ସେୟାର
 
Comments
PM Modi highlights famer friendly initiatives of the Central Government and how the efforts made by the Centre are benefiting the farmers’ at large scale
Act as a bridge between the Government and the farmers to further the reach of farmer friendly initiatives: PM to Karnataka Kisan Morcha
Due to the apathy of the Congress government in Karnataka farmers could not benefit from the Fasal Bima Yojana: PM Modi
Budgets implemented by the NDA Government are centred at welfare of farmers and the agriculture sector: PM Modi
MSP for notified crops: Farmers to get 1.5 times the cost of their production, says PM Modi
Adopt organic farming methods and latest methods of agriculture: PM urges farmers

नमस्कार।

कर्नाटक के मेरे किसान कार्यकर्ताओं से आज बातचीत करने का मुझे अवसर मिला है। और जब मैं किसान की बात करता हूं तो कर्नाटक में तो हर किसान एक बात को हमेशा गुनगुनाता रहता है।
और हमारे येदुरप्पा जी ने इसको घर-घर पहुंचाने में बड़ा बीड़ा उठाया था। और आप लोग हमेशा गाते हैं। नेगुलु हिड़िदा होलदल हाड़ुता उलुवाय योगिया नोड़ल्ली। खेत में हल जोतने के समय गाए जाने वाले इस रैयता गीत के रचियता महान कवि कोएम्पु है। गीत में किसान को योगी बताया गया है। परंतु ये योगी हल को हाथ में लेता है जिसे नेगुलु कहते हैं। और इसलिए किसान को नेगुलु योगी कहते हैं। आज मैं बहुत ही प्रसन्न और बहुत ही मनोयोग से मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे आज कर्नाटक के नेगुलु योगी से बात करने का अवसर मिला है। कल मैं कर्नाटक में था। क्या उमंग और उत्साह था। मैंने जैसी सभाओं में जनभागीदारी देखी, उत्साह देखा। और कल शाम को किसानों से बहुत बात करने का मौका मिला। चिकौड़ी की जो सभा थी। शायद कर्नाटक के इतिहास में मैंने पहले कभी ऐसी सभा देखी नहीं। मैं कर्नाटक के नागरिकों का ह्रदय से आभार व्यक्त करना चाहूंगा पहले तो ...।

और आप लोग किसान मोर्चे के कार्यकर्ता हैं। आखिरकार इन मोर्चों का दायित्व यही होता है कि उस क्षेत्र विशेष में भाजपा की बात, सरकार की बातें पहुंचाना और क्षेत्र विशेष के लोगों की कठिनाइयां भाजपा के वरिष्ठ नेताओं तक पहुंचाना, सरकारों को पहुंचाना, और ये काम, ये जो ब्रिज है। मैं समझता हूं ये किसानों की समस्याओं का समाधान करता है। ये महत्वपूर्ण भूमिका किसान मोर्चे के रूप में भाजपा के कार्यकर्ता कर रहे हैं। दूसरा एक ही क्षेत्र में पूरा समय काम करने से, उस क्षेत्र विषय की मास्टरी आ जाती है। समस्याओं की मास्टरी आ जाती है। समाधान के रास्तों की मास्टरी आ जाती है। उपाय योजना क्या हो सकती है, उसके लिए नई-नई योजनाएं सूझती है। एक प्रकार से आपकी बहुत बड़ी अहम भूमिका है।

मुझे कर्नाटक में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बारे में अब शिकायतें मिलती रहती थी। लेकिन हमारे एक सांसद थे जिन्होंने किसान मोर्चा की मदद से अपने क्षेत्र में बहुत काम किया। लेकिन कर्नाटक सरकार उदासीन रही। उसको परवाह की नहीं थी कि किसानों को फसल बीमा योजना से कितना फायदा होता है। और आकाल के दिनों में अगर सरकार सक्रिय होती ...। और किसान को क्या है। एक रुपए में एक पैसे, दो पैसे, पांच पैसे से ज्यादा खर्च नहीं। बहुत बड़ी राशि सरकार की तरफ से आती है। लेकिन उन्होंने किया नहीं। हमें किसानों को विश्वास दिलाना है कि समय है कि ऐसी सरकार चाहिए जो किसानों के प्रति संवेदनशील हो, किसानों की समस्याओं को समझती हो, किसानों का कल्याण उसकी प्राथमिका हो। और आपने देखा होगा कि पिछले दिनों जितने भी बजट आए हैं। हर बजट के बाद मीडिया ने, अखबारों ने, मैगजीनों ने लिखा है कि मोदी का बजट किसान का बजट है, गांव का बजट है। और इसलिए कृषि और किसान कल्याण हमेशा से हमारी सरकार का एक प्रकार से चरित्र रहा है। हमारा स्वभाव रहा है, हमारे सोचने का तरीका वही रहा है। हमें तो पंडित दीन दयाल उपाध्याय सिखाकर गए हैं - हर हाथ को काम हर खेत को पानी। और इसके लिए हम लक्ष्य तय करके टाइम के अंतर्गत डिलीवर करने के लिए, और अपेक्षित परिणाम हासिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

और कृषि ऐसा क्षेत्र है जो समय से जुड़ा हुआ है क्योंकि प्रकृति के साथ सीधा उसका लिंक है। उसको पानी कब चाहिए, फसल काटने का समय कब हो, सारी चीजें एक प्राकृतिक समय चक्र के साथ जुड़ती है। समय सरकार का अपनी मनमर्जी का समय पत्र नहीं चलता है। प्रकृति, किसान और सरकार तीनों ने बराबर मेल बिठाकरके काम करना होता है। कृषि और किसानों के लिए हमारा विजन कभी एकांगी नहीं रहा। हम इंटीग्रेटेट एप्रोच वाले हैं। हम कृषि से जुड़े सभी पहलुओं को एक होलिस्टिक एप्रोच के साथ देखने के पक्षधर हैं।

