PM Narendra Modi launches National Rurban Mission in Chhattisgarh
India's economic progress can't only depend on a few cities. Our villages must also contribute in country's growth: PM
National Rurban Mission makes our villages centres of growth: PM Narendra Modi
We are committed to provide proper healthcare facilities and good education to children in our villages: PM
Our crop insurance scheme seeks to solve a lot of problems being faced by the farmers: PM Modi

मेरे प्‍यारे भाइयो बहनों, आज मैं सुबह नया रायपुर में था। नया रायपुर में जब भी आता हूं कई नई चीजें देखने को मिलती हैं। लगता है दिन में जितना नया रायपुर बढ़ता है उससे ज्‍यादा रात में बढ़ता है। आज मैंने नया रायपुर में शहरों में जो गरीब होते हैं, उन गरीबों के आवास की योजना का शिलान्‍यास किया। और अभी मैं आपके बीच आया हूं। कार्यक्रम तो इन मेरे आदिवासी भाई-बहनों के बीच में है, जो दिल्‍ली से बहुत दूर है। राजनंद गांव के एक इलाके की छोटी सी जगह पर है। लेकिन कार्यक्रम बहुत बड़ा है और पूरे हिंदुस्‍तान के लिए है।

पहले सरकार को आदत थी, कि जो कुछ भी करना है वो दिल्‍ली में से ही करना है। विज्ञान भवन में दो सौ-चार सौ लोग आ जाएं, दीप जलाएं, मीडिया वालों की मित्रता काम आ जाए, टीवी पर 24 घंटे पता चल जाए कि इतना बड़ा काम हो गया है। मैंने सरकार को दिल्‍ली से बाहर निकाल करके जन-जन के बीच में लाकर खड़ा कर दिया है। आदिवासियों के बीच में लाया हूं, किसानों के बीच में लाया हूं, गांव के बीच में लाया हूं। सरकार के अधिकारियों की फौज गांव के बीच में जाने लग गई है और विकास की एक नई दिशा चल पड़ी है। और इसलिए आज इस छोटे से स्‍थान पर इतने लाखों लोगों का जनसागर, मैं हैरान हूं इतनी बड़ी संख्या में लोग, जहां भी मेरी नजर पहुंची है, लोग ही लोग नजर आते हैं। मैं उधर पहाड़ी पर नजर कर रहा हूं पहाड़ी में भी जैसे जान आ गई है, पत्‍थर नहीं लोग नजर आ रहे हैं। क्‍या अद्भुत दृश्‍य देख रहा हूं मैं। मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों ये जनता-जनार्दन के आर्शीवाद इस देश को नई ऊंचाई पर पहुंचाएंगे। ये मेरा विश्‍वास हर दिन पक्‍का होता जाता है। हर दिन नया विश्‍वास पैदा होता है। ऐसा प्‍यार जो आप लोग दे रहे हैं, उससे मुझे आपके लिए ज्‍यादा दौड़ने की ताकत मिलती है, ज्‍यादा मेहनत करने की ताकत मिलती है, पसीना बहाने की प्रेरणा मिलती है।

आज मुझे यहां 104 साल की उम्र की मां कुंवरबाई का आर्शीवाद प्राप्‍त करने का सौभाग्‍य मिला। जो लोग अपने-आप को नौजवान मानते हैं, वो जरा तय करें क्‍या उनकी सोच भी जवान है क्‍या? मैं ये इसलिए कह रहा हूं कि 104 साल की मां कुंवरबाई न टीवी देखती है न अखबार पढ़ती है न वो पढ़ी-लिखी मां है, दूर-सुदूर गांव में रहती है, और उसको पता चला कि देश के प्रधानमंत्री कहते हैं कि शौचालय बनाओ। बस इस मां के कान में पड़ गया, उसने अपनी बकरियां बेच दीं और शौचालय बना दिया। 104 साल की मां के मन में विचार, ये ही हिंदुस्‍तान के बदलाव का संकेत दे रहा है। देश बदल रहा है, इसका सबूत दूर-सुदूर गांव में बैठी हुई मेरी एक आदिवासी 104 साल की मां जब शौचालय बनाने का संकल्‍प करे, और संकल्‍प करे इतना ही नहीं, पूरे गांव वालों को शौचालय बनाने के लिए मजबूर करे, इतना ही नहीं, गांव में अब कोई भी व्‍यक्ति खुले में शौचालय नहीं जाएगा ये पक्‍का करवा ले, इससे बड़ी प्ररेणा क्‍या हो सकती है। मैं आज देशवासियों को कहता हूं, मैं मीडिया वालों से भी प्रार्थना करता हूं, कि मेरा ये भाषण नहीं दिखाओगे तो चलेगा, लेकिन मेरी ये मां कुवरबाई की बात जरूर देश को बताना। ये ही तो बातें हैं जो समाज की ताकत बनती हैं। और आज मुझे मां कुंवरबाई का स्‍वागत करने का सम्‍मान करने का अवसर मिला।

