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I thank the people of Rishikesh to have joined the programme at such a short notice: PM
Our sole agenda is -development, progress of the nation and welfare of people: PM Modi
Congress' anti-poor mind-set and negative politics is responsible for their fall: PM
Congress has let down the spirit of democracy by not letting the Parliament function: PM
Govt at Centre is committed to timely delivery of all schemes: PM Narendra Modi
We successfully implemented 'One Rank, One Pension'. Dignity of our armed forces is our prime focus: PM
After their defeat in polls, Congress party has been putting roadblocks in development of the country: PM
 

भारत माता की जय, भारत माता की जय!  

मंच पर विराजमान भाजपा के सभी वरिष्ठ नेतागण और विशाल संख्या में पधारे हुए प्यारे भाईयों और बहनों

चुनाव का बुखार चढ़ा हो, चारों तरफ चुनाव की धूम हो और पक्ष-विपक्ष में प्रचार अभियान तेज हो तो ऐसे समय गर्माए हुए माहौल में कोई 24 घंटे पहले सभा करने को कहे तो पार्टी के लोग कहेंगे कि कुछ दिन और दे दीजिए, अगले सप्ताह भेज दीजिए। आपने ये 24 घंटे में जो कमाल किया है... जहाँ भी नजर दौड़ रही है, माथे ही माथे नजर आ रहे हैं। जब मैं हेलिपैड से यहाँ आया तो पूरे रोड पर दोनों तरफ भीड़ लगी हुई थी। देवभूमि के मेरे प्यारे भाईयों-बहनों, प्रधानमंत्री बनने के बाद यह मेरी पहली यात्रा है और आपने जो स्वागत-सम्मान किया, जो प्यार दिया; वो मैं कभी भूल नहीं सकता। चुनाव में सभाएं होती हैं लेकिन ऐसे सहज वातावरण में इतना बड़ा जन सैलाब; मैं आप सभी लोगों एवं पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को ह्रदय से अभिनंदन करता हूँ।

मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि देश के विकास के लिए कार्य करने में कोई कोर-कसर नहीं रहेगी। सवा साल के कार्यकाल में आपने देखा होगा... मैंने देशवासियों से कहा था कि मैं परिश्रम की पराकाष्ठ करूँगा। अब तो मेरी बात का विश्वास है? पल-पल आपके लिए खपा रहा हूँ? जिम्मेवारी निभाने का पूरा प्रयास कर रहा हूँ? मैंने वादा किया था कि मैं चैन से नहीं बैठूँगा। आज मैं पांच राज्यों की यात्रा करके आया हूँ। सरकार में जनता का विश्वास है, आज मैं देख रहा हूँ। आज जन-मन इतना बदला है कि मैं एक इच्छा करूँ तो मेरे देशवासी पूरी ताकत लगाकर उसे पूरी कर देते हैं।

कुछ पहले तक यह स्थिति थी कि बालिकाएं तीसरी-चौथी कक्षाओं तक आते-आते स्कूल छोड़ देती थीं और अगर हमारी बालिकाएं अशिक्षित रहेंगी तो हमारी आने वाली पीढ़ियाँ अशिक्षित रहेंगी। हमारी बेटियां पढ़नी चाहिए। हमारे ध्यान में आया कि बेटियां स्कूल इसलिए छोड़ देती हैं क्योंकि स्कूलों में उनके लिए अलग से शौचालय नहीं हैं। ये शर्म की बात है कि नहीं है? हमें आजादी को मिले 65 साल से भी ज्यादा समय हो गया लेकिन बालिकाओं के लिए स्कूलों में अलग से शौचालय नहीं बने। हमने निर्णय किया कि हम इस काम को 1 साल में पूरा करेंगे। लोग कहते थे कि मोदी जी जो 60 साल में नहीं हुआ, वो 1 साल में कैसे होगा। मैंने कहा कि ये मैं नहीं बल्कि मेरे देशवासी पूरा करेंगे और आज मैं गर्व से कहता हूँ कि करीब-करीब सवा चार लाख शौचालय बनाने का काम एक साल के भीतर-भीतर हमने पूरा किया।

