भारत माता की…जय!
मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्रीमान मदनलाल जी सैनी, केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्रीमान सी आर चौधरी जी, श्रीमान अर्जुन राम मेघवाल जी, प्रदेश उपाध्यक्ष भाई राजेन्द्र गहलोत जी, श्रीमान पुष्प जैन जी, विरमदेव सिंह जी, सुखराम नेतड़िया जी, श्रीमान नंदकिशोर सोलंकी जी, ओमप्रकाश मोदी जी, नवरतन मल सिंघवी जी, रमाकांत शर्मा जी, पाबूराम ज्याणी जी, हुकुमदेव सिंह जी, भंवरसिंह जी और इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार, हमारे कर्मठ कार्यकर्ता, समाज सेवा को समर्पित हमारे साथी डिगाना से श्रीमान अजय सिंह किलस जी, जायल से श्रीमती मंजू वाघमार जी, नागौर से श्रीमान मोहनराम चौधरी जी, नोखा से श्रीमान बिहारीलाल विश्नोई जी, मेड़ता से श्रीमान भंवरलाल रिठाड़िया जी, खींवसर से श्रीमान रामचंद्र ऊता जी। आप सबसे मेरा आग्रह है कि दोनों हाथ ऊपर करके मुट्ठी बंद करके भारत माता की जय बोलकर हमारे इन साथियों को आशीर्वाद दें।
भारत माता की…जय!...बहुत बहुत धन्यवाद।
भाइयो-बहनो, आज का दिवस एक विशेष मूर्ति का दिवस है। आज महात्मा ज्योतिराव फुले की 128वीं पुण्यतिथि है। मैं सबसे पहले, आज से 100 साल पहले समाज के लिये जीवन खपाने वाले, महात्मा ज्योतिराव, जिन महापुरुषों ने दलित-पीड़ित-शोषित-वंचितों के कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन खपा दिया था, ऐसे महापुरूष की 128वीं पुण्यतिथि पर मैं आदरपूर्वक नमन करता हूं। और उन्होंने जो रास्ता दिखाया है, दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो, जब तक समाज में दबे कुचले लोगों को आत्म सम्मान से जीने का अवसर नहीं देंगे, विकास करने के लिए सुविधा नहीं उपलब्ध कराएंगे, तो हमारा ये समाज पूर्ण रूप से स्वस्थता से विकास नहीं कर सकता है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार, चाहे दिल्ली में हमें सेवा करने का मौका मिलता हो, चाहे हमें राजस्थान में सेवा करने का मौका मिलता हो। हम लोगों का एक ही मंत्र रहता है सबका साथ-सबका विकास। ये मंत्री ज्योतिबा फुले की प्रेरणा से मिला हुआ है। ये मंत्र बाबा साहेब अंबेडकर की प्रेरणा से मिला हुआ है। ये मंत्र हिंदुस्तान की मिट्टी की महक को लेकर आया हुआ है। ये सिर्फ राजनीतिक नारा नहीं है। एक सपना है कि सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानियों का कल्याण हो। फिर एक बार हमारी भारत माता, जगतगुरू के स्थान पर विराजित हो। इस सपने को लेकर हम काम कर रहे हैं और इसलिये भाइयो-बहनो, हम आपसे आशीर्वाद चाहते हैं।
भाइयो-बहनो, ये हमारे नागौर की पहचान, नर और नारा से है। नारा यानी बैल, नर और नारा से है। परिश्रम से है। मेहनतकश लोगों से है। कामगार से है। नागौर के जन-जन के खून में संकल्प और संस्कार भी भरे पड़े हैं। यहां का कण कण में शौर्य और त्याग की भावना पूरे देश को प्रेरणा देने वाली है। भाइयो-बहनो, शौर्य और श्रम की इस धरती पर एक कामगार नामदार के खिलाफ लड़ाई के मैदान में है। और तब आप ही में से एक, आपसे जरा भी अलग नहीं। जो जिंदगी आप गुजारते हैं, वही जिंदगी मैंने गुजारी है। जिस जिंदगी को आप जी रहे हैं, वही जिंदगी मैं जी रहा हूं। ना आप सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए हैं और ना मैं सोने का चम्मच लेकर पैदा हुआ हूं। ना आपके माता-पिता, दादा-दादी कभी राज करते थे और ना मेरे माता-पिता, दादा-दादी कभी राज करते थे। पहली बार आपके बीच से पला बढ़ा एक कामदार आज फिर से एक बार नागौर की इस सत्य की भूमि, शूरवीरों की भूमि, भक्तों की भूमि, ये कामदारों की भूमि, एक कामदार आपसे आशीर्वाद मांगने आया है।
