Text of PM's speech at Parivartan Rally in Bhagalpur, Bihar

Published By : Admin | September 1, 2015 | 15:44 IST
People of Bihar have decided to vote for development, vote to change the fortune of the state: PM Modi
14th Finance Commission has stated Bihar will get a Rs. 3.74 crore package from Centre's reserves: PM Modi
People of Bihar cannot be misled by spreading lies: Narendra Modi #PrivartanRally
States must compete among themeselves and with the Centre for development: PM Narendra Modi #PrivartanRally
Bihar with its energetic youth and historic tradition will prove to be the growth engine of India: PM Modi

भारत माता की जय, भारत माता की जय!

मंच पर विराजमान एनडीए के सभी वरिष्ठ नेतागण और विशाल संख्या में आये हुए भागलपुर के मेरे प्यारे भाईयों और बहनों

हमे आपने सभी के प्रणाम करै छिए! आपने सबके आशीर्वाद चाहिए

भाईयों-बहनों, ये कर्ण राज्य भूमि है। मेरी एनडीए की ये चौथी रैली हो रही है लेकिन मैं कह सकता हूँ कि एक से बढ़कर एक... और आज भागलपुर ने सारे विक्रम तोड़ दिये। न सिर्फ़ एनडीए की रैलियों के विक्रम तोड़े हैं बिहार में गत कई वर्षों की जो रैलियां हुई हैं, उन सारी रैलियों के रिकॉर्ड आपने तोड़ दिए हैं। जो पॉलिटिकल पंडित हैं, वे भली-भांति हवा का रूख पहचान लेंगे। जनता-जनार्दन का मिज़ाज क्या है, ये लोग पहचान लेंगे। मैं साफ़ देख रहा हूँ 25 साल के बाद पहली बार बिहार की जनता-जनार्दन विधानसभा में विकास के लिए वोट करने का संकल्प कर चुकी है और विकास के लिए सरकार बनाने का निर्णय कर लिया है।

भाईयों-बहनों, अब इस विकास यात्रा को कोई रोक नहीं सकता। कितने ही दल इकट्ठे हो जाएं, कितने ही नेता इकट्ठे हो जाएं, कितने ही भ्रम फैलाए जाएं, कितने ही झूठ चलाए जाएं, कितने ही धोखे दिए जाएं लेकिन अब बिहार की जनता विकासशील बिहार बनाने के लिए, एक प्रगतिशील बिहार बनाने के लिए, रोजगार देने वाला बिहार बनाने के लिए, किसानों का कल्याण करने वाला बिहार बनाने के लिए, माताओं और बहनों की रक्षा करने वाला बिहार बनाने के लिए, ये बिहार के लोग वोट करने वाले हैं। आप मुझे बताईये, ये चुनाव विधानसभा का है कि नहीं है? ये चुनाव बिहार की सरकार चुनने के लिए है कि नहीं है? यहाँ से चुनकर के जो विधायक जाएगा, वो बिहार की सरकार बनाएगा कि नहीं बनाएगा? जो बिहार में सरकार बनेगी, वो बिहार का भला करने के लिए बनानी है कि नहीं बनानी? मुझे बताईये, अगर चुनाव बिहार विधानसभा का है...25 साल से जिन लोगों ने बिहार में राज किया है, उनलोगों को 25 साल के अपने काम का हिसाब देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए? क्या काम किया, ये बताना चाहिए कि नहीं? कैसे किया, वो भी बताना चाहिए कि नहीं? जनता-जनार्दन के सामने अपने काम का हिसाब देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए?

