Consensus over GST is proving that Rashtraneeti is above Rajneeti: PM Modi

Published By : Admin | August 8, 2016 | 20:50 IST
QuoteGST is a “Great Step by Team India, a Great Step towards Transformation and a Great Step towards Transparency”: PM Modi
QuotePassage of GST Bill is a victory not for any political party, but for ethos of Indian democracy: PM Modi
QuoteConsensus over GST is proving that Rashtraneeti is above Rajneeti: PM Narendra Modi
QuoteWith GST, we intend to bring uniformity in taxation, make consumers the king: PM
QuoteGST would help reduce corruption in collection, as well as the cost of collection: PM Modi
QuoteSmall businesses will gain tremendously from GST and will feel more secure: PM
QuoteGovernment is focusing on economic and educational empowerment of the poor to mitigate poverty: PM

आज 8 अगस्त है। अगस्त क्रांति का बिगुल 8 अगस्त को बजा था और महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो इस मंत्र के साथ देश को आजादी के पूरे आंदोलन एक बहुत बड़ी तीव्रता के साथ आंदोलित किया था। और 9 अगस्त को आजादी के दीवानों पर बहुत सारे जुल्म ढाए गए थे। आज 8 अगस्त, 75 साल हो रहे हैं। उन सभी आजादी के दीवानों को स्मरण करते हुए आज 8 अगस्त को Tax Terrorism से मुक्ति… उस दिशा में एक अहम कदम हमारी संसद दोनों सदन के सभी सांसद मिलकर के एक बहुत बड़ा अहम कदम उठाने जा रहे हैं।

हमारे देश में टैक्स को लेकर के कैसी स्थिति रही है। शायद कुछ लोगों को मालूम होगा। टैक्स को लेकर के सुप्रीम कोर्ट में एक मसला आया था और विषय यह आया था कि नारियल को फल माना जाए कि सब्जी माना जाए? नारियल पर फल के आधार पर टैक्स हो कि सब्जी के आधार पर टैक्स मुक्त हो। मसला सुप्रीम कोर्ट तक चला गया। तो टैक्स की हमारी जो पुरानी परम्परा रही है। उसमें कैसे कैसे उतार चढ़ाव आये हैं। इसको समझने के लिए यह घटना अपने आप में पर्याप्त है।

मैं इस समय इस प्रकार से सभी राजनीतिक दलों का सभी राजनीतिक पार्टियों के द्वारा जो सरकारें चल रहीं हैं उन सबका धन्यवाद करने के लिए खड़ा हुआ हूं।

एक ऐसा निर्णय हम कर रहे हैं जिसमें राज्यसभा, लोकसभा, 29 राज्य और क्योंकि कोई न कोई नुमाइंदे जीत कर के आए हैं। ऐसे 90 राजनीतिक दल उन सबने एक व्यापक मंथन करके विचार मंथन करके आज हमें यहां पहुंचाया और जिसको हम कुछ समय के बाद अंतिम निर्णय के लिये मुहर लगाएंगे। और इसलिए यह बात सही है कि जन्म कोई दे, लालन पालन कोई करे।

कृष्ण को जन्म किसी ने दिया कृष्ण को बड़ा किसी ने बनाया लेकिन यह भी सही है कि ये किसी दल का किसी सरकार की विजय नहीं है। ये भारत की लोकतंत्र की उच्च परम्पराओं का विजय है। ये सभी राजनीतिक दलों का विजय है। ये पहले भी और वर्तमान सभी सरकारों योगदान से है और इसलिए कौन जीता कौन हारा इसके लिये मैं नहीं मानता हूं कोई विवाद की आवश्यकता है।

और इसलिए जीएसटी का मतलब है Great Step by Team India, जीएसटी का मतलब है Great Step Towards Transformation, जीएसटी का मतलब है Great Step Towards Transparency और इसलिए हम एक नई व्यवस्था से गुजर रहे हैं।

एक भारत -श्रेष्ठ भारत ये हम सबका सपना है। एक भारत जब हम रेलवे की तरफ देखते हैं। एक भारत की अनुभूति आती है। जब हमारे डाकखाने देखते हैं, एक भारत की अनुभूति आती है। जब हमारे ही ऑल इंडिया सिविल सर्विसेज़ को देखते हैं। एक भारत की महक आती है। हम आई पी सी, सी आर पी सी, की तरफ नजर करते हैं। तो एक भारत की हमें पहचान मिलती है। जब आज हम भारत नेट की बात करते हैं। डिजिटल इंडिया की बात करते हैं। सागर माला की बात करते हैं। ये सारे उपक्रम एक भारत है। इस भाव को बल देते हैं, ताकत देते हैं और उसी सिलसिले में आज जी एस टी वो एक नया मोती इस माला में हम पिरो रहे हैं, जो एक भारत के भाव को ताकत देता है। ये सिर्फ कर व्यवस्था नहीं है। सब राज्य और केन्द्र मिलकर के एक ऐसी व्यवस्था विकसित करे जिसमें छोटा सा छोटा राज्यो हो या बड़ा सा बड़ा राज्य हो सबको ये व्यवस्था अपनी लगे। ये एक भारत को ताकत देने वाली बात है और उस अर्थ में, मैं इसका बड़ा महत्व समझता हूं।

कभी-कभी जीएसटी को लेकर के संशय भी रहे। मैं जब मुख्यमंत्री था मेरे मन में भी बहुत संशय थे। प्रणब मुखर्जी साहब से मैंने कई बार उस पर विचार विमर्श भी किया था। और आज जीएसटी को एक मुख्यमंत्री की नजर से देखने के कारण प्रधानमंत्री बनने के बाद उन मुद्दों को Address करना मेरे लिये सरल रहा है। वो अनुभव मुझे काम आया है। और उसके कारण उस समय राज्यों जिन बातों को हम Address नहीं कर पाते थे। कुछ बातें उजागर नहीं हो पा रहीं क्योंकि कुछ बातें ओझल हो जाती हैं। ये सारी बातें इतने लंबे सामूहिक मंथन के कारण और उसमें सिर्फ मेरा ही योगदान है ऐसा नहीं है सबका योगदान है। बहुत सी कमियों को दूर करने में हम सफल हुए हैं। और ये सामूहिक मंथन का नतीजा है फिर भी यह सत्य है कि हम Perfect भी हो सकते हैं। कुछ कमी नहीं रह सकती है। आगे चलकर के कोई कमी नहीं आएगी। ऐसा गुरूर कम से कम इंसान तो नहीं कर सकता है। और इसलिए इतने सारे brain जिन्होंने कशरत की है कोशिश की है। अच्छा करने का प्रयास किया है। और उस प्रयास का परिणाम भी मिलेगा। और आज देश अनुभव कर रहा है कि एक मंच, एक मत, एक मार्ग, एक मंजिल ये मंत्र आज जीएसटी के इस सारी कोशिश में हम सबने अनुभव किया है। और इसलिए ये बात सही है कि राज्यसभा में अंक गणित में तो ये बिल संकट में आ सकता था। ये भी सही है कि राज्यों को केन्द्र के प्रति अविश्वास का माहौल था। अपने – अपने अनुभवों के कारण था। और ये सबसे बड़ी आवश्यकता थी कि राज्यों में और केन्द्र के बीच विश्वास पैदा हो। सबसे बड़ी आवश्यकता थी कि ये बात बहुमत के आधार पर निर्णय न हो। हम कतई नहीं चाहते और मैंने पहले भी इसी सदन में कहा है के लोकतंत्र ये सिर्फ बहुमत के अंक खेल नहीं हो सकता है। ये सहमति की आंकड़ा है। ये सहमति की आंकड़ा है। और जब सहमति की आंकड़ा आगे भी चलेगी। और ये हम लगातार विचार विमर्श करते रहे हैं। आज हमारे मौलवी साहब को इस बात का बहुत बुरा लगा कि इस हाउस को Junior House कहा जाता है। जो लोग इस प्रकार के शब्द प्रयोग करते हैं। उन लोगों को आपका मैसेज जरूर पहुंचेगा। वो बदलेंगे की न बदलेंगे ये कहना कठिन है लेकिन ये पहुंचेगा। लेकिन- लेकिन जब मैंने विचार विमर्श के लिये आदरणीय सोनिया जी को बुलाया था। आदरणीय मनमोहन सिंह जी को बुलाया था। एक लोकसभा से एक राज्यसभा से मैंने दोनों को बराबरी का महत्व देते हुए जीएसटी को लेकर के विचार विमर्श किया था। और इसलिये हमारी यह कोशिश रही है कि सबके सुझावों का स्वीकार करने का प्रयास किया गया है। हम जानते हैं कि एक अभूतपूर्व सहमति का माहौल पैदा हुआ है। और उसमें से एक शक्ति पैदा होती है। जो शक्ति राज्य के लिए एक बहुत बड़ी अमानत होती है। हम सब अलग-अलग राजनीतिक विचारों से जुड़े हुए हैं। राजनीति हम लोगों के ज़हन में है और हमारी बातों में है। कहीं न कहीं वो आ जाना भी बहुत स्वाभाविक है। लेकिन इस पूरे जीएसटी की चर्चा में हमने देखा कि पवित्र स्थान हममें से किसी ने इसको राजनीति का मंच नहीं बनने दिया। ये राष्ट्रीय मंच बना राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि मानते हैं।

