Shri Modi's address to NRIs across 20 USA cities

Published By : Admin | May 13, 2013 | 13:45 IST

 

नेक शहरों में उपस्थित सभी मेरे भाइयों और बहनों..! मैं देख रहा हूँ कि आप खड़े हो कर के, तालियों की गड़गड़ाहट और गूंज के साथ मुझे सम्मानित कर रहे हैं..! ये आपका प्यार किसी भी इंसान को बहुत बड़ी नई ताकत देता है, मन को आनंद भी होता है, लेकिन भाइयो-बहनों, ये गौरव, ये प्यार, ये आपका सम्मान नरेन्द्र मोदी का नहीं है, किसी एक व्यक्ति का नहीं है। ये प्यार, ये सम्मान, ये गौरव, छह करोड़ गुजरातियों का है, उन्हीं की बदौलत है, उन्हीं के पुरूषार्थ का परिणाम है, उनके परिश्रम के कारण आज गुजरात ने विश्व में नाम कमाया है, उसके कारण है..! और इसलिए भाइयों-बहनों, मैं सभी मेरे गुजरात के भाइयों-बहनों की तरफ से इस सम्मान के लिए आप सब का अभिनंदन करता हूँ, अभिवादन करता हूँ और ये सम्मान गुजरात को प्रेम करने वाले विश्व के सभी भाई-बहनों को मैं समर्पित करता हूँ..!

ज विश्व में ‘मातृ दिवस’ मनाया जा रहा है, ‘मदर्स डे’ मनाया जा रहा है..! हो सकता है जब समाज में कुछ ना कुछ ऐसी चीजों की आवश्कता रहती है, तब नई-नई व्यवस्थाओं के विकास करने की भी जरूरत खड़ी होती है। मैं इस ‘मदर्स डे’ पर मातृ-शक्ति को प्रणाम करता हूँ, मातृ-शक्ति का सम्मान करता हूँ, उनका गौरव गाता हूँ..! लेकिन मैं आप सबको हमारी उन सांस्कृतिक विरासत की ओर ले जाना भी उचित मानता हूँ। हम वो लोग हैं, हम उन पूर्वजों की संतान हैं, हम आज जो कुछ भी हैं वो उस महान विरासत की बदौलत हैं और हमारे पूर्वजों ने ऋषियों ने, मुनियों ने हमें एक मंत्र दिया था और आज जब दुनिया ‘मदर्स डे’ मना रही है तब उसका महत्व और बढ़ जाता है। तब शायद विज्ञान तो इतना विकसित नहीं हुआ था..! पृथ्वी क्या है, जगत क्या है, मानव जात क्या है, कौन कहाँ है... शायद इतना भी ज्ञान कैसे प्राप्त किया होगा..! लेकिन उस समय इसी हिन्दुस्तान की धरती पर से एक आवाज हमेशा सुनाई देती थी और वो आवाज थी, वो मंत्र था, ‘माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः’..! माता भूमि:, भूमि मेरी माता है; पुत्रो अहं पृथिव्याः, मैं पृथ्वी का पुत्र हूँ..! यानि हम वो लोग हैं जिन्होंने पृथ्वी को माँ माना है और माँ को बच्चों का लालन-पालन, बच्चों को माँ की सुरक्षा, ये एक अजोड़ नाता जुड़ा हुआ है। मैं आज ये दु:खद बात भी बाताना चाहता हूँ। मैं नहीं जानता हूँ कि बाल की खाल उखाड़ने में लगे पॉलिटिकल पंडित इन चीजों के क्या अर्थ निकालेंगे, क्या कहेंगे, वो तो हमें मालूम नहीं है। लेकिन मैं ये कहता हूँ कि माता नाम का जो एक भाव विश्व है, माँ नाम का जो हमारे यहाँ भाव जगत है, उसकी कितनी बड़ी ताकत रही है..! और जब-जब पूरे ब्रह्मांड की व्यवस्था में ये माँ तत्व, ये माँ भाव विश्व सशक्त रहा, सामर्थ्यवान रहा, पूजनीय रहा, हम संकटों से बचते चले गए। वहीं से हमें संकटों से बाहर निकलने की ताकत भी मिलती रही। लेकिन जब-जब उस सारे भाव विश्व में कुछ बदलाव आया, स्थितियाँ बदलती गई..! दुनिया कभी-कभी हमें पूछती है कि क्या कारण है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी..! ये हमारी हस्ती मिटती नहीं का सवाल विश्व की, दुनिया की कई संस्कृतियाँ समाप्त हो गई और हम समाप्त नहीं हुए, तब स्वाभाविक पूछा जाता है। कई कारण होंगे, लेकिन आज जब ‘मातृ दिवस’ मना रहे हैं तब मैँ कहूँगा कि हमारी हस्ती मिटती नहीं उसका एक कारण हमारी परिवार व्यवस्था है। पारिवारिक बाइडिंक के जो संस्कार हमें मिले हैं वो इसकी सबसे बड़ी ताकत है..! और मैंने तो देखा है, अमरिका के हर चुनाव में हर पॉलिटिकल पार्टी, हर पॉलिटिकल लीडर एक बात आवश्य बोलता है कि जब हम सरकार में आएंगे तो परिवार व्यवस्था को फिर से एक बार ताकतवर बनाने का प्रयास करेंगे, परिवार सुरक्षित रहे इसकी हम चिंता करेंगे..! ये आज अमेरिका में भी चर्चा का, एजेंडा का एक विषय होता है। भाइयों-बहनों, क्या बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी..? मैं कहूँगा कि उसका कारण है, हजारों साल पहले हमारे पूर्वजों ने जो परिवार व्यवस्था विकसित की, उस परिवार व्यवस्था की ताकत है जिसने आज भी हम लोगों को नित्य नूतन रूप धारण करने की ताकत दी है और अपने आप को आगे बढाने का भी सामर्थ्य दिया है। वह पूरी परिवार व्यवस्था टिकी हुई थी, पनपती रही थी उसका कारण क्या..? कारण यह था कि उसके केन्द्र बिंदु में माँ का त्याग, माँ की तपस्या, हर दिन शिवजी की तरह जहर पीते जाना और परिवार के भीतर अमृत बांटते जाना..! यही तो कारण था कि आज हमारी परिवार व्यवस्था बनी रही है। ये सिर्फ एक लग्न-संस्था नहीं थी, वो उससे भी बहुत कुछ आगे थी..! और इसलिए माता का महात्म क्या होता है वो हम परिवार की जिंदगी जीने वाले, संयुक्त परिवार की जिंदगी जीने वाले, बृहद परिवार की जिंदगी जीने वाले भली-भांति समझते हैं और जानते हैं..!

भाइयों-बहनों, हमारी संस्कृति की एक और विशेषता है। जिन-जिन चीजों को हमने सर्वोच्च माना है, जिन-जिन बातों को हमने बहुमूल्य माना है, अनमोल माना है, उन सब बातों को हमने माँ से जोड़ कर गौरवान्वित किया है और तभी तो हमारे पूर्वजों ने पृथ्वी को माँ के रूप में और हमें पृथ्वी के पुत्र के रूप में कहा। ‘माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः’..! भूमि मेरी माता है, मैं पृथ्वी का पुत्र हूँ..! लेकिन जब वो माँ का भाव कम हुआ, डिटीरीओरेशन आया, पुत्र को अपनी चिंता ज्यादा जरूरी लगी, माँ की चिंता कम हुई और तब हमने ग्लोबल वार्मिंग को निमत्रंण दिया। आज पूरा विश्व छटपटा रहा है ग्लोबल वार्मिंग से..! लेकिन अगर ‘माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः’, ये मंत्र घर-घर पहुंचाने में हम सफल हुए होते और आज भी उसको जीने का अगर सामर्थ्य रखते होते, तो मैं कत्तई नहीं मानता हूँ कि आज ग्लोबल वार्मिंग के कारण मानव जात इतनी चिंता में होती..! भाइयों-बहनों, हम हिंदुस्तान के वासी हैं। गंगा में डूबकी लगा कर के पवित्र होने का सपना हर किसी का होता है। जो गंगा हमें पवित्र करती थी, उसी गंगा की पवित्रता के लिए आज हम लोग परेशान हैं, क्यों..? गंगा तब तक पवित्र रही थी, गंगा तब तक शुद्घ रही थी, जब तक हमारे भीतर गंगा एक माँ का रूप थी..! लेकिन जिस दिन दुनिया ने हमको सिखाया कि अरे पानी तो पानी होता है, हर नदी सिर्फ एक नदी ही होती है, पानी-पानी में फर्क क्या होता है, गंगा का पानी भी तो ‘एच2ओ’ ही है..! ये विज्ञान के तराजू से जब हमें पानी की व्याख्याएं दिखाई गई, हमारा माँ का भाव कम होता गया, हम रेशनलाइज होते गए, हमारे भाव विश्व पर सवाल उठते गए और फिर ऐसा लगने लगा कि हम नदी को भी गंदा कर सकते हैं, हमारा कोई दायित्व नहीं है और माँ जिसको गंगा कहते थे उसको हमी ने बर्बाद कर दिया..! और इसलिए भाइयों-बहनों, हम जिस भूमि से बोल रहे हैं, ये भारत माता को हमने माँ के रूप में देखा है..! हम ‘मदर-लैंड’ बोलते हैं, दुनिया के कई देश हैं जो ‘फादर-लैंड’ बोलते हैं, फर्क तुरंत ध्यान में आता है..! भाइयों-बहनों, आज हमारी अपनी जननी माँ, हमारी गुरूजर माँ, हमारी भारत माँ, हमारी पृथ्वी माँ..! आइए, समय है, हम इन सभी माँ के रूप को प्रणाम करें, प्रेरणा लें, पुरूषार्थ का संकल्प करें और माँ जिस रूप में भी हो, उसका सम्मान, उसका आदर, उसकी रक्षा, उसका गौरवगान, ये हमारी ना सिर्फ जिम्मेवारी हो, लेकिन ये हमारा डी.एन.ए. होना चहिए, और तभी तो व्यवस्थाएं चलेंगी..!

