PM Modi addresses the National Conference on Sustainable Agriculture and Farmers Welfare in Gangtok, Sikkim
PM Narendra Modi lauds Sikkkim for their progress in organic farming sector
It has been agreed by all nations that we have to change our lifestyle. We cannot exploit nature. We have to live in harmony with nature: PM
Sikkim is a state where the environment is protected and at the same time it is scaling new heights of development: PM
Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana instills confidence in the farmers. We should integrate as many farmers as possible with this scheme: PM

म भारतको प्रधानमंत्री भएर सिक्किम राज्य को यों पहिलो भ्रमण हो। सिक्किमका मानिसहरु सोझा र साधारण रहेछन। यहाँको वातावारण अति सुंदर, पवित्र र शांतिपूर्ण छ। यहाँ को स्वच्छ पर्यावरण, विविद-वन-सम्पदा, जैविकता अनि सुंदर वातावरणमा म मोहित भएं।

यहांको जैविक खेतिको विषयमा मैले धेरे कुरा सुने। आज सुन्दर सुनखरी,बहुरंगी फूलहरकों दर्शन भयो अनि म अतिनै हर्षित भऍ। देशमा सिक्किम एउटा नमुनाको राज्य हुन सकछ।

आज हमने प्रारंभ में सिक्किम के भूतपूर्व राज्‍यपाल श्रीमान रामाराव को श्रद्धांजलि दी। रामाराव से मेरा बड़ा गहरा परिचय रहा। एक साथी कार्यकर्ता के रूप में मुझे उनके साथ काम करने का अवसर मिला। सहज व्‍यंग विनोद उनकी प्रकृति में था। आंध्र प्रदेश विधान परिषद में लम्‍बे अरसे तक उनका मार्गदर्शन मिलता रहा। कुछ दिनों से उनका स्‍वास्‍थ्‍य ठीक नहीं था। कल मकरसक्रांति के बाद ही हमारे बीच से विदाई हो गई। सिक्किम में पांच साल वो रहे। सिक्‍कम को उन्‍होंने अपना बना लिया। मैं उनके प्रति आदर पूर्वक श्रद्धांजलि प्रेषित करता हूं।

मैं पवन जी जब मेरी तारीफ कर रहे थे। तो मैं भी दुविधा में था कि यह क्‍या हो रहा है। जब तक मेरा नाम नहीं बताया, मुझे लग रहा था कि किसी और के लिए कह रहे हैं। लेकिन जब अचानक मेरा नाम आया तो मैं चौक गया। लेकिन बाद में समझ आया कि इतनी तारीफ क्‍यों हो रही थी। लेकिन आपने देखा होगा सामान्‍य रूप से किसी समारोह में जाते हैं, कहीं पर तो जो होस्‍ट होते हैं, वो मुफत में थोड़े बुलाते हैं। लेकिन पवन जी ने जितनी बातें रखी, उसमें राज्‍य को रुपये दो, इतने पैसे दो ऐसी कोई बात नहीं रखी। यह बहुत बड़ी बात है। उन्‍होंने कहा कि जनजातियों के लिए क्‍या चाहिए, किसानों के लिए क्‍या चाहिए। यहां की जनजातियों को कौन सा हक चाहिए। यह राज्‍य प्रगति कर रहा है, उसका मूल कारण है पवन जी की यह सोच। वरना तो जितने संकट हम कल्‍पना करें, वो सारे संकट यहां मौजूद हैं, प्राकृतिक कठिनाईयां बेशुमार है। अगर सिक्किम के लोगों को या सिक्किम के शासकों को शिकायत करनी हो, रोना-धोना हो, हजारों बातें हैं, लेकिन यह सुखिस्‍तान है, यहां रोना-धोना होता नहीं है। 


पहाड़ी मन है, हिमालय जैसी ऊंचाई है और वे कुछ कर-गुजरना चाहते हैं। पवन जी ने जितनी बातें कही है। भारत सरकार उसको गंभरीता से देखेगी, उसकी जांच पड़ताल करके क्‍या हो सकता है। मैं आज सरकार का मेहमान हूं यह निमित है, पवन जी का मेहमान हूं यह निमित है। दरअसल मैं आज सिक्किम के लाखों किसानों का मेहमान हूं। और मैं आज यहां अकेला नहीं आया हूं। मैं देश के करोड़ों किसानों की आशा ले करके आया हूं। यहां पर जब पवन जी ने मुझे कहा कि एक organic state के रूप में घोषित करना है, लेकिन आप आइये। मैंने कहा मैं अकेला आऊंगा घोषित करूंगा, इससे क्‍या फर्क पड़ेगा। मैंने कहा कि मैं सारे हिंदुस्‍तान के कृषि मंत्रियों को बुलाऊंगा। देश के सभी कृषि सचिवों को बुलाऊंगा। दो दिन जहां इतना बड़ा कृषि यज्ञ किया है, ऐसे ऋषि तुल्य किसानों को इस पवित्र भूमि में हमारे सब लोगों को प्रेरणा मिले, तो दो दिन इस प्रकार से चिंतन भवन में एक प्रकार से मंथन हुआ है, मनन हुआ है, जो देश के कृषि जगत में किस प्रकार से बदलाव लाया जा सके इसकी गहराई से चर्चा हुई है। जो पांच presentation आए। आपने देखा होगा कि पहले क्‍या परंपरा थी, यह कोई कृषि मंत्रियों की मीटिंग पहली बार नहीं हुई है, हर वर्ष होती है, लेकिन विज्ञान भवन में आना, अपनी बात बताना और चले जाना। यही ज्‍यादातर होता था। शायद पहली बार हुआ होगा कि दो दिन कृषि मंत्री और कृषि सचिव एक साथ रहे होंगे। बैठ करके बातें की, चर्चाएं की, Group discussion किये और निश्चित विषयों पर की है। और उसमें से उन्‍होंने कुछ actionable चीजें निकाली है। suggestions निकाले हैं।

