Elect a stable BJP Government with comfortable majority: PM Modi in Goa

Published By : Admin | January 28, 2017 | 17:41 IST
QuoteLast five years had been the years of development for the state: PM
QuoteElect a BJP Government elect with a comfortable majority in Goa, urges PM Modi
QuoteGoa deserves everything that is iconic. We will develop infrastructure that is the best: PM
QuoteWe can have differences of opinion but that does not mean we need to deviate from the core issue of India's development: PM
QuoteToday, India has a Government that has the courage to take bold decisions: PM Modi

मंच पर विराजमान मंत्री परिषद के मेरे साथी देश के रक्षा मंत्री श्रीमान मनोहर पर्रिकर जी, यहां के मुख्यमंत्री श्रीमान लक्ष्मीकांत जी, केंद्र में मेरे साथी श्री नितिन गडकरी जी, श्रीपाद नायक जी, प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्रीमान विजय जी, गोवा के उप मुख्यमंत्री फ्रांसिस डिसूजा जी, सांसद श्री नरेंद्र जी, राज्य सरकार में मंत्री श्रीमान दयानंद जी, श्रीमति कूडा जी, श्रीमान राजेंद्र जी, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मिशन के कन्वीनर श्रीमान राजेंद्र फड़के, श्रीमान नरेंद्र गोबले जी, श्रीमान सदानंद तानबड़े जी, प्रकाश बेलीपे जी और विशाल संख्या में पधारे हुए प्यारे भाइयो और बहनों।  

मैं सबसे पहले वर्तमान में गोवा में जो सरकार है, उस सरकार को बधाई देना चाहता हूं, गोवावासियों को बधाई देना चाहता हूं, क्योंकि ये पांच वर्ष गोवा के विकास के वर्ष रहे हैं। एक ऐसी मजबूत नीव वर्तमान सरकार ने रखी है, जिस पर आने वाले दिनों में विकास की भव्य इमारत बनाने का हमारा सपना है। कुछ महीने पहले एक मैगजीन ने पूरे देश का सर्वे किया और उन्होंने पाया कि हिंदुस्तान में जितने भी छोटे राज्य है, उन छोटे राज्यों में चमकता हुआ कोई सितारा है तो वो गोवा प्रदेश है। चाहे शिक्षा का मामला हो, सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर की पहल हो, इंफ्रास्ट्रक्चर के काम हो, गोवा सरकार ने हिंदुस्तान के सिर्फ छोटे नहीं, बड़े-बड़े राज्यों को भी सबक सीखने के लिए प्रेरित किया है। ये काम गोवा ने करके दिखाया है। कभी-कभी हम क्रिकेट को देखने के लिए स्टेडियम में बैठे होते हैं तो उतनी बारीकी का पता नहीं चलता है, जितना कि दूर घर में बैठकर के कोई टीवी पर देखता है। उसको बराबर समझ आती है बॉल कैसे जा रहा है, कहां कैच किया जा रहा है, फील्डर क्या कर रहा है, क्योंकि दूर से कैमरा लगा हुआ है, बराबर दिखाई देता है। मैं दिल्ली में बैठा हूं। मुझे गोवा पूरा पूरा दिखता है और जब प्रगति की बातें देखता हूं। इतना संतोष होता है, इतना आनंद होता है, कोई क्षेत्र अछूता नहीं रहने दिया है। सर्वांगीण विकास किसे कहते है ये गोवा की वर्तमान सरकार ने उत्तम उदहारण प्रस्तुत किया है।

भाइयों बहनों।

बहुत वर्षों से गोवा को एक बीमारी लगी हुई है। ये चुनाव उस बीमारी से गोवा को मुक्त करने का चुनाव है। कौन-सी बीमारी है, सबसे बड़ी बीमारी है अस्थिरता। अस्थिरता ने राजनीतिक उठापटक ने राजनीतिक खरीद बिक्री ने गोवा की सारी  बातों को पीछे रख दिया। आप कल्पना कर सकते हैं।