मुझे आज यहां के आदिवासी क्षेत्र के दो विकास खंडों के सेवाभावी नौजवान माताएं, बहनों और भाइयों का सम्‍मान करने का अवसर मिला। अम्‍बागढ़ चौकी और छुरिया इस दो ब्लॉक, सामाजिक जागरुकता से, ये जागरुक नागरिकों के अथक प्रयास से ये दो ब्लॉक open Defection free हो गए हैं। ये दो ब्लॉक खुले में शौचलाय जाना वहां बंद हो गया और हर किसी ने शौचालय बना लिया। स्वचछ्ता, ये छोटी बात नहीं है। हिंदुस्तान के कोने-कोने में जन-जन के मन-मन में शौचालय स्वभाव बनाना है, शौचालय, स्वच्छता, बीमारी से मुक्ति, स्वस्थ भारत, सशक्त भारत इस सपनों को पूरा करने के लिए अगर कोई पहली कोई महत्वपूर्ण पंक्ति, कदम है तो वो स्वच्छता है। आज मुझे उनका सम्मान करने का अवसर मिला है। अम्बागढ़ चौकी ब्लॉक के ग्रामीण लोगों को मैं विशेषकर बधाई देता हूं। कभी-कभी देश का प्रधानमंत्री भी टैक्स लगाने से डरता है, उसको चिंता रहती है कि अरे ये करुंगा तो क्या होगा। लेकिन अम्बागढ़ चौकी के नागरिकों को मैं सलाम करता हूं कि उन्होंने खुले में कोई शौच जाए दंड करने का प्रावधान किया है और दंड करते हैं। ये बहुत बड़ी हिम्मत की बात है। समाज के लिए निर्णय़ कडवा हो तो भी करने की ताकत इन अम्बागढ़ चौकी के मेरे आदिवासी भाइयों ने आज हमें सिखाया है। उन्होंने open Defection free, खुले में शौच जाने की सदियों पुरानी आदत से लोगों को मुक्ति दिलाई है और ये जब आप खुले में शौच जाने वाला बंद कराते हैं तो वो सबसे पहले माताओं-बहनों के सम्मान का काम होता है। आज मजबूरन उनको खुले में, जंगलों में शौच के लिए जाना पड़ता है। अगर हम हमारी माताओं-बहनों को इस मुसीबत से मुक्त करा दें तो देश की कोटि-कोटि माताओं-बहनों का आशीर्वाद ये भारत को एक महान शक्तिशाली देश बना देगा और उस काम को यहां के हमारे आदिवासी भाईयों-बहनों ने करके दिखाया है, 104 वर्ष की मां ने करके दिखाया है। इससे बड़ा सफलता का मार्ग क्या हो सकता है। मैं इन सभी को सार्वजनिक रूप से सर झुका करके नमन करता हूं, मैं उनका बहुत-बहुत वंदन करता हूं, उनका हृदय से अभिंनंदन करता हूं।

