Today I have started the programme of cleaning the ghats. The social organizations of this place have assured me that the ghat will be cleaned within a month. After many years, I understand that this gift of cleanliness would be a unique one. Today, I have started and carried forward this task of cleaning the ghats in my constituency of Varanasi. I will nominate 9 people. As per our programme, after cleaning the ghats each person will nominate nine other persons. When I started the cleanliness drive in Delhi I had nominated nine people. Today again I will nominate nine people specially associated with Uttar Pradesh.
One is the Chief Minister of UP Shri Akhilesh ji Yadav.
The Chancellor of The Handicapped University in Chitrakoot, Jagat Guru Swami Rambhadracharya ji.
One of the famous Bhojpuri singer and also our MP from BJP who is also associated with this place Shri Manoj Tiwari ji.
The one to earn his place in the literary world by writing the biography of Lord Krishna, respected Manu Sharma ji.
Cricketer and an inspiration for the youth Shri Mohammad Kaif.
Padmashree awardee and renowned Sanskrit scholar, Guru Devi Prasad Dwivedi ji.
A gift from UP who has created a name for himself by his comedies, Sri Raju Srivastava ji.
The present cricketing icon of the new generation, Sri Suresh Raina ji.
Renowned singer with a distinct identity for his music and a son of Meerut, a singer well acclaimed, Sri Kailash Kher ji.
I have nominated these nine people. I request them to take this cleanliness drive forward and they also nominate nine people under them and take this cycle ahead. Thank you very much to you all.
(The original message was in Hindi, this is the English rendering. Original message remains the authoritative version)


केंद्र सरकार में मंत्रिमंडल के सभी साथी, उपस्थित माननीय सांसदगण, सरकार के सभी कर्मचारी, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों !
क्रांति का महीना अगस्त, और 15 अगस्त से पहले ये ऐतिहासिक अवसर, हम एक के बाद एक आधुनिक भारत के निर्माण से जुड़ी उपलब्धियों के साक्षी बन रहे हैं। यहां राजधानी दिल्ली में ही कर्तव्य पथ, देश का नया संसद भवन, नया रक्षा भवन, भारत मंडपम्, यशोभूमि, शहीदों को समर्पित नेशनल वॉर मेमोरियल, नेताजी सुभाष बाबू की प्रतिमा और अब ये कर्तव्य भवन। ये केवल कुछ नए भवन और सामान्य इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं हैं, अमृतकाल में इन्हीं भवनों में विकसित भारत की नीतियां बनेंगी, विकसित भारत के लिए महत्वपूर्ण निर्णय होंगे, आने वाले दशकों में यहीं से राष्ट्र की दिशा तय होगी। मैं आप सभी को, और सभी देशवासियों को कर्तव्य भवन की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। मैं इसके निर्माण से जुड़े सभी इंजीनियर्स और सभी श्रमिक साथियों का भी आज इस मंच से धन्यवाद करता हूँ।
साथियों,