भाइयो-बहनो, आखिरकार सरकार किसके लिए होती है। सरकार गरीबों के लिये होती है। सरकार सामान्य मानवी के लिये होती है। अगर एक गरीब बीमार हो जाए तो सरकार के सिवाए उसका कोई सहारा नहीं होता है। एक गरीब को, एक सामान्य मानवी को अपने गांव से दूसरे गांव कहीं रिश्तेदार के यहां जाना है तो सरकारी साधन के बिना नहीं जा सकता है। भाइयो-बहनो, अगर अमीर बीमार हो जाए तो दस डॉक्टर उसके घर के बाहर कतार लगाकर खड़े हो जाते हैं। अमीर अगर बीमार हो जाए तो दुनिया के बड़े बड़े अस्पताल में हवाई जहाज लेकर उड़कर चला जाएगा। मेरा गरीब कहां जाएगा। मेरा सामान्य मानवी कहां जाएगा। लेकिन ये दुख, ये मुसीबत वही जानता है जो आपमें से निकला होगा। सोने का चम्मच लेकर जो पैदा हुए हैं, उनको तो, बिना जूते पहने अगर खेत में चलते हैं तो कांटा कैसे चुभता है, इसका भी ज्ञान नहीं होता है। ये मुसीबत तो हम जानते हैं।
भाइयो-बहनो, कुछ लोग तो ऐसे है कि कोई कागज पकड़ा दे और कोई बोल दे कि यहां किसानों पर बोलना है तो वो रट लेते हैं। जिनको ये मालूम नहीं हैं कि चने का पौधा होता है कि चने का पेड़ होता है। जो मूंग और मसूर में फर्क नहीं समझते हैं। वो देश का आज किसानी समझाने के लिये निकले हैं। भाइयो-बहनो, जो धरती से कटे हुए हैं। जिनका जन-जन से चार-चार पीढ़ी का भी नाता नहीं रहा है, ये लोग कभी आपके दुख को समझ नहीं सकते हैं। आपके दुखों को कभी दूर नहीं कर सकते हैं। और इसलिये भाइयो-बहनो, हम आपसे चुनाव में वोट मांग रहे हैं। एक हम हमारे काम के आधार पर वोट मांग रहे हैं। दूसरा हम विकास का मंत्र लेकर चले हैं, उसके लिये वोट मांग रहे हैं। भाइयो-बहनो, हम आपसे हमारे पोते-पोतियों की भलाई के लिए नहीं मांग रहे हैं। हम आपसे वोट मांग रहे हैं, इस धरती का भला करने के लिये, यहां का जन-जन का भला करने के लिए। आपको सपनों को साकार करने के लिये मैं आपसे वोट मांग रहा हूं।
भाइयो-बहनो, ये हमारे राजस्थान की सबसे बड़ी समस्या, पानी की है। अगर राजस्थान के लोगों को पानी मिल जाए ना, तो मिट्टी में से सोना पैदा करने की ताकत रखते हैं। अब मुझे बताइये, देश आजाद हुआ, उसके पहले 10 साल ,20 साल, 30 साल ,40 साल में उस समय की कांग्रेस की सरकारों ने आपके खेतों में पानी पहुंचाने का काम किया होता तो आज आपको मुसीबत झेलनी पड़ती? सस्ते में काम हुआ होता कि नहीं होता? ये नागौर जिले के किसानों को गुजरात या मुंबई जाना पड़ता क्या?, गुजरात-मुंबई वालों को नागौर आने के लिये मजबूर होना पड़ता कि नहीं होना पड़ता? लेकिन भाइयो-बहनो, उस समय तो उनको कोई पूछने वाला ही नहीं था। कोई विरोध पक्ष नहीं था, इतने सारे मीडिया वाले नहीं थे। जो वो बोले, वही सरकार, जो वो करे, वही सरकार, जो वो चाहे वही सरकार और जनता बेचारी भली भांति इंतजार करती रहती कि अब कभी होगा, ऐसे होगा, वैसे होगा। भाइयो-बहनो, मैं वसुंधरा जी की