QuotePM Narendra Modi attends 34th Convocation of PGIMER in Chandigarh
QuotePM Narendra Modi pays tribute to the innocent people who lost their lives in 9/11 attacks
QuotePrime Minister recalls Swami Vivekananda’s address to the World Parliament of Religions in Chicago
QuoteChildren from Government schools are here. Being here will leave a great impact on their minds. It will inspire them: PM
QuoteA convocation does not mean end of education or end of learning: PM
QuoteEarlier it was about the syllabus but now, more than books you are connected with lives: PM Modi
QuoteToday medical science has become technology driven medical science, says PM Narendra Modi
QuoteWhatever we achieve in life is not because of 'Sarkar' but because of 'Samaj.' Society plays a vital role in our achievements: PM
QuoteThe entire world is now looking towards preventive and holistic healthcare: PM

आज जो अपने जीवन की एक नई शुरुआत करने जा रहे हैं, ऐसे सभी पदक विजेता और, डिग्री प्राप्त करने वाले साथियों, उपस्थित सभी महानुभाव,

आज 11 सितंबर है। 11 सितंबर कहने के बाद बहुत कम ध्यान में आता है, लेकिन 9/11 कहने के बाद तुरंत ध्यान आता है। इतिहास में 9/11 तारीख किस रूप में अंकित हुई है। यही 9/11 है कि जिस दिन, मानवता को ध्वस्त करने का एक हीन प्रयास हुआ। हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया और वही 9/11 है आज कि जहां PGI से वो नौजवान, समाज में कदम रख रहे हैं, जो औरों की जिंदगी बचाने के लिए जूझनें वाले हैं।

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मारना बहुत सरल होता है। लेकिन किसी को जिंदा रखना? पूरा जीवन खपा देना पड़ता है। और उस अर्थ में आपके जीवन में भी, आज ये 9/11 का एक विशेष महत्व बनता है। इतिहास के झरोखे में 9/11 का और भी एक महत्व है - 1893 - करीब 120 साल पहले, इसी देश का एक महापुरुष, अमेरिका की धरती पर गया था। और 9/11 कि शिकागो की धर्म परिषद में स्वामी विवेकानंद ने अपना उद्बोधन किया था। और उस उद्बोधन का प्रारम्भ था, “Sister and Brothers of America”. और उस एक शब्द ने, उस एक वाक्य ने पूरे सभागृह को लंबे अरसे तक तालियों से गूंजने के लिए मजबूर कर दिया था। उस एक पल ने पूरी मानवता को बंधुता में जोड़ने का एक एहसास कराया था। वो एक घोष वाक्य से मानवता के साथ, हर मानवीय जीवन किस प्रकार की ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकता है, उसका संदेश था। लेकिन 9/11, 1893 स्वामी विवेकानंद का संदेश अगर दुनिया ने माना होता, दुनिया ने स्वीकार किया होता, तो शायद वो जो दूसरा 9/11 हुआ, वो न होता। 

और उस परिपेक्ष में आज 9/11 को, चंडीगढ़ PGI में, दीक्षांत समारोह में मुझे आने का अवसर मिला है। मैं PGI से भलीभांति परिचित हूं। बहुत बार यहां आया करता था। कोई न कोई हमारे परिचित लोग बीमार होते थे तो मुझे मिलने आना होता था। क्योंकि मैं लंब अरसे तक यहीं चंडीगढ़ में रहा, मेरा कार्यक्षेत्र रहा। और इसलिए मैं भलीभांति PGI से परिचित रहा।

आज आपने समारोह मे देखा होगा, जो पहले कभी नहीं देखा होगा, सरकारी स्कूल के under privileged कुछ बच्चे यहां बैठे हैं। मैंने एक आग्रह रखा है कि जहां भी मुझे convocation में जाने का अवसर मिलता है, तो मैं आग्रह करता हूं उस शहर के गरीब बस्ती के जो सरकारी स्कूल हैं, वहां के बच्चों को लाकर के इस कार्यक्रम के साक्षी बनाइए। ये दृश्य जब देखेंगे तो उनके भीतर एक aspiration जगता है, उनके भीतर भी एक विश्वास पैदा होता है, “कभी हम भी यहां हो सकते हैं।“

तो ये दीक्षांत समारोह में दो चीज़ें हैं। एक जिन्‍होंने शिक्षा प्राप्‍त करके जीवन के एक नये क्षेत्र में कदम रखना है वो है। और दूसरे वो हैं, जो आज इस कदमों पर चलने का कोई संकल्‍प लेकर करके शायद ये दृश्‍य देखकर करके यहां से जाएंगे। एक शिक्षक जितना नहीं सिखा सकता है उससे ज्‍यादा एक दृश्‍य मन में अंकित होता है और किसी की जिदंगी को बदलने का कारण बन सकता है। और उस अर्थ में मेरा आग्रह रहता है कैसे हमारे गरीब परिवार के बच्‍चे भी ऐसे समारोह में साक्षी हों। और उसी के तहत मैं PGI का आभारी हूं कि उन्‍होंने मेरे इस सुझाव को स्‍वीकार किया और इन छोटे-छोटे बालकों को आज इस समारोह का साक्षी बनाने का अवसर दिया। एक अर्थ में आज के समारोह के ये मुख्य अतिथि हैं। वे हमारे real Chief Guest हैं।