हमने इस इमारत को बहुत मंथन के बाद ‘कर्तव्य भवन’ नाम दिया है। कर्तव्य पथ, कर्तव्य भवन, ये नाम हमारे लोकतंत्र की, हमारे संविधान की मूल भावना का उद्घोष करते हैं। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है- न मे पार्थ अस्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किंचन, नान-वाप्तं अ-वाप्तव्यं वर्त एव च कर्मणि॥ अर्थात्, हमें क्या प्राप्त करना है, क्या प्राप्त नहीं करना है, इस सोच से ऊपर उठकर हमें कर्तव्य भाव से कर्म करना चाहिए। कर्तव्य, भारतीय संस्कृति में ये शब्द केवल दायित्व या responsibility तक सीमित नहीं हैं। कर्तव्य, हमारे देश के कर्मप्रधान दर्शन की मूल भावना है। स्व की सीमा से परे, सर्वस्व को स्वीकार करने की विराट दृष्टि, यही कर्तव्य की वास्तविक परिभाषा है। और इसलिए, कर्तव्य, ये सिर्फ इमारत का नाम भर नहीं है। ये करोड़ों देशवासियों के सपनों को साकार करने की तपोभूमि है। कर्तव्य ही आरंभ है, कर्तव्य ही प्रारब्ध है। करुणा और कर्मठता के स्नेह सूत्र में बंधा कर्म, वही तो है - कर्तव्य। सपनों का साथ है- कर्तव्य, संकल्पों की आस है- कर्तव्य, परिश्रम की पराकाष्ठा है- कर्तव्य, हर जीवन में ज्योत जला दे, वो इच्छाशक्ति है- कर्तव्य। करोड़ों देशवासियों के अधिकारों की रक्षा का आधार है- कर्तव्य, मां भारती की प्राण-ऊर्जा का ध्वजवाहक है- कर्तव्य, नागरिक देवो भव: के मंत्र का जाप है- कर्तव्य, राष्ट्र के प्रति भक्ति भाव से किया हर कार्य है- कर्तव्य।
साथियों,
आजादी के बाद दशकों तक देश की Administrative machinery उन बिल्डिंगों से चलाई जाती रही है, जो ब्रिटिश शासनकाल में बनी थी। आप भी जानते हैं, दशकों पहले बने इन प्रशासनिक भवनों में वर्किंग कंडीशन कितनी खराब, और अभी video में कुछ झलक भी देखी हमने। यहाँ काम करने वालों के लिए ना पर्याप्त स्पेस है, ना रोशनी है, ना जरूरी वेंटिलेशन है। आप कल्पना कर सकते हैं, होम मिनिस्ट्री जैसी महत्वपूर्ण मिनिस्ट्री करीब 100 साल से एक ही बिल्डिंग में अपर्याप्त संसाधनों के साथ चल रही थी। इतना ही नहीं, भारत सरकार के अलग-अलग मंत्रालय, दिल्ली के 50 अलग-अलग जगहों से चल रहे हैं, इनमें से बहुत सारे मंत्रालय तो किराए की बिल्डिंग में हैं। इनके किराए पर जितने रुपए खर्च हो रहे थे, वो अपने आप में बहुत बड़ा आंकड़ा है। और वैसे पूरा हिसाब लगाए तो बहुत बड़ा है, लेकिन अगर मोटा-मोटा हिसाब लगाए तो डेढ़ हजार करोड़ रुपया प्रति वर्ष इसमें जाता है। इतनी बड़ी राशि भारत सरकार अलग-अलग मंत्रालयों के सिर्फ किराए पर खर्च कर रही है। इसके अलावा एक और दिक्कत। काम की वजह से स्वभाविक है कि कर्मचारियों का यहां से वहां आना-जाना भी होता है, अनुमान है कि हर रोज 8 से 10 हजार कर्मचारियों को एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय में आना-जाना पड़ता है। अब इसमें भी सैकड़ों गाड़ियों का मूवमेंट होता है, खर्च होता है, सड़कों पर traffic बढ़ता है, कितना समय खराब होता है, और इन सबसे काम में भी inefficiency के सिवाय कुछ नहीं रहता है।
साथियों,
21वीं सदी के भारत को, 21वीं सदी की आधुनिक व्यवस्थाएं चाहिए, इमारतें भी चाहिए। ऐसी इमारतें जो टेक्नोलॉजी, सुरक्षा और सुविधा के लिहाज से बेहतरीन हो। जहां कर्मचारी सहज हों, फैसले तेज हों, और सेवाएं सुगम हों। इसलिए कर्तव्य पथ के आसपास एक holistic विज़न के साथ कर्तव्य भवन जैसी विशाल इमारतों का निर्माण किया जा रहा है। ये तो पहला कर्तव्य भवन पूरा हुआ है, अभी कई कर्तव्य भवनों का निर्माण तेजी से चल रहा है। ये ऑफिसेस जब आस-पास शिफ्ट होंगे, नजदीक-नजदीक हो जाएगी, तो इससे कर्मचारियों को सही work environment मिलेगा, जरूरी सुविधाएं मिलेंगी, उनका total work output भी बढ़ेगा। और सरकार जो डेढ़ हजार करोड़ रुपए किराए पर खर्च कर रही है, वो भी बचेगा।
