QuoteDigital India, apart from facilitating people, is also bringing in transparency in government working and curbing corruption: PM
QuoteGovernment is committed to empowering MSMEs. By making access to credit easier for MSMEs, ease of doing business is being ensured: PM
QuoteBig effort is underway to provide modern amenities and promote industry in eastern India: PM Modi

यहां उपस्थित सभी सज्‍जनों और देवियो।

पूर्वांचल के महान शिल्‍पकार भाई लोगन को प्रणाम हो। देश दुनिया में अपने हाथ के हुनर का डंका बजाने वाले भी बंधु-भगिनी के बार-बार अभिनंदन।पुरातन काल से काशी नगरी दुनिया के बाजार में स्‍थापित रहल हो। रेशम की साड़ी हो या हाथ का खिलौना, मेरी काशी सबसे आगे।

जब पचौरी जी बोल रहे थे तो वो कह रहे थे कि प्रधानमंत्री जी हमारे अतिथि के रूप में आए। जी नहीं, मैं अतिथि नहीं रहा। आपने मुझे इतना प्‍यार दिया है, मुझे अपना बना लिया है। मुझे बताया गया है कि सिल्‍क, फेबरिक, सूत, कपड़े और कालीन से जुड़े 11 जिलों के उद्यमी यहां आए हैं। और थोड़ी देर पहले यहां लगे stalls में मैं गया था, वहां एक से एक बेहतरीन प्रोडक्‍ट्सरखे गए हैं। यहां कुछ लोगों को लोन की सहायता भी मिल रही है और कुछ हस्‍तशिल्‍प बहन-भाइयों को tool kit भी दी गई हैं। आप सभी को भी बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।

साथियो, थोड़ी देर पहले यहां वाराणसी और देश से जुड़े सैंकड़ों करोड़ के प्रोजेक्‍ट्स का लोकार्पण और शिलान्‍यास भी किया गया है। इसमें वाराणसी के infrastructure से जुड़े projects तो हैं ही, साथ में टेलीकॉम विभाग के देशभर के पेंशन धारक भाई-बहनों को सुविधा देने वाली योजना भी शामिल है। इन सभी परियोजनाओं के लिए मैं वाराणसी सहित सभी लाभार्थियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

भाइयो-बहनों, आज यहां जितनी भी योजनाओं या परियोजनाओं का लोकर्पण या शिलान्‍यास किया गया है, उन सभी के मूल में एक बात प्रमुख है, और वो बात है- जीवन आसान हो, व्‍यापार-कारोबार आसान हो, ease of livingऔर ease of doing  business, यानी जीवन भी सरल हो, सुगम हो और व्‍यापार-कारोबार करना भी आसान हो। इन दोनों का आपस में जितना संबंध है, उतना ही विकास के इन तमाम प्रोजेक्‍ट्स का आपस में संबंध है। सज्‍य सरकार मेक इन इंडिया के अभियान को मजबूती देने के लिए प्रतिबद्ध है।

यूपी सरकार का One District, One Productये प्रयोगMake in India का ही एक प्रकार से मजबूत विस्‍तार है। ये योजना यूपी को दुनिया के औद्योगिक मानचित्र पर स्‍थापित करने में सक्षम है। इसके लिए मैं योगीजी और उनकी पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। यूपी तो छोटे और लघु उद्योगों का हब है। कृषि के बाद सबसे अधिक रोजगार MSME sector देता है। यहां MSME sector परम्‍परा का हिस्‍सा है।

मुरादाबाद की पीतल कला हो, भदोई की कालीन, बनारस का रेशम उत्‍पाद, यहां की साड़ी, आगरा का पेठा, मेरठ का खेल का सामान, लखनऊ की चिकनकारी, गोरखपुर के टेराकोटा काल, प्रतापगढ़ का आंवला, श्रावस्‍ती की थारू कला; हर जिले में कुछ न कुछ अलग है, विशेष है, अनूठा है; जिसने यहां लोगों को रोजगार से जोड़ा है। ये कला को विस्‍तार देने के लिए एक जनपद-एक उत्‍पाद योजना लाभकारी सिद्ध होने वाली है।

साथियो, वाराणसी समेत ये पूरा पूर्वांचल तो हस्‍तशिल्‍प का हब है। कलाकारी चाहे कपड़े और कालीन में हो या फिर मिट्टी या धातु के बर्तन में; यहां के कण-कण में कला बसी हुई है। वाराणसी के आसपास के क्षेत्रों से जुड़े 10 उत्‍पादों को तो जीआई टैग यानी geographical indication का प्रमाण भी मिल चुका है।

यहां करीब 60 हजार हथकरघे हैं, करीब 70 हजार पावरलूम हैं, करीब डेढ़ लाख बुनकर इस कला को समृद्ध कर रहे हैं।One District, One Product कार्यक्रम के माध्‍यम से सरकार इस कला को एक लाभकारी व्‍यवसाय में बदलने में जुटी है।

उद्यमियों को, हस्‍तशिल्पियों को, कलाकारों को फंड की कमी न हो, उनको अच्‍छी मशीनें, अच्‍छे औजार मिलें, उनकी सही ट्रेनिंग हो, उनके प्रोडक्‍ट की सही मार्केटिंग हो सके, सही दाम मिल सकें; इसके लिए ये योजना चलाई जा रही है।

ये कला, ये परम्‍परा बनी रहे- इसके लिए केन्‍द्र और राज्‍य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। मैं खुद भी देश के ऐसे 100 जिलों की monitoring regular base पर कर रहा हूं जहां लघु उद्योग, MSME हमारी परम्‍परा का हिस्‍सा हैं।

भाइयो और बहनों, जैसा कि बताया गया है कि इससम्‍मेलन के दौरान करीब दो हजार करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया जाना है। अब दो हजार करोड़ रुपया कारोबारियों के हाथ में आना है, ये अपने-आप में आर्थिक विकास को कितनी गति देता है।