जरा याद करें, पुराने लोग।

1990 से 2000 का कालखंड। दस साल में गोवा ने 12 से ज्यादा मुख्यमंत्री देखे हैं। दस साल में एक दर्जन से ज्यादा मुख्यमंत्री। दस साल में ज्यादा से ज्यादा दो हो सकते हैं। जब भी चाहो सरकार, इसी बात पे व्यस्त थी कि अगला शपथ समारोह कब होगा और उसने गोवा को बहुत पीछे छोड़ दिया और कांग्रेस को अस्थिरता बड़ी सूट कर जाती थी। ... क्योंकि अस्थिरता के नाम पे वो लोगों को कहते थे, इधर अस्थिरता के नाम पर खरीद बिक्री चलती थी और जनता को समझाते थे। क्या करे भाई? अस्थिर सरकार है तो साथी दल वाले मानते नहीं है, इसलिए कुछ काम होते नहीं है, बच जाते थे। बड़ी मुश्किल से 5 साल पहले आपने स्थिर सरकार देने का एक प्रमाणिक प्रयास किया। गोवा के नागरिक, इस बात को समझ गए लेकिन फिर भी, कुछ कमी रह गई थी और इसलिए आपने देखा अपने स्वार्थ के खातिर आखिर आखिर में भाग ही गए।

भाइयों और बहनों।

गोवा इस बात की अब गलती करे। पूर्ण बहुमत दे। comfortable majority दे। मैं आपको वादा करता हूं, अगर आप हमें comfortable majority देंगे, हम गोवा को हिंदुस्तान का सबसे comfortable स्टेट बना देंगे। आज पूरे देश मे केंद्र में जो सरकार है, वो टूरिज्म पे बल दे रही है। ... और लोगों को लगता था, टूरिज्म खत्म हो जायेगा। नोटबंदी के कारण तो बिलकुल ही बंद हो जायेगा। उनकी बोलती बंद हो गई। दिवाली के बाद भी, टूरिज्म में बढ़ोतरी होती गई।

आप मुझे बताइए। हिंदुस्तान में टूरिज्म बढ़ता है, हिन्दुस्तान में विदेश के टूरिस्ट  आते हैं। सबसे ज्यादा लाभ किसको मिलता है... जरा बोलिए , किसको लाभ मिलता है... दुनिया भर के टूरिस्ट कहां आना पसंद करते हैं ... ये इसलिए संभव है, क्योंकि गोवा की हमारी सरकार ने टूरिज्म को केंद्र में रखते हुए इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया है और दिल्ली की भारत सरकार ने वीजा नियमों में ऐसा बदलाव किया है कि बहुत आसानी से टूरिस्टों को आने की सुविधा हो गई है। अनेक देशों को arrival वीजा देने की शुरुआत कर दी। अनेक देशों को ऑनलाइन -वीजा की जरूरत कर दी। टूरिस्ट को ये सुविधा अच्छी लगती है। इसका सीधा-सीधा लाभ अगर किसी ने उठाया है तो गोवा की जनता ने, गोवा की सरकार ने उठाया है और आने वाले दिनों में भी ... टूरिज्म के लिए पहले क्या होता था? सिर्फ टीवी पे advertisment जाये तो उनको लगता था की टूरिज्म बढ़ जायेगा। अब हिदुस्तान में ही आप advertisment दिखाते रहोगे। कलाकारों को लाके दिखाओगे तो विदेश का टूरिस्ट आएगा क्या? ये पुरानी सरकार इस बात की समझी नहीं थी। वो यहां पर टीवी पे खर्चा करते थे। अगर टूरिज्म बढ़ाना है तो विदेशों में ताकत लगानी होती है। विदेशों से आने वाले लोगों की संख्या बढ़ानी होती है। विदेशों से आने वाले लोगों को प्रेरित करना होता है। हमने हमारा पूरा फोकस सरकार की इस नीति को बदल दिया और टूरिस्ट कैसे ज्यादा आये। विदेश से टूरिस्ट कैसे आये, उस पर  बल दिया। ... और राज्यों को प्रेरित किया कि जो आये, वो ज्यादा दिन रूके कैसे? इसके लिए आप काम करो। ऐसा मेल जोल के साथ चल रहा है कि आज देश में टूरिज्म तेज गति से बढ़ रहा है और उस तरीके का लाभ सबसे ज्यादा गोवा को मिल रहा है। टूरिज्म एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें सबसे कम पूंजी निवेश से भी आगे बढ़ाया जा सकता है। कम इंवेस्टमेंट में ज्यादा रोजगार की संभावना टूरिज्म में होती है। हर कोई कमाता है। रिक्शेवाला कमाएगा, गेस्ट हाउस वाला कमाएगा, नाव वाला कमाएगा, टूरिस्ट गाइड कमाएगा, चाय बेचने वाला कमाएगा, बिस्कुट बेचने वाला कमाएगा, चने मुरमुरे बेचने वाला कमाएगा, गरीब से गरीब कमाता है।

