1992 में एक सपना संजोया गया था। अम्‍बेडकर जी के प्रति आस्‍था रखने वाले सभी महानुभावों ने सक्रिय होकर के एक विश्‍व स्‍तरीय केंद्र बने, उस दिशा में प्रयास किए थे। सरकारी फाइलें चलती रही। विचार विमर्श होता रहा। बाबा साहब अम्‍बेडकर ने जो संविधान बनया था, उस संविधान के कारण जो सरकारें बनी थी, उन सरकारों को बाबा साहब को याद करने में बड़ी दिक्‍कत होती थी। इतने साल बीत गए, 20 साल से भी अधिक समय यह कागजों में मामला चलता रहा। जब मेरे जिम्‍मे काम आया, तो पीड़ा तो हुई कि भई ऐसा क्‍यों हुआ होगा। 

लेकिन मैंने यह तय किया है भले ही 20 साल बर्बाद हुए हो लेकिन अब हम 20 महीने के भीतर-भीतर इस काम को पूरा करेंगे। कभी-कभी व्‍यक्तिगत रूप से मैं सोचता हूं अगर बाबा साहब अम्‍बेडकर न होते तो नरेंद्र मोदी कहा होते? जिस पार्श्‍व भूमि पर मेरा जन्‍म हुआ, जिस अवस्‍था मैं पला-बढ़ा पैदा हुआ, अगर बाबा साहब अम्‍बेडकर न होते, तो मैं यहां तक नहीं पहुंच पाता। समाज के दलित, पीडि़त, शोषित वंचित सिर्फ उन्‍हीं का भला किया है ऐसा नहीं है। और कभी-कभी मैं जब यह सुनता हूं तो मुझे पीड़ा होती है कि बाबा साहेब अम्‍बेडकर दलितों के देवता थे। जी नहीं, वो मानव जात के लिए थे। और न ही सिर्फ हिंदुस्‍तान में विश्‍वभर के दलित, पीडि़त, शोषित, वंचित, उपेक्षित उन सबके लिए एक आशा की किरण थे। और हमने भी गलती से भी बाबा साहब को छोटे दायरे में समेट करके उनको अपमानित करने का पाप नहीं करना चाहिए था। इतने बड़े मानव थे। 

आप कल्‍पना किजिए वो समय.. जीवनभर हम देखें बाबा साहब को, वो सामाजिक Untouchability का शिकार तो थे ही, लेकिन मरने के बाद भी Political Untouchability का शिकार बने रहे। देश को न सामाजिक Untouchability चाहिए, देश को न राजनीतिक Untouchability चाहिए। बाबा साहब का जीवन.. और उन्‍होंने संदेश भी क्‍या दिया, आज 21वीं सदी में भी हर सरकार के लिए वहीं काम मुख्‍य है, जो बाबा साहब कह के गए हैं। उन्‍होंने क्‍या संदेश दिया? शिक्षित बनो, संगठित बनो, संघर्ष करो। शिक्षित बनो, आज भी भारत की सभी सरकारें.. उनके सामने ये प्रमुख काम है कि हम 100% Literacy की और कैसे आगे बढ़ें, उस लक्ष्‍य को कैसे प्राप्‍त करें। हम बाबा साहब आंबेडकर के सवा सौ साल मनाने जा रहे हैं, तब बाबा साहब ने हमें जो एक मंत्र दिया है, शिक्षित बनो.. समाज के आखिरी छोर पर बैठे हुए इंसान को अगर हम शिक्षित बनाते हैं तो बाबा साहब को उत्‍तम से उत्‍तम श्रंद्धाजलि होगी। सवा सौ साल मनाने का वो उत्‍तम से उत्‍तम तरीका होगा, क्‍योंकि ये वहीं लोग है जो शिक्षा से वंचित रह गए है, जिनके लिए बाबा साहब जीते थे, जीवनभर जूझते थे और इसलिए हमारे लिए एक सहज कर्त्‍तव्‍य बनता है। उस कर्त्‍तव्‍य का पालन करना है.. भारत को ऐसा संविधान मिला है, जिस संविधान में द्वेष और कटुता को कहीं जगह नहीं है। 