भाईयों-बहनों, मैं आपको वादा करता हूँ कि 5 साल के बाद 2019 में जब लोकसभा का चुनाव आएगा, मैं फिर से आपके पास वोट मांगने के लिए आऊंगा और जब 2019 में आऊंगा तो दिल्ली में मेरी सरकार ने क्या काम किया है, पाई-पाई का हिसाब दूंगा, पल-पल का हिसाब दूंगा। लोकतंत्र में जो सरकार में बैठे हैं, उनकी जिम्मेवारी बनती है कि वे 25 साल तक सरकार में रहने के बाद उन्हें अपने काम का हिसाब देना चाहिए। लेकिन आपने देखा होगा कि ये अपना हिसाब तो दे ही नहीं रहे हैं। बिहार का क्या हाल किया? विकास क्यों नहीं आया? रास्ते क्यों नहीं बने? बिजली क्यों नहीं आई? इसका जवाब नहीं दे रहे हैं और जवाब मोदी का मांग रहे हैं। मुझे बताईये कि मेरे से जवाब लोकसभा के चुनाव में मांगने चाहिए कि नहीं चाहिए? मुझे लोकसभा के चुनाव में जवाब देने चाहिए कि नहीं देने चाहिए? मैं जनता-जनार्दन का सेवक हूँ मेरा दायित्व बनता है कि जब लोकसभा का चुनाव आए तो मुझे आपको हिसाब देना चाहिए और मेरे काम के आधार पर आपसे वोट मांगने चाहिए लेकिन ये सरकार में बैठे लोग अपने काम का और कारनामों का हिसाब देने के लिए तैयार नहीं हैं।

मैं बिहार की जनता से आग्रह करता हूँ कि जो सरकार में बैठे हैं, वो अगर आपसे वोट मांगने आएं तो आप उनको सवाल कीजिये कि आपने वादा किया था कि 2015 में अगर मैं बिजली न दूं तो मैं वोट मांगने के लिए नहीं आऊंगा। ये कहा था? उन्होंने बिजली देने का वादा किया था? बिजली आई? बिजली मिली? वो आये कि नहीं आये? वादा तोड़ा कि नहीं तोड़ा? आपसे वादाखिलाफी की कि नहीं? अरे जो आज आपसे वादाखिलाफी करते हैं, वे आगे तो पता नहीं क्या-क्या करेंगे और इसलिए इनके 25 साल का हिसाब चाहिए बिहार के नौजवान को... आज से 25 साल पहले जिसका जन्म हुआ होगा, वो पूछ रहा है कि मुझे पढ़ने के लिए यहाँ से कोलकाता क्यों जाना पड़े, दिल्ली क्यों जाना पड़े? वो पूछ रहा है – रोजी-रोटी कमाने के लिए मुझे बिहार छोड़ने के लिए मजबूर क्यों होना पड़े? ये सवाल आपके सामने खड़े हैं लेकिन ये जवाब नहीं दे रहे हैं।

अभी दो दिन पहले पटना में गाँधी मैदान में एक तिलांजलि सभा हुई। उस सभा में राम मनोहर लोहिया जी को तिलांजलि दे दी गई; उस सभा में जय प्रकाश नारायण जी को तिलांजलि दे दी गई; उस सभा में कर्पूरी ठाकुर को तिलांजलि दे दी गई। राम मनोहर लोहिया और उनके सारे चेले-चपाटे जीवनभर कांग्रेस के खिलाफ़ लड़ते रहे। देश को बचाने के लिए जेलों में भी सत्याग्रह करके पहुँचते रहे लेकिन उन्हीं के चेले सत्ता और स्वार्थ के लिए, सत्ता की भूख के लिए राम मनोहर लोहिया जी को छोड़कर के परसों गाँधी मैदान में उनलोगों के साथ बैठे थे जिनका राम मनोहर लोहिया जी ने जीवनभर विरोध किया था। ये कौन से सिद्धांत हैं आपके? ये कौन सी नीतियां हैं?       

भाईयों-बहनों, जय प्रकाश नारायण ने गाँधी के मैदान में संपूर्ण क्रांति का बिगुल बजाया था। जय प्रकाश नारायण जी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लड़ाई छेड़ी थी और कांग्रेस पार्टी एवं कांग्रेस की सरकार ने जय प्रकाश नारायण जी को जेल में बंद कर दिया था। पूरे हिन्दुस्तान को जेलखाना बना दिया था और जय प्रकाश जी की जेल में ऐसी हालत कर दी गई कि वो बीमार हो गए और फिर कभी जय प्रकाश जी का स्वास्थ्य ठीक नहीं हुआ और हमें जय प्रकाश जी को खोना पड़ा। मैं इन लोगों को पूछना चाहता हूँ कि जो लोग जय प्रकाश जी की उंगली पकड़ के राजनीति के पाठशाला में आये थे और अब तक जय प्रकाश जी के गीत गाते-गाते अपनी राजनीति करते रहे थे, उन्होंने परसों जय प्रकाश नारायण जी को भी तिलांजलि दे दी। वो उनलोगों के साथ बैठे जिन्होंने जय प्रकाश नारायण जी को जेल के अन्दर बंद करके रखा जिससे उन्हें गंभीर प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हुई। और इसलिए मैं कहता हूँ कि परसों की उनकी सभा एक प्रकार से जय प्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, कर्पूरी ठाकुर, इन महापुरुषों को तिलांजलि देने की रैली थी। जिन्होंने जय प्रकाश नारायण की तिलांजलि दी, जिन्होंने राम मनोहर लोहिया की तिलांजलि दी, जिन्होंने कर्पूरी ठाकुर की तिलांजलि दी, उनकी तिलांजलि आप करोगे? पक्का करोगे? चुनाव में बटन दबा करके अब इनकी तिलांजलि करने का समय आ गया है।

