मंच पर विराजमान मंत्रिपरिषद के मेरे सभी साथी,

भारत के उद्योग और व्‍यापार जगत से जुड़े हुए सभी वरिष्‍ठ महानुभाव,

देश-विदेश में अनेक स्‍थानों पर ये कार्यक्रम simultaneously चल रहा है - वहां भी उपस्थित सभी उद्योग जगत के सभी महानुभाव,

मैं सबसे पहले आपसे क्षमा मांगता हूं। मैं देख रहा हूं कि अनेक business leaders को आज इस सभागृह में बैठने के लिए जगह नहीं मिली है। बहुत बड़ी मात्रा में सबको खड़ा रहना पड़ रहा है। इस असुविधा के लिए मैं आपसे क्षमा चाहता हूं। इस असुविधा का कारण यह भी है कि इस सभागृह को पहले कभी ऐसी आदत नहीं थी।

मैं सारे Business Leaders को सुन रहा था। हमारी मंत्री महोदया ने भी पिछले कुछ समय में किस प्रकार से काम हुआ, उसकी चर्चा की। फिल्‍म के द्वारा भी महत्‍वपूर्ण initiative क्‍या-क्‍या लिए गए हैं, ये आपके सामने प्रस्‍तुत किया। इतना देखने के बाद, सुनने के बाद, मैं नहीं मानता हूं कि अब मुझे आपको कुछ अतिरिक्‍त भरोसा दिलाने की जरूरत है कि “Make in India!”

क्‍या हुआ पिछले सालों में? मैं जिससे भी मिलता था, पिछले दो-तीन साल में, हर कोई यही कहता था कि भई, अब तो कहीं बाहर जाना है। बिजनेस यहां से शिफ्ट करना है। इंडस्‍ट्री यहां से शिफ्ट करनी है। मैं उसमें राजनीतिक कारण नहीं देखता था, और न ही मैं इन बातों को सुन कर के राजनीतिक फायदा लेने के लिए कोई प्‍लान बनाता था। यह जब मैं सुनता या तो मुझे पीड़ा होती थी। क्‍या हुआ है मेरे देश को, कि मेरे ही देश के लोग अपना देश छोड़कर के जाने के लिए मजबूर हो जा रहे हैं?

आज जब मैं Make in India की बात लेकर के आया हूं तो हम नहीं चाहते कि मेरे देश का कोई उद्योग, कोई व्‍यवसायी, जिसेसे मजबूरन यहां से छोड़कर के बाहर जाना पड़े - वह स्थिति हमें बदलनी है। और मैं पिछले कुछ महीनों के अनुभव से यह कहता हूं कि हम ये बदल चुके हैं। व्‍यवसाय के क्षेत्र में जुटे हुए लोगों ने अपने आप पर से विश्‍वास खो दिया था। उनको लगता था कि हम दुनिया में टिक नहीं पाएंगे। अब हमारे पास यहां कोई चारा ही नहीं है। और जब व्‍यक्ति खुद पर विश्‍वास खो देता है, तब उसे खड़ा करना बड़ा मुश्किल होता जाता है। दूसरा उसका भरोसा टूट गया था – “पता नहीं यार, सरकार कब क्‍या नीति बनाएगी। कब कौन सी नीति बदल देगी। पता नहीं, कब CBI आ धमकेगी।” ये जो मैंने आप लोगों से सुना था। कानून का राज होना ही चाहिए। जैसे Corporate Social Responsibility की चर्चा है, वैसे Corporate Government Responsibility का भी माहौल होना चाहिए। लेकिन, at the same time, शासन की भी जिम्‍मेदारियां होती हैं। सरकार का भी दायित्‍व होता है।

अभी देवेश जी कह रहे थे, निमंत्रण देने से रूपये थोड़े ही आते हैं। मैं इससे सहमत हूं। सबसे बड़ी आवश्‍यकता होती है, भरोसा, विश्‍वास। पता नहीं हमने देश को ऐसे चलाया है, कि हमने अपने ही देशवासियों की हर बात पर शक किया है। अविश्‍वास किया है। मुझे इस चक्र को बदलना है। हम अविश्‍वास से शुरू न करें। हम विश्‍वास से शुरू करें और कहीं कमी नजर आएं तो सरकार intervene करे। जब हमने निर्णय लिया, लोगों को लगता होगा कि यह कोई Grand Vision नहीं है। आजकल मैं यह सब बहुत सुन रहा हूं, पढ़ रहा हूं। कोई बड़ी बात नहीं है। जब मेरी सरकार एक निर्णय करती है, self-certification की। आपको यह निर्णय बहुत छोटा लगता होगा। इसमें कोई विजन नजर नहीं आता है। लेकिन एक सरकार सवा सौ करोड़ देशवासियों की सत्‍यता पर विश्‍वास करने का निर्णय करे, इससे बड़ा कोई निर्णय नहीं हो सकता है। आपने हर बार उसे शक से देखा। वह certificate देता है तो आप कहते हैं, किसी gazetted officer से सर्टिफाई करा कर ले आओ। और gazetted officer क्‍या कहता है – अगर urgency है तो इतना, और देर से आआगे तो इतना। और क्‍या गारंटी है, उस पर भरोसा करें आप। क्‍या हम, हमारे देश के नागरिकों पर भरोसा नहीं कर सकते है क्‍या?

