Every part of the country salutes and cherishes the legacy of Netaji: PM Modi

Published By : Admin | January 23, 2023 | 11:01 IST
QuoteUnveils model of National Memorial dedicated to Netaji to be built on Netaji Subhas Chandra Bose Dweep
Quote“When history is being made, the future generations not just remember, assess and evaluate it, but also find constant inspiration from it”
Quote“This day will be remembered by future generations as a significant chapter in the Azadi Ka Amrit Kaal”
Quote“The voices of unprecedented passion along with immense pain are still heard from the cells of the Cellular Jail today”
Quote“From Bengal to Delhi to Andaman, every part of the country salutes and cherishes the legacy of Netaji”
Quote“The grand statue of Netaji in front of our democratic institutions and Kartavya Path reminds us of our duties.”
Quote“Like the sea connects different islands, the feeling of 'Ek Bharat, Shreshtha Bharat' unites every child of Mother India”
Quote“It is the duty of the country that the soldiers who dedicated themselves to national defence should be widely recognized along with the contributions of the army”
Quote“Now people are coming to Andaman and Nicobar Islands to know and live the history”

नमस्कार,

कार्यक्रम में उपस्थित देश के गृहमंत्री श्री अमित भाई शाह, अंडमान निकोबार के उप-राज्यपाल, चीफ़ ऑफ डिफेंस स्टाफ़, हमारी तीनों सेनाओं के अध्यक्ष, महानिदेशक भारतीय तटरक्षक, कमांडर-इन-चीफ, अंडमान एवं निकोबार कमांड, समस्त अधिकारीगण, परम वीर चक्र विजेता वीर जवानों के परिवारों के सदस्यगण, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों!

आज नेताजी सुभाष की जन्म जयंती है, देश पराक्रम दिवस के रूप में इस प्रेरणा दिवस को मनाता है। सभी देशवासियों को पराक्रम दिवस की अनेक – अनेक शुभकामनाएं। आज पराक्रम दिवस पर अंडमान निकोबार द्वीप समूह में नई सुबह की रश्मियां एक नया इतिहास लिख रही हैं। और, जब इतिहास बनता है तो आने वाली सदियाँ उसका स्मरण भी करती हैं, आकलन भी करती हैं, मूल्यांकन भी करती हैं और अविरत प्रेरणा पाती रहती है। आज अंडमान निकोबार के 21 द्वीपों का नामकरण हुआ है। इन 21 द्वीपों को अब परमवीर चक्र विजेताओं के नाम से जाना जाएगा। जिस द्वीप पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस रहे थे, वहाँ उनके जीवन और योगदानों को समर्पित एक प्रेरणास्थली स्मारक का भी आज शिलान्यास हुआ है। आज के इस दिन को आज़ादी के अमृतकाल के एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में आने वाली पीढ़ीयां याद करेंगी। नेताजी का ये स्मारक, शहीदों और वीर जवानों के नाम पर ये द्वीप, हमारे युवाओं के लिए, आने वाली पीढ़ियों के लिए एक चिरंतर प्रेरणा का स्थल बनेंगे। मैं अंडमान निकोबार द्वीप समूह के लोगों को और सभी देशवासियों को इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। मैं नेताजी सुभाष और परमवीर चक्र विजेता योद्धाओं को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ।