कुछ short term हैं, कुछ long term, कुछ कानूनी व्यवस्था से जुड़े हुए हैं, कुछ financial resources की बातें हैं, कुछ नए vision से जुड़े हुए हैं। यानि एक प्रकार से बदले हुए कालखंड में कृषि जीवन को कैसे देखे जाए। देश का गांव, देश का किसान, देश की कृषि, देश का कृषि उत्पादन। इन विषयों को टुकड़ों में देखने से कभी देश का भला नहीं होगा, हमें उसे समग्रता में देखना होगा और समग्रता में देखने के इरादे से, ये मंथन हुआ है और उसमें से कई महत्वपूर्ण सुझाव उभरकर के आए हैं। मुझे विश्वास है आने वाले दिनों में राज्य सरकारों की agriculture की road map में और भारत सरकार के agriculture के vision में ये कहीं-कहीं reflect होंगे। जो राज्यों के प्रतिनिधि आए हैं उनके प्रयासों से, राज्यों के आने वाले बजट में भी ये प्रतिबिंबित होंगे और जो बातें यहां हुई उसके प्रकाश में राज्य में छोटे-छोटे group meeting करें, seminar करें, संबंधित लोगों को बिठाएं और हो सकता है ये जो 5 presentation हुए, सारे मुद्दे हर राज्य को लागू नहीं होंगे लेकिन उसमें वो राज्य क्या-क्या कर सकता है। 50 बातें आई होंगी, हो सकता है वो 20 कर पाए। हो सकता है कि किसी को लगता है 10 इस साल, 10 अगले साल, 10 और एक साल के बाद लेकिन कोई न कोई कार्यक्रम इसमें से उभर करके आने चाहिए, योजना बननी चाहिए और एक प्रकार से Sikkim declaration के रूप में ये चीजें याद रहनी चाहिए। कृषि क्षेत्र में निराशा के लिए बहुत कारण हैं।

अनुभवों की ऐसी भरमार है कि उसमें नया विश्‍वास पैदा करना, चुनौती है तो भी उस चुनौती को स्‍वीकार करना ही है। सिक्किम एक उदाहण है। उदाहरण इस अर्थ में है कि जब यहां पर 2003 में विचार रखा गया होगा, जैविक खेती का तो क्‍या विरोध नहीं हुआ होगा क्‍या। क्‍या किसानों ने शिकायतें नहीं की होगी क्‍या। जब 10 किसान जैविक की तरफ गए होंगे और प्रांरभ में थोड़ा घाटा भी हुआ होगा। तब पड़ोस वाला भरपूर fertilizer डाल करके उसे डबल पैदावर करके उसे दिखा देता होगा कि देख तू तो मर रहा है, मैं जी रहा हूं। हर किसान का मन डुल गया होगा, जिसने तीन में प्रयोग किया होगा उसने सोचा होगा कि यार अब अगली बार नहीं करना है यह मुख्‍यमंत्री जी तो कहते हैं, उनको कहां खेती करनी है। खेती तो हमें करनी है। ऐसे कई निराशा के पल आए होंगे, कई आशंका के अवसर पैदा हुए होंगे, इस रास्‍ते को छोड़ करके फिर पुराने रास्‍ते पर लोटने की इच्‍छा भी हुई होगी, आर्थिक संकट भी झेलने पड़े होंगे, लेकिन उसके बावजूद भी सिक्किम के उन लाखों किसानों को मैं नमन करता हूं कि उन्‍होंने अपनी राह छोड़ी नहीं, चाह छोड़ी नहीं और जो राह नहीं छोड़ता, चाह नहीं छोड़ता, वो जीवन में कुछ पा करके रहता है। और आज दुनिया पूरी सिक्किम के लिए ताली बजाती होगी।

एक लम्‍बे अरसे की तपस्‍या का परिणाम है। एक दशक तक बिना रूके, बिना थके इस बात को मानना उसके पीछे खपे रहना यह छोटा काम नहीं है जी। अब अपने घर में भी परिवार में तय करो कि यह दो चीजें करेंगे| सामान्‍य दो चीजें इतना तय करो कि हर दिन शाम को साथ में बैठ करके परिवार के साथ खाना खाएंगे। नहीं निभा पाओगे। परिवार के सब लोग एक साथ शाम को बैठ करके खाना खाएंगे, यह निर्णय करेंगे, 10 साल लगातार पूरा नहीं कर सकते। कहीं-कहीं तो रूकावट आ जाएगी। यह सिक्किम के किसान है, जिन्‍होंने करके दिखाया। शायद एक कारण यह भी हो जिस आधुनिकता की हवा में हम लोग फंसे हैं यहां पर आप जैविक पवन की प्रेरणा पा रहे हैं। और यह पवन अब सिक्किम तक सीमित नहीं है, यह जैविक पवन पूरे देश में फैलने वाला है। Holistic health care यह सब मनुष्‍य के मन में अब यह विचार घर करने लगा है।