चाहे कृषि के लिए भूमि का ख्याल रखना हो या सिंचाई के लिए जल संरक्षण पर जोर हो। पूरा जोर इस बात पर दिया जा रहा है कि किसानों को कृषि के कार्य में शुरुआत से अंत तक किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े। आधुनिक बीज हो या बीज की सुविधा, उत्पाद का संरक्षण हो या उन्हें बाजार तक पहुंचाना हो, हर पहलू पर बहुत बारीकी से ध्यान दिया जा रहा है।
और हमारी सरकार बीज से बाजार तक, फसल चक्र के हर चरण के दौरान किसानों के सशक्त बनाने का प्रयास कर रही है। किसानों को उनके पूरे एग्री साइकिल और उसमें मदद मिले। चाहे बुआई से पहले, चाहे बुआई के दौरान, चाहे कटाई के बाद हो, हमारी सरकार ने हर चरण के लिए विभिन्न योजनाएं तैयार की है। और पहल हमने उसका प्रारंभ कर दिया है। आप किसानों को इसके बारे में विस्तार से बताएं कि इन योजनाओँ का किस तरह लाभ उठा सकते हैं।

बुआई से पहले किसानों को खेती के लिए फाइनेंसिंग संबंधी समस्या न हो, और इसके लिए कृषि ऋण में 11 लाख करोड़ रुपए कर्ज के लिए आवंटन किया। कभी इतिहास में नहीं हुआ इतना। किसानों को अपने खेतों की मिट्टी के बारे में जानकारी हो। उस पर किस प्रकार के फसल उगाई जाएं। ये धरती माता की तबियत कैसी है, मिट्टी की तबियत कैसी है। इसके लिए साढ़े 12.5 करोड़ से ज्यादा स्वायल हेल्थ कार्ड किसानों को दे दिए हैं। उनके खेत की जमीन की जांच करके दिए गए हैं। अकेले कर्नाटक में करीब एक करोड़ किसानों के पास स्वायल हेल्थ कार्ड पहुंचे हैं। और उसी का परिणाम है कि किसान जो पहले फसल बोता था, अब उसमें बदल कर रहा है। अपनी धरती और जमीन की ताकत के हिसाब से वो कर रहा है। कैमिकल फर्टिलाइजर में वो कटौती कर रहा है। फालतू दवाई का उपयोग करता था, उसमें वो कटौती कर रहा है। समय का भी बंधन समझने लगा है। किस क्रॉप के साथ किस क्रॉप को मिक्स किया जाए कि डबल पैदावार ...। वो नई-नई चीजें करने लगा है। आज किसानों को अच्छी क्वालिटी का बीज समय पर उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके साथ-साथ नये किस्म के बीज विकसित करने के लिए व्यापक रूप से काम किया जा रहा है।

बुआई के दौरान किसानों को पहले की तरह खाद की समस्या से जूझना नहीं पड़ रहा है। और इसके लिए हमने नई फर्टिलाइजर की नीति तैयार की। यूरिया का हमने शत प्रतिशत नीम कोटिंग किया। आपको खुशी होगी कि करीब 30-40 साल के बाद पहली बार हमारे देश में एनपीके के खाद की कीमतों में कटौती की गई है। लेकिन ये सब होता है तो कभी-कभी हम भूल जाते हैं। हमारा काम है, किसान मोर्चे के कार्यकर्ताओं का काम है कि 30-40 साल के बाद अगर एनपीके के खाद की कीमत में कटौती हुई तो ये बार-बार याद कराना चाहिए कि नहीं कराना चाहिए ...।

अगर सिंचाई की अगर बात करें तो आज देशभर में करीब करीब 100 परियोजनाएं जो सालों से बंद पड़ी थी। कोई पूछने वाला नहीं था। उसको हमने पुनर्जीवित करने का अभियान छेड़ा है। अकेले कर्नाटक में पांच ऐसे बड़े प्रोजेक्ट जो बेकार पड़ी थी। किसानों को जरूरत थी लेकिन सरकार को परवाह नहीं थी। भारत सरकार ने चार हजार करोड़ रुपए की लागत से इन पांच बड़े प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है। जिसका सर्वाधिक लाभ करीब-करीब 24 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन को भी माइक्रो इरीगेशन के दायरे में लाया जा रहा है। कर्नाटक में भी 4 लाख हेक्टेयर से ज्यादा भूमि पर अलरेडी माइक्रो इरिगेशन का लाभ लेना शुरू किया है। उसी प्रकार से बुआई के बाद किसानों को फसल की उचित कीमत मिले, इसके लिए देश में एग्रीकल्चर मार्केटिंग रिफॉर्म पर भी बहुत व्यापक स्तर पर काम हो रहा है। गांव की स्थानीय मंडियां, होल-सेल मार्केट और फिर ग्लोबल मार्केट इससे जुड़े। इसके लिए सरकार सीमलेस व्यवस्था के लिए प्रयास कर रही है। किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए बहुत दूर जाना न पड़े, इसके लिए देश के 22 हजार ग्रामीण हाटों को एक नई व्यवस्था के तहत, नए इंफ्रास्ट्रक्चर के तहत अपग्रेड करते हुए एपीएमसी और ई-नाम प्लेटफार्म के साथ इंटीग्रेट किया जाएगा। यानी एक तरह से खेत से देश के किसी भी मार्केट के साथ Connect की ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है।

