Published By : Admin | February 17, 2016 | 17:30 IST
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PM Modi chairs 10th interaction through #PRAGATI
#PRAGATI: PM Modi reviews grievances from people relating to the Ministry of Road Transport and Highways
#PRAGATI: PM Modi reviews progress of vital infrastructure projects in road, railway, coal, power & renewable energy sectors
#PRAGATI: Prime Minister reviews Char-Dham road connectivity improvement project in Uttarakhand
#PRAGATI: PM Modi exhorts Chief Secretaries to work towards at least one redevelopment project in each State
#PRAGATI: Redeveloped railway stations could become iconic structures and centres of economic activity, says PM Modi
#PRAGATI: PM Modi reviews programme for elimination of Kala Azar, calls for all efforts to eradicate this disease at earliest
Mission Indradhanush: PM Modi calls for aggressive action plan to cover all children for immunization in a specific time-frame
The Prime Minister, Shri Narendra Modi, today chaired his tenth interaction through PRAGATI - the ICT-based, multi-modal platform for Pro-Active Governance and Timely Implementation.
The Prime Minister reviewed the complaints and grievances from people relating to the Ministry of Road Transport and Highways, and directed all concerned officials to expedite their redressal.
In course of his review today, the Prime Minister reviewed the progress of vital infrastructure projects in the road, railway, coal, power and renewable energy sectors, spread over several states, including Mizoram, Uttarakhand, Himachal Pradesh, Odisha, Jharkhand, Chhattisgarh, Madhya Pradesh, Maharashtra, Chandigarh, Delhi.
Reviewing the Char-Dham road connectivity improvement project in Uttarakhand, the Prime Minister called for expediting the work at the earliest.
Shri Narendra Modi took stock of the comprehensive redevelopment projects of Railway Stations. He suggested to all Chief Secretaries to work towards at least one such redevelopment project in each State. He said such redeveloped railway stations would become iconic structures and centres of economic activity.
The Prime Minister reviewed the scheme for upgradation of campuses of National Institutes of Fashion Technology (NIFTs), and for setting up of grid connected solar power projects in Government organizations, CPSUs and Ordinance Factories. He asked all Chief Secretaries to work towards speedy implementation of solar power projects in their respective States.
The Prime Minister reviewed the programme for elimination of Kala Azar, and called for all efforts to eradicate this disease at the earliest. He also reviewed “Mission Indradhanush,” and emphasized the need for an organized and aggressive action plan to cover all children for immunization in a specific time-frame.
In a big boost to railway sector, CCEA approved construction of additional Railway lines to cater to increased passenger & freight needs.
Text of PM’s address at National 'PM Vishwakarma' programme in Wardha, Maharashtra
September 20, 2024
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Launches Acharya Chanakya Kaushalya Vikas Scheme and Punyashlok Ahilyabai Holkar Women Start-Up Scheme
Lays foundation stone of PM MITRA Park in Amravati
Releases certificates and loans to PM Vishwakarma beneficiaries
Unveils commemorative stamp marking one year of progress under PM Vishwakarma
“PM Vishwakarma has positively impacted countless artisans, preserving their skills and fostering economic growth”
“With Vishwakarma Yojna, we have resolved for prosperity and a better tomorrow through labour and skill development”
“Vishwakarma Yojana is a roadmap to utilize thousands of years old skills of India for a developed India”
“Basic spirit of Vishwakarma Yojna is ‘Samman Samarthya, Samridhi’”
“Today's India is working to take its textile industry to the top in the global market”
“Government is setting up 7 PM Mitra Parks across the country. Our vision is Farm to Fibre, Fiber to Fabric, Fabric to Fashion and Fashion to Foreign”
भारत माता की जय!
भारत माता की जय!
अमरावती आणि वर्ध्यासह महाराष्ट्रातील तमाम नागरिकअन्ना माझा नमस्कार !
