PM Modi gifts electronic aids to differently abled people in Varanasi
When I say let us use the word 'Divyang' it is about a change in mindset: PM
Let’s not think about what is lacking in a person, Let’s see what is the extra ordinary quality a person is blessed with: PM
People are sympathetic but things are lacking when it comes to facilities be it in trains, buses etc: PM
We will do everything possible, where rules and systems have to be changed, we will change them: PM on Accessible India

केंद्र में मंत्री परिषद के मेरे साथी श्रीमान कलराज मिश्र जी, इसी विभाग के मंत्री मेरे साथी, श्रीमान थावरचंद जी, रेलमंत्री और इसी भूमि की संतान भाई मनोज सिन्‍हा जी, इसी विभाग के मंत्री श्रीमान कृष्‍णपाल जी, श्रीमान विजय सांपला जी, राज्‍य सरकार में मंत्री श्रीमान बलराम जी, भारत सरकार के सचिव श्री लव वर्मा जी, ब्रिटेन के हाऊस ऑफ लार्ड के सदस्‍य और भारत में और दुनिया में विधवाओं के लिए लगातार काम कर रहे लार्ड लुम्‍बा जी, उनकी श्रीमती जी, और आज मुझे जिनका दर्शन करने का सौभाग्‍य मिला है ऐसी सभी दिव्‍यांग भाइयों और बहनों और उपस्थित काशी के मेरे प्‍यारे भाइयो और बहनों....

आज मैं काशी में आया हूं तब, मैं विशेष रूप से दो महानुभावों का पुण्‍य स्‍मरण करना चाहूंगा। एक श्रीमान जयसवाल जी, दूसरे श्रीमान हरीश जी, इन दोनों महानुभावों ने जीवन भर इस क्षेत्र की सेवा की और अब हमारे बीच नहीं हैं। मैं उनका पुण्‍य स्‍मरण करता हूं, उनको आदरपूर्वक अंजलि देता हूं।

आज प्रात: सरकारी व्‍यवस्‍था से हमारे कुछ दिव्‍यांग लाभार्थी इस समारोह में आ रहे थे उनकी बस पलट गई, कुछ लोगों को ईजा हुई, दिल्‍ली से मैं निकला उसी समय मुझे पता चला और हमारे मंत्री महोदय तुरंत वहां पहुंचे, सरकार के अधिकारी पहुंचे। बहुत लोगों को तो बहुत मामूली चोट थी, कुछ लोगों को कुछ दिन के लिए अस्‍पताल में व्‍यवस्‍था रहेगी। ये सारी व्‍यवस्‍था सरकार करेगी और मैं इन सभी बच्‍चों का जल्‍दी से जल्‍दी स्‍वास्‍थ्‍य लाभ हो, ये ईश्‍वर से प्रार्थना करता हूं।

आज हमारे बीच डॉक्‍टर लुम्‍बा जी और उनकी श्रीमती जी हैं। विदेश के भिन्‍न-भिन्‍न भागों और विदेशों में भी विधवाओं के कल्‍याण के लिए काम करते हैं। कुछ समय पहले मुझे मिले थे, तब चर्चा हुई थी काशी में भी, विधवाओं के लिए कुछ किया जाए और तब से ले करके उन्‍होंने काम शुरू किया है। उस काम को बल मिल रहा है। सम्‍मान के साथ हमारी ये माताएं, बहनें जीवन गुजारा करें, उस दिशा में उनका जो प्रयास है उसका मैं अभिनंदन करता हूं।

दोनों पति-पत्‍नी, जी-जान से इस काम में लगे रहते हैं और उनको आप किसी भी जगह पर मिलोगे, शादी में मिलो, पार्लियामेंट में मिलो, मैं अभी ब्रिटेन गया, पार्लियामेंट में सब लोगों से मिल रहा था लेकिन हमारे लुम्‍बा जी आ गए और तुरंत विधवाओं की बात शुरू कर दी। तो मैंने लुम्‍बा जी को कहा, मुझे कहा, लुम्‍बा जी मुझे कुछ और तो काम करने दो। लेकिन उनके मन में ऐसा, अपनी मां के पुण्‍य स्‍मरण में उन्‍होंने इस काम को हाथ में लिया है, बहुत मनोयोग से कर रहे हैं। मैं उनका भी अभिनंदन करता हूं और विशेष रूप से मेरे काशी क्षेत्र की सेवा में वो हाथ बंटा रहे हैं इसलिए मैं काशी के प्रतिनिधि के रूप में भी आपका आभार व्‍यक्‍त करता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं।