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... और इसलिए गोवा की आर्थिक उन्नति के लिए, सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देने के लिए, हम टूरिज्म को बढ़ावा देने की दिशा में, राज्य सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर के हम प्रयास कर रहे हैं। व्यवस्था के लिए ब्रिज बनना, वो स्वाभाविक बात है, लेकिन क्या कारण है कि दस साल दिल्ली में ऐसी सरकार बैठी थी कि जिसको गोवा में एक भी ब्रिज बनाने में रूचि नहीं थी। रोड़े अटकाने में लगे हुए थे। अगर गोवा में उपयुक्त इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होगा तो छोटा सा राज्य सिकुड़कर रह जायेगा। विकास की संभावनाएं धीरे-धीरे कम हो जाएगी। लोगों को यहां से हटकर के कहीं कर्नाटक, कहीं महारास्ट्र जाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। अगर ये रिवर्स ट्रेंड चालू हो गया तो गोवा के भाग्य का क्या होगा? इन बातों को ध्यान में रखते हुए हमने ब्रिज को भी प्राथमिकता दी। ... और हमने ये भी तय किया कि और शहर में जो ब्रिज बनते हैं, और राज्यों में जो ब्रिज बनते हैं, वह और गोवा में जो ब्रिज बने वो, उसमें आसमान जमीन का अंतर होना चाहिए। यहां हर चीजें ऐसी बननी चाहिये जो टूरिस्ट के लिए आइकोनिक हो। यहां सिंपल चीजें नहीं चल सकती, क्योंकि हमें टूरिज्म को बढ़ावा देना है। ... और इसलिए जुवारी पूल करीब-करीब एक हजार करोड़ का लागत और एक हजार करोड़ की लागत से, एक ऐसा अदभुत ब्रिज बनाने का काम चल रहा है, जो पूरे गोवा के लिए एक नया आइकोनिक नजराना जुड़ जायेगा। टूरिस्ट के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। गोवावासियों के लिए सुविधा का आधार बन जाएगा।

भाइयों बहनों।

मैं आज गर्व से कह सकता हूं। पिछले 50 वर्ष की सब सरकारों ने, केंद्र सरकारों ने 50 साल में जितनी मदद की है। उससे ज्यादा 25 महीनों में हमारी सरकार ने गोवा को मदद की है। आप कल्पना कर सकते हैं, एक तरफ 50 साल का टोटल और दूसरी तरफ 25 महीने का टोटल। ये गति है हमारी, ये हमारी दिशा है।