बैंकों का जब राष्ट्रीयकरण हुआ तो यह कहा गया था कि बैंकों का राष्ट्रीयकरण इसलिए किया जाता है ताकि बैंक गरीबों के काम आए और गरीब बैंकों के दरवाजे पर जा सके लेकिन आजादी के इतने वर्षों बाद भी यहाँ की आधी आबादी ऐसी थी जिसने कभी बैंक का दरवाजा नहीं देखा। हमने निर्णय किया कि बैंकों के पैसों पर अगर पहला किसी का अधिकार है तो देश के गरीबों, किसानों, नौजवानों और देश की माता-बहनों का है। हमने प्रधानमंत्री जन-धन योजना शुरू की। 26 जनवरी के पहले काम पूरा करने का निर्णय किया और आज मुझे आपको हिसाब देते हुए गर्व होता है कि 100 दिन के भीतर पूरे देश में आंदोलन चल पड़ा और करीब 17 करोड़ जन-धन खाते खुले।

मैं जब गुजरात में मुख्यमंत्री था; नया-नया था तो अनुभव भी कम था; विधानसभा में हमने घोषणा की कि हम 24 घंटे बिजली देंगे। गुजरात में उस समय 24 घंटे बिजली नहीं आती थी। हमने जब घोषणा की तो कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता हमसे मिलने आये। उन्होंने कहा कि मोदी जी आपसे कोई गलती हो गई है। मैंने उनसे पूछा – कौन सा? उन्होंने कहा कि आप नए आए हो; किसी ने आपको गुमराह किया है या आपने गलत हाथ पकड़ लिया है। मैंने कहा – कौन सी? उन्होंने कहा, 24 घंटे बिजली देने की जोकि संभव ही नहीं है; आप विफल हो जाओगे और अभी तो आपकी शुरुआत है; आपकी राजनीति ख़त्म हो जाएगी; आपको किसी ने गलत सलाह दी है। मैंने कहा, नेताजी आपने मुझे जो मार्गदर्शन दिया, मैं उसका बहुत आभारी हूँ। वे राजनीति करने नहीं आये थे। ईमानदारी से मेरे कमरे में आकर मुझे कान में बता रहे थे। मैंने उनसे कहा कि हाँ, 24 घंटे बिजली पहुँचाना काम कठिन तो है लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि लोगों ने कठिन काम के लिए मुझे यहाँ भेजा है।

भाईयों-बहनों, मैं आज देश के लिए सपना देख रहा हूँ कि 2022 में आजादी के 75 साल पूरे होने पर जब हम आजादी के वीरों को याद करेंगे तो हम उन्हें ऐसा हिन्दुस्तान देना चाहते हैं जहाँ घरों में 24 घंटे बिजली आती हो। भाईयों-बहनों, हमने ठान लिया है कि 2022 में दूर पहाड़ी क्षेत्रों में भी रहने वाले लोगों को भी हम 24 घंटे बिजली मुहैया कराएंगे। इस काम को करने के लिए जब मैं मीटिंग करता हूँ तो मुझे पता चला कि अभी भी हमारे देश में 18 हजार गाँव ऐसे हैं जहाँ न बिजली का खंभा पहुंचा है और न बिजली की तार पहुंची है और ये संख्या कम नहीं है। सबने कहा कि ये लगेगा, वो लगेगा; मैंने कहा, कुछ नहीं, जो होना है, होगा; जो करना है, कीजिये; मैं एक ही भाषा समझता हूँ कि 1000 दिन में 18 हजार गांवों में मुझे बिजली पहुंचानी है। आज मैं इस पूरे काम को मॉनिटर कर रहा हूँ कि काम शुरू हुआ है कि नहीं; तारें पहुंची कि नहीं। हर बात के पीछे सरकार एक समयबद्ध कार्यक्रम लेकर चल रही है और उस काम को आगे बढ़ाने की दिशा में हम तैयारी कर रहे हैं।

