PM Modi's Interview to News 24

Published By : Admin | May 21, 2024 | 22:02 IST

एंकर- आप सारी बातें कह चुके हैं, इसलिए मैं आपको 2014 में ले जाना चाहता हूं। जब आप सीएम से आकर पीएम बने थे उस समय का एक्सपीरियंस थोड़ा हमारे साथ शेयर करिए। पीएम नरेंद्र मोदी ने सीएम नरेंद्र मोदी से कितना सीखा था गुजरात का मॉडल आपने देश के मॉडल में कितना उतारा?

पीएम मोदी- आप मुझे लाख कोशिश करें 2014 में ले जाने की लेकिन मैं देश को 2047 की तरफ ले जाना चाहता हूं। तो मैंने अपनी पूरी शक्ति उसी में लगाई है। आपकी बात बिल्कुल सही है, सटीक है कि अनुभव से बड़ा कोई शिक्षक नहीं होता है। और आपने देखा हिंदुस्तान में जितने प्रधानमंत्री हुए उसमें बहुत कम प्रधानमंत्री ऐसे हैं जिनको राज्य में काम करने का अवसर मिला। और जिनको अवसर मिला वह भी बहुत कम समय के लिए मिला। मैं पहला ऐसा प्रधानमंत्री हूं कि जिसको लंबे अरसे तक प्रधानमंत्री पद पर काम करने का अवसर मिला और बाद में मैं आया मुख्यमंत्री के नाते मुख्यमंत्री के नाते काम करने का मुझे अवसर मिला उसके बाद मैं यहां आया। मुख्यमंत्री के नाते जब आप काम करते हैं तब बहुत बारीकियों से आपको गुजरना पड़ता है। आपको रोजमर्रा की चीजों को हैंडल करना पड़ता है। वहां आप सिर्फ फीता काटे दिया जलाएं इंटरव्यू दें प्रेस नोट दें, इससे काम नहीं चलता है। अगर सच्चे अर्थ में आपको और दूसरा राज्य इकाई ऐसी होती है कि लोग रोजमर्रा देखते हैं कि क्या हो रहा है क्या नहीं होता है। तो मुझे एक प्रकार से मेरा वह मेरी पाठशाला थी मुझे इतना सिखाया है, इतना सिखाया है गुजरात ने, मुख्यमंत्री के कार्यकाल ने, उसमें मुझे देश के अन्य मुख्यमंत्रियों से भी निकटता आई। उसमे मुझे देश की सरकारों को भी देखने का अवसर मिला। उनके मंत्रियों का काम देखने का, तो मैं भलीभाति बड़ी बारीकी से एक मुख्यमंत्री के रूप में सब चीज ऑब्जर्व करता था। और जिसको कहें ट्रू फेडरलिज्म वो मैं वहीं से सीख के आया हूं। और इसलिए आज मैं कोई भी निर्णय करता हूं तो सभी राज्यों के प्रति समान भाव ये मेरे जहन में है, क्योंकि मैं मानता हूं कि देश को आगे बढ़ाना है तो हर राज्य एक मजबूत पिलर बनना चाहिए तब जाकर के देश आगे बढ़ता है। और इस अर्थ में मैं कहूंगा कि बहुत सी बातें हैं जो मुझे बहुत काम आई है।

 

एंकर- प्रधानमंत्री जी 10 साल का सफर जैसा सोचा था वैसा ही रहा आप सटिस्फाइड है अपने काम से या चूंकि आपने कई बड़े फैसले किए तो क्या यह मुश्किल रहा यह सफर या आसान रहा?