सरकार को, वसुंधरा जी को बधाई देता हूं कि उन्होंने राजस्थान में डेढ़ लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई का पानी पहुंचाने का भागीरथ काम किया है। मेरे राजस्थान का एक लाखा बंजारा, एक बावड़ी बना दे बावड़ी, तो सदियों तक ये राजस्थान भूलता नहीं हैं। वसुंधरा जी ने तो डेढ़ लाख हेक्टेयर भूमि में पानी पहुंचाया है। मेरे भाइयो-बहनो, हम कैसे भूल सकते हैं। इस काम को कैसे भूल सकते हैं? और इसलिये भाइयो बहनो, मैं आपसे आग्रह करने आया हूं। राजस्थान में फीडर की री-लाइनिंग, 1300 करोड़ रुपये स्वीकृत किया गया है। उसका यहां के लोगों को कितना लाभ होने वाला है, इसका आप भलीभांति अंदाज कर सकते हो।
भाइयो-बहनो, आपको मालूम है, आपके एक वोट की ताकत क्या है? आपने सोचा है, आपने सोचा है आपके एक वोट की ताकत क्या है? बताइये ना.. आपके एक वोट की ताकत क्या है? भाइयो-बहनो, आप मुझे बताइये, देश की आजादी के इतने साल हो गए, जिसके पास रहने केलिये घर नहीं हैं उसको रहने के लिए अपना खुद का घर मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए? आप सब बताइये कि मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए। भाइयो-बहनो, हमारे देश में एक करोड़ 25 लाख ऐसे लोग जिनके पास रहने को घर नहीं था। कच्ची सी, छोटी सी जगह में झोपड़ी बनाकर रहते थे। एक करोड़ पच्चीस लाख, इनको रहने का पक्का घर मिल गया है। घर की चाबी उनको मिल गई। घर भी घर के पुरुष के नाम नहीं दिया, मेरी माता-बहनें याद रखें। ये मोदी आपके लिये काम करता है। हमारे देश में तो ऐसी परंपरा है कि घर होगा तो पति के नाम पर, गाड़ी होगी तो पति के नाम पर, खेत होगा पति के नाम पर, दुकान होगी पति के नाम पर, और पति नहीं रहे तो सबकुछ बेटे के नाम पर। महिला के नाम पर कुछ नहीं। हमने नियम बदल दिया। हमने कहा सरकार जो घर देगी, सरकार जो घर देगी वो घर की मुखिया जो महिला होगी। उसके नाम पर देगी और आज एक करोड़ 25 लाख महिलाओं के नाम हमने घर बनाकर दे दिये। इस बार की दिवाली इन परिवारों ने अपने खुद के घर में दीया जलाकर मनाई।

भाइयो-बहनो, हमारे राजस्थान में भी 7 लाख ऐसे लोगों को घर मिला है। सात लाख लोगों को ऐसा घर मिला है। घर भी यानी चहारदिवारी नहीं, पक्का घर, घर में नल, नल में जल, गैस का कनेक्शन, बिजली का लट्टू, शौचालय। ऐसा जिंदगी जीने के लिए जो भी चाहिए, रेडीमेड दिया है। आपके इस नागौर जिले में, आप सीना तानकर गर्व से कह सकते हो। आपके नागौर जिले में 16 हजार ऐसे लोग जिनके पास घर नहीं था, उनको चाबी मिल गई। उन्होंने दिवाली मना ली। 16 हजार। और कुछ लोगों को लगता होगा, कांग्रेस वाले भड़का रहा है कि देखो तुम्हें घर नहीं मिला।
मैं नागौर की धरती पर आकर आपको कह रहा हूं। ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि पर बोल रहा हूं। संतों की धरती से बोल रहा हूं। 2022 तक एक भी परिवार बाकी नहीं रहेगा। भाइयो-बहनो, एक भी परिवार ऐसा नहीं रहेगा जिसको इसका लाभ ना मिले। इसकी चिंता हम करेंगे। भाइयो-बहनो, अब मैं पूछना चाहता हूं कि देश में एक करोड़ 25 लाख घर किसने दिए? ये एक करोड़ 25 लाख गरीबों को घर किसने दिये? किसने दिये? ये राजस्थान में 7 लाख घर किसने दिये? ये नागौर में 16 हजार घर किसने दिये? अरे मोदी ने नहीं दिये, ये आपके एक वोट ने दिये हैं। आपके एक वोट के कारण हुआ है। आप कोई गलती मत करना कि आपके वोट से कोई एम एल ए बनता है। आप ये गलती मत करना कि आपके वोट से कोई पार्टी जीतती है। आप ये गलती मत करना कि आपके वोट से किसी पार्टी की सरकार बनती है।