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भाइयों और बहनों,

अंडमान की ये धरती वो भूमि है, जिसके आसमान में पहली बार मुक्त तिरंगा फहरा था। इस धरती पर पहली आज़ाद भारतीय सरकार का गठन हुआ था। इस सबके साथ, अंडमान की इसी धरती पर वीर सावरकर और उनके जैसे अनगिनत वीरों ने देश के लिए तप, तितिक्षा और बलिदानों की पराकाष्ठा को छुआ था। सेल्यूलर जेल की कोठरियां, उस दीवार पर जड़ी हुई हर चीज आज भी अप्रतिम पीड़ा के साथ-साथ उस अभूतपूर्व जज़्बे के स्वर वहां पहुंचने वाले हर किसी के कान में पड़ते हैं, सुनाई पड़ते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से, स्वतन्त्रता संग्राम की उन स्मृतियों की जगह अंडमान की पहचान को गुलामी की निशानियों से जोड़कर रखा गया था। हमारे आइलैंड्स के नामों तक में गुलामी की छाप थी, पहचान थी। मेरा सौभाग्य है कि चार-पांच साल पहले जब मैं पोर्ट ब्लेयर गया था तो वहां मुझे तीन मुख्य आइलैंड्स को भारतीय नाम देने का अवसर मिला था। आज रॉस आइलैंड, नेताजी सुभाषचंद्र बोस द्वीप बन चुका है। हेवलॉक और नील आइलैंड स्वराज और शहीद आइलैंड्स बन चुके हैं। औऱ इसमें भी दिलचस्प ये कि स्वराज और शहीद नाम तो खुद नेताजी का दिया हुआ था। इस नाम को भी आजादी के बाद महत्व नहीं दिया गया था। जब आजाद हिंद फौज की सरकार के 75 वर्ष पूरे हुए, तो हमारी सरकार ने इन नामों को फिर से स्थापित किया था।

साथियों,

आज 21वीं सदी का ये समय देख रहा है कि कैसे जिन नेताजी सुभाष को आजादी के बाद भुला देने का प्रयास हुआ, आज देश उन्हीं नेताजी को पल-पल याद कर रहा है। अंडमान में जिस जगह नेताजी ने सबसे पहले तिरंगा फहराया था, वहाँ आज गगन-चुम्बी तिरंगा आज़ाद हिन्द फ़ौज़ के पराक्रम का गुणगान कर रहा है। पूरे देश में और देश के कोने-कोने से जब लोग यहाँ आते हैं, तो समंदर किनारे लहराते तिरंगे को देखकर उनके दिलों में देशभक्ति का रोमांच भर जाता है। अब अंडमान में उनकी याद में जो म्यूज़ियम और स्मारक बनने जा रहा है, वो अंडमान की यात्रा को और भी स्मरणीय बनाएगा। 2019 में नेताजी से जुड़े ऐसे ही एक म्यूज़ियम का लोकार्पण दिल्ली के लाल किले में भी हुआ था। आज लाल किला जाने वाले लोगों के लिए वो म्यूज़ियम एक प्रकार से हर पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्थली की तरह है। इसी तरह, बंगाल में उनकी 125वीं जयंती पर विशेष आयोजन हुये थे, देश ने इस दिन को पूरे धूमधाम से सेलिब्रेट किया था। उनके जन्मदिवस को पराक्रम दिवस के रूप में घोषित किया गया। यानी, बंगाल से लेकर दिल्ली और अंडमान तक, देश का ऐसा कोई हिस्सा नहीं है जो नेताजी को नमन न कर रहा हो, उनकी विरासत को सँजो न रहा हो।

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साथियों,

बीते 8-9 वर्षों में नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े ऐसे कितने ही काम देश में हुये हैं, जिन्हें आज़ादी के तुरंत बाद से हो जाना चाहिए था। लेकिन उस समय नहीं हुआ। देश के एक हिस्से पर आज़ाद भारत की पहली सरकार 1943 में भी बनी थी, इस समय को अब देश ज्यादा गौरव के साथ स्वीकार कर रहा है। जब आज़ाद हिन्द सरकार के गठन के 75 वर्ष पूरे हुये, तब लाल किले पर देश ने झण्डा फहराकर नेताजी को नमन किया। दशकों से नेताजी के जीवन से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग हो रही थी। ये काम भी देश ने पूरी श्रद्धा के साथ आगे बढ़ाया। आज हमारी लोकतान्त्रिक संस्थाओं के सामने, कर्तव्यपथ पर भी नेताजी बोस की भव्य प्रतिमा हमें हमारे कर्तव्यों की याद दिला रही है। मैं समझता हूँ, ये काम देशहित में बहुत पहले हो जाने चाहिए थे। क्योंकि, जिन देशों ने अपने नायक-नायिकाओं को समय रहते जनमानस से जोड़ा, सांझे और समर्थ आदर्श गढ़े, वो विकास और राष्ट्र निर्माण की दौड़ में बहुत आगे गए। इसलिए, यही काम आज़ादी के अमृतकाल में भारत कर रहा है, जी-जान से कर रहा है।