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जब दीक्षांत समारोह हो रहा है तो मैं दो और शब्दों का भी उल्लेख करना चाहूंगा, कि जब ये दीक्षांत समारोह होता है तो कहीं हमारे मन में ये भाव तो नहीं होता है कि शिक्षांत समारोह है? कहीं ये भाव तो नहीं होता है कि विद्यांत समारोह है? अगर हमारे मन में ये भाव उठता है कि शिक्षांत समारोह या विद्यांत समारोह है तो ये सही अर्थ में दीक्षांत समारोह नहीं है।

ये शिक्षांत समारोह नहीं है, यहां शिक्षा का अंत नहीं होता है। ये विद्यांत समारोह नहीं है, ये विद्या की उपासना का अंतकाल ये नहीं है। ये दीक्षांत समारोह है। हमारे मानवीय इतिहास की ओर नजर करें तो ऐसा ध्यान में आता है कि सबसे पहला दीक्षांत समारोह करीब 2500 हजार वर्ष पहले हुआ, ऐसा लिखित उल्लेख प्राप्त होता है। 2500 वर्ष पुरानी ये परंपरा है। तैत्रेयी उपनिषद में सबसे पहले दीक्षांत समारोह की चर्चा है। यानि ये घटना 2500 वर्ष से चली आ रही है। और इसी धरती से, ये संस्कार की प्रक्रिया प्रारंभ हुई है।

जब दीक्षांत समारोह होता है तब कुछ पल तो लगता है, “हां चलो यार, बहुत हो गया, कितने दिन postmortem room में निकालते थे! वो कैसे दिन ते, चलो अब छुट्टी हो गई! पता नहीं laboratory में कितना time जाता था और पता नहीं हमारे साहब भी कितना परेशान करते थे। रात-रात को duty पर बुला लेते थे। Patient को खांसी भी नहीं होती थी, लेकिन उठाते थे, चलो देखो जरा क्या हुआ है।“ 

आपको लगता होगा कि सब परेशानियों से मुक्ति हो गई। हकीकत में जो आपने सीखा, समझ है, पाया है, अनुभव किया है, उसे अब कसौटी पर कसने का सच्चा वक्त प्रारंभ होता है। किसी अध्यापक के द्वारा आपकी की गई कसौटी और उसके कारण मिले हुए marks, उसके कारण मिला हुआ प्रमाण-पत्र और उसके कारण जीवन यापन के लिए खुला हुआ रास्ता वहीं से बात समाप्त नहीं होती है, बात एक प्रकार से शुरू होती है कि अब हर पल कसौटी शुरू होती है। पहले आप patient को देखते थे तो एक student के रूप में, patient कम नजर आता था, syllabus ज्यादा याद आता था कि किताब में लिखा था कि इतना pulse rate है तो ऐसा होता है, तो हमें वो patient भी याद नहीं आता था, उसकी pulse भी ध्यान में नहीं रहती थी लेकिन teacher ने जो बताया गया कि “यार इसका कैसा है जरा देखो तो फिर किताब देखते थे उसकी pulse का जो हो हो, लेकिन हम किताब देखते हैं यार क्‍या हुआ।“

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यानी हमने उसकी प्रकार से अपने समय को बिताया है। लेकिन अब जब हम Patient की pulse पकड़ते है तो किताब ध्‍यान में नहीं आती है। एक जिंदा इंसान आपके सामने बैठा होता है, pulse rate ऊपर नीचे हुआ तो आपकी धड़कन भी ऊपर-नीचे हो जाती है। इतनी एकामता जुड़ जाती है किताब से निकलकर के जिंदगी से जुड़ने का एक अवसर आज से प्रारंभ होता है।

और, आप डॉक्‍टर हैं आप mechanic नहीं है। एक mechanic का भी कारोबार पुर्जों के साथ होता है। आजकल डाक्‍टर का भी कारोबार पुर्जों के साथ ही होता है। सारे spare part का उसको पता होता है। technology ने हर spare part का काम क्‍या है वो भी बता दिया है लेकिन उसके बावजूद भी हम एक मशीन के साथ कारोबार नहीं करते हैं, एक जिंदा इंसान के साथ करते हैं और इसलिए सिर्फ ज्ञान enough नहीं होता है। हर पुर्जे के संबंध में, उसके काम के संबंध में आई हुई कठिनाई के संबंध में सिर्फ ज्ञान होना sufficient नहीं होता है, हमारे लिए आवश्यक होता है मानवीय संवेदनाओं का सेतु जोड़ना। आप देखना, सफल डॉक्टरों का जरा history देखिए, बीमारी को focus करने वाले डॉक्टर बहुत कम सफल होते हैं। लेकिन बीमार पर focus करने वाले डॉक्टर ज्यादा सफल होते हैं। जो बीमारी में ज्यादा सटा हुआ है, जो सिर्फ बीमारी को address करता है, वो न patient को ठीक कर पाता है और न ही अपने जीवन को सफल कर पाता है। लेकिन जो बीमार को address करता है, उसकी मनोवैज्ञानिक अवस्था को address करता है, उसकी अवस्था को सोचता है, गरीब से गरीब patient आ गया, पता है, payment नहीं दे पाएगा। लेकिन डॉक्टर ने अगर एक बीमार को देखा, बीमारी को बाद में देखा तो आपने देखा तो 20 साल के बाद भी वो गरीब patient मजदूरी करके डॉक्टर के घर वापस आकर के अपना कर्ज चुका देगा। क्यों? क्योंकि आपने बीमारी को नहीं, बीमार को अपना बना लिया था। और एक बार बीमार को हम अपना बना लेते हैं, तो उसकी बीमारी को जानने का कारण भी बहुत बन जाता है।