आप कल्‍पना कर सकते है कि दलित मां की कोख से पैदा हुआ एक बालक, जिसने जीवनभर जाति के नाम पर कदम-कदम अपमान सहा हो, सम्‍मान से जीने के लिए कोई व्‍यवस्‍था न हो, ऐसे व्‍यक्ति के दिल में कितनी कटुता, कितना रोष, कितना बदले का भाव हो सकता था। लेकिन बाबा साहब के भीतर वो परमात्‍मा का रूप था, जिसने संविधान की एक धारा में भी.. खुद के जीवन पर जो बीती थी, वो यातनाएं कटुता में परिवर्तित नहीं होने दीं। बदले का भाव संविधान के किसी भी कोने में नहीं पैदा होता। इतिहास कभी तो मूल्‍यांकन करेगा कि जीवन की वो कौन सी ऊंचाईयां होगी इस महापुरूष में कि जिसके पास इतना बड़ा दायित्‍व था, वो चाहते तो उन स्थितियों में ऐसी बात करवा सकते थे, लेकिन नहीं करवाई। 

मूल में कटुता, द्वेष, बदले का भाव न उनके दिल में कभी पनपने दिया, न आने वाली पीढि़यों में पनपे इसके लिए कोई जगह उन्‍होंने छोड़ी। मैं समझता हूं कि हम संविधान की बात करते हैं लेकिन उन पहलुओं की ओर कभी देखते नहीं है। उस सामाजिक अवस्‍था की ओर देखते नहीं है। 

मुझे खुशी है मैं उस प्रदेश में पैदा हुआ। जहाँ Sayajirao Gaekwad ने बाबा साहब अम्‍बेडकर का गौरव किया था। उनको सम्‍मानित किया था, उनके जीवन का गर्व-भैर स्‍वीकार किया था। और बाबा साहब अम्‍बेडकर ने हमेशा न्‍याय-प्रियता को प्राथमिकता दी थी। आज हम सब, जैसे मैं कहता हूं कि संविधान मेरे जैसे व्‍यक्ति को भी कहां से कहां पहुंचा सकता है। 

यह Election Commission की रचना है। बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि उस समय निष्‍पक्ष चुनाव का महत्‍व क्‍या होता है, लोकतंत्र में निष्‍पक्ष चुनाव की ताकत क्‍या होती है, उस बात के बीज बोए उन्‍होंने Independent Election की रचना करके, यह बाबा साहब की सोच थी और आज हम सब एक ऐसी व्‍यवस्‍था पर भरोसा करते हैं कि हिंदुस्‍तान के सभी दल कितना ही विरोध क्‍यों न हो, लेकिन Election Commission की बात को गर्व के साथ स्‍वीकार करते हैं। बाबा साहेब ने यह व्‍यवस्‍था हमें दी। 

उनकी न्‍यायप्रियता देखिए। दुनिया के समृद्ध-समृद्ध कहे जाने वाले देश, most forward कहे जाने वाले देश उन देशों में भी महिलाओं को मत का अधिकार पाने के लिए 50-50, 60-60 साल तक लड़ाईयां लड़नी पड़ी थी। आंदोलन करने पड़े थे, महिलाओं को मत का अधिकार नहीं था, voting right नहीं था। पढ़े-लिखे देश से, प्रगतिशील देश से, धनवान देश से लोकतंत्र की दुहाई देने का जैसे उनका मनोबल ही था, लेकिन एक दलित मां की कोख से पैदा हुआ बेटा संविधान के पहले ही दिन हिंदुस्‍तान के अंदर माताओं-बहनों को वोट का अधिकार दे देता है, यह न्‍यायप्रियता ही उनकी। 