साथियों,

जिन 21 द्वीपों को आज नया नाम मिला है, उनके इस नामकरण में भी गंभीर संदेश छिपे हैं। ये संदेश है- 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना । ये संदेश है- 'देश के लिए दिये गए बलिदान की अमरता का संदेश'। वयम् अमृतस्य पुत्रा। और, ये संदेश है- भारतीय सेना के अद्वितीय शौर्य और पराक्रम का संदेश। जिन 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर इन द्वीपों को जब जाना जाएगा, उन्होंने मातृभूमि के कण-कण को अपना सब-कुछ माना था। उन्होंने भारत मां की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। वे भारतीय सेना के वे वीर सिपाही देश के अलग-अलग राज्यों से थे। अलग-अलग भाषा, बोली, और जीवनशैली के थे। लेकिन, माँ भारती की सेवा और मातृभूमि के लिए अटूट भक्ति उन्हें एक करती थी, जोड़ती थी, एक बनाती थी। एक लक्ष्य, एक राह, एक ही मकसद और पूर्ण समर्पण।

साथियों,

जैसे समंदर अलग-अलग द्वीपों को जोड़ता है, वैसे ही 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' का भाव भारत माँ की हर संतान को एक कर देती है। मेजर सोमनाथ शर्मा, पीरू सिंह, मेजर शैतान सिंह से लेकर कैप्टन मनोज पांडे, सूबेदार जोगिंदर सिंह और लांस नायक अल्बर्ट एक्का तक, वीर अब्दुल हमीद और मेजर रामास्वामी परमेश्वरन से लेकर सभी 21 परमवीर, सबके लिए एक ही संकल्प था- राष्ट्र सर्वप्रथम! इंडिया फ़र्स्ट! उनका ये संकल्प अब इन द्वीपों के नाम से हमेशा के लिए अमर हो गया है। करगिल युद्ध में ये दिल मांगे मोर का विजयघोष करने वाले कैप्टन विक्रम, इनके नाम पर अंडमान में एक पहाड़ी भी समर्पित की जा रही है।

भाइयों बहनों,

अंडमान निकोबार के द्वीपों का ये नामकरण उन परमवीर चक्र विजेताओं का सम्मान तो है ही, साथ ही भारतीय सेनाओं का भी सम्मान है। पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण, दूर-सुदूर, समंदर हो या पहाड़, इलाका निर्जन हो या दुर्गम, देश की सेनाएं देश के कण-कण की रक्षा में तैनात रहती हैं। आज़ादी के तुरंत बाद से ही हमारी सेनाओं को युद्धों का सामना करना पड़ा। हर मौके पर, हर मोर्चे पर हमारी सेनाओं ने अपने शौर्य को सिद्ध किया है। ये देश का कर्तव्य था कि राष्ट्र रक्षा इन अभियानों में स्वयं को समर्पित करने वाले जवानों को, सेना के योगदानों को व्यापक स्तर पर पहचान दी जाए। आज देश उस कर्तव्य को उस ज़िम्मेदारी को पूरे करने का हर कोशिश प्रयास कर रहा है। आज जवानों और सेनाओं के नाम से देश को पहचान दी जा रही है।