आखिर सरकार किसके लिए है? सरकार देश के सामान्‍य मानवों के लिए होती है। हर नागरिक के लिए होती है। और ये बदलाव की शुरूआत जो है, वह यहां नहीं रूकती है। Income Tax Department तक भी जाती है। क्‍योंकि यहां business community के लोग बैठे हैं, इसलिए मैं Income Tax Department कह रहा हूं।

कहने का मेरा तात्‍पर्य यह है कि हमारी सरकार का एक मंत्र है, वो सबसे पहली हमारी प्रतिबद्धता है। हम हर देशवासी पर भरोसा करके चलना चाहते हैं। ये विश्‍वास का जो माहौल है वो व्‍यवस्‍थाओं को परिवर्तित करने की भी ताकत रखता हैं। संसद की चारदीवारी में ही बनाकर के कानून बदले जा सकते हैं, ऐसा नहीं है, संसद की चारदीवारी के बाहर भी जन-जन के मन को जगाकर के परिवर्तन का प्रवाह लाया जा सकता है।

इन दिनों FDI की बड़ी चर्चा होती है। और वह स्‍वाभाविक भी है। लेकिन मैं उसे जरा अलग नजरिए से देखता हूं। भारत के नागरिकों के लिए भी FDI एक जिम्‍मेदारी है। सवा सौ करोड़ देशवासियों के लिए FDI एक जिम्‍मेदारी है। और व्‍यापार, उद्योग का विस्तार करने वाले, विश्‍व के लिए FDI एक Opportunity है। जब मैं ये कहता हूं कि भारत के नागरिक के लिए जिम्‍मेदारी है, बाहर के लोगों के लिए अवसर है, तो मेरे FDI की परिभाषा ये है: भारतीयों के लिए है, FDI – “First Develop India”. और विश्‍व के व्‍यापार व्‍यवसाय को विस्‍तार करने वालों के लिए मैं कहता हूं भारत एक Opportunity है, Foreign Direct Divestment के लिए ये दो FDI की परिभाषा को लेकर के, इस दो पटरी पर विकास की यात्रा को आगे बढ़ाना चाहते हैं। पूरे विश्‍व में इस बात की चर्चा है- लोगों के मुंह में पानी छूटता है, भारत एक बहुत बड़ा बाजार है। पहली नज़र में ये लगना बड़ा स्‍वाभाविक है। मैं कोई बड़ा अर्थशास्‍त्री नहीं हूं, लेकिन जो देश या जो उद्योगपति या जो व्‍यापारी भारत को बहुत बड़ा बाजार मानता है, उसने कभी ये सोचा है कि उस बाजार में Purchasing Power है क्‍या? उस नागरिक का Purchasing Power है क्‍या? उसकी खरीद शक्ति बढ़ी है क्‍या? अगर वो संख्‍या में ज्‍यादा होगा और Purchasing Power नहीं होगी और उसकी जेब में दम नहीं होगा तो दुनिया इतने बड़े अवसर को खो देगा। इसलिए विश्‍व के उद्योग-व्‍यापार जगत को मैं यह बात कहना चाहता हूं कि आप भारत को सिर्फ बाजार मत मानिए। आप भारत के हर नागरिक को उस Potential के रूप में देखिए, जितनी तेजी से भारत का Middle Class का Bulk बढ़ेगा, गरीबी से लोग जितनी तेजी से Middle Class की ओर जाएंगे, उतना ही विश्‍व के लिए अनुकूल बाजार में वे Convert हो सकते हैं।

गरीबी से मध्‍य वर्ग की ओर ये Bulk बढ़ाना है, तो क्‍या करना होगा। सीधी-सीधी बात है - रोजगार के अवसर उपलब्‍ध करने पड़ेंगे। अगर गरीब को रोजगार का अवसर मिलेगा तो उस परिवार की Purchasing Power बढ़ेगी, गरीब से गरीब की Purchasing Power बढ़ेगी। आज वो एक चीज़ लेनी है, 3 रूपये, 5 रूपये 7 रूपये वाली मिलती है, तो 3 वाली पसंद करता है। फिर वो Quality की तरफ जाएगा। अभी गुज़ारा करने के लिए रह रहा है। रोज़गार के अवसर जितने ज्‍यादा बढ़ेगे, उतना ही Purchasing Power बढ़ने वाला है, हमारी Economy Generate होने वाली है।

ये रोजगार के अवसर कैसे बढ़ेगें ? अगर आप बाहर से आ करके या यहां के लोग औद्योगिक विकास पर अगर ध्‍यान नहीं देंगे, Manufacturing Sector पर अगर ध्‍यान नहीं देगें, रोजगार के अवसर उपलब्‍ध नहीं कराएंगे, तो ये पूरा चक्र कभी पूर्ण होने वाला नहीं है। इसलिए हम Make in India की जब बात करते हैं, तब सिर्फ आपको एक Competitive Situation के लिए ही हम Offer कर रहे हैं, ऐसा नहीं है। जब हम आपसे Make in India की बात करते हैं तब आपके उत्‍पादन के लिए एक बहुत बड़ा बाजार अपने आप खड़ा करने का हम अवसर देते हैं। आखिरकार Manufacturer को cost effective manufacturing की जितनी आवश्‍यकता है, उतनी ही उसको Handsome Buyer की भी जरूरत होती है, तभी तो उसकी गाड़ी चलती है। यहां मारूति कार कितनी ही क्‍यों न बनें, लेकिन खरीदार नहीं होगा तो? इसलिए हमें भारत की अर्थव्‍यवस्‍था में जिस प्रकार का बदलाव लाना है, उस बदलाव में एक तरफ Manufacturing Growth को बढ़ाना है, at the same Time उसका सीधा Benefit हिन्‍दुस्‍तान के नौजवानों को मिले, उसे रोजगार मिले ताकि गरीब से गरीब परिवार की आर्थिक स्थिति में बदलाव आए, वो गरीबी से Middle Class की ओर बढ़े और उसका Purchasing Power बढ़े तो Manufacturer की संख्‍या बढ़ेगी, Manufacturing Growth बढ़ेगा, रोजगार के अवसर उपलब्‍ध है, फिर एक बार बाजार बढ़ेगा। यह एक ऐसा चक्र है। इस चक्र को आगे बढ़ाने की दिशा में यह महत्‍वपूर्ण काम आज हुआ है। ये शेर का कदम है। ये Lion का Step है - Make in India ।