प सब ‘गुजरात दिवस’ मना रहे हैं, लेकिन मुझे खुशी इस बात की है कि आप गुजरात इवेंट भी ग्लोबली मना रहे हैं..! मैं देख रहा था, शिकागो के मेयर इसमें पार्टिसिपेट कर रहे हैं। मैं देख रहा था, जो कभी गुजरात आए भी नहीं हैं, गुजरात कभी देखा भी नहीं है ऐसे कई भिन्न-भिन्न भाषा-भाषी वाले हिन्दुस्तान के मेरे भाई-बहन इस समारोह में हैं..! और जब मैं यहाँ बोलने के लिए खड़ा हुआ तो मुझे पहली सूचना ये मिली की साहब, सिर्फ गुजराती लोग नहीं, वहाँ तो सब लोग हैं तो आप जरा हिन्दी में बोलिए..! भाइयों-बहनों, यही दिखाता है कि हम सीमाओं में बंध कर के सोचने वाले लोग नहीं हैं। गुजराती इज अ ग्लोबल कम्यूनिटी, वो जहाँ गया है, सबको अपना बनाया है, सबको अपने साथ जोड़ा है और इसलिए विश्व भर में फैले हुए मेरे सभी भारतीयों का, मेरे सभी गुजराती भाइयों और बहनों का मैं अंतकरणपूर्वक अभिनंदन करता हूँ कि दुनिया ने आपके माध्यम से हम लोगों को जाना। विश्व ने पहले आपको जाना, फिर पूछा कि आप कहाँ से हैं, तब उसे पता चला कि वो महान विरासत जिसके पास है वो आप लोग हैं..! आपने वहाँ रहते हुए, उन परंपराओं के बीच जीने के बावजुद भी, वहीं की भाषा, वहाँ का खान-पान, जिंदगी को जीने के लिए संजोगों ने आपको वहाँ रखा तो भी आप लोगों ने किसी भी व्यवहार से, आचरण से हिन्दुस्तान का नाम बुरा नहीं होने दिया है, गुजरात का नाम बुरा नहीं होने दिया है, उसी का कारण है कि आज सब लोग आपको प्रेम करते हैं, आपके माध्यम से गुजरात को प्रेम करते हैं, देश को प्रेम करते हैं। एक प्रकार से आप सभी वहाँ बैठे हुए और टीवी के माध्यम से सुन रहे आप सभी भाई लोग सच्चे अर्थ में हमारे कल्चरल एम्बेसेडर हैं..! और आज का ये अवसर इसमें एक सामूहिकता की ताकत देता है, एक नई शक्ति देता है और इस अर्थ में भी, आप इंडिया परेड करते हैं, तो कितना गौरव होता है..! आप गुजरात दिवस करते हैं, तो कितना गौरव होता है..! आप अनेक उत्सव वहाँ मना करके वहाँ के समाजों को जोड़ते हैं, तो कितना आनंद, उत्साह और उमंग होता है..! और इसलिए आप सभी बहुत-बहुत अभिनंदन के अधिकारी हैं..!

भाइयों-बहनों, मुझे और भी एक जानकारी मिली। वहाँ जो एलिस आइलैंड का एक बहुत महत्वपूर्ण एवार्ड होता है, इस बार हमारे तीन गुजरात के भाइयों को भी वो अवार्ड मिला है। डॉ. भरत भाई बाराई हैं, श्री महेन्द्र भाई हैं, श्री रमेश भाई हैं... मैं आप सबका अभिनंदन करता हूँ..! हो सकता है और भी होंगे, लेकिन मुझे जो जानकारी मिली, कोई रह जाए तो क्षमा करना, लेकिन जिन्होंने अपने जीवन में कुछ ना कुछ अचीव किया है उन सबको मुझे अभिनंदन करने पर गर्व होता है। मैं उन सबका अभिनंदन करता हूँ, स्वागत करता हूँ..!

भाइयों-बहनों, इन दिनों सब दूर गुजरात की चर्चा हो रही है, गुजरात के विकास की चर्चा हो रही है। दरअसल ये चर्चा सिर्फ गुजरात की नहीं है। चर्चा क्यों हो रही है..? हम पिछले तीस साल की तरफ नजर करें, बीसवीं सदी के आखिरी दशक को देखें, इक्कीस्वीं सदी के प्रथम दशक को देखें, तो सारे विश्व में एक चर्चा केन्द्रित है कि 21 वीं सदी किसकी सदी..? कोई कहता है 21 वीं सदी एशिया की सदी है, कोई कहता है 21 वीं सदी हिन्दुस्तान की सदी है, कोई कहता है 21 वीं सदी चाइना की सदी है..! ये चर्चा बहुत बड़ी मात्रा में हो रही है। और उसके कारण क्या हुआ..? सारा विश्व 21 वीं सदी के अनुकूल एशिया में कौन देश किस प्रकार से करवट बदल रहा है, किसका विजन क्या है, किसकी दृष्टि क्या है, कौन किस दिशा में कदम उठा रहे हैं, इस पर चर्चा करते रहते हैं और जब इतनी बारीकियों से चर्चा रहती है, इतनी बारीकियों से फोकस होता है तो बहुत स्वाभाविक है कि हिन्दुस्तान की हर छोटी-मोटी घटना पर विश्व का ध्यान जाए। आज अगर हमारे यहाँ किसी एक बेटी पर बलात्कार हो जाए तो सिर्फ हिन्दुस्तान नहीं, विश्व भर के अंदर एक आह और आंसू टपकने लगते हैं। क्यों..? क्योंकि पूरे विश्व को हिन्दुस्तान से बहुत अपेक्षाएं हैं और उसमें कोई खरोच भी आ जाए तो विश्व की मानव जात बहुत बेचैन हो जाती है..! हमारे देश में कोई भी दुर्घटना घट जाए, चमड़ी का रंग कोई भी हो, पासपोर्ट का कलर कोई भी हो, हर एक को जैसे कंसर्न लगता है..! तो जैसे बुरी घटनाओं के साथ भी विश्व अपने आप को जोड़ कर के देखता है... पूणे का बम ब्लास्ट हुआ हो, हैदराबाद का बम ब्लास्ट हुआ हो, कश्मीर में हमारे देश के जवानों के सिर काट कर कोई ले गया हो, मेरे ही देश के एक बेटे को दुनिया के किसी देश की जेल में मार दिया जाता हो... घटना कोई भी हो, इन दिनों हिन्दुस्तान की हर घटना के साथ विश्व को लगता है कि भाई, ऐसा क्यों हो रहा है..! जैसे ध्यान इन घटनाओं की तरफ जाता है, उसी प्रकार से अच्छी घटनाओं का भी आज पूरे विश्व में बारीकि से एनालिसिस हो रहा है। और जब बारीकि से हमारे देश की ओर लोग देखने लगे हैं तब लोगों का गुजरात की तरफ भी ध्यान गया है। क्या कारण है कि जो राज्य में रेगिस्तान ही रेगिस्तान की चर्चा रही हो, जिस राज में 1600 किलोमीटर का समुद्री तट एक प्रकार से बिन उपजाऊ माना गया हो, लोगों को कच्छ और सौराष्ट्र को छोड़ कर के रोजी-रोटी के लिए बाहर जाना पड़ता हो, जिसके पास नदियाँ ना हो, बारिश ना हो, पानी का संकट हो... क्या कारण है कि वो राज्य आज कृषि के क्षेत्र में अपना नाम रोशन कर रहा है..! क्या कारण है..? क्या कारण है कि गुजरात का किसान जो कॉटन पैदा करता है, जो पहले भी करता था, लेकिन दुनिया के बाजार में गुजरात का कॉटन खरीदने के लिए साल भर पहले से सौदे लग जाते हैं..! क्या कारण है..? हर बारीक चीजों को आज दुनिया बड़ी गहराई से देखती है। एक विश्व मन तैयार हुआ है, सिर्फ आर्थिक व्यवस्थाओं के कारण हुआ है ऐसा नहीं है, हमारे पूर्वजों ने जो ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की कल्पना की थी, आज किसी ना किसी रूप में, कभी खेल के रूप में विश्व की एकता की बात, कभी पर्यावरण के रूप में विश्व की एकता की बात, कभी ग्लोबल इकोनॉमी के नाम पर विश्व की एकता की बात, कभी निशस्त्रीकरण की बात पर ग्लोबल एकता की बात... पहलू, मार्ग, शब्द रचना अलग-अलग हो सकती है, लेकिन मूल मंत्र हमारे पूर्वजों ने दिया था, ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’, उसी को किसी ना किसी रूप में आज दुनिया चरितार्थ होते देखने के लिए लालायित हुई है। विश्व तड़प रहा है कि हम सब मिल कर के जहाँ अधिक शक्ति है और जहाँ कम शक्ति है, उन दोनों को जोड़ कर के, दोनों को समान रूप से आगे कैसे बढ़ाया जाए। ये समय की मांग खड़ी हुई है, तब जा कर के हर बारीक बातों का एनालिसिस होना स्वाभाविक हुआ है और जब सब बारीक बातों का एनालिसिस होता है तो सौभाग्य हमारा कि गुजरात हर एक के सामने आता है, गुजरात हर एक की नजर में आता है..! और इसलिए भाइयों-बहनों, आज के इस गुर्जर दिवस पर, गुजरात की स्थापना के दिवस पर मैं आप सब भाइयों-बहनों को बहुत-बहुत बधाई भी देता हूँ..!