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साथियों,

अंडमान एक ऐसी धरती है जहां पानी, प्रकृति, पर्यावरण, पुरुषार्थ, पराक्रम, परंपरा, पर्यटन, प्रबोधन, और प्रेरणा सब कुछ है। देश में ऐसा कौन होगा, जिसका मन अंडमान आने का नहीं करता है? अंडमान का सामर्थ्य बहुत बड़ा है, यहां पर अथाह अवसर हैं। हमें इन अवसरों को पहचानना है, हमें इस सामर्थ्य को जानना है। बीते 8 वर्षों में देश ने इस दिशा में लगातार प्रयास किए हैं। कोरोना के झटकों के बाद भी, पर्यटन क्षेत्र में अब इन प्रयासों के परिणाम दिखाई देने लगे हैं। 2014 में देश भर से जितने पर्यटक अंडमान आते थे, 2022 में उससे करीब-करीब दोगुने लोग यहाँ आए हैं। यानी, पर्यटकों की संख्या दोगुनी हुई है, तो पर्यटन से जुड़े रोजगार और आय भी बढ़े हैं। इसके साथ ही, एक और बड़ा बदलाव बीते वर्षों में हुआ है। पहले लोग केवल प्राकृतिक सौन्दर्य के बारे में, यहाँ के Beaches के बारे में सोचकर अंडमान आते थे। लेकिन, अब इस पहचान को भी विस्तार मिल रहा है। अब अंडमान से जुड़े स्वाधीनता इतिहास को लेकर भी उत्सुकता बढ़ रही है। अब लोग इतिहास को जानने और जीने के लिए भी यहाँ आ रहे हैं। साथ ही, अंडमान निकोबार के द्वीप हमारी समृद्ध आदिवासी परंपरा की धरती भी रहे हैं। अपनी विरासत पर गर्व की भावना इस परंपरा के लिए भी आकर्षण पैदा कर रही है। अब नेताजी सुभाषचंद्र बोस से जुड़ी स्मारक और सेना के शौर्य को सम्मान देशवासियों में यहाँ आने के लिए नई उत्सुकता पैदा करेंगे। आने वाले समय में यहाँ पर्यटन के और भी असीम अवसर पैदा होंगे।

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साथियों,

हमारे देश की पहले की सरकारों में, खासकर विकृत वैचारिक राजनीति के कारण दशकों से जो हीनभावना और आत्मविश्वास की कमी रही, उसके कारण देश के सामर्थ्य को हमेशा under-estimate किया गया। चाहे हमारे हिमालयी राज्य हों, विशेषकर पूर्वोत्तर के राज्य हों, या फिर अंडमान निकोबार जैसे समुद्री द्वीप क्षेत्र, इन्हें लेकर ये सोच रहती थी कि ये तो दूर-दराज के दुर्गम और अप्रासंगिक इलाके हैं। इस सोच के कारण, ऐसे क्षेत्रों की दशकों तक उपेक्षा हुई, उनके विकास को नजरअंदाज किया गया। अंडमान-निकोबार द्वीप समूह इसका भी साक्षी रहा है। दुनिया में ऐसे कई देश हैं, ऐसे कई विकसित द्वीप हैं, जिनका आकार हमारे अंडमान निकोबार से भी कम हैं। लेकिन, चाहे, सिंगापुर हो, मालदीव्स हो, सेशेल्स हो, ये देश अपने संसाधनों के सही इस्तेमाल से टूरिज्म का एक बहुत बड़ा आर आकर्षण का केंद्र बन गए हैं। पूरी दुनिया से लोग इन देशों में पर्यटन और बिज़नेस से जुड़ी संभावनाओं के लिए आते हैं। ऐसी ही सामर्थ्य भारत के द्वीपों के पास भी है। हम भी दुनिया को बहुत कुछ दे सकते हैं, लेकिन, कभी पहले उस पर ध्यान ही नहीं दिया गया। हालात तो ये थी कि हमारे यहाँ कितने द्वीप हैं, कितने टापू हैं, इसका हिसाब-किताब तक नहीं रखा गया था। अब देश इस ओर आगे बढ़ रहा है। अब देश में प्राकृतिक संतुलन और आधुनिक संसाधनों को एक साथ आगे बढ़ाया जा रहा है। हमने 'सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर' के जरिए अंडमान को तेज इंटरनेट से जोड़ने का काम शुरू किया। अब अंडमान में भी बाकी देश की तरह ही तेज इंटरनेट पहुँचने लगा है। डिजिटल पेमेंट और दूसरी डिजिटल सेवाओं का भी यहाँ तेजी से विस्तार हो रहा है। इसका भी बड़ा लाभ अंडमान आने-जाने वाले टूरिस्टों को हो रहा है।