कुछ दिन पूर्व जापान के प्रधानमंत्री काशी की मुलाकात के लिए आए थे। अभी दो दिन पूर्व जापान के प्रधानमंत्री जी का जापान के अंदर एक भाषण था। Buddhist Movement के अंतर्गत वो भाषण था लेकिन मैंने Internet पर वो भाषण पढ़ा और मेंने देखा कि उस भाषण में उन्‍होंने काशी की अपनी यात्रा का जो वर्णन किया है, मां गंगा का जो वर्णन किया है, आरती के उस समय उनके मन में जो मनोभाव उठे, उसका जो वर्णन किया है; हर काशीवासी को, हर हिंदुस्‍तानी को उनके ये शब्‍द सुन करके गर्व महसूस होता है कि हमारा अपनापन कितना व्‍यापक और कितना विशाल है। मैं जापान के प्रधानमंत्री Abey का आभारी हूं, उन्‍होंने जापान जा करके भी अभी दो दिन पहले इतने विस्‍तार से हमारे काशी के गुणगान किए, हमारी गंगा के गुणगान किए, गंगा आरती का स्‍मरण किया, मैं इसके लिए भी उनका बहुत-बहुत आभारी हूं।

अभी मैं थावरचंद जी को सुन रहा था। आप लोगों को ज्ञात होगा, जब लोकसभा के चुनाव पूर्ण हुए और पार्लियामेंट के सेंट्रल हॉल में एनडीए के सदस्यों ने मुझे नेता के रूप में चुना, प्रधानमंत्री पद की जिम्‍मेवारी के लिए मुझे पंसद किया और उस दिन मेरा एक भाषण था, उस भाषण में मैंने कहा था कि ये जो सरकार है, ये सरकार गरीबों को समर्पित है। दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो, जिन्‍हें जीवन में कष्‍ट झेलने पड़ते हैं, उनके लिए ये सरकार कुछ न कुछ करने का प्रयास करेगी, ये मैंने प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से पहले घोषित किया था और आप लगातार देखते होंगे कि सरकार के सभी कार्यक्रमों के केंद्र में इस देश के गरीब को विकास का लाभ कैसे पहुंचे, गरीबों की जिंदगी में बदलाव कैसे आएं, उस दिशा में एक निंरतर प्रयास चल रहा है।

आज ये जो काशी में कैम्‍प लग रहा है, ये कोई पहला कैम्‍प नहीं है, वरना कुछ लोगों को लगेगा कि प्रधानमंत्री का क्षेत्र है, इसलिए यहां जरा पांचों अंगुलियां घी में हैं, इसलिए यहां कैम्‍प लग रहा है। ऐसा नहीं है, इसके पहले ऐसे ही 1800 कैम्‍प लग चुके हैं। लाखों लोगों को यह सुविधा पहुंचायी जा चुकी है, और ये आखिरी कैंप भी नहीं है। इसके बावजूद भी हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में जा करके ये हमारे दिव्‍यांग भाइयों और बहनों को खोज करके, उनकी क्‍या आवश्‍यकता हैं, क्‍या उनको कोई संसाधन मिल जाए|उनका जीने का विश्‍वास बढ जाए कुछ करने का विश्‍वास बढ़ जाए, कुछ सहजता हो जाए, सुख सुविधा मिल जाए यह प्रयास आज चला है, चलता रहेगा।

सरकारें पहले भी थी| यह विभाग भी 19 92 से चल रहा है। सरकार में ये विभाग nineteen ninety two में बना , बजट भी दिए गये, लेकिन मुझे बताया गया कि 1992 से लेकर करके 2014 तक बड़ी मुश्किल से 50, 55, 100 कैंप लगे थे।

