Be it Congress or SP or BSP, all have failed to meet the aspirations of people in Uttar Pradesh: PM
By allying with the Congress, the SP and the CM have insulted Dr. Lohia, who resisted the Congress: PM
The UP Chief Minister says Kaam Bolta Hai but projects are incomplete: PM
Due to anti-farmer nature of SP, insurance cover in UP stands at a low: PM
Centre committed to eradicate corruption, we've initiated several strong measures: PM

भारत माता की जय।  भारत माता की जय। मंच पर विराजमान भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्रीमान महेंद्र सिंह जी। जिलाध्यक्ष श्री शरद वाजपेयी जी। इस रैली के प्रभारी श्री पुरुषोत्तम जी खंडेलवाल। संसद में मेरे साथी भाई अजय मिश्रा जी। जिला के प्रभारी श्री वीरेंद्र प्रताप सिंह। संसद में हमारी साथी श्रीमती रेखा अरुण वर्मा जी। क्षेत्रीय उपाध्यक्ष श्रीमान गोविंद पांडेय जी। सिताबपुर के जिलाध्यक्ष श्री अजय कुमार गुप्ता जी। और इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के होनहार उम्मीदवार-धौरहारा से श्रीबाला प्रसाद  अवस्थी जी। इधर आइये बाला जी। पुलिया से श्रीमान रोमी साहनी जी। निधासन से श्रीमान रामकुमार वर्मा जी। कसता से सौरभ सिंह सोनू जी। मोहमदी से श्रीमान लोकेंद्र प्रताप सिंह। हरगांव से श्रीमान सुरेश शाही जी। श्रीनगर से श्रीमती मंजू त्यागी जी। लखीमपुर से श्रीमान योगेश वर्मा जी। आप सब दोनों मुट्ठी बंद करके बोलिए। भारत माता की जय। भारत माता की जय।

विशाल संख्या में पधारे हुए लखीमपुर के मेरे प्यारे भाईयों और बहनों।

ये 2017 का चुनाव 2022 में भारत की आजादी के पचहत्तर वर्ष आ रहा है। ये जो सरकार चुनी जाएगी वो 2022... भारत की आजादी के 75 साल, आजादी के बाद 75 साल पहुंचते हुए हमारा देश कहां पहुंचना चाहिए। किन किन समस्याओं से देश को मुक्ति मिलनी चाहिए। ये सारा समय ऐसा महत्वपूर्ण संकल्प का काम करके दिखाने का बदलाव लाने का है।  विकास को नई ऊंचाईयों पर ले जाने का ये समय हमारे सामने है। उत्तर प्रदेश ने भूतकाल में अनेक दशकों तक कांग्रेस का शासन देखा है। कई बार सपा की सरकारें देखीं है। कई बार बीएसपी की सरकार देखी है।

भाइयों बहनों मैं आपको पूछना चाहता हूं।

क्या इन लोगों ने आपके जीवन में कोई बदलाव लाया है ...? आपका भला किया है ...?  उत्तर प्रदेश का भला किया है ...? किसानों का भला किया है ...? माताओं बहनों को सुरक्षा दी है ...? हर परीक्षा में, हर कसौटी में ये जो फेल हुए हैं ।  क्या  ऐसे लोगों को दुबारा परीक्षा  देने का भी हक है क्या?