स बार गुजरात ने अपना स्थापना दिवस, एक मई को नवसारी में मनाया था। आज कुछ समय वहाँ जो हमारे वक्ता बोल रहे थे, किसी ने यह भी कह दिया कि कितनों को पता होगा कि एक मई ये गुजरात की स्थापना का दिवस है..! आपका सवाल बहुत स्वाभाविक था, क्योंकि सालों तक राजनीतिक कारणों से गुजरात में इस बात को भुला दिया गया था कि एक मई को गुजरात का स्थापना दिवस है..! ये भुला दिया गया था कि इंदुचाचा के नेतृत्व में महागुजरात का एक बहुत बड़ा आंदोलन चला था..! ये भुला दिया गया था कि हमारे विद्यार्थियों ने गुजरात को जब अलग भाषावार प्रांत रचना के रूप में, अधिकार के रूप में जब माँगा तो उनको गोलियों से भून दिया गया था..! कुछ लोग झूठ बोल कर के सत्य को नकारने की कोशिश करते हैं, लेकिन उन्हें इस बात को स्वीकार करना होगा कि वो एक जमाना था जब आज जो भद्र है, आज जहाँ लाल दरवाजा बोलते हैं, जहाँ से हमारी लाल बसें चलती हैं, वहीं पर कांग्रेस का एक बड़ा हैड क्वार्टर हुआ करता था, और उसी कांग्रेस के हैड क्वार्टर से गोलियाँ चली थीं और हमारे कई विद्यार्थियों को मौत के घाट उतार दिया गया था और उसी में से महागुजरात के आंदोलन में एक नई ताकत आ गई थी। आखिरकर गुजरात मिला था..! मैं आज उन सभी शहीदों को भी नमन करता हूँ, इंदुचाचा को प्रणाम करता हूँ, गुजरात बनाने में जिन-जिन लोगों ने अपना जीवन लगाया, खपाया, समय दिया, उन सबका भी मैं अभिनंदन करता हूँ..! और मैं उन सबकों विश्वास दिलाता हूँ कि आपने जो त्याग और तपस्या करके इस गुजरात नाम के राज्य की जो रचना की है, हम कभी भी आपके सपनों को चूर-चूर नहीं होने देंगे, हम कभी भी आपकी आशा-आकांक्षाओं पर खरोच नहीं आने देंगे। ईश्वर ने हमें जितनी बुद्घि दी है, जितनी शक्ति दी है, आपने जो भी दायित्व दिया है, उस दायित्व को भली-भांति पूरा करने का प्रयास करेंगे..!

भाइयों-बहनों, हम एक ऐसे विकास के सपने को देखते हैं जो सर्वांगीण हो। विकास वो हो जो सर्व समावेशक हो, विकास वो हो जो सर्व स्पर्शी हो, विकास वो हो जो सर्व दूर हो, ऐसा ना हो कि गुजरात के एक कोने में विकास हो रहा है और बाकी सब जगह पर हम वैसे के वैसे रहें। अगर साइकिल की टयूब में हम हवा भरवाने के लिए जाते थे, जो लोग आज वहाँ हैं, 60 के कालखंड में हम लोगों को मालूम हैं कि हम साइकिल रखते थे और रोड पर जो साइकिल की दुकानें रहती थी, उस पर हम हवा भरवाने जाते थे। तो हवा कितनी भरी उसका एक मीटर रहता था और हवा भरने वाला मीटर देखके बताता था कि इतना काफी है, इतनी गर्मी में इतनी हवा काफी है..! लेकिन मान लो, उस साइकिल की टयूब में एक कोने में हवा भर जाए और एक ही तरफ फुग्गा हो जाए तो मीटर तो ठीक बताएगा कि हाँ भई जितनी हवा भरनी थी उतनी भर गई, लेकिन वो साइकिल चलेगी क्या..? नहीं चलेगी। वो साइकिल तो तब चलेगी कि जब साइकिल में भरी हुई जो हवा है वो हवा पूरी टयूब में समान रूप से फैली हो। अगर उस टयूब के अंदर एक कोने में फुग्गा हो गया, गुब्बारा हो गया, तो वो एक प्रकार से साइकिल को रोकने का कारण बन जाता है..! विकास का भी ऐसा ही है। एक कोने में विकास का गुब्बारा हो जाए तो उससे विकास नहीं होता। हमारे यहाँ कभी-कभी कहा जाता था कि वापी से मुंबई की ओर जाएं तो गोल्डन कोरिडोर है, और बड़े गर्व से पुरानी सरकारें सीना तान-तान के कह रही थी कि इतना डेवलपमेंट हुआ, गोल्डन कोरिडोर तैयार हुआ..! मैं कभी-कभी सोचता हूँ कि भाई, एक सौ किलोमीटर के रोड पर की पट्टी के दोनों तरफ यदि उद्योग लग गए हैं और गोल्डन कोरिडोर बना कर के हम नाचते रहेंगे तो विकास होगा..? विकास कच्छ में भी चाहिए, विकास बनासकाँठा में भी चाहिए, राधनपुर में भी चाहिए, विकास हमारे गुजरात की पूर्व पट्टी के आदिवासियों के बीच में भी होना चाहिए, विकास हमारे 1600 किलोमीटर लंबे समुद्र तट पर रहने वाले मेरे मछुआरों का भी चाहिए... विकास सर्व स्पर्शी होना चाहिए..! बिजली आ गई, अहमदाबाद तो जगमगा रहा हो, लेकिन अगर गाँव अंधेरे में डूबा हो तो उस विकास से क्या होगा..! और तब जा कर के हमने एक आमूलचूल परिवर्तन किया, विकास के रूप को ही बदल दिया..!

मैं जानता हूँ मित्रों, राजनीतिक विरोध के कारण आज लोग कुछ भी कहते होंगे। मैंने कहा था ना, बाल की खाल उधेड़ने में लगे हुए हैं। मेरे आज के इस भाषण के बाद भी फैको इंडस्ट्री वाले लग पड़ेंगे, पता नहीं क्या-क्या गालियाँ देंगे। वो अपना काम करेंगे..! लेकिन इतिहास को इस सच्चाई को स्वीकार करने की नौबत आएगी, इस विश्वास के साथ भाइयों-बहनों, मैं आपको कहना चाहता हूँ कि जिस रास्ते पर हम विकास को ले गए हैं वो एक ऐसा रास्ता है जो आने वाली सदियों तक गुजरात को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की एक भीतर की ताकत को जन्म देने वाला है। मैं एक छोटा उदाहरण देता हूँ, हम कहते हैं ना कि विकास में इन्फ्रास्ट्रक्वर का बहुत बड़ा महत्व है, केाई इंकार नहीं कर सकता..! आप भी मानते हो कि भाई, इन्फ्रास्ट्रक्चर अच्छा होना चाहिए। लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर की बात करते हैं तो क्या होता है..? रोडस हों, एयरपोर्ट हो, बस स्टेशन हो, रेलवे स्टेशन हो... यही बातें करते हैं ना..! लेकिन कभी बारीकि से देखा है? आपको मैं एक बात बताता हूँ, आप सब विदेश में रहते हैं तो आपको बराबर ध्यान में आएगा। हमारे गुजरात के अंदर रोडस का इन्फ्रास्ट्रक्चर क्या था? नॉर्थ टू साउथ, राजस्थान से आओ, गुजरात से गुजरना और महाराष्ट्र की ओर चले जाना..! और फिर भी कोई अच्छे इन्फ्रास्ट्रक्चर का दावा कर सकता है, मैं उससे इंकार नहीं करता हूँ..! लेकिन अगर गुजरात का विकास करना हो तो हमने इसमें मूलभूत परिवर्तन किया। हमने कहा ये होरिज़ॉंटल रास्ते हैं उसको हमें वर्टिकल रास्तों से भी जोड़ना होगा। जब तक वर्टिकल रास्ते और होरिज़ॉंटल रास्तों का नेटवर्क नहीं बनाते हैं, हम पूरे गुजरात को इन्फ्रास्ट्रक्चर के रूप में नहीं ला सकते हैं। और इसलिए भाइयों-बहनों, जो वर्टिकल रास्ते थे, दो या तीन, जो राजस्थान से आते थे और दक्षिण को जाते थे, उसमें हमने नौ के करीब होरिज़ॉंटल रोड बना दिए। कोई आदिवासी बेल्ट से निकलते थे, पूरब की तरफ से, कोई अंबाजी से निकलता है और पोरबंदर जा कर मिलता है, कोई दाहोद से निकलता है और द्वारका जा के मिलता है, तो ये जो हम पूरा बदलाव लाए उसका परिणाम ये आया कि विकास के फल के लिए एक नई विधा खड़ी हो गई। भाइयों-बहनों, अमेरिका के एक प्रेजीडेंट मि. केनेडी कहा करते थे कि पैसे नहीं है जो रास्ते बनाते हैं, लेकिन ये रास्ते हैं जो संपत्ति बनाते हैं..! भाइयों-बहनों, हमने इन्फ्रास्ट्रक्चर का जो ये नया मॉडल खड़ा किया है, उसका लाभ दिखाई दे रहा है।