जब मैं Make in India की बात मैं करता हूं तब… आखिरकार मेरा मुख्‍यमंत्री के कार्यकाल का अनुभव है। व्‍यापारी या उद्योगपति कोई बहुत बड़ी Incentive Scheme से नहीं आते हैं। आप ये कह दो कि ये मिल जाएगा, वो मिल जाएगा, ये टैक्‍स फ्री करेंगे, वो टैक्‍स फ्री करेंगे। Incentive से काम होता नहीं है। हमें Development और Growth Oriented Environment Create करना होता है। ये जिम्‍मा सरकार का है। शासन में बैठे हुए लोगों ने, Financial Institution ने इन सारी व्‍यवस्‍थाओं की तरफ ध्‍यान केंद्रित करना होता है और तब जा करके investor के लिए एक Security का अहसास बनता है। Investor पहले अपने investment की Security चाहता है, बाद में Growth चाहता है और फिर Profit चाहता है। वो पहले ही दिन Profit नहीं खोजता है। उसको Profit के लिए और 50 कंपनियां पड़ी हैं उसके पास। उसको ये चाहिए। सरकार का प्रयास है, हमने एक बाद एक जो कदम उठाए हैं, हम विश्‍वास दिलाना चाहते हैं कि आपका रूपया डूब नहीं जाएगा।

दूसरा उसको क्‍या चाहिए ? आज Ease of Business को लेकर दुनिया में Ranking होता है। मुझे अभी पिछले दिनों World Bank के चेयरमैन मिले थे, वो भी ये चिंता कर रहे थे। शायद उस समय 135 नंबर पे थे हम दुनिया में। Ease of Business में अब कौन रूकावट डालता है। अगर 135 से मुझे 50 पर आना है तो सिर्फ सरकार अकेली ये काम पूरा कर सकती है। सरकार अपने निर्णयों को, नियमों को खुलापन ला दे, सरलता से कामों को आगे बढ़ाएं, तो हम आज 135 से Ease of Business में नंबर 50 पर आकर खड़े हो सकते हैं। मैंने मेरी पूरी टीम को सेंसटाइज किया है और मैंने कहा है कि हम Scrutiny के नाम पर, और अधिक Perfection के नाम पर कहीं हम रूकावटें तो नहीं डाल रहे। मैं तीन महीने के अपने अनुभव से कहता हूं कि आज दिल्‍ली सरकार में बैठी हुई मेरी पूरी Team, पूरी मेरी Bureaucracy सकारात्‍मक सोच के साथ मेरे से भी दो कदम आगे दौड़ रही हैं।

यही ताकत है इसकी। क्‍यों? उसको इस बात का भरोसा है, कि हां यह अवसर आया है। यह अवसर आया है। यह अवसर खोना नहीं है। सारी दुनिया एशिया की तरफ नजर कर रही है। पूरा विश्‍व ढूंढ रहा है। मुझे निमंत्रण देने के लिए समय बरबाद करने की आवश्‍यकता नहीं है। मुझे सिर्फ एड्रेस देने की कोशिश करनी है कि यह जगह है। वह आने के लिए तैयार है। पूरा विश्‍व आने के लिए तैयार है। लेकिन उसे पता नहीं है कि एशिया में जाएं तो कहां जाएं। और फिर वो सोचता है, जहां लोकतंत्र है, जहां Demographic Dividend है, जहां विपुल मात्रा में डिमांड है। ये तीनों एक साथ किसी भूभाग पर उपलब्‍ध हो तो पूरे ग्‍लोब पर अकेला हिंदुस्‍तान है, जहां ये तीनों एक साथ मौजूद है। जो इन तीनों को सकारात्‍मक रूप से उपयोग करता है।

हम Democracy का, Demographic Dividend का और Demand का, इनको सही तरीके से अगर तालमेल करते हैं, तो मुझे विश्‍वास है कि दुनिया को भारत का पता बताने के लिए हमें नहीं निकलना पड़ेगा। हर गली मोहल्‍ले में Vasco de Gama पैदा होंगे, जो हिंदुस्‍तान खोजते-खोजते यहां चले आएंगे।

ये इस विश्‍वास के साथ, हम कैसे आदमी हैं, और उसे क्‍या चाहिए? उसे effective governance चाहिए। सरकार होने से काम होता नहीं है। सरकार होने का अहसास होना चाहिए। उस दरवाजे पर जाएं तो उसको लगना चाहिए कि मेरी इस समस्‍या का समाधान यहां हो सकता है। या यहां से मुझे रास्‍ता मिलेगा कि यहां से किस रास्‍ते से कहां पहुंचना है। Effective governance । मैं सिर्फ good governance की बात नहीं कर रहा हूं, मैं effective governance की बात कर रहा हूं। और इन चीजों को पाने के लिए दो महत्‍वपूर्ण आधरों पर हम बल दे रहे हैं।