यहां तमाम उद्यमियों के अलावा बैंकों के भी सभी महानुभाव मौजूद हैं। सब कुछ मौके पर ही निपटाया जा रहा है। मुझे खुशी है कि जिस लक्ष्‍य को लेकर इस दीनदयाल हस्‍तकला संकुल का निर्माण किया गया था, वो सपना आज हमारी आंखों के सामने पूरा होता नजर आ रहा है।आप सभी के लिए ये व्‍यापार, कारोबार और संवाद का माध्‍यम बने, यही इसके पीछे की सोच थी।

साथियो, एक जनपद-एक उत्‍पाद योजना का मकसद उत्‍पादन से लेकर बिक्री तक का समपूर्ण समाधान देना है। मैं आपको यहां बनारस के बुनकरों और शिल्‍पकारों का ही उदाहरण दूंगा।

सरकार द्वारा उन्‍हें आसान शर्तों पर बैंकों से ऋण उपलब्‍ध कराया जा रहा है, कच्‍चे माल के लिए सहायता दी जा रही है। पहचान- इस पहचान नाम से जो पहचान पत्र बुनकरों को दिया गया है, उससे बिचौलियों को हटाने में बहुत मदद मिली है। क्‍यों बिचौलियों वाली बात पसंद नहीं आई? तकलीफ होती होगी ना? लेकिन तकलीफ झेल करके भी देश को बिचौलियों से बचाना है।

इसके अलावा यहां बनारस में ही 9 common facility centre-common service centreबनाए गए हैं। इन सेंटरों के माध्‍यम से मार्केटिंग के लिए बुनकरों को सहायता दी जा रही है। इसके अलावा भदोई, मिर्जापुर, मेघा कारपेट कलस्‍टर में भी बनुकरों को आधुनिक loom दिए गए हैं।

बुनकरों के साथ-साथ मिट्टी के काम से जुड़े शिल्‍पकारों को भी आधुनिक ‘चाक’ दिए हैं, नई मशीनें उपलब्‍ध कराई जा रही हैं। अभी मुझे हमारा एक शिल्‍पकार बता रहा था- आधुनिक चाक एक छोटे से टेबल पर लेकर बैठा था, बर्तन बना रहा था।

उसने कहा मुझे मुद्रा योजना से 10 लाख रुपया मिल गया। पहले धीरे-धीरे कारोबार बंद हो रहा था, अब बहुत बड़ी मात्रा में परिवार फिर से इस कारोबार में आने लगे हैं। देखिए कैसे बदलाव आता है। और मैं उसके चेहरे पर चमक देख रहा था। उसको लग रहा था मेरी जिंदगी बदल गई। और जब उसके चेहरे की चमक देता हूं, तो मेरा चेहरा भी चमकता है। इन सारे प्रयासों के बीच आज जिस जगह ये कार्यक्रम हो रहा है, उस बहुमूल्‍य उपहार की सार्थकता तो हम सब लगातार देख रहे हैं।

साथियो, सामान्‍य से सामान्‍य परिवार के युवाओं को रोजगार से जोड़ने के इस कार्य को हम निरंतर विस्‍तार दे रहे हैं। थोड़ी देर पहले कुछ ऐसे लाभार्थियों को भी यहां सहायता दी गई है, जो एलपीजी गैस के transportation से जुड़ना चाहते हैं। सरकार ट्रक खरीदने में ऐसे उद्यमियों की मदद कर रही है और तेल कम्‍पनियां इनकी सेवाएं ले रही हैं।

भाइयो और बहनों, सामान्‍य मानवी का जीवन जब सरल और सुगम होता है तो व्‍यापार और कारोबार करना अपने-आप में आसान हो जाता है। जब infrastructure अच्‍छा हो और सरकारी प्रक्रियाएं व्‍यक्ति को उलझाने वाली न हों, तब जीवन भी आसान होता है और कारोबार भी। इसी संकल्‍प को लेकर बीते चार वर्षों से हम काम कर रहे हैं।

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मैं मनोज सिन्‍हा जी और उनके विभाग को बधाई देता हूं। उन्‍होंने टेलीकॉम विभाग में सरकारी प्रक्रियाओं से जुड़ी एक बड़ी अड़चन को भी आज दूर किया है।

जीवनभर देश को सेवा देने के बाद पेंशनभागियों को जो दफ्तरों के चक्‍कर लगाने पड़ते थे, जो मुश्किलें आती थीं, उस प्रक्रिया को आसान करने का प्रयास किया गया है।‘SAMPAN’ सम्‍पन्‍न यानी system for authority and management of pension योजना आज लॉन्‍च हुई है।

साथियो, अब पेंशन की स्‍वीकृति से लेकर निपटारे तक का काम खुद विभाग ही करेगा। इससे सरकार को हर साल करोड़ों रुपये की बचत तो होगी ही, पेंशन धारकों को बहुत बड़ी सुविधा होगी। इससे करीब 11 हजार करोड़ रुपये की पेंशन का समय पर भुगतान संभव हो पाएगा। पेंशन धारक अपनी पेंशन स्‍टेट्स को घर बैठे- बैठे अपने मोबाइल फोन से track कर पाएगा। पहले अलग-अलग एजेंसियों के जुड़े होने की वजह से जो परेशानियां सामने आती थीं, वो बहुत मात्रा में कम हो जाएंगी। अगर कोई शिकायत आती है तो उसको हल करने में कम समय लगेगा। इससे देश भर में पोस्‍टल विभाग के लाखों पूर्व कर्मचारियों को लाभ होने वाला है।

वैसे वाराणसी और पूर्वांचल वालों के लिए तो ये डबल बधाई है क्‍योंकि control communication account यानी CCA का sub-office वाराणसी में अब खोला जा चुका है। अब आपको पेंशन से जुड़े दस्‍तावेज जमा करने और दूसरी शिकायतों का निवारण करने के लिए बार-बार लखनऊ जाने की जरूरत नहीं है।

साथियो, पेंशनधारकों के लिए जो टेलीकॉमविभागकी ये योजना आज लॉन्‍च हुई है, ये सरकार की citizen centric approach, minimum government-maximum governance का एक मूलभूत हिस्‍सा है। यानी सरकार की प्रकियाएं कैसे सरल हों, सामान्‍य मानवी की पहुंच में हों; सरकार लगातार उस प्रयास को आगे बढ़ा रही है।