दो दिन पहले ही हम सबने विश्वकर्मा पूजा का उत्सव मनाया है। और आज, वर्धा की पवित्र धरती पर हम पीएम विश्वकर्मा योजना की सफलता का उत्सव मना रहे हैं। आज ये दिन इसलिए भी खास है, क्योंकि 1932 में आज ही के दिन महात्मा गांधी जी ने अस्पृश्यता के खिलाफ अभियान शुरू किया था। ऐसे में विश्वकर्मा योजना के एक साल पूर्ण होने का ये उत्सव,विनोबा भावे जी की ये साधना स्थली, महात्मा गांधी जी की कर्मभूमि, वर्धा की ये धरती, ये उपलब्धि और प्रेरणा का ऐसा संगम है, जो विकसित भारत के हमारे संकल्पों को नई ऊर्जा देगा। विश्वकर्मा योजना के जरिए हमने श्रम से समृद्धि, इसका कौशल से बेहतर कल का जो संकल्प लिया है, वर्धा में बापू की प्रेरणाएँ हमारे उन संकल्पों को सिद्धि तक ले जाने का माध्यम बनेंगी। मैं इस योजना से जुड़े सभी लोगों, देश भर के सभी लाभार्थियों को इस अवसर पर बधाई देता हूं।
साथियों,
आज अमरावती में पीएम मित्र पार्क की आधारशिला भी रखी गई है। आज का भारत अपनी टेक्सटाइल इंडस्ट्री को वैश्विक बाज़ार में टॉप पर ले जाने के लिए काम कर रहा है। देश का लक्ष्य है- भारत की टेक्सटाइल सेक्टर के हजारों वर्ष पुराने गौरव को पुनर्स्थापित करना। अमरावती का पीएम मित्र पार्क इसी दिशा में एक और बड़ा कदम है। मैं इस उपलब्धि के लिए भी आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ।
साथियों,
हमने विश्वकर्मा योजना की पहली वर्षगांठ के लिए महाराष्ट्र को चुना, हमने वर्धा की इस पवित्र धरती को चुना, क्योंकि विश्वकर्मा योजना केवल सरकारी प्रोग्राम भर नहीं है। ये योजना भारत के हजारों वर्ष पुराने कौशल को विकसित भारत के लिए इस्तेमाल करने का एक रोडमैप है। आप याद करिए, हमें इतिहास में भारत की समृद्धि के कितने ही गौरवशाली अध्याय देखने को मिलते हैं। इस समृद्धि का बड़ा आधार क्या था? उसका आधार था, हमारा पारंपरिक कौशल! उस समय का हमारा शिल्प, हमारी इंजीनियरिंग, हमारा विज्ञान! हम दुनिया के सबसे बड़े वस्त्र निर्माता थे। हमारा धातु-विज्ञान, हमारी मेटलर्जी भी विश्व में बेजोड़ थी। उस समय के बने मिट्टी के बर्तनों से लेकर भवनों की डिजाइन का कोई मुकाबला नहीं था। इस ज्ञान-विज्ञान को कौन घर-घर पहुंचाता था? सुतार, लोहार, सोनार, कुम्हार, मूर्तिकार, चर्मकार, बढ़ई-मिस्त्री ऐसे अनेक पेशे, ये भारत की समृद्धि की बुनियाद हुआ करते थे। इसीलिए, गुलामी के समय में अंग्रेजों ने इस स्वदेशी हुनर को समाप्त करने के लिए भी अनेकों साजिशें की। इसलिए ही वर्धा की इसी धरती से गांधी जी ने ग्रामीण उद्योग को बढ़ावा दिया था।
लेकिन साथियों,
ये देश का दुर्भाग्य रहा कि आजादी के बाद की सरकारों ने इस हुनर को वो सम्मान नहीं दिया, जो दिया जाना चाहिए था। उन सरकारों ने विश्वकर्मा समाज की लगातार उपेक्षा की। जैसे-जैसे हम शिल्प और कौशल का सम्मान करना भूलते गए, भारत प्रगति और आधुनिकता की दौड़ में भी पिछड़ता चला गया।
साथियों,