आखिर कर उद्योग लगाना है तो skilled manpower चाहिए। और skilled manpower भी requirement के अनुरूप होना चाहिए। कहीं पर टेक्‍सटाइल इंडस्‍ट्री की संभावना है, लेकिन हम वहां पर स्किल डेवलपमेंट इंजीनियरिंग इंडस्‍ट्री के लिए कर रहे हैं, तो न इंजीनियरिंग इंडस्‍ट्री के स्किल वाला वहां नौकरी करने चला जाएगा और न स्किल वाले को रोजगार मिलेगा। हमें मैपिंग करना है। हम कर रहे हैं, कि कौन से ऐसे क्‍लस्‍टर हैं, कि वहां नेचुरल पोटेंशियल इस प्रकार का है? उस नेचुरल पोटेंशियल के अनुकूल ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट कैसे हो? वहीं पर इन्‍वायरमेंटर इश्‍यूज को कैसे हैंडल किया जाए? और सस्‍टेनेबल ग्रोथ को लेकर के किन-किन बातों पर सरकार अपना फाउंडेशन तय करे, उन-उन बातों पर आगे बढ़ना है। और अगर इस बात को हम कर रहे हैं, तो मुझे पूरा विश्‍वास है कि जो effective governance की बात हम कर रहे हैं, वह skill development के द्वारा भी काम आ सकता है।

आज हमारे देश में सरकार की सोच, उद्योग की सोच, academic world की सोच और job seeker नौजवानों की सोच - क्‍या इन चारों का कोई संबंध है क्‍या? कोई मेल है क्‍या? I am sorry to say, नहीं है। हम tourism develop करना चाहते होंगे, लेकिन उस गांव में guide तैयार करने की व्‍यवस्‍था हमारे पास नहीं होगी। Guide कहीं तमिलनाडु में तैयार होता होगा और ताजमहल आगरा में होगा। कहने का तात्‍पर्य ये है, कि चीजें छोटी-छोटी होती हैं। हम अगर इन focussed activities को करते हैं तो हम अपने आप स्थितियों को बदल सकते हैं। और इसलिए skill development भी।

Academic world study करे कि आने वाले 20 साल में किस प्रकार के उद्योग की संभावना है। अगर पूरा विश्‍व eco-friendly environment, technology, global warming, इसी पर अगर केंद्रित हुआ है तो सीधी-सीधी बात है कि सोलर इनर्जी के लिए क्षेत्र खुल गया है। अगर solar engineering के लिए क्षेत्र हो जाएगा तो engineering college के students को solar engineering के equipment की manufacturing की training हो जाएगी। Solar Energy Equipment Manufacturing के लिए skilled labour चाहिए। skilled labour के लिए उसकी अभी से training शुरू हो जाए। Solar लगाने वाले उद्योगपतियों को पता चल जाए कि देखिए ये सारी व्‍यवस्‍थाएं हैं, ये हमारे बारमेड के पास बंजर भूमि पड़ी हुई है। आइए solar लगाइए और हिंदुस्‍तान को उजाला दीजिए। आप एक के बाद एक, अगर network बनाकर काम करते हैं, और ये काम सरकार का होता है। सरकार को facilitate करना होता है और सरकार जब “Facilitator” बनती है तो इच्छित परिणाम प्राप्‍त हो सकते हैं। इसलिए, Skill Development को कैसे बल दिया जाए, Skill Development में भी हम Public-Private Partnership के model को लेकर आगे बढ़ना चाहते है।

हम उद्योगपतियों को भी, अगर आपको लगता है कि आपके industry के लिए 400 प्रकार के नौजवान चाहिए। हम कहेंगे आप ये ITI ले लीजिए। आपको जिस प्रकार का manpower चाहिए, यही locally आप उसको trained कीजिए। आपको बहुत अच्‍छा नौजवान मिल जाएगा। आपका कारोबार चलेगा। हमारी ITI चल जाएगी। हमारे नौजवानों को रोजगार मिल जाएगा। उसके परिवार की ताकत बढ़ेगी। उसकी खरीद शक्ति बढ़ेगी और economy अपने आप generate हो जाएगी। एक ऐसे चक्र को हमें चलाना है। और इसलिए, मैं अशोक चक्र की बात लेकर के आया हूं। यह हमारी आर्थिक विकास यात्रा का कैसे पहिया बने।

जब दुनिया औद्योगिक क्रांति के कालखंड में थी, उसके पहले हम सोने की चिडि़या के रूप में माने जाते थे। लेकिन जब दुनिया औद्योगिक क्रांति की सीढि़या चढ़ रही थी, तब हम पिछड़ गए। क्‍यों? हम गुलाम थे। वह अवसर हमने खो दिया। उसके बाद आर्थिक चेतना का एक नया युग नया अवसर आया। और यह सदनसीब है कि यह एशिया का है। अब हमारा जिम्‍मा बनता है कि इसे भारत का कैसे बनायें। एक ऐसा मौका आया है, और हमारे पास सबसे बड़ा सामर्थवान है कि 65% पोपुलेशन 35 वर्ष से नीचे है।

मैं नहीं मानता हूं, कल की घटना के बाद अब हमारे टैलेंट को कोई question करेगा। भारत के नौजवान के टैलेंट को कोई question नहीं कर सकता है। कल के मार्स की घटना के बाद। सब चीजें इंडिजेनियस। देखिए, उसमें जो पुर्जे लगे थे ना, वह जिन फैक्‍ट्री में बने थे, उस फैक्ट्रियों की फोटो निकालनी चाहिए। देखने में लगे, छोटी-छोटी फैक्ट्रियां हैं, जहां एक-एक एक-एक पुर्जा बन करके पहुंचा है और उसमें से मार्स का मिशन सफल हुआ है। टैलेंट में कोई कमी नहीं है। विश्‍वास को मार्स सक्‍सेस। ये विश्‍व को भारत के पहचान का अवसर मिलना चाहिए। भारत विश्‍व को अनुभूति दे कि ये टैलेंट है। सिर्फ हमारे पास 65% Population 35 वर्ष से नीचे है, ऐसे नहीं है, हमारे पास टैलेंटेड मैनपावर है। ये सामर्थवान मैनपावर है। उसको लेकर के हम चलना चाहता हैं।

