PM's remarks at the International Buddh Poornima Diwas Celebration

Published By : Admin | May 4, 2015 | 13:10 IST
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The Prime Minister, Shri Narendra Modi, today said Lord Buddha's timeless message of love and compassion could help rid the world of the problems of war and violence. "Agar yuddh se mukti chaahiye, to Buddh ki raah par milegi," the Prime Minister said.

PM Modi at International Buddha Poornima Diwas Celebration (12)

In his remarks at the International Buddh Poornima Diwas Celebration in New Delhi today, the Prime Minister said that the whole world had acknowledged that the 21st century would be Asia's century, and added that Buddha's teachings would be the inspiration and guiding spirit for Asia, as it showed the world the path to relief from problems of conflict and hatred.

PM Modi at International Buddha Poornima Diwas Celebration (17)

The Prime Minister said that the gathering today, is conscious of the suffering that the recent earthquake has caused in Nepal – the land of Buddha's birth. But he added that this is also an opportunity for everyone to follow Lord Buddha's message of "karuna" (compassion), and to wipe the tears of those suffering in Nepal.

PM Modi at International Buddha Poornima Diwas Celebration (14)

The Prime Minister said that Lord Buddha was conscious towards both individual emancipation and social reform. He said that the importance given to the "Sangh" highlights how Lord Buddha sensed the importance of uniting people towards a noble cause. He said Lord Buddha's teaching of "Atta Deepo Bhavah" – "Be your own light" – was one of the greatest management lessons ever, contained in just three words.

PM Modi at International Buddha Poornima Diwas Celebration (19)

The Prime Minister recalled his visits to Buddhist temples recently in Japan and Sri Lanka, and also in China when he was Chief Minister of Gujarat. He said that the profound spiritual consciousness that pervaded these temples, must be forged into a powerful force for good in the world. He said some people called Buddha "the light of the east," and added that in his opinion, this was an underestimation, and Buddha was in fact a source of inspiration for the entire universe.

PM Modi at International Buddha Poornima Diwas Celebration (22)

The Union Minister of State (I/C) for Culture Shri Mahesh Sharma, the Union Minister of State for Home, Shri Kiren Rijiju, and the Ven. Lama Lobzang, Secretary General, International Buddhist Confederation, were present on the occasion.

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भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

मंच पर विराजमान गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेन्द्र भाई पटेल, संसद में मेरे साथी गुजरात भाजपा के अध्यक्ष श्रीमान सी. आर. पाटील, गुजरात सरकार के सभी मंत्रीगण, राज्य पंचायत के प्रतिनिधि और विशाल संख्या में पधारे मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

कैसे हो सब, जरा जोर से बोलो, मैं बहुत दिन के बाद बोडेली आया हूँ। पहले तो शायद साल में दो-तीन बार यहां आना होता था और उससे तो पहले तो मैं जब संगठन का कार्य करता था तो रोज-रोज यहां बोडेली चक्कर लगाता था। अभी थोड़े समय पहले ही मैं गांधीनगर में वाइब्रेंट गुजरात के 20 साल पूरे होने की खुशी में आयोजित कार्यक्रम में था। 20 साल बीत गये, और अब मेरे आदिवासी भाई-बहनों के बीच बोडेली, छोटा उदेपुर, पूरा उमरगाम से अंबाजी तक का पूरा विस्तार, कई सारी विकास परियोजनाओं के लिए आपके दर्शन करने का मौका मुझे मिला है। अभी जैसे मुख्यमंत्री जी ने कहा 5000 करोड़ से भी ज्यादा रुपए के भावी प्रोजेक्ट के लिए, किसी का शिलान्यास तो किसी का लोकार्पण करने का मुझे अवसर मिला है। गुजरात के 22 जिलों और 7500 से ज्यादा ग्राम पंचायत, अब वहां वाई-फाई पहुँचाने का कार्य आज पूर्ण हुआ है, हमने ई-ग्राम, विश्व ग्राम शुरु किया था, यह ई-ग्राम, विश्व ग्राम की एक झलक है। इसमें गाँवों में रहने वाले अपने लाखों ग्रामजनों के लिए यह मोबाईल, इंटरनेट नया नहीं है, गाँव की माता-बहनें भी अब इसका उपयोग जानती है, और जो लड़का बाहर नौकरी करता हो तो उससे वीडियो कॉफ्रेंस पर बात करती हैं। बहुत कम कीमत पर उत्तम से उत्तम इंटरनेंट की सेवा अब अपने यहां गाँवो में मेरे सभी बुजुर्ग, भाई-बहनों को मिलने लगी है। और इस उत्तम भेंट के लिए आप सभी को बहुत-बहुत अभिनंदन, बहुत बहुत शुभकामनाएं।