भी फ्रांस में ग्‍लोबल वार्मिंग की चिंता करने के लिए दुनिया के सारे देश इकट्ठे आए थे। Environment की चिंता कर रहे थे। ग्‍लेशियर पिघल रहे हैं, उसकी चिंता कर रहे थे। पूरा पर्यावरण बदल रहा है, बिगड़ रहा है। बर्बाद हो रहा है, यह चिंता का विषय था। कई बातें हुई। लेकिन इसमें एक paragraph बड़ा महत्‍वपूर्ण है और वो paragraph है back to basic का। दुनिया के सब देशों ने मिल करके कहा है कि हमें हमारी life style बदलनी पड़ेगी। जो पहले माना नहीं जाता था, वरना मनुष्‍य मानता था कि इस प्रकृति को लूटने का हमें हक मिला है। यह हमारे लिए ही सब कुछ। पहली बार COP21 में दुनिया ने मिल करके कहा कि जी नहीं प्रकृति के साथ प्रेम का नाता चाहिए। प्रकृति के साथ जीने का सीखना पड़ेगा। सिक्किम ने वो उदाहरण करके दिखाया है। कभी विकास और Environment का एक conflict है ऐसे चर्चा होती है। आशंका पैदा की जाती है कि development होगा तो Environment नष्‍ट होगा। सिक्किम दुनिया के लिए एक मॉडल है कि जिसमें पर्यावरण का पूरा protection होता है और development की भी नई ऊंचाईयों को पार किया जा सकता है।

मुझे बराबर याद है पवन जी ने गैंगटोक में मालरोड है न आपका, मैन रोड.. है.. गांधी मार्ग, उस पर उन्‍होंने vehicle बंद किए थे। बड़ा तूफान खड़ा हो गया था, बहुत साल पहले की बात है शायद। वो अडिग रहे और आखिरकार लोगों ने इस बात को मान लिया और आज वो गांधी रोड़ पूरे गैंगटोक की शोभा बन गया है। लोग गर्व करने लग गए हैं। इन दिनों स्‍वच्‍छता का अभियान चल रहा है, वो भी पर्यावरण से जुड़ा है, मैं गैंगटोक को, सिक्किम को और मुख्‍यमंत्री जी को बधाई देता हूं कि अभी-अभी जो रेटिंग कर रही है, भारत सरकार इन दिनों बराबर उसके पीछे लगी है। देश में जो पहले 10 नंबर आए, पूरे देश में, जिसमें बड़े-बड़े शहर हैं। बंगलौर है, दिल्ली है, जयपुर है, उदयपुर है सब बड़े-बड़े हैं, इतने बड़े शहरों के बीच गंगटोक ने दसवां नंबर प्राप्त किया। ये छोटी स्थिति नहीं है और Himalayan States में, पर्वतीय राज्यों में गंगटोक ने नंबर एक प्राप्त किया। मैं उनको बधाई देता हूं इस काम के लिए और यहां की जनता को बधाई देता हूं। जिन्होंने स्वच्छता को स्वभाव बनाया है।

मैंने सुना कि 20वीं सदी में कोई प्रधानमंत्री यहां आए थे, जो रात को रुके थे, 21वीं सदी में मैं आया हूं, रात को रुकूंगा। हमारे देश के कृषि जगत के विकास के लिए जैविक खेती का एक आकर्षण तो बना है। किसान भी प्रयोग करने के लिए तैयार है। लेकिन छिटपुट प्रयोगों से वो पहले भी चलते होंगे, छिटपुट प्रयोगों से परिवर्तन अहसास नहीं होता। मैं राज्यों से जो प्रतिनिधि आए हैं, उनसे मैं आग्रह करता हूं कि जब दुनिया में जैविक उत्पादन की बड़ी मांग है कृषि उत्पादन की, एक बहुत बड़ा मार्केट है और एक प्रकार से zero cost कृषि की तरफ जाने का जो अभियान कुछ लोग चलाते हैं, उसके अनुकूल भी है। हम रणनीतिक दृष्टि से, strategically राज्य का कोई एक district पकड़े। पहले तय करें कि एक district को पूरी तरह जैविक करेंगे। अगर district करने की ताकत नहीं तो एक block पकड़ें, तालुका बोलते होंगे, block बोलते होंगे, जो बोलते होंगे। जिसमें 100, 125, 150 गांव हो, एक पूरा इलाका पकड़ें और एक बार उस पूरे इलाके को करके दिखाएं। ये कार्यक्रम बड़ा लम्बा चलता है क्योंकि इसमें एक साल अगर fertilizer या prestige का उपयोग नहीं किया तो बात बनती नहीं है, इसकी एक लंबी प्रक्रिया है और उसके special arrangement कर-करके, किसानों को guide करना, उनको जो आश्यकता है वो provide करना और उनके marketing तक की व्यवस्था को खड़ा करना। अगर एक block या district सफल हो गया तो बाकि जगह पर अपने-आप होना शुरू हो जाएगा और किसान का स्वभाव है, किसान लेक्चरबाजी से काम नहीं करता है। कितने ही बड़े agriculture university के scientist आकर के उसको भाषण दें, कोई फर्क नहीं पड़ता है लेकिन वो अगर खुद आंख से देखे तो उसको किसी के भाषण की जरूरत नहीं पड़ती, वो करना शुरू कर देता है। Seeing is believing ये किसान का nature है। उसने एक बार देखा, वो detail में जाएगा, समझेगा और उसका विश्वास बन गया तो वो चल पड़ता है फिर उसको कोई रोक नहीं सकता है।