पीएम मोदी- पहली बात है कि कोई काम सरल नहीं होता है और भारत इतनी विविधता भरा देश है, तो चुनौतियों तो डगर डगर पर रहती है, लेकिन मैं प्रकृति से चुनौती को चुनौती देना बेरला व्यक्ति हूं। मैं मुसीबतों को उसे भागना ये मेरे स्वभाव में नहीं है। मैं कभी कभी मुसीबत के लिए मुसीबत पैदा कर देता हूं। यह मेरे नेचर में है जहां तक संतोष का सवाल है मैं मेरे संतोष के लिए काम ही नहीं करता हूं। मैं 140 करोड़ देशवासियों के संतोष के लिए काम करता हूं। और मैं अपने जीवन में हर बार बेंचमार्क ऊपर लेता चला जाता हूं। और जो व्यक्ति चार कदम चलने के बाद 10 का सोचता है उसको तो जीवन में संतोष कभी हो ही नहीं सकता। क्योंकि उसको तो 10 किया तो फिर 20, 20 किया तो फिर 50, तो मैं निरंतर प्रगति के पक्ष में हूं। और जो निरंतर प्रगति में पक्ष में होता है उसको गति बनाए रखनी होती है। और गति जो बनाना चाहता है वह संतोष मान कर के सो नहीं सकता है ।

 

एंकर- अब प्रधानमंत्री जी जैसे मैंने गुजरात मॉडल का जिक्र किया विकास का गवर्नेंस का वो एक अपना अलग ही मॉडल था आप भी विकास पर बहुत जोर देते हैं। लेकिन आपके विरोधी कहते हैं खासतौर से चुनाव में आप विकास अपनी आर्थिक रिपोर्ट कार्ड बेरोजगारी और महंगाई इन मुद्दों पर बोलते ही नहीं है। आप सिर्फ ध्यान भटकाने के लिए हिंदू मुसलमान करते हैं।