मैं सोच रहा था कि गाँधी मैदान में एक से बढ़कर एक लोग बैठे थे (किस चीज में ‘बढ़कर’ के थे, इसकी व्याख्या आप करना, मैं नहीं करूंगा) लेकिन सब एक से बढ़कर एक थे और मुझे लगता था कि बिहार में चुनाव की उनकी इतनी महत्वपूर्ण रैली है, जरुर बिहार के भविष्य के बारे में बताएंगे; बिहार के नौजवानों के भविष्य के बारे में बताएंगे; बिहार में गुंडाराज की मुक्ति के लिए बताएंगे; लेकिन भाईयों-बहनों, न सिर्फ़ बिहार निराश हो गया बल्कि पूरा हिन्दुस्तान निराश हो गया कि उस सभा में बिहार कैसा बने, बिहार को आगे कैसे ले जाया जाए; इसके विषय में कोई चर्चा नहीं हुई, कोई योजना नहीं बनी। मतदाताओं ने वोट क्यों देना चाहिए, इसके लिए कोई मुद्दे पेश नहीं किये गए इसके बदले किया क्या गया? सबका एक ही कार्यक्रम था – मोदी – मोदी – मोदी – मोदी – मोदी – मोदी। मैं सोच रहा था कि एनडीए की सभाओं में या विदेशों में तो नौजवान मोदी – मोदी करते हैं लेकिन मैं हैरान था कि ये भी मोदी – मोदी कर रहे हैं। भाईयों-बहनों, चुनाव बिहार विधानसभा का, चुनाव में बिहार में 25 साल जिसने राज किया, उन्हें हिसाब देना था लेकिन वे उन 25 साल के अपने कारनामे का हिसाब देने के लिए तैयार नहीं थे, अपने कारोबार का हिसाब देने को तैयार नहीं थे।

भाईयों-बहनों, मुझे एक बात की ख़ुशी है और मैं चाहूँगा कि आने वाले चुनाव में ये मेरी ख़ुशी बरकरार रहे। मेरी ख़ुशी की बात यह है कि जब मैंने आरा में 1.25 लाख करोड़ रुपये का पैकेज घोषित किया और 40,000 करोड़ रुपये, जो आगे से काम की योजना बनी है उसे भी आगे बढ़ाने का निर्णय किया। कुल मिलाकर के बिहार को केंद्र सरकार के खजाने से 1.65 लाख करोड़ रुपये का पैकेज हमने घोषित किया। दो-तीन दिन तक तो हमारे पैकेज का मजाक उड़ाते रहे, बाल की खाल उधेड़ते रहे लेकिन बिहार की जनता के गले उतार नहीं पाए। उनको लगा कि मोदी ने जो 1.65 लाख करोड़ का पैकेज घोषित किया है, उसके खिलाफ़ बोलने से तो बिहार की जनता हमारा मुंह भी नहीं देखेगी। 3-4 दिन चलाया, बयानबाजी की, झूठी बातें फैलाई, लंबी-लंबी प्रेस कांफ्रेंस की, भांति-भांति के आंकड़े बोल दिए लेकिन बिहार की जनता, शायद हिन्दुस्तान में सबसे तेज और बुद्धिमान लोग कहीं हैं तो बिहार के धरती पर हैं और वो ये खेल समझ गए और इसलिए उनको लगा कि अब कुछ और करना पड़ेगा। उन्होंने क्या किया; जिन मुद्दों पर मुझे गालियां दे रहे थे, खुद को भी 2 लाख 70 करोड़ रुपये का पैकेज लेकर के आना पड़ा। आना पड़ा कि नहीं आना पड़ा? अब मोदी तक कैसे पहुंचे, इसलिए करना पड़ा कि नहीं करना पड़ा?