ये भारत के लोकतंत्र के उज्ज्वल पहलुओं में से एक है। राजनीति से ऊपर राष्ट्र नीति होती है। इस बात को हम सब ने मिलकर के इसका मतलब ये नहीं कि जो प्रस्ताव हुआ है, उसमें किसी की कोई शिकायत नहीं होगी। जरूरी नहीं कि नहीं शिकायत होगी। यहां भी कुछ लोग बैठे होंगे जिनको लगता होगा कि शायद इसकी बजाय ऐसा होता तो अच्छा होता। फुल स्टोप यहां की बजाय कोमा यहां होता तो अच्छा होता। ये रहना ही रहना है। यही तो लोकतंत्र की ताकत है। लेकिन उसके बावजूद भी हम सब लोगों ने प्रयास किया है कि इसको हम आगे बढ़ाएं।

इस जीएसटी की व्यवस्था के कारण बहुत बड़ी सरलताओं की संभावना हम देख रहे हैं। आज हम जानते हैं हर राज्य में अलग-अलग भांति के फॉर्म भरना ये भरना इतना बड़ा लंबी Process होती है। और सरकारी अफसरों का भी उन कागजों को चैक करना ये uniformity भी आ जाएगी उसमें। Tax History के अंदर उसकी Processing के अंदर Tax के Rate के अंदर और इसका एक सीधा परिणाम होने वाला है। ये Message बहुत Clear जाने वाला है। Consumer is a King जीएसटी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इससे साफ Message जाने वाला है। Ultimately Consumer is a King और एक कानून एक व्यवस्था Consumer को king बनाएं, मैं समझता हूं अपने आप में एक बहुत बड़ा योगदान है।

आज इस जीएसटी के बाद मेरा अंदाज है 7 से लेकर के 11 तक अलग –अलग जो कर व्यवस्थाएं हैं। जिससे छोटे छोटे सब उद्यमी को व्यापारी को जूझना पड़ता है। इसके कारण सात से लेकर के 11, 12, 13 तक ऐसी भारी कर प्रथाएं इसके कारण समाप्त हो जाएगी। एक सरलीकरण आ जाएगा और इससे छोटे उद्यमियों को भी लाभ होगा और Consumer को सबसे ज्यादा लाभ होने वाला है। जीएसटी जो छोटे उत्पादक हैं। उनको सुरक्षा की गारंटी देता है। और हमारे देश की Economy Drive करने में ये छोटे – छोटे उद्यमकार हैं। वो एक बहुत बड़ी ताकत हैं। हम उनको जितना सुरक्षित करेंगे। उतना मैं समझता हूं कि इसके कारण बहुत लाभ होने वाला है। हम जानते हैं अर्थव्यवस्था का आगे बढ़ाने का जो भिन्न-भिन्न पहलू होंगे।

मेरी समझ में एक छोटा सा मत है कि अर्थव्यवस्था को सुचारू ढंग से चलाने के लिए अर्थव्यवस्था को तेजी से चलाने के लिए पांच बातों की ओर हम अगर ध्यान केन्द्रित करते हैं, Man, Machine, Material, Money and Minute –समय, इनका Optimum Utilization अगर ये करने में हमारी व्यवस्थाएं आगे बढ़ती हैं, तो Economy को बढ़ने के लिए और कोई नए अवसर तलाशने नहीं होंगे।

आज हम देखते हैं कि हमारी चुंगी हुई प्रथा के कारण चाहे स्टेट के बीच में जहां दो बोर्डर वहां चुंगी नाका हो। हम मीलों तक कतार देखते हैं। हमारे देश के अंदर मशीन व्हीकल और ऐसा अनुमान है कि हमारे देश में ये जो चलते फिरते साधन हैं वे अपनी Capacity का सिर्फ 40% ही Utilize करते हैं। 60% इनको कहीं न कही रुकना पड़ता है।

अभी अभी आर्थिक दृष्टि से रीसर्च करने वाली एक एंजेसी ने अपना सर्वे बताया है कि इन कारणों से भारत में एक लाख चालीस हजार करोड़ रुपयों का वेस्टेज होता है। जस्ट इनके रुके रहने के कारण । उसमें सारा का सारा भूमिका चुंगी की नहीं है। लेकिन बहुत बड़ा मात्रा सिर्फ चुंगी ही है। जीएसटी के कारण ये सारे hurdle, और प्रकार के होंगे वो तो समय रहते निकलेंगे। लेकिन उसके कारण Environment को फायदा होगा। जो गाड़ियां खड़ी रहती है, जो पेट्रोल जलता रहता है, डीजल जलता रहता है। हमारा बहुत सामान एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचने में जो देर होती है। इन सारी चीजों में एक बहुत बड़ी सुविधा पैदा होने वाली है और उसके कारण सरलीकरण आने वाला है और जिसके कारण हमारे देश को हम जो विदेशों से इतना बड़ा पेट्रोलियम लाते हैं। उस पर भी हमें कमी आएगी। और एक प्रकार से हमारे यहां सब प्रकार की शक्ति रखने वाले राज्य नहीं हैं। हर राज्य एक दूसरे के साथ उन पर इंटर डिपेन्डेंट है। किसी को एक चीज लेनी पड़ती है तो किसी दूसरे राज्य को देनी होती है। तब जाकर के उनका कारोबार चलता है। और उसमें आज की व्यवस्थाएं बड़ी हलचल पैदा करती है। इस एक व्यवस्था के कारण उसमें जो कठिनाइयां हैं, उस कठिनाइयों को दूर करने में सुविधा होगी। ऐसे राज्यों की Income बढ़ेगी।

आज जो राज्य हमारे देश में पिछड़े हुए राज्य माने जाते हैं। इस व्यवस्था के कारण उनकी आय बढ़ना ये गारंटी है इसमें। और उसके कारण इन राज्यों को शिक्षा में अगर धन लगाना है, खेल सैक्टर में अगर धन लगाना है, इन्फ्रास्ट्रक्चर में अगर धन लगाना है, तो उनके लिए इस व्यवस्था के कारण जो आय बढ़ने वाली है। उस आय से बहुत बड़ा लाभ ऐसे राज्यों को होने वाला है। और यह बात निश्चित है कि भारत के विकास के लिए पश्चिम में जिस प्रकार विकास हम देख रहे हैं। सबसे पहली आवश्यकताएं हिन्दुस्तान के पूर्वी हिस्सा उसको उसकी बराबरी में तुरंत लाना चाहिए। वरना ये असंतुलित विकास देश को तेज गति से नई ऊंचाइयों को पहुंचाने में रुकावट पैदा कर सकता है। जीएसटी के कारण ऐसे राज्यों को एक नया अवसर मिला है। और मैं आज ऐसे राज्यों से अनुरोध करूंगा कि जीएसटी लागू होने के बाद वे Maximum फायदा इसका उठाएं। जो धन उनके पास आए वो धन को राज्य की मूलभूत चीजों पर अगर बल देंगे। देखते ही देखते देश जिन सपनों को देख रहा है। उन सपनों को हम पूरा कर पाएंगे। जीएसटी के कारण ये बात सही है manufacturing states के सामने कुछ तकलीफें हैं। Consumer States को ज्यादा फायदा होने वाला है। लेकिन भारत सरकार ने जीएसटी के माध्यम से उनको compensate करने के लिए जीएसटी में इसका प्रावधान किया गया है। और इसका फायदा राज्यों को ही होने वाली है। उसका भी समाधान इसमें होने वाला है।

आमतौर पर दो भाइयों के बीच भी अगर झगड़ा हो जाता है। सगे भाई के बीच में या तो सम्पत्ति के कारण हो सकता है। राज्यों और केन्द्र के बीच का तनाव भी ज्यादातर या तो प्राकृतिक संसाधनों को लेकर के रहता है या तो सम्पत्ति को लेकर रहता है। इतना टाइम से हमें क्या देते हो जी हमें ये मिलना चाहिए हमें वो मिलना चाहिए रहता है। इस व्यवस्था के कारण एक transparency आएगी। केन्द्र और राज्य से कितना धन एकत्र हो रहा है। किस खजाने में कितना जमा हो रहा है। ये राज्य को भी पता ही होगा, केन्द्र को भी पता होगा। और किन-किन नियमों के आधार पर उसका बंटवारा भी होगा। और उसके कारण Federal Structure में सबसे बड़ी आवश्यकता होती है विश्वास। ये विश्वास पैदा करने के लिए एक बहुत बड़े catalytic Agent के रूप में ये नई व्यवस्था काम आने वाली है। जो भारत के Federal Structure को मजबूत करने वाली है। और ये जो भी टैक्स collection होगा। वो दोनों की जानकारी में होगा। जिसके कारण बहुत सुविधा बढ़ने वाली है।

अच्छा होता हमारे खडगे जी ने डील की कुछ बातों को बारीकी से देखा होता। शायद जिस समय बना होगा उस समय शायद देखने का अवसर न मिला हो। लेकिन कभी बताऊंगा।

इस जीएसटी बिल ऐसा है जिसमें गरीबों के लिए उपयोग की जितनी चीजें हैं। वो सभी टैक्स के दायरे से बाहर हैं। Consumer इन्फ्लेशन निर्धारित करने की आइटम में लगभग 55% Food और जरूरी दवाएं ये जीएसटी के बाहर हैं।

इस व्यवस्था के कारण कभी कभार कुछ चीजें कैसे फायदा करती हैं। हम लोगों को मालूम है कि हमारे देश में Revenue or fiscal deficit ये हमेशा एक रहता था फर्ज करो फिर राज्य कर्ज में डूब जाये ये चलता रहता था। और सभी ने मिलकर के एक एफआरबीएम के कानून की ओर गए। Financial discipline के लिए राज्यों ने भी उस बात को स्वीकार किया।