जहां तक एमएसपी की बात है। इस साल बजट में किसानों को फसल की उचित कीमत दिलाने के लिए एक बड़ा निर्णय किया गया। हमने तय किया कि अधिसूचित फसलों के लिए एमएसपी उनकी लागत का कम से कम डेढ़ गुना घोषित दिया जाएगा।

इसलिए मेरे किसान मोर्चा के कार्यकर्ताओं। मैं घंटों तक इस विषय पर आपको बता सकता हूं क्योंकि मैंने इतना दिल लगाकर काम किया है। क्योंकि हमारा स्पष्ट मत है गांव का भला करना, गरीब का भला करना और किसान का भला करना, कृषि को मजबूत बनाना, इस देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत आवश्यक है। हमारी नई पीढ़ी भी किसानी के काम को अच्छा काम माने, उस ऊंचाई तक किसानी के काम को ले जाना है।

इसलिए मैं आपको विश्वास दिलाता हूं। हमने जो रास्ता चुना है उससे उत्तम से उत्तम परिणाम आकर रहने वाले हैं। जो परिणाम 70 साल में नहीं मिले वो परिणाम 2022, आजादी के 75 वर्ष होने से पहले पाने का हमारा इरादा है।

आप भी कुछ पूछना चाहते हैं। कुछ बात करना चाहते हैं। जरूर ...। मैं मेरी ही बातें बताता रहूंगा तो घंटों तक बात करता रहूंगा। मैं आपकी बात भी सुनना चाहता हूं। बताइए।

मैसूर किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष प्रसन्ना - हैलो। हैलो।
प्रधानमंत्री मोदी - नमस्ते।
प्रसन्ना - नमस्ते जी। मैं प्रसन्ना एल गौड़ा।
प्रधानमंत्री मोदी – प्रसन्ना जी नमस्ते।
प्रसन्ना – नमस्ते जी।

मैं मैसूर किसान मोर्चा का अध्यक्ष हूं। आपसे बात करने की तमन्ना थी जो आज पूरा हुआ। हम मैसूर में मिशन 2024 के नाम से फार्मर्स के इनकम को डबल करने में, कैमिकल फ्री फार्मिंग में हम जुटे हुए हैं। आपकी आशा में जुटे हुए हैं।

पीएम मोदी – 24 नहीं 22 में करना है। डेट बदलनी नहीं है जी।

प्रसन्ना – कर देंगे जी। 2022 में करेंगे जी। बदल देंगे जी। हम पद यात्रा अवेयरनेस प्रोग्राम सब कर रहे हैं। मेरा प्रश्न है कि कांग्रेस के शासन में किसानों की हालत खराब है, डिस्ट्रेस में है, उसका सोशल स्टेटस गिर गया है। इसके लिए हम क्या कर सकते हैं।

पीएम मोदी – देखिए। ये बात सही है कि किसानों के प्रति कांग्रेस हमेशा लीप सिंपेथी दिखाती रही है। भाषण में किसान बोलना उनका स्वभाव हो गया है। भीषण अकाल में घिरे किसानों को कहां तो सहारा देना चाहिए था। पानी के लिए कोई न कोई नई योजनाएं बनानी चाहिए थी। जनभागीदारी से वर्षा के पानी को रोकने के अभियान चलाने चाहिए थे। तालाब गहरे करने चाहिए थे। नदियों के अंदर छोटे-छोटे ब्रिज बनाकर पानी रोकने का प्रयास करना चाहिए था। ये सब करने के बजाए जो झील सूख गई, मुझे कोई बता रहा था कि जो झील सूख गई तालाब सूख गए। उसे वो बिल्डरों के हवाले कर दिया गया। अब ऐसी असंवेदनशीलता कर्नाटक में कांग्रेस सरकार की हो, अन्नदाता की सेवा करना मेरे हिसाब से एक बहुत बड़ा सौभाग्य होता है। लेकिन कर्नाटक की सरकार को सेवा में नहीं, केवल किसानों के नाम पर राजनीति करना, किसानों को गुमराह करना, उनकी भावनाओं को भड़काना, झूठी खबरें पहुंचाना, यही उनका खेल चलता रहता है। और तब किसान मोर्चा के कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी बनती है कि जब इतनी बड़ी मात्रा में झूठ फैलाया जाता है तब हम हकीकत के आधार पर सत्य पहुंचाएं। भारत सरकार ने किसानों की आय 2022 तक दोगुना करने का संकल्प लिया है। हमारे मिशन में जब येदुरप्पा जी मुख्यमंत्री बनकरके जुड़ जाएंगे तो उनका अनुभव, उनका कमिटमेंट। हमें इस काम को और ताकत देने वाला है। और इसलिए मैं तो चाहूंगा कि किसान नेता हैं येदुरप्पा जी।
दो उदाहरण बताता हूं। योजनाएं तो पहले भी चलती थी। लेकिन बीजेपी सरकार ने उसे नई एप्रोच के साथ लागू किया है। जैसे उदाहरण के तौर पर सिंचाई से जुड़ी परियोजनाएं पहले भी थी। लेकिन अब बीजेपी सरकार में प्रधानमंत्री कृषि योजना के तहत अलग-अलग क्षेत्रों पर एक साथ किया जा रहा है। फोकस देश में एक जल संचय का, दूसरा जल सिंचन का। देश में माइक्रो इरीगेशन का दायरा बढ़ाना। और जो एक्जिस्टिंग इरिगेशन नेटवर्क है, उसको और मजबूती देना। और इसलिए सरकार ने तय किया कि दो-दो, तीन-तीन दशकों से अटकी पड़ी देश की करीब 100 परियोजनाओं को तय समय में पूरा किया जाएगा। और इसके लिए करीब-करीब एक लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है। उसका हमने प्रावधान किया है। ये सरकार के निरंतर प्रयास है और उसी का असर है कि इस साल अंत तक उन 100 में से 25-50 योजनाएं पूरी हो जाएंगी। और बाकी अगले साल तक पूरी होने की संभावना है। मतलब जो काम 25-30 साल से अटका पड़ा था, उसे 25-30 महीनों में पूरा कर दिया। पूरी होती सिंचाई परियोजना देश के किसी न किसी हिस्से में किसान का खेती पर होने वाला खर्च कम कर रही है। पानी को लेकर उसकी चिंता कम कर रही है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत अब तक 24 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन को भी माइक्रो इरीगेशन के दायरे में लाया जा चुका है। कर्नाटक में भी इस योजना के तहत पांच परियोजनाओं पर काम शुरू किया गया था। इनमें एक काम पूर्ण हो चुका है, बाकी काम भी निकट भविष्य में पूरी होने वाला है। सरकार इन अधूरी परियोजनाओं पर कर्नाटक में ही 4 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है। बीदर, बेलगावी, गुरबर्गा, यादगीर, बीजापुर, हावेरी सारा क्षेत्र है जिसको इसका सबसे फायदा मिलने वाला है।