मैं चुनाव में जब आया था तो उत्तराखंड की धरती जहाँ परमात्मा हमारी रक्षा करता है और यहाँ नीचे जवान हमारी रक्षा करते हैं; ऊपर में बाबा केदारनाथ, बाबा बद्रीनाथ का हमें आशीर्वाद मिलता है और नीचे... यहाँ शायद ही कोई घर होगा जिसमें कोई जवान नहीं हो और जो देश की सेवा में जुटा न हो।

मैं उत्तराखंड में जब चुनावी सभाओं में आता था तो ‘वन रैंक, वन पेंशन’ की बात करता था। कांग्रेस ने इसके लिए 500 करोड़ का बजट रखा था जिसपर वे खूब वाहवाही लूटते थे। हमारे कुछ जवान भी उनकी जय-जयकार करने लग गए थे कि ‘वन रैंक, वन पेंशन’ के लिए इतना बजट हो गया। मैंने सोचा कि इससे थोड़ा ज्यादा खर्चा हो जाएगा, 1000 करोड़ या 1500 करोड़। फिर कमिटी ने कहा कि 265 करोड़ और लगेंगे, मैंने कहा ठीक है लेकिन जब हिसाब करने बैठे तो मामला 10 हजार करोड़ तक पहुँच गया। भारत जैसे देश के लिए 10 हजार करोड़ कोई मामूली रकम नहीं है। ये बहुत बड़ी रकम है लेकिन हमारे जवानों का सम्मान उससे भी बड़ा है। इसलिए हमने निर्णय किया है हमारे देश के जवानों को इसका लाभ मिले लेकिन अभी भी जिन लोगों को लगता था कि ये तो कभी होने वाला नहीं है और उन्हें पता भी था कि इतना खर्च होगा, उन्हें आंदोलन चलाने में अभी भी मजा आता है, वे अभी भी आंदोलन चला रहे हैं।

देश में नकारात्मक राजनीति कभी चल नहीं सकती। ये कांग्रेस का फार्मूला है और इसलिए कभी 400 सांसदों वाली कांग्रेस आज 40 पर सिमट गई है और ये इसलिए हो रहा है क्योंकि वे नकारात्मक राजनीति पर तुले हुए हैं और हर बात का विरोध करते हैं। लोकतंत्र में विरोधी दल का काम है – विरोध करना लेकिन नकारात्मक राजनीति और विरोध करने में बहुत बड़ा अंतर है। संसद चलने नहीं दी; उत्तराखंड के विषयों की चर्चा होनी चाहिए जो उन्होंने होने नहीं दी। आपने इतने सांसद चुन करके भेजे लेकिन संसद के अंदर उन्हें बोलने का अवसर नहीं दिया गया। क्या ये नकारात्मक राजनीति लोकतंत्र का भला करेगी? संसद चलनी चाहिए कि नहीं चलनी चाहिए? मान हो, मदद हो, सम्मान हो, यही तो लोकतंत्र का धर्म है लेकिन देश का दुर्भाग्य देखिये, इतने साल जो सत्ता में रहे, उनको विरोध करना, विरोध में बैठना रास नहीं आ रहा। वो जैसे थे, वैसे ही हैं। उन्हें लगता है कि ये तो उनकी पारिवारिक संपत्ति है, पीढ़ी-दर-पीढ़ी उन्हें ही मिलनी चाहिए; उनसे कौन छीन सकता है, वो भी मोदी, चायवाला, एक गरीब का बेटा। उनकी गरीब-विरोधी और सामंतशाही मानसिकता नहीं चलेगी।