दूसरी बात है, Digital India. कारपोरेट वर्ल्‍ड, औद्योगिक जगत, प्राइवेट लाइफ जिस प्रकार से डिजिटल वर्ल्‍ड के साथ तेजी से आगे बढ़ रही है। अगर सरकार और सरकारी व्‍यवस्‍थाएं पीछे रह गईं, तो मैं कल्‍पना कर सकता हूं कितनी बड़ी खाई पैदा होगी। पूरी समाज रचना एक तरफ, और शासन रचना दूसरी तरफ। इस खाई को भरने के लिए Digital India का मिशन लिया है। पूरा गवर्नेंस मोबाइल गवर्नेंस की ओर क्‍यों न जाए।

आपको हैरानी होगी, मैंने आकर के, फर्स्‍ट शायद 10 Days हुए होंगे, एक काम मैंने क्‍या किया? मैंने कहा कि आप मुझे बताइए, सरकार में जो फार्म भरते हैं 10-10 पेज के क्‍यों होते हैं। आप भरते हैं ना। आप तो शायद नहीं भरते होंगे, आपके स्‍टाफ के लोग भरते होंगे। मैंने उनको पहले दिन कहा कि 10 पेज का एक पेज करो पहले। और मुझे खुशी है कि बहुत Department ने वो कर दिया। कोई कारण नहीं जी! ये सारी चीजें उपलब्‍ध होती हैं, हम बार-बार मांगते रहते हैं। कहने का मेरा तात्‍पर्य यह है कि Digital India के माध्‍यम से - जैसे Ease of Business की बात है - वैसे Easy Governance. Effective Governance चाहिए, Easy Governance चाहिए, उस पर बल लाना है। हर व्‍यक्ति को अपनी जानकारी अपनी हथेली में उपलब्‍ध होनी चाहिए और ये वो चीजें हैं जो हमें आगे बढ़ने के लिए अवसर देती हैं। उसे हम अवसर देना चाहते हैं।

लंबे अरसे से Look East Policy की चर्चा कर रहे हैं। हर किसी के मुंह से Look East वाली बात आती है। एक अच्‍छा अवसर है। लेकिन At the Same Time जब मैं आज Make in India की बात करता हूं तब मैं Look East के साथ-साथ Link West की भी बात करना चाहता हूं। एक तरफ Look East दूसरी तरफ Link West। हमने इन दोनों को जोड़कर एक ऐसी मध्‍यस्‍थ जगह पर खड़े हैं कि हम एक Global vision के साथ अपनी आर्थिक संरचना को नए Platform पर खड़ा कर सकते हैं और उस दिशा में हम आगे बढ़ना चाहते हैं। विश्‍व के पास जो कुछ भी श्रेष्‍ठ है, वो हमारे पास क्‍यों नहीं होना चाहिए। ये मिजाज इस देश का क्‍यों नहीं होना चाहिए। व्‍यापार के नए क्षेत्र खुल रहे हैं, मेरे शब्‍द लिख लीजिए, आप तो उद्योग-व्‍यापार जगत के मित्र हैं, मैं नहीं जानता हूं कि आपने इस दिशा में सोचा होगा या नहीं सोचा होगा। हो सकता है छोटी, दो चार कंपनियां करती होंगी काम।

आने वाले समय में हिन्‍दुस्‍तान में Waste में से Wealth के एक बहुत बड़े Business की संभावना है। Waste में से Wealth! हम 500 शहरों में Solid Waste Management और Waste Water Treatment का काम बढ़ाना चाहते हैं। Public Private Partnership से कराना चाहते हैं। उसी गांव के कूड़े कचरे से आप बिजली पैदा करके बिजली के कारखानेदार बन करके बिजली बेच सकते हैं। एक बहुत बड़ा ये Revenue Model आ रहा है। हम सोचें, अभी से सोचें और मैंने देखा है जो दूर का सोचते हैं न .. Multi National कंपनियां आलू-टमाटर बेचने के लिए निकल पड़ी थीं। क्‍यों मुकेश भाई! क्‍योंकि उनको पता था, कितना बड़ा Market है। वैसे ही बड़ी-बड़ी कंपनियां इस ‘Waste में से Wealth’ के लिए आने के लिए पूरी संभावना है और भारत में हमने जो सफाई अभियान चलाया है, एक नया क्षेत्र खुल रहा है। मैं निमंत्रण दे रहा हूं उस प्रकार के उद्योग व्‍यापार के लोगों को। छोटी-छोटी नगरपालिकाएं बैठ करके, उसको भी एक Revenue Model बना करके आईए। हम आपको निमंत्रण देते हैं।