आजकल medical science एक प्रकार से technology से overpowered है। Technology-driven medical science है। आज कोई डॉक्टर बीमार व्यक्ति आ जाए तो देखकर के, चार सवाल पूछकर के दवाई नहीं देता है। वो कहता है जाओ पहले laboratory में, blood test करवाओ, urine test करवाओ। सारी technology उसकी चीर-फाड़ करके, चीजें छोड़कर के, उसको कागज पर डाल दे तो फिर आप ऐसा करते हैं कि “अच्छा ऐसा करो, वो लाल वाली दवाई दे दे, ये दे दो, ये दो दो”, अपने कपाउंडर के बता देते हैं। यानी डॉक्टर को निर्णय करने की इतनी सुविधा बन गई है, उसको इतनी चीजें उपलब्ध हैं। और थोड़ा सा भी experience उसको expertise की ओर ले जाने के लिए बहुत बड़ी ताकत देता है। और जब मैं सुनता हूं कि PGI एक digital initiative वाला institute है, इसका मतलब आप most modern technology के साथ जुड़े हुए परिचित डॉक्टर हैं। और अगर आप most modern technology के साथ जुड़े हुए डॉक्टर हैं तो आपके लिए अब उस patient को समझना, उसकी बीमारी को समझना, उस बीमारी को ठीक करने के रास्ते तय करना, technology आपको मदद करती है।

ये जो बदलाव आया है, वो बदलाव पूरे medical science में किस प्रकार से बदलाव आए। और मुझे विश्वास है कि यहां जो शिक्षा-दीक्षा आपने पाई है... हम ये भी समझे कि हम डॉक्टर बन गए, हमें डॉक्टर किसने बनाया? इसलिए बने कि हमारा दिमाग बहुत तेज था, entrance exam में बहुत अच्छे marks ले आए थे, उस समय हमारा coaching बहुत बढ़िया हुआ था? इसलिए हम डॉक्टर बन गए? हम इसलिए डॉक्टर बन गए कि 5 साल, 7 साल, जो भी बिताना था, वो बहुत अच्छे ढंग से बिताया, इसलिए डॉक्टर बन गए? अगर ये हम सोचते हैं तो शायद हम अधूरी सोच के हैं, हमारे खयालात अपूर्ण हैं।

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हमें डॉक्टर बनाने में एक ward boy का भी role रहा होगा। हमें डॉक्टर बनाने में exam के समय देर रात चाय बेचने वाले को जाकर के कहा होगा कि “देखो यार रात को देर तक पढ़ना है, उठ जाओ यार चाय बना दो”। उसने कहा होगा “साहब, ठंड बहुत है सोने दो”। आपने कहा होगा “नहीं-नहीं यार, चाय बना दे, कल exam है”। और उस गरीब आदमी, पेड़ के नीचे सोए हुए व्यक्ति ने उठकर के चाय बनाई होगी, चाय पिलाई होगी। और आपने रात को फिर 2 घंटे पढ़ाई की होगी और फिर दूसरे दिन exam दिए होंगे और कुछ marks पाएं होंगे, क्या उस चाय वाले का कोई contribution नहीं है?

और इसलिए हम जो कुछ भी बनते हैं, हमारी अपनी बदौलत नहीं बनते हैं। हर प्रकार के समाज के लोगों का कुछ न कुछ योगदान होता है। हर किसी ने हमारे जीवन में बदलाव लाने के लिए role अदा किया होता है। मतलब ये हुआ, कि हम सरकार के कारण डॉक्टर नहीं बने हैं, हम समाज के कारण बने हैं। और समाज के ऋण, ये चुकता करना हमारा दायित्व बनता है। 