मुझे ख़ुशी इस बात की है कि बिहार में विकास चुनाव का मुद्दा बनना चाहिए। मुझे ख़ुशी इस बात की है कि चाहे यूपीए के लोग हों, चाहे एनडीए के लोग हों, दोनों अपनी-अपनी तरफ से बिहार का भला कैसे करेंगे, वो मुद्दे लेकर आएं। चुनाव में यही आवश्यक है और मुझे ख़ुशी यह है कि 25 साल तक जिन्होंने जातिवाद और संप्रदायवाद का जहर फैलाया, उनलोगों को मजबूरन पैकेज लेकर आना पड़ा है। मुझे बताईये, इससे बिहार का लाभ होगा कि नहीं होगा? मोदी पैकेज लाए, बिहार का लाभ होगा कि नहीं होगा? बिहार की सरकार पैकेज लाए तो भी बिहार का लाभ होगा कि नहीं होगा? अब चुनाव सही दिशा में आया कि नहीं आया? विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ना चाहिए कि नहीं लड़ना चाहिए? नौजवान को रोजगार देने के लिए चुनाव लड़ना चाहिए कि नहीं लड़ना चाहिए? गुंडाराज को ख़त्म करने के लिए चुनाव लड़ना चाहिए कि नहीं लड़ना चाहिए? रास्ते बनाने के लिए चुनाव लड़ना चाहिए कि नहीं लड़ना चाहिए? स्कूल खोलने के लिए चुनाव लड़ना चाहिए कि नहीं लड़ना चाहिए? उनको मजबूरन विकास के रास्ते पर आना पड़ा और इसलिए मैं तो चाहता हूँ कि केंद्र सरकार और राज्यों के बीच विकास की प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए, राज्य और राज्यों के बीच विकास की स्पर्धा होनी चाहिए लेकिन अभी भी जनता से धोखा करने का लोगों का स्वभाव नहीं जाता है, जनता की आँख में धूल झोंकने की लोगों की आदत नहीं जाती है।

मैं आंकड़े बताना चाहता हूँ आप घर-घर मेरी ये बात पहुँचाओगे, हर किसी को समझाओगे। आज बिहार में हर वर्ष विकास का जो बजट होता है, वो है 50-55 हजार करोड़ जो एक साल का होता है अब मुझे बताईये कि 5 साल का कुल कितना होगा? 2.5 लाख करोड़ होगा कि नहीं होगा? अगर 55 हजार करोड़ है तो 2 लाख 70 हजार करोड़ पहुँच जाएगा कि नहीं पहुँच जाएगा? इसका मतलब हुआ ये हुआ कि आपका जो वार्षिक बजट है, जो already अभी चल रहा है, पिछले साल भी था, उसके पिछले वाले साल भी था; उसी का 5 गुना करके आपने बिहार की जनता की आँखों में धूल झोंकने का काम किया है।

अब मैं दूसरी बात बताता हूँ। आप चौंक जाओगे भारत सरकार और राज्यों के बीच धन का आवंटन कैसे हो, उसके लिए एक फाइनेंस कमीशन होता है भारत सरकार राज्य सरकार को कितना पैसा देगी, ये फाइनेंस कमीशन उसका फैसला करता है। 14वां फाइनेंस कमीशन, उसने जो कहा है उसके हिसाब से बिहार को 5 साल में भारत सरकार की तिजोरी से 3 लाख 74 हजार करोड़ रूपया मिलने वाला है, करीब-करीब पौने चार लाख करोड़ रूपया दिल्ली से पूरे 5 साल में मिलने वाला है। और ये मेरा 1.65 लाख करोड़ का जो पैकेज है, उससे अलग है वो 1.65 लाख करोड़ का पैकेज अलग, फाइनेंस कमीशन से 3 लाख 74 हजार करोड़ रुपये आने वाले हैं बिहार की तिजोरी में।