मेरे प्यारे परिवारजनों,

मैंने छोटे उदेपुर में, या बोडेली के आस-पास चक्कर लगाएं, तब यहाँ सब लोग ऐसा कहते हैं कि हमारा छोटा उदेपुर जिला मोदी साहब ने दिया था, ऐसा कहते हैं न, क्योंकि मैं जब यहाँ था तो छोटा उदेपुर से बडौ़दा जाना इतना लंबा होता था, यह बात मुझे पता थी, इतनी तकलीफ होती थी, तो इसलिए मैं सरकार को ही आपके घर-आंगन पर ला दिया है। लोग आज भी याद करते हैं कि नरेन्द्र भाई ने कई बड़ी-बड़ी योजनायें, बड़े-बड़े प्रोजेक्ट, अपने पूरे उमरगाम से अंबाजी आदिवासी क्षेत्र में आरंभ किया, लेकिन मेरा तो मेरे मुख्यमंत्री बनने से पहले भी यहाँ की धरती के साथ नाता रहा है, यहाँ के गाँवो के साथ नाता रहा है, यहाँ के मेरे आदिवासी परिवार के साथ नाता रहा है, और यह सब मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बनने के बाद हुआ है, ऐसा नहीं है, उससे भी पहले से हुआ है, और तब तो मैं एक सामान्य कार्यकर्ता के तौर पर बस में आता था और छोटा उदेपुर आता था, तो वहां लेले दादा की झोंपडी में जाता था, और लेले दादा, यहाँ काफी सारे लोग होंगे जिन्होंने लेले दादा के साथ काम किया होगा, और इस तरफ दहोद से उमरगाँव का पूरा क्षेत्र देखो, फिर वो लिमडी हो, संतरामपुर हो, झालोद हो, दाहोद हो, गोधरा, हालोल, कालोल, तब मेरा यह रूट ही होता था, बस में आना और सबको मिलकर कार्यक्रम करके निकल जाना। कभी खाली हुआ तो कायावरोहणेश्वर जाता था, भोलेनाथ के चरणों में चक्कर लगा लेता था।

कई मेरे मालसर में कहो या, मेरे पोरगाम कहो, या पोर में, या नारेश्वर भी मेरा काफी जाना होता था, करनाळी कई बार जाता था, सावली भी, और सावली में तो शिक्षा के जो कार्य होते थे, तब एक स्वामी जी थे, कई बार उनके साथ सत्संग करने का मौका मिलता था, भादरवा, लंबे समय तक भादरवा की विकास यात्रा के साथ जुड़ने का मौका मिला। उसका अर्थ यह हुआ कि मेरा इस विस्तार के साथ नाता इतना बड़ा निकट का रहा, कई गाँवों में रात को रुकता था। कई गाँवों में मुलाकात की होगी और कभी तो साइकिल पर, तो कभी पैदल, तो कभी बस में, जो मिले उसे लेकर आप के बीच कार्य करता था। और कई पुराने दोस्त हैं।