पीएम मोदी- मैं चाहूंगा कि आपका चैनल एक काम करे सिर्फ मैंने चुनाव के समय जो भाषण किए हैं और चुनाव के समय जो मैंने इंटरव्यू दिए हैं उसमें इन तीन शब्दों को लेकर के खोज कीजिए और उस जितना मैंने बोला है उसका कंपाइल करके रख दीजिए। होता क्या है जी आप लोग आप लोगों का काम है कि उनको काउंटर सवाल कीजिए। हिंदुस्तान आजाद हुआ सबसे ज्यादा महंगाई कब थी जरा कभी पूछिए इनको। अगर आपके मालिक आपको अनुमति दे तो आप जरूर पूछिए। श्रीमति इंदिरा गांधी जब देश में राज कर रही थी, तब इस देश में सबसे ज्यादा महंगाई थी, दूसरा उनको पूछिए कि मनमोहन सिंह के समय कितनी महंगाई थी? और मोदी के समय कितनी महंगाई है? तो आज हम सबसे नीचे है महंगाई के दर पर। सबसे नीचे है। तीसरा पंडित नेहरू का एक भाषण है यूट्यूब पर अवेलेबल है। और मैं चाहूंगा आप हिम्मत करके उस यूट्यूब के भाषणों को आपके स्क्रीन पर दिखाएंगे श्रोताओं के, जिसमें वह कहते हैं देश में में महंगाई बहुत बढ़ रही है। मैं नेहरू के जमाने की बात कर रहा हूं। देश में महंगाई बहुत बढ़ रही है। फिर आगे क्या कहते हैं? आप तो जानते ही हैं नॉर्थ कोरिया साउथ कोरिया में लड़ाई चल रही है। और इसलिए हमें महंगाई सहनी पड़ रही है। उस समय ना तो इतना ग्लोबलाइजेशन था ना नॉर्थ कोरिया साउथ कोरिया की इकोनॉमी ऐसी थी कि जो दुनिया पर प्रभाव पैदा करती थी। लेकिन उस जमाने में लाल किले से देश को समझाया गया था कि नॉर्थ कोरिया साउथ कोरिया की लड़ाई के कारण महंगाई है। आज तो दुनिया में जो लड़ाई चल रही है वह सीधी सीधी इकोनॉमी को प्रभावित करती है, जैसे यूक्रेन-रशिया वो फूड फ्यूल एंड फर्टिलाइजर तीनों पर सीधा इंपैक्ट करती है। इसके बावजूद भी दुनिया में किसान को यूरिया करीब-करीब 3000 की बोरी मिलती है। भारत में किसान को तीन सौ में मिलती है। अब यह आप कभी दिखाएंगे नहीं कोई चर्चा नहीं करेगा। दुनिया में हर चीज इतनी महंगी है आपके अड़ोस-पड़ोस के देशों में देख लीजिए इसकी तुलना में भारत में सबसे ज्यादा कंट्रोल में है। दूसरा हमारी कोशिश रही है कि नागरिकों को कुछ बचत के रास्ते भी खोज के देना चाहिए। जैसे आज 80 करोड़ लोगों को मुफत अनाज मिलता है, तो का एक प्रकार से फूड बिल एकदम नीचे आ जाता है। पैसा बचता है, हमने एलईडी बल्ब मूवमेंट चलाया बिजली का बिल उसके कारण बहुत बहुत नीचे आता है। और बिजली ज्यादा अच्छी मिलती है ब्राइटनेस होती उसमें तो उसका पैसा बच रहा है। हमने जन औषधि केंद्र खोले जो दवाई सौ रुपये में मिलती है वो जनऔषधि केंद्र में 20 रुपये, 22 रुपये और 15 रुपये में मिल जाती है, मतलब उसका दवाई के बिल में 80 पर्सेंट की बचत हो रही है। हमने उडान योजना चालू की, अगर आज का हमारा भारत में तेजी से मिडल क्लास बढ़ रहा है, उड़ान योजना में वह बहुत सस्ते में ट्रेवलिंग कर पा रहा है उसके पैसे भी बढते हैं समय भी बचता है। यानि आप हर पहलू को देखिए हमारी कोशिश यह है, अब आप देखिए नी ऑपरेशन करवाओ, हार्ट ऑपरेशन करवाओ पहले बहुत चार्ज था आज बहुत कम हो गया, क्योंकि हमने उन सारी चीजों को रिस्टे किया है। तो हर क्षेत्र की महंगाई चाहे डाइनिंग टेबल से जुड़ी हुई है या ट्रांसपोर्टेशन से जुड़ी हो या टूरिजम से जुड़ी हुई है जीवन में बच्चों की आशा अपेक्षाओं को पूरा हर चीज में आज देश अच्छे ढंग से कंट्रोल करते हुए चलता है। लेकिन झूठ चलता है। दूसरा विषय रोजगार, कोई मुझे समझाए ये तो आप मानते हैं कि देश में इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत बढ़िया हुआ है, कोई इनकार नहीं कर सकता? तो क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंफ्रास्ट्रक्चर बनता है क्या? क्या रोबोट इंफ्रास्ट्रक्चर बनाता है क्या? रेल की पटरी डलती है तो कौन डालता है? रेल का इलेक्ट्रिफिकेशन होता है तो कौन करता है? इस देश में 4 करोड़ गरीबों के घर बने किसी ने तो बनाए होंगे, इस देश में 11 करोड़ टॉयलेट बने किसीने तो बनाए होंगे, इस देश में पहले की तुलना में डबल एम्स बने किसी ने तो बनाए होंगे, ये जो बनाने वाले हैं वो बिना रोजगार को काम करते होंगे क्या? दूसरी बात है, हमारे देश में पहले सैकड़ों स्टार्टअप्स थे आज सवा लाख से ज्यादा स्टार्टअप्स हैं। एक स्टार्टअप दो या तीन लोगों को रोजगार देता है। दूसरी बात है हमने मुद्रा योजना की हम बिना गारंटी बैंक लोन देते है और अब तक जो लिए है उसमें 80 प्रतिशत लोग पहली बार स्वरोजगार में आने वाले लोग हैं। मुद्रा योजना वाला भी कम से कम कम से कम दो, एवरेज तीन से चार लोगों को रोजगार देता है। यानि एक प्रकार से आज देश में हर क्षेत्र में रोजगार बहुत बढ़ा है, संभावनाएं भी बहुत बढ़ी है।