आज यहां एक योजना का और भी आरंभ हुआ, जन औषधि भंडार। गरीब व्यक्ति को, परिवार मेहनत करके गुजारा करता हो, सोचता हो 5 साल के बाद ये करेंगे, 10 साल के बाद ये करेंगे। कभी सोचता हो साईकिल लाएंगे, कभी सोचता हो बच्चों के लिए कोई अच्छे से कपड़े ले आएंगे लेकिन परिवार में अगर एक व्यक्ति को बीमारी आ जाए तो गरीब के लिए तो 10 साल का पूरा planning गड्ढे में चला जाता है, आर्थिक बोझ बन जाता है, कर्जदार बन जाता है। गरीब को सस्ती दवाई मिले, गरीब को दवाई के बिना मरने की नौबत न आए इसलिए पूरे देश में जन औषधि भंडारों को अभियान चलाया है। आज मैं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और उनकी पूरी टीम को बधाई देता हूं कि आज जन औषधि भंडार खोलने का आज मेरे हाथों से, मुझे करने का उन्होंने अवसर दिया, मैं इसके लिए उनका बहुत आभारी हूं।

आज Rurban Mission इसको हम प्रारंभ कर रहे हैं। कुछ लोग कहते हैं Smart City तो Smart Village क्यों नहीं, ये जो Rurban Mission है ना, वही Smart Village है। हमारे चौधरी साहब, हमारे मंत्री हैं उस विभाग के, वे अभी विस्तार से बता रहे थे। ये बात सही है कि हमारे शहरों की ओर जाना बहुत तेजी से बढ़ रहा है। लोग अपने बेटों को शहरों में भेज रहे हैं, बूढ़े मां-बाप गांव में रहते हैं, नौजवान शहरों में चले जा रहे हैं, उनको एक अच्छी जिंदगी जीनी है, एक quality of life, जहां अच्छी शिक्षा हो, अच्छी अस्पताल हो, बिजली आती हो, Internet चलता हो, कहीं शाम को परिवार से साथ पलभर घूमने-फिरने जाना हो तो अच्छी जगह हो, ये उसके मन में रहता है और इसलिए वो शहर की ओर चल पड़ता है लेकिन शहरों के हाल हम देख रहे हैं कि वहां पर झुग्गी-झोंपड़ियां बढ़ती चली जाती हैं। शहरों का विकास, पिछले कई वर्षों से लोग आते गए और शहर को बढ़ाते गए। शहर में बैठे हुए लोगों ने या राज्य सरकार चलाने वाले लोगों ने, ये लोग आएंगे तो कहां रहेंगे, उनको पानी कहां से पहुंचेगा, बिजली कहां से मिलेगी, उनका drainage का क्या होगा, उनको दैनिक जीवन क्रियाएं करनी हैं तो कहां करेंगे, कोई सोचता नहीं, लोग आते हैं। कभी एक लाख जनसंख्या होगी, थोड़े समय में डेढ़ लाख हो जाएगी, फिर दो लाख हो जाएगी, फिर तीन लाख हो जाएगी और व्यवस्था वैसी की वैसी रहेगी। पानी का टंका वही रहेगा जो पहले एक लाख लोगों के लिए था। अब पांच लाख लोगों को पानी कहां से पहुंचेगा और इसलिए पिछले कई वर्षों से पूर्वानुमान लगाकर के, विकास का नक्शा तैयार करके कि अगर शहर बढ़ेगा तो इस तरफ बढ़ाएंगे, मकान नए बनाने हैं तो इस तरफ बनाएंगे, Planning ऐसा करेंगे, ये सोचा नहीं गया। और सोचा गया है तो बहुत कम जगह पर सोचा गया और उसके कारण शहरों में जाना भी लोगों के लिए दुष्कर हो गया है। इसका उपाय क्या है, क्या लोगों को उनके नसीब पर छोड़ दिया जाए, झुग्गी-झोंपड़ी में जीने के लिए मजबूर किया जाए जी नहीं, इसका उपाय सोचना चाहिए और इस सरकार ने सोचा है और उसी में से ये Rurban Mission बना है। Rurban का सीधा-सीधा अर्थ है Rural-Urban दोनों को मिला दिया Rurban, ग्रामीण और शहरी दोनों को एक साथ मिला दिया वो है Rurban, जिसका मतलब है कि विकास ऐसा हो, जिसकी आत्मा गांव की हो और सुविधा शहर की हो, ऐसा गांव। अगर हम देखते हैं कुछ 5-7 गांवों के बीच में एकाध गांव होता है। जहां पर लोग कुछ खरीदी करने आते हैं, कुछ छोटी-मोटी चीज खरीदने आते हैं लेकिन वो गांव ही होता है। इस सरकार ने सोचा क्या देश में ऐसे जो गांव हैं, जिसके अगल-बगल में 5-7 गांव होते हैं और ये गांव धीरे-धीरे बढ़ रहा है क्या वो शहर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, अपने आप बढ़ रहा है, लोग धीरे-धीरे वहां आने लगे। पढ़ने के लिए आ गए, व्यापार करने के लिए आए, नौकरी करने के लिए आए हैं। पहले 10 हजार संख्या थी, देखते ही देखते 20 हजार संख्या हो गई, देखते ही देखते 25 हजार हो गई। क्या अभी से ऐसे जो अभी से तेज गति से बढ़ रहे हैं, ऐसे गांवों को केंद्रित करके, अगल-बगले के 5-7 गावों को जोड़कर के, 25,30,40 हजार की जनसंख्या की सुविधा के लिए एक Cluster Approach से ये Rurban Mission को लागू किया जा सकता है। पूरे देश में ऐसे 300 Rurban Center ख़ड़े करने की कामना से अभी काम प्रारंभ किया है। इस वर्ष 100 ऐसे Rurban Cluster खड़े करने की कल्पना है। जिसका विकास शहर बनने वाला है, वो ध्यान में रखा जाएगा लेकिन उसके अंदर का जो गांव है, दिल में जो गांव का भाव है, उसको जिंदा रखने के लिए पूरा प्रयास होगा। एक ऐसी रचना जो भारत के स्वभाव के साथ जुड़ती है, भारत की प्रकृति के साथ जुड़ती है।