सी प्रकार से आपने दो-चार जगह पर अच्छी कॉलेज बना दी, इंस्टीट्यूशन्स चालू कर दी। आप गर्व कर सकते हो कि बच्चे आएंगे, पढ़ेंगे..! आप दिखा भी सकते हो, दुनिया के समाने विकास दिखेगा, लेकिन क्या कभी सोचा था कि हमारे पंचमहाल के अंदर, दाहोद के अंदर, साबरकांठा के अंदर, डांग है जहाँ ट्राइबल बस्ती रहती है, ऐसी जगह पर भी कोई यूनिवर्सिटी हो सकती है, ऐसी जगह पर भी कोई इंजीनियरिंग कॉलेज हो सकती है, ऐसी जगह पर कोई मेडीकल कॉलेज हो सकती है..! भाइयों-बहनों, हमने उस पर बल दिया। हमने वो एक-एक ढूंढा कि वो कौन सा तहसील है जहाँ विज्ञान की स्कूल नहीं है, तो पहले वो करो। अच्छी लेबोरेट्री नहीं है, तो वो करो..! फिर धीरे-धीरे इंजीनिरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, फार्मेसी की कॉलेज, नर्सिंग की कॉलेज... यानि इतना दायरा हमने बढ़ाया और उसी का तो परिणाम है, पहले हमारे यहाँ 11 यूनिवर्सिटी थी, कोई भी कहेगा कि भाई, कौन कहता है कि पहले गुजरात में शिक्षा नहीं थी..? थी, 11 यूनिवर्सिटी थी, कौन मना करता है..! लेकिन आज, आज दस साल के भीतर-भीतर 44 यूनिवर्सिटी हैं, क्या आप इससे इंकार कर सकते हो..? लेकिन ये कहने से बात बनती नहीं है कि यूनिवर्सिटी पहले थी। थी, कौन मना करता है भाई, यूनिवर्सिटी पहले भी थी..! लेकिन हमारी सारी यूनिवर्सिटी क्या थीं? सब बंदर का व्यापार था, यूनिवर्सिटी में जाओ, जो भी अवेलेबल कोर्सेज हैं, उसको देखते रहो..! हम उसमें बदलाव लाए। हमने ‘सेंटर फॉर एक्सीलेंसी’ को बढ़ावा दिया। अगर गैस, पैट्रोलियम और एनर्जी विश्व के भविष्य के साथ जुड़ा हुआ है, तो हमारे पास ‘एनर्जी यूनिवर्सिटी’ होनी चाहिए, ‘पैट्रोलियम यूनिवर्सिटी’ होनी चाहिए, हमने वो काम किया..! आज जगत के अंदर जितना रूपयों का महत्व है उतना ही महत्व खेल-कूद का बन गया है, इस बात को स्वीकार करना होगा। कोई भी समाज स्पोर्ट्स के बिना स्पोर्ट्समैन स्पिरिट वाला नहीं बन सकता है..! यदि समाज में, परिवार में, व्यक्ति के जीवन में हम स्पोर्टसमैन स्पिरिट को अनिवार्य मानते हैं, तो समाज जीवन में स्पोर्टस का भी उतना ही महत्व होना चाहिए..! वो बच्चे-बच्चे क्या हैं, जिनके जीवन में पसीने का पता तक ना हो..! मैं चाहता हूँ मेरे गुजरात के बच्चे खुले मैदान में खेलें, पसीने से तरबतर हो जाएं..! भविष्य उससे बनने वाला है और इसलिए हमने ‘स्पोर्टस यूनिवर्सिटी’ बनाई..! क्राइम की दुनिया बदलती जा रही है। क्राइम की दुनिया कह रही है कि आज विश्व के किसी कोने में बैठा हुआ एक छोटा सा बच्चा भी साइबर क्राइम के माध्यम से किसी देश की बैंक को लूट सकता है। इसका मतलब, अगर लुटेरों के रास्ते बदले हैं तो चोर-लुटेरों को पकड़ने के रास्ते भी बदलने होंगे..! और इसके कारण आज साइबर क्राइम की दुनिया में, इकॉनोमिकल आफेंस की दुनिया में फॉरेंसिक साइंस का महत्व बढ़ गया है। और मेरे अमेरिका में रहने वाले पढ़े-लिखे विद्वान लोग वहाँ बैठे हैं, आप को जानकर के गर्व होगा मेरे भाइयों-बहनों, आज गुजरात दुनिया का पहला ऐसा प्रदेश है जहाँ पर ‘फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी’ है। जो हमारे बाल की खाल उधेड़ने में लगे हुए लोग हैं, वो क्या कहते हैं..? मोदी झूठ बोलते हैं, फॉरेंसिक सांइस डिपार्टमेंट तो पहले भी था..! फिर से मैं बोल रहा हूँ कि मैं फॉरेंसिक सांइस डिपार्टमेंट की बात नहीं कर रहा हूँ, फॉरेंसिक साइंस डिपार्टमेंट था, किसी ने मना नहीं किया, हम कहते हैं कि हमारा कॉन्ट्रीब्यूशन है, ‘फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी’..!