ये सरकार गरीबों के लिए दौड़ने वाली सरकार है, कुछ गुजरने वाली सरकार है कि एक साल के भीतर- 1800 कैंप लगाये ... अट्ठारह सौ। बीस बाईस पच्चीस साल में सौ कैम्प भी नहीं लगे और एक साल में 1800 कैंप लगे और पूरी सरकार खोजने के लिए जाती हैं लाभर्थियों को , जिनका हक़ है उन तक पहुंचने का प्रयास करती है।

हम जानते हैं कभी कभी सरकार की योजनाओं का दुरूपयोग करने वालों की भी कमी नहीं होती है, बिचौलिए मैदान में आ जाते हैं। वो बेचारे के पास पहुंच जाएंगे, उनके साथ चर्चा करेंगे, उसको कहेंगे देखो भाई तुमको ये दिलवाता हूं। इतना बीच में, बीच में मेरा हो जाएगा। तुम्‍हें tricycle दिलवा दूं, कुछ मेरा हो जाए। तुम्‍हें hearing aid की व्‍यवस्‍था करूं, कुछ मेरा हो जाए। ये कैंप लगवाने का परिणाम ये हुआ है कि बिचौलिए नाम की दुनिया समाप्‍त हो गई है।

ये कभी-कभी मुझ पर जो सारी दुनिया का तूफान चलता रहता है, सुबह उठो और आप चारों तरफ से हमले चलते रहते हैं, चारों तरफ लगे रहते हैं। उनको लगता है कि मोदी अपना मुंह, अपना रास्‍ता छोड़कर करके कोई और रास्‍ते पर आ जाएं, विवादों में पड़ जाएं। लेकिन मेरा तो मंत्र है मेरे देश के दुखियारों की, गरीबों की सेवा करना और इसलिए मैं विचलित नहीं होता हूं, लेकिन ये हो इसलिए रहा है कि व्‍यवस्‍थाएं ऐसी बदल रही हैं, nut bolt ऐसे टाइट हो रहे हैं कि बिचौलियों की दुकानें बंद हुई हैं इसलिए ये परेशानियां हो रही हैं। हर प्रकार के ऐसे लोग उनको जरा तकलीफ हो रही है, लेकिन उनकी इस तकलीफ से मुझे जरा भी तकलीफ नहीं है। अगर मुझे तकलीफ है तो मुझे मेरे देश के गरीबों की दुर्दशा से तकलीफ है। बिचौलियों की परेशानी से तकलीफ नहीं है।

आज यहां नौ हजार से अधिक लोगों को इस कैंप के तहत कोई-कोई संसाधन उपलब्‍ध कराएं जा रहे हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि काशी में भी यह काम पूरा हो गया। अभी भी रजिस्‍ट्रेशन चल रहा है। जांच चल रही है, जानकारियां इकट्ठी कर रहे हैं। और भी जैसे-जैसे चीजें ध्‍यान में आएंगी मैं शायद आंऊ या न आऊं लेकिन हर काम चलता रहेगा, काम चलते रहेंगे। अगल-बगल के जिलों में भी भले वो काशी लोकसभा क्षेत्र का हिस्‍सा नहीं होगा, वहां भी इस काम को किया जाएगा और ये व्‍यवस्‍थाएं लोगों को उपलब्‍ध करायी जाएंगी।

मैं यहां छोटे-छोटे बच्‍चों से मिल रहा था। उनके मां-बाप के चहेरे पर मैं चमक देख रहा था क्‍यों क्‍योंकि वे बच्‍चे सुन नहीं पर रहे थे और सुन नहीं पा रहे थे तो बोल नहीं पर रहे थे। जैसे ही सुनना शुरू हुआ साथ-साथ बोलना भी शुरू हो गया और करीब-करीब हर बच्‍चे ने मेरे से कोई न कोई बात की। एक-दो, एक-दो शब्‍द हर कोई बच्‍चा बोला और उनके मां के मन में इतना आनन्‍द भाव था। अब ये बच्‍चे जन्‍म से, उनको ये अवस्‍था मिली थी। पिछले दिनों मैंने सार्वजनिक रूप से मेरे मन की बात में एक इच्‍छा प्रकट की थी कि क्‍यों न हम ये विकलांग शब्‍द को बदल करके दिव्‍यांग शब्‍द उपयोग करें।