दूसरी बात भारत के आर्थिक विकास को भी 5-50 बड़े शहरों के आधार पर नहीं चलाया जा सकता है। सवा सौ करोड़ का देश, कश्मीर से कन्याकुमारी, कच्छ से कामरोप, इतना विशाल देश, अगर लोगों को रोजगार देना है, आर्थिक प्रगति करनी है तो हमें विस्तार नीचे तक ले जाना पड़ेगा। ये Rurban जो कल्पना है, उसमें उसको Growth Center बनाने की कल्पना है। आर्थिक विकास की गतिविधि का केंद्र बिंदु बनाने की कल्पना है। छोटे-छोटे बाजार होंगे, कारोबार अगल-बगल के 5-10 गावों के लिए चलता होगा तो धीरे-धीरे वो Rurban बन जाएंगे। हमारे यहां जो Tribal belt है, उन Tribal belt में आदिवासी विस्तारों में अगर हम सोचकर के Growth Centre develop किए होते, एक-एक ब्लॉक में अगर Growth Centre develop किया होता तो हमारे आदिवासी क्षेत्रों के आर्थिक विकास के लिए इतने साल जो बीत गए, नहीं बीतते और इसलिए सुविधाएं मिलें, शिक्षा मिले, आधुनिकता मिले, साथ-साथ आर्थिक गतिविधि भी मिले। इन सारी बातों को जोड़कर के ये Rurban की योजना बनाई है। आज छोटे गांव में डॉक्टर जाते नहीं हैं, छोटे गांव में शिक्षक नहीं जाता लेकिन अगर Rurban बना दिया तो लोग वहां जाएंगे और नजदीक में 5,10,15 किलोमीटर दूरी पर दवाई सेवाओं के लिए जाना है या शिक्षा के लिए जाना है तो आराम से जाएगा, आएगा और इसलिए अगल-बगल के भी अनेक गांवों की quality of life में बहुत बड़ा बदलाव आएगा।

इस vision के साथ आज छत्‍तीसगढ़ में चार ऐसे संकूल के लिए प्रारंभ हो रहा है। मैं छत्‍तीगढ़ सरकार को बधाई देता हूं कि एक महत्‍वपूर्ण काम की योजना वो भी आदिवासि‍यों के बीच बैठ करके देश के लिए प्रारंभ हो रही है, इसका लाभ हिंदुस्‍तान के हर कोने को मिलने वाला है। और देखते ही देखते शहरों पर दबाव कम होगा। गांवों से बाहर जाने वालों के लिए एक अच्‍छी जगह उपलब्‍ध हो जाएगी, नए शहरों का निर्माण हो जाएगा। ये नए शहर व्‍यवस्थित होगे, आयोजित होंगे, आर्थिक गतिविधि के साथ जुड़े हुए होंगे। इस कल्‍पना को ले करके ये Rurban का कार्यक्रम आज प्रारंभ कर रहे हैं। मुझे विश्‍वास है कि एक साथ देश में जब योजना चलेगी, करोड़ों-करोड़ों लोगों को इसका लाभ होने वाला है।