आज मैं सी.आर.पाटिल और भूपेन्द्रभाई का आभार व्यक्त करता हूं, कि जब मुझे अंदर जीप में आने का मौका मिला तो काफी पुराने लोगो के दर्शन करने का अवसर मिला, सबको मैंने देखा, काफी पुराने लोग आज याद आ गए, कई परिवारों के साथ नाता रहा, कई घरों के साथ बैठना-उठना रहा, और मैंने छोटा उदेपुर नहीं, यहाँ की स्थिति परिस्थिति यह सभी बहुत नजदीक से देखा है, पूरे आदिवासी क्षेत्र को काफी बारीकि से जाना है। और जब मैं सरकार में आया तो मुझे एहसास हुआ कि मुझे इस पूरे क्षेत्र का विकास करना है, आदिवासी क्षेत्र का विकास करना है, उसके लिए कई विकास योजनाएं लेकर मैं आया और उन योजानाओं का लाभ भी मिल रहा है। कई कार्यक्रम भी लागू किए और आज उसके सकारात्मक लाभ भी जमीन पर देखने को मिल रहे हैं। यहाँ मुझे चार-पांच छोटे बच्चे, छोटे बच्चे ही कहुँगा, क्योंकि 2001-2002 में जब वह छोटे बच्चे थे तब मैं उनकी उंगली पकड़ कर उनको स्कूल ले गया था, आज उनमें से कोई डॉक्टर बना गया तो कोई शिक्षक बन गया, और उन बच्चो से आज मुझे मिलने का मौका मिल गया। और जब मन में मिलने का विश्वास पक्का होता है कि आप सदिच्छा से, सद्भावना से सच्चा करने की भूमिका से कोई भी छोटा काम किया हो तो ऐसा लगता है न, ऐसा आज मैं अपनी आँखों के सामने देख रहा हूं। इतनी बड़ी शांति मिलती है, मन में इतनी शांति मिलती है, इतना बड़ा संतोष होता है कि उस समय का परिश्रम आज रंग लाया है। उमंग और उत्साह के साथ आज इन बच्चों को देखा तो आनंदित हो गया।

मेरे परिवारजनों,

अच्छे स्कूल बन गए, अच्छी सड़कें बन गई, अच्छे उत्तम प्रकार के आवास मिलने लगे, पानी की सुविधा होने लगी, इन सभी चीजों का महत्व है, लेकिन यह सामान्य परिवार के जीवन को बदल देती है, यह गरीब परिवार के विचार करने की शक्ति को भी परिवर्तित कर देती है, और हंमेशा गरीबों को घर, पीने का पानी, सड़क, बिजली, शिक्षा, मिले इसके लिए मिशन मोड पर काम करने की हमारी प्राथमिकता रही है। मैं गरीबों की चुनौतियां क्या होती हैं, उसे भलीभांति पहचानता हूं। और उसके समाधान के लिए भी लड़ता रहता हूं। इतने कम समय में देशभर में और मेरे गुजरात के प्यारे भाई-बहन, आपके बीच बड़ा हुआ हूं इसके कारण मुझे संतोष है कि आज देश भर में गरीबों के लिए 4 करोड़ से ज्यादा पक्के घर हमने बनाकर दिए हैं। पहले की सरकारों में गरीबो के घर बने तो उसके लिए 1 गरीब का घर एक गिनती थी, एक आकड़ा था। 100, 200, 500, 1000 जो भी हो वो, हमारे लिए घर बने यानी गिनती की बात नहीं होती, घर बने यानी घर के आंकड़े पूरे करने का काम नहीं होता, हमारे लिए तो गरीब का घर बने यानी उसे गरिमा मिले उसके लिए हम काम करते हैं, गरिमापूर्ण जीवन जिए उसके लिए हम काम करते हैं। और यह घर मेरे आदिवासी भाई-बहनों को मिले, और उसमें भी उनको चाहिए ऐसा घर बनाना, ऐसा नहीं कि हमने चार दीवार बनाकर दे दी, नहीं, आदिवासी को स्थानीय साधनों से जैसा बनाना हो वैसा और बीच में कोई बिचौलिया नहीं, सीधे सरकार से उसके खाते में पैसा जमा होगा और आप अपनी मर्जी से ऐसा घर बनाओ भाई, आप को बकरे बाँधने की जगह चाहिए तो उसमें हो, उसमें आपको मुर्गी की जगह चाहिए तो भी वो हो, आपकी मर्जी के मुताबिक अपना घर बने, ऐसी हमारी भूमिका रही है। आदिवासी हो, दलित हो, पिछड़ा वर्ग हो, उनके लिए मकान मिले, उनकी जरूरतों के लिए मकान मिले, और उनके खुद के प्रयत्न से बने, सरकार पैसे चुकाएगी। ऐसे लाखों घर अपनी बहनों के नाम पर हुए, और एक-एक घर डेढ़-डेढ़, दो लाख के बने हैं, यानी मेरे देश की करोड़ों बहने और मेरे गुजरात की लाखो बहनें जो अब लखपति दीदी बन गई है, डेढ़-दो लाख का घर उनके नाम हो गया, इसलिए तो वह लखपति दीदी हो गईं। मेरे नाम पर अभी घर नहीं है, लेकिन मैंने देश की लाखों लड़कियों के नाम कर घर कर दिए।