झूठ बोलने वाले लोग ऐसे ही झूठ फैलाते रहेंगे, हो सकता है आज कुछ नया झूठ छोड़ दे..! वो उनका काम है, वो करते रहें, क्योंकि उनके पास इसके सिवा कोई सहारा नहीं है, उसी के भरोसे उनको चलना है..! लेकिन भाइयों-बहनों, मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि हम ये तो कभी नहीं कहते कि मोदी जब तक नहीं थे तब तक यहाँ कुछ नहीं था..! मोदी के पहले भी बहुत कुछ था, क्योंकि गुजरात एक पुरूषार्थी समाज है, संकटों के बीच जीने वाला समाज है, नए रास्ते खोजने की कोशिश करने वाला समाज है..! लेकिन गुजरात के पिछले 40 साल और गुजरात के वर्तमान 12 साल, इन दोनों की अगर हम तुलना करेंगे तो हमें पता चलेगा कि हमने विकास की गति को तेज किया है, हमने विकास के व्याप को फैलाया है, हमने विकास को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है, हमने विकास को सामान्य मानवी के कल्याण की दिशा में ले जाने की भरपूर कोशिश की है..! और ये काम बार-बार, बार-बार, ठोक-ठोक कर मैं आपको कहना चाहता हूँ कि ये नरेन्द्र मोदी ने नहीं किया है, ये गुजरात ने किया है, छह करोड़ गुजरातियों ने किया है। उसका यश, उसका गौरव, गुजरात को प्रेम करने वाले, उनकी भाषा कोई भी क्यों ना रही हो, उन सबके कारण हुआ है..! और इसलिए भाइयेां-बहनों, हम जब गुजरात स्थापना दिवस मना रहे हैं तब इसका महात्म बढ़ जाता है। कोई मुझे बताए, क्या पंतग की खोज मोदी ने की..? क्या पंतग को नरेन्द्र मोदी ले आया था..? क्या उसके पहले पंतग नहीं था..? पतंग पहले भी था, छत पर पतंग पहले भी चड़ते थे, हो-हल्ला पहले भी होता था, मौज पहले भी होता था, आनंद पहले भी होता था..! लेकिन क्या कभी सोचा था कि कागज के टुकड़ों से बना हुआ रूपये-दो रूपये का पतंग विश्व भर में गुजरात की ताकत का परिचय दिलाने का माध्यम बन सकता है..! हमने बना दिया। हमारे गरीब लोग झोंपड़पट्टी में पतंग इंडस्ट्री चलाते थे। एन्वायरनमेंट फ्रेन्डली इंडस्ट्री है, कॉटेज इंडस्ट्री है। गरीब लोग दो-तीन महीना पतंग बनाने का काम करते थे, रोजी-रोटी चलती थी। दो करोड़, पाँच करोड़, सात करोड़, द्स करोड़, पन्द्रह करोड़ के आस-पास हमारा पतंग का बिजनेस चलता था। इसमें भी हमने जान भर दी, मित्रों..! और पतंग को भी हवा लग जाए तो पंतग कितना आसमान में जाता है, वो ताकत हमने दी उसका परिणाम ये आया है आज कि इतना छोटा बिजनेस आज अरबों-खरबों रूपयों के बिजनेस में कन्वर्ट हो गया है। कितने गरीब लोगों को रोजी-रोटी मिली है। बदलाव जो कहते हैं ना, इसको कहते हैं..! भाईयों, कोई मुझे कहे कि क्या मोदी के आने से पहले गिर के शेर नहीं थे..? थे..! कोई मुझे कहे, 1600 किलोमीटर का समुद्री किनारा पहले नहीं था क्या..? था..! कोई मुझे कहे, श्री कृष्ण की द्वारका पहले नहीं थी क्या..? थी..! कोई मुझे कहे, आदिशंकर का बनाया हुआ सोमनाथ का तीर्थक्षेत्र पहले नहीं था क्या..? था..! सब था मेरे भाइयों-बहनों, लेकिन फिर भी टूरिज्म नहीं था..! क्यों..? जगन्नाथ को देखने के लिए तो दुनिया जुट जाती है लेकिन सोमनाथ की ओर किसी की नजर नहीं जाती..! क्यों..? हमने कोशिश की और हमने कहा कि ये हमारी अमानत है, इसे दुनिया के सामने ले जाओ..! और श्रीमान अमिताभ बच्चन गुजरात के एम्बेसेडर बन कर आज दुनिया के हर कोने में जाकर के कह रहे हैं, ‘गुजरात नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा, कुछ दिन तो बिताओ गुजरात में..’ और लोग आते हैं, देखते हैं..! सबकुछ था, लेकिन दिशा नहीं थी, दृष्टि नहीं थी और इसलिए आज जो गुजरात के विकास को नकारने के लिए राजनीतिक कारणों से लगे हुए हैं, वो यही कहते हैं कि पहले भी था और इसलिए मैं आज इस मंच पर से उनको आह्वाहन करता हूँ कि 1600 किलोमीटर समुद्री किनारा था, वो माना लेकिन मछली पकड़ने के सिवाय आपने उसका विकास के लिए कोई उपयोग किया था..? नहीं किया था..! आज हिन्दुस्तान का 35% कार्गो गुजरात के समुद्री तट पर से चल रहा था, 41 मेजर और माइनर पोर्ट बनाने की दिशा में हमने काम किया है। कब तक नकारते रहोगे..! भाइयों-बहनों, रेगिस्तान पहले भी था, लेकिन वो रेगिस्तान आपको संकट लगता था..! सिर पर हाथ मारते रहते थे कि रेगिस्तान है, क्या करेंगे... गुजरात क्या करेगा..? अरे, उसी रेगिस्तान में हमने नई जान फूंक दी, दोस्तों..! आज मेरे वही कच्छ के सफेद रण को देखने के लिए दुनिया उमड़ पड़ती है..! लोगों को लगता है कि ताज महल तो देखा, लेकिन जब तक कच्छ का रण नहीं देखा तो ताज महल देखना भी अधूरा रह जाएगा, ऐसा लोग मानने लगे हैं..! क्या कभी सोचा है व्हाइट रण, दुनिया की अजोड़ ताकत हमारे पास है..! पहले भी था, मोदी ने आकर के उस पर कोई चूना नहीं लगाया है कि रण सफेद हो गया, वो पहले भी था..! लेकिन पता नहीं क्यों..! और आज लाखों लोग हमारे कच्छ के रण में आते हैं और आते हैं इतना ही नहीं, करोड़ों रूपयों के हैन्डीक्राफ्ट की बिक्री होती है। और हैंडीक्राफ्ट में कौन हैं..? गरीब माताएं-बहनें हैं, वो कपड़े पर कढ़ाई का काम करती हैं, पेन्टिग करती हैं, नई-नई चीजें करती हैं..! ये हमारे गुजरात का वार्ली पेंटिंग आज दुनिया में फैल रहा है। टूरिज्म आते ही गरीब से गरीब आदमी को रोजी-रोटी मिलती है। मेरे गिर के शेर... किसी को पता तक नहीं था और मित्रों, आज मैं बड़े गर्व के साथ कहता हूँ कि सारी दुनिया में वाइल्ड लाइफ के संकट के समाचार सब दूर से आते हैं, हमारे यहाँ टाइगर को बचाने के लिए भारत सरकार अरबों-खरबों रूपया खर्चकर रही है, कहाँ खर्च होता है वो तो पता नहीं, आने वाले समय में सुप्रीम कोर्ट एक और डंडा उस पर भी मार दे, पता नहीं कब कौन सा डंडा पड़ेगा..! लायन की तरफ देखा नहीं किसी ने, लेकिन उसके बाद भी गुजरात के अपने प्रयासों का परिणाम है कि लायन की संख्या बढ़ रही है। टूरिज्म बढ़ रहा है। और दुनिया को देखना होगा कि एक परिवार के नाते लायन की रक्षा कैसे होती है, ये गुजरात के अंदर गिर के जंगलों में रहने वाले मेरे किसान परिवारों ने कर के दिखाया है। एक अजोड़ नमूना है जो विश्व को स्टडी करने जैसा है, अध्ययन करने जैसा है। कैसे वाइल्ड लाइफ के साथ मानव जीवन एक रूप हो कर के रह सकता है, ये स्टडी करने जैसा विषय है, भाइयों..! आप कल्पना कर सकते हो, गुजरात में आज 24 घंटे बिजली होने के कारण कितना बड़ा परिवर्तन आया है, कितना बड़ा लाभ हुआ है। गाँव के जीवन को बदला है, गाँव की इकोनॉमी को बदला है..! छोटी-छोटी चीजों पर हमने ध्यान दिया है। 2001 का सेन्सस रिपोर्ट आया और मालन्यूट्रीशन की बड़ी गंभीर चर्चा हमारे सामने आई। तो उस चर्चा के समय हमने सारे देश में देखा था और अभी तो प्रधानमंत्री जी भी कह रहे हैं, आपने अगर हिन्दुस्तान के टी.वी. ऐड्वर्टाइज़्मेन्ट देखी हो तो भारत सरकार भी कुपोषण कि चर्चा करती है। लेकिन मजा ये है कि बाल की खाल उधेडने वाली ये जो टोली ये है, गुजरात के खिलाफ लगातार झूठ फैलाने वाली, वो जब कुपोषण की चर्चा आती है तो हिन्दुस्तान के कुपोषण की चर्चा नहीं करती, अकेले गुजरात को गाली देते हैं..! खैर, हम उसमें से भी अच्छा करने की कोशिश करेंगे। हम गालियों का भी गुलदस्ता बना कर के सुवास फैलाने की कोशिश करेंगे..! और हमने तो पहले ही 2004 से मिशन उठाया, अरबो-खरबों का बजट खर्च करना शुरू किया, जनजागृति का प्रयास किया और अभी लेटेस्ट सी.ए.जी. का रिपोर्ट है, वो रिपोर्ट कहता है कि पूरे हिन्दुस्तान में कुपोषण से मुक्ति के लिए जो प्रयास हो रहे हैं, उसमें सबसे अधिक सफल कोई हुआ है तो गुजरात का मॉडल हुआ है। 33% इम्प्रूवमेंट, इतनी सफलता पाने का हमें यश मिला है..! लेकिन वहीं पर अटकने की बात नहीं है, मुझे आगे भी बढ़ना है। मेरा ये विश्वास है कि हमारी माँ तंदुरुस्त हो, हमारे बच्चे तंदुरुस्त हो..! अगर हमारी बेटियाँ तदंरूस्त नहीं होगी तो वो जब माँ बनेगी तो वो संतान भी तंदुरुस्त पैदा नहीं कर सकती। और अगर बच्चा तंदुरुस्त नहीं है तो हिन्दुस्तान की आने वाली नस्ल तंदुरुस्त नहीं हो सकती, मानव जात तंदुरुस्त नहीं हो सकती, स्वस्थ्य नही हो सकती..! हमारी ये भावात्मक बात है, हम इस पर भी बल दे रहे हैं..! विकास की नई ऊंचाइयों को पार करने के लिए भिन्न-भिन्न अनेक प्रयास किये..! भाइयों-बहनों, आज मैं गर्व से कह सकता हूँ कि दुनिया का सबसे बड़ा, ये शब्द लिख लिजिए भाइयों-बहनों, नर्मदा का पानी पहुंचाने का दुनिया का सबसे बड़ा पाइप का नेटवर्क इसी दस साल में खड़ा हुआ है, दुनिया का सबसे बड़ा..! 9000 गांवों में नर्मदा का शुद्घ पानी पाइप लाइन से पहुंचाने में हमें सफलता मिली है। 18,000 गांवो में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी है, आप वीडियो फ़ोन से अपने परिवार के साथ गांव में बात कर सकते हैं। ये स्थिती हमने पैदा की है..! हम गुजरात को आधुनिक बनाने के पक्षकार हैं। हम चाहते हैं कि टैक्नोलॉजी का उपयोग गाँव-गाँव, घर-घर तक कैसे पहुँचे..! हम चाहते हैं कि टैक्नोलॉजी हमारी शिक्षा के लिए कैसे एक बहुत महत्वपूर्ण रोल अदा करें..! हम चाहते हैं कि टैक्नोलॉजी से कैसे आरोग्य में परिवर्तन आए..! एफिशियंसी कैसे आए, ट्रांसपेरेंसी कैसे आए..! उसमें भी हमने पहल की। मित्रों, हमारी तो हालत ये है... मैं आपको एक छोटी बात बताता हूँ। कभी भी आपको शक हो जाए, झूठ इतना सुनते हो तो कभी भी आपको शक हो जाए कि यार ऐसा होता होगा..? क्योंकि झूठ चौबीसों घंटे चलता है और अब हम सच बोलेंगे तो एक आद बार बोलेंगे, महीने में या साल में एक बार बोलेंगे, क्या करें, हमें तो कोई रोज अवसर होता नहीं है बोलते रहने का..! लेकिन इन झूठ वालों का तो रहता है, कभी इस कोने से झूठ आएगा, तो कभी दूसरे कोने से झूठ आएगा तो कभी तीसरे कोने से झूठ आएगा... कभी एक चेहरा झूठ बोलेगा तो कभी दस चेहरे झूठ बोलेंगे, ये चलता रहेता है..! लेकिन कभी आपके मन में भी दुविधा हो जाए, कि सच क्या है..! मेरी आपसे प्रार्थना है, पिछले दस साल में भारत सरकार ने भिन्न-भिन्न चीजों के लिए कई अवार्ड्स दिये हैं। ये सब हिन्दुस्तान सरकार के नेट पर भी उपलब्ध है, जरा देख लीजिएगा..! और आप उसको देखोगे तो पता चलेगा कि जिस मुद्दे पर गुजरात के बाल की खाल उधेड़ी जा रही है, उसी मुद्दे पर अच्छे से अच्छे काम के लिए दिल्ली में बैठी हुई कांग्रेस की यू.पी.ए. की सरकार ने अवार्ड दिया है, तो आपको विश्वास हो जाएगा कि कितना झूठ उछाला जा रहा है..!