केन्द्र ने भी दबाव पैदा किया। और एक प्रकार से भारत में एफआरबीएम कानून के कारण रेवैन्यू एंड deficit दोनों के बीच एक तालमेलता और एक संतुलित प्रयास हुआ है। और उसके कारण राज्यों की Economy में उसकी Economy Health में एक तंदरुस्त बदलाव आया है। सकारात्मक बदलाव आया है।

इस सरकार ने कानूनन एक महत्वपूर्ण फैसला किया है। और कानूनन मैं कहा रहा हूं इसका बड़ा महत्व है। और कानूनन फैसला ये लिया है। हमारे देश में एक बड़ी चर्चा चल रही है रिजर्व बैंक की सोच एक होती है और सरकार की सोच दूसरी होती है। और हमेशा growth और Inflation की बातें एकदूसरे के साथ जोड़कर के देखी जाती हैं और हमेशा होता है कि भई Inflation है इसलिए ब्याज दर का ये स्थिति रहेगा ब्याज दर की स्थिति ये रहेगी तो Investment नहीं आएगा। Investment नहीं आएगा तो। ये सारी विवाद हम सुन के आए हैं।

पहली बार इस सरकार ने कानूनन रिजर्व बैंक के साथ कहा है। अब Inflation 4 प्रतिशत स्थिर करना चाहिए, 2 परसेंट प्लस माइनस। कानूनन कहा है। और ये 2021 तक ये रहेगा। और इसके कारण अब सब जितनी भी फाइनांस से जुड़ी हुई इंस्टिट्यूशन है, उनका Inflation के संबंध में एक जिम्मेवारी बनने वाली है। पहली बार ये कानूनन किया गया है। और उसका लाभ मैं समझता हूं कि आने वाले दिनों में हमारे टैक्स collection सिस्टम , हमारा जो मनी बल्क है। उस बल्क का डेवलपमेंट के लिए उपयोग करने की दिशा में और अधिक जिम्मेवारी बढ़ेगी और माहौल बदलेगा ऐसा मेरा पूरा विश्वास है। ये बात सही है देश आजाद हुआ आज तक हम गरीबी से लड़ रहे हैं। और जब कोई कहता है 65 प्रतिशत लोग गरीबी के नीचे हैं, ये विरासत हमें मिली है हमें मालूम है। लेकिन कुछ अच्छा मिलता है तो कुछ कम अच्छा मिलता है दोनों स्वीकार करना पड़ता है। अब हमारे भाग्य में देश की गरीबी हमारे नसीब में आई कैसे। लेकिन गरीबी के खिलाफ लड़ने की इच्छा हम सबकी है और यहां बैठे हुए इस पार हों उस पार हों सबकी है। तरीके अलग – अलग हो सकते हैं। हमारी कोशिश है कि Economically Empowerment of the poor , educational Empowerment of the poor ये दो ऐसी चीजें जिसके माध्यम से हम एक ऐसी गरीबों की फौज तैयार कर सकते हैं जो स्वयं गरीबी को समाप्त करके विजयी होने के लिए सर खड़ा कर के निगल सके। और इसलिए जीएसटी इस माहौल को तैयार करने में एक बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म बन सकता है। और जिसके लिए गरीबी के खिलाफ लड़ने के लिए भी ये हमें काम आ सकता है। हम जानते हैं छोटे उद्यमकार बैंकों में लोन लेने जाते हैं तो कितनी दिक्कत होती है। हम कोशिश कर रहे हैं ये पुरानी आदतो में बदलाव लायें इसके लिए। लेकिन अब इतने सालों की आदतें कैसे बदलेगी मेहनत तो कर रहे हैं। लेकिन ये सच्चाई है कि काफी बुरी आदतें पड़ी हुई है। छोटे उद्यमकार बैंक में अगर लोन लेंगें तो पचासों कागज मांगेंगे या कागज को Question करेंगे, Question कर के रिजेक्ट करेंगे। और उनके पसंदीदे लोगों को वो पैसे देंगे। जीएसटी के कारण हर व्यक्ति का आर्थिक कारोबार का खाका certified रूप में every minute available होगा। वो जब बैंक को उस खाके को रखेगा, किसी बैंक के पास डिस्क्रिमिनेशन करने की कोई ताकत नहीं होगी। जिसको लोन लेना है वो लोन ले। गरीब से गरीब व्यक्ति को भी एक ऐसा सबूत सामान्य मानवी के हाथ में आने वाला है। जिस सुबूत के माध्यम से वो सामान्य कारोबार करने वाला व्यक्ति भी दूध बेचने वाला हो, चाय बेचने वाला हो, नाई हो, अखबार बेचने वाला हो छोटा व्यक्ति भी वो अपनी चीजों को लेकर के इस काम कर सकता है और इसलिए जीएसटी का सबसे बड़ी ताकत है technology और उसके कारण real time data available होगा। और जब real time data available होता है। तो व्यक्तियों को अपनी ताकत अपनी क्षमता उसको सुबूत के रूप में पेश करने में कभी कोई दिक्कत नहीं आती है। और उसके कारण उसको चीज का लाभ मिल सकता है।

इसके कारण सहज रूप से जब धन की उपलब्धी होती है, तो एक प्रतिस्पर्धा भी आती है। manufacturing की प्रतिस्पर्धा की संभावना बनती है। और manufacturing की प्रतिस्पर्धा बढ़ती है तब अर्थ रचना को गति मिलती है। नए लोगों के लिए रोजगार उत्पन्न होते हैं। और इस व्यवस्था के कारण money flow बढ़ने के कारण रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ने के लिए इस व्यवस्था के तहत पूरा अवसर मिलने वाला है। हमारे देश में निवेश बढ़ाने की दृष्टि से GSDP ratio ये हमेशा एक question mark के साथ चलता रहा है। इस नई व्यवस्था के कारण ये सवालिया निशान हमेशा-हमेशा के लिये मिट जाएगा।

और इसके कारण राज्य भी अपने निर्णय कर के विकास के Infrastructure के, social सैक्टर की मदद करने के, सारी बातों को तेज गति से आगे बढ़ा सकते हैं। और मैं समझता हूं कि इसको बढ़ा पाएंगे।

कभी कभार हम लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ बहुत कुछ कहते हैं। लेकिन भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए व्यवस्थाओं को भी उतना ही मजबूत बनाना पड़ता है। व्यक्ति अच्छा ही करेगा इस विश्वास के साथ इतनी बड़ी बातें चल नहीं सकती अगर व्यवस्थाएं ठीक होती तो गलत इंसान को भी व्यवस्थित रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

इस जीएसटी के कारण जो टैक्स चोरी करने की जो बातें होती हैं। हम जानते हैं हमारे यहां कच्चा बिल और पक्का बिल ये शब्द traders में बड़ा पोप्युलर है। कच्चा बिल और पक्का बिल। जीएसटी के कारण व्यापारी स्वयं प्रेरित होगा पक्के बिल के लिए। इसलिए जैसे अगर मानों हमारा हेल्थ इंसोरेंश है। अगर हेल्थ इंसोरेंश है, तो हम क्या करते हैं। हमारे सारे मेडिकल बिल बराबर संभाल कर रखते हैं। कहीं इधर उधर न जाए क्यों, क्योंकि हमें मालूम है की वो सारा रहेगा तब जाकर के मैं क्लेम कर पाऊंगा। तब जाकर के मुझे पैसे मिलेंगे। जीएसटी में वो व्यवस्था है कि जो भी व्यक्ति है जो अपने बिल प्रस्तुत करेगा। उसके खरीद की जितनी चीजें थी उसका रिफंड मिल जाएगा। और इसलिए ये जो पुरानी जो हैं कच्चे – पक्के की दुनिया एक प्रकार से काले धन को भी मोबिलाइज करती है। इस पर ये पूरी तरह रोक लगा दी। पूरी तरह ये बंद हो जाएगा। ये एक प्रकार से भ्रष्टाचार से काले धन दोनों को समाप्त करने में ये व्यवस्था काम आने वाली है। और उसकी दिशा में हमलोग प्रयास कर रहे हैं और मैं समझता हूं इसको लाभ मिलेगा।

हम जानते हैं कि हमारे देश में टैक्स collection के पीछे बहुत बड़ी फौज लगी रहती है। ऊपर से नीचे तक और collection का cost भी बढ़ता जा रहा है। इस व्यवस्था के कारण सभी ऑनलाइन होने के कारण टैक्नॉलॉजी आधारित होने के कारण हमें cost of collection में बहुत कमी आएगी। जो पैसे देश के गरीब व्यक्ति विकास के भलाई के लिए काम आएंगे। उसी प्रकार से जहां पर भी सरकारी व्यवस्थाओं को interference का अवसर मिलता है। तो कहीं न कहीं से करप्शन की बू आना शुरू हो जाती है।