साथियों,

पानी की पहले कैसी स्थिति थी, यह गुजरात के गाँव के लोग बराबर जानते हैं, अपने आदिवासी क्षेत्रो में तो कहते है कि साहब, नीचे का पानी ऊपर थोड़ी न चढ़ता है, हम तो पहाड़ी क्षेत्रो में रहते हैं, और हमारे वहाँ पानी तो कहाँ से ऊपर आएगा, यह पानी के संकट की चुनौती को भी हमने अपने हाथ लिया और भले ही नीचे का पानी ऊपर चढ़ाना पड़े तो, हमने चढ़ाया और पानी घर-घर पहुँचाने के लिए जहमत उठाई और आज नल से जल पहुंचे, उसकी व्यवस्थाएं की, नहीं तो एक हैंड पंप लगता था, तीन महीने में बिगड़ जाता था और तीन साल तक रिपेयर नहीं होता था, ऐसे दिन हमने देखे हैं भाई। और पानी शुद्ध न हो तो कई सारी बीमारियाँ लेकर आता है, और बच्चे के विकास में भी रूकावट आती है। आज घर-घर गुजरात में पाइप से पानी पहुँचाने का भगीरथ प्रयास हमने सफलतापूर्वक किया है, और मैंने कार्य करते करते सिखा, आपके बीच रहकर जो सिखने को मिला, आपके साथ कँधे से कँधा मिलाकर जो कार्य मैंने किया, वह आज मुझे दिल्ली में बहुत काम आता है भाइयों, आप तो मेरे गुरुजन हो, आपने मुझे जो सिखाया है, वह मैं वहाँ जब लागू करता हूं तो लोगों को लगता है, यह वाकई में सच्चे प्रॉब्लम का सोल्युशन आप लेकर आए हो, उसका कारण यह है कि आपके बीच रहकर मैंने सुख-दुःख देखा है और उसके रास्ते निकाले हैं।

चार साल पहले जल जीवन मिशन हमने शुरु किया। आज 10 करोड़ जरा सोचों, जब माता-बहनों को तीन-तीन किलोमीटर पानी लेने के लिए जाना होता था, आज 10 करोड़ परिवारों में पाइप से पानी घर में पहुंचता है, रसोई तक पानी पहुँचता है भाई, आशीर्वाद माता-बहनें देती हैं उसका कारण यह है, अपने छोटे उदेपुर में, अपने कवाँट गाँव में और मुझे तो याद है कि कवाँट में कई बार आता था। कवाँट एक जमाने में बहुत पीछे था। अभी कुछ लोग मुझे मिलने आए, मैंने कहाँ मुझे बताओ कि कवाँट के स्किल डेवलपमेन्ट का कार्य चलता है कि नहीं चलता? तो उनको आश्चर्य हुआ, यह हमारी प्रवृत्ति, यह हमारा प्रेम-लगन, कवाँट में रीजनल वॉटर सप्लाई का काम पूरा किया और उसके कारण 50 हजार लोगों तक, 50 हजार घरों तक पाइप से पानी पहुँचाने का काम हुआ।

साथियों,

शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर नए नए प्रयोग करना यह परंपरा गुजरात ने बहुत बड़े पैमाने पर की है, आज भी जो प्रोजेक्ट शुरू हुए वह उसी दिशा में उठाए गए बड़े कदम हैं और इसके लिए मैं भूपेन्द्र भाई और उनकी पूरी टीम को बधाई देता हूं। मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस और विद्या समीक्षा अपने दूसरे चरण में गुजरात में स्कूल जाने वालों पर बहुत सकारात्मक प्रभाव डालेंगे।और मैं अभी विश्व बैंक के अध्यक्ष से मिला। वह कुछ दिन पहले विद्या समीक्षा सेंटर देखने के लिए गुजरात आए थे। वे मुझसे आग्रह कर रहे थे कि मोदी साहब, आपको ये विद्या समीक्षा केंद्र हिंदुस्तान के हर जिले में करना चाहिए, जो आपने गुजरात में किया है। और विश्व बैंक ऐसे ही नेक काम में शामिल होना चाहता है। ज्ञान शक्ति, ज्ञानसेतु और ज्ञान साधना ऐसी योजनाएं प्रतिभाशाली, जरूरतमंद विद्यार्थियों, बेटे-बेटियों को बहुत लाभ पहुंचाने वाली हैं। इसमें मेरिट को प्रोत्साहित किया जाएगा। हमारे आदिवासी क्षेत्र के युवाओं के सामने बहुत जश्न मनाने का अवसर आ रहा है।