भाइयों-बहनों, आज देश एक नए संकट की ओर गुजरता जा रहा है। मैं जानता हूँ, गुजरात दिवस है। लेकिन मैं भारत माँ का बेटा भी हूँ और आप जो वहाँ बैठे हैं, मैं जानता हूँ आप लोगों को भारत माँ की कितनी चिंता है, उसको मैं कम नहीं आंकता हूँ..! भाइयों-बहनों, देश में जब शासन दुर्बल होता है तो कितना नुकसान होता है, ये पिछले एक महीने की घटनाएं देखिए। आपने कभी सोचा है, मेरे देश का विदेश मंत्री इंटरनेशनल फोरम में भाषण करता हो और किसी दूसरे देश के कागज को हाथ में लेकर पढ़ना शुरू कर दे..! कितनी बेइज्जती मेरे देश की हो रही होगी..! और ये कोई पॉलिटिकल मुद्दा नहीं है, ये कोई अपने साथी पक्षों के दबाव का मुद्दा भी नहीं है, एक्स्प्लॉइटैशन का मुद्दा नहीं है... लेकिन पता नहीं, कोई परवाह ही नहीं है..! आप कल्पना करो, हमारे देश के जवानों के सिर काट कर ले जाए और कुछ दिनों के बाद उसी देश के प्रधानमंत्री को चिकन-बिरयानी का भोजन दिया जाए..! तब सवाल उठता है..! चाइना आ कर हमारे दरवाजे पर दस्तक दे दे..! और मैं हैरान हूँ, चाइना तो हिन्दुस्तान की धरती पर से अपनी फौज को वापस ले जाए, लेकिन ये नहीं समझ पा रहा हूँ कि हिन्दुस्तान की सेना हिन्दुस्तान की धरती पर से अपनी सेना को वापस क्यों हटा रही है..! दिल्ली की सरकार जवाब नहीं दे पा रही है। सिंपल सा सवाल है कि चाइना हिन्दुस्तान में घुस कर आया, वापस गया, ठीक है... लेकिन क्या कारण है कि हमारी धरती पर से हम भी पीछे गए..! और तब जाकर के सामान्य मानवी के मन में सवाल खड़े होते हैं..! दिल्ली में इतनी मजबूत ताकतवर सरकार होने के दावे हो रहे हैं, लेकिन हमारी माताओं-बहनों की सुरक्षा को लेकर के हमें चिंता हो रही है। भाइयों-बहनों, करप्शन का ये घिनौना रूप शायद ही दुनिया के किसी समाज को देखने को मिला होगा, जो आज हम लोगों को देखने को मिल रहा है..! और कोई परवाह भी नहीं है, क्या स्थिति बनी है..! कोयले तक को नहीं छोड़ा गया, अब क्या बचा है..! और इसलिए भाइयों-बहनों, इस घर को आग लग गई घर के चिराग से..! हम ही लोग हमें बर्बाद करने पर तुले हुए हैं..!

भाइयों-बहनों, इसी मंच से मैं दिल्ली सरकार की आलोचना करने के लिए कुछ कहना नहीं चाहता हूँ, लेकिन भारत माँ को जब याद करने का हम अवसर मना रहे हैं तब सहज रूप से ये पीड़ा, ये दर्द, ये वेदना कभी-कभी शब्दों में फूट पड़ती है..! काश, 21 वीं सदी को हिन्दुस्तान की सदी बनाने के लिए हमारी युवा शक्ति को जोड़ने में सफल होते, हमारी मातृ-शक्ति को जोड़ने में सफल होते तो 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में जो उत्साह, आनंद और उमंग का माहोल था, 21 वीं शताब्दी के प्रथम दशक में वो रियालीटी के रूप में दिखाई देता..! लेकिन हुआ उल्टा..! पिछले छह-आठ साल के कार्यकाल के घटनाक्रमों ने निराश कर दिया है। भाइयों-बहनों, लोग मुझे पूछते हैं, आपके मन में भी होगा, आप कहिए कि आज देश में सबसे बड़ा सकंट क्या है..? भाइयों-बहनों, मैं मानता हूँ सबसे बड़ा संकट है कि भरोसा नहीं रहा..! किसी को, किसी पर भरोसा नहीं है..! भरोसा करने वाली हर इंस्टिट्यूट में गिरावट आई है। ये भरोसा हमें पुन: स्थापित करना होगा। व्यवस्था पर भरोसा हो, प्रक्रियाओं पर भरोसा हो, इरादों पर भरोसा हो, नीतियों पर भरोसा हो, नीयत पर भरोसा हो, नैतिकता पर भरोसा हो..! भाइयों-बहनों, देश के सामने भरोसा कैसे पुन: स्थापित करें ये बहुत बड़ा सवाल है और ये शब्दों से भरे जाने वाला भरोसा नहीं होता..! रास्ते चलता हुआ कोई भी व्यक्ति अगर बच्चे से कहे कि बेटा कूद पड़ो, मैं तुम्हें कैच कर लूंगा, तो कोई बच्चा नहीं कूदेगा। लेकिन माँ कहती है कि बेटे कूदो, मैं हूँ..! माँ पर बच्चे को भरोसा होता है, वो पी.एच.डी. डिग्री किया हुआ नहीं होता है, लेकिन कूदने में उसको डर नहीं लगता, क्यों..? भरोसा है। कितना ही ताकतवर आदमी आकर के बोले कि बेटा कूदो, मैं उठा लूंगा..! लेकिन वो जंप नहीं लगाता है, क्यों..? उसको उसकी ताकत से लेना-देना नहीं है, उसका संबंध भरोसे से है..! माँ पर भरोसा है तो बच्चा कूद पड़ता है, उसके हाथों में गिरने को तैयार हो जाता है..! आज हिन्दुस्तान के सामने सबसे बड़ी नीड है, भरोसा..! अमेरिका ने अभी-अभी चुनाव के अंदर अपना रूतबा दिखाया। किस बात पर..? होप..! आशा जगाई..! नौजवान बेरोजगार हुए थे तो आशा जगाने की कोशिश की गई..! भाइयों-बहनों, हिन्दुस्तान में भरोसा एक बहुत बड़ी अनिवार्यता बन गया है। नेता पर भरोसा हो, नीतियों पर भरोसा हो, दलों पर भरोसा हो, व्यवस्थाओं पर भरोसा हो, समाज पर भरोसा हो..! हर बेटी को किसी भी पुरूष पर भरोसा होना चाहिए..! अगर उसमें गिरावट आई तो बेटियाँ भरोसा कैसे करेंगी..! ये भरोसे के संकट से देश गुजर रहा है। और एकबार भरोसा टूट जाता है तो लोग गलत रास्ते अपना लेते हैं। टिकने के लिए, झूझने के लिए, जीने के लिए..! और ये भरोसा तोड़ने का काम कुछ व्यक्तियों के आचरण से हुआ है। उच्च पदों पर बैठे हुए लोगों के आचरण ने, उनके व्यवहार ने, उनकी रीतियों ने, नीतियों ने देश के भरोसे को तोड़ दिया है। 120 करोड़ लोगों का भरोसा टूट चुका है..!

भाइयों-बहनों, आज जब माँ गुर्जरी का स्मरण कर रहे हैं तब, आप गुजरात के गौरव का गान करने बैठे हैं तब, मैं विश्वास से कहता हूँ कि आज गुजरात के अंदर अगर कहा जाए कि भाई, पानी का संकट है, हमको हमारे पुराने चैकडेम को खाली करके उसकी मिट्टी निकालनी होगी..! मैं विश्वास से कहता हूँ, सरकार की जरूरत नहीं पड़ती, मेरे गाँव के किसान खुद चैकडेम को ठीक करने लग जाते हैं। क्यों..? भरोसा है..! भाइयो-बहनों, ये भरोसा बहुत बड़ी ताकत होती है। आज गुजरात ने जो विकास किया है, आज गुजरात जो प्रगति कर रहा है वो किसी व्यक्ति के कारण नहीं कर रहा है। विकास इसलिए हो रहा है कि हर एक को हर एक पर भरोसा है..! हर कोई भरोसे के आधार पर हिम्मत के साथ निर्णय कर पा रहा है। हर कोई को भरोसा है कि हाँ भाई, आगे बढ़ेगे तो कोई तो होगा, कोई तो व्यवस्था होगी ही..! आइए भाइयों-बहनों, आज इस भरोसे का संकल्प करें। हम भी लोगों को भरोसा दें, हम भी अपने आचरण और व्यवहार से ये खाई को भरें और एक बार भरोसे के दम पर हम आगे बढ़ें..! आप लोग में जो बड़ी उम्र के लोग हैं, जो साठ, सत्तर, पचहत्तर के लोग बैठे होंगे, क्या आपने कभी अपने बचपन में बाजार में ‘शुद्घ घी की दुकान’ ऐसा बोर्ड देखा था..? हंसो मत भाई, मुझे बताइए कि क्या कभी आपने ‘शुद्घ घी की दुकान’ ऐसा बोर्ड कभी देखा था..? नहीं..! ऐसा ही लिखा जाता था ‘घी की दुकान’। और ‘घी की दुकान’ लिखा हो तो आदमी को भरोसा था कि वो शुद्घ घी ही होगा, लेकिन भरोसा टूट गया तो बोर्ड लगाना पड़ता है ‘शुद्घ घी की दुकान’..! मैं छोटी-छोटी बातों के आधार पर बताना चाहता हूँ कि ये जो भरोसा टूट रहा है, उच्च पदों का तो भरेासा टूट चुका है... और तब जा कर के मेरे भाइयो-बहनों, आओ फिर से एक बार महात्मा गांधी, सरदार पटेल का स्मरण करते हुए इस भरोसे का बाइंडिंग कैसे बढ़ें, हम सब इस दायित्व को कैसे निभाएं, हमारे शब्दों की ताकत कैसे बढ़े, हमारे आचरण से उसमें कैसे ताकत भरें, उसका संकल्प करें..!