अवसर बहुत हैं। जिस प्रकार से Manufacturing सैक्‍टर का महात्‍म्‍य हैं उसी प्रकार Infrastructure भी महत्‍वपूर्ण है। भारत अब उस Infrastructure से नहीं चल सकता है, जहां हमें पहुंचना है। ज्‍यादा ज्‍यादा हमारे देश में Infrastructure की बात होती थी तो रेल, Road और Port , Airport … बात पूरी। Next generation Infrastructure की ओर हमें जाना है। हमें Highways भी चाहिए, हमें i-ways भी चाहिए। When I say i-ways, I mean Information-ways and that is for the Digital India. हमें.. Electric grid है तो गैस की भी grid चाहिए, हमें water grid भी चाहिए। हमें Optical Fibre का नेटवर्क भी चाहिए। हम एक ऐसे हिन्‍दुस्‍तान का सपना देख रहे हैं, जिसमें Private Party को अपना नसीब आजमाने के लिए बहुत बड़ा अवसर है।

Public Private Partnership के Model पर, हम आज जहां हैं वहां से अपने आप को Upgrade कैसे करें। जिन क्षेत्रों में हमने कदम नहीं रखा है, वहां कदम कैसे रखें। हमने Port Development तक अपने आप को केंद्रित किया। समय की मांग है हम Port led Development की ओर आगे बढ़ें। Port हो, Warehouses का नेटवर्क हो, Cold Storage का नेटवर्क हो, Roads हों, रेल हो, Port के साथ Airport भी हो। ये जब तक हम पूरा एक Cluster के रूप में Develop नहीं करते हैं, हम Global Market की दुनिया में अपनी जगह नहीं बना सकते और इसलिए हम उस पर बल देना चाहते हैं। एक बहुत बड़ा क्षेत्र है जिसमें आप आ करके अपना नसीब आजमा सकते हैं।

कहने का तात्‍पर्य यह है कि Infrastructure भी सिर्फ सुख-सुविधा का विषय नहीं है। अगर हमें Tourism Develop करना है - ऐसा अनुमान है कि दुनिया में सबसे ज्‍यादा Growth अगर किसी Industry का है तो वो Tourism Industry का है। क्‍या भारत इसको कैप्‍चर कर सकता है? तो टूरिज्‍म के लिए भी एक बहुत बड़े इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर की आवश्‍यकता है। Hospitality industry के लिए बहुत बड़ा स्‍कोप है हमारे यहां। इतने सारे avenues हैं। उन avenues को कैसे लें।

इसलिए मैं आप सबसे आग्रह करता हूं। जो भी सोचते थे, बस अब जाएंगे कहीं। मैं कहता हूं, अब जाना नहीं है कहीं। यह देश आपका है। यहां इतना फलो-फूलो, फिर बाहर कदम रखो, तो उसका एक आनंद और है। मजबूरन जाना पड़े, इसका कोई आनंद नहीं हैं और मैं चाहता हूं, हिंदुस्‍तान की कंपनियां भी मल्‍टी नेशनल बने। हिंदुस्‍तान की कंपनियों के भी दुनिया के अंदर अपने हाथ-पैर हों। यह हम चाहते हैं। लेकिन अपनी धरती को हम मजबूत बनाएं। यहां के नौजवानों को रोजगार देने के लिए हम कदम उठाएं। और ये एक ऐसी सरकार है जो विकास को समर्पित है। यह ऐसी सरकार है, जिसका ये political agenda नहीं है – article of faith है। और इसलिए मैं कहने आया था और मेरा विश्‍वास मैं बताता हूं जी। मैं जब गुजरात में था और मैं बड़े विश्‍वास से कहता था, कि वही मुलाजिम, वही सरकार, वही दफ्तर, वही फाइलें, वही लोग, इसके बावजूद भी दुनिया बदली जा सकती है।

मैं आज दिल्‍ली में आकर के कह सकता हूं, वही आफिस, वही अफसर, वही फाइलें, वही गाडि़यां, वही तौर-तरीके, उसके बावजूद भी उसमें जान भरी जा सकती है, हिंदुस्‍तान की दिशा बदली जा सकती है। हिंदुस्‍तान का भाग्‍य भी बदला जा सकता है। इस विश्‍वास के साथ मैं आगे बढ़ा।

हमारी विकास यात्रा में सबसे बड़ी रूकावट ये बनी है - कुछ निर्णय केंद्र करता है, ज्‍यादा से ज्‍यादा implementation राज्‍य में करना पड़ता है। और अगर दोनों के बीच मेल नहीं है, तो उद्योगपति को समझ में नहीं आता है, investor को समझ में नहीं आता है कि दिल्‍ली जाऊं कि राज्‍य सरकार के पास जाऊं? वह उलझन में रहता है। अब ये उलझन नहीं रहेगी। मेरा ये मत है कि राज्‍यों का विकास भी भारत के लिए ही होता है। अगर राज्‍यों में investment आता है, तभी तो भारत में investment आने वाला है। राज्‍य और केंद्र मिल कर के एक टीम के रूप में काम करें, कंधे से कंधा मिलाकर के काम करें, केंद्र के पास कोई proposal आए तो राज्‍य के पास केंद्र खुद चला जाए, आइए भाई मिल करके हम क्‍या मदद कर सकते हैं। राज्‍य के पास कोई proposal आ जाए, केंद्र के मदद की जरूरत हो तो खुलेआम राज्‍य केंद्र के पास आ जाएं। दोनों मिलकर के रास्‍ता निकालें। चीजें आगे बढ़ने लगे। ये एक बहुत बड़ी आवश्‍यकता पैदा हुई है। और इस आवश्‍यकता की पूर्ति के लिए केंद्र और राज्‍य को मिलना होगा।