मैं चाहूंगा राज्यों से जो हमारे साथी आए हैं, वो कोई न कोई strategy तय करें, तय करें कि हमें किस दिशा में जाना है। दूसरी बात है आपने काफी crop insurance की बड़ी तारीफ की लेकिन ये भी मानना पड़ेगा कि crop insurance इतने सालों से चर्चा में है, किसान भी उसकी चर्चा, चिंता करता है लेकिन 20 percent से ज्यादा किसान इससे जुड़ा नहीं है, ये स्थिति हमें बदलनी है। हम अभी इतना तय कर सकते हैं कि हम कम से कम 50 प्रतिशत पर जाएंगे। हमारे राज्य में जितने किसान है, उसमें से कम से कम आधे किसान crop insurance से जुड़ें, ये हम कर सकते हैं, संकल्प करके करें और उसके कारण भारत की तिजोरी पर खर्च बढ़ने वाला है लेकिन वो खर्च बढ़ते हुए भी किसान को जो आज नई बीमा, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना आई है, वो किसान को एक विश्वास देती है। कई नई चीजें ऐसी जोड़ी गईं है, जो उसको रोजमर्रा की मुसीबतें थी, जो पहले count नहीं होती थीं। insurance company पर भी दबाव पैदा किया जा रहा है कि ये रास्ता है, आपको किसानों के साथ इस प्रकार से करना होगा। मैं आशा करता हूं कि crop insurance के काम में इसको जोड़ें। स्वच्छता को मैं कृषि के साथ जोड़ना चाहता हूं। Waste to wealth, हमारे यहां जो bio waste है उसमें से fertilizer कैसे बने, व्यापक रूप से fertilizer कैसे बने और ये fertilizer हमारे किसानों को कैसे मुहैया कराया जाए, उसका branding हो, मैं तो चाहूंगा कि सिक्किम भी जो organic चीजें उत्पादित करता है, उसको एक name का branding करना चाहिए। आज उन्हें तीन फूलों को नाम देने थे, दो को उन्होंने कहा कि आप दीजिए, एक मुख्यमंत्री ने कहा, मैं खुद दूंगा। मैंने जो दो नाम दिए, एक दिया सरदार, सरदार वल्लभ भाई पटेल की याद में दिया और दूसरा नाम दिया दीनदयाल, दीनदयाल उपाध्याय जी की शताब्दी का वर्ष है, उनके लिए दिया था, दीनदयाल। लेकिन उन्होंने दूसरा ही नाम दे दिया। मैं आभारी हूं सिक्किम सरकार का, आपने इतना बड़ा सम्मान दिया लेकिन मुझे फूल जैसा नाजुक मत बनने देना। कांटों के बीच गुजारा किया है, कांटों के बीच गुजारा करना है लेकिन जहां जरूरत हो, वहां फूल जैसी कोमलता के साथ दुखी, दरिद्रों के आंसू पोंछने के काम आ जाए ये जिंदगी, इससे बड़ा क्या सौभाग्य हो सकता है।