एक और उदाहरण आपको बताना चाहता हूं। किसान से जुड़ी हुई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना। एग्रीकल्चर सेक्टर में इंश्योरेंस की हालत क्या थी। ये हाल सारा देश जानता है। किसान का विश्वास ही खत्म हो गया था। बीमा कंपनियों की मलाई खाई जाती थी। किसान को कुछ नहीं मिलता था। हमने उसका होलिस्टिक रिव्यू किया। नए तरीके से सोचा। किसान अपनी फसल का बीमा कराने जाता था तो पहले उसे ज्यादा प्रीमियम देना पड़ता था। पहले उसका दायरा भी बहुत छोटा था। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत हमारी सरकार ने न सिर्फ प्रीमियम कम किया बल्कि इंश्योरेंस का दायरा भी बहुत बढ़ा दिया। मुझे बताया गया है कि इस योजना के तहत पिछले वर्ष इस योजना के तहत हजारों करोड़ रुपए की क्लेम राशि किसानों को दी गई है। अगर प्रति किसान या प्रति हेक्टेयर दी गई क्लेम राशि को देखा जाए तो पहले की तुलना में ये डबल हो गई है। दोगुणा हो गई है।

किसान क्रेडिट कार्ड। पहले वो बहुत सीमित उपयोग होता था। अब हमने उसका दायरा बढ़ा दिया। किसान क्रेडिट कार्ड का दायरा ...। अब पशुपालन के लिए उस क्रेडिट कार्ड का उपयोग हो सकता है। कोई पोल्ट्री फार्म करना चाहता है तो उपयोग हो सकता है। कोई मछली पालन करना चाहता है तो उपयोग हो सकता है। किसानी के अन्य सभी कामों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड काम आने लगा है। इससे मछुआरों के लिए किया है। कोस्टल रीजन में रहने वाले जो हमारे भाई बहन हैं, फिशरमैन हैं, वो भी एक प्रकार से समुद्र में खेती ही तो करते हैं। उनको एक ताकत मिलेगी। इस बजट में गांव और कृषि के लिए कुल 14 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। और 14 लाख करोड़ रुपए हिन्दुस्तान के गांव और किसान के लिए, ये हिन्दुस्तान के बजट के इतिहास के लिए यह सबसे बड़ी घटना है।
समुद्री किनारों पर बसे इलाकों में जहां हमारे मछुआरे भाई बहन रहते हैं, वहां ब्लू रिवोल्यूशन की क्षमता है। कर्नाटक के मछुआरों को मछली पकड़ने में सुविधा हो। इसके लिए केंद्र सरकार ने अनेक योजनाएं चलाई जा रही है, आर्थिक मदद दी जा रही है। और उसका लाभ हमारे मछुआरे भाई-बहन ले सकते हैं।

डैम रिहेबिलिटेशन एंड इंप्रूपमेंट प्रोजेक्ट यानी drip के तहत 22 प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इंसेंटिवाआजेशन स्कीम फॉर ब्रिंगिंग गैप यानी आईएसबीआईआई के तहत 9 प्रोजेक्ट लिए गए हैं। इन पर कुल लागत करीब 1100 करोड से ज्यादा आएगी। जिसमें केंद्र सरकार बहुतेक हिस्सा देने वाली है।

हमारे येदयुरप्पा जी का किसानों के प्रति समर्पण और उनका कमिटमेंट। कर्नाटक की जनता और कर्नाटक की किसान भलीभांति जानता है। और इसलिए किसानों का सपना पूरा करने के लिए बीजेपी की जो सरकार बनेगी वो और दिल्ली में जो बीजेपी की सरकार किसानों के प्रति समर्पित है वो, दोनों मिलकरके इतना बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं। इस विश्वास को लेकर के किसान मोर्चा के कार्यकर्ता गांव-गांव जाएं, किसानों के साथ बैठें और छोटी-छोटी बातें बताएं। और पुरानी चीजें उन्हें याद दिलाएं। फिर उनको गले उतरेगा कि हां भाई ये तो बदलाव आया है।
कोई और पूछना चाहता है।

पीएम मोदी – नमस्ते।
बिदर से किसान मोर्चा से जिला महासचिव, अभिमन्यु - नमस्ते सर। बिदर से बात कर रहा हूं। मैं क्या बोलता हूं सर कि किसान 2022 तक जिनकी इनकम जो डबल करना चाहते हैं। इसको कैसे संभव बनाएंगे।

पीएम मोदी – देखिए एक तो बड़े आत्मविश्वास के साथ बोलिए कि ये 2022 तक होना संभव है। क्योंकि किसान ने पिछले 70 सालों से ऐसा सुना है पुरानी सरकारों से कि इसको किसी चीज पर भरोसा नहीं होता है। इसमें किसानों का कोई दोष नहीं है। भूतकाल में सरकारों ने किसानों के साथ झूठ बोला है। और उसके कारण किसानों का विश्वास टूट गया है। सबसे पहला काम, किसान के साथ आंख में आंख मिलाकरके, जमीन पर उसके साथ बैठकरके, ये धरती मां की मिट्टी हाथ में लेकरके विश्वास से बोलो। ये मोदीजी की सरकार है और आने वाले येदुरप्पाजी की सरकार है। हम 2022 में किसान की आय दोगुणा करके रहेंगे। और फिर उनको रास्ते बताइए।

किसान की आय बढ़ाने के लिए चार अलग-अलग स्तरों पर फोकस कर रही है। ये बराबर उनको समझाइए।
पहला – ऐसे कौन से कदम उठाए जाएं जिनसे खेती पर होने वाले खर्च कम किया जाए। लागत कम किए जाएं।
दूसरा – ऐसे कौन से कदम उठाए जाएं कि जिससे उनकी पैदावार की उचित कीमत मिले।
तीसरा - खेत से लेकर बाजार तक पहुंचने के बीच फसलों, सब्जियों, फलों ये जो बर्बाद हो जाती है। एक अनुमान है कि 30 प्रतिशत बर्बाद हो जाती है। उसे कैसे रोका जाए।
चौथा - ऐसा क्या कुछ हो जिससे किसानों को अतिरिक्त आय हो। अपनी फसल का वैल्यू एडीशन हो। अपने ही खेत में किसानी से जुड़ी हुई कुछ और चीजें हों। फार्मिंग से लेकर पैकेजिंग तक, कृषि को टेक्नोलॉजी से जोड़ने से लेकर उत्पादों के ट्रांसपोर्टेशन तक, ग्रामीण हाटों को अपग्रेड कर ई-नाम प्लेटफार्म से जोड़ने तक, फसलों के तैयार होने से लेकर बाजार में उसकी बिक्री तक, एक पूरी व्यवस्था, एक नया कल्चर की दिशा में हम होलिस्टिक एप्रोच लेकरके आगे बढ़ रहे हैं।

अब एमएसपी की बात करें। इस साल के बजट में, और मैं चाहूंगा कि आप इसको बारीकी से सुनिए। किसानों को उनके फसलों को उचित कीमत दिलाने के लिए एक बड़ा निर्णय लिया गया। हमने तय किया कि अधिसूचित फसलों के लिए एमएसपी उनकी लागत का कम से कम डेढ़ गुणा घोषित किया जाए। अब सबसे बड़ी बात कि एमएसपी के लिए जो लागत जोड़ी जाएगी उसमें दूसरे श्रमिक जो मेहनत और परिश्रम करते हैं, उनका मेहनताना जोड़ा जाएगा। अपने मवेशी, मशीन या किराये पर लिए मवेशी या मशीन का खर्च भी उसमें जोड़ा जाएगा, बीज का जो खर्च होगा वो भी जोड़ा जाएगा। उपयोग की गई हर प्रकार की खाद का मूल्य भी जोड़ा जाएगा। सिंचाई का खर्च, राज्य सरकार को दिया गया लैंड रेवन्यू, वर्किंग कैपिटल के ऊपर दिया गया ब्याज, अगर जमीन लीज पर ली है तो उसका किराया, और इतना ही नहीं किसान जो खुद मेहनत करता है या अगर उसके परिवार में से कोई कृषि के काम में मेहनत कर रहा है। उस योगदान को, उस खर्च को भी, उत्पादन के मूल्य के साथ जोड़करके उसके आधार पर उस लागत के आधार पर किसानों को उपज की उचित कीमत मिले। इसके लिए देश में एग्रीकल्चर को आगे बढ़ाने की दिशा में काम हो रहा है। एग्रीकल्चर रिफॉर्म पर भी बहुत व्यापक स्तर पर काम हो रहा है।
गांव की स्थानीय मंडियां, होलसेल मार्केट और फिर ग्लोबल मार्केट से जुड़ें। इसका प्रयास हो रहा है। किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए बहुत दूर नहीं जाना पड़े, इसके लिए देश के 22 हजार ग्रामीण हाटों को जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ अपग्रेड करते हुए एपीएमसी और ई-नाम प्लेटफार्म के साथ इंटीग्रेट किया जाएगा। यानी एक तरह से खेत से देश के किसी भी मार्केट के साथ कनेक्ट ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है। किसान इन ग्रामीण हाटों पर ही अपनी उपज सीधे उपभोक्ताओं को बेच सकेगा। आने वाले दिनों में ये केंद्र किसानों की आय बढ़ाने, रोजगार और कृषि आधारित ग्रामीण व्यवस्था के नए केंद्र बनेंगे।