भाइयों बहनों।

2014 के लोकसभा के चुनाव में उत्तर प्रदेश की जनता ने सारा हिसाब चुकता करके दिखा दिया था। अपने आप को दिग्गज मानने वाली पार्टियों को उत्तर प्रदेश  से साफ कर  दिया था। सिर्फ दो कुनबे के कुछ लोग जीतकर के आए थे। दो कुनबे के। सामान्य कार्यकर्ताओं को जिता नहीं पाए थे। उन्होंने  पूरी ताकत कुनबे को बचाने के लिए लगाई थी। एक कांग्रेस के दो लोग जीतकर के आए थे। सपा के कुनबे के कुछ लोग जीत करके आए थे। बाकी सारी की सारी सीटें ये उत्तर प्रदेश के लोगों ने 2014 में भारतीय जनता पार्टी को जिता दिया था। श्रीमान अखिलेश जी खतरे की घंटी तो उसी दिन बज गई थी। जब 2014 में उत्तर प्रदेश की जनता ने आपका सफाया कर दिया था। अच्छा होता … 2014 के चुनाव के बाद आपको ढाई साल मिले आप जनता के लिए कुछ अच्छा कर पाते। अपनी छवि ठीक कर पाते। गुंडागर्दी को रोक पाते। किसानों के कल्याण के लिए कुछ चीजें धरती पर उतार  कर लाते। लेकिन 2014 में उत्तर प्रदेश की  जनता  ने बसपा  को साफ कर दिया। कांग्रेस को कड़ी से कड़ी सजा दी । समाजवादी पार्टी के सारे सपने चूर-चूर कर दिए। उसके बाद भी आप सुधरने के लिए तैयार नहीं है। उत्तर प्रदेश के लिए कुछ करने के लिए तैयार नहीं हैं। और इसलिए  भाइयों बहनों जब उनको डर लगा कि 2014 में परिवार भी एक था,  कोई झगड़े वगड़े नहीं थे। अखिलेश की तब तक छवि भी ठीक थी…. उस समय तक तो । लोगों को लग रहा था कि नौजवान है, कुछ करेगा. लेकिन जब 2014 में आपके सूपड़े साफ हो गए तो आप लोगों का भला करने की बजाय, जोड़ तोड़  की राजनीति में लग गए गठबंधन के कारोबार में लग गए। और ऊपर से परिवार भी बिखर गया। और इसलिए आप, आप कांग्रेस की शरण में जाकर बैठ गए। जो राम मनोहर लोहिया जिंदगी भर कांग्रेस के खिलाफ लड़ते रहे । जो राम मनोहर लोहिया के चेले चपाटे सारे जीवन भर चना मूरमूरा खाकरके कांग्रेस के खिलाफ लड़ते रहे... आपने राम मनोहर लोहिया जी को अपमानित किया। जय प्रकाश नारायण जी को अपमानित किया। सिर्फ कुर्सी के मोह में आप कांग्रेस की गोद में जाकर बैठ गए। मैं आज प्रथम चरण का जो मतदान हुआ है पश्चिमी उत्तर प्रदेश में... मैं सबसे पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा बसपा  कांग्रेस को करारा उत्तर देने वाला मतदान हुआ है। विक्रम मतदान हुआ है। और इसलिए मैं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का हृदय से अभिनंदन करता हूं।

भाइयों बहनों।

पहले चरण का रुख ये साफ-साफ बता गया कितने ही गठबंधन कर लो, आपके पाप धुलने वाले नहीं है। आप बचने वाले नहीं हैं। जब उनको लगा कि प्रथम चरण में ही उनका पत्ता साफ हो रहा है तो…  चुनाव का मतदान चल रहा था, हड़बड़ी में उनको तीसरा घोषणा पत्र निकालना पड़ा। इसी चुनाव में हर हफ्ते नए घोषणा पत्र निकालने पड़ते हैं क्या? जब पराजय सामने दिख गया तो दोनों पत्रकारों के सामने बैठकरके गिड़गिड़ाने लगे। कहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चुनाव की खबरें न आ जाएं। और इसलिये नए-नए मुद्दे डाल करके अपनी इज्जत बचाने के लिए फिर से कोशिश की। अरे कितने ही घोषणा पत्र निकाल दो कितने ही मुद्दे निकाल दो। आपातकाल याद है। श्रीमती इंदिरा  गांधी जी ने 20 मुद्दे निकाले थे, 20 मुद्दे, और पूरे उत्तर प्रदेश में एक भी सीट जीत नहीं पाए थे।  आप दस मुद्दे लेकरके आए हो... उत्तर प्रदेश में बचने की कोई संभावना नहीं है। ये उनको इसलिए करना पड़ता है कि कहीं पर उनको आशा नजर नहीं आ रही है।