आप में से बहुत लोग होंगे जिनके passport तैयार होंगे। बहुत लोग होंगे जो शायद visa के application करके आए होंगे। लेकिन ये देश हमारा है। आज हम जो कुछ भी है, किसी न किसी गरीब के हक की कोई चीज उससे लेकर के हमें दी गई होगी। तभी तो हम यहां पहुंचे हैं। और इसलिए जीवन में कोई भी निर्णय करें, महात्‍मा गांधी हमेशा कहा करते थे कि “मेरे जीवन का निर्णय या मेरी सरकार का कोई भी निर्णय - सही है या गलत - अगर मैं उलझन में हूं, तो मैं एक बार पल भर के लिए समाज के आखिरी इंसान को जरा याद कर लूँ, जरा उसका चेहरा स्‍मरण कर लूँ, और तय करूं जो मैं कर रहा हूँ, उसकी भलाई में है या नहीं है”। आपका निर्णय सही हो जाएगा। मैं भी आपसे आज यही आग्रह करूंगा कि दीक्षांत समारोह में आप एक जीवन की बड़ी जिम्‍मेदारी लेने जा रहे हो। लेकिन आप एक ऐसी व्‍यवस्‍था से जुड़े हो, एक आप ऐसे क्षेत्र से जुड़े हो, कि जहां आज के बाद आप सिर्फ अपने जीवन का निर्णय नहीं करते हैं, आप समाज जीवन की जिम्‍मेदारी उठाने का भी निर्णय कर रहे हो। और इसलिए जीवन में कभी उलझन में हो, कभी निर्णय करने के अवसर आये कि ये करूं ये वो करूं पल भर के लिए कोई न कोई गरीब ने आपकी जिदंगी बनाने में role play किया हो। किसी ने आपकी चिंता की हो आपके कारण कोई न कोई काम किया हो। जरा पल भर उसको याद कर लीजिए और सही कर रहें या गलत कर रहे हैं अपने आप फैसला हो जाएगा। और ये अगर निर्णय की प्रक्रिया रही तो हिन्‍दुस्‍तान को कभी कठिनाइयों से गुजरने का अवसर नहीं आएगा।

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हमारे देश में हम परपरागत रूप holistic healthcare का जमाना है। आज दुनिया में एक बहुत बड़ा बदलाव आया है holistic healthcare का, preventive healthcare का - उसकी ओर लोग conscious हो रहे हैं। आप देखिए, अभी हमने अंतर्राष्‍ट्रीय योगा दिवस मनाया। कोई कल्‍पना कर सकता है कि United Nations के इतिहास में सभी 193 countries जिसका समर्थन करें, 193 countries दुनिया की co-sponsor बने, और सौ दिन के भीतर-भीतर UN के अन्‍दर अंतर्राष्‍ट्रीय योगा दिवस का निर्णय हो जाए – ये पूरे UN के इतिहास की सबसे बड़ी घटना है। ये क्‍यों हुआ? इसलिए हुआ कि पूरा विश्‍व medical science से भी कुछ और मांग रहा है। दवाइयों से गुजारा करने के बजाय वो अच्छे स्‍वास्‍थ्‍य की चिंता करने लगा है। जन-मन बदल रहा है।

Illness को address करने का जमाना चला गया, wellness को address करने का वक्‍त आ चुका है। हम Illness को address करेंगे कि wellness को address करेंगे? अब हमने एक comprehensive सोच के साथ आगे बढ़ना पड़ेगा, जिसमें सिर्फ illness नहीं wellness के लिए address करें, हम well being के लिए करेंगे। और जब ये फर्क हम समझेंगे तब लोगों में योगा की तरफ आकर्षण क्यों बढ़ा है, उसका हमें परिचय होगा उसका हमें अंदाज आएगा। और उस अर्थ में योगा के द्वारा विश्‍व preventive healthcare, holistic healthcare, wellness की तरफ जाना - उसकी ओर कदम चल रहा है।

कभी-कभी मुझे लगता है हमारे physiotherapist... मुझे लगता है सफल physiotherapist होने के लिए अच्‍छे योग टीचर होना बहुत जरूरी है। आपने देखा होगा आपकी physiotherapy और योग की activity - इतनी perfect similarity इसमें है कि अगर जो physiotherapy का courses करते हैं, उसके साथ साथ अगर वो योग expert भी बने जाएं, तो वो शायद best physiotherapist बन सकता है।

कहने का तात्‍पर्य है कि समाज जीवन में एक बहुत बड़ा बदलाव आ रहा है। वो दवाइयों से मुक्ति चाहता है। वो side effect के चक्‍कर में पड़ना नहीं चाहता है। वो illness के चक्‍कर से बच करके wellness की दिशा में जाना चाहता है। और इसलिए हमारे पूरे health sector में इन बातों को ध्‍यान में रखकर ही अपनी आगे की नीतियां ओर रणनीतियां बनानी पड़ती हैं। मुझे विश्‍वास है आप जैसे प्रबुद्ध नागरिकों के द्वारा ये संभव होगा।

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मैं आशा करता हूं कि आज इस दीक्षांत समारोह से निकलने वाले सभी महानुभाव जिन्‍होंने gold medal प्राप्‍त किया है उनको मेरी तरफ से विशेष बधाई देता हूं। कुछ लोग हो सकता है इस सारे प्रक्रिया से रहे गये होंगे। मैं उनको कहता हूं कि निराश होने का कोई कारण नहीं होता है। कभी- कभी विफलता भी सफलता के लिए एक अच्‍छा शिक्षक बन जाती है। और इसलिए जिन्‍होंने सोचा होगा कि ये पाना है, ये बनना है, कुछ रह गये होंगे उन्‍हें निराश होने की आवश्‍यकता नहीं है उन्‍हें उसी विश्‍वास के साथ आगे बढ़ना चाहिए। और जिन्होंने असफलता पाई है, और जीवन की नई ऊंचाईयों को पाने का जिन्हें अवसर मिला है, उन सबको मेरी तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं। आप उस पद पर हैं, जहां से आपको सिर्फ patient की नहीं, आने वाले दिनों में विद्यार्थियों को भी तैयार करने का मौका मिले, उस स्थान पर आप प्राप्त हुए हैं। मैं चाहूंगा कि आपके द्वारा एक संवेदनशील डॉक्टर तैयार हो, आपके द्वारा ये पूरा health sector... क्योंकि सामान्य मानवी के लिए भगवान का दृश्य रूप जो है न, वो डॉक्टर होता है, सामान्य मानवी डॉक्टर को भगवान मानता है। क्योंकि उसने भगवान को देखा नहीं लेकिन किसी ने जिंदगी बचा ली तो मानता है कि यही मेरा भगवान है।