दुनिया के हर देश में, हर भाषा में, इस प्रकार की अवस्‍था वाले लोगों के लिए नये नये शब्‍द आए हैं। Terminology बदली गई है और लगातार उसमें सुधार होता ही चला जा रहा है। हर कोई नये-नये तरीके से विषय को परखता है। लेकिन हमारे देश में वर्षों से यही शब्‍द चल पड़ा था। वैसे अचानक ये शब्‍द बदलना कठिन होता है। मेरे भी भाषण में बोलते-बोलते शायद पांच बार में वो पुराना शब्‍द ही प्रयोग कर लूं। क्‍योंकि आदत लगना अभी समय लगेगा। सरकार को भी नियमों में बदलाव लाना पड़ेगा, काफी कुछ प्रक्रियाएं रहती हैं। लेकिन क्‍या हम धीरे-धीरे इसे शुरू कर सकते हैं क्‍या और इसका बड़ा असर होता है।

मान लीजिए कोई हमें मिलता है और परिचय कोई करवाता है कि ये फलाने–फलाने पुजारी हैं। पुजारी कहने के बाद भी, तुरंत हमारा नजर उसके भाल पर जाती है तिलक वगैरह देखता है हमारी आंखें तुरंत चली जाती है देखते हैं। पुजारी कहा, मतलब माला, भाल पर कोई तिलक वगैरह तुरंत नजर आता है। कोई हमें परिचय करवाता है ये बड़े ज्ञानी हैं। तो तुरंत हमारे मन में विचार आता है अच्‍छा-अच्‍छा किस विषय के ज्ञानी होंगे। उनके ज्ञान को जानने की इच्‍छा करता है। हमें कोई परिचय करवाता है कि यह पहलवान है। तो तुरंत हमें उसकी भुजाओं पर नजर जाती है कि कैसा बड़ा मजबूत आदमी है। वैसे ही अगर कोई विकलांग कहता है तो पहली हमारी नजर उसके शरीर की कौन सी कमी है उस तरफ जाती है। शरीर का कौन सा हिस्‍सा दुर्बल है वहां जाती है। मैं ये सोच बदलना चाहता हूं कि उसे मिलते ही कोई कहे ये दिव्‍यांग है तो मेरी नजर उस बात पर जाएगी कि उसके अन्‍दर कौन सी extra ordinary quality भगवान ने दी है।

हम लोग आंखों से देखते हैं, आंखों से पढ़ते है लेकिन एक प्रज्ञाचक्षु उंगली से पढ़ता है। वो ब्रेल लिपि पर अपनी उंगली घूमाता है और उसको पढ़ लेता है वो मतलब ये उसका दिव्‍यांग है। ये दिव्‍यता दी है ईश्‍वर ने उसको। उस दिव्‍यता ने उसे विकसित किया है और इसलिए जब मैं विकलांग से दिव्‍यांग की बात करता हूं तब जब-जब हम अपने ऐसे परिजनों से मिलेंगे, अपनों से मिलेंगे, तब हमें अब उसमें क्‍या कमी है उस तरफ हमारा नज़रिया नहीं जाएगा, उस तरफ हमारी सोच नहीं जाएगी कौन सी extra ordinary quality उसमें है उस तरफ हमारी नजर जाएगी।

मुझे यहां राहुल नाम का एक बच्‍चा मिला, मंदबुद्धि का है, उसको कम्‍प्‍युटर दिया और मैंने देखा तुरंत कहां पर कम्‍प्‍यूटर चालू करना, कैसे प्रोग्राम को आगे बढ़ाना, तुरंत उसने शुरू कर दिया। अब ये उसके परिवार के लिए एक नई आशा ले करके आया है। एक नया विश्‍वास लेकर के आया है और इसलिए हमारी कोशिश यह है कि इन व्‍यवस्‍थाओं के माध्‍यम से हमारे समाज में ये जी करो़ड़ों की तादाद में हमारे परिवारजन हैं इनकी हमें चिंता करनी है।