ये एक ऐसी व्यवस्था विकसित हो रही है जिस व्यवस्था के कारण भ्रष्टाचार इस पूरी collection प्रक्रिया में जीरो की तरफ जाएगा। और उसके कारण भी देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की दिशा में हमें अवसर मिलेगा। यहां डाटा integration होने वाला है। यानी कच्चे माल से लेकर के अंतिम product तक हर जगह पर वो कहीं न कहीं ऑनलाइन रजिस्टर होके जाने वाला है। और इसलिए नेचुरअल क्रॉस में क्रॉस चैकिंग की व्यवस्था है। और क्रॉस चैकिंग की व्यवस्था होने के कारण कहीं पर भी चोरी तुरंत पकड़ी जाती है। कहीं भी कुछ गलत हुआ है, गलती हुआ है पकड़ी जाती है। और उसके कारण एक प्रकार की seamless व्यवस्था। इस seamless व्यवस्था हमें लाभ करेगी। एक ऐसी व्यवस्था विकसित हो रही है। जिसमें tax payer और tax collector इनके बीच का human interface करीब करीब जीरो हो जाएगा। उसके कारण इतना दोगे तो तुम्हारा काम पूरा हो जाएगा। इतना करोगे तो पूरा हो जाएगा। वो आएगा तो ये होगा। ये सारी चीजों से भारत का सामान्य मानवी मुक्त हो जाएगा। और उसकी दिशा में, मैं समझता हूं कि हमें बहुत बड़ा लाभ मिलने वाला है। जीएसटी के कारण एक प्रकार से टैक्स पेयर का व्यवस्था ही ऐसी बन रही है कि जिसमें उसको ईमानदारी से मुनाफा होता है। जितना वो देगा उसे पता चलेगा मुझे इतना मिलने वाला है। और उसके कारण इन चीजों को हम काले धन को रोकने में भी सफल होंगे।

राज्य और केन्द्र के टैक्स के आंकड़ें एक ही जगह पर उपलब्ध होंगे और रजिस्ट्रेशन हो रिटर्न हो टैक्स पेमेंट की डीजिटल व्यवस्था हो। ये सारी चीजें। ऑनलाइन होने के कारण transparency के लिये एक बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म हम इसमें पा सकते हैं और पाएंगे।

आगे की दृष्टि से अरुण जी हमारे सामने रखेंगे। हमारे लिए आज जो यहां मतदान करते हैं इस पवित्र कार्य को पूरा करेंगे। लेकिन 16 से अधिक राज्य जितना जल्दी इसको पारित करें। ये आवश्यक होगा। उसके बाद भी कई सवैंधानिक व्यवस्थाएं हमको पूरी करनी होगी। और भी कई कानून सेन्ट्रल जीएसटी है इंटिग्रेटिड जीएसटी है, स्टेट जीएसटी है ये सारे कानून हमें पारित करने होंगे। लेकिन इन सारी प्रक्रियाओं के लिए आज एक दरवाजा खुल रहा है। और हम एक शुभ शुरुआत के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। और उसका परिणाम मैं समझता हूं कि आने वाले दिनों में हमें मिलने वाला है।

ये भी सही है कि हम लोगों को, क्योंकि नया विषय होता है तो लोगों को शिक्षा भी जरूरी होती है। IT preparedness की जरूरत है। Legal preparedness की आवश्यकता है। टैक्स ऑथोरिटी ऑफिसर्स की preparedness की आवश्यकता है। Consumer के भी preparedness के लिए हमें काम करना पड़ेगा और तब जाकर के हम इस काम को कर पाएंगे।

मेरा कहने का तात्पर्य यह है दुनिया में लोकतंत्र के जो बड़े माहिर देश माने जाते हैं। लोकतंत्र की दृष्टि से दुनिया को उपदेश देने का जो सामर्थ रखते हैं। ऐसे देशों में भी फाइनेन्स बिल जैसी महत्वपूर्ण बातें भी कभी –कभी करा पाना बड़ा मुश्किल जाता है। ये हिन्दुस्तान है ये भारत का लोकतंत्र है। ये भारत के लोगों की maturity है। ये भारत के राजनेताओं का दूरदृष्टि है कि आज हम वैचारिक विरोधों और राजनीतिक मातृभूमि अलग होने के बावजूद भी इस महान कार्य को एक स्वर से कर रहे हैं। साथ मिलकर के कर रहे हैं। ये अपने आप में भारत की लोकतंत्र की बहुत बड़ी ताकत है। एक perception जो भी बाहर बनता हो। लेकिन आज में इस सदन के सामने बड़े गर्व के साथ नम्रता के साथ और सभी राजनीतिक दलों का सम्मान करते हुए गौरव करते हुए इस सदन में जहां भी बैठेंगे होंगे, आप सामने बैठे हों, neutral बैठे हो लेकिन हम इस बात के लिए गर्व कर सकते हैं कि इस सरकार को करीब सौ सप्ताह से ज्यादा समय हुआ है। लेकिन इन सौ सप्ताह से ज्यादा समय में इसी सदन ने सौ से ज्यादा कानून पारित किये century पार कर दी। यही तो इस सदन की ताकत है। और यही देश के लोगों में एक नया विश्वास जगाते हैं। और इस काम के लिए सबकी सकारात्मक भूमिका रही है।

सब अभिनन्दन के अधिकारी हैं। और मैंने जब ऑल पार्टी मीटिंग हुई थी तब भी कहा था कि इसका यश सबको जाता है। सभी सदस्यों को जाता है। सभी राजनीतिक दलों को जाता है। लगातार जिन जिन लोगों ने प्रयास किया है। उन सबको जाता है और मुझे मेरे अपने विचार रखने के लिए अवसर मिला। मैं अध्यक्ष महोदया जी का, सदन का हृदय से बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं। और हम सब मिलकर के इस कदम की ओर आगे बढ़ें। यही शुभकामनाएं देता हूं। बहुत बहुत धन्यवाद।

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Urban areas are our growth centres, we will have to make urban bodies growth centres of economy: PM Modi in Gandhinagar
May 27, 2025
QuoteTerrorist activities are no longer proxy war but well thought out strategy, so the response will also be in a similar way: PM
QuoteWe believe in ‘Vasudhaiva Kutumbakam’, we don’t want enemity with anyone, we want to progress so that we can also contribute to global well being: PM
QuoteIndia must be developed nation by 2047,no compromise, we will celebrate 100 years of independence in such a way that whole world will acclaim ‘Viksit Bharat’: PM
QuoteUrban areas are our growth centres, we will have to make urban bodies growth centres of economy: PM
QuoteToday we have around two lakh Start-Ups ,most of them are in Tier2-Tier 3 cities and being led by our daughters: PM
QuoteOur country has immense potential to bring about a big change, Operation sindoor is now responsibility of 140 crore citizens: PM
QuoteWe should be proud of our brand “Made in India”: PM

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

क्यों ये सब तिरंगे नीचे हो गए हैं?

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

मंच पर विराजमान गुजरात के गवर्नर आचार्य देवव्रत जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्र में मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी मनोहर लाल जी, सी आर पाटिल जी, गुजरात सरकार के अन्य मंत्री गण, सांसदगण, विधायक गण और गुजरात के कोने-कोने से यहां उपस्थित मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

मैं दो दिन से गुजरात में हूं। कल मुझे वडोदरा, दाहोद, भुज, अहमदाबाद और आज सुबह-सुबह गांधी नगर, मैं जहां-जहां गया, ऐसा लग रहा है, देशभक्ति का जवाब गर्जना करता सिंदुरिया सागर, सिंदुरिया सागर की गर्जना और लहराता तिरंगा, जन-मन के हृदय में मातृभूमि के प्रति अपार प्रेम, एक ऐसा नजारा था, एक ऐसा दृश्य था और ये सिर्फ गुजरात में नहीं, हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने में है। हर हिन्दुस्तानी के दिल में है। शरीर कितना ही स्वस्थ क्यों न हो, लेकिन अगर एक कांटा चुभता है, तो पूरा शरीर परेशान रहता है। अब हमने तय कर लिया है, उस कांटे को निकाल के रहेंगे।

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साथियों,

1947 में जब मां भारती के टुकड़े हुए, कटनी चाहिए तो ये तो जंजीरे लेकिन कांट दी गई भुजाएं। देश के तीन टुकड़े कर दिए गए। और उसी रात पहला आतंकवादी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ। मां भारती का एक हिस्सा आतंकवादियों के बलबूते पर, मुजाहिदों के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया। अगर उसी दिन इन मुजाहिदों को मौत के घाट उतार दिया गया होता और सरदार पटेल की इच्छा थी कि पीओके वापस नहीं आता है, तब तक सेना रूकनी नहीं चाहिए। लेकिन सरदार साहब की बात मानी नहीं गई और ये मुजाहिदीन जो लहू चख गए थे, वो सिलसिला 75 साल से चला है। पहलगाम में भी उसी का विकृत रूप था। 75 साल तक हम झेलते रहे हैं और पाकिस्तान के साथ जब युद्ध की नौबत आई, तीनों बार भारत की सैन्य शक्ति ने पाकिस्तान को धूल चटा दी। और पाकिस्तान समझ गया कि लड़ाई में वो भारत से जीत नहीं सकते हैं और इसलिए उसने प्रॉक्सी वार चालू किया। सैन्‍य प्रशिक्षण होता है, सैन्‍य प्रशिक्षित आतंकवादी भारत भेजे जाते हैं और निर्दोष-निहत्थे लोग कोई यात्रा करने गया है, कोई बस में जा रहा है, कोई होटल में बैठा है, कोई टूरिस्‍ट बन कर जा रहा है। जहां मौका मिला, वह मारते रहे, मारते रहे, मारते रहे और हम सहते रहे। आप मुझे बताइए, क्या यह अब सहना चाहिए? क्या गोली का जवाब गोले से देना चाहिए? ईट का जवाब पत्थर से देना चाहिए? इस कांटे को जड़ से उखाड़ देना चाहिए?