आप कल्पना कीजिए कि आप उस क्षेत्र में हैं जहां सामान्य मानवी आपको भगवान के रूप में देखता है और वो ही आपकी प्रेरणा है, वो ही आपके जीवन को दौड़ाने के लिए सबसे बड़ी ऊर्जा है, उस ऊर्जा की ओर ध्यान देकर के हम आगे की ओर बढ़े, ये ही मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामना है। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

रऊआ सब लोगन के प्रणाम कर तानी। बाबा महेंद्र नाथ, बाबा हंसनाथ, सोहगरा धाम, मां थावे भवानी, मां अंबिका भवानी, प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद अऊरी लोकनायक जयप्रकाश नारायण के पावन भूमि पर रऊआ सब के अभिनंदन कर तानी!

बिहार के राज्यपाल श्रीमान आरिफ मोहम्मद खान जी, यहां की जनता की सेवा में समर्पित मुख्यमंत्री श्रीमान नीतीश कुमार जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे साथी जीतन राम मांझी जी, गिरिराज सिंह जी, ललन सिंह जी, चिराग पासवान जी, रामनाथ ठाकुर जी, नित्‍यानंद राय जी, सतीश चंद्र दुबे जी, राजभूषण चौधरी जी, बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी जी, विजय कुमार सिन्हा जी, संसद के मेरे साथी उपेंद्र कुशवाहा जी, बिहार बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल जी, अन्य मंत्रीगण, सांसद और विधायक गण और मेरे प्यारे बिहार के भाइयों और बहनों!

सिवान की ये धरती हमारे स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरक स्‍थली है। यह हमारे लोकतंत्र को, देश को, संविधान को ताकत देने वाली भूमि है। सिवान ने राजेंद्र बाबू जैसी महान संतान देश को दी। संविधान निर्माण से लेकर देश को दिशा दिखाने में राजेंद्र बाबू की बहुत बड़ी भूमिका रही। सिवान ने ब्रज किशोर प्रसाद जी जैसी महान समाज सुधारक भी देश को दिए। ब्रज बाबू ने महिला सशक्तिकरण को अपने जीवन का मकसद बनाया था।

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साथियों,

मुझे खुशी है ऐसी ही महान आत्माओं के जीवन मिशन को एनडीए की यह डबल इंजन सरकार दृढ़ निश्‍चय के साथ आगे बढ़ा रही है। आज का यह कार्यक्रम इन्हीं प्रयासों का हिस्सा है। आज इस मंच से हजारों करोड़ रुपए की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है। विकास की ये सारी परियोजनाएं बिहार को उज्ज्वल भविष्‍य की तरफ ले जाएगी, समृद्ध बिहार बनाएगी। सिवान, सासाराम, बक्सर, मोतिहारी, बेतिया और आरा जैसे बिहार के सारे इलाके फलें-फूलें, इस दिशा में ये प्रोजेक्ट बड़ी भूमिका निभाएंगे। इनसे गरीब, वंचित, दलित, महादलित, पिछड़े, अति पिछड़े, हर समाज का जीवन आसान होगा। मैं बिहार की जनता को, आप सभी को इन प्रोजेक्‍ट्स के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैं अभी जब आप लोगों के बीच से आ रहा था, अभी कल ही बारिश हुई। सुबह भी थोड़ा बारिश का लाभ आया, इसके बावजूद भी इतनी बड़ी मात्रा में आपका आना, हमें आशीर्वाद देना, मैं आपका हृदय से जितना धन्यवाद करूं, उतना कम है।

भाइयों और बहनों,

जैसा आप सब जानते हैं, मैं कल ही विदेश से लौटा हूं। इस दौरे में मेरी दुनिया के बड़े-बड़े समृद्ध देशों के नेताओं से बात हुई। सारे नेता भारत की तेज प्रगति से बहुत प्रभावित हैं। वो भारत को दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनते देख रहे हैं और निश्चित तौर पर इसमें बिहार की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। बिहार समृद्ध होगा और देश की समृद्धि में भी बड़ी भूमिका निभाएगा।

साथियों,

मेरे इस विश्वास का कारण बिहार के आप सभी लोगों का सामर्थ्य है। आपने मिलकर बिहार में जंगलराज का सफाया किया है। यहां के हमारे नौजवानों ने तो 20 साल पहले के बिहार की बदहाली सिर्फ किस्सों और कथाओं में ही सुनी है। उन्हें बहुत अंदाजा नहीं है कि जंगलराज वालों ने बिहार की क्या हालत बना दी थी। जिस बिहार ने सदियों तक भारत की प्रगति को नेतृत्व दिया, उसको पंजे और लालटेन के शिकंजे ने पलायन का प्रतीक बना दिया था।