साथियों,
कर्तव्य भवन की ये भव्य बिल्डिंग, ये सभी प्रोजेक्ट्स, नए डिफेंस कॉम्प्लेक्स, देश के तमाम बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, ये देश के pace का सबूत तो हैं ही, ये भारत के वैश्विक विज़न का प्रतिबिंब भी हैं। हम दुनिया को जो विज़न दे रहे हैं, भारत खुद उन्हें किस तरह अंगीकार कर रहा है। ये हमारे इंफ्रास्ट्रक्चर development में दिखाई दे रहा है। हमने दुनिया को मिशन LiFE दिया, हमने One Earth, One Sun, One Grid का आइडिया विश्व के सामने रखा, ये वो विज़न हैं, जिनसे मानवता के भविष्य की उम्मीद जुड़ी है। आज आप देख सकते हैं, कर्तव्य भवन जैसे हमारे आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, ये ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर हैं, जिनकी आत्मा, Pro-people है। और इनका स्ट्रक्चर pro-planet है। कर्तव्य भवन में भी रूफटॉप पर सोलर पैनल्स लगाए गए हैं, वेस्ट मैनेजमेंट के लिए advanced systems को इसमें integrate किया गया है। ग्रीन बिल्डिंग्स का विज़न अब भारत में विस्तार ले रहा है।
साथियों,
हमारी सरकार, एक होलिस्टिक विजन के साथ भारत के नव-निर्माण में जुटी है। देश का कोई भी हिस्सा आज विकास की धारा से अछूता नहीं है। अगर दिल्ली में संसद की नई इमारत बनी है, तो देश में 30 हजार से ज्यादा पंचायत भवन भी बने हैं। आज यहां एक ओर कर्तव्य भवन जैसी बिल्डिंग बन रही है, तो साथ ही गरीबों के लिए 4 करोड़ से ज्यादा पक्के घर भी बनाए गए हैं। यहां नेशनल वॉर मेमोरियल बना है, पुलिस मेमोरियल बना है, तो देश में 300 से ज्यादा नए मेडिकल कॉलेज भी बनाए गए हैं। यहां भारत मंडपम बना है, तो देश में 1300 से ज्यादा नए अमृत भारत रेलवे स्टेशंस भी बनाए जा रहे हैं। यहां बने यशोभूमि की भव्यता पिछले 11 साल में बने करीब 90 नए एयरपोर्ट में भी नजर आती है।
साथियों,
महात्मा गांधी कहते थे, अधिकार और कर्तव्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। कर्तव्य के पालन से ही हमारे अधिकारों को बल मिलता है। हम नागरिक से कर्तव्य की अपेक्षा रखते हैं, लेकिन सरकार के तौर पर हमारे लिए भी कर्तव्य सर्वोपरि है। और जब कोई सरकार अपने कर्तव्यों को गंभीरता से पूरा करती है, तो वो गवर्नेंस में भी नजर आता है। आप सभी जानते हैं, पिछला एक दशक देश में Good Governance का दशक रहा है। Good governance और विकास की धारा reforms की गंगोत्री से ही निकलती है। Reforms एक consistent और time bound process है। इसलिए देश ने लगातार बड़े reforms किए हैं। हमारे reforms consistent भी हैं, dynamic भी हैं, और दूरदर्शी भी हैं। सरकार और जनता के बीच संबंधों को बेहतर बनाना, Ease of Living को बढ़ाना, वंचितों को वरीयता, महिलाओं का सशक्तिकरण, सरकार की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाना, देश लगातार इस दिशा में innovative तरीके से काम कर रहा है। हमें गर्व है कि पिछले 11 साल में देश ने एक ऐसी शासन प्रणाली विकसित की है, जो पारदर्शी है, संवेदनशील है, और सिटिजन सेंट्रिक है।