साथियों,

यह देश उस महान संस्कृति-परंपरा को लेकर चला है, वसुधैव कुटुंबकम, ये हमारे संस्कार हैं, ये हमारा चरित्र है, सदियों से हमने इसे जिया है। हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। हम अपने पड़ोसियों का भी सुख चाहते हैं। वह भी सुख-चैन से जिये, हमें भी सुख-चैन से जीने दें। ये हमारा हजारों साल से चिंतन रहा है। लेकिन जब बार-बार हमारे सामर्थ्य को ललकारा जाए, तो यह देश वीरों की भी भूमि है। आज तक जिसे हम प्रॉक्सी वॉर कहते थे, 6 मई के बाद जो दृश्य देखे गए, उसके बाद हम इसे प्रॉक्सी वॉर कहने की गलती नहीं कर सकते हैं। और इसका कारण है, जब आतंकवाद के 9 ठिकाने तय करके 22 मिनट में साथियों, 22 मिनट में, उनको ध्वस्त कर दिया। और इस बार तो सब कैमरा के सामने किया, सारी व्यवस्था रखी थी। ताकि हमारे घर में कोई सबूत ना मांगे। अब हमें सबूत नहीं देना पड़ रहा है, वो उस तरफ वाला दे रहा है। और मैं इसलिए कहता हूं, अब यह प्रॉक्सी वॉर नहीं कह सकते इसको क्योंकि जो आतंकवादियों के जनाजे निकले, 6 मई के बाद जिन का कत्ल हुआ, उस जनाजे को स्टेट ऑनर दिया गया पाकिस्तान में, उनके कॉफिन पर पाकिस्तान के झंडे लगाए गए, उनकी सेना ने उनको सैल्यूट दी, यह सिद्ध करता है कि आतंकवादी गतिविधियां, ये प्रॉक्सी वॉर नहीं है। यह आप की सोची समझी युद्ध की रणनीति है। आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा। हम अपने काम में लगे थे, प्रगति की राह पर चले थे। हम सबका भला चाहते हैं और मुसीबत में मदद भी करते हैं। लेकिन बदले में खून की नदियां बहती हैं। मैं नई पीढ़ी को कहना चाहता हूं, देश को कैसे बर्बाद किया गया है? 1960 में जो इंडस वॉटर ट्रीटी हुई है। अगर उसकी बारीकी में जाएंगे, तो आप चौक जाएंगे। यहाँ तक तय हुआ है उसमें, कि जो जम्मू कश्मीर की अन्‍य नदियों पर डैम बने हैं, उन डैम का सफाई का काम नहीं किया जाएगा। डिसिल्टिंग नहीं किया जाएगा। सफाई के लिए जो नीचे की तरफ गेट हैं, वह नहीं खोले जाएंगे। 60 साल तक यह गेट नहीं खोले गए और जिसमें शत प्रतिशत पानी भरना चाहिए था, धीरे-धीरे इसकी कैपेसिटी काम हो गई, 2 परसेंट 3 परसेंट रह गया। क्या मेरे देशवासियों को पानी पर अधिकार नहीं है क्या? उनको उनके हक का पानी मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए क्या? और अभी तो मैंने कुछ ज्यादा किया नहीं है। अभी तो हमने कहा है कि हमने इसको abeyance में रखा है। वहां पसीना छूट रहा है और हमने डैम थोड़े खोल करके सफाई शुरू की, जो कूड़ा कचरा था, वह निकाल रहे हैं। इतने से वहां flood आ जाता है।

साथियों,

हम किसी से दुश्मनी नहीं चाहते हैं। हम सुख-चैन की जिंदगी जीना चाहते हैं। हम प्रगति भी इसलिए करना चाहते हैं कि विश्व की भलाई में हम भी कुछ योगदान कर सकें। और इसलिए हम एकनिष्ठ भाव से कोटि-कोटि भारतीयों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं। कल 26 मई था, 2014 में 26 मई, मुझे पहली बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने का अवसर मिला। और तब भारत की इकोनॉमी, दुनिया में 11 नंबर पर थी। हमने कोरोना से लड़ाई लड़ी, हमने पड़ोसियों से भी मुसीबतें झेली, हमने प्राकृतिक आपदा भी झेली। इन सब के बावजूद भी इतने कम समय में हम 11 नंबर की इकोनॉमी से चार 4 नंबर की इकोनॉमी पर पहुंच गए क्योंकि हमारा ये लक्ष्य है, हम विकास चाहते हैं, हम प्रगति चाहते हैं।

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और साथियों,

मैं गुजरात का ऋणी हूं। इस मिट्टी ने मुझे बड़ा किया है। यहां से मुझे जो शिक्षा मिली, दीक्षा मिली, यहां से जो मैं आप सबके बीच रहकर के सीख पाया, जो मंत्र आपने मुझे दिए, जो सपने आपने मेरे में संजोए, मैं उसे देशवासियों के काम आए, इसके लिए कोशिश कर रहा हूं। मुझे खुशी है कि आज गुजरात सरकार ने शहरी विकास वर्ष, 2005 में इस कार्यक्रम को किया था। 20 वर्ष मनाने का और मुझे खुशी इस बात की हुई कि यह 20 साल के शहरी विकास की यात्रा का जय गान करने का कार्यक्रम नहीं बनाया। गुजरात सरकार ने उन 20 वर्ष में से जो हमने पाया है, जो सीखा है, उसके आधार पर आने वाले शहरी विकास को next generation के लिए उन्होंने उसका रोडमैप बनाया और आज वो रोड मैप गुजरात के लोगों के सामने रखा है। मैं इसके लिए गुजरात सरकार को, मुख्यमंत्री जी को, उनकी टीम को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

हम आज दुनिया की चौथी इकोनॉमी बने हैं। किसी को भी संतोष होगा कि अब जापान को भी पीछे छोड़ कर के हम आगे निकल गए हैं और मुझे याद है, हम जब 6 से 5 बने थे, तो देश में एक और ही उमंग था, बड़ा उत्साह था, खासकर के नौजवानों में और उसका कारण यह था कि ढाई सौ सालों तक जिन्होंने हम पर राज किया था ना, उस यूके को पीछे छोड़ करके हम 5 बने थे। लेकिन अब चार बनने का आनंद जितना होना चाहिए उससे ज्यादा तीन कब बनोगे, उसका दबाव बढ़ रहा है। अब देश इंतजार करने को तैयार नहीं है और अगर किसी ने इंतजार करने के लिए कहा, तो पीछे से नारा आता है, मोदी है तो मुमकिन है।

और इसलिए साथियों,

एक तो हमारा लक्ष्य है 2047, हिंदुस्तान विकसित होना ही चाहिए, no compromise… आजादी के 100 साल हम ऐसे ही नहीं बिताएंगे, आजादी के 100 साल ऐसे मनाएंगे, ऐसे मनाएंगे कि दुनिया में विकसित भारत का झंडा फहरता होगा। आप कल्पना कीजिए, 1920, 1925, 1930, 1940, 1942, उस कालखंड में चाहे भगत सिंह हो, सुखदेव हो, राजगुरु हो, नेताजी सुभाष बाबू हो, वीर सावरकर हो, श्यामजी कृष्ण वर्मा हो, महात्मा गांधी हो, सरदार पटेल हो, इन सबने जो भाव पैदा किया था और देश की जन-मन में आजादी की ललक ना होती, आजादी के लिए जीने-मरने की प्रतिबद्धता ना होती, आजादी के लिए सहन करने की इच्छा शक्ति ना होती, तो शायद 1947 में आजादी नहीं मिलती। यह इसलिए मिली कि उस समय जो 25-30 करोड़ आबादी थी, वह बलिदान के लिए तैयार हो चुकी थी। अगर 25-30 करोड़ लोग संकल्पबद्ध हो करके 20 साल, 25 साल के भीतर-भीतर अंग्रेजों को यहां से निकाल सकते हैं, तो आने वाले 25 साल में 140 करोड़ लोग विकसित भारत बना भी सकते हैं दोस्तों। और इसलिए 2030 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, मैं समझता हूं कि हमने अभी से 30 में होंगे, 35… 35 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, हमने अभी से नेक्स्ट 10 ईयर का पहले एक प्लान बनाना चाहिए कि जब गुजरात के 75 होंगे, तब गुजरात यहां पहुंचेगा। उद्योग में यहां होगा, खेती में यहां होगा, शिक्षा में यहां होगा, खेलकूद में यहां होगा, हमें एक संकल्प ले लेना चाहिए और जब गुजरात 75 का हो, उसके 1 साल के बाद जो ओलंपिक होने वाला है, देश चाहता है कि वो ओलंपिक हिंदुस्तान में हो।