आप मुझे बताइये भाइयों बहनों।

ये उत्तर प्रदेश का चुनाव है यहां पर समाजवादी पार्टी अखिलेश जी की पांच साल से सरकार है। इस चुनाव में उन्होंने अपने काम का हिसाब देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए? देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए? दे रहे हैं क्या? कोई काम का हिसाब दे रहे हैं क्या? आप मुझे बताइए भाइयों आज मैं यहीं से लखनऊ जाने को तैयार हूं। मैं अखिलेश जी को कहता हूं आप भी लखनऊ आइये…  हम दोनों लखनऊ के मेट्रो स्टेशन पर जाएं और टिकट खरीदें और दोनों जाकर के मेट्रो में जरा सफर करके आएं। आपने उद्घाटन किया था न। गाजे बाजे के साथ उद्घाटन किया था न। भारत सरकार ने पैसे दिए थे, लेकिन भारत सरकार के किसी मंत्री को बुलाया तक नहीं था... अरे लखनऊ के सांसद तक को अपमानित किया था... क्यों, क्योंकि चुनाव में आपको काम दिखाना था इसलिए आपने फीता काट दिया। लेकिन न रेल का स्टेशन बना है, न कहीं ट्रेन चलती है... आप मुझे बताइये भाइयों बहनों। अगर इसी तरह से अगर … इसी प्रकार से लोगों को मूर्ख बनाने का काम चलता रहेगा। तो भाइयों बहनों मुझे बता दीजिए कि कैसे कैसे लोगों का भला होगा। आप जरा मुझे बताइये... आपने बड़े मेदांता अस्पताल का उद्घाटन किया, हड़बड़ी में किया। क्योंकि काम बोले। आइए अखिलेश जी अपन चले जाएं मेदांता अस्पताल में आपका बीपी चेक करे... मेरा बीपी चेक करे... मैं मान लूंगा अस्पताल चालू हुआ है। न कोई डॉक्टर है, न कोई पेसेंट है, न कोई व्यवस्था है, फीता काट दिया। ये आपका काम बोल रहा है क्या। ये काम बोल रहा है क्या। अरे अखिलेश जी आपका तो काम ये बोल रहा है कि उत्तर प्रदेश की माताएं बहनें गले में चेन डालने से डरती हैं। कहीं घर के बाहर जाएं कोई चेन छीनकरके ले न जाए। ये आपका काम नहीं आपकी पार्टी के दबंग लोगों के कारनामे बोलते हैं, आपकी पार्टी में गुंडागंर्दी करने वालों के पाप बोलते हैं। छत पर चढ़करके बोल रहे हैं।

भाइयों बहनों।

जिस उत्तर प्रदेश में हर दिन... कोई कहता है 12, कोई कहता 15, कोई कहता है 20, हर दिन इतनी बलात्कार की घटनाएं होतीं हों भाइयों बहनों हर  दिन 12, 15, 17 हत्याएं होती हों, हर हत्या के पीछे कहीं न कहीं राजनीति की बू आती हो, भाइयों बहनों पूरा उत्तर प्रदेश जानता है  जो जेलों में बंद है वो बाहर अपनी गैंग चलाते हैं और जेल से इशारे करते हैं और लोगों को मार दिए जाते हैं। भाइयों बहनों आप मुझे बताइये जेलों से गैंग चलती हो, हर दिन इतने बलात्कार होते हों, निर्दोषों की हत्याएं होती हों, अपहरण होते हों, दंगे होते हों इसे आप अखिलेश जी का काम कहेंगे या समाजवादियों के कारनामे कहेंगे। ये काम है कि कारनामा। ये काम है कि कारनामा। ये काम है कि कारनामा।

भाइयों बहनों>

हिंदुस्तान का सबसे बड़ा प्रदेश क्या ऐसे  गुंडा लोगों के हाथ में निर्दोष लोगों को उनके हवाले कर दिया जाएगा। भाइयों बहनों मैं आपको विश्वास दिलाता हूं एक बार... एक बार हमें सेवा करने का मौका दीजिए। छह महीने  के भीतर भीतर... छह महीने  के भीतर भीतर... ये कट्टे और कट्टे वाले हो... ये चाकू या छुरी वाले  हो... ये बलात्कारी हो... ये बड़े -बड़े लोगों की गैंग हो, छह महीने के भीतर उनको  जेल के सलाखों में न डाल दूं… तो आप मुझे कहना मेरे भाइयों। मैं उत्तर प्रदेश की माताओं को कहना चाहता हूं आज दिल्ली में आपका एक ऐसा भाई बैठा है जो आपकी रक्षा करने के लिए उत्तर प्रदेश का सेवा करना चाहता है। आप हमें मौका दीजिए। क्या कारण है, क्या कारण है, मेरी माताएं बहनें ये जुल्म सहें।  आज उत्तर प्रदेश का कोई इलाका ऐसा नहीं है जहां दिन दहाड़े भी कोई मां बेटी अकेली घर के बाहर निकल पाती हो। कृष्ण और राम की ये धरती क्या बनाकरके रख दिया भाइयों। यहां के लोग अच्छे हैं, मेहनत करते हैं। उत्तर प्रदेश के लोग जहां-जहां गए उस इलाके  की भलाई के लिए मेहनत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, ऐसे मेहनती लोग हैं, लेकिन उसी उत्तर प्रदेश को यहां की सपा सरकार कांग्रेस सरकार बीएसपी... इनकी राजनीति ने गुंडागर्दी के संरक्षण ने उन्हें तबाह कर के रखा हुआ है।