आपके वोट से अगर ईमानदार सरकार बनती है, सही जगह पर आपका वोट पड़ता है तो एक करोड़ 25 लाख गरीबों के घर बनते हैं। आपका वोट अगर सही पड़ता है तो हमारे राजस्थान में 7 लाख लोगों को घर मिलता है। अगर आपका वोट सही पड़ता है तो 16 हजार गरीबों को नागौर में पक्का रहने का घर मिलता है। अब आपको आपके वोट की ताकत का पता चला। हम ये गलती ना करें कि हम कोई एम एल ए बनाने के लिये वोट दे रहे हैं। हम किसी सरकार बनाने के लिए वोट दे रहे हैं। हम वोट दे रहे हैं राजस्थान बनाने के लिए। हम वोट दे रहे हैं राजस्थान के लोगों का भला करने के लिए।
भाइयो-बहनो, गरीब से गरीब व्यक्ति भी, आज हमारा मध्यमवर्ग का परिवार, लकड़ी के चूल्हे से खाना बनाता है, तो पूरे घर में धुआं भर जाता है। नहीं भर जाता है। आपने अनुभव किया होगा। माताओं-बहनों, अब वो लकड़ी का चूल्हा जलाना आपको मंजूर है क्या? उससे मुक्ति चाहिए कि नहीं!! 75 साल हो गए, कांग्रेस पार्टी की चार-चार पीढ़ियां राज करके गई है नामदार की, लेकिन उनको विचार नहीं आया कि मेरी माताओं बहनों को ये लकड़ी का चूल्हा जलाने से जो धुआं निकलता है। एक दिन में 400 सिगरेट का धुआं उनके शरीर में जाता है। क्या किसी ने सोचा!! हमारी मां, हमारी बहनें, जो घर में हमारे लिए खाना बनाती है, वो रोज 400 सिगरेट का धुआं उसके शरीर में जाता है। घर में जो बच्चे खेलते हैं ना, उनका तो बचपन ही बीमारियों में पलता है। क्या माताओं-बहनों को इस मुसीबत से मुक्ति मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? उनको भी, ये बड़े बड़े लोग, अमीर लोग जिनके घरों में बड़ी बड़ी गाड़ियां दौड़ती है, उनके घर में तो फटाक से गैस का चूल्हा जलता है। और गरीब बेचारा फूंक मार-मारकर मर जाता है। और बारिश के दिनों में गीली लकड़ी होती है तो कितनी तकलीफ होती है वो मेरी माताएं-बहने जानती है। ये नामदार को ये कभी दिखाई दिया क्या? ये तकलीफ का नामदार को पता था क्या? उनकी चार पीढ़ी चली गई, मालूम था क्या? क्यों मालूम नहीं था। धुआं क्या होता है, उन्हें मालूम ही नहीं है। लकड़ी का चूल्हा कैसे जलता है, पता ही नहीं हैं। ये तो मोदी है जो गरीब मां के पेट से पैदा हुआ है और जिसने अपनी मां को लकड़ी का चूल्हा जलाते, खाना पकाते देखा है। धुएं से आंखों से पानी कैसे निकलता था, वो देखा है। और इसलिये दिल में दर्द भरा था कि मैं मेरी मां की तकलीफ देखकर आया हूं। मेरे देश की करोड़ों माताओं को मैं ये मुसीबत से मुक्ति दिलाऊंगा। उसमें से ये उज्ज्वला योजना मिली। और भाइयो-बहनो, देशभर में 6 करोड़ परिवारों में गैस का कनेक्शन हमने दे दिया। मुफ्त में दे दिया। और हमारे राजस्थान में भी 50 लाख गैस का कनेक्शन हमारी सरकार ने दे दिया भाइयो-बहनो। उनको धुएं से मुक्ति दिला दी। बताइये भाइयो, जो ये पचास लाख बहनें, जिनको धुएं से मुक्ति मिली, वो आशीर्वाद देंगी कि नहीं देंगी? उनसे आशीर्वाद मिलेगा कि नहीं मिलेगा? अब ये आशीर्वाद किसको मिलेगा? अरे, मोदी को नहीं मिलेगा, वसुंधराजी को नहीं मिलेगा। ये आशीर्वाद आपको मिलेगा क्योंकि आपके वोट के कारण ये हुआ है। आपने सही जगह पर वोट डाला, इसलिये 50 लाख मेरी राजस्थान की माताएं बहनें धुएं की मुसीबत से मुक्त हो गई। इसका पुण्य कोई कमाएगा तो जिन्होंने वोट दिया, वो वोट वाला कमाएगा। ये पुण्य मोदी का नहीं हैं। ये वसुंधरा जी का नहीं हैं। ये पुण्य आप सबका है।