भाइयों, बहनों यहां बहुत बड़ी मात्रा में मेरे किसान भाई-बहन हैं। मैं दो दिन पहले एक किसी पत्रकार ने लिखा था, फीचर को मैं पढ़ रहा था, उसने लिखा कि कई वर्षों के बाद किसानों के लिए भरोसे पात्र विश्‍वास पैदा करने वाली योजना पहली बार आई हैं, जो किसानों में एक नया विश्‍वास पैदा करेंगी। ये योजना है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना। हमारे देश में ज्‍यादातर खेती ईश्‍वर पर आधीन है। अगर वर्षा हो गई तो ठीक, वर्षा नहीं हुई तो सूखा, ज्‍यादा हो गई तो पानी में डूब गया। प्रकृति अगर रूठ जाए तो सबसे पहला नुकसान किसान को होता है। ऐसी स्थिति में किसान को सुरक्षा मिलना जरूरी है। एक नया विश्‍वास मिलना जरूरी है। और इस बात को ध्‍यान में रखते हुए पहली बार देश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ला रहे हैं, जो पहले की योजनाओं से बिल्‍कुल अलग है। पहले तो किसान premium लेने के लिए तैयार ही नहीं होता था। उसको लगता था इतने रुपये अगर में premium दूंगा तो फिर बीज कहां से लाऊंगा, खाद कहां से लाऊंगा, पानी खेती में कहां से पिलाऊंगा, पशु को चारा कहां से खिलाऊंगा, वो देता ही नहीं था और एक बार अगर दे दिया तो पता चलता था दो-दो साल तक बीमा का पैसा ही नहीं आता है, कभी पता चलता था आया तो बीमा तो 30 हजार का लिया था लेकिन 6 हजार रुपया ही मिला। और बीमा तो उसको मिला जिसको बैंक का लोन मिला था, तो सीधे बैंक वाले को चला गया, किसान के पास तो कुछ आता ही नहीं था। ये जितनी बीमारियां थीं, सारी बीमारियों को हमने खत्‍म कर दिया। एक नई ताकत वाली प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लाए जिसमें अब उसको प्रीमियम भी ज्‍यादा नहीं देना पड़ेगा। डेढ़ पर्सेंट, दो पर्सेंट पड़ा वो। वरना पहले तो कुछ इलाकों में 52-52 प्रतिशत प्रीमियम गया है। 8, 10, 14, 15 प्रतिशत तो Routine चलता था। हमने पक्‍का कर दिया कि दो पर्सेंट से ज्‍यादा नहीं, डेढ़ पर्सेंट से ज्‍यादा नहीं। ये पक्‍का कर दिया और इसलिए अब किसान को ज्‍यादा देना नहीं पड़ेगा।

दूसरा फसल खेत में से तैयार हो गई। अच्‍छी बारिश हुई, अच्‍छी फसल हो गई, और फसल काट करके खेत में ढेर पड़ा हुआ है। ट्रैक्‍टर मिल जाए ले जाने के लिए इंतजार हो रहा है। इतने में अचानक बारिश आ गई, तो उस बेचारे को एक पैसा नहीं मिलता था। बारिश आने तो उसका तो बरबाद हो गया, ढेर किसी काम का नहीं ऐसा ही ढेर देखने का। इस सरकार ने निर्णय किया कि फसल काटने के बाद खेत में अगर ढेर करके पड़ा है, और 14 दिन के भीतर-भीतर अगर कोई आपत्ति आ गई और नुकसान हो गया, तो उसको भी फसल बीमा मिलेगा।