इस स्थिति को और मजबूत करने के लिए सरकार फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन ...। और मैं चाहूंगा कि किसान मोर्चा के कार्यकर्ता इस पर ध्यान दें। फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन - एफपीओ इसके गांव-गाव में संगठन खड़े करने चाहिए। सरकार इसको बढ़ावा दे रही है।

किसान अपने क्षेत्र में अपने स्तर पर छोटी-छोटी मंडलियां बनाएं, संगठन बनाएं और ग्रामीण हाटों पर बड़ी मंडियों से जुड़ सकते हैं। आप कल्पना करिए कि जब गांव के किसानों को बड़ा समूह इकट्ठा होकरके जरूरत के हिसाब से खाद खरीदेगा तो ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा कम होगा कि नहीं होगा। तो पैसे की कितनी बचत होगी। इसी तरह आप दवा का दाम कम कर सकते हैं। आप समूह में चीजें खरीदते हैं तो और डिस्काउंट मिलता है। और मैं समझता हूं कि सामूहिकता भाव ...। और इसके अलावा। जब वही समूह गांव में अपनी पैदावार इकट्ठा करके, पैकेजिंग करके बाजार में बेचने निकलेगा तो भी उसके हाथ में ज्यादा पैसे आएंगे। खेत से लेकर उपभोक्ता तक पहुंचने के बीच में जो कीमत बढ़ती है उसका लाभ अब सीधा-सीधा किसान उठा पाएगा।

इस बजट मे सरकार ने ये भी ऐलान किया कि फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन। ये सुन लिया बराबर। एफपीओ को कॉपरेटिव सोसाइटी की तरह ही इनकम टैक्स में छूट दी जाएगी। महिला सहायता समूहों को इन फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन की मदद के साथ आर्गेनिक, एरोमैटिक, हर्बल खेती इनके साथ जोड़ने की योजना भी किसानों की आय बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण मददकार साबित होगी। सप्लाई चेन मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत वेल्यू एडीशन के लिए भी बहुत काम हो सकता है। हमारे पैदावार को रखने के लिए गोदाम बनाने का बहुत बड़ा काम हो सकता है।

फल और सब्जी उगाने वाले किसान के लिए ऑपरेशन ग्रीन की शुरुआत की गई है। हमने एग्रीकल्चर वेस्ट से वेल्थ बनाना ...। हम उसको पहले जला देते थे, बर्बाद कर देते थे। वो तो मूल्यवान संपदा है। वेस्ट से वेल्थ कैसे बने।

और इस बजट में सरकार ने एक गोबरधन योजना ऐलान किया है। गोबरधन यानि गैलवनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्स धन योजना। इस ग्रामीण योजना से ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता को तो बढ़ावा मिलेगा ही। साथ ही गांवों में निकलने वाले बायो गैस से किसानों एवं पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
आज समय की मांग है कि हम ग्रीन रिवोल्यूशन और व्हाइट रिवोल्यूशन के साथ-साथ वॉटर रिवोल्यूशन, ब्लू रिवोल्यूशन, स्वीट रिवोल्यूशन और ऑर्गेनिक रिवोल्यूशन को आगे बढ़ाने के लिए जी जान से जुट जाएं। ये वो क्षेत्र हैं जो किसानों के लिए अतिरिक्त आय और आय के मुख्य श्रोत दोनों ही हो सकते हैं। ऑर्गेनिक खेती, मधुमक्खी का पालन, समुद्री तट पर सी-बीड की खेती, सौलर फार्म ऐसे तमाम आधुनिक विकल्प भी हमारे किसानों के सामने है।

इसी तरह अतिरिक्त आय का और माध्यम है सोलर फार्मिंग। जिससे कर्नाटक के किसानों को बड़ा फायदा हो सकता है। ये खेती की वो तकनीक है जो न सिर्फ सिंचाई की जरूरतों को पूरा कर रही है बल्कि पर्यावरण की भी मदद कर रही है। खेत के किनारे पर सौलर पैनल से किसान पानी की पंपिंग के लिए जरूरी बिजली तो खुद पैदा कर सकता है और अतिरिक्त बिजली सरकार को बेच सकता है। इससे उसे पेट्रोल डीजल से मुक्ति मिल जाएगी, खर्चा कम हो जाएगा। एक प्रकार से जीरो कोस्ट वाली बिजली हो जाएगी उसकी। इससे पर्यावरण की भी सेवा होगी। तो पेट्रोल डीजल की खरीद में लगने वाला सरकारी धन की भी बचत हो जाएगी। बीते तीन वर्षों में सरकार ने तीन लाख सोलर पंप किसानों तक पहुंचाया है। और इसके लिए लगभग 2500 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है।