कृषि क्षेत्र में, हमने एक आमूलचूल कुछ चीजें किसानों को बदलाव कि दिशा में सोचना होगा। एक बात सही है कि उत्पादन के बाद की व्यवस्था, वैज्ञानिक करेंगे तो किसान को फायदा होने ही वाला है। हमारे यहां जो wastage है उसको रोकेंगे, किसान को फायदा होने वाला है और market के संबंध में यहां काफी चर्चा हुई, bank finance के संबंध में काफी चर्चा हुई, technology के संबंध में काफी चर्चा हुई है। इन सारी बातों का महत्व है और उसको आगे करना भी है लेकिन किसान को भी कई चीजों में हमें जोड़ना पड़ेगा। अब जैसे soil health card है, यहां पर आय़ा soil health card में ये-ये मुसीबतें हैं। देखिए soil health card एक प्रकार से जनांदोलन के रूप में परिवर्तित करना चाहिए। आज से 30 साल पहले कोई Doctor आपको blood test कराने के लिए कहता था क्या, नहीं कहता था, urine test के लिए कहता था, नहीं कहता था। आज कोई भी Doctor के पास जाओ पहले कहता है भई पहले ये report ले आओ। अच्छा उस Doctor के पास उस एक testing की laboratory है, नहीं है। गांव में कोई और है जो laboratory चलाता है। आप testing करवाते हैं, report लेकर जाते है और वो तय करता है क्या बीमारी है। soil health के लिए ऐसी laboratories का network क्यों खड़ा न हो, देश में नौजवान soil health laboratory के उद्योग में क्यों न आए, Entrepreneur क्यों न बने और ये कोई ऐसी technology नहीं है कि जो कोई कर न सके। skill development जो भारत सरकार है, उसमें हम इसको करने वाले हैं कि soil health के लिए skill develop हो, soil health परीक्षण करने वाले जो लोग हो और गांव-गांव ऐसी छोटी-छोटी laboratory क्यों न बनें। मैंने ये भी कहा जो हमारे school-colleges हैं, जिस school-college में laboratory है। विज्ञान का प्रवाह होगा तो laboratory होगी। मार्च महीने से जून महीने तक हमारे यहां करीब-करीब स्कूलें बंद रहती हैं, छुट्टियां रहती हैं, कुछ इलाकों में नहीं रहती हैं, जहां पर मौसम अलग होता है, कुछ जगह पर अलग समय होता है लेकिन ज्यादातर हिंदुस्तान में मार्च महीने से जून-जुलाई तक स्कूल बंद रहती हैं। क्या उस समय हम स्कूल को, स्कूल की उस लैब को soil testing lab में convert कर सकते हैं, उस स्कूल को भी कमाई होगी। जो 10वीं, 12वीं के विद्यार्थी हैं या college के student हैं, उनको भी vacation में कमाई होगी और किसान उसको पता होगी कि इस प्रकार से नमूना लेकर के जाना है, वहां जाऊंगा, 3 दिन में मुझे report मिल जाएगी। ये इस प्रकार से हमें model विकसित करना पड़ेगा। हम ये आज चाहें, कर रही है सरकार और इस वर्ष का जो लक्ष्य था, उसमें काफी काम हुआ है लेकिन इतने से बात अटकनी नहीं है क्योंकि हर दो साल में जमीन अपना स्वभाव बदलती है, गुण-दोष में परिवर्तन आता है, हर दो साल में जमीन की जो परत होती है, उसमें परिवर्तन आता है और इसलिए हर दो साल में soil testing अनिवार्य हो जाता है। भले point five percent फर्क आता होगा लेकिन फर्क तो आता ही है। इतना बड़ा काम करना है तो नए Entrepreneur चाहिए। मैं अभी ये Start-Up के लिए नौजवानों से मिला था, उसके पहले भी मैं कुछ Start-Up वालों से मिला था, छोटी meeting में एक बार मिला था। मैं उनको कहा कि आप किसान mobile phone क्यों नहीं बनाते हो। आजकल ऐसे मशीन आते हैं कि आप अपने घर में blood test कर सकते हो, blood थोड़ा रखा तो उस पर report आ जाती है, sugar level क्या है, क्या ऐसे mobile phone नहीं निकल सकते हैं कि जिसकी screen पर मिट्टी रखे तो तुरंत report आना शुरू हो जाए, ये सब संभव है, technology बदल रही है, ये Start-Up वाले कर सकते हैं। किसान mobile phone क्यों न हो, उसके अंदर सारे software किसान से जुड़ी हुई हर चीज उसके अंदर हो, उसको ये जो हम लोग आज ये mobile phone इस्तेमाल करते हैं, उसको उसकी कहां जरूरत है, बिल्कुल फालतू में जगह रोककर के बैठ जाता है, उसको वो चीजें देखनी नहीं है जी। उसको तो weather report देखना है, उसको तो बाजार भाव देखने हैं, उसको तो फसल की variety देखनी है, fertilizer की समझ पानी है, कौन सी चीज कहां मिलती है और कौन सी चीज कहां बिकती है, वो चीज चाहिए, समस्या है तो कहां पूछूं, क्या पूछूं, ये चाहिए और मैं मानता हूं कि अगर आज जो Start-Up की दुनिया में हमारे नौजवान आए हैं, वो इस दिशा में सोचें कि मेरे देश के गरीब से गरीब किसान, अनपढ़ किसान भी, उसके हाथ में mobile phone के द्वारा वो अपनी समस्याओं का समाधान कर सकता है और जो technology की चर्चा यहां हुई, वो technology वहां से संभव है और ये जो मैं बातें कर रहा हूं, कोई कठिन काम नहीं कह रहा हूं, आज विज्ञान जिस गति से आगे बढ़ रहा है, ये सब संभव है और बहुत बड़ा मार्केट है।