मेरे परिवारजनो ने पिछले 2 दशकों से गुजरात में शिक्षा और कौशल विकास पर जोर दिया है। आप सभी जानते हैं कि 2 दशक पहले गुजरात में क्लास रुम की स्थिति और शिक्षकों की संख्या क्या थी। कई बच्चे प्राथमिक शिक्षा भी पूरी नहीं कर पाए, उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा, उमरगाम से लेकर अंबाजी तक पूरे आदिवासी इलाके में हालात इतने खराब थे कि जब तक मैं गुजरात का मुख्यमंत्री नहीं बना, वहां कोई साइंस स्ट्रीम का स्कूल नहीं था। भाई, अभी साइंस स्ट्रीम का स्कूल नहीं है तो मेडिकल और इंजीनियरिंग में आरक्षण कर दो, राजनीति कर लो, लेकिन हमने बच्चों का भविष्य अच्छा करने का काम किया है। स्कूल भी कम हैं और उनमें सुविधाएं भी नहीं हैं, विज्ञान का कोई नाम-निशान नहीं है और ये सब स्थिति देखकर हमने इसे बदलने का निर्णय लिया। पिछले 2 दशकों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 2 लाख शिक्षकों की भर्ती अभियान चलाया गया। 1.25 लाख से अधिक नई क्लास रुम का निर्माण किया गया। शिक्षा के क्षेत्र में किये गये कार्यों का सबसे अधिक लाभ आदिवासी क्षेत्रों को हुआ है। अभी मैं सीमावर्ती क्षेत्र में गया था, जहां हमारी सेना के लोग हैं। यह मेरे लिए आश्चर्य और खुशी की बात थी कि लगभग हर जगह मुझे मेरे आदिवासी इलाके का कोई न कोई जवान सीमा पर खड़ा होकर देश की रक्षा करता हुआ मिल जाता था और आकर कहता था, सर, आप मेरे गांव में आये हैं, कितना आनंद आता हैं यह सुनकर मुझे। पिछले 2 दशकों में, विज्ञान कहें, वाणिज्य कहें, दर्जनों स्कूलों और कॉलेजों का एक बड़ा नेटवर्क आज यहां विकसित हुआ है। नए-नए आर्ट्स महाविद्यालय खुले। अकेले आदिवासी क्षेत्र में, भाजपा सरकार ने 25 हजार नए क्लासरूम, 5 मेडिकल कॉलेज बनाए हैं, गोविंद गुरु विश्वविद्यालय और बिरसामुंडा विश्वविद्यालय ने उच्च शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने का काम किया है। आज इस क्षेत्र में कौशल विकास से जुड़े अनेक प्रोत्साहन तैयार किये गये हैं।

मेरे परिवारजनों,

कई दशकों के बाद देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू हुई है। हमने 30 साल से रुके हुए काम को पूरा किया और स्थानीय भाषा में शिक्षा का ध्यान रखा। इसे इसलिए महत्व दिया गया है क्योंकि अगर बच्चे को स्थानीय भाषा में पढ़ाई करने को मिले तो उसकी मेहनत बहुत कम हो जाती है और वह चीजों को आराम से समझ पाता है। देशभर में 14 हजार से ज्यादा पीएम श्री स्कूल, एक अत्याधुनिक नए तरह के स्कूल बनाने का अध्ययन शुरू किया है। पिछले 9 वर्षों में एकलव्य आवासी विद्यालय ने आदिवासी क्षेत्र में भी बहुत बड़ा योगदान दिया है और उनके जीवन में बदलाव के सर्वांगीण प्रयासों के लिए हमने यह केंद्र स्थापित किया है। एससी एसटी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति में भी हमने काफी प्रगति की है। हमारा प्रयास है कि मेरे आदिवासी क्षेत्र के छोटे-छोटे गांवों को आदिवासी क्षेत्र के युवाओं के बीच स्टार्टअप की दुनिया में आगे लाया जाए। कम उम्र में ही उनकी रुचि प्रौद्योगिकी, विज्ञान में हो गई और इसके लिए उन्होंने दूर-दराज के जंगलों में भी स्कूल में एक अपरिवर्तनीय टिंकरिंग लैब बनाने का काम किया। ताकि अगर इससे मेरे आदिवासी बच्चों में विज्ञान और तकनीक के प्रति रुचि बढ़ेगी तो भविष्य में वे विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में एक मजबूत समर्थक भी पैदा करेंगे।