अब आज़ादी के 70 साल बाद हमारी सरकार ने इस परंपरागत कौशल को नई ऊर्जा देने का संकल्प लिया। इस संकल्प को पूरा करने के लिए हमने ‘पीएम विश्वकर्मा’ जैसी योजना शुरू की। विश्वकर्मा योजना की मूल भावना है- सम्मान, सामर्थ्य और समृद्धि! यानी, पारंपरिक हुनर का सम्मान! कारीगरों का सशक्तिकरण! और विश्वकर्मा बंधुओं के जीवन में समृद्धि, ये हमारा लक्ष्य है।
और साथियों,
विश्वकर्मा योजना की एक और विशेषता है। जिस स्केल पर, जिस बड़े पैमाने पर इस योजना के लिए अलग-अलग विभाग एकजुट हुए हैं, ये भी अभूतपूर्व है। देश के 700 से ज्यादा जिले, देश की ढाई लाख से ज्यादा ग्राम पंचायतें, देश के 5 हजार शहरी स्थानीय निकाय, ये सब मिलकर इस अभियान को गति दे रहे हैं। इस एक वर्ष में ही 18 अलग-अलग पेशों के 20 लाख से ज्यादा लोगों को इससे जोड़ा गया। सिर्फ साल भर में ही 8 लाख से ज्यादा शिल्पकारों और कारीगरों को स्किल ट्रेनिंग, Skill upgradation मिल चुकी है। अकेले महाराष्ट्र में ही 60 हजार से ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग मिली है। इसमें, कारीगरों को modern machinery और digital tools जैसी नई टेक्नॉलजी भी सिखाई जा रही है। अब तक साढ़े 6 लाख से ज्यादा विश्वकर्मा बंधुओं को आधुनिक उपकरण भी उपलब्ध कराए गए हैं। इससे उनके उत्पादों की क्वालिटी बेहतर हुई है, उनकी उत्पादकता बढ़ी है। इतना ही नहीं, हर लाभार्थी को 15 हजार रुपए का ई-वाउचर दिया जा रहा है। अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए बिना गारंटी के 3 लाख रुपए तक लोन भी मिल रहा है। मुझे खुशी है कि एक साल के भीतर-भीतर विश्वकर्मा भाइयों-बहनों को 1400 करोड़ रुपए का लोन दिया गया है। यानि विश्वकर्मा योजना, हर पहलू का ध्यान रख रही है। तभी तो ये इतनी सफल है, तभी तो ये लोकप्रिय हो रही है।
और अभी मैं हमारे जीतन राम मांझी जी प्रदर्शनी का वर्णन कर रहे थे। मैं प्रदर्शनी देखने गया था। मैं देख रहा था कितना अद्भुत काम परंपरागत रूप से हमारे यहां लोग करते हैं। और जब उनको नए आधुनिक technology tool मिलते हैं, training मिलते हैं, उनको अपना कारोबार बढ़ाने के लिए seed money मिलता है, तो कितना बड़ा कमाल करते हैं वो अभी मैं देखकर आया हूं। और यहां जो भी आप आए हैं ना, मेरा आपसे भी आग्रह है, आप ये प्रदर्शनी जरूर देखें। आपको इतना गर्व होगा कि कितनी बड़ी क्रांति आई है।
साथियों,
हमारे पारंपरिक कौशल में सबसे ज्यादा भागीदारी SC, ST और OBC समाज के लोगों की रही है। अगर पिछली सरकारों ने विश्वकर्मा बंधुओं की चिंता की होती, तो इस समाज की कितनी बड़ी सेवा होती। लेकिन, काँग्रेस और उसके दोस्तों ने SC, ST, OBC को जानबूझकर के आगे नहीं बढ़ने दिया। हमने सरकारी सिस्टम से काँग्रेस की इस दलित, पिछड़ा विरोधी सोच को खत्म किया है। पिछले एक साल के आंकड़े बताते हैं कि आज विश्वकर्मा योजना का सबसे ज्यादा लाभ SC, ST और OBC समाज उठा रहा है। मैं चाहता हूं- विश्वकर्मा समाज, इन पारंपरिक कार्यों में लगे लोग केवल कारीगर बनकर न रह जाएँ! बल्कि मैं चाहता हूं, वे कारीगर से ज्यादा वो उद्यमी बनें, व्यवसायी बनें, इसके लिए हमने विश्वकर्मा भाई-बहनों के काम को MSME का दर्जा दिया है। वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट और एकता मॉल जैसे प्रयासों के जरिए पारंपरिक उत्पादों की मार्केटिंग की जा रही है। हमारा लक्ष्य है कि ये लोग अपने बिज़नस को आगे बढ़ाएँ! ये लोग बड़ी-बड़ी कंपनियों की सप्लाई चेन का हिस्सा बनें।