देश में पूर्ण बहुमत वाली सरकार आई है; जनता-जनार्दन के आशीर्वाद से आई है। हम यहाँ किसी का हक़ छीन करके नहीं आए हैं। हमारा दायित्व बनता है – जनता की आशा-आकांक्षाओं को पूरा करना और ईश्वर ने जितनी शक्ति और सामर्थ्य दिया है, उसका प्रयोग करते हुए देश का भला करना लेकिन कांग्रेस वाले समझें कि नकारात्मक राजनीति का परिणाम क्या होता है। जिस कांग्रेस पार्टी का पंचायत से लेकर संसद तक झंडा झुकता नहीं था, वो आज नजर नहीं आते हैं। अभी पार्लियामेंट में इतना तूफ़ान किया; संसद चलने नहीं दी; जितनी प्रकार की गालियां मुझे दे सकते थे, सारी दे दी। रोज डिक्शनरी लेकर बैठते हैं कि आज कौन सी गाली दूं। इतना सारा करने के बावजूद अभी मध्यप्रदेश में स्थानीय निकाय के चुनाव हुए थे; उसमें क्या हुआ, ख़त्म हो गए न। अभी राजस्थान में स्थानीय निकाय के चुनाव हुए; क्या हुआ कांग्रेस का, लोगों ने ख़त्म कर दिया न। उसी तरह बंगलौर में भी उनका यही हाल हुआ।

कांग्रेस अपने वरिष्ठ नेताओं से कुछ सीखें। चुनाव में जय-पराजय तो होती रहती है। हमारी भी हुई थी; हम तो कभी पार्लियामेंट में 2 ही लोग थे; अटल जी समेत सब हार गए थे लेकिन हमने जनता का विश्वास जीतने के लिए मेहनत की। हम जनता के सवालों को लेकर चलते रहे और कभी नकारात्मक राजनीति नहीं की और यही जनता-जनार्दन है जिसने हमें सर-आँखों पर बिठा दिया।

मेरे भाईयों-बहनों, हमारा एक ही मकसद है – विकास। देश का कल्याण करना हो या नौजवानों को रोजगार दिलाना हो, विकास के बिना संभव नहीं है। ये लोग विकास के हर रास्ते में आड़े आ रहे हैं और उनका इरादा देश की प्रगति को रोकना है। भाजपा को नहीं रोक पाए तो अब देश को रोक रहे हैं। चुनाव में जनता ने उन्हें हरा दिया तो अब वे जनता से बदला लेने, उन्हें सजा देने और उनके कामों को रोकने पर तुले हुए हैं। मुझे विश्वास है कि देश की जनता नकारात्मक राजनीति करने वालों को पहचानेगी, उन्हें आगे आने वाले दिनों में भी सबक सिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ेगी। आप लोगों ने इतना स्वागत और सम्मान किया, मैं आपका बहुत आभारी हूँ।   

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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Text of PM’s speech at flagging off ceremony of Vande Bharat Express between Bhopal and New Delhi
April 01, 2023
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Condoles loss of lives in Ram Navmi accident in Indore
“One of the rare instances in the history of Indian Railways that a Prime Minister has visited the same railway station twice in a very short period”
“India is now working with new thinking and approach”
“Vande Bharat is a symbol of India's enthusiasm and excitement. It represents our skills, confidence and capabilities”
“They were busy with appeasement (tushtikaran) of the vote bank, we are committed to satisfying the needs of the citizens (santushtikaran)”
“600 outlets operating under ‘One Station One Product’ and one lakh purchases made in a short time”
“Indian Railways is becoming synonymous with convenience for the common families of the country”
“Today, Madhya Pradesh is writing a new saga of continuous development”
“Performance of Madhya Pradesh is commendable in most of the parameters of development on which the state was once called ‘Bimaru’”
“India's poor, India's middle class, India's tribals, India's Dalit-backward, every Indian has become my protective shield”

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्रीमान मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री भाई शिवराज जी, रेलमंत्री अश्विनी जी, अन्य सभी महानुभाव, और विशाल संख्या में आए हुए भोपाल के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों!