मेरा परिवारजनों,

जमाना बदल गया है, जितना सर्टिफिकेट का महत्व बढ़ गया है, उतना ही कौशल का भी महत्व बढ़ गया है, कौन सा कौशल आपके हाथ में है, कौशल विकसित करने वाले ने जमीनी स्तर पर कैसा काम किया है, और इसलिए कौशल विकास का महत्त्व भी बढ़ गया है। कौशल विकास योजना से आज लाखों युवा लाभान्वित हो रहे हैं। एक बार जब युवा काम सीख लेता है, तो उसे अपने रोजगार के लिए मुद्रा योजना से बिना किसी गारंटी के बैंक से लोन मिल जाता है, जब लोन मिल जाता है तो उसकी गारंटी कौन देगा, ये आपके मोदी की गारंटी है। उन्हें अपना खुद का काम शुरू करना चाहिए और न केवल खुद कमाई करनी चाहिए, बल्कि चार अन्य लोगों को भी रोजगार देना चाहिए। वनबंधु कल्याण योजना के तहत कौशल प्रशिक्षण का काम भी चल रहा है। गुजरात के 50 से अधिक आदिवासी तालुकाओं में आज आईटीआई और स्कील डेवल्पमेन्ट के बड़े केंद्र चल रहे हैं। आज आदिवासी क्षेत्रों में वन संपदा केंद्र चल रहे हैं, जिसमें 11 लाख से अधिक आदिवासी भाई-बहन वनधन केंद्र में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, कमाई कर रहे हैं और अपना व्यवसाय विकसित कर रहे हैं। जनजातीय सहयोगियों के लिए उनके कौशल के लिए नया बाजार है। उस कला के उत्पादन के लिए, उनकी पेंटिंग्स के लिए, उनकी कलात्मकता के लिए विशेष दुकानें खोलने का काम चल रहा है।

साथियों,

हमने जमीनी स्तर पर किस प्रकार कौशल विकास पर बल दिया है, इसका ताजा उदाहरण आपने अभी देखा होगा। विश्वकर्मा जयंती के दिन 17 तारीख को, प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का शुभारंभ किया गया और इस विश्वकर्मा योजना के माध्यम से, हमारे आस-पास, यदि आप किसी भी गाँव को देखोगे तो गाँव की बसावट यह कुछ लोगों के बिना नहीं हो सकती है, इसलिए हमारे पास उनके लिए एक शब्द है "निवासी" जो निवास स्थान के भीतर सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि आप कुम्हार, दर्जी, नाई, धोबी, लोहार, सुनार, माला-फूल बनाने वाले भाई-बहन, घर बनाने का काम करने वाले कड़िया, घर बनाते हैं, जिन्हें हिन्दी में राजमिस्त्री कहते हैं, अलग-अलग काम करने वाले लोगों के लिए करोड़ों रुपये की प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना शुरू की गई है। उनके पारंपरिक पारिवारिक व्यवसाय का उन्हें प्रशिक्षण मिले, उन्हें आधुनिक उपकरण मिले, उनके लिए नए-नए डिज़ाइन मिले, और वो जो भी उत्पादन करें वो दुनिया के बाज़ार में बिके, इस देश के गरीब और सामान्य मेहनतकश लोगों के लिए हमने इतना बड़ा काम शुरू किया है। और उसके कारण, मूर्तिकारों ने उस परंपरा को आगे बढ़ाया है, जो एक बहुत समृद्ध परंपरा है और अब, हमने काम किया है ताकि उन्हें किसी की चिंता न करनी पड़े। लेकिन हमने तय किया है कि ये परंपरा, ये कला खत्म नहीं होनी चाहिए, गुरु-शिष्य परंपरा जारी रहनी चाहिए और पीएम विश्वकर्मा का लाभ ऐसे लाखों परिवारों तक पहुंचना चाहिए जो ईमानदारी से काम करके पारिवारिक जीवन जी रहे हैं। ऐसे अनेक उपकरणों के माध्यम से सरकार उनके जीवन को समृद्ध बनाने का काम कर रही है। उनकी चिंता बेहद कम ब्याज पर लाखों रुपये का लोन पाने की है। यहां तक कि आज उन्हें जो लोन मिलेगा, उसमें भी किसी गारंटी की जरूरत नहीं है। क्योंकि मोदी ने उनकी गारंटी ले ली है। इसकी गारंटी सरकार ने ले ली है।