डिजीटल इंडिया के माध्‍यम से देश के जन-जन के जीवन को आसान बनाने की कोशिश का ये हिस्‍सा है। आज जन्‍म प्रमाणपत्र से लेकर जीवन प्रमाणपत्र तक, सरकार की सैंकड़ों सेवाओं का बड़ी तेज गति से विस्‍तार हो रहा है।

EPF- उसके ऑनलाइन या ट्रांसफर या निकासी की सुविधा तो पहले ही दी जा चुकी है।अब पेंशन जैसी व्‍यवस्‍थाओं को भी आसान किया जा रहा है।

घर पर जाकर ही दिव्‍यांगों, वृद्धजनों को डिजीटल जीवन प्रमाणपत्र जारी करने का काम आज चल रहा है। जीवन प्रमाणपत्र योजना से करीब ढाई करोड़ पेंशनभोगियों को लाभ मिल चुका है।

भाइयो और बहनों, सरकार India post payment bank के जरिए गांव-गांव, घर-घर तक बैंकिंग सेवा पहुंचाने में जुटी है। डाकिया ही आपके घर पर बैंक से जुड़ा लेनदेन करेगा। इस व्‍यवस्‍था की तरफ सरकार ने कई कदम उठाए हैं और काम आगे बढ़ रहा है।

अभी तक देशभर में करीब 25 हजार पोस्‍ट ऑफिस ये सुविधा शुरू कर चुके हैं। बाकियों में भी बहुत ही जल्‍द बैंकिंग सेवा शुरू हो जाएगी।

साथियो, बैंकिंग से लेकर जमीन से जुड़ी जानकारी से लेकर अपनी फसल, अपना उत्‍पाद ऑनलाइन बेचने तक की अनेक सुविधाएं आज ऑनलाइन हैं। देशभर में फैले तीन लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर के नेटवर्क से गांव में भी ये सुविधाएं पहुंच रही हैं। इस नेटवर्क को बीते साढ़े चार वर्षों में तैयार किया गया है।

आपने भी अखबारों में पढ़ा होगा कि बीते दो-ढाई वर्षों के दौरान ही भारत में इंटरनेट कनेक्‍शन में 65 प्रतिशत की बढ़ोत्‍तरी हुई है और देश में 50 करोड़ से अधिक इंटरनेट कनेक्‍शन आज काम कर रहे हैं। शहरों में तो ये बढ़ोत्‍तरी हुई ही है, गांवों में भी तेजी से इंटरनेट का दायरा बढ़ा है। देश की लगभग सवा लाख पंचायतें ब्रॉडबैंड से जुड़ चु‍की हैं। जिसमें से सबसे अधिक करीब 29 हजार उत्‍तर प्रदेश में पहुंच चुकी हैं, 29 हजार गांवों में।

आने वाले समय में जब देश के कोने-कोने तक तेज इंटरनेट पहुंच जाएगा, तब डिजीटल इंडिया New India को नई शक्ति, नई पहचान देगा।

साथियो, डिजीटल इंडिया अभियान से देश के आम नागरिकों की सुविधा तो बढ़ ही रही है, साथ ही ये भ्रष्‍टाचार को कम करने और सरकारी लेनदेन में पारदर्शिता का साधन भी बन रहा है। पहले सरकारी विभागों की खरीदारी को लेकर किस प्रकार शक और शिकायतें सामने आती थीं? अब केन्‍द्र सरकार ने अपने विभागों के लिए खरीदारी की एक नई पारदर्शी व्‍यवस्‍था बनाई है। केन्‍द्र सरकार ने Government E-market place यानी जैम GEM नाम से पोर्टल बनाया है और मैं आप सबसे चाहूंगा‍ कि आप उसका भरपूर फायदा उठाइए। उत्‍तर प्रदेश के छोटे-छोटे कारोबारी भी इसका भरपूर फायदा उठा सकते हैं।

इसके माध्‍यम से देश का कोई भी छोटे से छोटा कारोबारी अपना प्रोडक्‍ट केन्‍द्र सरकार को, राज्‍य सरकारों को सीधे बेच सकता है। इसका बड़ा लाभ सामान्‍य से सामान्‍य गृहणियों से लेकर हमारे MSME से जुड़े उद्यमियों को हुआ है।

साथियो, छोटे, लघु, मझले उद्योग यानी MSME के लिए तो ये बेहतरीन प्‍लेटफॉर्म सिद्ध हो रहा है। हाल में ही MSME सेक्‍टर के लिए जो 12 दिवाली गिफ्ट का ऐलान किया गया था, उसमें GEM का एक बड़ा रोल है। बड़ी कम्‍पनियों के पास छोटे उद्यमियों का पैसा न फंसे, कैश फ्लो न टूटे, इसके लिए केन्‍द्र सरकार की सभी कम्‍पनियों को GEM से जुड़ना अनिवार्य किया गया है।

इतना ही नहीं, डिजिटल सेवाओं की शक्ति के माध्‍यम से ही MSME को ऋण लेने में असुविधा न हो, इसके लिए ऑनलाइन लोन स्‍वीकृत किए जा रहे हैं। और आपको खुशी होगी, आप में से बहुत लोगों ने इसका फायदा लिया होगा। सिर्फ 59 मिनट में, उनसठ मिनट में एक करोड़ रुपये तक के लोन ऑनलाइन पोर्टल के माध्‍यम से स्‍वीकृति देने का काम चल रहा है, सफलतापूर्वक चल रहा है। वरना एक करोड़ का लोन लेना हो तो पता नहीं कितने जूते घिस जाते होंगे। आज fifty nine minute में ये काम हो रहा है।