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साथियों,

बिहार के रहने वाले हर व्यक्ति के लिए सबसे बड़ी बात होती है, उसका स्‍वाभिमान। मेरे बिहारी भाई-बहन कठिन से कठिन परिस्थिति में काम करके दिखा देते हैं। वह कभी अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं करते। लेकिन पंजे और लालटेन वालों ने मिलकर बिहार के स्वाभिमान को बहुत ठेस पहुंचाई। इन लोगों ने ऐसी लूट-खसोट मचाई की गरीबी बिहार का दुर्भाग्य बन गई। अनेक चुनौतियों को पार करते हुए नीतीश जी के नेतृत्व में NDA सरकार बिहार को विकास की पटरी पर वापस लाई है और मैं बिहारवासियों को विश्वास देने आया हूं, हमने भले ही बहुत कुछ किया हो, करते रहे हैं, करते रहेंगे, लेकिन इतने से शांत होकर के चुप रहने वाला मोदी नहीं है, अब बहुत हो गया, बहुत कर लिया जी नहीं, मुझे तो बिहार के लिए और भी बहुत कुछ करना है, आपके लिए करना है, यहां के गांव-गांव के लिए करना है, यहां के घर-घर के लिए करना है, यहां के हर नौजवान के लिए करना है। अगर मैं सिर्फ बीते 10-11 साल की बात करूं तो इन 10 वर्षों में बिहार में करीब 55 हजार किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनी हैं, डेढ़ करोड़ से ज्यादा घरों को बिजली के कनेक्शन से जोड़ा गया है, डेढ़ करोड़ लोगों को, वहां के घरों को पानी का कनेक्शन दिया गया है, 45 हजार से ज्यादा कॉमन सर्विस सेंटर्स बनाए गए हैं, आज बिहार के छोटे-छोटे शहरों में नए-नए स्टार्ट-अप्स खुल रहे हैं।

साथियों,

बिहार की प्रगति की ये गति लगातार बढ़ती है, इसको बढ़ाते रहना है और इसी समय बिहार में जंगलराज लाने वाले मौका देख रहे हैं कि किसी भी तरह फिर से अपने पुराने कारनामे करने का मौका ढूंढ रहे हैं। बिहार के आर्थिक संसाधनों पर कब्जा करें, इसके लिए वो तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं, इसलिए मेरे बिहार के प्यारे भाइयों-बहनों, आप के उज्ज्वल भविष्‍य के लिए, आपके बच्‍चों के उज्ज्वल भविष्‍य के लिए, आपको बहुत ही सतर्क रहना है। समृद्ध बिहार की यात्रा पर ब्रेक लगाने के लिए तैयार बैठे लोगों को कोसों दूर रखना है।

साथियों,

गरीबी हटाओ के नारे हमारे देश ने दशकों तक सुने हैं, आपकी दो-दो, तीन-तीन पीढ़ी ने गरीबी हटाओ! गरीबी हटाओ! हर चुनाव में, ये आकर के बोलते थे। लेकिन जब आपने हमें मौका दिया, एनडीए को मौका दिया, तो NDA सरकार ने दिखाया है कि गरीबी कम भी हो सकती है। बीते एक दशक में रिकॉर्ड 25 करोड़ भारतीयों ने गरीबी को पराजित किया है। वर्ल्ड बैंक जैसी दुनिया की जानी-मानी संस्थाएं, भारत की इस बड़ी उपलब्धि की प्रशंसा कर रही हैं। और भारत ने जो ये कमाल किया है, इसमें बिहार का यहां हमारे नीतीश जी की सरकार का बहुत बड़ा योगदान है। पहले बिहार की आधे से अधिक आबादी, बहुत अधिक गरीब की श्रेणी में आती थी। लेकिन बीते दशक में बिहार के करीब पौने चार करोड़ साथियों ने खुद को गरीबी से मुक्त किया है।

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साथियों,

आज़ादी के इतने दशकों तक भी इतने लोग गरीब थे, नारे गूंजते रहे, गरीबी बढ़ती रही और ये इसलिए नहीं हुआ कि बिहार के लोगों की मेहनत में कोई कमी थी, देशवासियों की मेहनत में कोई कमी थी। बल्कि इसलिए क्योंकि इनके सामने आगे बढ़ने का कोई रास्ता नहीं था। लंबे समय तक कांग्रेस के लाइसेंस राज ने देश को गरीब रखा और गरीब को अति गरीबी में धकेल दिया। जब हर चीज के लिए कोटा-परमिट फिक्स था। छोटे-छोटे काम करने के लिए परमिट चाहिए होता था। कांग्रेस-RJD के राज में गरीब को घर नहीं मिलता था, राशन, बिचौलिए खा जाते थे, इलाज गरीब की पहुंच से दूर था, पढ़ाई और कमाई के लिए संघर्ष था, बिजली-पानी का एक कनेक्शन लगाने के लिए ही सरकारी दफ्तरों के अनगिनत चक्कर लगाने पड़ते थे। गैस कनेक्शन के लिए सांसदों की सिफारिश लगानी पड़ती थी। नौकरी बिना घूस, बिना सिफारिश के मिलती ही नहीं थी। और इसके सबसे बड़े भुक्तभोगी कौन थे, इनमें से ज्यादातर साथी मेरे दलित समाज के, महादलित समाज के, पिछड़े समाज के, अति पिछड़े समाज के यही मेरे भाई-बहन इसके शिकार हुए थे। इन्हें गरीबी हटाने का सपना दिखाकर खुद कुछ परिवार करोड़पति-अरबपति हो गए।