...और इसलिए भाइयों बहनों।

मैं गोवावासियों से आज विशेष आग्रह करने आया हूं। 4 तारीख को आप मतदान करेंगे। गोवा का एक दुर्भाग्य है। यहां अच्छा करने का उमंग वाले नेताओं से ज्यादा दूसरे का बुरा करने में आनंद आने वाले नेताओं की संख्या ज्यादा है। उनको इस बात पे आनंद नहीं आता कि चलो गोवा का भला हो। ये भी नहीं कि मैं कुछ अच्छा करूंगा। उनका तो यही है कि मैं मरूं तो मरूं लेकिन तुझको नहीं छोडूं। मेरे गोवा वासी ये जो वोट कटाउ लोग हैं , वोट काटने वाले लोग, ये लोकतंत्र का जेब काट लेते हैं। ये लोग लोकतंत्र के जेबकतरे हैं। ... और लोकतंत्र के जो जेबकतरे होते हैं, वो किसी के लिए भला नहीं चाहते हैं। वो सिर्फ वोट काट-काट कर लोकतंत्र की जेब काट लेते हैं और लोकतंत्र को नीचा दिखाने का, लोकतंत्र को कमजोर करने का प्रयास करते हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है। कुछ लोग जैसे, एक तारीख को बजट आने वाला है, भारत सरकार का। कुछ पार्टियां अभी से बैठी है। कुछ इकोनॉमिक्स को बुला रहे हैं, कुछ लिखने पढ़ने वालों को बुला रहे हैं और अभी से ड्राफ्ट बना रहे हैं कि एक तारीख को भारत सरकार का बजट आएगा। अभी तो बजट आया नहीं है। बजट में क्या आने वाला है, उनको पता नहीं है। ये अभी से प्लान बना रहे हैं कि जैसे ही बजट पूरा हो, हम उस पर कैसा हमला कर दें ताकि गोवा में भी मैसेज चला जाये, पंजाब में भी मैसेज चला जाये, उत्तर प्रदेश भी मैसेज चला जाये, उत्तराखंड मैसेज चला जाये, मणिपुर मैसेज मेसेज चला जाये, उसके लिए कागज पर अभी से ड्राफ्टिंग कर रहे हैं। बजट आने के बाद कोई प्रतिक्रिया दे, तो हम समझते हैं। विपक्ष आलोचना करे ये भी समझते हैं लेकिन अभी से वो मेहनत वित्त मंत्री बजट के लिए जितनी मेहनत कर रहे हैं। उससे ज्यादा इस सरकार को बुरा-भला कहने का मौका ढूंढने वाले लोग, अभी से इतनी मेहनत कर रहे हैं कि बजट के खिलाफ क्या बोलना है? ... ये लोकतंत्र के लिए अच्छी सोच नहीं है। कुछ लोग पराजय सामने दिखता है तो पराजय अपने सर पे आये इसलिए पहले से माहौल बना देते हैं, जब उनको पता चल जाता है। आपने देखा होगा, कुछ बच्चे एग्जाम में अगर ठीक नहीं कर रहे हैं तो कहते हैं कि टीचर ने पढ़ाया नहीं था। मां बाप भी कहेंगे कि ये स्कूल बेकार है। हमारा बच्चा फिर कहेंगे, नहीं नहीं वो एग्जामिनर जो था, उसने ठीक से देखा नहीं  इसलिए मार्क्स कम आये। कभी ये नहीं देखते कि उनके बच्चे ने पढ़ाई की थी या नहीं की थी  लेकिन कारण ढूंढते हैं। यहां भी मैं देख रहा हूं। इस चुनाव में मैंने एक पार्टी का बयान पढ़ा, वो कह रहे थे कि हमें आश्चर्य है कि पंजाब और गोवा का चुनाव साथ-साथ क्यों आया? दोनों एक ही तारीख को क्यों? दोनों 4 तारीख ही क्यों? दोनों बिलकुल शुरू में कैसे गए? ये तो पीएमओ ने इलेक्शन कमीशन पर दबाव डाला है इसलिए ऐसा हुआ मतलब पराजय की तैयारियां चल रही है। बहाने ढूंढे जा रहे हैं। हार जायेंगे तो क्या कहेंगे। इलेक्शन कमीशन ने डेट ऐसी दे दी इसलिए हार गए। क्या चुनाव में लोकतंत्र में लड़ाई ऐसे मुद्दे पे करोगे कि इलेक्शन कमीशन ने डेट कौन सी दे दी। अगर अंपायर पे भरोसा नहीं करते हो तो खेल के मैदान में आते ही क्यों हो ? लोकतंत्र है। हमें व्यवस्थाओं को स्वीकार करना होता है। व्यवस्था के प्रति आस्था  बनानी होती है। अगर व्यवस्था पर आस्था तोड़ देंगे तो सामान्य वर्ग का विश्वास डिग जायेगा।