सा‍थियो, देश में MSME को सशक्‍त करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। सरकार का प्रयास है जितने भी MSMEs हैं, जीएसटी से जुड़े रहे हैं, उनको बैंकों से लोन लेने के लिए बहुत मशक्‍कत न करनी पड़े, वो ऑनलाइन इसको देख करके काम आगे बढ़ सकता है। सिर्फ जीएसटी और अपने रिटर्न के दस्‍तावेजों के माध्‍यम से या ऑनलाइन रिकॉर्ड देखने के बाद बैंक खुद ही ऋण के लिए संपर्क करें।

ये तमाम प्रयास देश में ease of doing business सुनिश्चित कर रहे हैं,‍ जिससे व्‍यापार और कारोबार में आसानी हो रही है, युवाओं को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं।

सा‍थियो, काशी और पूर्वांचल सहित सम्‍पूर्ण पूर्वी भारत में आधुनिक सुविधाएं और उद्योगों के लिए बेहतर माहौल बनाने का काम व्‍यापक स्‍तर पर चल रहा है। प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा योजना के तहत गैस पाइप लाइन बिछाई जा रही है। इससे घरों की रसोई से लेकर खाद कारखानों तक के लिए गैस मिलनी शुरू हो चुकी है। वाराणसी में भी इस सस्‍ती रसोई गैस की योजना से हजारों घर जुड़ भी चुके हैं। उत्‍तर प्रदेश हो, बिहार हो, झारखंड हो, ओडिशा हो, पश्चिम बंगाल हो, जगदीशपुर से हल्दिया तक करीब 13 हजार करोड़ रुपये की लागत से पाइप लाइन बिछाई जा रही है। इसका पहला चरण तो बहुत ही जल्‍द पूरा होने वाला है।

महिलाओं को साफ और सस्‍ती गैस मिलेगी। सीएनजी से गाड़ियां चलेंगी तो प्रदूषण कम होगा और युवा साथियों को उद्योगों के विस्‍तार से रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।

साथियो, यहां आने से पहले मैं International rice research institute  campus में भी गया था। ये सेंटर विज्ञान और तकनीक से खेती को लाभकारी बनाने की हमारी नीति का ही परिणाम है। यहां भारत के लिए धान से जुड़ी उत्‍तम किस्‍मों, बीजों और दूसरी तकनीकों पर शोध तो होगा ही, एशिया और दुनिया के दूसरे देशों के लिए भी यहां समाधान तैयार होंगे।

साथियो, काशी में परिवर्तन अब दिखने लगा है। दिव्‍य काशी का स्‍वरूप अब और भव्‍य होता जा रहा है। आज भी बनारस के विकास से जुड़ी अनेक परियोजनाओं का शिलान्‍यास और लोकार्पण किया गया है। इनमें से अधिकतर प्रोजेक्‍ट रास्‍तों को चौड़ा करने से जुड़े हैं और यहां के ऐतिहासिक आस्‍था से जुड़े महत्‍वपूर्ण स्‍थानों के सौंदर्यीकरण से भी जुड़े हैं।

ये सारे कार्य काशी की सुन्‍दरता को और निखारने वाले हैं। काशीवासियों के, काशी आने-जाने वालों के जीवन को आसान करने वाले हैं।कई ऐसे कार्यों को भी किया जा रहा है, जिन पर स्‍वतंत्रता से पहले थोड़ा-बहुत काम हुआ था।

भाइयो और बहनों, सरकार का प्रयास है कि काशी की आत्‍मा से छेड़छाड़़ किए बिना हमारा ये चिर-पुरातन शहर नई काया के साथ दुनिया के सामने आए।

बाबा विश्‍वनाथ की असीम कृपा हम सभी पर रही है। हमारा ये कर्तव्‍य है कि जो काम माता अहिल्‍याबाई होलकर ने करीब दो सौ वर्ष पूर्व किया था, उसको आज आगे बढ़ाने का हमें सौभाग्‍य मिला है। अनेक दशकों की उदासीनता के बाद बनारस के घाटों, यहां के मंदिरों के संरक्षण और सौंदर्यीकरण के कार्यों का आप जिस तरह समर्थन कर रहे हैं, उसके लिए मैं आपका, काशीवासियों का हृदयपूर्वक आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

यहां का सांसद होने के नाते मैं काशीवासियों के इस समर्थन से कृतज्ञ हूं। बाबा के चिर पुरातन स्‍थान की दिव्‍यता को भव्‍यता से जोड़ना भी हमारा दायित्‍व है ताकि देश और दुनिया से आने वाला हर भक्‍त बिना किसी दिक्‍कत के अपने बाबा विश्‍वनाथ के दरबार में मत्‍था टेक सके।

ऐसी अनेक सुविधाओं का निर्माण हम सभी काशीवासी मिल करके कर रहे हैं और इस काम को हमें तेज गति से आगे बढ़ाना है।

साथियो, इसी तरह मां गंगा की पवित्रता और अविरलता के प्रति भी हमारी प्रतिबद्धता है। मुझे खुशी है कि हमारे प्रयासों के परिणाम भी धीरे-धीरे दिखने लगे हैं। आप सभी ने मीडिया में आई उन रिपोर्टों को देखा होगा कि कैसे मछलियां, मगरमच्‍छ समेत अनेक जीव-जंतु जीवनदायिनी मां गंगा में फिर से लौटने लगे हैं। हाल में देश के अनेक वैज्ञानिकों की टीम ने गंगा जल के परीक्षण के बाद एक रिपोर्ट भी दी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक मां गंगा में प्रदूषण के स्‍तर में कमी आई है। नमामि गंगे का अभियान जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे निर्मल और अविरल गंगा का लक्ष्‍य नजदीक दिख रहा है। ये सब आप सभी काशीवासियों, गंगा के किनारे बसे हर व्‍यक्ति की इच्‍छाशक्ति और सहयोग से संभव हो पा रहा है।

सा‍थियो, जब पूरी पारदर्शिता के साथ, प्रमाणिकता के साथ, जनभागीदारी से सरकार काम करती है तब सार्थक परिणाम अवश्‍य मिलते हैं। वरना, आप तो साक्षी रहे हैं कि कभी गंगा एक्‍शन प्‍लान से लेकर गंगा बेसिन अथॉरिटी तक की न जाने कैसी-कैसी योजनाएं बनाई गई। मां गंगा के नाम पर हजारों करोड़ रुपये बहा दिए गए।