इसलिए,
ONDC और GeM जैसे माध्यमों से शिल्पकारों, कारीगरों और छोटे कारोबारियों को अपना बिज़नेस बढ़ाने में मदद का रास्ता बन रहा है। ये शुरुआत बता रही है, जो वर्ग आर्थिक प्रगति में पीछे छूट रहा था, वो विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में अहम रोल निभाएगा। सरकार का जो स्किल इंडिया मिशन है, वो भी इसे सशक्त कर रहा है। कौशल विकास अभियान के तहत भी देश के करोड़ों नौजवानों की आज की जरूरतों के हिसाब से स्किल ट्रेनिंग हुई है। स्किल इंडिया जैसे अभियानों ने भारत की स्किल को पूरी दुनिया में पहचान दिलानी शुरू कर दी थी। और हमारे स्किल मंत्रालय, हमारी सरकार बनने के बाद हमने अलग स्किल मंत्रालय बनाया और हमारे जैन चौधरी जी आज स्किल मंत्रालय का कारोबार देखते हैं। उनके नेतृत्व में इसी साल, फ्रांस में World Skills पर बहुत बड़ा आयोजन हुआ था। हम ओलम्पिक की तो चर्चा बहुत करते हैं। लेकिन उस फ्रांस में अभी एक बहुत बड़ा आयोजन हुआ। इसमें स्किल को लेकर के हमारे छोटे-छोटे काम करने वाले कारीगरों को और उन लोगों को भेजा गया था। और इसमें भारत ने बहुत सारे अवार्ड अपने नाम किए हैं। ये हम सबके लिए गर्व का विषय है।
साथियों,
महाराष्ट्र में जो अपार औद्योगिक संभावनाएं हैं, उनमें टेक्सटाइल इंडस्ट्री भी एक है। विदर्भ का ये इलाका, ये हाई क्वालिटी कपास के उत्पादन का इतना बड़ा केंद्र रहा है। लेकिन, दशकों तक काँग्रेस और बाद में महा-अघाड़ी सरकार ने क्या किया? उन्होंने कपास को महाराष्ट्र के किसानों की ताकत बनाने की जगह उन किसानों को बदहाली में धकेल दिया। ये लोग केवल किसानों के नाम पर राजनीति और भ्रष्टाचार करते रहे। समस्या का समाधान देने के लिए काम तब तेजी से आगे बढ़ा, जब 2014 में देवेन्द्र फडणवीस जी की सरकार बनी थी। तब अमरावती के नांदगाव खंडेश्वर में टेक्सटाईल पार्क का निर्माण हुआ था। आप याद करिए, तब उस जगह के क्या हाल थे? कोई उद्योग वहाँ आने को तैयार नहीं होता था। लेकिन, अब वही इलाका महाराष्ट्र के लिए बड़ा औद्योगिक केंद्र बनता जा रहा है।
साथियों,
आज पीएम-मित्र पार्क पर जिस तेजी से काम हो रहा है, उससे डबल इंजन सरकार की इच्छाशक्ति का पता चलता है। हम देश भर में ऐसे ही 7 पीएम मित्र पार्क स्थापित कर रहे हैं। हमारा विज़न है- Farm to Fibre, Fibre to Fabric, Fabric to Fashion, Fashion to Foreign यानी, विदर्भ के कपास से यहीं हाई-क्वालिटी फ़ैब्रिक बनेगा। और यहीं पर फ़ैब्रिक से फ़ैशन के मुताबिक कपड़े तैयार किए जाएंगे। ये फ़ैशन विदेशों तक एक्सपोर्ट होगा। इससे किसानों को खेती में होने वाला नुकसान बंद होगा। उन्हें उनकी फसल की अच्छी कीमत मिलेगी, उसमें value addition होगा। अकेले पीएम मित्र पार्क से ही यहाँ 8-10 हजार करोड़ रुपए के निवेश की संभावना है। इससे विदर्भ और महाराष्ट्र में युवाओं के लिए रोजगार के एक लाख से ज्यादा नए अवसर बनेंगे। यहाँ दूसरे उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा। नई supply chains बनेंगी। देश का निर्यात बढ़ेगा, आमदनी बढ़ेगी।