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और इसलिए साथियों,

जिस प्रकार से हमारा यह एक लक्ष्य है कि हम जब गुजरात के 75 साल हो जाए। और आप देखिए कि जब गुजरात बना, उस समय के अखबार निकाल दीजिए, उस समय की चर्चाएं निकाल लीजिए। क्या चर्चाएं होती थी कि गुजरात महाराष्ट्र से अलग होकर क्या करेगा? गुजरात के पास क्या है? समंदर है, खारा पाठ है, इधर रेगिस्तान है, उधर पाकिस्तान है, क्या करेगा? गुजरात के पास कोई मिनरल्स नहीं, गुजरात कैसे प्रगति करेगा? यह ट्रेडर हैं सारे… इधर से माल लेते हैं, उधर बेचते हैं। बीच में दलाली से रोजी-रोटी कमा करके गुजारा करते हैं। क्‍या करेंगे ऐसी चर्चा थी। वही गुजरात जिसके पास एक जमाने में नमक से ऊपर कुछ नहीं था, आज दुनिया को हीरे के लिए गुजरात जाना जाता है। कहां नमक, कहां हीरे! यह यात्रा हमने काटी है। और इसके पीछे सुविचारित रूप से प्रयास हुआ है। योजनाबद्ध तरीके से कदम उठाएं हैं। हमारे यहां आमतौर पर गवर्नमेंट के मॉडल की चर्चा होती है कि सरकार में साइलोज, यह सबसे बड़ा संकट है। एक डिपार्टमेंट दूसरे से बात नहीं करता है। एक टेबल वाला दूसरे टेबल वाले से बात नहीं करता है, ऐसी चर्चा होती है। कुछ बातों में सही भी होगा, लेकिन उसका कोई सॉल्यूशन है क्या? मैं आज आपको बैकग्राउंड बताता हूं, यह शहरी विकास वर्ष अकेला नहीं, हमने उस समय हर वर्ष को किसी न किसी एक विशेष काम के लिए डेडिकेट करते थे, जैसे 2005 में शहरी विकास वर्ष माना गया। एक साल ऐसा था, जब हमने कन्या शिक्षा के लिए डेडिकेट किया था, एक वर्ष ऐसा था, जब हमने पूरा टूरिज्म के लिए डेडिकेट किया था। इसका मतलब ये नहीं कि बाकी सब काम बंद करते थे, लेकिन सरकार के सभी विभागों को उस वर्ष अगर forest department है, तो उसको भी अर्बन डेवलपमेंट में वो contribute क्या कर सकता है? हेल्थ विभाग है, तो अर्बन डेवलपमेंट ईयर में वो contribute क्या कर सकता है? जल संरक्षण मंत्रालय है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? टूरिज्म डिपार्टमेंट है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? यानी एक प्रकार से whole of the government approach, इस भूमिका से ये वर्ष मनाया और आपको याद होगा, जब हमने टूरिज्म ईयर मनाया, तो पूरे राज्य में उसके पहले गुजरात में टूरिज्म की कल्पना ही कोई नहीं कर सकता था। विशेष प्रयास किया गया, उसी समय ऐड कैंपेन चलाया, कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में, एक-एक चीज उसमें से निकली। उसी में से रण उत्‍सव निकला, उसी में से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बना। उसी में से आज सोमनाथ का विकास हो रहा है, गिर का विकास हो रहा है, अंबाजी जी का विकास हो रहा है। एडवेंचर स्पोर्ट्स आ रही हैं। यानी एक के बाद एक चीजें डेवलप होने लगीं। वैसे ही जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया।

और मुझे याद है, मैं राजनीति में नया-नया आया था। और कुछ समय के बाद हम अहमदाबाद municipal कॉरपोरेशन सबसे पहले जीते, तब तक हमारे पास एक राजकोट municipality हुआ करती थी, तब वो कारपोरेशन नहीं थी। और हमारे एक प्रहलादभाई पटेल थे, पार्टी के बड़े वरिष्ठ नेता थे। बहुत ही इनोवेटिव थे, नई-नई चीजें सोचना उनका स्वभाव था। मैं नया राजनीति में आया था, तो प्रहलाद भाई एक दिन आए मिलने के लिए, उन्होंने कहा ये हमें जरा, उस समय चिमनभाई पटेल की सरकार थी, तो हमने चिमनभाई और भाजपा के लोग छोटे पार्टनर थे। तो हमें चिमनभाई को मिलकर के समझना चाहिए कि यह जो लाल बस अहमदाबाद की है, उसको जरा अहमदाबाद के बाहर जाने दिया जाए। तो उन्होंने मुझे समझाया कि मैं और प्रहलाद भाई चिमनभाई को मिलने गए। हमने बहुत माथापच्ची की, हमने कहा यह सोचने जैसा है कि लाल बस अहमदाबाद के बाहर गोरा, गुम्‍मा, लांबा, उधर नरोरा की तरफ आगे दहेगाम की तरफ, उधर कलोल की तरफ आगे उसको जाने देना चाहिए। ट्रांसपोर्टेशन का विस्तार करना चाहिए, तो सरकार के जैसे सचिवों का स्वभाव रहता है, यहां बैठे हैं सारे, उस समय वाले तो रिटायर हो गए। एक बार एक कांग्रेसी नेता को पूछा गया था कि देश की समस्याओं का समाधान करना है तो दो वाक्य में बताइए। कांग्रेस के एक नेता ने जवाब दिया था, वो मुझे आज भी अच्छा लगता है। यह कोई 40 साल पहले की बात है। उन्होंने कहा, देश में दो चीजें होनी चाहिए। एक पॉलीटिशियंस ना कहना सीखें और ब्यूरोक्रेट हां कहना सीखे! तो उससे सारी समस्या का समाधान हो जाएगा। पॉलीटिशियंस किसी को ना नहीं कहता और ब्यूरोक्रेट किसी को हां नहीं कहता। तो उस समय चिमनभाई के पास गए, तो उन्‍होंने पूछा सबसे, हम दोबारा गए, तीसरी बार गए, नहीं-नहीं एसटी को नुकसान हो जाएगा, एसटी को कमाई बंद हो जाएगी, एसटी बंद पड़ जाएगी, एसटी घाटे में चल रही है। लाल बस वहां नहीं भेज सकते हैं, यह बहुत दिन चला। तीन-चार महीने तक हमारी माथापच्ची चली। खैर, हमारा दबाव इतना था कि आखिर लाल बस को लांबा, गोरा, गुम्‍मा, ऐसा एक्सटेंशन मिला, उसका परिणाम है कि अहमदाबाद का विस्तार तेजी से उधर सारण की तरफ हुआ, इधर दहेगाम की तरफ हुआ, उधर कलोल की तरह हुआ, उधर अहमदाबाद की तरह हुआ, तो अहमदाबाद की तरफ जो प्रेशर, एकदम तेजी से बढ़ने वाला था, उसमें तेजी आई, बच गए छोटी सी बात थी, तब जाकर के, मैं तो उस समय राजनीति में नया था। मुझे कोई ज्यादा इन चीजों को मैं जानता भी नहीं था। लेकिन तब समझ में आता था कि हम तत्कालीन लाभ से ऊपर उठ करके सचमुच में राज्य की और राज्य के लोगों की भलाई के लिए हिम्मत के साथ लंबी सोच के साथ चलेंगे, तो बहुत लाभ होगा। और मुझे याद है जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया, तो पहला काम आया, यह एंक्रोचमेंट हटाने का, अब जब एंक्रोचमेंट हटाने की बात आती हे, तो सबसे पहले रुकावट बनता है पॉलिटिकल आदमी, किसी भी दल का हो, वो आकर खड़ा हो जाता है क्योंकि उसको लगता है, मेरे वोटर है, तुम तोड़ रहे हो। और अफसर लोग भी बड़े चतुर होते हैं। जब उनको कहते हैं कि भई यह सब तोड़ना है, तो पहले जाकर वो हनुमान जी का मंदिर तोड़ते हैं। तो ऐसा तूफान खड़ा हो जाता है कि कोई भी पॉलिटिशयन डर जाता है, उसको लगता है कि हनुमान जी का मंदिर तोड़ दिया तो हो… हमने बड़ी हिम्मत दिखाई। उस समय हमारे …..(नाम स्पष्ट नहीं) अर्बन मिनिस्टर थे। और उसका परिणाम यह आया कि रास्ते चौड़े होने लगे, तो जिसका 2 फुट 4 फुट कटता था, वह चिल्लाता था, लेकिन पूरा शहर खुश हो जाता था। इसमें एक स्थिति ऐसी बनी, बड़ी interesting है। अब मैंने तो 2005 अर्बन डेवलपमेंट ईयर घोषित कर दिया। उसके लिए कोई 80-90 पॉइंट निकाले थे, बडे interesting पॉइंट थे। तो पार्टी से ऐसी मेरी बात हुई थी कि भाई ऐसा एक अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा, जरा सफाई वगैरह के कामों में सब को जोड़ना पड़ेगा ऐसा, लेकिन जब ये तोड़ना शुरू हुआ, तो मेरी पार्टी के लोग आए, ये बड़ा सीक्रेट बता रहा हूं मैं, उन्होंने कहा साहब ये 2005 में तो अर्बन बॉडी के चुनाव है, हमारी हालत खराब हो जाएगी। यह सब तो चारों तरफ तोड़-फोड़ चल रही है। मैंने कहा यार भई यह तो मेरे ध्यान में नहीं रहा और सच में मेरे ध्यान में वो चुनाव था ही नहीं। अब मैंने कार्यक्रम बना दिया, अब साहब मेरा भी एक स्वभाव है। हम तो बचपन से पढ़ते आए हैं- कदम उठाया है तो पीछे नहीं हटना है। तो मैंने मैंने कहा देखो भाई आपकी चिंता सही है, लेकिन अब पीछे नहीं हट सकते। अब तो ये अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा। हार जाएंगे, चुनाव क्या है? जो भी होगा हम किसी का बुरा करना नहीं चाहते, लेकिन गुजरात में शहरों का रूप रंग बदलना बहुत जरूरी है।