सबसे पहले मैं इंदौर मंदिर में रामनवमी का जो हादसा हुआ, मैं अपना दुख व्यक्त करता हूं। इस हादसे में जो लोग असमय हमें छोड़ गए, उन्हें मैं श्रद्धांजलि देता हूं, उनके परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। जो श्रद्धालु जख्मी हुए हैं, जिनका अस्पताल में इलाज जारी है, मैं उनके जल्द स्वस्थ की भी कामना करता हूं।

साथियों,

आज एमपी को अपनी पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन मिली है। वंदे भारत एक्सप्रेस से भोपाल और दिल्ली के बीच का सफर और तेज़ हो जाएगा। ये ट्रेन प्रोफेशनल्स के लिए, नौजवानों के लिए, कारोबारियों के लिए, नई –नई सुविधा लेकर के आएगी।

साथियों,

ये आयोजन जिस आधुनिक और भव्य रानी कमलापति स्टेशन पर हो रहा है, उसका लोकार्पण करने का सौभाग्य भी आप सबने मुझे दिया था। आज मुझे यहीं से दिल्ली के लिए भारत की आधुनिकतम वंदे भारत ट्रेन को रवाना करने का आपने अवसर दिया है। रेलवे के इतिहास में कभी बहुत कम ऐसा हुआ होगा कि एक ही स्टेशन पर इतने कम अंतराल में किसी प्रधानमंत्री का दोबारा आना हुआ हो। लेकिन आधुनिक भारत में, नई व्यवस्थाएं बन रही हैं, नई परंपराएं बन रही हैं। आज का कार्यक्रम, इसी का भी एक उत्तम उदाहरण है।

साथियों,

अभी यहां मैंने जो यात्री के रूप में हमारे स्कूल के बच्चे जा रहे थे, कुछ पल उनके बीच बिताया, उनसे संवाद भी किया। उनके भीतर इस ट्रेन को लेकर जो उत्सुकता थी, उमंग थी, वो देखने योग्य थी। यानि एक तरह से वंदे भारत ट्रेन, विकसित होते भारत की उमंग और तरंग का प्रतीक है। और आज जब ये कार्यक्रम तय होता था, तो मुझे बताया गया कि 1 तारीख को कार्यक्रम है। मैंने कहा भई 1 अप्रैल को क्यों रखते हो। जब अखबार में खबर आएगी कि 1 अप्रैल को मोदी जी वंदे भारत ट्रेन को झंडी दिखाने वाले हैं तो हमारे कांग्रेस के मित्र जरूर बयान देंगे ये मोदी तो अप्रैल फूल करेगा। लेकिन आप देखते हैं 1 अप्रैल को ही ये ट्रेन चल पड़ी है।

साथियों,

ये हमारे कौशल, हमारे सामर्थ्य, हमारे आत्मविश्वास का भी प्रतीक है। और भोपाल आने वाली ये ट्रेन तो पर्यटन को सबसे ज्यादा मदद करने वाली है। इससे साँची स्तूप, भीमबेटका, भोजपुर और उदयगिरि गुफा जैसे पर्यटन स्थलों में आवाजाही और बढ़ने वाली है। और आपको पता है कि पर्यटन बढ़ता है तो रोजगार के अनेक अवसर बढ़ने लग जाते हैं, लोगों की आय भी बढ़ती है। यानि ये वंदे भारत, लोगों की आय बढ़ाने का भी माध्यम बनेगी, क्षेत्र के विकास का माध्यम भी बनेगी।