अब मुझे बताओ, जरा ध्यान से सुनिये, केंद्र सरकार के ख़जाने से, 3 लाख 74 हजार करोड़ तो वहां से आने वाला है और आप पैकेज दे रहे हो 2 लाख 70 हजार करोड़ मतलब यह कि आपका अपना तो कुछ नहीं, बिहार की जनता से जो टैक्स आता है उससे कुछ नहीं। दिल्ली से जो आएगा 3 लाख 74 हजार करोड़, उसमें से भी 2 लाख 70 हजार करोड़; अब ये बताईये कि ये 1 लाख 4 हजार करोड़ कहाँ जाएगा? भाईयों-बहनों, जरा पूछना पड़ेगा कि भारत सरकार का 3 लाख 74 हजार करोड़ आने वाला है, आप 2 लाख 70 हजार करोड़ कह रहे हो तो ये 1 लाख 4 हजार करोड़ क्या चारे के लिए लगाया जाएगा क्या... क्या ये चारे की खाताबही में डाला जाएगा क्या? मुझे बताईये, ये बिहार के साथ धोखा है कि नहीं है? ये बिहार की आँख में धूल झोंकी गई कि नहीं झोंकी गई? बिहार के लोगों को मूर्ख बनाया गया कि नहीं बनाया गया? सत्ता के नशे में चूर लोग समझ लें कि आप बिहार के बुद्धिमान लोगों को कभी मूर्ख नहीं बना पाओगे।

भाईयों-बहनों, मुझे आज एक बात ये भी कहनी है कि मैं चाहता हूँ कि विकास के मुद्दे पर चर्चा हो। देश में और विकास के आधार पर...स्वास्थ्य को लेकर के बिहार का क्या हाल है, हेल्थ सेक्टर में बिहार का क्या हाल है, मैं उसका खांका आपके सामने रखना चाहता हूँ। गरीब से गरीब लोगों को बीमारी में मदद मिले, इसके लिए कम्युनिटी हेल्थ सेंटर (सीएचसी) होते हैं। हम जानते हैं कि हर वर्ष हर राज्य ये सीएचसी बढ़ाने के प्रयास करते हैं ताकि गरीबों को बीमारी में दवाई मिल जाए, डॉक्टर मिल जाए, मदद मिल जाए लेकिन जरा बिहार का चित्र देखिये।

हमारे देश में सीएचसी की संख्या 3300 से बढ़कर 5300 हुई है। देश में करीब 2000 सीएचसी बढ़े हैं। राजस्थान में पहले 326 सीएचसी थे, वो 567 हो गए अर्थात करीब 200 से ज्यादा बढ़ गए; मध्यप्रदेश में 229 से बढ़कर 334 हो गए; छत्तीसगढ़ में 116 से बढ़कर 157 हो गए; लेकिन आपको ये जानकर धक्का लगेगा कि गरीबों के लिए सीएचसी होता है, हिन्दुस्तान के गरीब से गरीब राज्य ने भी उसकी संख्या बढ़ाई लेकिन बिहार में 2005 में 101 सीएचसी थे जो 2014 आते-आते 70 हो गए। बताईये, ये गरीबों की सेवा है क्या? ये गरीबों की बीमारी की चिंता करते हैं क्या? और इतना ही नहीं, पैसों की भी कोई कमी नहीं है भारत सरकार ने आरोग्य विभाग के लिए, स्वास्थ्य के लिए बिहार सरकार को जो पैसे दिये थे, उसमें से 521 करोड़ रूपया ये खर्च नहीं कर पाए। अब मुझे बताईये, पैसे हों उसके बावजूद काम न हो, ऐसी सरकार को निकालना चाहिए कि नहीं निकालना चाहिए? ऐसी सरकार को हमेशा के लिए हटाना चाहिए कि नहीं हटाना चाहिए? गरीब को दवाई मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए?

आजकल हमें एक ताना मारा जा रहा है कि मोदीजी को 14 महीने के बाद बिहार की याद आई। भाईयों-बहनों, जिन्हें सच बोलने की आदत नहीं है, उनके लिए मुझे ये बात बतानी जरुरी नहीं लगती लेकिन मुझे बिहार की जनता को अपने काम का हिसाब देना चाहिए। कहते हैं कि हमें बिहार की याद नहीं आई। भाईयों-बहनों, जब नेपाल में भूकंप आया और मुझे लगा कि इस भूकंप का असर बिहार में भी हुआ होगा तो मैं पहला व्यक्ति था जिसने बिहार के मुख्यमंत्री को फ़ोन किया कि भूकंप की स्थिति में आपकी क्या सहायता करूँ। उन्होंने कहा, मोदीजी मैं तो दिल्ली में हूँ, मुझे अभी तो कोई जानकारी नहीं है। मैंने बिहार के हर जिले में फ़ोन किया, एनडीए के हर नेता को फ़ोन किया; सबको दौड़ाया। मैंने कहा कि ये भूकंप का असर बिहार के नेपाल से सटे हुए जिलों में हो सकता है, तुरंत पहुँचिये। इतना ही नहीं मेरी सरकार के मंत्रियों को बिहार के हर जिले में भेजा जबकि बिहार की सरकार ने क्या किया, वो आप जानते हैं। भूकंप के कारण जिनको मुसीबत आई है, उनकी चिंता करने का काम सिर्फ़ केंद्र सरकार ने नहीं, प्रधानमंत्री ने खुद किया था।

