I thank the people of Rishikesh to have joined the programme at such a short notice: PM
Our sole agenda is -development, progress of the nation and welfare of people: PM Modi
Congress' anti-poor mind-set and negative politics is responsible for their fall: PM
Congress has let down the spirit of democracy by not letting the Parliament function: PM
Govt at Centre is committed to timely delivery of all schemes: PM Narendra Modi
We successfully implemented 'One Rank, One Pension'. Dignity of our armed forces is our prime focus: PM
After their defeat in polls, Congress party has been putting roadblocks in development of the country: PM
 

भारत माता की जय, भारत माता की जय!  

मंच पर विराजमान भाजपा के सभी वरिष्ठ नेतागण और विशाल संख्या में पधारे हुए प्यारे भाईयों और बहनों

चुनाव का बुखार चढ़ा हो, चारों तरफ चुनाव की धूम हो और पक्ष-विपक्ष में प्रचार अभियान तेज हो तो ऐसे समय गर्माए हुए माहौल में कोई 24 घंटे पहले सभा करने को कहे तो पार्टी के लोग कहेंगे कि कुछ दिन और दे दीजिए, अगले सप्ताह भेज दीजिए। आपने ये 24 घंटे में जो कमाल किया है... जहाँ भी नजर दौड़ रही है, माथे ही माथे नजर आ रहे हैं। जब मैं हेलिपैड से यहाँ आया तो पूरे रोड पर दोनों तरफ भीड़ लगी हुई थी। देवभूमि के मेरे प्यारे भाईयों-बहनों, प्रधानमंत्री बनने के बाद यह मेरी पहली यात्रा है और आपने जो स्वागत-सम्मान किया, जो प्यार दिया; वो मैं कभी भूल नहीं सकता। चुनाव में सभाएं होती हैं लेकिन ऐसे सहज वातावरण में इतना बड़ा जन सैलाब; मैं आप सभी लोगों एवं पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को ह्रदय से अभिनंदन करता हूँ।

मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि देश के विकास के लिए कार्य करने में कोई कोर-कसर नहीं रहेगी। सवा साल के कार्यकाल में आपने देखा होगा... मैंने देशवासियों से कहा था कि मैं परिश्रम की पराकाष्ठ करूँगा। अब तो मेरी बात का विश्वास है? पल-पल आपके लिए खपा रहा हूँ? जिम्मेवारी निभाने का पूरा प्रयास कर रहा हूँ? मैंने वादा किया था कि मैं चैन से नहीं बैठूँगा। आज मैं पांच राज्यों की यात्रा करके आया हूँ। सरकार में जनता का विश्वास है, आज मैं देख रहा हूँ। आज जन-मन इतना बदला है कि मैं एक इच्छा करूँ तो मेरे देशवासी पूरी ताकत लगाकर उसे पूरी कर देते हैं।

कुछ पहले तक यह स्थिति थी कि बालिकाएं तीसरी-चौथी कक्षाओं तक आते-आते स्कूल छोड़ देती थीं और अगर हमारी बालिकाएं अशिक्षित रहेंगी तो हमारी आने वाली पीढ़ियाँ अशिक्षित रहेंगी। हमारी बेटियां पढ़नी चाहिए। हमारे ध्यान में आया कि बेटियां स्कूल इसलिए छोड़ देती हैं क्योंकि स्कूलों में उनके लिए अलग से शौचालय नहीं हैं। ये शर्म की बात है कि नहीं है? हमें आजादी को मिले 65 साल से भी ज्यादा समय हो गया लेकिन बालिकाओं के लिए स्कूलों में अलग से शौचालय नहीं बने। हमने निर्णय किया कि हम इस काम को 1 साल में पूरा करेंगे। लोग कहते थे कि मोदी जी जो 60 साल में नहीं हुआ, वो 1 साल में कैसे होगा। मैंने कहा कि ये मैं नहीं बल्कि मेरे देशवासी पूरा करेंगे और आज मैं गर्व से कहता हूँ कि करीब-करीब सवा चार लाख शौचालय बनाने का काम एक साल के भीतर-भीतर हमने पूरा किया।