साथियों,

21वीं सदी का भारत अब नई सोच, नई अप्रोच के साथ काम कर रहा है। पहले की सरकारें तुष्टिकरण में ही इतना व्यस्त रहीं कि देशवासियों के संतुष्टिकरण पर उनका ध्यान ही नहीं गया। वे वोट बैंक के पुष्टिकरण में जुटे हुए थे। हम देशवासियों के संतुष्टिकरण में समर्पित हैं। पहले की सरकारों में एक और बात पर बड़ा जोर रहा। वो देश के एक ही परिवार को, देश का प्रथम परिवार मानती रहीं। देश के गरीब परिवार, देश के मध्यम वर्गीय परिवार, उन्हें तो उन्होंने अपने हाल पर ही छोड़ दिया था। इन परिवारों की आशाएं, अपेक्षाएं, उन्हें पूछने वाला ही कोई नहीं था। इसका जीता-जागता उदाहरण रही है हमारी भारतीय रेल। भारतीय रेलवे दरअसल सामान्य भारतीय परिवार की सवारी है। माता-पिता, बच्चे, दादा-दादी,नाना-नानी, सबको इकट्ठे जाना हो तो दशकों से लोगों का सबसे बड़ा साधन रेल रही है। क्या सामान्य भारतीय परिवार की इस सवारी को समय के साथ आधुनिक नहीं किया जाना चाहिए था? क्या रेलवे को ऐसे ही बदहाल छोड़ देना सही था?

साथियों,

आजादी के बाद भारत को एक बना-बनाया बहुत बड़ा रेलवे नेटवर्क मिला था। तब की सरकारें चाहतीं तो बहुत तेजी से रेलवे को आधुनिक बना सकती थीं। लेकिन राजनीतिक स्वार्थ के लिए, लोकलुभावन वादों के लिए, रेलवे के विकास को ही बलि चढ़ा दिया गया। हालत तो ये थी आजादी के इतने दशकों बाद भी हमारे नॉर्थ ईस्ट के राज्य, ट्रेन से नहीं जुड़े थे। साल 2014 में जब आपने मुझे सेवा का अवसर दिया, तो मैंने तय किया कि अब ऐसा नहीं होगा, अब रेलवे का कायाकल्प होकर रहेगा। बीते 9 वर्षों में हमारा ये निरंतर प्रयास रहा है कि भारतीय रेल दुनिया का श्रेष्ठ रेल नेटवर्क कैसे बने? साल 2014 से पहले भारतीय रेल को लेकर क्या-क्या खबरें आती थीं, ये आप भलीभांति जानते हैं। इतने बड़े रेल नेटवर्क में जगह-जगह, हजारों मानवरहित फाटक थे। वहां से अक्सर दुर्घटनाओं की खबरें आती थीं। कभी-कभी स्कूल के बच्चों की मौत की खबरें दिल दहला देती थीं। आज ब्रॉडगेज नेटवर्क, मानवरहित फाटकों से मुक्त हो चुका है। पहले ट्रेनों के दुर्घटनाग्रस्त accident होने और जान-माल की हानि की घटनाएं भी आए दिन आती रहती थी। आज भारतीय रेल बहुत अधिक सुरक्षित हुई है। यात्री सुरक्षा को मजबूती देने के लिए रेलवे में मेड इन इंडिया कवच प्रणाली का विस्तार किया जा रहा है।