भारत एक Federal Structure है। संघीय ढांचा आगे चलकर के कैसे चलेगा, व्‍यवस्‍थाएं कैसी होगी। मैं नहीं मानता हूं कि सामान्‍य मानवीय 50-60 साल के बाद क्‍या होगा, वो देख पाता है, मैं नहीं मानता। आज हम देखते हैं क‍ि हमारे संघीय ढांचे को मजबूत बनाए रखने के लिए कितनी-कितनी बारीक चीजों पर ध्‍यान देना पड़ता है। और फिर भी कहीं न कहीं तो कोई गलती रह जाती होगी। यह बाबा साहब अम्‍बेडकर थे, जिनको इस बात की समझ थी कि उन्‍होंने संविधान की रचना के साथ एक स्‍वतंत्र Finance Commission की रचना रखी। जो Finance Commission केंद्र और राज्‍यों के संतुलन और धन के वितरण की व्‍यवस्‍था को स्‍वतंत्र रूप से गाइड करता है और आज भी वो व्‍यवस्‍था पर सब भरोसा करते है और चलते हैं। इस बार राज्‍यों को 42% तक राशि मिली है। हिंदुस्‍तान के इतिहास की बहुत बड़ी घटना है यह। यानी एक प्रकार से राज्‍यों ने कल्‍पना न की हो, उतने धन के भंडार इस बार मिल गए। पहली बार ऐसा हुआ है कि देश की जो Total जो तिजोरी, जो माने राज्‍य और केंद्र की मिलकर के तो करीब-करीब 60% से ज्‍यादा, 65% से भी ज्‍यादा amount आज राज्‍यों के पास है। भारत के पास मात्र 35% amount है। यह ताकत राज्‍यों को कैसे मिली है। सरकार के समय निर्णय हुआ एक बात है…लेकिन मूल बाबा साहब आंबेडकर के उस मूल में लिखा हुआ है, तब जा करके हुआ और इसलिए समाज के अंदर जब हम इन चीजों की ओर देखते हैं तो लगता है कि भई क्‍या हमारी आने वाली पीढ़ी को इस महापुरूष के कामों को समझना चाहिए कि नहीं समझना चाहिए, इस महापुरूष के विचारों को जानना चाहिए कि नहीं जानना चाहिए? हमारी आने वाली पीढि़यों को इस महापुरूष के आदर्शों से कुछ पा करके जीने का संकल्‍प करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? 

अगर ये हमें करना है, तो जो आज हम व्‍यवस्‍था को जन्‍म देने जा रहे है, जो 20 महीने के भीतर-भीतर, गतिविधि उसकी शुरू हो जाएं, ऐसी मेरी अपेक्षा है। ये आने वाली पीढि़यों की सेवा करने का काम है और ये सरकार कोई उपकार नहीं कर रही है, मोदी सरकार भी उपकार नहीं कर रही। एक प्रकार से समाज को अपना कर्ज चुकाना है, कर्ज चुकाने का एक छोटा सा प्रयास है। 

और इसलिए मैं समझता हूं कि बाबा साहब के माध्‍यम से जितनी भी चीजें हमारे सामने आई है.. हम कभी-कभी देखें, बाबा साहब.. women Empowerment, इसको उन्‍होंने कितनी बारिकी से देखा। आज भी विवाद होते रहते हैं। उस समय बाबा साहब की हिम्‍मत देखिए, उन्‍होंने जिन कानूनों को लाने में सफलता पाई, जो हिन्‍दुस्‍तान में विमिन Empowerment के लिए एक बहुत बड़ी ताकत रखते है। ये बाबा साहब का प्रयास था कि जिसके कारण हिंदू मैरिज़ एक्‍ट 1955 बना। ये बाबा साहब का पुरूषार्थ था कि Hindu Succession Act 1956 बना। Hindu Minority And Guardianship Act 1956 बना, Hindu Adoption और Maintenance Act 1956 बना। ये सारे कानून समाज के उन लोगों को ताकत देते थे विशेष करके महिलाओं को, ये बाबा साहब की विशेषता थी। 

आज भी मैं जब लोगों से बड़े-बड़े सुनता हूं तो आश्‍चर्य होता है कि काश इस प्रकार के भाषण करने वालों ने कभी आंबेडकर को पढ़ा होगा। खैर.. वो तो उनको गले लगाने को तैयार नहीं थे, उनके जाने के बाद उनको पढ़ने के लिए कहा से तैयार होगे। कोई कल्‍पना कर सकता है कि दुनिया में Labour Reform की बात कहें तो Communist विचारधारा की चर्चा होती है। Labour Reform की चर्चा करें तो Leftist विचारधारा के खाते में जाता है, लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि जब ब्रिटिश सल्‍तनत थी, अंग्रेज वायसराय यहां बैठे थे.. और उस काउंसिल के अंदर 1942 में बाबा साहब आंबेडकर की ताकत देखिए, भारत के मजदूरों का अंग्रेज सल्‍तनत शोषण करती थी, ये बाबा साहब की ताकत थी कि 1942 के पहले मजदूरों को 12 घंटे काम करना पड़ता था। 1942 में बाबा साहब आंबेडकर ने वायसराय से लड़ाई लड़ करके 12 घंटे से 8 घंटे काम करवाने का पक्‍का कर लिया था। 