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लेकिन भाइयों बहनों।

राजनीति को इतने नीचे स्तर पे ले जाने का प्रयास हो रहा है कि जिसके कारण सार्वजानिक जीवन के मूल्य, उसको गिराने के लिए, कुछ लोगों को गौरव महसूस हो रहा है।

भाइयों बहनों।

आप मुझे बताइए। हिदुस्तान की जनता समझदार है कि नहीं है? … मुझे बताइए समझदार है कि नहीं है ... समझदार है कि नहीं है ... सबके सब चुनाव में, देश के हर कोने में कांग्रेस की विदाई क्यों हो रही है भाई? ... पिटाई क्यों हो रही है ... समझदार है कि नहीं है .... जो समझ हिंदुस्तान के नागरिक को है, उससे ज्यादा समझ गोवा के नागरिक को है। गोवा का नागरिक कांग्रेस के कुशासन को देख चुका है, भ्रष्टाचार की पाप लीला को भुगत चुका है, खरीद बिक्री के खेल देखे हैं। अब कभी भी हम गोवा को ऐसी मुसीबतों में फंसने नहीं देंगे। ये इस चुनाव के अन्दर आप लोगों को निर्णय करना है।

भाइयों बहनों। राजनीतिक विचार हो सकते हैं, राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं। निर्णयों की आलोचना हो सकती है। लोकतंत्र में वो स्वभाविक भी है।

लेकिन भाइयों बहनों।

पीड़ा तब होती है जब राजनीतिक नेता राजनीतिक दल विकास के मुद्दे पर चर्चा करने से भागते हैं। देश में चुनाव विकास के मुद्दे पे लड़े जाने चाहिए। देश में सरकारों की कसौटी को विकास के तराजू से तौलनी चाहिए। हिंदुस्तान के सामान्य मानवी के जीवन में बदलाव तभी आने वाला है।

भाइयों बहनों।

आज दुनिया देख रही है कि हिदुस्तान में वर्षों के बाद एक ऐसी सरकार आई है जिसमें हिम्मत है, हिम्मत से फैसले भी लेते हैं। आप मुझे बताइए। पूरी दुनिया में, मैं आपसे जवाब चाहता हूं। आज पूरी दुनिया में हिंदुस्तान का जय जयकार हो रहा है कि नहीं हो रहा है ... हिदुस्तान का जय जय कार हो रहा है कि नहीं हो रहा है ... अमेरिका में हो रहा है कि नहीं हो रहा है ... जापान में हो रहा है कि नहीं हो रहा है ... चीन में हो रहा है कि नहीं हो रहा है ... श्रीलंका में हो रहा है कि नहीं हो रहा है ... नेपाल में हो रहा है कि नहीं हो रहा है ...