 

एंकर- प्रधानमंत्री जी मैं एक फील्ड रिपोर्टर हूं और मेरी भी एक रिपोर्टर की हैसियत से एक पीड़ा समझ लीजिए हम लोगों को पहले सूत्रों के हवाले से काफी खबर मिलती थी और जैसा आप कहते हैं हमारी दुकान ठीक चलती थी रिपोर्टर्स की।

पीएम मोदी- कुछ तो होना चाहिए, इतनी गालियां दे रहे हैं और आराम से काम कर रहे हैं, तो लोगों में क्यूरियोसिटी पैदा करने का बहुत बड़ा काम आप लोगों ने किया है। कैटली एजेंट के रूप में काम किया है। मुझे मेहनत करनी पड़ रही है कि जो सुना है वह गलत है रियलिटी यह है। मुझे वहां पर ले जाने में मेहनत पड़ती है। जहां तक सूत्रों के हवाले से मामला है, आपकी चिंता बिल्कुल सही है, क्योंकि हमारा पूरा मीडिया जगत जो है व सूत्रों के हवाले से चलता है। उसके पास ठोस चीजें होती नहीं और 24 घंटे दुनिया चलानी होती है। अब सरकार के अधिकृत चीजें सूत्रों के हवाले से मिलना बंद हो चुका है और इसलिए गॉसिप भी उसकी एक मर्यादा रहती है तो हमारे यहां तो हर प्रकार के लीकेज में प्रतिबंध है। पैसों का भी लीकेज बंद है खबरों का भी लीकेज बंद है।

एंकर- पहले तो कुछ खबरें मिलती थी तो उनमें ज्यादातर सही हो जाती थी, अब तो मिलती है ना मान लीजिए सीएम का नाम चल रहा है या कुछ और नाम चल रहा है तो वो पहले ही मान के चलते थे कि ये गलत ही होगा

दूसरा एंकर- बाकी खबर प्रधानमंत्री जी खुद बताते हैं।

पीएम मोदी- होता क्या है जी ये लोग, एक आदत बनी है मीडिया को करेगा, अब देखिए, 4 जून के बाद आप लोग क्या करेंगे? इस विजय को नहीं मनाएंगे कैसे विजय हुआ इसकी कोई चर्चा नहीं करेंगे उसी दिन शाम को कौन मंत्री बनेगा और पूरा विवादों में घसीट के ले जाएंगे। इस विजय को एंजॉय नहीं करने देंगे आपलोग। विजय को इस्टैब्लिश नहीं होने देंगे। आप क्या करेंगे मैं अभी से बताता हूं। फिर फिर आप गॉसिप चलाएंगे उस राज्य में ये बन गए। आपको मालूम है नहीं बनने वाला है उसका नाम सबसे पहले डालेंगे तो वो भी माला -वाला पहन के घूमने लग जाएगा

 

एंकर- और उसका नाम कट जाएगा

पीएम मोदी- कटा नहीं है जी, आपकी एडवाइस पर सरकार नहीं चलती है।

 

एंकर- आप प्रधानमंत्री जी हमेशा एक मिशन मोड में क्यों रहते हैं? ऐसा लगता है कि जैसे आपको यह महसूस होता है कि काम बहुत ज्यादा है और आपके पास टाइम बहुत कम है।