ये छोटे निर्णय नहीं है और इसलिए बाबा साहब को एक सीमा में बांध करके देखने से.. भारत की पूरी विकास यात्रा में बाबा साहब का कितना बड़ा रोल था, इसको हम समझ नहीं पाते। ये मेरा सौभाग्‍य रहा है, क्‍योंकि मैं हर पल मानता हूं और अपने जीवन को देख करके मुझे हर पल लगता है कि इस महापुरूष ने हमें बहुत कुछ दिया है, बहुत कुछ दिया है। समाज के प्रति भी उनकी भूमिका क्‍या रही, समाज को जोड़ने की भूमिका रहीं। कभी समाज को तोड़ने की भूमिका नहीं रही। 

उनके सारे विचारों को हम देखे, उनके सामने धन के ढेर कर दिए गए थे – यह बनो, यह पाओ, यह करो। मैं उसकी चर्चा में जाना नहीं चाहता हूं, इतिहास मौजूद है। लेकिन वो उससे विचलित नहीं हुए थे। और इसलिए जिस प्रकार से समता का महत्‍व है, उतना ही ममता का भी महत्‍व है। खासकर के जो अपने आप को उच्‍च मानते हैं, उन लोगों ने अपने आप को सोचना होगा कि समाज में भेद-भाव लम्‍बे अर्से तक चलने वाला नहीं है। इसे स्‍वीकार करना होगा और भारत जैसा देश जो विविधताओं से भरा हुआ है उसमें सामाजिक एकता एक बहुत बड़ी एकता रखती है। बाबा साहब के 125 वर्ष मना रहे हैं तब सामाजिक एकता के बिगुल को हम कैसे ताकतवर बनाए। 

और इसलिए मैं कहता हूं – समता + ममता = समरता। समभाव + ममभाव = समरसता। और इसलिए अपनापन यह मेरे हैं। यह मेरे ही परिवार के अंग है, यह भाव हमें जीकर के दिखाना होगा और मुझे विश्‍वास है कि यह जो हम प्रयास शुरू कर रहे हैं। उस प्रयास के माध्‍यम से समाज की धारणा बनाने में, समाज को सशक्‍त बनाने में संविधान की lateral spirit, उसको कोई चोट न पहुंचे। उसकी जागरूक भूमिका अदा करने के लिए एक प्रकार से यह चेतना केंद्र बनेगा। यह विश्‍व चेतना केंद्र बनने वाला है, उस सपने को लेकर के हमें देखना चाहिए। 

हम मार्टिन लूथर किंग की बात तो कर लेते हैं, लेकिन बाबा साहब को भूल जाते हैं और इसलिए अगर मार्टिन लूथर किंग की बात करती है दुनिया, तो हमारी कोशिश होनी चाहिए कि दुनिया जब मार्टिन लूथर किंग की चर्चा करें तो बाबा साहब अम्‍बेडकर की भी करने के लिए मजबूर हो जाए। वो तब होगा, जब हम बाबा साहब का सही रूप उनके विचारों की सही बात, उनके काम की सही बात दुनिया के पास सही स्‍वरूप में प्रस्‍तुत करेंगे। इस केंद्र को यह सबसे बड़ा काम रहेगा कि पूरा विश्‍व बाबा साहब को जाने-समझे। भारत के मूलभूत तत्‍व को जाने-समझे और यह बाबा साहब के माध्‍यम से बहुत आसानी से समझा जा सकता है। 

और इसलिए मैं कहता हूं कि हमने बाबा साहब से प्रेरणा लेकर के उनके विचारों और आदर्शों से प्रेरणा लेकर के समाज को सशक्‍त बनाने की दिशा में, राष्‍ट्र के लिए.. महान राष्‍ट्र बनाने का सपना पूरा करने के लिए, हमारी जो भी जिम्‍मेवारी है उसको पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। 