भाइयों-बहनों, मैंने काफी समय लिया है आपका, अभी आपका शायद रात्रीभोज भी बाकी होगा..! और मैं देख रहा था कि आप लोग तो एक-एक दो-दो मिनट बोल कर अपना पूरा करके जा रहे थे और मैं घंटे भर से बोल रहा हूँ। आपके मन में सवाल भी रहते होंगे। एक छोटी सी बात बता दूँ। विश्व भर में बैठे मेरे गुजरात के भाइयों से मेरी प्रार्थना है, गुजरात को प्रेम करने वाले भाइयों से मेरी प्रार्थना है, हिन्दुस्तान को प्रेम करने वाले मेरे सभी भारतीय भाइयों-बहनों को प्रार्थना है। गुजरात में हम लोगों ने एक सपना संजोया है और वो सपना है, हम विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति बनाना चाहते हैं और दुनिया के सामने हम अपना एक रूतबा खड़ा करना चाहते हैं। हमारा यानि मोदी का नहीं, बीजेपी का नहीं, गुजरात सरकार का नहीं, सवा सौ करोड़ देश वासियों का..! और जिस महापुरूष ने हिन्दुस्तान को एकता के बंधन में बांधा, छोटे-छोटे रजवाड़ों को मिला कर के ये देश बनाया, एक किया..! इतिहास का एक स्वर्णिम पृष्ठ है, लेकिन उसको भुला दिया गया है। उसका पुन: स्मरण होना चाहिए। वो हमें एक नई ताकत देगा, देश को जोड़ने की ताकत देगा, देश को तोड़ने वाले हर प्रयासों का वो जवाब होगा..! और इसलिए हमने एक संकल्प किया हुआ है, ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’..! और ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ है भारत के लौह पुरूष सरदार पटेल की दुनिया की सबसे बड़ी और ऊंची प्रतिमा, जो हमें बनानी है..! और उसकी साइज का जो सपना है वो सपना है, ‘स्टूच्यू ऑफ यूनिटी’ की साइज ‘स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी’ से डबल होगी..! नर्मदा नदी पर सरदार साहब के नाम पर बना हुआ जो ‘सरदार सरोवर डैम’ है, उसी जगह पर हम ये बनाने जा रहे हैं। काम काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। रिसर्च हो रहा है, डिजाइनिंग हो रहा है, धरती पर भी हम काम बहुत जल्दी शुरू करना चाहते हैं..! लेकिन जैसे हमने जब महात्मा मंदिर बनाया था और आप लोगों ने योगदान दिया था, वैसे ही हम जनता जनार्दन को जोड़ कर के जन-भागीदारी के साथ विश्व का अजोड़, सरदार पटेल का ये विराट रूप, ‘स्टेच्यू ऑफ युनिटी’ के रूप में प्रस्तुत करने वाले  हैं। विश्व भर फैले हुए मेरे भाइयों-बहनों, मेरी आप सबसे प्रार्थना है, कुछ समय बाद हम विधिवत् रूप से आपके पास कुछ मांगने के लिए आएंगे, आपका कान्ट्र्रीब्यूशन चाहेंगे। क्योंकि हर एक को लगना चाहिए कि ये जो ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ बना है, उस यूनिटी का मैं भी एक हिस्सा हूँ, मैं भी एक पार्टीकल हूँ, ये भाव हमें लाना है..! और उसका लाभ होता है। हमने गांधीनगर में जो महात्मा मंदिर बनाया, तो गुजरात के 18,000 गांवों को कहा था कि आपके गाँव का पानी और मिट्टी ले आइए। दुनिया के हर देश में रह रहे गुजरातियों से मैंने कहा था कि वहाँ का पवित्र जल और मिट्टी ले आइए। हिन्दुस्तान के हर राज्य को कहा था कि वहाँ का पवित्र जल और मिट्टी लाइए और हमने विश्व भर से पवित्र जल और पवित्र मिट्टी इक्कठी कर कर के महात्मा मंदिर की नींव रखी है। ये एक भावात्मक ताकत होती है और महात्मा गांधी, उनका जो विश्व रूप था उसकी प्रतिकात्मक रूप से अनुभूति करने का हमने प्रयास किया था। ऐसे ही सरदार साहब की ये प्रतिमा एकता की प्रतिमा है, जिस व्यक्ति में एक करने का सामर्थ्य, हर संकटों से बाहर निकल कर के बहुत कम समय में इतने बड़े देश को जोड़ने का महान काम, विश्व के सभी समाजों को सीखने और समझने जैसा काम, इसको हमें उजागर करना है, उस महान रूप को उजागर करना है..! और विश्व को गौरव से कहना है कि मेरे देश में इसी कालखंड में ऐसा भी एक वीर पुरूष, महापुरूष पैदा हुआ था..! बड़े गौरव के साथ काम करना है, भाईयों..!

इए, हम सब अपने-अपने सपनों को पूरा करें ही करें, अपने संकल्पों को पूरा करें, लेकिन राष्ट्र के नाते, समाज के नाते भी हर संकल्पों को पूरा करके समग्र मानवजात के कल्याण के लिए भारत कैसे काम आए और ‘माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः’..! भूमि मेरी माता है, मैं पृथ्वी का पुत्र हूँ... ये समग्र पृथ्वी को माँ मानने वाले हम संतान, मानव जात के कल्याण का मार्ग को लेकर के चलें, ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के मंत्र को लेकर के चलें, इसी एक भाव के साथ, आप सबके बीच आने का, आप सब से बात करने का मुझे अवसर मिला, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूँ, मैं आपको बहुत शुभ कामनाएं देता हूँ और मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि ये गुजरात आपका है, आपकी भाषा कोई भी हो, पहनाव कोई भी हो, हम तो पृथ्वी के पुत्र हैं..! आइए, इसका गौरवगान करें, इसको अपना करें... यही एक प्रार्थना है। फिर एक बार मैं सभी का अभिनंदन करता हूँ, बधाई देता हूँ..! कई मेहमान वहाँ बैठे हैं, सबका नाम नहीं ले पा रहा हूँ, मुझे क्षमा करें। अमेरिका के कई राजनीतिक नेता भी वहाँ बैठे हैं, मैंने हिन्दी में बोलना पंसद किया, हो सकता है अगल-बगल में बैठे हुए लोग उनको भाषान्तर करके मेरी भावनाएं उन तक पहुंचाते होंगे..! आइए भाइयों-बहनों, हम सब मिल कर के, आज जब ‘मदर्स डे’ भी मना रहे हैं, ‘गुर्जर दिवस’ भी मना रहे हैं, तब पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ें। आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं..!

य जय गरवी गुजरात..!

य जय गरवी गुजरात..!

भारत माता की जय..!

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Viksit Haryana for Viksit Bharat, this is our resolve: PM Modi in Yamuna Nagar, Haryana
April 14, 2025
Viksit Haryana for Viksit Bharat, this is our resolve: PM
Our effort is to increase the production of electricity in the country, lack of electricity should not become an obstacle in nation building: PM
PM Suryagarh Muft Bijli Yojana started by us can reduce electricity bill to zero by installation of solar panels : PM
Our effort is to increase the potential of the farmers of Haryana: PM

The popular Chief Minister of Haryana Shri Nayab Singh Saini ji, my colleagues in the Union Cabinet Manohar Lal ji, Rao Inderjit Singh ji and Krishan Pal ji, ministers of the Haryana Government, Members of Parliament and the Legislative Assembly, and my dear brothers and sisters. Greetings from Modi to my brothers and sisters of Haryana.

Friends,

Today, I bow to the land where Mother Saraswati originated, where Goddess Mantra resides, where the five-faced Lord Hanuman is present, where the blessings of Kapalmochan Sahib are received, and where the confluence of culture, faith, and devotion flows. Today is also the 135th birth anniversary of Babasaheb Ambedkar ji. I extend my heartfelt wishes to all the citizens of the country on Ambedkar Jayanti. Babasaheb’s vision and inspiration continue to guide us on the journey of a ‘Viksit Bharat’ (Developed India).

Friends,

Yamunanagar is not just a city—it is also an important part of Bharat’s industrial map. From plywood to brass and steel, this entire region strengthens the economy of Bharat. In fact, it boasts the Kapal Mochan fair, the land of penance of Rishi Ved Vyas, and, in a way, the land of arms of Guru Gobind Singh ji.

Friends,

This in itself is a matter of great pride. And as Manohar Lal ji and Saini ji were just saying, I have many old memories connected with Yamunanagar. When I was in charge of Haryana, I frequently travelled between Panchkula and here. I had the opportunity to work with many dedicated old-time party workers here. That tradition of hardworking workers continues even today.

Friends,

For the third time in a row, Haryana is witnessing the double speed of development under the double-engine government. And now, as Saini ji said, it's like a triple government. A ‘Viksit Haryana’ (Developed Haryana) for a ‘Viksit Bharat’ (Developed India) —that is our resolve. We are working at greater speed and on a much larger scale to fulfil this resolution, to serve the people of Haryana, and to realize the dreams of its youth. The development projects launched here today are a living example of this. I extend my heartfelt congratulations to the people of Haryana for these development initiatives.

Friends,

I am proud that our government is moving forward by carrying the thoughts of Babasaheb. Babasaheb Ambedkar viewed industrial development as a path to social justice. Babasaheb recognized the issue of small landholdings in Bharat. Babasaheb said that Dalits do not have enough land for farming, so industries would benefit them the most. Babasaheb’s vision was that industries would create more employment for Dalits and improve their standard of living. Babasaheb worked alongside the country’s first Industry Minister, Dr. Syama Prasad Mookerjee, in the direction of industrialization in Bharat.