बैंकों का जब राष्ट्रीयकरण हुआ तो यह कहा गया था कि बैंकों का राष्ट्रीयकरण इसलिए किया जाता है ताकि बैंक गरीबों के काम आए और गरीब बैंकों के दरवाजे पर जा सके लेकिन आजादी के इतने वर्षों बाद भी यहाँ की आधी आबादी ऐसी थी जिसने कभी बैंक का दरवाजा नहीं देखा। हमने निर्णय किया कि बैंकों के पैसों पर अगर पहला किसी का अधिकार है तो देश के गरीबों, किसानों, नौजवानों और देश की माता-बहनों का है। हमने प्रधानमंत्री जन-धन योजना शुरू की। 26 जनवरी के पहले काम पूरा करने का निर्णय किया और आज मुझे आपको हिसाब देते हुए गर्व होता है कि 100 दिन के भीतर पूरे देश में आंदोलन चल पड़ा और करीब 17 करोड़ जन-धन खाते खुले।

मैं जब गुजरात में मुख्यमंत्री था; नया-नया था तो अनुभव भी कम था; विधानसभा में हमने घोषणा की कि हम 24 घंटे बिजली देंगे। गुजरात में उस समय 24 घंटे बिजली नहीं आती थी। हमने जब घोषणा की तो कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता हमसे मिलने आये। उन्होंने कहा कि मोदी जी आपसे कोई गलती हो गई है। मैंने उनसे पूछा – कौन सा? उन्होंने कहा कि आप नए आए हो; किसी ने आपको गुमराह किया है या आपने गलत हाथ पकड़ लिया है। मैंने कहा – कौन सी? उन्होंने कहा, 24 घंटे बिजली देने की जोकि संभव ही नहीं है; आप विफल हो जाओगे और अभी तो आपकी शुरुआत है; आपकी राजनीति ख़त्म हो जाएगी; आपको किसी ने गलत सलाह दी है। मैंने कहा, नेताजी आपने मुझे जो मार्गदर्शन दिया, मैं उसका बहुत आभारी हूँ। वे राजनीति करने नहीं आये थे। ईमानदारी से मेरे कमरे में आकर मुझे कान में बता रहे थे। मैंने उनसे कहा कि हाँ, 24 घंटे बिजली पहुँचाना काम कठिन तो है लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि लोगों ने कठिन काम के लिए मुझे यहाँ भेजा है।

भाईयों-बहनों, मैं आज देश के लिए सपना देख रहा हूँ कि 2022 में आजादी के 75 साल पूरे होने पर जब हम आजादी के वीरों को याद करेंगे तो हम उन्हें ऐसा हिन्दुस्तान देना चाहते हैं जहाँ घरों में 24 घंटे बिजली आती हो। भाईयों-बहनों, हमने ठान लिया है कि 2022 में दूर पहाड़ी क्षेत्रों में भी रहने वाले लोगों को भी हम 24 घंटे बिजली मुहैया कराएंगे। इस काम को करने के लिए जब मैं मीटिंग करता हूँ तो मुझे पता चला कि अभी भी हमारे देश में 18 हजार गाँव ऐसे हैं जहाँ न बिजली का खंभा पहुंचा है और न बिजली की तार पहुंची है और ये संख्या कम नहीं है। सबने कहा कि ये लगेगा, वो लगेगा; मैंने कहा, कुछ नहीं, जो होना है, होगा; जो करना है, कीजिये; मैं एक ही भाषा समझता हूँ कि 1000 दिन में 18 हजार गांवों में मुझे बिजली पहुंचानी है। आज मैं इस पूरे काम को मॉनिटर कर रहा हूँ कि काम शुरू हुआ है कि नहीं; तारें पहुंची कि नहीं। हर बात के पीछे सरकार एक समयबद्ध कार्यक्रम लेकर चल रही है और उस काम को आगे बढ़ाने की दिशा में हम तैयारी कर रहे हैं।