मेरे परिवारजनों,

लंबे समय से जिन गरीबों, दलितों, आदिवासियों को वंचित रखा गया, अभाव में रखा गया, आज वह अनेक योजना के तहत अनेक प्रकार के विकास की दिशा में आशावादी विचार लेकर आगे बढ़ रहें हैं। आजादी के इतने दशकों के बाद मुझे आदिवासी गौरव का सम्मान करने का अवसर मिला। अब भगवान बिरसामुंडा का जन्म दिवस, इसे पूरा हिंदुस्तान जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाता है। हमने इस दिशा में काम किया है। भाजपा सरकार ने आदिवासी समुदाय का बजट पिछली सरकार की तुलना में पांच गुना बढ़ा दिया है। कुछ दिन पहले देश ने एक महत्वपूर्ण काम किया। भारत की नई संसद शुरू हुई और नई संसद में पहला कानून नारी शक्ति वंदन कानून बना। आशीर्वाद से हम उसे पूरा करने में सक्षम रहे, और फिर भी जो लोग इस बारे में बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, उनसे जरा पूछिए कि आप इतने दशकों तक क्यों बैठे रहे, मेरी मां-बहनों को अगर पहले उनका हक दे देते तो वे कितना आगे बढ़ गईं होतीं, इसलिए मुझे लगता है कि उन्होंने ऐसे वादे पूरे नहीं किए हैं। मैं जवाब दे रहा हूं, मेरे आदिवासी भाई-बहन जो आजादी के इतने वर्षों तक छोटी-छोटी सुविधाओं से वंचित थे, मेरी माताएं, बहनें, बेटियां दशकों तक अपने अधिकारों से वंचित थीं और आज जब मोदी एक के बाद एक वो सारी बाधाएं हटा रहे हैं तो उनको ये कहना पड़ रहा है कि नई नई चालें खेलने के लिए योजना बना रहे हैं, ये बांटने की योजना बना रहे हैं, ये समाज को गुमराह करने की योजना बना रहे हैं।

मैं छोटा उदेपुर से इस देश की आदिवासी माताओं और बहनों को कहने आया हूं, आपका यह बेटा बैठा है, आपके अधिकारों पर जोर देने के लिए और एक-एक करके हम ऐसा कर रहे हैं। आप सभी बहनों के लिए संसद और विधानसभा के अंदर ज्यादा से ज्यादा भागीदारी के रास्ते खोल दिए गए हैं। अपने संविधान के अनुसार अनुसुचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के लिए भी, वहां बहनों को लिए भी उसमें व्यवस्था की गई है, जिससे उसमें से भी उनको अवसर मिले। नए कानून में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की बहनों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है। यह सभी बातें यह बड़ा संयोग है कि आज देश में इस कानून को अंतिम रूप कौन देगा। पार्लियामेंट में पास तो किया, लेकिन उस पर अंतिम निर्णय कौन लेगा, यह देश की पहली आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मूजी जो आज राष्ट्रपति के पद पर विराजमान है, वह उस पर निर्णय लेंगी और वह कानून बन जायेगा। आज छोटा उदेपुर के आदिवासी क्षेत्र में आप सभी बहनों को जब मिल रहा हूं, तब मैं बहुत सारी भारी संख्या में जो बहनें आई हैं उनका अभिनंदन करता हूँ। आपको प्रणाम करता हूँ, और आजादी के अमृतकाल की यह शुरुआत कितनी अच्छी हुई है, कितनी उत्तम हुई है कि अपने संकल्प सिद्ध होने में अब यह माताओं के आशीर्वाद हमको नई ताकात देने वाले हैं, नई-नई परियोजनाओं से हम इस क्षेत्र का विकास करेंगे और इतनी बड़ी संख्या में आकर आपने जो आशीर्वाद दिए उसके लिए आप सभी का हृदयपूर्वक आभार व्यक्त करता हूँ। पूरी ताकत से दोनों हाथ ऊपर करके मेरे साथ बोलिए- भारत माता की जय, अपने बोडेली की आवाज तो उंमरगाम से अंबाजी तक पहुँचनी चाहिए।

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

बहुत-बहुत धन्यवाद।