मैं समाज के नाते भी ये बात अपने दिल से कहना चाहता हूं खास करके जिन परिवारों में मानसिक रूप से दुर्बल बच्‍चे पैदा होते हैं। बहुत कम लोगों को ये कल्‍पना होगी। उस परिवार में मां-बाप का जीवन कैसा होता है। बाहर वालों को अन्‍दाज बहुत कम आता है। अगर परिवार में एक ऐसा बच्‍चा पैदा होता है तब उस मां बाप की उम्र तो होती है 25 साल, 30 साल, 35 साल। जीवन के सारे सपने पूरे होने अभी बाकी होते हैं। लेकिन एक दो साल की उम्र होते ही बालक में एक प्रकार की कमी महसूस होती है। आपने देखा होगा कि उस बालक के मां और बाप और घर में अगर दादा-दादी है तो वो सबके सब अपने जीवन के सारे सपनों को समाप्‍त कर देते हैं। अपनी सारी इच्‍छाओं को मार देते हैं। अपनी पूरी शक्ति, क्षमता जो भी हो उस बालक की सेवा में खपा देते हैं। परिवार में और दो-तीन बच्‍चे होंगे, उसको जितना प्‍यार देते हैं उससे अनेक गुना प्‍यार इस बच्‍चे को वो देते हें। उनके मन में ये भाव होता है कि ईश्‍वर ने हमें एक कसौटी पर कसा है, हमें ईश्‍वर ने जो कसौटी पर कसा है पूरा होगा। लेकिन समाज के नाते हमने सोचना होगा कि जिस परिवार में ईश्‍वर ने इस प्रकार के बालक को जन्‍म दिया है क्‍या उसी परिवार की ये जिम्‍मेवारी है। मेरी आत्‍मा कहती है नहीं। इस परिवार को परमात्‍मा ने इसलिए चुना है कि शायद उस परिवार पर उसका भरोसा है कि ये इस बच्‍चे को संभालेंगे। लेकिन समाज के नाते हम सबका दायित्‍व रहता है कि बालक भले उनकी कोख से पैदा हुआ हो, बालक भले उस घर में पल-बढ़ रहा हो, लेकिन समाज की एक सामूहिक जिम्‍मेवारी होती है ऐसे बालकों की चिंता करने की और इसलिए हमारी सरकार इसी मनोभाव से, इसी भूमिका से, हमारे इस प्रकार के बालकों की चिंता विशेष रूप से कर रही है। आपको जान कर हैरानी होगी जब भी अंतर्राष्‍ट्रीय खेलकूद होती है हमारे बच्‍चे शारीरिक रूप से औरों की तुलना में न इतनी ऊंचाई है, न इतना वजन होता है, उसके बावजूद भी गोल्‍ड मैडल ले करके आते हैं। इस प्रकार के बालकों की जो ओल‍म्पिक होती हैं, सब गोल्‍ड मैडल ले करके आते हे। और मैं हर वर्ष कोशिश करता हूं इस प्रकार के आए हुए बालकों से मिलने का मेरा लगातार प्रयास रहता है। हमें प्रेरणा देते हैं, वो जब इस प्रकार की विजय प्राप्‍त करके आते हैं, उन्‍हें पता होता है, उन्‍होंने देश के लिए क्‍या पाया है, गर्व से कहते हैं और कभी-कभी तो मैंने देखा है, कि वो जो ट्रॉफी ले करके आते हैं जीत करके, ट्रॉफी ले करके आते हैं तो मेरे हाथ में पकड़ा देते हैं, और उनको लगता है कि आपको देना है। मैं कहता हूं नहीं, आप लोग लेकर आए हैं आपको ले जाना है। तो वो कहते हैं, अपने इशारों में समझाते हैं, कि आपके लिए लाए हैं। जब मैं गुजरात में था मन को छू जाने वाली घटनाएं घटती थीं। ये जो शक्ति है, इसको मैं दिव्‍यांग के रूप में देखता हूं। ये भारतमाता का भी दिव्‍यांग है। हर बच्‍चा जिसके जीवन में भाव आया है वो भी हमारे लिए दिव्‍यांग है। उस रूप में हम इसको आगे बढ़ाना चाहते हैं।