मैं चुनाव में जब आया था तो उत्तराखंड की धरती जहाँ परमात्मा हमारी रक्षा करता है और यहाँ नीचे जवान हमारी रक्षा करते हैं; ऊपर में बाबा केदारनाथ, बाबा बद्रीनाथ का हमें आशीर्वाद मिलता है और नीचे... यहाँ शायद ही कोई घर होगा जिसमें कोई जवान नहीं हो और जो देश की सेवा में जुटा न हो।

मैं उत्तराखंड में जब चुनावी सभाओं में आता था तो ‘वन रैंक, वन पेंशन’ की बात करता था। कांग्रेस ने इसके लिए 500 करोड़ का बजट रखा था जिसपर वे खूब वाहवाही लूटते थे। हमारे कुछ जवान भी उनकी जय-जयकार करने लग गए थे कि ‘वन रैंक, वन पेंशन’ के लिए इतना बजट हो गया। मैंने सोचा कि इससे थोड़ा ज्यादा खर्चा हो जाएगा, 1000 करोड़ या 1500 करोड़। फिर कमिटी ने कहा कि 265 करोड़ और लगेंगे, मैंने कहा ठीक है लेकिन जब हिसाब करने बैठे तो मामला 10 हजार करोड़ तक पहुँच गया। भारत जैसे देश के लिए 10 हजार करोड़ कोई मामूली रकम नहीं है। ये बहुत बड़ी रकम है लेकिन हमारे जवानों का सम्मान उससे भी बड़ा है। इसलिए हमने निर्णय किया है हमारे देश के जवानों को इसका लाभ मिले लेकिन अभी भी जिन लोगों को लगता था कि ये तो कभी होने वाला नहीं है और उन्हें पता भी था कि इतना खर्च होगा, उन्हें आंदोलन चलाने में अभी भी मजा आता है, वे अभी भी आंदोलन चला रहे हैं।

देश में नकारात्मक राजनीति कभी चल नहीं सकती। ये कांग्रेस का फार्मूला है और इसलिए कभी 400 सांसदों वाली कांग्रेस आज 40 पर सिमट गई है और ये इसलिए हो रहा है क्योंकि वे नकारात्मक राजनीति पर तुले हुए हैं और हर बात का विरोध करते हैं। लोकतंत्र में विरोधी दल का काम है – विरोध करना लेकिन नकारात्मक राजनीति और विरोध करने में बहुत बड़ा अंतर है। संसद चलने नहीं दी; उत्तराखंड के विषयों की चर्चा होनी चाहिए जो उन्होंने होने नहीं दी। आपने इतने सांसद चुन करके भेजे लेकिन संसद के अंदर उन्हें बोलने का अवसर नहीं दिया गया। क्या ये नकारात्मक राजनीति लोकतंत्र का भला करेगी? संसद चलनी चाहिए कि नहीं चलनी चाहिए? मान हो, मदद हो, सम्मान हो, यही तो लोकतंत्र का धर्म है लेकिन देश का दुर्भाग्य देखिये, इतने साल जो सत्ता में रहे, उनको विरोध करना, विरोध में बैठना रास नहीं आ रहा। वो जैसे थे, वैसे ही हैं। उन्हें लगता है कि ये तो उनकी पारिवारिक संपत्ति है, पीढ़ी-दर-पीढ़ी उन्हें ही मिलनी चाहिए; उनसे कौन छीन सकता है, वो भी मोदी, चायवाला, एक गरीब का बेटा। उनकी गरीब-विरोधी और सामंतशाही मानसिकता नहीं चलेगी।