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साथियों,

हम लोग लगे रहे। काफी विरोध भी हुआ, काफी आंदोलन हुए बहुत परेशानी हुई। यहां मीडिया वालों को भी बड़ा मजा आ गया कि मोदी अब शिकार आ गया हाथ में, तो वह भी बड़ी पूरी ताकत से लग गए थे। और उसके बाद जब चुनाव हुआ, देखिए मैं राजनेताओं को कहता हूं, मैं देश भर के राजनेता मुझे सुनते हैं, तो देखना कहता हूं, अगर आपने सत्यनिष्ठा से, ईमानदारी से लोगों की भलाई के लिए निर्णय करते हैं, तत्कालीन भले ही बुरा लगे, लोग साथ चलते हैं। और उस समय जो चुनाव हुआ 90 परसेंट विक्ट्री बीजेपी की हुई थी, 90 परसेंट यानी लोग जो मानते हैं कि जनता ये नहीं और मुझे याद है। अब यह जो यहां अटल ब्रिज बना है ना तो मुझे, यह साबरमती रिवर फ्रंट पर, तो पता नहीं क्यों मुझे उद्घाटन के लिए बुलाया था। कई कार्यक्रम थे, तो मैंने कहा चलो भई हम भी देखने जाते हैं, तो मैं जरा वो अटल ब्रिज पर टहलने गया, तो वहां मैंने देखा कुछ लोगों ने पान की पिचकारियां लगाई हुई थी। अभी तो उद्घाटन होना था, लेकिन कार्यक्रम हो गया था। तो मेरा दिमाग, मैंने कहा इस पर टिकट लगाओ। तो ये सारे लोग आ गए साहब चुनाव है, उसी के बाद चुनाव था, बोले टिकट नहीं लगा सकते मैंने कहा टिकट लगाओ वरना यह तुम्हारा अटल ब्रिज बेकार हो जाएगा। फिर मैं दिल्ली गया, मैंने दूसरे दिन फोन करके पूछा, मैंने कहा क्या हुआ टिकट लगाने का एक दिन भी बिना टिकट नहीं चलना चाहिए।

साथियों,

खैर मेरा मान-सम्मान रखते हैं सब लोग, आखिर के हमारे लोगों ने ब्रिज पर टिकट लगा दिया। आज टिकट भी हुआ, चुनाव भी जीते दोस्तों और वो अटल ब्रिज चल रहा है। मैंने कांकरिया का पुनर्निर्माण का कार्यक्रम लिया, उस पर टिकट लगाया तो कांग्रेस ने बड़ा आंदोलन किया। कोर्ट में चले गए, लेकिन वह छोटा सा प्रयास पूरे कांकरिया को बचा कर रखा हुआ है और आज समाज का हर वर्ग बड़ी सुख-चैन से वहां जाता है। कभी-कभी राजनेताओं को बहुत छोटी चीजें डर जाते हैं। समाज विरोधी नहीं होता है, उसको समझाना होता है। वह सहयोग करता है और अच्छे परिणाम भी मिलते हैं। देखिए शहरी शहरी विकास की एक-एक चीज इतनी बारीकी से बनाई गई और उसी का परिणाम था और मैं आपको बताता हूं। यह जो अब मुझ पर दबाव बढ़ने वाला है, वो already शुरू हो गया कि मोदी ठीक है, 4 नंबर तो पहुंच गए, बताओ 3 कब पहुंचोगे? इसकी एक जड़ी-बूटी आपके पास है। अब जो हमारे ग्रोथ सेंटर हैं, वो अर्बन एरिया हैं। हमें अर्बन बॉडीज को इकोनॉमिक के ग्रोथ सेंटर बनाने का प्लान करना होगा। अपने आप जनसंख्या के कारण वृद्धि होती चले, ऐसे शहर नहीं हो सकते हैं। शहर आर्थिक गतिविधि के तेजतर्रार केंद्र होने चाहिए और अब तो हमने टीयर 2, टीयर 3 सीटीज पर भी बल देना चाहिए और वह इकोनॉमिक एक्टिविटी के सेंटर बनने चाहिए और मैं तो पूरे देश की नगरपालिका, महानगरपालिका के लोगों को कहना चाहूंगा। अर्बन बॉडी से जुड़े हुए सब लोगों से कहना चाहूंगा कि वे टारगेट करें कि 1 साल में उस नगर की इकोनॉमी कहां से कहां पहुंचाएंगे? वहां की अर्थव्यवस्था का कद कैसे बढ़ाएंगे? वहां जो चीजें मैन्युफैक्चर हो रही हैं, उसमें क्वालिटी इंप्रूव कैसे करेंगे? वहां नए-नए इकोनॉमिक एक्टिविटी के रास्ते कौन से खोलेंगे। ज्यादातर मैंने देखा नगर पालिका की जो नई-नई बनती हैं, तो क्या करते हैं, एक बड़ा शॉपिंग सेंटर बना देते हैं। पॉलिटिशनों को भी जरा सूट करता है वह, 30-40 दुकानें बना देंगे और 10 साल तक लेने वाला नहीं आता है। इतने से काम नहीं चलेगा। स्टडी करके और खास करके जो एग्रो प्रोडक्ट हैं। मैं तो टीयर 2, टीयर 3 सीटी के लिए कहूंगा, जो किसान पैदावार करता है, उसका वैल्यू एडिशन, यह नगर पालिकाओं में शुरू हो, आस-पास से खेती की चीजें आएं, उसमें से कुछ वैल्यू एडिशन हो, गांव का भी भला होगा, शहर का भी भला होगा।

उसी प्रकार से आपने देखा होगा इन दिनों स्टार्टअप, स्टार्टअप में भी आपके ध्यान में आया होगा कि पहले स्‍टार्टअप बड़े शहर के बड़े उद्योग घरानों के आसपास चलते थे, आज देश में करीब दो लाख स्टार्टअप हैं। और ज्यादातर टीयर 2, टीयर 3 सीटीज में है और इसमें भी गर्व की बात है कि उसमें काफी नेतृत्व हमारी बेटियों के पास है। स्‍टार्टअप की लीडरशिप बेटियों के पास है। ये बहुत बड़ी क्रांति की संभावनाओं को जन्म देता है और इसलिए मैं चाहूंगा कि अर्बन डेवलपमेंट ईयर के जब 20 साल मना रहे हैं और एक सफल प्रयोग को हम याद करके आगे की दिशा तय करते हैं तब हम टीयर 2, टीयर 3 सीटीज को बल दें। शिक्षा में भी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज काफी आगे रहा, इस साल देख लीजिए। पहले एक जमाना था कि 10 और 12 के रिजल्ट आते थे, तो जो नामी स्कूल रहते थे बड़े, उसी के बच्चे फर्स्ट 10 में रहते थे। इन दिनों शहरों की बड़ी-बड़ी स्कूलों का नामोनिशान नहीं होता है, टीयर 2, टीयर 3 सीटीज के स्कूल के बच्चे पहले 10 में आते हैं। देखा होगा आपने गुजरात में भी यही हो रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि हमारे छोटे शहरों के पोटेंशियल, उसकी ताकत बढ़ रही है। खेल का देखिए, पहले क्रिकेट देखिए आप, क्रिकेट तो हिंदुस्तान में हम गली-मोहल्ले में खेला जाता है। लेकिन बड़े शहर के बड़े रहीसी परिवारों से ही खेलकूद क्रिकेट अटका हुआ था। आज सारे खिलाड़ी में से आधे से ज्यादा खिलाड़ी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज गांव के बच्चे हैं जो खेल में इंटरनेशनल खेल खेल कर कमाल करते हैं। यानी हम समझें कि हमारे शहरों में बहुत पोटेंशियल है। और जैसा मनोहर जी ने भी कहां और यहां वीडियो में भी दिखाया गया, यह हमारे लिए बहुत बड़ी opportunity है जी, 4 में से 3 नंबर की इकोनॉमी पहुंचने के लिए हम हिंदुस्तान के शहरों की अर्थव्यवस्था पर अगर फोकस करेंगे, तो हम बहुत तेजी से वहां भी पहुंच पाएंगे।

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साथियों,

ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। दुर्भाग्य से हमारे देश में एक ऐसे ही इकोसिस्टम ने जमीनों में अपनी जड़े ऐसी जमा हुई हैं कि भारत के सामर्थ्य को हमेशा नीचा दिखाने में लगी हैं। वैचारिक विरोध के कारण व्यवस्थाओं के विकास का अस्वीकार करने का उनका स्वभाव बन गया है। व्यक्ति के प्रति पसंद-नापसंद के कारण उसके द्वारा किये गए हर काम को बुरा बता देना एक फैशन का तरीका चल पड़ा है और उसके कारण देश की अच्‍छी चीजों का नुकसान हुआ है। ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। अब आप देखिए, हमने शहरी विकास पर तो बल दिया, लेकिन वैसा ही जब आपने दिल्‍ली भेजा, तो हमने एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट, एस्पिरेशनल ब्लॉक पर विचार किया कि हर राज्य में एकाध जिला, एकाध तहसील ऐसी होती है, जो इतना पीछे होता है, कि वो स्‍टेट की सारी एवरेज को पीछे खींच ले जाता है। आप जंप लगा ही नहीं सकते, वो बेड़ियों की तरह होता है। मैंने कहा, पहले इन बेड़ियों को तोड़ना है और देश में 100 के करीब एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट उनको identify किया गया। 40 पैरामीटर से देखा गया कि यहां क्या जरूरत है। अब 500 ब्‍लॉक्‍स identify किए हैं, whole of the government approach के साथ फोकस किया गया। यंग अफसरों को लगाया गया, फुल टैन्‍यूर के साथ काम करें, ऐसा लगाया। आज दुनिया के लिए एक मॉडल बन चुका है और जो डेवलपिंग कंट्रीज हैं उनको भी लग रहा है कि हमारे यहां विकास के इस मॉडल की ओर हमें चलना चाहिए। हमारा academic world भारत के इन प्रयासों और सफल प्रयासों के विषय में सोचे और जब academic world इस पर सोचता है तो दुनिया के लिए भी वो एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में काम आता है।