साथियों,

बीते 11 वर्षों से हमारी सरकार, गरीब के रास्ते की हर मुश्किल को दूर करने में जुटी है और आगे भी करती रहेगी और इतनी मेहनत करते हैं, तब ऐसे अच्‍छे परिणाम आज देखने को मिल रहे हैं। अब जैसे गरीबों के लिए आवास हैं, अभी जिन परिवारों को मुझे आवास की चाबी देने का मुझे मौका मिला, वह इतने आशीर्वाद दे रहे थे, उनके चेहरे पर इतना संतोष था, भाव-विभोर थे।

साथियों,

बीते दशक में देशभर में चार करोड़ से अधिक गरीबों को पक्के घर मिल चुके हैं। मैं आपको पूछूं, जवाब देंगे आप लोग? मैं अगर पूछूं, तो आप जवाब देंगे? मैंने अभी कहा, चार करोड़ लोगों को यानी चार करोड़ परिवारों को पक्के घर, कितने लोगों को, जरा जोर से बोलिए कितने लोगों को? चार करोड़! आप कल्पना कीजिए, चार करोड़ लोगों को पक्के घर मिलना, सिर्फ वह चार दीवारें नहीं हैं, उन घरों में सपने सजते हैं, उन घरों में संकल्प पलते हैं। आने वाले समय में तीन करोड़ और पक्के घर तैयार होने जा रहे हैं। मैंने पहले कहा ना, सेवा के काम में मैं रुकने वाला नहीं हूं। जितना हुआ, पहले वालों से बहुत अच्छा हुआ, फिर भी मोदी चैन की नींद नहीं सोएगा, वह दिन-रात काम करता रहेगा, आपके लिए करता रहेगा क्योंकि आप मेरे परिवार के सदस्य हैं और मेरे परिवार का एक भी सदस्य पीछे न रहे, दुखिया न रहे, यह मैं सपना लेकर के चला हूं। इसका बहुत अधिक फायदा बिहार के मेरे गरीब भाई-बहन, दलित भाई-बहन, महादलित भाई-बहन, पिछड़े भाई-बहन, अति पिछड़े भाई-बहन, ये सारी जो योजनाएं चला रहा हूं, सबसे पहले फायदा इनको मिल रहा है। बिहार में पीएम आवास योजना से 57 लाख से ज्यादा पक्के घर बने हैं। यहां सिवान जिले में भी गरीबों के एक लाख दस हजार से ज्यादा पक्के घर बन चुके हैं, मैं एक जिले की बात बोल रहा हूं और ये काम निरंतर जारी है। आज भी बिहार के 50 हज़ार से अधिक परिवारों के लिए घर की किश्त जारी की गई है। और जानते हैं, मेरे लिए दोहरी खुशी किस बात की है? ये घर ज्यादातर माताओं-बहनों के नाम पर हैं, मेरी जिन बहनों-बेटियों के नाम पर कभी कोई भी संपत्ति नहीं होती थी, अब वो अपने घर की मालकिन बन रही हैं।

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साथियों,

हमारी सरकार घर के साथ-साथ मुफ्त राशन, बिजली और पानी की सुविधा भी दे रही है। बीते सालों में देशभर में 12 करोड़ से अधिक नए परिवारों के घर नल पहुंचा है। इसमें सिवान के भी साढ़े चार लाख से अधिक परिवारों को पहली बार नल से जल मिला है। गांवों में हर घर में नल हो, शहरों में पीने के लिए पर्याप्त पानी हो, हम इस लक्ष्य को लेकर काम कर रहे हैं। बीते सालों में बिहार के अनेक शहरों के लिए पानी की पाइप लाइन और सीवेज ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट बनाए गए। अब दर्जनों और शहरों के लिए पाइप लाइन और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स स्वीकृत किए गए हैं। ये सारे प्रोजेक्ट, गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों का जीवन और बेहतर बनाएंगे।

भाइयों और बहनों,

आरजेडी-कांग्रेस की करतूतें, इनके कारनामे, बिहार विरोधी हैं, निवेश विरोधी हैं। जब भी अपने मुंह से ये लोग विकास की बात करते हैं, तो लोगों को दुकान-कारोबार, उद्योग-धंधे, सब में ताले लटकते नजर आते हैं। इसलिए, ये बिहार के नौजवानों के दिल में कभी भी जगह नहीं बना पाए। ये लोग, बेहाल इंफ्रास्ट्रक्चर, माफिया राज, गुंडाराज और भ्रष्टाचार के पोषक रहे हैं।