मां गंगा की निर्मलता के लिए धन की शक्ति ही काफी नहीं है, साफ नीयत भी चाहिए। नीयत साफ है तो गंगा भी साफ होना तय है।हम पूरी ईमानदारी के साथ, साफ नीयत के साथ गंगाजी को स्‍वच्‍छ करने के अभियान में जुटे हुए हैं।

काशी के भाइयो और बहनों, प्रवासी भारतीय दिवस के लिए अब दो-तीन हफ्ते ही बचे हैं। मैं खुद दुनियाभर के प्रवासी भारतीयों को काशी आने का न्‍यौता दे चुका हूं। आपकी तरफ से मैं ही बताता रहता हूं। आने वाले दिनों में हमें दुनिया के सामने पुरातन काशी का आधुनिक स्‍वरूप, दुनिया की आंखों में प्रभावित करने वाला दृश्‍य खड़ा करना हम काशीवासियों की जिम्‍मेदारी है। काशी उनको प्रभावित भी करे, काशी उनको प्रेरित भी करे; ये ऐसा अवसर काशी को जाने नहीं देना चाहिए।

हम निश्चित रूप से एक भव्‍य और सफल आयोजन करेंगे और मुझे एक सांसद के रूप में, आपके प्रतिनिधि के रूप में विश्‍वभर से आए हुए मेहमानों को पलक-पांवड़े बिछा करके ऐसा स्‍वागत-सम्‍मान करना है, ऐसा गौरव करना है कि फिर एक बार दुनिया में काशी का डंका बजने लग जाए।

अंत में फिर से आप सभी शिल्‍पकार साथियों को, सभी लाभार्थियों को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। अब दो दिन के बाद 2018 की विदाई हो जाएगी, 2019 दरवाजे पर दस्‍तक दे रहा है। मैं आप सबको नए साल की भी शुभकामनाएं देता हूं। काशी और यूपी के सभी स्‍वजनों को मेरी तरफ से मंगल-कामनाएं। बाबा विश्‍वनाथ के आशीर्वाद से हम सभी देश के नव-निर्माण के लिए, अपनी काशी के नव-निर्माण के‍ लिए, अपने उत्‍तर प्रदेश के नव-निर्माण के लिए दिन-रात एक करते रहें, अपने परिश्रम में कहीं कोई कमी न आने दें, इसी कामना के साथ मैं अपनी बात को समाप्‍त करता हूं।

आप सभी का बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

हर-हर महादेव।

धन्‍यवाद जी।

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India is going to open doors of new possibilities of space for the world: PM Modi
June 28, 2025
QuoteI extend my heartiest congratulations and best wishes to you for hoisting the flag of India in space: PM
QuoteScience and Spirituality, both are our Nation’s strength: PM
QuoteThe success of Chandrayaan mission and your historic journey renew interest in science among the children and youth of the country: PM
QuoteWe have to take Mission Gaganyaan forward, we have to build our own space station and also land Indian astronauts on the Moon: PM
QuoteYour historic journey is the first chapter of success of India's Gaganyaan mission and will give speed and new vigour to our journey of Viksit Bharat: PM
QuoteIndia is going to open doors of new possibilities of space for the world: PM

प्रधानमंत्रीशुभांशु नमस्कार!

शुभांशु शुक्लानमस्कार!

प्रधानमंत्रीआप आज मातृभूमि से, भारत भूमि से, सबसे दूर हैं, लेकिन भारतवासियों के दिलों के सबसे करीब हैं। आपके नाम में भी शुभ है और आपकी यात्रा नए युग का शुभारंभ भी है। इस समय बात हम दोनों कर रहे हैं, लेकिन मेरे साथ 140 करोड़ भारतवासियों की भावनाएं भी हैं। मेरी आवाज में सभी भारतीयों का उत्साह और उमंग शामिल है। अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराने के लिए मैं आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। मैं ज्यादा समय नहीं ले रहा हूं, तो सबसे पहले तो यह बताइए वहां सब कुशल मंगल है? आपकी तबीयत ठीक है?

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शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! बहुत-बहुत धन्यवाद, आपकी wishes का और 140 करोड़ मेरे देशवासियों के wishes का, मैं यहां बिल्कुल ठीक हूं, सुरक्षित हूं। आप सबके आशीर्वाद और प्यार की वजह से… बहुत अच्छा लग रहा है। बहुत नया एक्सपीरियंस है यह और कहीं ना कहीं बहुत सारी चीजें ऐसी हो रही हैं, जो दर्शाती है कि मैं और मेरे जैसे बहुत सारे लोग हमारे देश में और हमारा भारत किस दिशा में जा रहा है। यह जो मेरी यात्रा है, यह पृथ्वी से ऑर्बिट की 400 किलोमीटर तक की जो छोटे सी यात्रा है, यह सिर्फ मेरी नहीं है। मुझे लगता है कहीं ना कहीं यह हमारे देश के भी यात्रा है because जब मैं छोटा था, मैं कभी सोच नहीं पाया कि मैं एस्ट्रोनॉट बन सकता हूं। लेकिन मुझे लगता है कि आपके नेतृत्व में आज का भारत यह मौका देता है और उन सपनों को साकार करने का भी मौका देता है। तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि है मेरे लिए और मैं बहुत गर्व feel कर रहा हूं कि मैं यहां पर अपने देश का प्रतिनिधित्व कर पा रहा हूं। धन्यवाद प्रधानमंत्री जी!