आने वाले दिनों में, अभी-अभी हमने एक बड़ा, एक महत्‍वपूर्ण काम उठाया है सुगम्‍य भारत। दुनिया में इस विषय में बड़ी जागरूकता से काम हुआ है। हमारे यहां संवेदना होती है, sympathy होती है, रास्‍ते में कोई जाता है तो हम मदद करने के लिए सब कुछ करते हैं, लेकिन व्‍यवस्‍थाएं विकसित करने का लोगों का थोड़ा स्‍वभाव कम है। और इसलिए हमारे मकान हों, हमारे रेल हों, हमारे बस हों, उसमें ऐसे लोगों को जाना हो, तो उनको ऐसी सुविधा मिलती है जैसी हम जैसे शरीर से हर प्रकार से सक्षम लोगों को मिलती है। अब ये कठिनाई है और इसलिए हमने तय किया है कि एक माहौल बनाएंगे, नया बिल्डिंग बनेगा, भले शायद पूरे जीवन भर एक ही व्‍यक्ति आएगा जिसको tricycle में आना पड़ता है। लेकिन हम वहां व्‍यवस्‍था विकसित करेंगे उसको कोई दिक्‍कत न होगा ले जाने की विकसित करेंगे। धीरे-धीरे हमें आदत डालनी पड़ेगी। इतना बड़ा देश है, ये काम करने में समय लगता है, लेकिन अगर हम शुरूआत करें, जैसी अभी सरकार ने शुरू किया है। भई कम से कम सरकारी भवनों में तो तय करें। अब जितने सरकारी भवन बनेंगे, उसमें इस प्रकार के लोग जो होंगे, उनके लिए अलग Toilet होगा, अलग उनके पास Toilet का सीट होगा, उनको अंदर आने के लिए अलग ramp होगा। ये व्‍यवस्‍थाएं धीरे-धीरे हमें विकसित करनी हैं।

पिछले दिनों एक अभियान के रूप में काम लिया है, हर department को sensitize कर दिया जा रहा है कि भई इतने दिन जो हुआ सो हुआ, अब हम कुछ करेंगे। आप देखिए हर जगह पर उनको विशेष हम priority देंगे और सब सरकारें भी इस पर ध्‍यान देंगी, जहां कानूनी बदलाव लाना होगा कानूनी बदलाव लाएंगे, जहां पर नियमों से व्‍यवस्‍थाएं बदली जा सकती हैं, नियमों को बदलेंगे, लेकिन ये चीजें करने का हम अवश्‍य प्रयास करेंगे, और हमने इस बात को धीरे-धीरे आगे बढ़ाना है। और आप देखिए जब उसको लगेगा कि हां मेरे लिए भी जाने के लिए अच्‍छा रास्‍ता बना हुआ है, उसको महसूस होगा कि हां इस समाज में मेरा भी एक विशेष स्‍थान हे। ये उसका confidence level बढ़ा देगा। वो रोता नहीं है, उसको तो हमसे भी तेज गति से ट्रेन चढ़ जाने की ताकत है उसकी। लेकिन अगर व्‍यवस्‍था विकसित होगी, उसको लगेगा एक समाज मेरे प्रति संवेदनशील है। ये भाव जगाने का प्रयास और व्‍यवस्‍थाएं विकसित करने का प्रयास सरकार की तरफ से चल रहा है।