पीएम मोदी- आपकी बात सही है, ऐसा नहीं होना चाहिए। लेकिन आपने क्रिकेट में देखा होगा अगर शुरू के जो बैट्समैन होते हैं वे अगर फेल हो जाए तो आखिर के जो छह नंबर सात नंबर वाले उसने बड़ी मेहनत करनी पड़ती है उसको कैसे भी करके मैच तानी होती है। मेरे केस में ऐसा हुआ है कि करीब 60 साल तक सरकारें चलना तो छोड़ दीजिए इतने गड्डे किए थे इतने गड्डे किए थे तो एक तो मुझे वो पुरानी जो खोट है, पुराने जो गड्डे हैं, उसको भरना है। दूसरा मुझे इस तान वर्तमान को संभालना है। और तीसरा मुझे भविष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ना है। तो मेरे पास अगर पहले की सरकारों ने अपने अपने दायित्व को ढंग से निभाया होता, एक्स्ट्रा काम करके नहीं रूटीन काम करके भी निभाया होता तो मुझे आज इतनी मेहनत नहीं पड़ती। मुझे जो ज्यादा मेहनत पड़ रही है वो पुराने समस्याओं जो छोड़कर गए हैं। अब मुझे बताइए टॉयलेट अगर इस देश में टॉयलेट पहले नहीं बन सकते थे क्या? बना देते थे मुझे रात-दिन टॉयलेट बनाने के लिए क्यों मेहनत करनी पड़ती कुछ और काम कर लेता। दूसरी तरफ मुझे टॉयलेट भी बनाना है 5जी भी पहुंचाना है तो मुझे मिशन मोड में काम करना ही पड़ेगा। दूसरी बात है कि ये जो हमारे देश में मत बन गया ना कि ये जनता जनार्दन आपको 5 साल के लिए बिठाती है, यार 5 साल के बाद जो होगा सो होगा कोई और आएगा। लेकिन फिर पांच साल के बाद ये चक्र ने बहुत बड़ी बर्बादी की है। इसलिए किसी सरकारों को परफॉर्म करने की परवाह ही नहीं है। मैं इस देश के लिए कुछ करना चाहता हूं, देश के भविष्य के लिए कुछ छोड़ कर के जाना चाहता हूं, और मैं इमोशनली कनेक्ट हूं, मैं खुद के सुख के लिए पैदा नहीं हुआ हूं। मैं अपनी पद प्रतिष्ठा के लिए पैदा नहीं हुआ हूं। मैं इसे दायित्व समझता हूं और उस दायित्व को निभाना मिशन मोड में ही होना चाहिए।

 

एंकर- और क्या इसके लिए ऊपर वाला शक्ति भी और ज्यादा दे देता है क्या? जैसे सीएम के समय जब आप काम करते थे उससे काम तो आपका बहुत बड़ा है तो उतनी शक्ति भी देता है क्या वो?

पीएम मोदी- ऐसा है कि मेरा जो बैकग्राउंड है मेरे परिवार में कोई पढ़ा लिखा नहीं था। हम मजदूरी जिंदगी गुजारते थे और परिवार के हर किसी को कुछ ना कुछ कर के ही कमाना पड़ता था यह हालत थी। हमने जीवन में कोई अच्छी, कभी कभी लोग मुझे पूछते हैं मोदी जी कोई आप एक्स्ट्रा कोई आपका शौक... मैं कहता हूं कि जिंदगी में शौक क्या होता है मुझे मालूम ही नहीं है। मैं ऐसे जिंदगी से गुजरा हूं वहां से निकल कर के आज ईश्वर मेरे से जो काम करवा रहा है। जिस प्रकार से 140 करोड़ देशवासी मुझे आशीर्वाद दे रहे हैं, तो मैं इमोशनली फील करता हूं, मैं नहीं जानता हूं यह आज के बुद्धिमानी लोग इन चीजों को कैसे लेंगे? मैं खुद ही अपनेआप मानने लगा हूं कि शायद परमात्मा ने ही मुझे किसी काम के लिए भेजा है। किसी परपस के लिए भेजा है। और वही मुझसे ये परपस की पूर्ति के लिए दिशा भी देता है शिक्षा भी देता है सामर्थ्य भी देता है ऊर्जा भी देता है प्रेरणा भी देता है तो शायद कोई दैवी शक्ति कहो, कोई ईश्वरीय शक्ति कहो, उसके बिना यह सब संभव नहीं है। तो मैं तो उसी के हवाले हूं, लेकिन वो दिखता नहीं है तो मेरा दूसरा भगवान जो है वो 140 करोड़ देशवासी हैं जिनको मैं ईश्वर का रूप मानता हूं। और 140 करोड़ देशवासियों को मैं ईश्वर का रूप मान करके व मेरा साकार ईश्वर हैं दूसरा मेरा निराकार ईश्वर है निराकार ईश्वर मुझे हाथ पकड़ के दौड़ता है। साकार ईश्वर है जो मुझे दिखता है हां यार ये करना चाहिए, ये करना चाहिए और मैं करना रहता हूं।