मैं विभाग के सभी साथियों को बधाई देता हूं कि 20 साल से अधिक समय से भी लटकी हुई चीज, एक प्रकार से Political untouchability का स्‍वीकार हुआ Project है। उससे मुक्ति दिलाई है। अब आने वाले 20 महीनों में उसको पूरा करे। लेकिन यह भी ध्‍यान रखे कि उसका निर्माण उस स्‍तर का होना चाहिए ताकि आने वाली शताब्‍दियों तक वो हमें प्रेरणा देता रहे, ऐसा निर्माण होना चाहिए। 

मैं फिर एक बार बाबा साहब आंबेडकर को प्रणाम करता हूं और सवा सौ वर्ष.. ये हमारे भीतर ताकत दें, हमें जोड़ने का सामर्थ्‍य दें, सबको साथ ले करके चलने का सामर्थ्‍य दें, समाज के आखिरी छोर पर बैठा हुआ इंसान, वो हमारी सेवा के केंद्र बिंदु में रहें, ऐसे आर्शीवाद बाबा साहब के निरंतर मिलते रहें ताकि उनके जो सपने अधूरे हैं, वो पूरे करने में हम लोग भी कुछ काम आएं, इसी अपेक्षा के साथ फिर एक बार मैं विभाग को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद! 

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India has always played the role of the first responder for Maldives: PM Modi
October 07, 2024

Your Excellency, President Muizzu,
Delegates of both the nation,
Our Friends from Media,.

Namaskar to all!

First of all, I would like to extend a warm welcome to President Muizzu and his delegation.

India and Maldives share relations that spans centuries.

And India is the Maldives' closest neighbour and a steadfast friend.

The Maldives holds a significant place in both our 'Neighbourhood First' policy and the 'SAGAR' vision.

India has consistently acted as the first responder for the Maldives.

Be it essential commodities for the people of the Maldives, providing drinking water during natural disasters, delivering vaccines during the COVID pandemic, India has consistently upheld its responsibilities as a neighbour.

And today, to provide strategic direction to our mutual cooperation, we have adopted the vision of "Comprehensive Economic and Maritime Security Partnership”.

Friends,

Development partnership is a key pillar of our relationship.And we always give preference to the priorities of Maldivian people in this context.

This year SBI has rolled over USD 100 million of Treasury Bills for Maldives. Today, as per the need of Maldives, a currency swap agreement of USD 400 million and INR 3000 crore (INR 30 billion) has also been concluded.

We have discussed about comprehensive cooperation for infrastructure development in the Maldives.Today, we inaugurated a runway at the Hanimadhoo International Airport.Now, the ‘Greater Male’ Connectivity Project will also be expedited. Support will also be provided in the development of a new commercial port in Thilafushi.

Today, over 700 social housing units constructed with India’s assistance have been handed over.Water and sewerage projects have been completed on 28 islands of the Maldives.Work on six other islands will soon be completed.These projects will ensure supply of clean water to thirty thousand people.

Assistance will also be provided in setting up Agriculture Economic Zone in "Haa Dhaalu” and fish processing facility in "Haa Alifu”.

We will also work together in the fields of oceanography and blue economy.

Friends,

To strengthen our economic ties, we have decided to initiate discussions on a Free Trade Agreement. We will also work on trade settlements in local currencies.

We have also focused on digital connectivity.Earlier today, the RuPay card was launched in the Maldives. In future, we will work to connect India and the Maldives through UPI as well.

We have discussed opening a new Indian consulate in Addu and a new Maldivian consulate in Bengaluru.

All these initiatives will strengthen our people-to-people ties.

Friends,

We have engaged in comprehensive discussions on various aspects of defence and security cooperation.

The Ekatha Harbor project is progressing swiftly.

We will continue our cooperation in training and capacity building of the Maldives National Defence Forces. Together, we will strive for stability and prosperity in the Indian Ocean Region.We will enhance our cooperation in hydrography and disaster response.

We also welcome Maldives joining the Colombo Security Conclave as a founding member.

Climate Change poses a big challenge for both the countries. In this regard, India is prepared to share its expertise in solar energy and energy efficiency with Maldives.

Excellency,

Once again, I welcome you and your delegation to India. Your visit is adding a new chapter to our relationship. We will continue to provide all possible support for the progress and prosperity of the people of Maldives.

Thank you very much.