प्रधानमंत्रीशुभ, आप दूर अंतरिक्ष में हैं, जहां ग्रेविटी ना के बराबर है, पर हर भारतीय देख रहा है कि आप कितने डाउन टू अर्थ हैं। आप जो गाजर का हलवा ले गए हैं, क्या उसे अपने साथियों को खिलाया?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! यह कुछ चीजें मैं अपने देश की खाने की लेकर आया था, जैसे गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आम रस और मैं चाहता था कि यह बाकी भी जो मेरे साथी हैं, बाकी देशों से जो आए हैं, वह भी इसका स्वाद लें और चखें, जो भारत का जो rich culinary हमारा जो हेरिटेज है, उसका एक्सपीरियंस लें, तो हम सभी ने बैठकर इसका स्वाद लिया साथ में और सबको बहुत पसंद आया। कुछ लोग कहे कि कब वह नीचे आएंगे और हमारे देश आएं और इनका स्वाद ले सकें हमारे साथ…

प्रधानमंत्री: शुभ, परिक्रमा करना भारत की सदियों पुरानी परंपरा है। आपको तो पृथ्वी माता की परिक्रमा का सौभाग्य मिला है। अभी आप पृथ्वी के किस भाग के ऊपर से गुजर रहे होंगे?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! इस समय तो मेरे पास यह इनफॉरमेशन उपलब्ध नहीं है, लेकिन थोड़ी देर पहले मैं खिड़की से, विंडो से बाहर देख रहा था, तो हम लोग हवाई के ऊपर से गुजर रहे थे और हम दिन में 16 बार परिक्रमा करते हैं। 16 सूर्य उदय और 16 सनराइज और सनसेट हम देखते हैं ऑर्बिट से और बहुत ही अचंभित कर देने वाला यह पूरा प्रोसेस है। इस परिक्रमा में, इस तेज गति में जिस हम इस समय करीब 28000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहे हैं आपसे बात करते वक्त और यह गति पता नहीं चलती क्योंकि हम तो अंदर हैं, लेकिन कहीं ना कहीं यह गति जरूर दिखाती है कि हमारा देश कितनी गति से आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्रीवाह!

शुभांशु शुक्ला: इस समय हम यहां पहुंचे हैं और अब यहां से और आगे जाना है।

प्रधानमंत्री: अच्छा शुभ अंतरिक्ष की विशालता देखकर सबसे पहले विचार क्या आया आपको?

शुभांशु शुक्ला: प्रधानमंत्री जी, सच में बोलूं तो जब पहली बार हम लोग ऑर्बिट में पहुंचे, अंतरिक्ष में पहुंचे, तो पहला जो व्यू था, वह पृथ्वी का था और पृथ्वी को बाहर से देख के जो पहला ख्याल, वो पहला जो thought मन में आया, वह ये था कि पृथ्वी बिल्कुल एक दिखती है, मतलब बाहर से कोई सीमा रेखा नहीं दिखाई देती, कोई बॉर्डर नहीं दिखाई देता। और दूसरी चीज जो बहुत noticeable थी, जब पहली बार भारत को देखा, तो जब हम मैप पर पढ़ते हैं भारत को, हम देखते हैं बाकी देशों का आकार कितना बड़ा है, हमारा आकार कैसा है, वह मैप पर देखते हैं, लेकिन वह सही नहीं होता है क्योंकि वह एक हम 3D ऑब्जेक्ट को 2D यानी पेपर पर हम उतारते हैं। भारत सच में बहुत भव्य दिखता है, बहुत बड़ा दिखता है। जितना हम मैप पर देखते हैं, उससे कहीं ज्यादा बड़ा और जो oneness की फीलिंग है, पृथ्वी की oneness की फीलिंग है, जो हमारा भी मोटो है कि अनेकता में एकता, वह बिल्कुल उसका महत्व ऐसा समझ में आता है बाहर से देखने में कि लगता है कि कोई बॉर्डर एक्जिस्ट ही नहीं करता, कोई राज्य ही नहीं एक्जिस्ट करता, कंट्रीज़ नहीं एक्जिस्ट करती, फाइनली हम सब ह्यूमैनिटी का पार्ट हैं और अर्थ हमारा एक घर है और हम सबके सब उसके सिटीजंस हैं।

प्रधानमंत्रीशुभांशु स्पेस स्टेशन पर जाने वाले आप पहले भारतीय हैं। आपने जबरदस्त मेहनत की है। लंबी ट्रेनिंग करके गए हैं। अब आप रियल सिचुएशन में हैं, सच में अंतरिक्ष में हैं, वहां की परिस्थितियां कितनी अलग हैं? कैसे अडॉप्ट कर रहे हैं?

शुभांशु शुक्ला: यहां पर तो सब कुछ ही अलग है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग की हमने पिछले पूरे 1 साल में, सारे systems के बारे में मुझे पता था, सारे प्रोसेस के बारे में मुझे पता था, एक्सपेरिमेंट्स के बारे में मुझे पता था। लेकिन यहां आते ही suddenly सब चेंज हो गया, because हमारे शरीर को ग्रेविटी में रहने की इतनी आदत हो जाती है कि हर एक चीज उससे डिसाइड होती है, पर यहां आने के बाद चूंकि ग्रेविटी माइक्रोग्रेविटी है absent है, तो छोटी-छोटी चीजें भी बहुत मुश्किल हो जाती हैं। अभी आपसे बात करते वक्त मैंने अपने पैरों को बांध रखा है, नहीं तो मैं ऊपर चला जाऊंगा और माइक को भी ऐसे जैसे यह छोटी-छोटी चीजें हैं, यानी ऐसे छोड़ भी दूं, तो भी यह ऐसे float करता रहा है। पानी पीना, पैदल चलना, सोना बहुत बड़ा चैलेंज है, आप छत पर सो सकते हैं, आप दीवारों पर सो सकते हैं, आप जमीन पर सो सकते हैं। तो पता सब कुछ होता है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग अच्छी है, लेकिन वातावरण चेंज होता है, तो थोड़ा सा used to होने में एक-दो दिन लगते हैं but फिर ठीक हो जाता है, फिर normal हो जाता है।