साथियों,
मैं दुनिया के जिस भी देश में जाता हूं, वहां जन-धन, आधार और मोबाइल, JAM त्रिनिटी की बहुत चर्चा होती है। दुनियाभर में इसकी प्रशंसा होती है। इसने भारत में सरकारी योजनाओं की डिलीवरी को ट्रांसपेरेंट और लीकेज फ्री बना दिया है। आज कोई भी ये जानकर हैरान रह जाता है कि देश में राशन कार्ड हो, गैस सब्सिडी पाने वाले हों, स्कॉलरशिप्स हों, ऐसी अलग-अलग योजनाओं के करीब 10 करोड़ लाभार्थी ऐसे थे, ये आंकड़ा सुनकर के चौंक जाओगे, 10 करोड़ लाभार्थी ऐसे थे, जिनका कभी जन्म ही नहीं हुआ था। इनके नाम पर पहले की सरकारें पैसे भेज रही थीं, और वो पैसा इन फर्जी लाभार्थियों के नाम पर बिचौलियों के खाते में जा रहा था। इस सरकार में इन सभी 10 करोड़ फर्जी नामों को हटा दिया गया है। और अभी ताजा आंकड़ा है कि इससे देश के 4 लाख 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा, ये पैसे गलत हाथों में जाने से बचे हैं। आप कल्पना करिए, 4 लाख 30 हजार करोड़ रुपए की चोरी, अब ये पैसा देश के विकास में काम आ रहा है। मतलब, लाभार्थी भी खुश हैं, और देश का संसाधन भी बचा है।
साथियों,
सिर्फ करप्शन और लीकेज ही नहीं, अनावश्यक नियम कायदे भी, नागरिकों को परेशान करते थे। इनसे सरकार की decision making process, slow होती थी। इसलिए हमने 1500 से ज्यादा पुराने कानून समाप्त कर दिए। कई कानून तो अंग्रेज़ों के जमाने के थे, जो इतने दशकों बाद भी रोड़ा बने हुए थे। हमारे यहां क़ानूनों के कंप्लायन्स का भी बहुत बड़ा बर्डन रहा है। कोई भी काम शुरु करना हो, तो दर्जनों कागज़ देने पड़ते थे। पिछले 11 साल में 40 हज़ार से अधिक कंप्लायंसेस को खत्म कर दिया गया है। और ये काम अभी पूरा नहीं हुआ है, अभी भी लगातार जारी है।
साथियों,
यहां भारत सरकार के वरिष्ठ सचिव भी मौजूद हैं, आप इस बात से परिचित हैं कि पहले कितने विभागों और मंत्रालयों में किस तरह जिम्मेदारियों और अधिकारों की overlapping होती थी। इससे decisions अटक जाते थे, काम अटक जाता था। हमने अलग-अलग विभागों को जोड़कर डुप्लिकेशन खत्म किया। कुछ मंत्रालय को merge किया गया। जहां जरूरत थी, वहाँ नए मंत्रालय भी बनाए गए, वॉटर सेक्योरिटी सुरक्षित करने के लिए जलशक्ति मंत्रालय बना, सहकारिता आंदोलन को सशक्त करने के लिए सहकारिता मंत्रालय बना, पहली बार फिशरीज़ का अलग मंत्रालय बनाया गया। हमारे नौजवानों के लिए skill development ministry बनी, इन फैसलों से आज सरकार की efficiency भी बढ़ी है, delivery भी तेज हुई है।
साथियों,
हम सरकार के वर्क-कल्चर को भी अपग्रेड करने के लिए काम कर रहे हैं। मिशन कर्मयोगी, i-GOT जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म, हमारे government employees को इनके ज़रिए आज technically empower किया जा रहा है। ई-ऑफिस, फाइल ट्रैकिंग, डिजिटल अप्रूवल, एक ऐसी व्यवस्था बन रही है, जो फास्ट भी है, और traceable भी है।
साथियों,
जब हम किसी नए घर में जाते हैं, तो हमारे भीतर एक नया उत्साह होता है, हमारी ऊर्जा पहले से कई गुना ज्यादा हो जाती है। अब आप उसी जोश के साथ इस नए भवन में अपने दायित्वों को आगे बढ़ाएंगे। आप जिस किसी भी पद पर हैं, आप अपने कार्यकाल को यादगार बनाने के लिए काम करिएगा। जब आप यहां से जाएं, तो ये लगना चाहिए कि आपने देशसेवा में अपना शत-प्रतिशत योगदान दिया है।