आप देखिए, हम Current Account Deficit की चर्चा करते हैं, Export-Import Imbalance की चर्चा करते हैं, लेकिन किसी राज्‍य को पूछो कि आपके यहां Export Promotion के लिए कोई activity है क्‍या? नहीं है। उसको लगता है कि यह केंद्र का काम है। मैंने आते ही राज्‍यों को बुलाया। मैंने कहा कि देखिये, Export Promotion, क्‍योंकि manufacturer आपके यहां है, उसका आप हिम्‍मत बढ़ाइए, उसको आप विश्‍वास दीजिए। वह Export करने के लिए आगे बढ़े। भारत सरकार के नीति नियम उसके काम आए। हम दोनों मिलकर के काम करेंगे, तो export करने वाले जो उद्योगपति हैं, उनको बल मिलेगा। और अपनी चीजों को बाहर बेचेगा।

आज, आज External Affairs Ministry क्‍या उनके काम आती है क्‍या? वो कहीं राज्‍य में बैठा होगा, किसी कोने में बैठा होगा, कोई oil engine बनाता होगा। कौन पूछता है वहां। वह अपने मेहनत से करता होगा। अब राज्‍य हो या केंद्र, Export Promotion के लिए एक facilitator के नाते हम proactive aggressive role करने का जिम्‍मा उठाने के लिए तैयार हुए हैं। अब देखिए, इससे कितना बड़ा फर्क होगा। तो हम जैसे कहते हैं Make in India, at the same time, आपको global market आगर capture करना है तो उसके लिए भी facilitator के रूप में आपके साथ खड़े रहने के लिए हम तैयार हैं। ऐसे अनेक क्षेत्र है।

हमने Financial Institutions को बुलाया। देखिए कैसे बदलाव आता है। अभी हमने Inclusive Growth को ध्‍यान में रखते हुए हमने भारत के गरीब से गरीब व्‍यक्ति को Bank Account से जोड़ने का अभियान उठाया। ये पहले नहीं हुए, ऐसा नहीं है जी। शुरू में तो लोग कहते थे, यह हमारे समय शुरू हुआ, लेकिन अब नहीं कहते हैं। क्‍योंकि उनको पता चल गया, कि हमारे समय में शुरू हुआ था, कहने से पता चल जाएगा कि हम विफल हुए थे। ये पता चल जाता है। आप कल्‍पना कर सकते हैं, इतने कम दिनों में, यही बैंक के लोग चार करोड़ से अधिक लोगों के खाते खोलते हैं। और मैंने ये कहा था कि भई जीरो बैलेंस से भी खाते खोल सकते हो। और मैं हैरान हूं, लोगों ने 1500 करोड़ रुपये जमा कराये।

जीरो बैलेंस के आफर होने के बावजूद सामान्‍य लोग 1500 करोड़ रुपये बैंक में डाल करके खाता खुलवाता है, ये विश्‍वास है। यही तो विश्‍वास भी ताकत है। Banking Sector के लोग इतनी तेजी से move करे - ये सरकार कितनी तेजी से आगे बढ़ रही है, इसके लिए एक महत्‍वपूर्ण मानदंड बन सकता है। Financial Institutions भी growth और development के साथ अपने आप को जोड़े। Grass-root level पर world spread, हर कोने में इस विकास की इस यात्रा को आगे बढ़ाए, उस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं। मेरा कहने का मतलब ये है कि आज Make in India, ये नारा नहीं है। ये Make in India, ये निमंत्रण नहीं है। Make in India, ये हम सबकी जिम्‍मेदारी है।

हम सब जिम्‍मेदारी के साथ अगर आगे बढ़ेगे, और हम भारत के लोग एक बार करेंगे तो दुनिया के लोग हमारे यहां आएंगे। वे खोजते हुए आएंगे, आप विश्‍वास कीजिए। और इसलिए उन दोनों FDI पर हमें बल देना है। First Develop India, at the same time Foreign Direct Investment. उसको लेकर के आगे बढ़े।

फिर एक बार, आप सब समय निकाल कर के आए, इसे बहुत बड़ी initiative को प्रारंभ करते समय आप हमारे साथ जुड़े, विदेश से भी बहुत बड़ी मात्रा में मेहमान आए। दुनिया के कई देशों में और हिंदुस्‍तान के सभी राज्‍यों में सभी व्‍यापारी संगठनों के द्वारा इस कार्यक्रम को live telecast किया जा रहा है। वहां भी लोग बैठे है। मैं आप सबको विश्‍वास दिलाता हूं, आइए, हम सब मिलकर के इस Make In India concept को जिनकी-जिनकी जिम्‍मेदारी है, उसको हम पूरा करें। हम आगे बढ़े, manufacturing sector में हम फिर एक बार नई ऊंचाईयों को पार करें और देश के गरीब से गरीब नौजवान को रोजगार उपलब्‍ध करायें। गरीब को रोजगार मिलेगा, भारत के आर्थिक चक्र वो और गति से चला पाएंगे। इसी एक विश्‍वास के साथ आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं। नवरात्रि की आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

मेरे व्‍यक्तिगत जीवन में, मेरे राजनीतिक यात्रा के जीवन में भी आज का दिवस बड़ा महत्‍वपूर्ण है। आज 25 सितंबर, जिनके आदर्श और विचारों की प्रेरणा से लेकर के हम लोगों ने राजनीतिक यात्रा शुरू की, वो पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय जी की आज जन्‍म जयंती है। जिन्‍होंने एकात्‍म मानव दर्शन दुनिया को दिया है। ऐसे महापुरूषों के जन्‍मदिन पर, जो जिए देश के लिए, वो जूझते रहे देश के लिए, उनके चरणों में मेक इन इंडिया सपना समर्पित करने का अवसर मिल रहा है। उस सपने को साकार करने के लिए संकल्पित हैं।