इतना ही नहीं, पिछले वर्ष हमारी सरकार नई-नई बनी थी। नेपाल में कोसी नदी के ऊपर एक पहाड़ ढह आया, नदी बंद हो गई और लगा कि वहां पानी भरता जाएगा और जिस दिन ये पहाड़ खिसकेगा, पूरा पानी कोसी की ओर बढ़ेगा और ये पूरा इलाका फिर से एक बार तबाह हो जाएगा। केंद्र सरकार पहली थी या प्रधानमंत्री पहला था जिसने सबसे पहले एनडीएमसी के कार्यकर्ता, जो disaster management का काम करते हैं, उन्हें तुरंत भेजा। नदी के किनारे के गाँव खाली करवाये; लोग मानने को तैयार नहीं थे, उन्हें समझाया; नेपाल सरकार को समझाने के लिए दिल्ली से अफसर भेजे ताकि वो पानी तुरंत निकाल जाए, वो पहाड़ जो गिरा है, वो निकल जाए और कोसी के गांवों को बर्बाद होने से बचा लिया जाए। आज मैं नतमस्तक होकर कहता हूँ कि ये समय से पहले जागने के कारण, बिहार के प्रति प्रेम होने के कारण मेरे कोसी इलाके को दुबारा डूबने से बचा लिया।

और इतना ही नहीं, जब मांझी जी मुख्यमंत्री थे और गाँधी मैदान में भगदड़ हो गई; कुछ लोग मारे गए मैं पहला व्यक्ति था जिसने तुरंत बिहार के मुख्यमंत्री जी को फ़ोन किया था। और तब वो हमारे साथ नहीं थे मैंने उनसे पूछा कि कैसा हादसा हुआ है; आपको क्या मदद चाहिए, मुझे तुरंत बता दीजिए मैं आपको मदद पहुंचाता हूँ। बिहार को जो भूले ही नहीं हैं तो याद आने का सवाल कहाँ उठता है। याद तो उनको आती है जो भूल जाते हैं, सत्ता के नशे में खो जाते हैं, सिर्फ़ कुर्सी याद रहती है, उन्हें बिहार की कभी याद नहीं आती है।

हमें कहते हैं कि बिहार की याद नहीं आती। हमने बजट में आर्थिक पैकेज, इनकम टैक्स में रियायत की घोषणा की थी ताकि ये स्पेशल arranangement के तहत बिहार में उद्योग लगे, आर्थिक विकास हो, बिहार के नौजवान को रोजगार मिले। बजट में घोषित किया था और यह बिहार सरकार की जिम्मेदारी थी कि वो अपने राज्य में कौन से backward district हैं, उनकी सूची बनाकर के केंद्र सरकार को दें। मार्च महीने में बजट आया और मई महीने तक बिहार सरकार ने किसी जिले का नाम हमें नहीं दिया। देना चाहिए था कि नहीं देना चाहिए था? दिल्ली से योजना बनी है तो फ़ायदा लेना चाहिए कि नहीं लेना चाहिए? आपके लिए जो स्पेशल arranangement हुआ है, उसका फ़ायदा लेना चाहिए कि नहीं लेना चाहिए? ये बिहार सरकार सोई पड़ी है। आखिर में मई महीने में मेरी सरकार ने दिल्ली से चिट्ठी लिखी कि बजट में हमने प्रावधान किया है, बिहार में हमें backward district को फ़ायदा देना है, उद्योग लगाने के लिए इनकम टैक्स में मदद करनी है, आप नाम तो दो। आपको जानकर दुःख होगा, मई महीने में चिट्ठी लिखी लेकिन 21 जिलों का नाम देते-देते अगस्त का आखिरी दिन आ गया। अगस्त के आखिरी सप्ताह में इन्होंने जिले के नाम दिये। मुझे बताईये, बिहार के लिए मांग कर रहे हो, जो देते हैं उसका तो उपयोग नहीं कर पाते हो, कैसे बिहार के लोगों को रोजगार दोगे।