भाइयो-बहनो, और इसलिये मैं आज आया हूं आपके पास। ये पुण्य का काम है, ये पवित्र काम है। गरीब के आंसू पोंछने का काम है, इसलिए मैं आपसे वोट मांगने आया हूं भाइयो-बहनो। आप मुझे बताइये, हमें भ्रष्टाचार के कारण परेशानी है कि नहीं है? भ्रष्टाचार जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए? अभी ऊपर से तो मैंने साफ किया है। ये तो आपको दिखता है कि नहीं? ऊपर से बराबर सफाई हुई है कि नहीं हुई है? ये किसके कारण हुई? आपके वोट के कारण हुई है। अभी मुझे नीचे भी करना है, आपके आशीर्वाद के बिना संभव होगा क्या? नीचे भी करना है, अभी तो मैंने शुरू किया है, लेकिन ये नामदार ऐसे चिल्ला रहे हैं, ऐसे चिल्ला रहे हैं जैसे कि उनका सात पीढ़ी का चला गया हो।
आप हैरान हो जाओगे भाइयो, ये देश कैसे चलाया है इन लोगों ने। ये देश इन लोगों ने कैसे चलाया। आपको ताज्जुब होगा कि ये लोग ऐसे देश चलाते थे, जो बेटी कभी पैदा नहीं हुई, जिसका जन्म नहीं हुआ। वो बेटी विधवा हो जाती थी। है ऐसा कोई जादूगर? ये नामदार की सरकार ऐसे जादूगर थी। बेटी पैदा नहीं हुई और विधवा हो जाती थी। सरकारी दफ्तर में उसका नाम चढ़ जाता था और हर महीने उसके नाम से विधवा पेंशन का चैक कट जाता था। पैसे कट जाते थे। ये कैसा खेल है! जो बेटी पैदा नहीं हुई, उसको विधवा बनाना, विधवा बनाकर रजिस्टर में नाम लिखना!! और हर महीने पेंशन का पैसा ले जाना!!!
भाइयो-बहनो, ऐसी चोरी चलती थी, इसको मुझे बंद करना चाहिये कि नहीं बंद करना चाहिए था? अब जिसको ये मलाई खाने को मिलती थी। वो मोदी मुर्दाबाद बोलेंगे कि नहीं बोलेंगे? मोदी की जाति पूछेंगे कि नहीं पूछेंगे? मोदी की मां को घसीटेंगे कि नहीं घसीटेंगे? मोदी के बाप को गाली देंगे कि नहीं देंगे? ये इसलिये चिल्ला रहे हैं क्योंकि सारी दुकानें बंद हो गई है। ताले लग गए ताले। भाइयो-बहनो, जो बच्चे पैदा नहीं हुए, स्कूल में स्कॉलरशिप ले रहे हैं। जिसका घर नहीं, उसके नाम से राशन कार्ड है। अनाज लिया जाता है। कोई ऐसी चीज नहीं हैं जिसमें इन्होंने लूटने के रास्ते न खोजे हों। मैं तो रास्ते बंद करते करते देख रहा हूं कि एक रास्ता बंद करता हूं तो नया निकलता है। दूसरा बंद करता हूं तो तीसरा निकलता है। ऐसी भूलभुलैया बनाई है इन्होंने चोरी करने की। 70 साल में ऐसी महारत हासिल की है। भाइयो-बहनो, एक एक गली का गेट बंद कर रहा हूं, ये आपके आशीर्वाद से हो रहा है। और क्या फायदा हो रहा है, मालूम है। 6 करोड़ लोग, ये आंकड़ा छोटा नहीं हैं। 6 करोड़ लोग अभी तक तो मैं खोज पाया हूं। जो पैदा ही नहीं हुए थे, वो बराबर पैसे कमा रहे थे। और रकम कितनी, हर साल 90 हजार करोड़ रुपया। सोचा है कभी 90 हजार करोड़ रुपया कितना होता है? ये हर साल 90 हजार करोड़ रुपया मार लेते थे। पता ही नहीं चलता था। अब मोदी ने ये गेट बंद कर दिया, दरवाजा बंद कर दिया तो चिल्लाएंगे कि नहीं चिल्लाएंगे? चिल्लाएंगे कि नहीं चिल्लाएंगे?