साथियों,
हमें फाइलों को लेकर अपने नजरिए को भी बदलने की जरूरत है। एक फाइल, एक शिकायत, एक आवेदन, ये देखने में बस एक रोजमर्रा का काम लग सकता है। लेकिन किसी के लिए वही एक कागज़, उनकी उम्मीद हो सकता है, एक फ़ाइल से कितने ही लोगों का पूरा जीवन जुड़ा हो सकता है। अब जैसे कोई फ़ाइल जो 1 लाख लोगों से जुड़ी है, अगर आपकी टेबल पर वो एक दिन भी delay होती है, तो उससे 1 लाख मानव दिवसों का नुकसान होता है। जब आप इस नजरिए से अपने काम को देखेंगे, तो आपको भी लगेगा, किसी भी सुविधा या सोच से ऊपर ये सेवा का कितना बड़ा अवसर है। आप अगर कोई नया idea generate करते हैं, तो हो सकता है, आप एक बड़े बदलाव की नींव रख रहे हों। कर्तव्य की इसी भावना के साथ हम सबको हमेशा राष्ट्र निर्माण में जुटे रहना है। हम सबको ये हमेशा याद रखना है- कर्तव्य की कोख में ही पलते हैं विकसित भारत के सपने।
साथियों,
वैसे आज ये आलोचना का अवसर नहीं है, लेकिन ये अवसर आत्ममंथन का जरूर है। कितने ही देश जो हमारे साथ-साथ आजाद हुए थे, वो इतनी तेजी से आगे बढ़ गए। लेकिन, भारत तब उस गति से आगे नहीं बढ़ पाया, अनेक वजहें रहीं होगी । लेकिन अब हमारा दायित्व है कि हम समस्याओं को आने वाली पीढ़ियों के लिए छोड़कर के न जाएँ। पुराने भवनों में बैठकर हमने जो निर्णय लिए, जो नीतियाँ बनाईं, उनसे 25 करोड़ देशवासियों को गरीबी से निकालने का हौसला मिला। 25 करोड़ लोगों का गरीबी से बाहर आना, ये एक बहुत बड़ी सिद्धि है, लेकिन मैं हर काम के बाद भी कुछ न कुछ नया ही सोचता रहता हूं। अब नए भवनों में, ज्यादा efficiency के साथ, हमारी efficiency बढ़ाकर के, जितना ज्यादा हम देश को दे सकते हैं, उस मिजाज से इस भवन में हम वो काम करके दिखाएंगे कि भारत को गरीबी से पूरी तरह मुक्त करना है। इन्हीं भवनों से विकसित भारत का सपना साकार होगा। ये लक्ष्य हम सबके प्रयासों से ही पूरा होगा, हमें मिलकर भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनाना है। हमें मिलकर मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की सक्सेस स्टोरी लिखनी है। हमारा संकल्प होना चाहिए, हम अपनी और देश की productivity को स्केल-अप करेंगे। जब टूरिज़्म की बात हो, पूरी दुनिया से लोग भारत आएं, जब brands की बात हो, तो दुनिया की नज़र इंडियन ब्रांड्स पर जाए, जब एजुकेशन की बात हो, तो विश्व से स्टूडेंट्स भारत आएं। हम भारत की ताकत को बढ़ाने के लिए क्या कुछ कर सकते हैं, ये भी हमारे जीवन का ध्येय होना चाहिए।
साथियों,
जब सफल राष्ट्र आगे बढ़ते हैं, तो अपनी सकारात्मक विरासत को त्यागते नहीं हैं। वो उसे संरक्षित करते हैं। आज ‘विकास और विरासत’ के इसी विज़न पर हमारा भारत आगे बढ़ रहा है। नए कर्तव्य भवन के बाद ये नॉर्थ और साउथ ब्लॉक भी भारत की महान विरासत का हिस्सा बनेंगे। नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को देश की जनता के लिए 'युगे युगीन भारत’, इस संग्रहालय के रूप में बदला जा रहा है। देश का हर नागरिक यहाँ जा सकेगा, देश की ऐतिहासिक यात्रा के दर्शन कर सकेगा। मुझे विश्वास है, हम सब भी यहाँ भी, हम सब यहाँ की विरासत को, यहाँ की प्रेरणाओं को साथ लेकर कर्तव्य भवन में प्रवेश करेंगे। मैं एक बार फिर देशवासियों को कर्तव्य भवन की बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद।