Today's Congress has neither principles nor policies left: PM Modi
PM Modi underscores the transformative changes since 2014, emphasizing infrastructure development, border security, and economic progress
Only BJP can provide the pace of development needed for the country: PM Modi
PM Modi condemns Congress' manifesto, accusing it of regressive ideologies
PM Modi urge voters to support BJP candidates for Atmanirbhar and Viksit Bharat

राम-राम सा।
मैं सबसे पहले तो इतनी बड़ी तादाद में मेरी जहां भी नजर पड़ती है, मुझे माताएं-बहनें दिख रही हैं। मैं उनको विशेष रूप से प्रणाम करता हूं कि आप इतनी गर्मी में हम सबको आशीर्वाद देने के लिए इतनी बड़ी संख्या में आए हैं। शायद राजस्थान नया इतिहास लिखने जा रहा है। माताएं-बहनें मैं सर झुकाकर आपको प्रणाम करता हूं।
जय पुष्कर राज री। परमपिता ब्रह्मा जी री जय॥
जय श्रीमन नारायण। सावित्री माता री जय॥
अजमेर-नागौर का ये क्षेत्र वीर तेजाजी महाराज और मीराबाई की आध्यात्मिक भूमि है। ये क्षेत्र राष्ट्रगौरव पृथ्वीराज चौहान जैसे शूरवीरों की शौर्य भूमि है। मैं इस महान धरती से राजस्थान की इन महान अनगिनत विभूतियों को सर झुकाकर नमन करता हूं।

साथियों
आज 6 अप्रैल को ही भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई थी। और संयोग देखिए कि आज ही मुझे पुष्कर क्षेत्र में आने का सौभाग्य मिला है। ब्रह्मा जी तो नियंता है निर्माता है और भारतीय जनता पार्टी भी नए भारत के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। और सबसे बड़ी बात हमारा ये क्षेत्र, कमल से इस क्षेत्र का संबंध है और भाजपा की पहचान भी देश के कोने-कोने में कमल खिलाने जा रही है। और इसलिए पूरा देश कह रहा है, हर माता-बहनें कह रही है, हर नौजवान कह रहा है। फिर एक बार...मोदी सरकार। फिर एक बार...मोदी सरकार। फिर एक बार...मोदी सरकार। 4 जून...400 पार। 4 जून...400 पार। 4 जून...400 पार।

साथियों,
देश के इतिहास में कभी-कभी ऐसे मौके आते हैं, जब उस देश के नागरिकों का एक फैसला अगले सैकड़ों वर्षों का भविष्य तय करता है। 2024 का ये चुनाव, ऐसा ही बड़ा अवसर है। ये कोई सामान्य चुनाव नहीं है। आप याद करिए, कितने दशकों से हमारे देश में जोड़-तोड़ वाली सरकारें चल रही थीं। गठबंधन की मजबूरियां, हर किसी के अपने स्वार्थ, इस सबमें देश के हित पीछे छूट गए थे। कांग्रेस के समय में गांव-गरीब, किसान, मजदूर, महिलाएं, युवाओं का जीना मुश्किल हो गया था। हर दिन अखबारों में या तो घोटालों की खबरें छपती थीं या फिर, आतंकी हमलों की खबरें आती थीं। लेकिन, 2014 से देश में एक बड़े बदलाव की शुरुआत हुई। दशकों बाद देश को आप सब जागरूक मतदाताओं ने पूर्ण-बहुमत की सरकार दी। आज भारत समंदर पर बड़े-बड़े पुल बना रहा है। आज भारत पहाड़ों में भी सुरंगे बनाकर सीमा की सुरक्षा बढ़ा रहा है। अब जब अजमेर से वंदेभारत ट्रेन रफ्तार भरती है, तो विदेशी भी हैरान हो जाते हैं। अब राजस्थान में एक से बढ़कर एक एक्सप्रेसवे बन रहे हैं, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडॉर बन रहे हैं। भाजपा के शासन में राजस्थान, विकास की नई ऊंचाई की ओर बढ़ रहा है।

साथियों,
कांग्रेस जहां रहती है, वहां विकास हो ही नहीं सकता। कांग्रेस ने ना कभी गरीब की परवाह की औऱ ना ही कभी वंचितों-शोषितों-युवाओं के बारे में सोचा। कांग्रेस के लिए यही कहा जा सकता है- एक तो करेला, दूसरे नीम चढ़ा। एक तो परिवारवादी पार्टी और दूसरा, उतनी ही भ्रष्टाचारी पार्टी। आप याद करिए, कांग्रेस सरकार में राजस्थान को लेकर कैसी खबरें आती थीं? युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ वाली पेपरलीक की खबरें! आए दिन वही पढ़ने को मिलता था। अपराधियों और माफियाओं के बेलगाम अपराध की खबरें! बेटियों के साथ अत्याचार की खबरें! पानी की विकराल होती समस्या की खबरें! कांग्रेस सरकार में लूट की हिस्सेदारी को लेकर सिर-फुटव्वल की खबरें आया करती थी। देश में राजस्थान की चर्चा केवल नकारात्मक कारणों से होने लगी थी। लेकिन, जब से बीजेपी आई है, अब चर्चा पेपर माफियाओं पर हो रही कार्रवाई की हो रही है। अब खबरें अपराधियों पर कस रहे कानून के शिकंजे की आती हैं। यहां भाजपा सरकार के आने के 100 दिन के भीतर ही वर्षों से लटकी ERCP पर सहमति बन गई है। ERCP से राजस्थान के एक बड़े इलाके में पानी का संकट खत्म होने जा रहा है। जिस तेज रफ्तार से देश का विकास होना चाहिए, वो तेज रफ्तार सिर्फ और सिर्फ भाजपा ही दे सकती है।

साथियों,
कल कांग्रेस पार्टी ने एक झूठ का पुलिंदा जारी किया है, अपना घोषणापत्र जारी किया है। झूठ का ये पुलिंदा कांग्रेस की एक बहुत बड़ी सच्चाई, कांग्रेस को बेनकाब करने वाला ये घोषणापत्र है। आप देखिए हर पन्ने पर भारत के टुकड़े करने की बू आ रही है। कांग्रेस के घोषणापत्र में वही सोच झलकती है, जो सोच आजादी के समय मुस्लिम लीग में थी। मुस्लिम लीग के उस समय के विचारों को कांग्रेस आज भारत पर थोपना चाहती है। मुस्लिम लीग की छाप वाले इस घोषणापत्र में जो बचा-खुचा हिस्सा था, उसमें वामपंथी लेफ्टिस्ट हावी हो गए हैं। आज की कांग्रेस के पास ना सिद्धांत बचे हैं और ना ही नीतियां बची है। ऐसा लग रहा है कांग्रेस सब कुछ ठेके पर दे चुकी है, पूरी पार्टी को आउटसोर्स कर चुकी है। आप मुझे बताइए, ऐसी कांग्रेस देशहित में कोई काम कर सकती है? देशहित में कोई काम कर सकती है? भाइयो-बहनों घोषणापत्र देखोगे तो ये भारत को पिछली शताब्दी में धकेलने का एजेंडा लेकर आए हैं। क्या हमें आगे जाना है कि नहीं जाना है। आगे जाना है कि नहीं जाना है? आगे बढ़ना है कि नहीं बढ़ना है? क्या भारत को पिछली शताब्दी में धकेलने देंगे?

साथियों,
गरीब और वंचित वर्ग की तरह ही कांग्रेस ने कभी नारीशक्ति की भी परवाह नहीं की। मेरी माताएं-बहनें आपकी ये जागरूकता है न, ये कांग्रेस को अनेक दशकों के पाप का हिसाब मांगने के लिए तैयार हो गई शक्ति। आजादी के बाद पीढ़ी दर पीढ़ी देश की करोड़ों बेटियों का जीवन कष्ट में बीता। उसके लिए जिम्मेदार कौन है? उसके लिए जिम्मेदार कौन है? ऐसी कांग्रेस को सजा मिलनी चाहिए कि नहीं? 19 अप्रैल और 26 अप्रैल कमल पे बटन दबाकर कांग्रेस को कड़ी सजा देने का समय आ गया है। आप सोचिए, शौचालय के अभाव में बहनों-बेटियों को पीड़ा और अपमान झेलना पड़ता था। हमारी माताएं-बहनें प्राकृतिक... या तो सूर्योदय के पहले जाना पड़ता था या तो सूर्यास्त का इंतजार करना पड़ता था। और दिनभर मेरी माताएं-बहनें पीड़ा झेलती थी। क्या ये पीड़ा उनको महसूस नहीं हुई। मैं गरीब मां का बेटा हूं। इसलिए हर मां का दुख-दर्द भलीभांति समझता हूं। करोड़ों गरीब परिवारों की बहनों को धुएं में खाना पकाना पड़ता था। वो जब धुएं में खाना पकाती है तो एक दिन में, जानकार लोग कहते हैं, एक दिन 400 सिगरेट जितना धुआं ये मेरी माताओं-बहनों के फेफड़े में जाता था। क्या इन माताओं-बहनों को इस पीड़ा से मुक्ति मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए। पानी लाने के लिए दूर-दूर तक चलकर जाना होता था। मैं गुजरात का हूं। राजस्थान और गुजरात में पानी का संकट हम सबने भलीभांति देखा है। और इसके सारा बोझ हमारी माताओं-बहनों पर पड़ता था। सर पर बहुत बड़ा वजन उठाकर पानी लेने जाना पड़ता था। गर्भ के समय हमारी माताओं-बहनों को जो पोषक आहार चाहिए, ताकि गर्भ में जो बच्चा है वो तंदरुस्ती के साथ उसका जन्म हो, उसकी भी परवाह नहीं की। आज आपका ये बेटा, आपके गर्भ में जो बच्चा है न उसकी भी चिंता करता है। करोड़ों बहनों के पास बैंक खाता तक नहीं था। अगर कहीं से थोड़े बहुत पैसे बचा लिए तो अनाज के डिब्बे में रखना पड़ता था। आज मोदी ने इन माताओं-बहनों के बैंक में खाते खुलवा दिए। आप देखिए, समाज की क्या स्थिति थी, अगर परिवार में खेत है तो पुरुष के नाम पर, घर है तो पुरुष के नाम पर, गाड़ी है तो पुरुष के नाम पर, दुकान है तो पुरुष के नाम पर। और अगर पति नहीं रहा तो बेटे के नाम पर। हमारी माताओं-बहनों के नाम कुछ नहीं होता था। और ये आपका बेटा, मेरी माताएं-बहनें, इस आपके बेटे ने तय किया कि पीएम आवास के जो मकान देंगे न वो महिलाओं के नाम पर होंगे। हमारी माताओं-बहनों को रोजगार के अवसर नहीं थे, बहुत सारे क्षेत्रों में महिलाओं के लिए दरवाजे बंद थे।

साथियों,
गरीब और वंचित वर्ग की तरह ही कांग्रेस ने कभी नारीशक्ति की भी परवाह नहीं की। मेरी माताएं-बहनें आपकी ये जागरूकता है न, ये कांग्रेस को अनेक दशकों के पाप का हिसाब मांगने के लिए तैयार हो गई शक्ति। आजादी के बाद पीढ़ी दर पीढ़ी देश की करोड़ों बेटियों का जीवन कष्ट में बीता। उसके लिए जिम्मेदार कौन है? उसके लिए जिम्मेदार कौन है? ऐसी कांग्रेस को सजा मिलनी चाहिए कि नहीं? 19 अप्रैल और 26 अप्रैल कमल पे बटन दबाकर कांग्रेस को कड़ी सजा देने का समय आ गया है। आप सोचिए, शौचालय के अभाव में बहनों-बेटियों को पीड़ा और अपमान झेलना पड़ता था। हमारी माताएं-बहनें प्राकृतिक... या तो सूर्योदय के पहले जाना पड़ता था या तो सूर्यास्त का इंतजार करना पड़ता था। और दिनभर मेरी माताएं-बहनें पीड़ा झेलती थी। क्या ये पीड़ा उनको महसूस नहीं हुई। मैं गरीब मां का बेटा हूं। इसलिए हर मां का दुख-दर्द भलीभांति समझता हूं। करोड़ों गरीब परिवारों की बहनों को धुएं में खाना पकाना पड़ता था। वो जब धुएं में खाना पकाती है तो एक दिन में, जानकार लोग कहते हैं, एक दिन 400 सिगरेट जितना धुआं ये मेरी माताओं-बहनों के फेफड़े में जाता था। क्या इन माताओं-बहनों को इस पीड़ा से मुक्ति मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए। पानी लाने के लिए दूर-दूर तक चलकर जाना होता था। मैं गुजरात का हूं। राजस्थान और गुजरात में पानी का संकट हम सबने भलीभांति देखा है। और इसके सारा बोझ हमारी माताओं-बहनों पर पड़ता था। सर पर बहुत बड़ा वजन उठाकर पानी लेने जाना पड़ता था। गर्भ के समय हमारी माताओं-बहनों को जो पोषक आहार चाहिए, ताकि गर्भ में जो बच्चा है वो तंदरुस्ती के साथ उसका जन्म हो, उसकी भी परवाह नहीं की। आज आपका ये बेटा, आपके गर्भ में जो बच्चा है न उसकी भी चिंता करता है। करोड़ों बहनों के पास बैंक खाता तक नहीं था। अगर कहीं से थोड़े बहुत पैसे बचा लिए तो अनाज के डिब्बे में रखना पड़ता था। आज मोदी ने इन माताओं-बहनों के बैंक में खाते खुलवा दिए। आप देखिए, समाज की क्या स्थिति थी, अगर परिवार में खेत है तो पुरुष के नाम पर, घर है तो पुरुष के नाम पर, गाड़ी है तो पुरुष के नाम पर, दुकान है तो पुरुष के नाम पर। और अगर पति नहीं रहा तो बेटे के नाम पर। हमारी माताओं-बहनों के नाम कुछ नहीं होता था। और ये आपका बेटा, मेरी माताएं-बहनें, इस आपके बेटे ने तय किया कि पीएम आवास के जो मकान देंगे न वो महिलाओं के नाम पर होंगे। हमारी माताओं-बहनों को रोजगार के अवसर नहीं थे, बहुत सारे क्षेत्रों में महिलाओं के लिए दरवाजे बंद थे।

साथियों,
ये जो देश के बड़े-बड़े नामदार, कांग्रेस और शाही परिवार के बड़े-बड़े नामदार इस कामदार को गाली देते हैं, वो नामदार है, शायद गाली देना उनका वो अधिकार मानते होंगे। ये कामदार ऐसा है हर गाली को पचा जाता है। ये मोदी से इसलिए नाराज हैं क्योंकि मोदी आज देश के गांव-गरीब के साथ चट्टान की तरह खड़ा है। जनता के पैसे को लूटना, ये लोग अपना खानदानी हक समझते थे। मोदी ने पिछले 10 साल में लूट की इस बीमारी का परमानेंट इलाज कर दिया है। मोदी ने इनकी लूट की दुकान का शटर गिरा दिया है, इसलिए ये बौखलाए हुए हैं।

साथियों,
इन परिवारवादी भ्रष्टाचारियों के कैसे-कैसे खेल होते हैं, मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। आज बीजेपी की सरकार देश के 80 करोड़ जरूरतमंदों को मुफ्त राशन देती है। अलग-अलग योजनाओं का पैसा सीधे आपके खाते में आता है। 10 वर्षों में हमने 30 लाख करोड़ रुपए, आंकड़ा याद रखिए, 10 साल में 30 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा गरीबों के खातों में सीधे भेजे हैं। जब कांग्रेस की सरकार थी, तब जो भी पैसा सरकार द्वारा भेजा जाता था, वो बीच में ही लुट जाता था। अब आप सोचिए, कांग्रेस के एक प्रधानमंत्री ने कहा था कि दिल्ली से एक रुपया भेजते हैं तो 15 पैसा पहुंचता है। कहा था कि नहीं कहा था। कांग्रेस के प्रधानमंत्री ने कहा था न कि दिल्ली से एक रुपया भेजते हैं तो 15 पैसा पहुंचता है। अगर 30 लाख करोड़ रुपया उनके पास होते, तो क्या होता मुझे बताइए। अब एक रुपया भेजते हैं, 15 पैसा पहुंचता है, तो वो कौन सा पंजा है जो बीच में से रुपये मार लेता है। हमने जांच कराई, तो पता चला कि कांग्रेस ने 10 करोड़ से ज्यादा ऐसे फर्जी लाभार्थी बनवा रखे थे, जिनका कभी जन्म ही नहीं हुआ था। पैदा ही नहीं हुए, लेकिन योजनाएं उनके नाम पर चढ़ जाती थी। यानी, 10 करोड़ फर्जी नामों पर आपके हक का हजारों करोड़ रुपया सीधे कांग्रेस के बिचौलियों के पास जा रहा था। मोदी ने ये खेल बंद कर दिया। मैंने जांच एजेंसियों को खुली छूट दी है। आपने देखा होगा, कांग्रेस के एक सांसद के यहां से 300 करोड़ से ज्यादा नगद, आप कल्पना कर सकते हैं, 300 करोड़ नगद आलमारी में ढेर के ढेर पड़े थे। और पकड़े गए, टीवी पर आपने देखा होगा। आप हैरान हो जाएंगे, ये बैंक के पास नोट गिनने के जो मशीन होते हैं न, कितने बैंकों से ये लाया, लेकिन मशीन थक गए गिनते-गिनते। मशीन बंद हो जाते थे। पैसे निकलते ही जा रहे थे। कांग्रेस का घमंडिया गठबंधन मोदी से परेशना है। इसलिए चिढ़ता है, गुस्सा करता है, गाली देता है। लेकिन कांग्रेस के लोग समझ लें, आप जितना कीचड़ उछालोगे, कमल उतना ही ज्यादा खिलने वाला है। आप देखिए, मैं कहता हूं- भ्रष्टाचार हटाओ, वो कहते हैं-भ्रष्टाचारी बचाओ। अभी देखिए, कांग्रेस पार्टी चुनाव जीतने के लिए रैली नहीं कर रही, भ्रष्टाचारी को बचाने के लिए रैली कर रही। ये कितना भी बोलते रहें, भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी की लड़ाई जारी रहेगी। मुझे बताइए, मुझे लड़ाई जारी रखनी चाहिए कि नहीं? इस देश से भ्रष्टाचार जाना चाहिए कि नहीं? भ्रष्टाचार खत्म होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए? आपके आशीर्वाद है न। आपके आशीर्वाद है तो मैं लड़ता रहूंगा। और भाइयों-बहनों, और मेरी सरकार का तीसरा कार्यकाल बहुत दूर नहीं है। पहले 100 दिन में भ्रष्टाचार के खिलाफ बीजेपी सरकार और भी बड़े फैसले लेने जा रही है। मैं तैयारी करके बैठा हूं। सारी तैयारी शुरू कर दी है। इसलिए ही मैं कहता हूं- 10 साल में जो कार्रवाई देखी, वो तो ट्रेलर है। अभी तो बहुत कुछ होना बाकी है।

साथियों,
राजस्थान में आने वाली 19 अप्रैल और 26 अप्रैल को मतदान होगा। अब आप देखिए, राम मंदिर बना, आपलोग खुश हैं कि नहीं हैं? अब मुझे बताइए, चलो भई राम मंदिर बन गया, लेकिन प्राण-प्रतिष्ठा में जाने का विरोध करना ये शोभा देता है क्या? इतना ही नहीं अगर कोई प्राण-प्रतिष्ठा में आ गया तो उसको कांग्रेस पार्टी से छह साल के लिए निकाल दिया। क्या इस देश में ऐसा हो सकता है भाई? प्रभु राम के बिना आप देश की कल्पना कर सकते हैं। हमारे यहां तो सुबह-शाम मिलते हैं तो राम-राम सा करके शुरू करते हैं भई। और अंतिम विदाई में भी, राम बोलो राम से ही जाते हैं जी। उस राम के खिलाफ इतना गुस्सा, मेरे दिमाग में नहीं बैठ रहा है भैया। प्रभु राम अपने घर विराजे। और ये रामनवमी आ रही है, सजधज के लोग मनाने वाले हैं। हम देखते हैं कितना विरोध करते हो।

साथियों
19 अप्रैल और 26 अप्रैल दो दिन मतदान के हैं राजस्थान में। इस बार भारतीय जनता पार्टी ने अजमेर से हमारे साथी भागीरथ चौधरी जी को एक बार फिर उम्मीदवार बनाया है। और नागौर में मेरी छोटी बहन ज्योति मिर्धा जी ने जिम्मेवारी संभाली है। इन दोनों प्रत्याशियों को आपका एक-एक वोट मोदी को मजबूत करेगा। मुझे विश्वास है राजस्थान से इस बार भी 25 की 25 सीटें देना ये राजस्थान ने तय कर लिया है। लेकिन इसके लिए हमें पोलिंग बूथ जीतना है। हमारी पूरी शक्ति पोलिंग बूथ जीतने में लगनी चाहिए। गर्मी कितनी ही तेज क्यों न हो, सुबह-सुबह मतदान हो जाना चाहिए। तो मेरी ये बात घर-घर पहुंचाओगे। मतदाताओँ को आज जितना मैंने भाषण किया वो बताओगे। हर माताओं-बहनों को बताओगे। पक्का बताओगे। अच्छा एक मेरा काम करोगे। ये मेरा काम है। ज्योति जी का भी नहीं है, भागीरथी जी का भी नहीं है। ये मोदी का काम है, करोगे? जरा हाथ ऊपर करो, करोगे। करोगे, पक्का करोगे। आप घर-घर जाना और सबको कहना कि अपने मोदी जी पुष्कर आए थे। और मोदी जी ने आपको प्रणाम भेजा है। मेरा प्रणाम पहुंचा दोगे। हर परिवार में मेरा प्रणाम पहुंचा दोगे।

मेरे साथ बोलिए,
भारत माता की, भारत माता की, भारत माता की।
बहुत-बहुत धन्यवाद!

 

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Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM Modi
December 06, 2025
India is brimming with confidence: PM
In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder: PM
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।