साथियों,

आने वाले दिनों में टूरिज्म पर हमें बल देना चाहिए। गुजरात ने कमाल कर दिया है जी, कोई सोच सकता है। कच्छ के रेगिस्तान में जहां कोई जाने का नाम नहीं लेता था, वहां आज जाने के लिए बुकिंग नहीं मिलती है। चीजों को बदला जा सकता है, दुनिया का सबसे बड़ा ऊंचा स्टैच्यू, ये अपने आप में अद्भुत है। मुझे बताया गया कि वडनगर में जो म्यूजियम बना है। कल मुझे एक यूके के एक सज्‍जन मिले थे। उन्होंने कहा, मैं वडनगर का म्यूजियम देखने जा रहा हूं। यह इंटरनेशनल लेवल में इतने global standard का कोई म्यूजियम बना है और भारत में काशी जैसे बहुत कम जगह है कि जो अविनाशी हैं। जो कभी भी मृतप्राय नहीं हुए, जहां हर पल जीवन रहा है, उसमें एक वडनगर हैं, जिसमें 2800 साल तक के सबूत मिले हैं। अभी हमारा काम है कि वह इंटरनेशनल टूरिस्ट मैप पर कैसे आए? हमारा लोथल जहां हम एक म्यूजियम बना रहे हैं, मैरीटाइम म्यूजियम, 5 हजार साल पहले मैरीटाइम में दुनिया में हमारा डंका बजता था। धीरे-धीरे हम भूल गए, लोथल उसका जीता-जागता उदाहरण है। लोथल में दुनिया का सबसे बड़ा मैरीटाइम म्यूजियम बन रहा है। आप कल्पना कर सकते हैं कि इन चीजों का कितना लाभ होने वाला है और इसलिए मैं कहता हूं दोस्तों, 2005 का वो समय था, जब पहली बार गिफ्ट सिटी के आईडिया को कंसीव किया गया और मुझे याद है, शायद हमने इसका launching Tagore Hall में किया था। तो उसके बड़े-बड़े जो हमारे मन में डिजाइन थे, उसके चित्र लगाए थे, तो मेरे अपने ही लोग पूछ रहे थे। यह होगा, इतने बड़े बिल्डिंग टावर बनेंगे? मुझे बराबर याद है, यानी जब मैं उसका मैप वगैरह और उसका प्रेजेंटेशन दिखाता था केंद्र के कुछ नेताओं को, तो वह भी मुझे कह रहे थे अरे भारत जैसे देश में ये क्या कर रहे हो तुम? मैं सुनता था आज वो गिफ्ट सिटी हिंदुस्तान का हर राज्य कह रहा है कि हमारे यहां भी एक गिफ्ट सिटी होना चाहिए।

साथियों,

एक बार कल्पना करते हुए उसको जमीन पर, धरातल पर उतारने का अगर हम प्रयास करें, तो कितने बड़े अच्छे परिणाम मिल सकते हैं, ये हम भली भांति देख रहे हैं। वही काल खंड था, रिवरफ्रंट को कंसीव किया, वहीं कालखंड था जब दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम बनाने का सपना देखा, पूरा किया। वही कालखंड था, दुनिया का सबसे ऊंचा स्टैच्यू बनाने के लिए सोचा, पूरा किया।

भाइयों और बहनों,

एक बार हम मान के चले, हमारे देश में potential बहुत हैं, बहुत सामर्थ्‍य है।

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साथियों,

मुझे पता नहीं क्यों, निराशा जैसी चीज मेरे मन में आती ही नहीं है। मैं इतना आशावादी हूं और मैं उस सामर्थ्य को देख पाता हूं, मैं दीवारों के उस पार देख सकता हूं। मेरे देश के सामर्थ्य को देख सकता हूं। मेरे देशवासियों के सामर्थ्य को देख सकता हूं और इसी के भरोसे हम बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं और इसलिए आज मैं गुजरात सरकार का बहुत आभारी हूं कि आपने मुझे यहां आने का मौका दिया है। कुछ ऐसी पुरानी-पुरानी बातें ज्यादातर ताजा करने का मौका मिल गया। लेकिन आप विश्वास करिए दोस्तों, गुजरात की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हम देने वाले लोग हैं, हमें देश को हमेशा देना चाहिए। और हम इतनी ऊंचाई पर गुजरात को ले जाए, इतनी ऊंचाई पर ले जाएं कि देशवासियों के लिए गुजरात काम आना चाहिए दोस्तों, इस महान परंपरा को हमें आगे बढ़ाना चाहिए। मुझे विश्वास है, गुजरात एक नए सामर्थ्य के साथ अनेक विद नई कल्पनाओं के साथ, अनेक विद नए इनीशिएटिव्स के साथ आगे बढ़ेगा मुझे मालूम है। मेरा भाषण शायद कितना लंबा हो गया होगा, पता नहीं क्या हुआ? लेकिन कल मीडिया में दो-तीन चीजें आएंगी। वो भी मैं बता देता हूं, मोदी ने अफसरों को डांटा, मोदी ने अफसरों की धुलाई की, वगैरह-वगैरह-वगैरह, खैर वो तो कभी-कभी चटनी होती है ना इतना ही समझ लेना चाहिए, लेकिन जो बाकी बातें मैंने याद की है, उसको याद कर करके जाइए और ये सिंदुरिया मिजाज! ये सिंदुरिया स्पिरिट, दोस्‍तों 6 मई को, 6 मई की रात। ऑपरेशन सिंदूर सैन्य बल से प्रारंभ हुआ था। लेकिन अब ये ऑपरेशन सिंदूर जन-बल से आगे बढ़ेगा और जब मैं सैन्य बल और जन-बल की बात करता हूं तब, ऑपरेशन सिंदूर जन बल का मतलब मेरा होता है जन-जन देश के विकास के लिए भागीदार बने, दायित्‍व संभाले।

हम इतना तय कर लें कि 2047, जब भारत के आजादी के 100 साल होंगे। विकसित भारत बनाने के लिए तत्काल भारत की इकोनॉमी को 4 नंबर से 3 नंबर पर ले जाने के लिए अब हम कोई विदेशी चीज का उपयोग नहीं करेंगे। हम गांव-गांव व्यापारियों को शपथ दिलवाएं, व्यापारियों को कितना ही मुनाफा क्यों ना हो, आप विदेशी माल नहीं बेचोगे। लेकिन दुर्भाग्य देखिए, गणेश जी भी विदेशी आ जाते हैं। छोटी आंख वाले गणेश जी आएंगे। गणेश जी की आंख भी नहीं खुल रही है। होली, होली रंग छिड़कना है, बोले विदेशी, हमें पता था आप भी अपने घर जाकर के सूची बनाना। सचमुच में ऑपरेशन सिंदूर के लिए एक नागरिक के नाते मुझे एक काम करना है। आप घर में जाकर सूची बनाइए कि आपके घर में 24 घंटे में सुबह से दूसरे दिन सुबह तक कितनी विदेशी चीजों का उपयोग होता है। आपको पता ही नहीं होता है, आप hairpin भी विदेशी उपयोग कर लेते हैं, कंघा भी विदेशी होता है, दांत में लगाने वाली जो पिन होती है, वो भी विदेशी घुस गई है, हमें मालूम तक नहीं है। पता ही नहीं है दोस्‍तों। देश को अगर बचाना है, देश को बनाना है, देश को बढ़ाना है, तो ऑपरेशन सिंदूर यह सिर्फ सैनिकों के जिम्‍मे नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर 140 करोड़ नागरिकों की जिम्‍मे है। देश सशक्त होना चाहिए, देश सामर्थ्‍य होना चाहिए, देश का नागरिक सामर्थ्यवान होना चाहिए और इसके लिए हमने वोकल फॉर लोकल, वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट, मैं मेरे यहां, जो आपके पास है फेंक देने के लिए मैं नहीं कह रहा हूं। लेकिन अब नया नहीं लेंगे और शायद एकाध दो परसेंट चीजें ऐसी हैं, जो शायद आपको बाहर की लेनी पड़े, जो हमारे यहां उपलब्ध ना हो, बाकि आज हिंदुस्तान में ऐसा कुछ नहीं। आपने देखा होगा, आज से पहले 25 साल 30 साल पहले विदेश से कोई आता था, तो लोग लिस्ट भेजते थे कि ये ले आना, ये ले आना। आज विदेश से आते हैं, वो पूछते हैं कि कुछ लाना है, तो यहां वाले कहते हैं कि नहीं-नहीं यहां सब है, मत लाओ। सब कुछ है, हमें अपनी ब्रांड पर गर्व होना चाहिए। मेड इन इंडिया पर गर्व होना चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर सैन्‍य बल से नहीं, जन बल से जीतना है दोस्तों और जन बल आता है मातृभूमि की मिट्टी में पैदा हुई हर पैदावार से आता है। इस मिट्टी की जिसमें सुगंध हो, इस देश के नागरिक के पसीने की जिसमें सुगंध हो, उन चीजों का मैं इस्तेमाल करूंगा, अगर मैं ऑपरेशन सिंदूर को जन-जन तक, घर-घर तक लेकर जाता हूं। आप देखिए हिंदुस्तान को 2047 के पहले विकसित राष्ट्र बनाकर रहेंगे और अपनी आंखों के सामने देखकर जाएंगे दोस्तों, इसी इसी अपेक्षा के साथ मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए,

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

भारत माता की जय! जरा तिरंगे ऊपर लहराने चाहिए।

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

धन्यवाद!