पूरे दुनिया में जितना उनका mobile का मार्केट होगा, उतना मार्केट उनको अकेला हिंदुस्तान में मिल जाएगा, किसानों में। हम technology को, सब कुछ करना है, लोगों को जोड़कर के कैसा किया जा सकता है। अगर लोगों को जोड़कर के हम करें, हम कर सकते हैं। अभी मैंने कुछ कंपनी के लोगों से बात की। मैंने कहा कि भई हमारे यहां जो फल की खेती करने वाले किसान हैं, फल की उम्र ज्यादा होती नहीं है और पहाड़ों में या खेतों में दूर बड़ी मेहनत से, पहाड़ों में तो ज्यादा फल होते हैं, उसको मार्केट आते-आते तक 20 percent, 30 percent तो खराब हो जाते हैं और हम लोग pepsi पीने की fashion हो गई, coca cola पीने की fashion हो गई, अरबों-खरबों रुपए की ये aerated water बिक रहे हैं। मैंने उन कंपनियों को बुलाया, मैंने कहा भई ये आप इतनी सारी चीजें करते हो क्या ये प्रयोग करो ना, 5 percent ज्यादा मैं नहीं कह रहा हूं, 5 percent natural fruit का juice उसमें mix क्यों नहीं करते हो। अगर ये हमारे aerated water बेचने वाले लोग 5 percent natural fruit juice mix कर दें, हिंदुस्तान के किसान का एक भी फल बेकार नहीं जाएगा, मार्केट तुरंत मिल जाएगा, मार्केट तुरंत मिल जाएगा। हमारे यहां इतने सारे फूल हो रहे हैं। यहां से मार्केट जाते-जाते कितने फूले हैं जो बहुत कम फूले हैं जो बचेंगे, ये अच्छा है सिक्किम में कुछ फूले ऐसे हैं जिसकी उम्र बहुत लंबी भी है और मैं आज जब देखा फूलों का प्रदर्शनी, कुछ फूल हैं जिनकी कीमत 3 हजार रुपए है। 3-3 हजार रुपए कीमत है इन फूलों की, अनेक प्रकार की fragrance है। आज दुनिया में fragrance का बहुत बड़ा market है और उनको भी organic चीजें चाहिए। अगर organic चाहिए तो raw material में फूल चाहिए और फूल मार्केट में पहुंचाना है तो quick व्यवस्था चाहिए और इसलिए सिक्किम में airport बनाना है। कुछ लोगों को लगता है सिक्किम में airport, tourism बढ़ेगा। सिक्किम में airport बनने से tourism तो बढ़ेगा लेकिन सबसे बड़ा फायदा होगा perishable good को यहाँ कार्गो से उठाकर के फटाफट दुनिया के बाजार में ले जाया जा सकता है, रोज यहां से विमान भर-भरकर के फल और फूल जा सकते हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, सिक्किम जो सुखिस्तान है, सुखिस्तान कहां से कहां पहुंच सकता है। देश को सुखिस्तान में बदल सकता है और इसलिए हमने बदलाव जो लाने हैं infrastructure होगा तो किसान के market की जो requirement है, उसको ध्यान में रखकर के होगा।

अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना दी वो सिर्फ गांव में गाड़ियां जाएं इसलिए नहीं है, गांव में जो पैदावार होती है वो तुरंत बाजार में पहुंचे इसके लिए है वो काम, उसको हम आगे बढ़ा रहे हैं। दूर-सुदूर interior में कैसे ये व्यवस्था बने उस दिशा में काम कर रहे हैं तो अगर एक तरफ airport बनाने की कल्पना है तो दूसरी तरफ गांव की वो सड़क बनाने की भी कल्पना है। मंडी को e-board पर लाने की कल्पना है। e-network क्यों न हो हमारी मंडी का और e market की व्यवस्था हो जाएगी, उसको proper platform मिलेगा तो जो नौजवान किसान मैदान में आया है इन दिनों और ये अच्छी बात है कि हमारे देश की young generation वापस कृषि में रुचि लेने लगी है। बीच में 20 साल का ऐसा समय गया कि किसान छोड़ रहा था चीजें, वो वापिस लौट रहा है, उसको हम ला सकते हैं। हम किसान को कुछ चीजों में guide कर सकते हैं क्या, कृषि को प्रमुखतया तीन हिस्सों में बांट सकते हैं एक वो जो रेगुलर खेती करता है, परपंरागत खेती करता है वो। दूसरा, वो पेड़ की खेती करें Tree वृक्ष की खेती करें। हमारा देश आज इतना टिम्‍बर import करता है , फर्नीचर के लिए इतना टिम्‍बर import करता है। अगर हमारे देश के किसान को खेत के किनारे पर, जहां उसकी जमीन पूरी होती है वहां अगर वो टिम्‍बर लगाता है और 20 साल के बाद उसका पेड़ बड़ा हो जाता है उसको काटने का अधिकार दिया जाए और बैचने का अधिकार दिया जाए। अगर उसके घर में बेटी पैदा हुई हो और टिम्‍बर के दो पेड़ लगा दे तो बेटी की शादी करनी होगी उस दो पेड़ में से शादी का खर्चा निकल जाएगा। क्‍यों न हम हमारे किसान को टिम्‍बर की खेती के लिए प्रेरित करें। तीसरी बात है, animal husbandry, one-third उसकी एक पूरी व्‍यवस्‍था का हिस्‍सा पशु पालन करें चाहे फिशरिज का करें चाहे poultry का रके। यह उसका हिस्‍सा है और सहज रूप से वो by product के रूप में मिल सकता है। यह तीन हिस्‍सों में one-third, one-third, one-third किसान के काम में फोकस करेगा तो एक-आध बार फसल खराब हो जाएगी तो animal husbandry से गुजारा चल जाएगा। कभी टिम्‍बर से गुजारा, विशेष अवसर आएं तो निकल जाएगा। कभी हमारे किसान को असहाय होने की नौबत नहीं आएगी। अब यह दो चीजें और करने जैसी नई निकली हैं, जिस पर सोचा जा सकता है कुछ किसानों ने प्रयोग किया है।

