्यूब चैनल पर लाखों लोग मेरे भाषण सुनते हैं। नमो एेप के माध्यम से लाखों लोग मेरे साथ जुड़े हुए हैं। पहली बार मतदान करने वाले लाखों युवा मेरे से इंस्टाग्राम के माध्यम से संवाद करते हैं। इसी तरह लाखों लोग फेसबुक और ट्विटर पर भी मुझसे जुड़े रहते हैं। ये सभी परिवर्तन अच्छे के लिए ही हैं | लोग जितने ही सजग रहेंगे, जागरूक रहेंगे, देश का उतना ही भला होगा | ये लोगों में जागरूकता आने का ही परिणाम है की लोग अब काम और नीतियों के आधार पर वोट देते हैं।

इस सदी को एशिया की सदी कहा जाता है। भारत इसमें अपना क्या रोल देखता है? 

21वीं सदी सिर्फ एशिया की सदी नहीं, बल्कि मैं तो इसे भारत की सदी भी मानता हूं। भारत विश्व नेता की भूमिका निभाने की ओर बढ़ भी चुका है। आतंकवाद के खिलाफ ग्लोबल अजेंडा तय करने की बात हो या क्लाइमेट चेंज की चुनौती से निपटने की बात हो या फिर काले धन के विरुद्ध लड़ाई हो, भारत आज विश्व में नेतृत्व कर रहा है।

80 करोड़ की अपनी युवा आबादी के साथ भारत पहले ही दुनिया के ग्रोथ इंजन की पोजिशन ले चुका है। भारत एक प्राचीन सभ्यता वाले देश के साथ एक युवा राष्ट्र है । अपनी युवाशक्ति की बदौलत, भारत भविष्य के लिए बेहतर प्लैनेट के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभा सकता है। 21वीं सदी में भारत दुनिया का नेतृत्व कर सके, इसके लिए अर्थव्यवस्था का तेज विकास और इन्फ्रास्ट्रक्चर जरूरी है। युवाओं का सामर्थ्य बढ़ाना भी ज़रूरी है।

हमें 2025 तक भारत को फाइव ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है। हम लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए चौतरफा प्रयास कर रहे है – हाइवे बनाने से लेकर हर गांवों तक बिजली पहुंचाने और रिकॉर्ड संख्या में गैस कनेक्शन देने का काम किया है। आगे हम एग्री-रूरल सेक्टर के लिए 25 लाख करोड़ और वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास लिए 100 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेंगे।

हम युवाओं के हुनर को निखारने के लिए, उनके अंदर इनोवेशन के जज्बे को बल देने के लिए और हमारी शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए अनेक प्रयास कर रहे है। किसी भी देश के विश्व गुरु बनने के लिए एक और चीज की जरूरत होती है, वह है सांस्कृतिक पूंजी। भारत के पास पहले से ही एक महान संस्कृति मौजूद है, जिससे न केवल दुनियाभर को प्रेम है, बल्कि विश्वभर में इसे अपनाया भी जाता है। वह चाहे योग हो या आयुर्वेद। वह चाहे सिनेमा हो या फिर संगीत।

Source: Navbharat Times

  • Jitendra Kumar April 27, 2025

    🙏🇮🇳
  • Dheeraj Thakur March 21, 2025

    जय श्री राम जय श्री राम
  • Dheeraj Thakur March 21, 2025

    जय श्री राम
  • krishangopal sharma Bjp February 23, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp February 23, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp February 23, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp February 23, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp February 23, 2025

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Deputy Prime Minister and Minister for Defence of Australia calls on Prime Minister Modi
June 04, 2025
QuotePM congratulated DPM for Australian Labor Party’s historic victory in the Federal elections
QuoteThey discussed ways to further strengthen the India – Australia Comprehensive Strategic Partnership, which completes its 5 years today
QuoteDPM Marles reiterated Australia’s support in India’s fight against cross border terrorism

The Deputy Prime Minister and Minister for Defence of Australia, Hon. Richard Marles, called on Prime Minister Shri Narendra Modi today. Prime Minister Modi congratulated Deputy Prime Minister Marles on the historic victory of the Australian Labor Party in the recent Federal elections.

The two leaders exchanged ideas to further strengthen the India - Australia Comprehensive Strategic Partnership, which completed five years today. They underlined the importance of enhancing cooperation in key areas such as defence industrial collaboration, resilient supply chains, critical minerals, new and emerging technologies. They reaffirmed that the shared vision for a stable, secure and prosperous Indo-Pacific continues to guide the bilateral collaboration.

Deputy Prime Minister Marles reiterated Australia’s support in India’s fight against cross border terrorism.

Prime Minister extended invitation to PM Albanese for the Annual Summit, to be held in India later this year.