और भाइयों और बहनों,
इस औद्योगिक प्रगति के लिए जो आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी चाहिए, महाराष्ट्र उसके लिए भी तैयार हो रहा है। नए हाइवेज, एक्सप्रेसवेज़, समृद्धि महामार्ग, वॉटर और एयर कनेक्टिविटी का विस्तार, महाराष्ट्र नई औद्योगिक क्रांति के लिए कमर कस चुका है।
साथियों,
मैं मानता हूँ, महाराष्ट्र की बहु-आयामी प्रगति का अगर कोई पहला नायक है, तो वो है- यहाँ का किसान! जब महाराष्ट्र का, विदर्भ का किसान खुशहाल होगा, तभी देश भी खुशहाल होगा। इसीलिए, हमारी डबल इंजन सरकार मिलकर किसानों की समृद्धि के लिए काम कर रही हैं। आप देखिए पीएम-किसान सम्मान निधि के रूप में केंद्र सरकार 6 हजार रुपए किसानों के लिए भेजती है, महाराष्ट्र सरकार उसमें 6 हजार रुपए और मिलाती है। महाराष्ट्र के किसानों को अब 12 हजार रुपया सालाना मिल रहा है। फसलों के नुकसान की कीमत किसान को न चुकानी पड़े, इसके लिए हमने 1 रुपए में फसल बीमा देना शुरू किया है। महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे जी की सरकार ने किसानों का बिजली बिल भी ज़ीरो कर दिया है। इस क्षेत्र में सिंचाई की समस्या के समाधान के लिए हमारी सरकार के समय से ही कई प्रयास शुरू हुये थे। लेकिन, बीच में ऐसी सरकार आ गई जिसने सारे कामों पर ब्रेक लगा दिया। इस सरकार ने फिर से सिंचाई से जुड़े प्रोजेक्ट्स को गति दी है। इस क्षेत्र में करीब 85 हजार करोड़ रुपए की लागत से वैनगंगा-नलगंगा नदियों को जोड़ने की परियोजना को हाल ही में मंजूरी दी गई है। इससे नागपुर, वर्धा, अमरावती, यवतमाल, अकोला, बुलढाणा इन 6 जिलों में 10 लाख एकड़ जमीन पर सिंचाई की सुविधा मिलेगी।
साथियों,
हमारे महाराष्ट्र के किसानों की जो मांगें थीं, उन्हें भी हमारी सरकार पूरा कर रही है। प्याज पर एक्सपोर्ट टैक्स 40 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। खाद्य तेलों का जो आयात होता है, उस पर हमने 20 प्रतिशत टैक्स लगा दिया है। Refined सोयाबीन, सूर्यमुखी और पाम ऑयल पर कस्टम ड्यूटी को साढ़े 12 प्रतिशत से बढ़ाकर साढ़े 32 प्रतिशत कर दिया गया है। इसका बहुत फायदा हमारे सोयाबीन उगाने वाले किसानों को होगा। जल्द ही इन सब प्रयासों के परिणाम भी हमें देखने को मिलेंगे। लेकिन, इसके लिए हमें एक सावधानी भी बरतनी होगी। जिस काँग्रेस पार्टी और उसके दोस्तों ने किसानों को इस हालत में पहुंचाया, बर्बाद किया, हमें उन्हें फिर मौका नहीं देना है। क्योंकि, काँग्रेस का एक ही मतलब है- झूठ, धोखा और बेईमानी! इन्होंने तेलंगाना में चुनाव के समय किसानों से लोन माफी जैसे बड़े-बड़े वादे किए। लेकिन, जब इनकी सरकार बनी, तो किसान लोन माफी के लिए भटक रहे हैं। कोई उनकी सुनने वाला नहीं है। महाराष्ट्र में हमें इनकी धोखेबाज़ी से बचकर रहना है।