एक तो हम लोग क्‍या करते हैं कि दो खेतों के बीच में जो division करते हैं। किसी न किसी कारण से यह खेत वाला भी एक मीटर जमीन खराब करता है और वो खेत वाला भी एक मीटर, दो मीटर जमीन करीब-करीब हर दो खेत में बीच में खराब हो रही है। हमारे देश में यह स्‍वभाव कैसे बना पता नहीं। आशंकाओं के कारण कहीं यह घुस जाएगा, वो घुस जाएगा उसके कारण हम लोग intervene करके किसानों को यह जो wastage है अपने खेत के चौड़ाई, किनारे पर उस wastage को कैसे वो fertilize बनाए, प्रेरित करना चाहिए। दूसरा इन दिनों कई किसानों ने अपने खेत की बॉर्डर पर सोलर पैनल लगा करके बिजली का कारखाना लगा दिया है और कुछ राज्‍यों ने किसानों के द्वारा यह बिजली पैदा हो रही है वो खरीदने की व्‍यवस्‍था भी की है। यह प्रयोग ऐसे हैं कि जो किसान अपने ही खेत में अपनी जो बिजली पैदा करेगा अपना पम्‍प भी चल जाएगा उसका और ज्‍यादा बिजली होगी तो सरकार खरीद लेगी। और छोटा सा वो यूनिट लगा सकता है अपने खेत के किनारे-किनारे पर। तो बॉर्डर की बॉर्डर हो जाएगी, बिजली की बिजली हो जाएगी। और 12 महीने पैदावर होगी। हमने यह नई-नई चीजें किसान को ध्‍यान में रख करके लाने की दिशा में प्रयास करना चाहिए।

किसान को हम value addition की ओर गांव को केंद्र बना सकते हैं। एक घटना मुझे बराबर स्‍मरण है, उस समय मैं गुजरात में मुख्‍यमंत्री था। किसान को एक समस्‍या यह होती है कि ज्‍यादा फसल हो तो दाम गिर जाते हैं, कम फसल हो तो खुद भूखा मरता है। दोनो तरफ से उसको मुसीबत होती है। हमारे यहां एक इलाका है, जहां मिर्ची की खेती होती थी। हरी मिर्ची। अब वो पूरे गांव की सबकी मिर्ची बैच दे। तो मुश्किल से तीन लाख रुपये आना था। अब तीन लाख रुपये में पूरे गांव का साल कैसे निकल सकता है तो गांव में कुछ पढ़े-लिखे लोग थे थेड़े से, उन्‍होंने कहा इस बार हम मिर्ची बेचेंगे नहीं। हरी मिर्ची नहीं बैचेंगे। उन्‍होंने क्‍या किया, उसको लाल मिर्ची होने दिया। लाल मिर्ची हो करके उन्‍होंने उसमें से पाउडर बनाया। पाउडर बना करके प्‍लास्टिक की बैग में पैंकिंग किया और लाल मिर्ची का पाउडर वो बेचने लगे। जिस गांव को तीन लाख की income होनी थी वो income 18 लाख हुई। value addition हम ग्रामीण लेवल पर value addition पर बल दे सकते हैं क्‍या। छोटे-छोटे प्रयोग decentralize राज्‍य interest ले करके उसका branding की व्‍यवस्‍था करे कि भई यह ब्‍लॉक है, यह ब्‍लॉक सरसों पर यह काम कर रहा है, तो उसका यह ब्रांड होगा, इस ब्रांड से माल बिकेगा, बाजार मिल जाएगा। हम इन व्‍यवस्‍थाओं को जोड़े। अगर इन व्‍यवस्‍थाओं को जोड़ते हैं तो हम अवश्‍य बदलाव ला सकते हैं।

कृषि क्षेत्र में कई प्रगतिशील किसान है। agriculture universities जो काम करती हैं, उससे अद्भुत काम प्रगतिशील किसानों ने किया होगा। हमारे हर राज्‍य में progressive farmer का एक डिजिटल ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्म हम खड़ा कर सकते हैं? जिसमें राज्‍य के जो प्रगतिशील किसान हैं, उनके जो प्रयोग हैं, उसकी detail उस पर हो। और देश में कोई भी किसान देखना चाहे तो देख सके, university के student देखना चाहे तो देख सके। हमारी agriculture universities इस काम को लीड कर सकते हैं? Agriculture universities अपना जो climate zone देखते होंगे, उस climate zone में प्रगतिशील जो चीजें हुई हैं, उसके experience और experiments, detail में हम रख सकते हैं क्‍या? आप देखिए हम एक बहुत तेजी से क्रांति ला सकते हैं। मैं तो चाहूंगा कि सिक्किम भी एक ऑन लाइन प्‍लेटफॉर्म तैयार करें। यह ऑर्गेनिक प्रोसेस क्‍या हुआ, कैसे हुआ हर किसान अपनी कथा बताए। पूरे देश के किसान यहां आएंगे, देखेंगे।