 

एंकर- राहुल गांधी आपसे बड़े नाराज हैं। वो कहते हैं मैं हजारों किलोमीटर की यात्रा करके आया हूं और कांग्रेस वाले भी यही कहते हैं और आप अभी भी उनको शहजादा कहते हैं ऐसा क्यों?

पीएम मोदी- मैं इन चीजों के लिए शहजादा नहीं कहता हूं जी, जब कोई ये कहे कि रायबरेली ये हमारे परिवार की सीट है, और मैं मेरे बेटे को सुपूर्द करता हूं, तब जाकर के बनता है कि यार ये तो नवाबों की परंपरा की बात हो रही है। शहजादे को दिया जा रहा है। तो शहजादे उस नवाबी परंपरा का निकला हुआ भाव है। कोई मेहनत करता है कि नहीं करता है सही करता है कि गलत करता है कि मीडिया वाला उसको हवा में देता है कि वो मेरा विषय ही नहीं है। और मैं इन चीजों में अपना समय बर्बाद नहीं कर सकता हूं जी।

 

एंकर- प्रधानमंत्री जी 10 साल में आपने बीजेपी के तमाम कोल एजेंडा को

पीएम मोदी- जिसको मिशन के लिए काम करना होता है ना वो किसी के सन के लिए काम नहीं करता है।

 

एंकर- प्रधानमंत्री जी आपने 10 साल में बीजेपी का जो कोर एजेंडा था उसको खत्म कर दिया अब आगे क्या? सब पूरा कर दिया आपने।

पीएम मोदी- मैंने कुछ भी खत्म नहीं किया है। मैंने पहले ही कहा कि पुराने जो होने वाले काम थे इन्होंने किए नहीं मुझे उसको पूरा करना पड़ रहा है। मेरे सपने तो बहुत बड़े हैं जी, विकसित भारत जब विकसित भारत में कहता हूं तो वो क्या होगा, जैसे विकसित भारत का मतलब है कि खेल के जगत में दुनिया में सबसे ज्यादा गोल्ड मेडल मेरे बच्चे लाते होंगे। मैं विकसित भारत कहता हूं तो दुनिया में जब नोबल प्राइज देते होंगे तो धमाधम-धमाधम हिंदुस्तान का नाम आता होगा। जब फिल्म इंडस्ट्री में ऑस्कर अवार्ड दिए जाते होंगे तो पहले सारे नाम मेरे हिंदुस्तान के होंगे। विकसित भारत मतलब हर जगह पर देश आगे होगा। मतलब इन सभी क्षेत्रों में मुझे काम करना होगा। अगर सबसे बड़े साइंटिस्ट कौन तो हिंदुस्तान का होगा। सबसे बड़ा रिसर्च किसका तो हिंदुस्तान का होगा। सबसे बढ़िया इंफ्रास्ट्रक्चर का हा तो हिंदुस्तान का होगा। सबसे जीरो गरीबी कहां हिंदुस्तान की होगी। सबसे होनहार नौजवान कहां के होंगे तो हिंदुस्तान के होंगे। विकसित भारत यह है यह बोर्ड नहीं है जो मुझे लटकाना है।

 