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साथियों,

बिहार का प्रतिभाशाली नौजवान आज जमीन पर होने वाले काम देख रहा है, उसे परख रहा है। NDA, कैसा बिहार बना रही है, इसका उदाहरण मढ़ौरा रेल फैक्ट्री है। आज मढ़ौरा की लोकोमोटिव फैक्ट्री से पहला इंजन, अफ्रीका को एक्सपोर्ट किया जा रहा है। यह आप ही का जाएगा, वहां की गाड़ी को खींचेगा। आप सोचिए, अफ्रीका में भी बिहार की जय-जयकार होने वाली है। ये फैक्ट्री उसी सारण जिले में बनी है, जिसको पंजे और आरजेडी वालों ने पिछड़ा कहकर अपने हाल पर छोड़ दिया था। आज ये जिला दुनिया के मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट मैप पर अपनी जगह बना चुका है। जंगलराज वालों ने तो बिहार का विकास इंजन ही ठप कर दिया था, अब बिहार में बना इंजन, अफ्रीका की रेल चलाएगा। ये बहुत बड़े गर्व की बात है, मुझे पक्का विश्वास है बिहार, मेड इन इंडिया का एक बड़ा सेंटर बनेगा। यहां का मखाना, यहां के फल-सब्जियां तो बाहर जाएंगी ही, बिहार के कारखानों में बनने वाला सामान भी दुनिया के बाज़ारों तक पहुंचेगा। बिहार के नौजवान जो सामान बनाएंगे, वो आत्मनिर्भर भारत को ताकत देगा।

साथियों,

इसमें बिहार में बन रहा आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत काम आएगा। आज बिहार में रोड, रेल, हवाई यात्रा और जलमार्ग, हर प्रकार के इंफ्रास्ट्रक्चर पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। बिहार को लगातार नई ट्रेनें मिल रही हैं। यहां वंदे भारत जैसी आधुनिक ट्रेनें चल रही हैं। आज हम एक और बड़ी शुरुआत करने जा रहे हैं। सावन शुरु होने से पहले आज बाबा हरिहरनाथ की धरती, वंदे भारत ट्रेन से बाबा गोरखनाथ की धरती से जुड़ गई है। पटना से गोरखपुर की नई वंदे भारत ट्रेन, पूर्वांचल के शिव भक्तों को मिली नई सवारी है। ये ट्रेन भगवान बुद्ध की तपोभूमि को, उनकी महापरिनिर्वाण भूमि कुशीनगर से जोड़ने का भी माध्यम है।

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साथियों,

ऐसे प्रयासों से बिहार में उद्योग-धंधों को तो बल मिलेगा ही, इससे पर्यटन को सबसे अधिक फायदा होगा। इससे दुनिया के टूरिज्म मैप में भी बिहार और अधिक निखर कर सामने आएगा। यानी बिहार के नौजवानों के लिए रोजगार के अनगिनत अवसर बनने वाले हैं।

साथियों,

देश में सबको आगे बढ़ने के अवसर मिले, किसी के साथ भी भेदभाव न हो, ये हमारे संविधान की भावना है। हम भी इसी भाव से कहते हैं- सबका साथ, सबका विकास। लेकिन ये लालटेन और पंजे वाले कहते हैं- परिवार का साथ, परिवार का विकास। हम कहते हैं- सबका साथ, सबका विकास। वह कहते हैं- परिवार का साथ, परिवार का विकास। इनकी राजनीति का कुल जमा निचोड़ यही है। अपने-अपने परिवारों के हित के लिए ये देश के, बिहार के करोड़ों परिवारों का अहित करने से भी नहीं चूकते हैं। खुद बाबा साहेब अंबेडकर भी इस प्रकार की राजनीति के बिल्कुल खिलाफ थे। इसलिए ये लोग कदम-कदम पर बाबा साहेब का अपमान करते हैं। अभी पूरे देश ने देखा है कि RJD वालों ने बाबा साहेब की तस्वीर के साथ क्या व्यवहार किया हैं। मैं देख रहा था, बिहार में पोस्टर लगे हैं कि बाबा साहेब के अपमान पर माफी मांगो, लेकिन मैं जानता हूं, ये लोग कभी माफी नहीं मांगेंगे, क्योंकि इन लोगों के मन में दलित, महादलित, पिछड़े, अति पिछड़े के प्रति कोई सम्मान नहीं है। आरजेडी और कांग्रेस बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीर को पैरों में रखती है, जबकि मोदी बाबा साहेब अंबेडकर को अपने दिल में रखता है। बाबा साहेब का अपमान करके ये लोग खुद को बाबा साहेब से भी बड़ा दिखाना चाहते हैं। बिहार के लोग बाबा साहेब का ये अपमान कभी नहीं भूलेंगे।

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साथियों,

बिहार की तेज प्रगति के लिए जो लॉन्चिंग पैड चाहिए, वो नीतीश जी के प्रयासों से तैयार हो चुका है। अब एनडीए को मिलकर, बिहार को तरक्की की नई बुलंदी देनी है। मुझे बिहार के नौजवानों पर भरोसा है। हम सभी मिलकर बिहार का प्राचीन गौरव फिर लौटाएंगे, बिहार को विकसित भारत का मजबूत इंजन बनाएंगे, इसी विश्वास के साथ, आप सभी को विकास कार्यों की फिर से अनेक-अनेक शुभकामनाएं। मेरे साथ दोनों मुट्ठी बंद करके हाथ ऊपर करके बोलिए, भारत माता की जय! जिसके पास तिरंगा है, वह तिरंगा लहराएंगे।

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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