भाइयो-बहनो, पहले रोजगार के लिये गरीबों को ऐसा लूटा जाता था, ऐसे लूटा जाता था। विधवा मां मेहनत-मजदूरी करके बेटे को पढ़ाए, बेटी को पढ़ाए। बेटा-बेटी ग्रेजुएट हो जाएं, नौकरी के लिए सरकार में अर्जियां देते रहे। फिर इंटरव्यू का कागज आ जाए। लिखित परीक्षा हो जाए। इंटरव्यू का कागज आ जाए। इंटरव्यू का कागज पहुंचते ही दूसरे दिन एक झोलाछाप नेता आ जाए घर में, माताजी, नमस्ते। कैसी हो, सुना है बेटे का इंटरव्यू निकला है। बेटी का इंटरव्यू निकला है, बहुत अच्छा है। तो कैसा करोगे, तो मां कहती है हां बेटा जाएगा, मेहनत कर रहा है। रात-रात पढ़ता है, इंटरव्यू देगा। तो वो झोला छाप कहेगा, ऐसे नौकरी नहीं मिलती है। इंटरव्यू में तो सिफारिश लगती है। आपकी कोई जान पहचान है क्या?
तो वो विधवा मां कहेगी मेरी तो कोई जान पहचान नहीं हैं। तो ऐसा करो मां, मैं जरूर तुम्हारी मदद करूंगा। मैं देखता हूं कहीं मेल बैठता है क्या।
वो जाता है दूसरे दिन आता है। मां काम हो जाएगा, मैं गया था। एक आदमी है कर देगा काम पर, बस 50 हजार रुपया चाहिए। मां कहेगी, 50 हजार कहां हैं तो वो कहेगा। वो जमीन है ना, वो गिरवी रख दो। एक बार बेटे की नौकरी लग जाएगी तो सब ठीक हो जाएगा। वो गरीब मां, बेटा इंटरव्यू में पास हो जाएगा, इस भरोसे ये झोला छाप नेताओं को 50 हजार रुपया पकड़ा देती थी, भाइयो-बहनो। और देश में लाखों करोड़ों युवाओं को, उनकी माताओं को, पिता को लूटा जाता था। मैंने आकर एक काम किया। मैंने कहा क्लास तीन, क्लास चार में कोई इंटरव्यू ही नहीं होगा। लिखित परीक्षा में जो पास होगा। उसका जो नंबर आएगा, उसी नंबर पर उसको नौकरी मिल जाएगी। कोई इंटरव्यू करने की कोई जरूरत नहीं हैं। बोलो, भ्रष्टाचार गया कि नहीं गया। ईमानदार को अवसर मिला कि नहीं मिला? जिसका हक था, उसको काम मिला कि नहीं मिला? ये सबको मिलना चाहिए कि नहीं? ये किसलिये हुआ? ये क्यों हुआ? मोदी ने किया है क्या? नहीं, मोदी ने नहीं किया, आपके वोट ने किया है। ये आपके वोट की ताकत है जिसके कारण सच्चे काम हो रहे हैं। इसलिये मै कहता हूं। इसलिए मैं आपसे कहने आया हूं कि आप भारतीय जनता पार्टी के कमल निशान पर बटन दबाकर फिर एक बार वसुंधराजी की सरकार बनाइये।
भाइयो-बहनो, आप मुझे बताइये, ये कांग्रेस वाले दिन-रात मुझे गाली देते हैं। देते हैं कि नहीं देते हैं? ये सरकार मानों उनकी बनती है तो क्या करेंगे। दिल्ली से लड़ाई चालू करेंगे ना। दिल्ली से भिड़ते रहेंगे ना। तो राजस्थान का भला होगा क्या? भला होगा क्या? वसुंधरा जी की सरकार होगी तो लड़ाई झगड़े नहीं होंगे। दिल्ली का कमल छाप इंजिन और राजस्थान का कमल छाप इंजिन, दोनों इंजिन, डबल इंजिन लग जाएंगे, राजस्थान कहां का कहां पहुंच जाएगा। और इसलिए भाइयो-बहनो, आज मैं आपके पास आया हूं कि कांग्रेस वाले किसानों के नाम पर रोना रो रहे हैं। स्वामीनाथन कमीशन ने, 10 साल पहले ये नामदार की सरकार को रिपोर्ट दिया था और उस समय कहा था। दस साल पहले कहा था कि अगर किसानों को उनकी लागत का डेढ़ गुना एमएसपी मिलेगा तो किसान की जिंदगी मुसीबत से मुक्त होगी। 