एंकर- आप इतना सोच रहे हैं और खड़गे जी कह रहे हैं कि आखरी चुनाव है।

पीएम मोदी- वैसे मैंने पार्लियामेंट में कहा था कि खड़गे जी का आखिरी चुनाव है। यह मैंने कहा था, आज-कल वो मेरे डायलॉग बोलते हैं। मैं 400 पार बोलता हूं तो वो कहते हैं 400 पार। मैंने 2019 में कहा था कि खड़गे जी का आज का भाषण ये उनका लोकसभा का आखरी भाषण है। ऐसा मैंने कहा था। मैंने यह भी कहा था कि कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं करेंगे। बड़े नेता राजसभा के रास्ते से आएंगे, सही निकला। मैंने यह भी कहा था कि अमेठी छोड़ के भाग जाएंगे, सही निकला। मैंने यह भी कहा था कि बायनाड़ से चुनाव पूरा होते ही दूसरी सीट खोजेंगे, वो भी सही हुआ। मैंने यह भी कहा था बायनाड़ हारने वाले हैं, मैंने यह भी कहा कि रायबरेली हारने वाले हैं। और मैंने यह भी कहा है कि इस बार कांग्रेस पार्टी को मान्य विपक्ष बनना भी बड़ा मुश्किल लग रहा है। और इसके लिए व अभी से तैयारी कर रहे हैं। शरद पवार जी ने बयान दिया है, उन्होंने कहा सभी छोटे दलों ने कांग्रेस में मर्ज होना चाहिए, दो कारण, एक तो खुद के अस्तित्व के लिए और दूसरा मर्ज हो जाएंगे तो पांच-सात-दस सीटें जो कम पड़ेगी वह कांग्रेस को मिल जाएगी तो कांग्रेस मान्य विपक्ष बन सकता है। तो वहां एक्सरसाइज मान्य विपक्ष बनने की हो रही है।

 

एंकर- प्रधानमंत्री जी आखरी सवाल मेरा एक शो होता है चाय वाला इंटरव्यू जिसमें मैंने आपके कई मंत्रियों के भी इंटरव्यू किए हैं हरदीप पुरी जी ने मुझे पूरी कहानी सुनाई क्योंकि आपने उनको यूक्रेन में फसे अपने बच्चों को लेने भेजा था। उन्होंने बताया कि कैसे आपने दोनों राष्ट्रपतियों को फोन किया और तीन घंटे के लिए उस इलाके में आपने शेलिंग रुकवाई थी। क्या बता सकते हैं, जयशंकर जी ने भी ये बात दोहराई है, बता सकते हैं कि एक्जैक्टली क्या हुआ था?

पीएम मोदी- ऐसा है उन्होंने बताया है उससे आगे मुझे कुछ कहने की जरूरत नहीं है। लेकिन आपको ऐसी कई घटनाएं मिलेंगी सिर्फ यही दो नहीं, आप बहुत पुराने सुषमा स्वराज का इंटरव्यू देख लीजिए, वो एक और घटना बताती हैं बड़ी विस्तार से बताती हैं, तो अच्छा ही है मेरे साथियों को सब चीजों की जानकारी रहती है।

 

एंकर- बहुत-बहुत धन्यवाद प्रधानमंत्री जी हमारे लिए समय निकालने के लिए। थैंक्यू सो मच।

पीएम मोदी- मैं सबको कहूंगा ज्यादा से ज्यादा वोट करिए यह लोकतंत्र का उत्सव है उसको उत्सव के रूप में मनाना चाहिए। कौन जीतेगा कौन हारेगा यह मुद्दा बाद में है लोकतंत्र जीतेगा। और इसलिए मैं हमेशा कहता हूं ज्यादा से ज्यादा मतदान होना चाहिए। और मेरे लिए बड़ी संतोष की बात है कि कश्मीर ने 30-40 साल के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। भारी मतदान कश्मीर कर रहा है, तो अच्छा है कश्मीर एक बेंचमार्क बन रहा है। लोकतंत्र का। भारत के संविधान का सामर्थ्य बढ़ रहा है जी।

 

एंकर- और आपकी इस अपील में हम भी अपना समर्थन पूरा देते हैं। कि अब जो दो चरण बचे हैं सब लोग घरों से निकलें और वोट जरूर करें बहुत धन्यवाद थैंक यू सो मच।

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