भाइयों बहनों।

ये जय जयकार क्यों हो रहा है? ... क्या कारण है? क्या कारण है कि जय जयकार हो रहा है? ... पूरी ताकत से बताइए। क्या कारण है कि जय जयकार हो रहा है। ... मोदी के कारण नहीं हो रहा है। ये जय जयकार हो रहा है। सवा सौ करोड़ हिदुस्तानवासियों ने 30 साल के बाद पूर्ण बहुमत वाली सरकार चुनी है। अगर दिल्ली में अस्थिर सरकार होती तो आज विश्व हिदुस्तान की तरफ जिस प्रकार से देख रहा है, नहीं देखता। क्या गोवा में भी comfortable majority के साथ स्थिर सरकार बनानी चाहिए कि नहीं बनानी चाहिए... बननी चाहिए कि नहीं बननी चाहिए ... पूरे हिदुस्तान में गोवा का डंका बजनी चाहिए कि नहीं बजनी चाहिए। हिदुस्तान के हर कोने में गोवा का जय जयकार होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए ...

और इसलिए भाइयो बहनों।

मैं आज आपसे आग्रह करने करना आया हूं। पूर्ण बहुमत के साथ-साथ मैं comfortable majority कहता हूं। आने वाले 5 साल में जो काम 50 साल में नहीं हो पाए, वो मुझे करके दिखाना है गोवा में क्योंकि दुनियाभर से में टूरिस्ट को लाना चाहता हूं। विश्वभर में जो वातावरण बना है, वो मैं गोवा की झोली भरने के लिए लगाना चाहता हूं। ... और इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं।  

भाइयों बहनों।

समय की मेरी सीमा है। सूर्यास्त होने से पहले हेलीकाप्टर को उड़ाना पड़ता है। और ये फिर फौज का हेलीकाप्टर है तो उनके नियमों का मुझे पालन करना पड़ता है। रक्षा मंत्री यहां बैठे हैं। मैं नियम तोड़ नहीं सकता हूं।

... लेकिन भाइयों बहनों।  

मैं गोवा का इस बात के लिए आभारी हूं कि देश को उन्होंने ऐसा मजबूत रक्षा मंत्री दिया है कि आज पूरा विश्व आज पूरा विश्व सर्जिकल स्ट्राइक की चर्चा कर रहा है। अभी भी लोग स्टडी कर रहे हैं कि कैसे हुआ। बोले आपके जवान वहां कैसे पहुंच गए। मैंने कहा कि मैं जब लाहौर गया था, दिन में गया था, गाजे बाजे के साथ गया था, तो भी दुनिया चौंक गई थी। कैसे पहुंच गया। मैंने कहा भाई अगर हिंदुस्तान एक बार ठान लेता है तो उसके जवान पराक्रम करके दिखाते हैं। देश की शान बढ़ा देते हैं। इस देश में गरीबी हटाने के भाषण करने की फैशन हो गई है। भ्रष्टाचार हटाने के भाषण करने की फैशन हो गयी है लेकिन अगर भ्रष्टाचार हटाने के लिए कोई कदम उठाया जाए तो उनको पता चलता है कि ये पहला हमला हमारे ऊपर ही हो गया है। आपके पड़ोस में कर्नाटक में कांग्रेस के मंत्री के घर से 150 करोड़ से ज्यादा नई नोटें, कालाधन, सोना, क्यों भाई? … और आपने देखा होगा कर्नाटक सरकार को कोई परेशानी नहीं है। वो तो होता रहता है, उस मंत्री का अभी तक इस्तीफा भी नहीं लिया गया है। उस मंत्री के खिलाफ नोटिस भी नहीं दी गई है। क्या आप ऐसे भ्रष्टाचार को गोवा में लाना चाहते हो ... ऐसे पनपना चाहते हो ...