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प्रधानमंत्री: शुभ भारत की ताकत साइंस और स्पिरिचुअलिटी दोनों हैं। आप अंतरिक्ष यात्रा पर हैं, लेकिन भारत की यात्रा भी चल रही होगी। भीतर में भारत दौड़ता होगा। क्या उस माहौल में मेडिटेशन और माइंडफूलनेस का लाभ भी मिलता है क्या?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बिल्कुल सहमत हूं। मैं कहीं ना कहीं यह मानता हूं कि भारत already दौड़ रहा है और यह मिशन तो केवल एक पहली सीढ़ी है उस एक बड़ी दौड़ का और हम जरूर आगे पहुंच रहे हैं और अंतरिक्ष में हमारे खुद के स्टेशन भी होंगे और बहुत सारे लोग पहुंचेंगे और माइंडफूलनेस का भी बहुत फर्क पड़ता है। बहुत सारी सिचुएशंस ऐसी होती हैं नॉर्मल ट्रेनिंग के दौरान भी या फिर लॉन्च के दौरान भी, जो बहुत स्ट्रेसफुल होती हैं और माइंडफूलनेस से आप अपने आप को उन सिचुएशंस में शांत रख पाते हैं और अपने आप को calm रखते हैं, अपने आप को शांत रखते हैं, तो आप अच्छे डिसीजंस ले पाते हैं। कहते हैं कि दौड़ते हो भोजन कोई भी नहीं कर सकता, तो जितना आप शांत रहेंगे उतना ही आप अच्छे से आप डिसीजन ले पाएंगे। तो I think माइंडफूलनेस का बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल होता है इन चीजों में, तो दोनों चीजें अगर साथ में एक प्रैक्टिस की जाएं, तो ऐसे एक चैलेंजिंग एनवायरमेंट में या चैलेंजिंग वातावरण में मुझे लगता है यह बहुत ही यूज़फुल होंगी और बहुत जल्दी लोगों को adapt करने में मदद करेंगी।

प्रधानमंत्री: आप अंतरिक्ष में कई एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। क्या कोई ऐसा एक्सपेरिमेंट है, जो आने वाले समय में एग्रीकल्चर या हेल्थ सेक्टर को फायदा पहुंचाएगा?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बहुत गर्व से कह सकता हूं कि पहली बार भारतीय वैज्ञानिकों ने 7 यूनिक एक्सपेरिमेंट्स डिजाइन किए हैं, जो कि मैं अपने साथ स्टेशन पर लेकर आया हूं और पहला एक्सपेरिमेंट जो मैं करने वाला हूं, जो कि आज ही के दिन में शेड्यूल्ड है, वह है Stem Cells के ऊपर, so अंतरिक्ष में आने से क्या होता है कि ग्रेविटी क्योंकि एब्सेंट होती है, तो लोड खत्म हो जाता है, तो मसल लॉस होता है, तो जो मेरा एक्सपेरिमेंट है, वह यह देख रहा है कि क्या कोई सप्लीमेंट देकर हम इस मसल लॉस को रोक सकते हैं या फिर डिले कर सकते हैं। इसका डायरेक्ट इंप्लीकेशन धरती पर भी है कि जिन लोगों का मसल लॉस होता है, ओल्ड एज की वजह से, उनके ऊपर यह सप्लीमेंट्स यूज़ किए जा सकते हैं। तो मुझे लगता है कि यह डेफिनेटली वहां यूज़ हो सकता है। साथ ही साथ जो दूसरा एक्सपेरिमेंट है, वह Microalgae की ग्रोथ के ऊपर। यह Microalgae बहुत छोटे होते हैं, लेकिन बहुत Nutritious होते हैं, तो अगर हम इनकी ग्रोथ देख सकते हैं यहां पर और ऐसा प्रोसेस ईजाद करें कि यह ज्यादा तादाद में हम इन्हें उगा सके और न्यूट्रिशन हम प्रोवाइड कर सकें, तो कहीं ना कहीं यह फूड सिक्योरिटी के लिए भी बहुत काम आएगा धरती के ऊपर। सबसे बड़ा एडवांटेज जो है स्पेस का, वह यह है कि यह जो प्रोसेस है यहां पर, यह बहुत जल्दी होते हैं। तो हमें महीनों तक या सालों तक वेट करने की जरूरत नहीं होती, तो जो यहां के जो रिजल्‍ट्स होते हैं वो हम और…

प्रधानमंत्री: शुभांशु चंद्रयान की सफलता के बाद देश के बच्चों में, युवाओं में विज्ञान को लेकर एक नई रूचि पैदा हुई, अंतरिक्ष को explore करने का जज्बा बढ़ा। अब आपकी ये ऐतिहासिक यात्रा उस संकल्प को और मजबूती दे रही है। आज बच्चे सिर्फ आसमान नहीं देखते, वो यह सोचते हैं, मैं भी वहां पहुंच सकता हूं। यही सोच, यही भावना हमारे भविष्य के स्पेस मिशंस की असली बुनियाद है। आप भारत की युवा पीढ़ी को क्या मैसेज देंगे?

शुभांशु शुक्ला: प्रधानमंत्री जी, मैं अगर मैं अपनी युवा पीढ़ी को आज कोई मैसेज देना चाहूंगा, तो पहले यह बताऊंगा कि भारत जिस दिशा में जा रहा है, हमने बहुत बोल्ड और बहुत ऊंचे सपने देखे हैं और उन सपनों को पूरा करने के लिए, हमें आप सबकी जरूरत है, तो उस जरूरत को पूरा करने के लिए, मैं ये कहूंगा कि सक्सेस का कोई एक रास्ता नहीं होता कि आप कभी कोई एक रास्ता लेता है, कोई दूसरा रास्ता लेता है, लेकिन एक चीज जो हर रास्ते में कॉमन होती है, वो ये होती है कि आप कभी कोशिश मत छोड़िए, Never Stop Trying. अगर आपने ये मूल मंत्र अपना लिया कि आप किसी भी रास्ते पर हों, कहीं पर भी हों, लेकिन आप कभी गिव अप नहीं करेंगे, तो सक्सेस चाहे आज आए या कल आए, पर आएगी जरूर।