10 साल पहले दिया था। आज ये जो किसानों के नाम पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। उनको उस समय ये रिपोर्ट देखने की फुर्सत ही नहीं मिली। अलमारी में रख दिया। मोदी आया तो उसने सारा निकाला कि देखो भाई, मेरे किसानों का कुछ करना है।

भाइयो-बहनो, मोदी सरकार ने किसानों को उनकी लागत का डेढ़ गुना एमएसपी देना शुरू कर दिया। भाइयो-बहनो, अगर ये दस साल पहले दे दिया होता तो मेरे किसी भी किसान को कर्ज की मुसीबत झेलनी नहीं पड़ती। मेरा कोई किसान कर्जदार नहीं बनता।
भाइयो-बहनो, अगर हिंदुस्तान का पहला प्रधानमंत्री, एक मां का बेटा, जिसने जीवन भर गांधीजी के साथ रहकर के किसानों के हक की लड़ाई लड़ी थी, अगर वो मेरे देश का किसान बेटा, सरदार वल्लभ भाई पटेल देश का पहला प्रधानमंत्री हुआ होता तो मेरे देश का किसान आज सबसे ज्यादा सुखी होता। क्योंकि उनको किसान का पता था। किसानी का पता था। उनको किसान की मुसीबतों का पता था। नामदार जो सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए हैं, जिनको किसान क्या होता है, ये भी पता नहीं हैं। आज किसान के नाम पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। और इसलिये भाइयो-बहनो, आप मुझे बताइये, पहले आपको समय पर यूरिया मिलता था क्या? आप सच बताइये यूरिया मिलता था क्या? फसल बर्बाद होती थी, यूरिया आता था क्या? पिछले चार साल में यूरिया के लिये इंतजार करना पड़ रहा है क्या? समय पर यूरिया मिलता है कि नहीं मिलता है? जितना चाहिए, उतना मिलता है कि नहीं मिलता है? इसका कारण ये है कि पहले यूरिया की चोरी होती थी। किसान के नाम पर यूरिया निकलता था। सब्सिडी किसान के नाम पर चली जाती थी। लेकिन चोरी होकर यूरिया केमिकल की फैक्ट्री में चला जाता था। उससे और चीजें बनती थी, खेती के काम पर नहीं आती थी। और वो कारखाने वाले कमाते थे और किसान मेरा यूरिया के बिना मरता था। हमने एक महत्वपूर्ण काम कर दिया। हमने यूरिया का नीम कोटिंग कर दिया। अब एक ग्राम यूरिया भी किसी फैक्ट्री में काम नहीं आ सकता है। सारा का सारा यूरिया खेत में ही काम आता है। चोरी बंद हो गई, मेरे किसान का फायदा हुआ कि नहीं हुआ?
और इसलिये भाइयो-बहनो, मैं आज आपसे आग्रह करने आया हूं कि आप भारतीय जनता पार्टी को वोट दीजिए। विकास के लिये सरकार बनाइये। आपके सपनों को साकार करने के लिये सरकार बनाइये। फिर एक बार वसुंधरा जी की सरकार बनाइये। ये कांग्रेस ने झूठ फैलाया है। उस झूठ का पर्दाफाश कर दीजिए। और आइये मेरे साथ बोलिये, भारत माता की जय, भारत माता की जय। बहुत-बहुत धन्यवाद जी।