देश में पूर्ण बहुमत वाली सरकार आई है; जनता-जनार्दन के आशीर्वाद से आई है। हम यहाँ किसी का हक़ छीन करके नहीं आए हैं। हमारा दायित्व बनता है – जनता की आशा-आकांक्षाओं को पूरा करना और ईश्वर ने जितनी शक्ति और सामर्थ्य दिया है, उसका प्रयोग करते हुए देश का भला करना लेकिन कांग्रेस वाले समझें कि नकारात्मक राजनीति का परिणाम क्या होता है। जिस कांग्रेस पार्टी का पंचायत से लेकर संसद तक झंडा झुकता नहीं था, वो आज नजर नहीं आते हैं। अभी पार्लियामेंट में इतना तूफ़ान किया; संसद चलने नहीं दी; जितनी प्रकार की गालियां मुझे दे सकते थे, सारी दे दी। रोज डिक्शनरी लेकर बैठते हैं कि आज कौन सी गाली दूं। इतना सारा करने के बावजूद अभी मध्यप्रदेश में स्थानीय निकाय के चुनाव हुए थे; उसमें क्या हुआ, ख़त्म हो गए न। अभी राजस्थान में स्थानीय निकाय के चुनाव हुए; क्या हुआ कांग्रेस का, लोगों ने ख़त्म कर दिया न। उसी तरह बंगलौर में भी उनका यही हाल हुआ।

कांग्रेस अपने वरिष्ठ नेताओं से कुछ सीखें। चुनाव में जय-पराजय तो होती रहती है। हमारी भी हुई थी; हम तो कभी पार्लियामेंट में 2 ही लोग थे; अटल जी समेत सब हार गए थे लेकिन हमने जनता का विश्वास जीतने के लिए मेहनत की। हम जनता के सवालों को लेकर चलते रहे और कभी नकारात्मक राजनीति नहीं की और यही जनता-जनार्दन है जिसने हमें सर-आँखों पर बिठा दिया।

मेरे भाईयों-बहनों, हमारा एक ही मकसद है – विकास। देश का कल्याण करना हो या नौजवानों को रोजगार दिलाना हो, विकास के बिना संभव नहीं है। ये लोग विकास के हर रास्ते में आड़े आ रहे हैं और उनका इरादा देश की प्रगति को रोकना है। भाजपा को नहीं रोक पाए तो अब देश को रोक रहे हैं। चुनाव में जनता ने उन्हें हरा दिया तो अब वे जनता से बदला लेने, उन्हें सजा देने और उनके कामों को रोकने पर तुले हुए हैं। मुझे विश्वास है कि देश की जनता नकारात्मक राजनीति करने वालों को पहचानेगी, उन्हें आगे आने वाले दिनों में भी सबक सिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ेगी। आप लोगों ने इतना स्वागत और सम्मान किया, मैं आपका बहुत आभारी हूँ।   

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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‘Restoring Balance’ is a global urgency: PM Modi highlights global health challenges at WHO Global Summit on Traditional Medicine
December 19, 2025
It is India’s privilege and a matter of pride that the WHO Global Centre for Traditional Medicine has been established in Jamnagar: PM
Yoga has guided humanity across the world towards a life of health, balance, and harmony: PM
Through India’s initiative and the support of over 175 nations, the UN proclaimed 21 June as International Yoga Day; over the years, yoga has spread worldwide, touching lives across the globe: PM
The inauguration of the WHO South-East Asia Regional Office in Delhi marks another milestone. This global hub will advance research, strengthen regulation & foster capacity building: PM
Ayurveda teaches that balance is the very essence of health, only when the body sustains this equilibrium can one be considered truly healthy: PM
Restoring balance is no longer just a global cause-it is a global urgency, demanding accelerated action and resolute commitment: PM
The growing ease of resources and facilities without physical exertion is giving rise to unexpected challenges for human health: PM
Traditional healthcare must look beyond immediate needs, it is our collective responsibility to prepare for the future as well: PM

WHO के डायरेक्टर जनरल हमारे तुलसी भाई, डॉक्टर टेड्रोस़, केंद्रीय स्वास्थ्य में मेरे साथी मंत्री जे.पी. नड्डा जी, आयुष राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव जी, इस आयोजन से जुड़े अन्य देशों के सभी मंत्रीगण, विभिन्न देशों के राजदूत, सभी सम्मानित प्रतिनिधि, Traditional Medicine क्षेत्र में काम करने वाले सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों !

आज दूसरी WHO Global Summit on Traditional Medicine का समापन दिन है। पिछले तीन दिनों में यहां पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े दुनिया भर के एक्सपर्ट्स ने गंभीर और सार्थक चर्चा की है। मुझे खुशी है कि भारत इसके लिए एक मजबूत प्लेटफार्म का काम कर रहा है। और इसमें WHO की भी सक्रिय भूमिका रही है। मैं इस सफल आयोजन के लिए WHO का, भारत सरकार के आयुष मंत्रालय का और यहां उपस्थित सभी प्रतिभागियों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

ये हमारा सौभाग्य है और भारत के लिए गौरव की बात है कि WHO Global Centre for Traditional Medicine भारत के जामनगर में स्थापित हुआ है। 2022 में Traditional Medicine की पहली समिट में विश्व ने बड़े भरोसे के साथ हमें ये दायित्व सौंपा था। हम सभी के लिए खुशी की बात है कि इस ग्लोबल सेंटर का यश और प्रभाव locally से लेकर के globally expand कर रहा है। इस समिट की सफलता इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इस समिट में Traditional knowledge और modern practices का कॉन्फ्लूएंस हो रहा है। यहां कई नए initiatives भी शुरू हुए हैं, जो medical science और holistic health के future को transform कर सकते हैं। समिट में विभिन्न देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों और प्रतिनिधियों के बीच विस्तार से संवाद भी हुआ है। इस संवाद ने ज्वाइंट रिसर्च को बढ़ावा देने, नियमों को सरल बनाने और ट्रेनिंग और नॉलेज शेयरिंग के लिए नए रास्ते खोले हैं। ये सहयोग आगे चलकर Traditional Medicine को अधिक सुरक्षित, अधिक भरोसेमंद बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

साथियों,

इस समिट में कई अहम विषयों पर सहमति बनना हमारी मजबूत साझेदारी का प्रतिबिंब है। रिसर्च को मजबूत करना, Traditional Medicine के क्षेत्र में डिजिटल टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ाना, ऐसे रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करना जिन पर पूरी दुनिया भरोसा कर सके। ऐसे मुद्दे Traditional Medicine को बहुत सशक्त करेंगे। यहां आयोजित Expo में डिजिटल हेल्थ टेक्नोलॉजी, AI आधारित टूल्स, रिसर्च इनोवेशन, और आधुनिक वेलनेस इंफ्रास्ट्रक्चर, इन सबके जरिए हमें ट्रेडिशन और टेक्नोलॉजी का एक नया collaboration भी देखने को मिला है। जब ये साथ आती हैं, तो ग्लोबल हेल्थ को अधिक प्रभावी बनाने की क्षमता और बढ़ जाती है। इसलिए, इस समिट की सफलता ग्लोबल दृष्टि से बहुत ही अहम है।

साथियों,

पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली का एक अहम हिस्सा योग भी है। योग ने पूरी दुनिया को स्वास्थ्य, संतुलन और सामंजस्य का रास्ता दिखाया है। भारत के प्रयासों और 175 से ज्यादा देशों के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को योग दिवस घोषित किया गया था। बीते वर्षों में हमने योग को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचते देखा है। मैं योग के प्रचार और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले हर व्यक्ति की सराहना करता हूं। आज ऐसे कुछ चुनींदा महानुभावों को पीएम पुरस्कार दिया गया है। प्रतिष्ठित जूरी सदस्यों ने एक गहन चयन प्रक्रिया के माध्यम से इन पुरस्कार विजेताओं का चयन किया है। ये सभी विजेता योग के प्रति समर्पण, अनुशासन और आजीवन प्रतिबद्धता के प्रतीक हैं। उनका जीवन हर किसी के लिए प्रेरणा है। मैं सभी सम्मानित विजेताओं को हार्दिक बधाई देता हूं, अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