साथियों,

सुरक्षा सिर्फ हादसों से ही नहीं है, बल्कि अब सफर के दौरान भी अगर किसी यात्री को शिकायत होती है, तो त्वरित कार्रवाई की जाती है। इमरजेंसी की स्थिति में भी बहुत कम समय में सहायता उपलब्ध कराई जाती है। ऐसी व्यवस्था का सबसे अधिक लाभ हमारी बहनों-बेटियों को हुआ है। पहले साफ-सफाई की शिकायतें भी बहुत आती थीं। रेलवे स्टेशनों पर थोड़ी देर रुकना भी सज़ा जैसा लगता था। ऊपर से ट्रेनें कई-कई घंटे लेट चला करती थीं। आज साफ-सफाई भी बेहतर है और ट्रेनों के लेट होने की शिकायतें भी निरतंर कम हो रही हैं। पहले तो स्थिति ये थी, लोगों ने शिकायत करना ही बंद कर दिया था, कोई सुनने वाला ही नहीं था। आपको याद होगा, पहले टिकटों की कालाबाज़ारी तो शिकायतों में सामान्य बात थी। मीडिया में आए दिन, इससे जुड़े स्टिंग ऑपरेशन दिखाए जाते थे। लेकिन आज टेक्नॉलॉजी का उपयोग कर, हमने ऐसी अनेक समस्याओं का समाधान किया है।

साथियों,

आज भारतीय रेलवे, देश के छोटे शिल्पकारों और कारीगरों के उत्पादों को देश के हर कोने तक पहुंचाने का भी बड़ा माध्यम बन रही है। One Station One Product इस योजना के तहत, जिस क्षेत्र में वो स्टेशन है, वहां के प्रसिद्ध कपड़े, कलाकृतियां, पेंटिंग्स, हस्त शिल्प, बर्तन आदि यात्री स्टेशन पर ही खरीद सकते हैं। इसके भी देश में करीब-करीब 600 आउटलेट बनाए जा चुके हैं। मुझे खुशी है कि बहुत ही कम समय में इनसे एक लाख से ज्यादा यात्री खरीदारी कर चुके हैं।

साथियों,

आज भारतीय रेल, देश के सामान्य परिवारों के लिए सुविधा का पर्याय बन रही है। आज देश में अनेकों रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। आज देश के 6 हजार स्टेशनों पर Wifi की सुविधा दी जा रही है। देश के 900 से ज्यादा प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर सीसीटीवी लगाने का काम पूरा हो चुका है। हमारी ये वंदे भारत एक्सप्रेस तो पूरे देश में, हमारी युवा पीढ़ी में सुपरहिट हो चुकी है। साल भर इन ट्रेनों की सीटें फुल जा रही हैं। देश के हर कोने से वंदे भारत चलाने की मांग की जा रही है। पहले सांसदों की चिट्ठियां आती थीं, तो चिट्ठी क्या आती थीं? सांसद लिखते थे फलानी ट्रेन इस स्टेशन पर रोकने की व्यवस्था हो, अभी दो स्टेशन पर रुकती है, तीन पर रोकने की व्यवस्था हो, यहां रोकी जाए, वहां रोकी जाए यही आता था। आज मुझे गर्व है, मुझे संतोष है जब सांसद चिट्ठी लिखते हैं और मांग करते हैं कि हमारे यहां भी वंदे भारत जल्दी से जल्दी चालू हो।

साथियों,

रेलवे यात्रियों की सुविधाएं बढ़ानें का ये अभियान लगातार बहुत तेज गति से चल रहा है। इस साल के बजट में भी रेलवे को रिकॉर्ड धनराशि दी गई है। एक समय था जब रेलवे के विकास की बात होते ही घाटे की बात की जाती थी। लेकिन अगर विकास की इच्छाशक्ति हो, नीयत साफ हो और निष्ठा पक्की हो तो नए रास्ते भी निकल ही आते हैं। बीते 9 वर्षों में हमने रेलवे के बजट को लगातार बढ़ाया है। मध्य प्रदेश के लिए भी इस बार 13 हजार करोड़ रुपए से अधिक का रेलवे बजट आवंटित किया गया है। जबकि 2014 से पहले मध्य प्रदेश के लिए हर वर्ष औसतन 600 करोड़ रुपया आप बताइये 600 करोड़ रुपये रेलवे बजट था। कहां 600 कहां आज 13 हजार करोड़।