नवरात्रि शक्ति संचय का पर्व होता है। इस शक्ति संचय के पर्व पर भारत भी शक्ति संचय कर एक शक्तिशाली राष्‍ट्र बने, इस सपने को लेकर के आगे बढ़े, इसी एक प्रार्थना के साथ आपकी बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्‍यवाद।

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India’s progress in space is making the lives of ordinary citizens easier: PM Modi
August 23, 2025
QuoteNational Space Day has become an occasion of enthusiasm and inspiration for India’s youth, which is a matter of pride for the nation; I wish all those associated with the space sector: PM
QuoteAchieving one milestone after another in the space sector has now become a natural trait of India and its scientists: PM
QuoteIndia is rapidly advancing in breakthrough technologies and very soon we will launch the Gaganyaan mission. In the coming years, India will build its own space station: PM
QuoteSpace technology is becoming integral to governance in India, from crop insurance and fishermen’s safety to disaster management and the PM Gati Shakti Master Plan: PM
QuoteIndia’s progress in space is now directly contributing to making the lives of ordinary citizens easier: PM

Cabinet Colleagues, all scientists and engineers of ISRO and the space sector, and my beloved countrymen!

My warmest greetings to all of you on National Space Day. This year, the theme of Space Day is 'Aryabhatta to Gaganyaan: Ancient Wisdom to Infinite Possibilities'. It embodies the confidence of the past as well as the resolve of the future. Today, we are witnessing how, in such a short span of time, National Space Day has become an occasion of enthusiasm and inspiration for our youth. This is indeed a matter of immense pride for the nation. I extend my heartfelt congratulations to all those associated with the space sector, to our scientists, and to all the youth on National Space Day. Recently, Bharat hosted the 'International Olympiad on Astronomy and Astrophysics'. In this competition, nearly 300 young participants from more than 60 countries across the world took part. Our Indian youth also won medals. This Olympiad is a symbol of India’s emerging leadership in the space sector.

Friends,

I am delighted that to kindle greater interest in space among our youth, ISRO has also launched initiatives such as the Indian Space Hackathon and the Robotics Challenge. I warmly congratulate all the students who participated in these competitions as well as the winners.

Friends,

In the space sector, achieving one milestone after another has now become second nature for Bharat and for our scientists. Just two years ago, Bharat became the first country in history to reach the South Pole of the Moon. We have also become the fourth country in the world with the capability of docking and undocking in space. Only three days ago, I had the opportunity to meet Group Captain Shubhanshu Shukla. By unfurling the Tricolour at the International Space Station, he filled every Indian with pride. When he showed me that Tricolour, that moment, that experience, was beyond words. In my conversation with Group Captain Shubhanshu, I saw the boundless courage and infinite dreams of the youth of New Bharat. To take these dreams forward, we are also preparing an Astronaut Pool for Bharat. On this Space Day, I invite my young friends to join this Astronaut Pool and give wings to the dreams of Bharat.

Friends,

Today Bharat is rapidly advancing in breakthrough technologies such as the semi-cryogenic engine and electric propulsion. Very soon, through the hard work of all our scientists, Bharat will launch Gaganyaan, and in the coming years, Bharat will also build its own space station. We have already reached the Moon and Mars. Now we must delve deeper into those regions of space where many vital mysteries for the future of humanity are concealed. Beyond galaxies lies our horizon!

Friends,

The infinite expanse of space constantly reminds us that no milestone is ever the final destination. I believe that even in the space sector, at the level of policy, there must never be a final halt/end point. That is why I had said from the ramparts of the Red Fort that our path is that of 'Reform, Perform and Transform. In the past eleven years, Bharat has carried out one major reform after another in the space sector. There was a time when futuristic sectors such as space were shackled with countless restrictions in our country. We broke those chains. We permitted the private sector to participate in space technology. And today, more than 350 start-ups have emerged as engines of innovation and acceleration in space-tech. Their strong presence can also be seen in this very event. Soon, the first PSLV rocket built by our private sector will be launched. I am also glad that Bharat's first private communication satellite is being developed. Through public-private partnership, preparations are underway to launch an Earth Observation Satellite Constellation as well. You can imagine the vast number of opportunities being created for Bharat's youth in the space sector.

Friends,

On 15th August from the ramparts of the Red Fort, I spoke about many such areas where it is essential for Bharat to become self-reliant. I asked every sector to set its own targets. Today, on Space Day, I would like to say to our space start-ups: can we aim to create five unicorns in the space sector in the next five years? At present, we witness about five to six major launches annually from Indian soil. I would like the private sector to take the lead so that in the next five years we reach a stage where we launch fifty rockets every year. One every week! For this, the government has both the intent and the willpower to bring in the next-generation reforms that the nation requires. I assure you, the government will stand with you at every step.

Friends,

Bharat regards space technology not only as a medium of scientific exploration but also as an instrument for Ease of Living. Today, space-tech is becoming an integral part of governance in Bharat. Whether it is satellite-based assessment in Fasal Bima Yojana, information and safety provided to fishermen through satellites, disaster management, or the use of geospatial data in the PM Gati Shakti National Master Plan, Bharat's advancements in space are making the lives of ordinary citizens easier. In this very direction, yesterday the 'National Meet 2.0' was also organised to enhance the use of space-tech at both the Centre and the state level. I would like such efforts to continue in the future. I also urge our space start-ups to create new solutions and innovations for the service of our citizens. I am confident that in the times to come, Bharat's journey into space will touch new heights. With this confidence, I once again extend my warmest greetings to you all on National Space Day.

Thank you!