Friends,

The harmony between industrialization and manufacturing was also considered by Deenbandhu Chaudhary Chhotu Ram ji as the foundation of rural prosperity. He used to say that true prosperity will come to villages when farmers increase their income not only through agriculture but also through small-scale industries. The vision of Chaudhary Charan Singh ji, who dedicated his life to the welfare of villages and farmers, was no different. Chaudhary Saheb said that industrial development should complement agriculture—both are pillars of our economy.

Friends,

This very sentiment, this very idea, this very inspiration lies at the heart of 'Make in India' and 'Aatmanirbhar Bharat' (Self-Reliant India). That is why our government is placing such strong emphasis on manufacturing in Bharat. In this year’s Budget, we announced the Mission Manufacturing. Its aim is to provide maximum employment to the youth from Dalit, backward, oppressed, and deprived communities; to provide youth with the necessary training; to reduce business costs; to strengthen the MSME sector; to ensure industries benefit from technology; and to make our products the best in the world. To achieve all these goals, it is very important that the country does not face any shortage of electricity. We must also become self-reliant in energy. That’s why today’s event is very significant. Today, work has started on the third unit of the Deenbandhu Chaudhary Chhotu Ram Thermal Power Plant. This will benefit Yamunanagar and its industries. Nearly half of the plywood production in Bharat happens here in Yamunanagar. Large-scale manufacturing of aluminium, copper, and brass utensils takes place here. Equipment for petrochemical plants made here is exported to many countries around the world. With increased electricity production, all of these sectors will benefit, and it will give a boost to Mission Manufacturing here.

Friends,

Electricity is going to play a major role in building a ‘Viksit Bharat’. Our government is working on all fronts to increase electricity availability. Be it the One Nation-One Grid initiative, new coal power plants, solar energy, or the expansion of the nuclear sector—our effort is to boost electricity production so that the lack of power does not become an obstacle in nation-building.

But friends,

We must not forget the days of Congress rule. Before 2014, when Congress was in power, we saw days when there were blackouts across the country—entire regions would be without electricity. If the Congress government had continued, the country would still be facing such blackouts today. Factories wouldn’t run, trains wouldn’t operate, and water wouldn’t reach the fields. In other words, if Congress were still in power, such crises would have continued, and the country would remain divided and stuck. But after years of effort, the situation is changing today. In the past decade, Bharat has nearly doubled its electricity generation capacity. Today, not only does Bharat meet its own needs, but it also exports electricity to neighbouring countries. This focus on power generation by the BJP government has also benefited Haryana. Today, Haryana produces 16,000 megawatts of electricity. We are working with the goal of increasing this capacity to 24,000 megawatts in the near future.

Friends,

On one hand, we are investing in thermal power plants, and on the other, we are turning the people of the country into power generators themselves. We have launched the PM Suryaghar Muft Bijli Yojana. By installing solar panels on their rooftops, people can reduce their electricity bills to zero. Not only that, any extra electricity generated can be sold for additional income. So far, over 1.25 crore people across the country have registered under this scheme. I’m happy to share that lakhs of people from Haryana have also applied to join this initiative. And as this scheme continues to expand, the service ecosystem around it is also growing. New skills are being developed in the solar sector. New opportunities are opening up for MSMEs, and numerous possibilities are being created for the youth.

Friends,

Along with ensuring that small industries in our small towns have adequate electricity, the government is also focusing on ensuring they have enough financial resources. During the COVID period, the government provided financial assistance worth lakhs of crores of rupees to save MSMEs. We also changed the definition of MSMEs so that small businesses could expand without fear. Now small industries are not worried that as soon as they grow, they will lose government support. Now, the government is introducing special credit cards for small industries. Credit guarantee coverage is also being expanded. Just a few days ago, the MUDRA Yojana completed 10 years. You’ll be happy—and perhaps pleasantly surprised—to know that over the past 10 years, 33 lakh crore rupees has been disbursed as loans without any collateral under this scheme to ordinary citizens stepping into business and industry for the first time. Imagine that—33 lakh crore rupees without a guarantee! More than 50% of the beneficiaries of this scheme belong to SC/ST/OBC communities. The goal is to empower these small enterprises to fulfil the big dreams of our youth.

Friends,

The hard work of our farmer brothers and sisters from Haryana is visible in every Indian’s plate. The BJP’s double-engine government is the biggest companion in both the joys and sorrows of our farmers. Our effort is to enhance the strength and capacity of Haryana’s farmers. Today, the BJP government in Haryana procures 24 crops at Minimum Support Price (MSP). Lakhs of farmers in Haryana have also benefited from the PM Fasal Bima Yojana. Under this scheme, claims worth over 9,000 crore rupees have been paid out. Similarly, 6,500 crore rupees has gone directly into the pockets of Haryana’s farmers through the PM-Kisan Samman Nidhi.

Friends,

The Haryana government has also abolished the Aabiyana (canal water tax), a practice that had been continuing since British times. Now, you won’t have to pay tax on canal water, and outstanding dues of over 130 crore rupees under Aabiyana have also been waived.

Friends,

Thanks to the efforts of the double-engine government, new sources of income are being created for farmers and livestock owners. The GOBARdhan Yojana is helping farmers manage waste while also creating income opportunities. Biogas is being produced from cow dung, crop residues, and other organic waste. A plan was announced to establish 500 GOBARdhan plants across the country in this year’s Budget. Today, a new GOBARdhan plant has also been inaugurated in Yamunanagar. This will save the municipal corporation about 3 crore rupees every year. The GOBARdhan Yojana is also contributing to the Swachh Bharat Mission.

Friends,

Haryana is now speeding along the path of development. Before coming here, I had the opportunity to meet people in Hisar. A direct air service to Ayodhya Dham has now started from there. Today, the people of Rewari have also received the gift of a new bypass. This will free them from traffic jams at markets, intersections, and railway crossings. This four-lane bypass will allow vehicles to smoothly bypass the city. Travel time from Delhi to Narnaul will be reduced by one hour. I congratulate you all on this development.

Friends,

For us, politics is not about enjoying power, but a medium of service—service to the people and service to the nation. That is why the BJP does boldly what it says. After forming the government for the third time in Haryana, we have consistently been fulfilling the promises we made to you. But what’s happening in Congress-ruled states? Complete betrayal of public trust. Just look at our neighbouring state, Himachal—people are suffering immensely. All development and welfare work has come to a standstill. In Karnataka, from electricity to milk, from bus fares to seeds—everything is becoming more expensive. I saw on social media how the Congress government in Karnataka has imposed a variety of taxes and increased prices across the board. People in social media have creatively exposed this through an A to Z list—literally every letter of the alphabet paired with a different kind of tax hike, revealing the reality of the Congress government's actions. Even those close to the Chief Minister admit that Congress has made Karnataka number one in corruption.

Friends,

The Congress government in Telangana has also forgotten the promises it made to the people. There, Congress is busy bulldozing forests. Damaging nature, endangering wildlife—this is the working style of Congress! While we are working hard here to turn waste into wealth through the GOBARdhan scheme, they are destroying already-existing forests. This presents two clear models of governance before you. On one side is the Congress model—completely proven false—focused solely on power and positions. On the other side is the BJP model, which is grounded in truth, guided by the path shown by Babasaheb Ambedkar, and fully respectful of the Constitution. Our vision is to build a ‘Viksit Bharat’, and here in Yamunanagar today, we see that effort moving forward.

Friends,

I want to talk to you about another important topic. Yesterday, the nation celebrated the festival of Baisakhi. Yesterday also marked 106 years since the Jallianwala Bagh massacre. The memories of those who lost their lives in that massacre still live on with us today. Apart from the cruelty of the British and the sacrifice of the patriots who were martyred in the Jallianwala Bagh massacre, there is another aspect that was kept in the dark for a long time. This aspect reflects the spirit of standing with humanity and with the nation. And the name associated with this spirit is Sankaran Nair. Many of you may not have heard this name, but nowadays, he is being talked about a lot. Sankaran Nair ji was a renowned lawyer, and about 100 years ago, he held a high position in the British government. He could have lived a comfortable, luxurious life by staying close to power. But deeply moved by the cruelty of foreign rule and the incident at Jallianwala Bagh, he stepped forward to raise his voice against the British. He boldly resigned from his prestigious position and chose to stand with the country. Though he was from Kerala and the incident occurred in Punjab, he decided to personally take up the case of the Jallianwala Bagh massacre. He fought it on his own, shaking the very foundation of the British Empire. The British empire on which 'the sun never set'—Sankaran Nair ji brought them to court over the Jallianwala Bagh massacre and held them accountable.

Friends,

This was not just a matter of standing with humanity. It was also a shining example of ‘Ek Bharat, Shreshtha Bharat’ (One India, Great India). How a man from far-off Kerala stood up against British rule for a massacre that happened in Punjab — this is the true spirit that inspired our freedom struggle. Even today, that same spirit is a great strength in our journey towards a ‘Viksit Bharat’. We must learn about the contribution of Kerala’s Sankaran Nair ji, and every child in Punjab, Haryana, and Himachal should know about him.

Friends,

To empower the four key pillars — the poor, farmers, youth, and women — the double-engine government is constantly working. With the efforts of all of us, Haryana will definitely develop. I can see it with my own eyes — Haryana will flourish, prosper, and bring glory to the nation. Many, many congratulations to all of you for these numerous development projects. Raise both hands and say with full energy along with me:

Bharat Mata Ki Jai!

Bharat Mata Ki Jai!

Bharat Mata Ki Jai!

Thank you very much!