फसल के जिस अवशेष को किसान सबसे बड़ी आफत मानते हैं। उससे पैसे भी बनाए जा सकते हैं। कर्नाटक में निकलने वाले बहुतायत में कोयर वेस्ट, कोकोनट सेल्स, या बंबू वेस्ट हो, फसल कटने के बाद खेत में बचा रिसूट्स हो, इन सभी को किसानों की आय से जोड़ने का काम किया जा रहा है। जबकि सभी को पता था कि बांस का कंस्ट्रक्शन सेक्टर में क्या वेल्यू है। फर्नीचर बनाने में, हेंडीक्राफ्ट बनाने में, अगरबत्ती और पतंग बनाने में भी बांस का अनिवार्य है। कर्नाटक में तो चंदन की अगरबत्ती के लिए बांस विदेशों से मंगवाना पड़ता है। बांस को किसानों की होने वाली आय को देखते हुए सरकार ने बांस के पुराने कानून को बदल दिया है। इस फैसले से कर्नाटक के छोटे उद्योगों को भी फायदा होगा। किसान खुद अपने खेत के किनारे पर बंबू की खेती करके बंबू बेच सकता है।

साथियों।
हमारे देश में लकड़ी का जितना उत्पादन होता है, वह देश की आवश्यकता से बहुत कम है। सप्लाई और डिमांड के बीच इतना गैप है कि हर साल करोड़ों-करोड़ डॉलर खर्च करके हम लकड़ी बाहर से लाते हैं। देश की प्राकृतिक संपदा की रक्षा और पेड़ों के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए सरकार अब मल्टीपरपस ट्री स्पेशिस के ट्रांस्प्लांटेशन पर जोर दे रही है। आप सोचिए। किसान को अपने खेत में ऐसे पेड़ लगाने की स्वतंत्रता हो जिसे वो पांच, दस, 15 साल में अपनी आवश्यकता के अनुसार काट सके। उसका ट्रांसपोर्ट कर सके। तो उसकी आय में कितनी बढ़ोतरी होगी। मैं तो हमेशा कहता आया हूं कि किसान अपने घर में बेटी पैदा हो और बेटी पैदा होते ही अगर ऐसा एक पेड़ लगा दे तो बेटी की शादी की जब उम्र होगी और उस समय जब पेड़ काटेगा तो बेटी की शादी का पूरा खर्चा उस पेड़ से निकल आएगा। हर मेड़ पर पेड़ का कान्सेप्ट किसानों की बहुत बड़ी जरूरतों को पूरा करेगा। इससे पर्यावरण को भी लाभ होगा। इस बदलाव में ज्यादा से ज्यादा से राज्य को जोड़ने में भारत सरकार कोशिश कर रही है। और येदुरप्पा जी की सरकार बनेगी तो कर्नाटक सबसे पहले इस योजना से जुड़ जाएगी। ये मुझे विश्वास है।

मूल्य समर्थन योजना में किसानों की मदद के लिए समर्थन मूल्य पर खरीदी की जाती है। मुख्य रूप से खरीदी नाफेड के लिए 1500 करोड़ की सरकारी खरीद की गारंटी की व्यवस्था थी। हम किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदी की पुख्ता व्यवस्था कर रहे हैं। और इसलिए इस साल हमने नाफेड की गवर्मेंट गारंटी को बढ़ाकर, कहां 1500 करोड़, अब हमने उसको कर दिया है 30,000 करोड़ रुपये। सोचिए मेरे किसान भाइयो बहनो। पहले 1500 करोड़ रुपए में किसानों के लिए योजना, योजना के गीत गाए जाते थे। आज हमने उसको 30 हजार करोड़ पहुंचाया है। क्योंकि हम जानते हैं किसान के दर्द को दूर करने के लिए किसान को हिम्मत बढ़ानी पड़ेगी। और हम उसको आवश्यकता पड़ने पर और भी बढ़ाने के लिए तैयार हूं।

अब मैं कर्नाटक की बात करूं। पिछले खरीफ और चालू रबी को लेकर अकेले कर्नाटक में चना, उड़द, मूंग आदि की समर्थन मूल्य पर 6000 करोड़ की अधिक की खरीदी की जा चुकी है। ये भारत सरकार ने इसके लिए पहल की है। तो आप समझ सकते हैं। मेरे किसान मोर्चा के भाइयो बहनो। एक-एक सवाल पर मेरे पास इतनी जानकारियां है, इतने निर्णय है, इतने इनिशिएटिव है, धरती पर इतना परिवर्तन आया है। इससे मेरा विश्वास बढ़ गया है। हम किसानों को हमेशा-हमेशा के लिए समस्याओँ की मुक्ति के रास्ते पर चल पड़े हैं। और किसान का विश्वास पैदा हो जाए। हम किसान मोर्चा के कार्यकर्ता एक ब्रिज के रूप में इस काम को कर दें। आप देखिए। चुनाव तो आएंगे, जाएंगे। मेरा किसान शक्तिवान बने, सामर्थ्यवान बने। मेरा गांव शक्तिवान बने, सामर्थ्यवान बने। हमारे किसान का कल्याण हो। हमारी पूरी अर्थव्यवस्था में किसी जमाने में जो कृषि की ताकत थी, वो ताकत फिर से लौटकर आए। उस पर हम बल दे रहे हैं।

मुझे खुशी है कि कर्नाटक में रूबरू होने का मौका मिला। कल तो मैंने अद्भूत दृश्य देखा, अद्भूत नजारा देगा। लेकिन आज फिर से मुझे किसान मोर्चा से कृषि के संबंध में ही टेक्नोलॉजी के जरिए नरेन्द्र मोदी एप डाउनलोड करके बड़ी आसानी से अब आप आसानी से जुड़ जाते हैं। आने वाले दिनों में महिला मोर्चा, एसटी-एससी मोर्चा, युवा मोर्चा उनसे भी मैं समय निकालकर जरूर बात करूंगा। कल फिर मैं कर्नाटक के दौरे पर आ रहा हूं। मुझे बहुत अच्छा लगा आपसे बात करके। बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं सभी जिस किसानों को योगी कहा गया है। ऐसे सभी किसानों को प्रणाम करता हूं, नमस्कार करता हूं।