प्रधानमंत्री: मुझे पक्का विश्वास है कि आपकी ये बातें देश के युवाओं को बहुत ही अच्छी लगेंगी और आप तो मुझे भली-भांति जानते हैं, जब भी किसी से बात होती हैं, तो मैं होमवर्क जरूर देता हूं। हमें मिशन गगनयान को आगे बढ़ाना है, हमें अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाना है, और चंद्रमा पर भारतीय एस्ट्रोनॉट की लैंडिंग भी करानी है। इन सारे मिशंस में आपके अनुभव बहुत काम आने वाले हैं। मुझे विश्वास है, आप वहां अपने अनुभवों को जरूर रिकॉर्ड कर रहे होंगे।

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, बिल्कुल ये पूरे मिशन की ट्रेनिंग लेने के दौरान और एक्सपीरियंस करने के दौरान, जो मुझे lessons मिले हैं, जो मेरी मुझे सीख मिली है, वो सब एक स्पंज की तरह में absorb कर रहा हूं और मुझे यकीन है कि यह सारी चीजें बहुत वैल्युएबल प्रूव होंगी, बहुत इंपॉर्टेंट होगी हमारे लिए जब मैं वापस आऊंगा और हम इन्हें इफेक्टिवली अपने मिशंस में, इनके lessons अप्लाई कर सकेंगे और जल्दी से जल्दी उन्हें पूरा कर सकेंगे। Because मेरे साथी जो मेरे साथ आए थे, कहीं ना कहीं उन्होंने भी मुझसे पूछा कि हम कब गगनयान पर जा सकते हैं, जो सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने बोला कि जल्द ही। तो मुझे लगता है कि यह सपना बहुत जल्दी पूरा होगा और मेरी तो सीख मुझे यहां मिल रही है, वह मैं वापस आकर, उसको अपने मिशन में पूरी तरह से 100 परसेंट अप्लाई करके उनको जल्दी से जल्दी पूरा करने की कोशिश करेंगे।

प्रधानमंत्री: शुभांशु, मुझे पक्का विश्वास है कि आपका ये संदेश एक प्रेरणा देगा और जब हम आपके जाने से पहले मिले थे, आपके परिवारजन के भी दर्शन करने का अवसर मिला था और मैं देख रहा हूं कि आपके परिवारजन भी सभी उतने ही भावुक हैं, उत्साह से भरे हुए हैं। शुभांशु आज मुझे आपसे बात करके बहुत आनंद आया, मैं जानता हूं आपकी जिम्मे बहुत काम है और 28000 किलोमीटर की स्पीड से काम करने हैं आपको, तो मैं ज्यादा समय आपका नहीं लूंगा। आज मैं विश्वास से कह सकता हूं कि ये भारत के गगनयान मिशन की सफलता का पहला अध्याय है। आपकी यह ऐतिहासिक यात्रा सिर्फ अंतरिक्ष तक सीमित नहीं है, ये हमारी विकसित भारत की यात्रा को तेज गति और नई मजबूती देगी। भारत दुनिया के लिए स्पेस की नई संभावनाओं के द्वार खोलने जा रहा है। अब भारत सिर्फ उड़ान नहीं भरेगा, भविष्य में नई उड़ानों के लिए मंच तैयार करेगा। मैं चाहता हूं, कुछ और भी सुनने की इच्छा है, आपके मन में क्योंकि मैं सवाल नहीं पूछना चाहता, आपके मन में जो भाव है, अगर वो आप प्रकट करेंगे, देशवासी सुनेंगे, देश की युवा पीढ़ी सुनेगी, तो मैं भी खुद बहुत आतुर हूं, कुछ और बातें आपसे सुनने के लिए।

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शुभांशु शुक्ला: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी! यहां यह पूरी जर्नी जो है, यह अंतरिक्ष तक आने की और यहां ट्रेनिंग की और यहां तक पहुंचने की, इसमें बहुत कुछ सीखा है प्रधानमंत्री जी मैंने लेकिन यहां पहुंचने के बाद मुझे पर्सनल accomplishment तो एक है ही, लेकिन कहीं ना कहीं मुझे ये लगता है कि यह हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा कलेक्टिव अचीवमेंट है। और मैं हर एक बच्चे को जो यह देख रहा है, हर एक युवा को जो यह देख रहा है, एक मैसेज देना चाहता हूं और वो यह है कि अगर आप कोशिश करते हैं और आप अपना भविष्य बनाते हैं अच्छे से, तो आपका भविष्य अच्छा बनेगा और हमारे देश का भविष्य अच्छा बनेगा और केवल एक बात अपने मन में रखिए, that sky has never the limits ना आपके लिए, ना मेरे लिए और ना भारत के लिए और यह बात हमेशा अगर अपने मन में रखी, तो आप आगे बढ़ेंगे, आप अपना भविष्य उजागर करेंगे और आप हमारे देश का भविष्य उजागर करेंगे और बस मेरा यही मैसेज है प्रधानमंत्री जी और मैं बहुत-बहुत ही भावुक और बहुत ही खुश हूं कि मुझे मौका मिला आज आपसे बात करने का और आप के थ्रू 140 करोड़ देशवासियों से बात करने का, जो यह देख पा रहे हैं, यह जो तिरंगा आप मेरे पीछे देख रहे हैं, यह यहां नहीं था, कल के पहले जब मैं यहां पर आया हूं, तब हमने यह यहां पर पहली बार लगाया है। तो यह बहुत भावुक करता है मुझे और बहुत अच्छा लगता है देखकर कि भारत आज इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंच चुका है।

प्रधानमंत्रीशुभांशु, मैं आपको और आपके सभी साथियों को आपके मिशन की सफलता के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। शुभांशु, हम सबको आपकी वापसी का इंतजार है। अपना ध्यान रखिए, मां भारती का सम्मान बढ़ाते रहिए। अनेक-अनेक शुभकामनाएं, 140 करोड़ देशवासियों की शुभकामनाएं और आपको इस कठोर परिश्रम करके, इस ऊंचाई तक पहुंचने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। भारत माता की जय!

शुभांशु शुक्ला: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी, धन्यवाद और सारे 140 करोड़ देशवासियों को धन्यवाद और स्पेस से सबके लिए भारत माता की जय!