मुझे ये जानकर भी अच्छा लगा कि इस समिट के आउटकम को स्थायी रूप देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया हैं। Traditional Medicine Global Library के रूप में एक ऐसा ग्लोबल प्लेटफॉर्म शुरू किया गया है, जो ट्रेडिशनल मेडिसिन से जुड़े वैज्ञानिक डेटा और पॉलिसी डॉक्यूमेंट्स को एक जगह सुरक्षित करेगा। इससे उपयोगी जानकारी हर देश तक समान रूप से पहुंचने का रास्ता आसान होगा। इस Library की घोषणा भारत की G20 Presidency के दौरान पहली WHO Global Summit में की गई थी। आज ये संकल्प साकार हो गया है।

साथियों,

यहां अलग-अलग देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने ग्लोबल पार्टनरशिप का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है। एक साझेदार के रूप में आपने Standards, safety, investment जैसे मुद्दों पर चर्चा की है। इस संवाद से जो Delhi Declaration इसका रास्ता बना है, वो आने वाले वर्षों के लिए एक साझा रोडमैप की तरह काम करेगा। मैं इस joint effort के लिए विभिन्न देशों के माननीय मंत्रियों की सराहना करता हूं, उनके सहयोग के लिए मैं आभार जताता हूं।

साथियों,

आज दिल्ली में WHO के South-East Asia Regional Office का उद्घाटन भी किया गया है। ये भारत की तरफ से एक विनम्र उपहार है। ये एक ऐसा ग्लोबल हब है, जहां से रिसर्च, रेगुलेशन और कैपेसिटी बिल्डिंग को बढ़ावा मिलेगा।

साथियों,

भारत दुनिया भर में partnerships of healing पर भी जोर दे रहा है। मैं आपके साथ दो महत्वपूर्ण सहयोग साझा करना चाहता हूं। पहला, हम बिमस्टेक देशों, यानी दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में हमारे पड़ोसी देशों के लिए एक Centre of Excellence स्थापित कर रहे हैं। दूसरा, हमने जापान के साथ एक collaboration शुरू किया है। ये विज्ञान, पारंपरिक पद्धितियों और स्वास्थ्य को एक साथ जोड़ने का प्रयास है।

साथियों,

इस बार इस समिट की थीम है- ‘Restoring Balance: The Science and Practice of Health and Well-being’, Restoring Balance, ये holistic health का फाउंडेशनल थॉट रहा है। आप सब एक्स्पर्ट्स अच्छी तरह जानते हैं, आयुर्वेद में बैलेन्स, अर्थात् संतुलन को स्वास्थ्य का पर्याय कहा गया है। जिसके शरीर में ये बैलेन्स बना रहता है, वही स्वस्थ है, वही हेल्दी है। आजकल हम देख रहे हैं, डायबिटीज़, हार्ट अटैक, डिप्रेशन से लेकर कैंसर तक अधिकांश बीमारियों के background में lifestyle और imbalances एक प्रमुख कारण नजर आ रहा है। Work-life imbalance, Diet imbalance, Sleep imbalance, Gut Microbiome Imbalance, Calorie imbalance, Emotional Imbalance, आज कितने ही global health challenges, इन्हीं imbalances से पैदा हो रहे हैं। स्टडीज़ भी यही प्रूव कर रही हैं, डेटा भी यही बता रहा है कि आप सब हेल्थ एक्स्पर्ट्स कहीं बेहतर इन बातों को समझते हैं। लेकिन, मैं इस बात पर जरूर ज़ोर दूँगा कि ‘Restoring Balance, आज ये केवल एक ग्लोबल कॉज़ ही नहीं है, बल्कि, ये एक ग्लोबल अर्जेंसी भी है। इसे एड्रैस करने के लिए हमें और तेज गति से कदम उठाने होंगे।

साथियों,

21वीं सदी के इस कालखंड में जीवन के संतुलन को बनाए रखने की चुनौती और भी बड़ी होने वाली है। टेक्नोलॉजी के नए युग की दस्तक AI और Robotics के रूप में ह्यूमन हिस्ट्री का सबसे बड़ा बदलाव आने वाले वर्षों में जिंदगी जीने के हमारे तरीके, अभूतपूर्व तरीके से बदलने वाले हैं। इसलिए हमें ये भी ध्यान रखना होगा, जीवनशैली में अचानक से आ रहे इतने बड़े बदलाव शारीरिक श्रम के बिना संसाधनों और सुविधाओं की सहूलियत, इससे human bodies के लिए अप्रत्याशित चुनौतियां पैदा होने जा रही हैं। इसलिए, traditional healthcare में हमें केवल वर्तमान की जरूरतों पर ही फोकस नहीं करना है। हमारी साझा responsibility आने वाले future को लेकर के भी है।