Explore More
୭୬ତମ ସ୍ୱାଧୀନତା ଦିବସ ଉପଲକ୍ଷେ ଲାଲକିଲ୍ଲାର ପ୍ରାଚୀରରୁ ରାଷ୍ଟ୍ର ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀଙ୍କ ଅଭିଭାଷଣ

ଲୋକପ୍ରିୟ ଅଭିଭାଷଣ

୭୬ତମ ସ୍ୱାଧୀନତା ଦିବସ ଉପଲକ୍ଷେ ଲାଲକିଲ୍ଲାର ପ୍ରାଚୀରରୁ ରାଷ୍ଟ୍ର ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀଙ୍କ ଅଭିଭାଷଣ
PM-KISAN helps meet farmers’ non-agri expenses too: Study

Media Coverage

PM-KISAN helps meet farmers’ non-agri expenses too: Study
...

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
PM to visit Varanasi on 24th April
March 22, 2023
ସେୟାର
 
Comments
PM will address One World TB Summit
PM to launch TB-Mukt Panchayat initiative; official pan-India rollout of a shorter TB Preventive Treatment and Family-centric care model for TB
PM to dedicate and lay foundation stone of various projects worth more than Rs. 1780 crores
These projects will further transform the landscape of Varanasi and enhance ease of living for the people of the city
PM to lay foundation stone of the Passenger Ropeway from Varanasi Cantt station to Godowlia - project will facilitate movement for tourists, pilgrims and residents

Prime Minister Shri Narendra Modi will visit Varanasi on 24th April. At around 10:30 AM, Prime Minister will address the One World TB Summit at Rudrakash Convention Centre. At around 12 noon, Prime Minister will dedicate and lay the foundation stone of various projects worth more than Rs. 1780 crores at Sampurnanand Sanskrit University ground.

One World TB Summit

On the occasion of World Tuberculosis Day, Prime Minister will address the One World TB Summit. This summit is being organised by the Ministry of Health and Family Welfare (MoHFW) and Stop TB Partnership. Founded in 2001, the Stop TB Partnership is a United Nations hosted organisation that amplifies the voices of the people, communities, and countries affected by TB.

During the event, Prime Minister will launch various initiatives including the TB-Mukt Panchayat initiative; official pan-India rollout of a shorter TB Preventive Treatment (TPT); Family-centric care model for TB and release of India’s Annual TB Report 2023. Prime Minister will also award select States/UTs and Districts for their progress towards ending TB.

In March 2018, during the End TB summit held in New Delhi, Prime Minister had called on India to achieve TB-related SDG targets by 2025, five years ahead of stipulated time. One World TB Summit will provide an opportunity to further deliberate upon the targets as the country moves forward to meet its TB elimination objectives. It will also be an opportunity to showcase learnings from National TB Elimination Programmes. International delegates from over 30 countries are scheduled to be present at the summit.

Development initiatives in Varanasi

In the last nine years, Prime Minister has put a special focus on transforming the landscape of Varanasi and enhancing ease of living for the people living in the city and adjoining areas. Taking another step in this direction, Prime Minister will dedicate and lay the foundation stone of projects worth over Rs 1780 crore, during the programme at Sampurnanand Sanskrit University ground.

Prime Minister will lay the foundation stone of the Passenger Ropeway from Varanasi Cantt station to Godowlia. The cost of the project is estimated to be around Rs. 645 crores. The ropeway system will be 3.75 km in length with five stations. This will facilitate ease of movement for the tourists, pilgrims and residents of Varanasi.

Prime Minister will lay the foundation stone of 55 MLD sewage treatment plant at Bhagwanpur under Namami Ganga Scheme, to be built at cost of more than Rs. 300 crores. Under the Khelo India Scheme, the foundation stone of Phase 2 and 3 of redevelopment work of Sigra Stadium will be laid by the Prime Minister.

Prime Minister will also lay the foundation stone of LPG bottling plant at Isarwar village, Sewapuri to be built by Hindustan Petroleum Corporation Ltd. Prime Minister will also lay the foundation stone of various other projects including primary health centre in Bharthara village; floating jetty with changing rooms, among others.

Under the Jal Jeevan Mission, Prime Minister will dedicate 19 drinking water schemes, which will benefit more than 3 lakh people of 63 Gram Panchayats. To further strengthen the rural drinking water system, the PM will also lay the foundation stone of 59 drinking water schemes under the Mission.

For farmers, exporters and traders in and around Varanasi, the grading, sorting, processing of fruits and vegetables will be possible at an integrated pack house which has been constructed at Karkhiyaon. Prime Minister will dedicate this project to the nation during the event. It will help in boosting agricultural exports of Varanasi and surrounding region.

Prime Minister will dedicate various projects under the Varanasi Smart City Mission including redevelopment work of Rajghat and Mahmoorganj government schools; beautification of internal city roads; redevelopment of 6 parks and ponds of the city among others.

Prime Minister will also dedicate various other infrastructure projects including ATC tower at Lal Bahadur Shastri International Airport; 2 MW solar power plant at water works premises, Bhelupur; 800 KW solar power plant at Konia Pumping Station; new Community Health Center at Sarnath; infrastructure improvement of Industrial estate at Chandpur; rejuvenation of temples of Kedareshwar, Vishweshwar and Omkareshwar Khand Parikrama among others.