साथियों,
आज जो काँग्रेस हम देख रहे हैं, ये वो काँग्रेस नहीं है जिससे कभी महात्मा गांधी जी जैसे महापुरूष जुड़े थे। आज की काँग्रेस में देशभक्ति की आत्मा दम तोड़ चुकी है। आज की काँग्रेस में नफरत का भूत दाखिल हो गया है। आप देखिए, आज काँग्रेस के लोगों की भाषा, उनकी बोली, विदेशी धरती पर जाकर उनके देशविरोधी एजेंडे, समाज को तोड़ना, देश को तोड़ने की बात करना, भारतीय संस्कृति और आस्था का अपमान करना, ये वो काँग्रेस है, जिसे टुकड़े-टुकड़े गैंग और अर्बन नक्सल के लोग चला रहे हैं। आज देश की सबसे बेईमान और सबसे भ्रष्ट कोई पार्टी है, तो वो पार्टी कांग्रेस पार्टी है। देश का सबसे भ्रष्ट परिवार कोई है, तो वो कांग्रेस का शाही परिवार है।
साथियों,
जिस पार्टी में हमारी आस्था और संस्कृति का जरा सा भी सम्मान होगा, वो पार्टी कभी गणपति पूजा का विरोध नहीं कर सकती। लेकिन आज की कांग्रेस को गणपति पूजा से भी नफरत है। महाराष्ट्र की धरती गवाह है, आज़ादी की लड़ाई में लोकमान्य तिलक के नेतृत्व में गणपति उत्सव भारत की एकता का उत्सव बन गया था। गणेश उत्सव में हर समाज, हर वर्ग के लोग एक साथ जुड़ते थे। इसीलिए, काँग्रेस पार्टी को गणपति पूजा से भी चिढ़ है। मैं गणेश पूजन कार्यक्रम में चला गया, तो काँग्रेस का तुष्टिकरण का भूत जाग उठा, कांग्रेस गणपति पूजा का विरोध करने लगी। तुष्टिकरण के लिए कांग्रेस कुछ भी कर रही है। आपने देखा है, कर्नाटक में तो काँग्रेस सरकार ने गणपति बप्पा को ही सलाखों के पीछे डाल दिया। गणपति की जिस मूर्ति की लोग पूजा कर रहे थे, उसे पुलिस वैन में कैद करवा दिया। महाराष्ट्र गणपतीची आराधना करीत होता आणि कर्नाटकात गणपतीची मूर्ती पोलिस वैन मद्धे होती?
साथियों,
पूरा देश गणपति के इस अपमान को देखकर आक्रोशित है। मैं हैरान हूँ, इस पर कांग्रेस के सहयोगियों के मुंह पर भी ताला लग गया है। उन पर भी काँग्रेस की संगत का ऐसा रंग चढ़ा है कि गणपति के अपमान का भी विरोध करने की उनमें हिम्मत नहीं बची है।
भाइयों बहनों,
हमें एकजुट होकर काँग्रेस के इन पापों का जवाब देना है। हमें परंपरा और प्रगति के साथ खड़ा होना है। हमें सम्मान और विकास के एजेंडे के साथ खड़ा होना है। हम साथ मिलकर महाराष्ट्र की अस्मिता को बचाएंगे। हम सब साथ मिलकर महाराष्ट्र का गौरव और बढ़ाएंगे। हम महाराष्ट्र के सपनों को पूरा करेंगे। इसी भाव के साथ, इतनी बड़ी तादाद में आकर के, इस महत्वपूर्ण योजनाओं को आपने जो, उसकी ताकत को समझा है। इन योजनाओं का विदर्भ के जीवन पर, हिन्दुस्तान के सामान्य व्यक्ति के जीवन पर कैसा प्रभाव होना है, ये आपकी विराट सभा के कारण मैं इसे महसूस कर रहा हूं। मैं एक बार फिर सभी विश्वकर्मा साथियों को विदर्भ के और महाराष्ट्र के सभी मेरे भाई-बहनों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।