साथियों,

जब पारंपरिक चिकित्सा की बात होती है, तो एक सवाल स्वाभाविक रूप से सामने आता है। ये सवाल सुरक्षा और प्रमाण से जुड़ा है। भारत आज इस दिशा में भी लगातार काम कर रहा है। यहां इस समिट में आप सभी ने अश्वगंधा का उदाहरण देखा है। सदियों से इसका उपयोग हमारी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में होता रहा है। COVID-19 के दौरान इसकी ग्लोबल डिमांड तेजी से बढ़ी और कई देशों में इसका उपयोग होने लगा। भारत अपनी रिसर्च और evidence-based validation के माध्यम से अश्वगंधा को प्रमाणिक रूप से आगे बढ़ा रहा है। इस समिट के दौरान भी अश्वगंधा पर एक विशेष ग्लोबल डिस्कशन का आयोजन किया गया। इसमें international experts ने इसकी सुरक्षा, गुणवत्ता और उपयोग पर गहराई से चर्चा की। भारत ऐसी time-tested herbs को global public health का हिस्सा बनाने के लिए पूरी तरह कमिटेड होकर काम कर रहा है।

साथियों,

ट्रेडिशनल मेडिसिन को लेकर एक धारणा थी कि इसकी भूमिका केवल वेलनेस या जीवन-शैली तक सीमित है। लेकिन आज ये धारणा तेजी से बदल रही है। क्रिटिकल सिचुएशन में भी ट्रेडिशनल मेडिसिन प्रभावी भूमिका निभा सकती है। इसी सोच के साथ भारत इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि आयुष मंत्रालय और WHO-Traditional Medicine Center ने नई पहल की है। दोनों ने, भारत में integrative cancer care को मजबूत करने के लिए एक joint effort किया है। इसके तहत पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को आधुनिक कैंसर उपचार के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। इस पहल से evidence-based guidelines तैयार करने में भी मदद मिलेगी। भारत में कई अहम संस्थान स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे ही गंभीर विषयों पर क्लिनिकल स्टडीज़ कर रहे हैं। इनमें अनीमिया, आर्थराइटिस और डायबिटीज़ जैसे विषय भी शामिल हैं। भारत में कई सारे स्टार्ट-अप्स भी इस क्षेत्र में आगे आए हैं। प्राचीन परंपरा के साथ युवाशक्ति जुड़ रही है। इन सभी प्रयासों से ट्रेडिशनल मेडिसिन एक नई ऊंचाई की तरफ बढ़ती दिख रही है।

साथियों,

आज पारंपरिक चिकित्सा एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। दुनिया की बड़ी आबादी लंबे समय से इसका सहयोग लेती आई है। लेकिन फिर भी पारंपरिक चिकित्सा को वो स्थान नहीं मिल पाया था, जितना उसमें सामर्थ्य है। इसलिए, हमें विज्ञान के माध्यम से भरोसा जीतना होगा। हमें इसकी पहुंच को और व्यापक बनाना होगा। ये जिम्मेदारी किसी एक देश की नहीं है, ये हम सबका साझा दायित्व है। पिछले तीन दिनों में इस समिट में जो सहभागिता, जो संवाद और जो प्रतिबद्धता देखने को मिली है, उससे ये विश्वास गहरा हुआ है कि दुनिया इस दिशा में एक साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार है। आइए, हम संकल्प लें कि पारंपरिक चिकित्सा को विश्वास, सम्मान और जिम्मेदारी के साथ मिलकर के आगे बढ़ाएंगे। एक बार फिर आप सभी को इस समिट की मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।