ये बहुत बड़ा निर्णय किया है। पहले बहुत बड़े इलाके में तय होता था कि यहां वर्षा हुई तो इसका हिसाब लगाया जाता था। इसके कारण क्‍या होता था, पांच गांव में अच्‍छी बारिश हुई हो, दस गांव बेचारे सूखे में पड़े हों, उनको मिलता नहीं था। हमने कह दिया, कि छोटी इकाई को भी अगर उसका नुकसान हुआ है, तो उसको भी भरपाई हो जाएगा, उसको फसल का बीमा मिल जाएगा। इतना ही नहीं, दो-दो साल तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। उसको technology के माध्‍यम से तत्‍काल पैसे मिल जाएं इसका प्रबंध किया जा रहा है। कभी-कभार किसान तय करता है कि जून महीने में बारिश आने वाली है, सब ready रखता है, लेकिन जब तक बारिश नहीं आती, वो बोवनी नहीं कर पाता है, जून महीना चला जाए वो बेचारा बारिश की इंतजार कर रहा है, जुलाई महीना चला जाए वो इंतजार कर रहा है, अगस्‍त महीना चला जाए वो इंतजार कर रहा है, बारिश आई नहीं। तो ऐसा किसान क्‍या करेगा? जिसको बेचारे को बारिश आई ही नहीं, बोवनी का ही मौका नहीं मिला। तो सरकार ने कहा है, इस फसल बीमा योजना के तहत अगर वो फसल बो भी नहीं पाया और उसका नुकसान हो गया, तो भी उसको 25 प्रतिशत उसका साल भर पेट भरने के लिए तुरंत पैसा दे दिया जाएगा।

भाइयो, बहनों हिंदुस्‍तान के इतिहास में किसानों के लिए इतना बड़ा सुरक्षा कवच अगर किसी ने दिया है तो पहली बार दिल्‍ली में आपने हमें बिठाया और हमने आपकी सेवा में रखा है। भाइयो, बहनों ये सरकार गरीबों के लिए है। ये सरकार दलितों के लिए है। ये सरकार आदिवासियों के लिए है। ये सरकार पीडि़तों के लिए है। ये सरकार वंचितों के लिए है। समाज में आखिरी छोर पर जो बैठे हैं, उनके कल्‍याण के लिए एक संकल्‍प करके ये सरकार आई है, और इसलिए चाहे घर बनाने की योजना हो, चाहे जन औषधि भंडार करना हो, चाहे Rurban mission हो, चाहे फसल बीमा योजना हो, चाहे स्‍वच्‍छता का अभियान हो, चाहे खुले में शौच बंद कराने का प्रयास हो, ये सारी बातें सिर्फ और सिर्फ गरीब के लिए हैं। गरीब की जिंदगी में बदलाव लाने के लिए हैं।

भाइयों, बहनों ये ही बातें हैं जो आने वाले दिनों में परिणाम लाने वाली हैं। और मेरा तो विश्‍वास जब 104 साल की मां कुंवरबाई आर्शीवाद दें तो मेरा विश्‍वास लाखों गुना बढ़ जाता है, लाखों गुना बढ़ जाता है। ये ही रास्‍ता है, इसी रास्‍ते से देश का कल्‍याण होने वाला है, और उस रास्‍ते पर हम चल पड़े हैं। फिर एक बार मैं आपका बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं, आप सबको नमन करता हूं, आप सबको धन्‍यवाद करता हूं। भारत माता की जय।

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Prime Minister welcomes Cognizant’s Partnership in Futuristic Sectors
December 09, 2025

Prime Minister Shri Narendra Modi today held a constructive meeting with Mr. Ravi Kumar S, Chief Executive Officer of Cognizant, and Mr. Rajesh Varrier, Chairman & Managing Director.

During the discussions, the Prime Minister welcomed Cognizant’s continued partnership in advancing India’s journey across futuristic sectors. He emphasized that India’s youth, with their strong focus on artificial intelligence and skilling, are setting the tone for a vibrant collaboration that will shape the nation’s technological future.

Responding to a post on X by Cognizant handle, Shri Modi wrote:

“Had a wonderful meeting with Mr. Ravi Kumar S and Mr. Rajesh Varrier. India welcomes Cognizant's continued partnership in futuristic sectors. Our youth's focus on AI and skilling sets the tone for a vibrant collaboration ahead.

@Cognizant

@imravikumars”