साथियों,

आज रेलवे में कैसे आधुनिकीकरण हो रहा है इसका एक उदाहरण- Electrification का काम भी है। आज आप आए दिन सुन रहे हैं कि देश के किसी ना किसी हिस्से में रेलवे नेटवर्क का शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। जिन 11 राज्यों में शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है, उसमें मध्य प्रदेश भी शामिल है। 2014 से पहले हर साल average 600 किलोमीटर रेलवे रूट का Electrification होता था। अब हर साल औसतन 6000 किलोमीटर का Electrification हो रहा है। ये है हमारी सरकार के काम करने की रफ्तार।

साथियों,

मुझे खुशी है, मध्य प्रदेश आज पुराने दिनों को पीछे छोड़ चुका है। अब मध्य प्रदेश निरंतर विकास की नई गाथा लिख रहा है। खेती हो या फिर उद्योग, आज MP का सामर्थ्य, भारत के सामर्थ्य को विस्तार दे रहा है। विकास के जिन पैमानों पर कभी मध्य प्रदेश को बीमारू कहा जाता था, उनमें से अधिकतर में एमपी का प्रदर्शन प्रशंसनीय है। आज MP गरीबों के घर बनाने में अग्रणी राज्यों में है। हर घर जल पहुंचाने के लिए भी, मध्य प्रदेश अच्छा काम कर रहा है। गेहूं सहित अनेक फसलों के उत्पादन में भी हमारे मध्य प्रदेश के किसान नए रिकॉर्ड बना रहे हैं। उद्योगों के मामले में भी अब ये राज्य निरंतर नए कीर्तिमानों की तरफ बढ़ रहा है। इन सब प्रयासों से यहां युवाओं के लिए अनंत अवसरों की संभावनाएं भी बन रही हैं।

साथियों,

देश में विकास के लिए हो रहे इन प्रयासों के बीच, आप सभी देशवासियों को एक और बात की ओर भी ध्यान खींचवाना चाहता हूं। हमारे देश में कुछ लोग हैं जो 2014 के बाद से ही, ये ठानकर बैठे हैं और पब्लिकली बोले भी हैं और उन्होंने अपना संकल्प घोषित किया है, क्या किया है – उन्होंने अपना संकल्प घोषित किया है। हम मोदी की छवि को धूमिल करके रहेंगे। इसके लिए इन लोगों ने भांति-भांति के लोगों को सुपारी दे रखी है और खुद भी मोर्चा संभाले हुए हैं। इन लोगों का साथ देने के लिए कुछ लोग देश के भीतर हैं और कुछ देश के बाहर भी बैठकर अपना काम कर रहे हैं। ये लोग लगातार कोशिश करते रहे हैं कि किसी तरह मोदी की Image को धूमिल कर दें। लेकिन आज भारत के गरीब, भारत का मध्यम वर्ग, भारत के आदिवासी, भारत के दलित-पिछड़े, हर भारतीय आज मोदी का सुरक्षा कवच बना हुआ है। और इसीलिए ये लोग बौखला गए हैं। ये लोग नए-नए पैंतरे अपना रहे हैं। 2014 में उन्होंने मोदी की इमेज, मोदी की छवि धूमिल करने का संकल्प लिया। अब इन लोगों ने संकल्प ले लिया है- मोदी तेरी कब्र खुदेगी। इनकी साजिशों के बीच, आपको, हर देशवासी को, देश के विकास पर ध्यान देना है, राष्ट्र निर्माण पर ध्यान देना है। हमें विकसित भारत में मध्य प्रदेश की भूमिका को और बढ़ाना है। ये नई वंदे भारत एक्सप्रेस इसी संकल्प का ही एक हिस्सा है। एक बार फिर मध्यप्रदेश के सभी नागरिक भाइयों-बहनों को, भोपाल के नागरिक भाई-बहनों को इस आधुनिक ट्रेन के लिए बहुत-बहुत बधाई। हम सभी का सफर मंगलमय हो, इसी शुभकामना के साथ बहुत-बहुत धन्यवाद।