भाइयों बहनों।

उदाहरण बहुत काफी होते हैं। सारे देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ मैंने एक मुहीम छेड़ी है। ... और छोटा आदमी भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं होता है। बड़े-बड़े कदावर लोग होते हैं और ये मेरे पे जो जुल्म हो रहा है। ये जुल्म इसी बात का हो रहा है कि मेरे से उन्हें परेशानी हो रही है। सत्तर साल से जो जमा किया है, वो मोदी निकाल रहा है इसलिए परेशानी हो रही है।

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भाइयों बहनों।

ये सरकार गरीबों ले लिए है। गरीबी से मुक्त हिदुस्तान बनाने के लिए, एक के बाद एक ठोस कदम उठाये जा रहे हैं ताकि गरीब की जिंदगी में बदलाव आये।

... और इसलिए भाइयों बहनों।

हमारे कदम कठोर होंगे लेकिन देश की भलाई के लिए होंगे। राजनीति के स्वार्थ के लिए नहीं होंगे। देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के एक ईमानदार प्रयास का हिस्सा होंगे। ... और इसलिए मैं आज गोवावासियों से अनुरोध करने आया हूं। चार तारीख को मतदान है, सर्वाधिक मतदान हो। फिर एक बार गोवा को स्थिर सरकार मिले comfortable majority के साथ भारतीय जनता पार्टी की सरकार बने। फिर एक बार कमल पूरी ताकत के साथ खिले और जैसे कमल खिले, वैसे मेरा गोवा भी खिले।

भाइयों बहनों।

इसी एक अपेक्षा के साथ फिर एक बार यहां के सभी नेताओं को बधाई देता हूं। उनके पुरुषार्थ को बधाई देता हूं। गोवा को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने जो कोशिश की है, उसको बधाई देते हुए मेरी बात को पूर्ण विराम देता हूं। मेरे साथ पूरी ताकत से दोनों हाथ ऊपर उठाते हुए बोलिए भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय। धन्यवाद।

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PM chairs 47th Annual General Meeting of Prime Ministers Museum and Library (PMML) Society in New Delhi
June 23, 2025
QuotePM puts forward a visionary concept of a “Museum Map of India”
QuotePM suggests development of a comprehensive national database of all museums in the country
QuoteA compilation of all legal battles relating to the Emergency period may be prepared and preserved in light of the completion of 50 years after the Emergency: PM
QuotePM plants a Kapur (Cinnamomum camphora) tree at Teen Murti House symbolizing growth, heritage, and sustainability

Prime Minister Shri Narendra Modi chaired the 47th Annual General Meeting of the Prime Ministers Museum and Library (PMML) Society at Teen Murti Bhawan in New Delhi, earlier today.

During the meeting, Prime Minister emphasised that museums hold immense significance across the world and have the power to make us experience history. He underlined the need to make continuous efforts to generate public interest in museums and to enhance their prestige in society.

Prime Minister put forward a visionary concept of a “Museum Map of India”, aimed at providing a unified cultural and informational landscape of museums across the country.

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Underlining the importance of increased use of technology, Prime Minister suggested development of a comprehensive national database of all museums in the country, incorporating key metrics such as footfall and quality standards. He also suggested organising regular workshops for those managing and operating museums, with a focus on capacity building and knowledge sharing.

Prime Minister highlighted the need for fresh initiatives, such as creation of a committee consisting of five persons from each State below the age of 35 years in order to bring out fresh ideas and perspectives on museums in the country.

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Prime Minister also highlighted that with the creation of museum on all Prime Ministers, justice has been done to their legacy, including that of the first Prime Minister of India Shri Jawaharlal Nehru. This was not the case before 2014.

Prime Minister also asked for engaging top influencers to visit the museums and also invite the officials of various embassies to Indian museums to increase the awareness about the rich heritage preserved in Indian Museums.

Prime Minister advised that a compilation of all the legal battles and documents relating to the Emergency period may be prepared and preserved in light of the completion of 50 years after the Emergency.

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Prime Minister highlighted the importance of preserving and documenting the present in a systematic manner. He noted that by strengthening our current systems and records, we can ensure that future generations and researchers in particular will be able to study and understand this period without difficulty.

Other Members of the PMML Society also shared their suggestions and insights for further enhancement of the Museum and Library.

Prime Minister also planted a Kapur (Cinnamomum camphora) tree in the lawns of Teen Murti House, symbolizing growth, heritage, and sustainability.