मैंने आज उनके जो फूलों की प्रदर्शनी देखी, आजकल vertical garden की कल्‍पना है। अब vertical garden क्‍या होता है वो हमें किताब में या टीवी पर देखना पड़ता है। मैं पवन जी का अभिनंदन करता हूं उन्‍होंने vertical garden यहां पर खड़ा किया है। मैं चाहूंगा कि आप देखिए vertical garden क्‍या होता है और vertical garden को कैसे सजाया जा सकता है। और कैसे कम जगह में vertical garden को develop किया जा सकता है। अगर हम इन चीजों को प्रचारित करते हैं तो लोग उसको करने के लिए तैयार होते हैं। और इसलिए आज सिक्किम के लिए तो बड़ा महा उत्‍सव है यहां के किसानों की 12-13 साल की एक अखंड परिश्रम का आज सर्वोत्‍तम अवसर है। वो सारे किसान बधाई के पात्र हैं और देशभर से कृषि विभाग को संभालने वाले सरकारी अधिकारी और मंत्री महोदय यहां पधारे हैं। भारत सरकार के भी सारे अधिकारी मौजूद हैं यहां। एक नयी उमंग उत्‍साह के साथ, नई सोच के साथ, नये संकल्‍प के साथ यहां से हम प्रस्‍थान करें और यह सिक्किम की वादियों में जो पवन लहरा रहा है, वो पवन हमारे तक भी पहुंचे। हमारे खेतों में भी वो पवन पहुंचे। उसके लिए हम प्रयास करें।

मैं सिक्किम सरकार का इस बात के लिए आभारी हूं कि उन्‍होंने भारत सरकार का इतना बड़ा कार्यक्रम यहां आयोजित किया। मेरा भी सौभाग्‍य है कि मुझे दो दिन सिक्किम में रहने का अवसर मिला है और आपने जो प्‍यार दिया, सम्‍मान दिया इसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। बहुत बहुत धन्‍यवाद।

मुझे एक कविता कहने का मन हो रहा है | एक कविता है पुरानी ...देखिये हमारे देश में जैविक के सम्बन्ध में कैसा सोचा जाता है| हिंदी भाषी इलाके में एक कवि हुए घाघ ..उन्होंने बड़ा मजेदार लिखा है |

“खाद पड़े तो खेत, नहीं तो कूड़ा रेत ,

गोबर राखी पाती सड़े, फिर खेती में दाना पड़े |

सन के डंठल खेत छितावै, तिनते लाभ चौगुना पावै ,

गोबर मैला नीम की खली, या से खेती दूनी फली ,

वही किसानों में है पूरा, जो छोड़े हड्डी के चूरा ।"

मैं मानता हूँ कि कवि घाघ की लिखी हुयी बात आप सिक्किम वालों ने जी करके दिखाया है और इसलिए मैं सिक्किम को बहुत बहुत बधाई देता हूँ और इस समारोह को आयोजित करने के लिए बधाई देता हूँ|मैं देश भर से आये हुए महानुभावों से आग्रह करूँगा कि वह यहाँ से अच्छी चीजें लेकर के जाएँ | अपने राज्य में इसको प्राथमिकता दें , अपने राज्य में टाइम टेबल बनायें और उसको लागू करके किसानों की बेहतरी के लिए भारत का जो सपना है उसे मिल करके पूरा करें | बहुत बहुत धन्यवाद |

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PM Modi expresses heartfelt gratitude on completion of 23 years as head of government
October 07, 2024

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has expressed his heartfelt gratitude for completing 23 years as the head of a government. Shri Modi recalled his time as the Chief Minister of Gujarat and said that Gujarat emerged as a shining example of ‘Sabka Saath, Sabka Vikas,’ ensuring prosperity for all sections of society. Reflecting on the past decade, the Prime Minister said that India’s developmental strides have ensured that our country is being viewed with utmost optimism globally. He reassured the citizens he would keep working tirelessly and not rest till the collective goal of a Viksit Bharat is realised.

The Prime Minister posted a thread on X:

“#23YearsOfSeva…

A heartfelt gratitude to everyone who has sent their blessings and good wishes as I complete 23 years as the head of a government. It was on October 7, 2001, that I took on the responsibility of serving as the Chief Minister of Gujarat. It was the greatness of my Party, @BJP4India, to task a humble Karyakarta like me with the responsibility of heading the state administration.”

“When I assumed office as CM, Gujarat was facing numerous challenges - the 2001 Kutch Earthquake, before that a Super Cyclone, a massive drought, and the legacy of many decades of Congress misrule like loot, communalism and casteism. Powered by Jana Shakti, we rebuilt Gujarat and propelled it to new heights of progress, even in a sector like agriculture, for which the state was not traditionally known.”

“During my 13 years as Chief Minister, Gujarat emerged as a shining example of ‘Sabka Saath, Sabka Vikas,’ ensuring prosperity for all sections of society. In 2014, the people of India blessed my Party with a record mandate, thus enabling me to serve as Prime Minister. This was a historic moment, as it marked the first time in 30 years that a party secured a full majority.”

“Over the past decade, we have been able to address several challenges our nation faces. Over 25 crore people have been freed from the clutches of poverty. India has become the fifth largest economy and this has particularly helped our MSMEs, StartUps sector and more. New avenues of prosperity have opened for our hardworking farmers, Nari Shakti, Yuva Shakti and the poor as well as marginalized sections of society.”

“India’s developmental strides have ensured that our country is being viewed with utmost optimism globally. The world is keen to engage with us, invest in our people and be a part of our success. At the same time, India is working extensively to overcome global challenges be it climate change, improving healthcare, realising SDGs and more.”

“Much has been achieved over the years but there is still more to be done. The learnings over these 23 years enabled us to come up with pioneering initiatives which have made an impact both nationally and globally. I assure my fellow Indians that I will keep working tirelessly, with even more vigour in service of the people. I will not rest till our collective goal of a Viksit Bharat is realised.”