साथियों,

अतीत में अंडमान निकोबार ने आज़ादी की लड़ाई को नई दिशा दी थी, उसी तरह भविष्य में ये क्षेत्र देश के विकास को भी नई गति देगा। मुझे विश्वास है, हम एक ऐसे भारत का निर्माण करेंगे जो सक्षम होगा, समर्थ होगा, और आधुनिक विकास की बुलंदियों को छुएगा। इसी कामना के साथ, मैं एक बार फिर नेताजी सुभाष और हमारे सभी वीर जवानों के चरणों में नमन करता हूँ। आप सबको पराक्रम दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं! बहुत-बहुत धन्यवाद।

  • Jitendra Kumar June 11, 2025

    🙏🙏
  • krishangopal sharma Bjp December 18, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
  • krishangopal sharma Bjp December 18, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
  • krishangopal sharma Bjp December 18, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
  • दिग्विजय सिंह राना September 20, 2024

    हर हर महादेव
  • Reena chaurasia September 09, 2024

    bjp
  • Jitender Kumar Haryana BJP State President August 18, 2024

    Need worl cladd dental and eye surgeon otherwise I am handicapped
  • JBL SRIVASTAVA May 27, 2024

    मोदी जी 400 पार
  • Vaishali Tangsale February 13, 2024

    🙏🏻🙏🏻
  • ज्योती चंद्रकांत मारकडे February 12, 2024

    जय हो
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PM chairs 47th Annual General Meeting of Prime Ministers Museum and Library (PMML) Society in New Delhi
June 23, 2025
QuotePM puts forward a visionary concept of a “Museum Map of India”
QuotePM suggests development of a comprehensive national database of all museums in the country
QuoteA compilation of all legal battles relating to the Emergency period may be prepared and preserved in light of the completion of 50 years after the Emergency: PM
QuotePM plants a Kapur (Cinnamomum camphora) tree at Teen Murti House symbolizing growth, heritage, and sustainability

Prime Minister Shri Narendra Modi chaired the 47th Annual General Meeting of the Prime Ministers Museum and Library (PMML) Society at Teen Murti Bhawan in New Delhi, earlier today.

During the meeting, Prime Minister emphasised that museums hold immense significance across the world and have the power to make us experience history. He underlined the need to make continuous efforts to generate public interest in museums and to enhance their prestige in society.

Prime Minister put forward a visionary concept of a “Museum Map of India”, aimed at providing a unified cultural and informational landscape of museums across the country.

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Underlining the importance of increased use of technology, Prime Minister suggested development of a comprehensive national database of all museums in the country, incorporating key metrics such as footfall and quality standards. He also suggested organising regular workshops for those managing and operating museums, with a focus on capacity building and knowledge sharing.

Prime Minister highlighted the need for fresh initiatives, such as creation of a committee consisting of five persons from each State below the age of 35 years in order to bring out fresh ideas and perspectives on museums in the country.

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Prime Minister also highlighted that with the creation of museum on all Prime Ministers, justice has been done to their legacy, including that of the first Prime Minister of India Shri Jawaharlal Nehru. This was not the case before 2014.

Prime Minister also asked for engaging top influencers to visit the museums and also invite the officials of various embassies to Indian museums to increase the awareness about the rich heritage preserved in Indian Museums.

Prime Minister advised that a compilation of all the legal battles and documents relating to the Emergency period may be prepared and preserved in light of the completion of 50 years after the Emergency.

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Prime Minister highlighted the importance of preserving and documenting the present in a systematic manner. He noted that by strengthening our current systems and records, we can ensure that future generations and researchers in particular will be able to study and understand this period without difficulty.

Other Members of the PMML Society also shared their suggestions and insights for further enhancement of the Museum and Library.

Prime Minister also planted a Kapur (Cinnamomum camphora) tree in the lawns of Teen Murti House, symbolizing growth, heritage, and sustainability.