आने वाले दिनों में इन सारी चीजों का उपयोग मैं समझता हूं एक नई क्षमता पैदा करने के लिए, एक नया विश्‍वास पैदा करने के लिए, एक नया सामर्थ्‍य पैदा करने के लिए होती रहेगी। मैं फिर एक बार श्रीमान गहलोत जी को, कृष्‍णपाल जी को, सांपला जी को, क्‍योंकि तीनों हमारे मंत्री इस विभाग को देखते हैं, जिस लगन के साथ इस काम को वो भक्तिपूर्वक कर रहे हैं और आज मेरे काशी क्षेत्र के लिए जिन्‍होंने मुझे चुन करके भेजा है, उनके लिए आप लोगों ने इतनी मेहनत की, लगातार आप लोग यहां आए, और हमारे इन सारे भाई-बहनों को आपने जो ये व्‍यवस्‍था पहुंचाई है इसलिए मैं विशेष रूप से हमारे इन तीनों मंत्रियों का भी अभिनंदन करता हूं। उनके विभाग के अधिकारियों का भी अभिनंदन करता हूं कि उन्‍होंने इस ठंड के बावजूद भी इस काम को आगे बढ़ाया।

जो मेरे दिव्‍यांग भाई-बहन यहां आए हैं, बहुत लौग हैं, जो शायद मुझे सुन पाते होंगे लेकिन देख नहीं पाते होंगे; बहुत ऐसे होंगे जो मुझे शायद देख पाते होंगे लेकिन सुन नहीं पाते होंगे, उसके बावजूद भी मेरे इस मनोभाव को उन तक पहुंचाने की आज व्‍यवस्‍था तो की है लेकिन मैं उनको विश्‍वास दिलाता हूं कि आप किसी से कम नहीं हैं और हम होगे कामयाब इस मंत्र को ले करके आगे बढ़ना है। मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामना है। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Prime Modi addresses the Indian community in Oman
December 18, 2025

Prime Minister today addressed a large gathering of Indian community members in Muscat. The audience included more than 700 students from various Indian schools. This year holds special significance for Indian schools in Oman, as they celebrate 50 years of their establishment in the country.

Addressing the gathering, Prime Minister conveyed greetings to the community from families and friends in India. He thanked them for their very warm and colorful welcome. He stated that he was delighted to meet people from various parts of India settled in Oman, and noted that diversity is the foundation of Indian culture - a value which helps them assimilate in any society they form a part of. Speaking of how well Indian community is regarded in Oman, Prime Minister underlined that co-existence and cooperation have been a hallmark of Indian diaspora.

Prime Minister noted that India and Oman enjoy age-old connections, from Mandvi to Muscat, which today is being nurtured by the diaspora through hard work and togetherness. He appreciated the community participating in the Bharat ko Janiye quiz in large numbers. Emphasizing that knowledge has been at the center of India-Oman ties, he congratulated them on the completion of 50 years of Indian schools in the country. Prime Minister also thanked His Majesty Sultan Haitham bin Tarik for his support for welfare of the community.

Prime Minister spoke about India’s transformational growth and development, of its speed and scale of change, and the strength of its economy as reflected by the more than 8 percent growth in the last quarter. Alluding to the achievements of the Government in the last 11 years, he noted that there have been transformational changes in the country in the fields of infrastructure development, manufacturing, healthcare, green growth, and women empowerment. He further stated that India was preparing itself for the 21st century through developing world-class innovation, startup, and Digital Public Infrastructure ecosystem. Prime Minister stated that India’s UPI – which accounts for about 50% of all digital payments made globally – was a matter of pride and achievement. He highlighted recent stellar achievements of India in the Space sector, from landing on the moon to the planned Gaganyaan human space mission. He also noted that space was an important part of collaboration between India and Oman and invited the students to participate in ISRO’s YUVIKA program, meant for the youth. Prime Minister underscored that India was not just a market, but a model for the world – from goods and services to digital solutions.

Prime Minister conveyed India’s deep commitment for welfare of the diaspora, highlighting that whenever and wherever our people are in need of help, the Government is there to hold their hand.

Prime Minister affirmed that India-Oman partnership was making itself future-ready through AI collaboration, digital learning, innovation partnership, and entrepreneurship exchange. He called upon the youth to dream big, learn deep, and innovate bold, so that they can contribute meaningfully to humanity.