और इसलिए मेरे भाईयों-बहनों, आज मैं आपसे आग्रह करने आया हूँ कि विकास की ऊंचाईयों पर जाने की ताकत वाला बिहार, तेजस्वी नौजवानों से भरा हुआ बिहार, महान ऐतिहासिक परंपराओं से सुसंस्कृत हुआ बिहार... आज देश आपसे कुछ मांग रहा है। सारे देश को लगता है कि बिहार एक बार आगे निकाल गया तो हिन्दुस्तान दुनिया में आगे निकाल जाएगा। इसलिए मैं आपसे आग्रह करने आया हूँ कि भाजपा और हमारे एनडीए के साथियों को इस चुनाव में भारी बहुमत से विजयी बनाईए, विकास के लिए वोट दीजिए, बिहार का भाग्य बदलने के लिए वोट दीजिए और आप जैसा चाहते हो, वैसा बिहार बनाने के लिए वोट दीजिए। इसी एक अपेक्षा के साथ मेरे साथ बोलिये...

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!   

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India has always played the role of the first responder for Maldives: PM Modi
October 07, 2024

Your Excellency, President Muizzu,
Delegates of both the nation,
Our Friends from Media,.

Namaskar to all!

First of all, I would like to extend a warm welcome to President Muizzu and his delegation.

India and Maldives share relations that spans centuries.

And India is the Maldives' closest neighbour and a steadfast friend.

The Maldives holds a significant place in both our 'Neighbourhood First' policy and the 'SAGAR' vision.

India has consistently acted as the first responder for the Maldives.

Be it essential commodities for the people of the Maldives, providing drinking water during natural disasters, delivering vaccines during the COVID pandemic, India has consistently upheld its responsibilities as a neighbour.

And today, to provide strategic direction to our mutual cooperation, we have adopted the vision of "Comprehensive Economic and Maritime Security Partnership”.

Friends,

Development partnership is a key pillar of our relationship.And we always give preference to the priorities of Maldivian people in this context.

This year SBI has rolled over USD 100 million of Treasury Bills for Maldives. Today, as per the need of Maldives, a currency swap agreement of USD 400 million and INR 3000 crore (INR 30 billion) has also been concluded.

We have discussed about comprehensive cooperation for infrastructure development in the Maldives.Today, we inaugurated a runway at the Hanimadhoo International Airport.Now, the ‘Greater Male’ Connectivity Project will also be expedited. Support will also be provided in the development of a new commercial port in Thilafushi.

Today, over 700 social housing units constructed with India’s assistance have been handed over.Water and sewerage projects have been completed on 28 islands of the Maldives.Work on six other islands will soon be completed.These projects will ensure supply of clean water to thirty thousand people.

Assistance will also be provided in setting up Agriculture Economic Zone in "Haa Dhaalu” and fish processing facility in "Haa Alifu”.

We will also work together in the fields of oceanography and blue economy.

Friends,

To strengthen our economic ties, we have decided to initiate discussions on a Free Trade Agreement. We will also work on trade settlements in local currencies.

We have also focused on digital connectivity.Earlier today, the RuPay card was launched in the Maldives. In future, we will work to connect India and the Maldives through UPI as well.

We have discussed opening a new Indian consulate in Addu and a new Maldivian consulate in Bengaluru.

All these initiatives will strengthen our people-to-people ties.

Friends,

We have engaged in comprehensive discussions on various aspects of defence and security cooperation.

The Ekatha Harbor project is progressing swiftly.

We will continue our cooperation in training and capacity building of the Maldives National Defence Forces. Together, we will strive for stability and prosperity in the Indian Ocean Region.We will enhance our cooperation in hydrography and disaster response.

We also welcome Maldives joining the Colombo Security Conclave as a founding member.

Climate Change poses a big challenge for both the countries. In this regard, India is prepared to share its expertise in solar energy and energy efficiency with Maldives.

Excellency,

Once again, I welcome you and your delegation to India. Your visit is adding a new chapter to our relationship. We will continue to provide all possible support for the progress and prosperity of the people of Maldives.

Thank you very much.