इसलिए भाइयों और बहनों।

ये हमारा लखीमपुर जिला पूरे  उत्तर प्रदेशका सबसे बड़ा जिला... चीनी का कटोरा कहा जाने वाला ये मेरा लखीमपुर... हमारे किसानों का पसीना मीठा हो  जाता है, स्वीट हो जाता है, स्वीट हो जाता है। ऐसे गन्ने की ताकत है यहां। लेकिन, भाइयों बहनों, गन्ना किसानों का बकाया चुकता करने में अखिलेशजी आपको कौन रोकता है। हर किसान बोलता है गन्ने की खेती करने वाला हर किसान बोलता  है कि आपने उसके हक को छीना है।  क्या यही आपका काम बोलता है। भाइयों बहनों मैं उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी को बहुत हृदय से बधाई देना चाहता हूं। इस चुनाव में उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में आपको वादा किया है कि भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश में सरकार बनने के बाद 14 दिन में, दो सप्ताह  में गन्ना किसानों का बकाया चुकता कर दिया जाएगा। भाइयों बहनों मैं उत्तर प्रदेश बीजेपी को इसलिए भी बधाई देता हूं कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के किसानों को वादा किया है। भाजपा की सरकार बनने के बाद यहां के छोटे किसान हैं उनका कर्ज  माफ कर दिया जाएगा।

भाइयों बहनों।

आप उत्तर प्रदेश वालों ने मुझे सांसद भी बनाया प्रधानमंत्री भी बनाया... देश को स्थिर सरकार भी दी। तीस साल के बाद देश को स्थिर सरकार देने का अगर यश किसी को जाता है तो मेरे उत्तर प्रदेश के भाइयों बहनों को जाता है। तो आपने मुझे उत्तर प्रदेश का सांसद भी बनाया है। तो उत्तर प्रदेश के सांसद के नाते लखीमपुर के मेरे किसान भाइयों को मैं वादा करता हूं कि भारतीय जनता पार्टी  की सरकार बनने के बाद पहली ही मीटिंग में पहला ही काम किसानों की कर्ज माफी कर दिया जाएगा। और मैं खुद, मैं खुद इस काम को करवा के रहूंगा ये मेरी जिम्मेवारी मान लीजिए। मैं उत्तर  प्रदेश से करवा के रहूंगा।

भाइयों बहनों।

आप  मुझे बताइये मायावती जी के शासन में चीनी मिल की नीलामी, ये बड़ा तूफान खड़ा हुआ था कि नहीं हुआ था। भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे कि नहीं लगे थे। और, श्रीमान अखिलेश जी आपने इस घोटाले की जांच करवाने का जनता को वादा किया था कि नहीं किया था। जांच करवाने का वादा किया था कि नहीं किया था। पांच साल हो गए कि नहीं गए। आप मुझे बताइये घोटाले की जांच हुई क्या। जांच हुई क्या। क्या ये काम बोलता है क्या। ये काम बोलता है क्या। मायावती का ये घोटाला दबाने  के बदले में क्या मिला । जरा अखिलेश जी ये उत्तर प्रदेश की जनता जानना चाहती है। बताओ क्यों दबा दिया भाइयों बहनों कोई मुझे बताइये, अपने खेत की जो बाड़ होती है। बाड़ बोलते हैं कि यहां पर। खेत की जो मेड़ होती है मेड़। कोई खेत की मेड़ का इंश्योरेस निकालता है क्या, कोई निकालता है क्या। आप बताइये जो मेड के बाद  सबसे कम नुकसान होने वाली कोई फसल है... कम से कम नुकसान हो सकता है, जिसका कम से कम जोखिम है वो अगर फसल है तो गन्ना है। जिसका कम से कम जोखिम  होता है। लेकिन ये उत्तर  प्रदेश की सरकार गन्ना किसानों को सजा करने के इरादे से… उतने गन्ना किसानों को गन्ने को मजबूरन प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में  घुसेड़ दिया और  उसके कारण गन्ना किसानों पर हजारों करोड़ों का बोझ आ गया। हमने सितंबर में उनको चिट्ठी लिखी। हमारे मंत्री जी ने कि भाई गन्ना  किसानों पर ये बोझ मत डालो, ये प्रधानमंत्री बीमा योजना उन फसलों के लिए होती है जिस पर जोखिम ज्यादा होता है। ओले गिर जाए तो किसान खत्म हो जाता है ज्यादा बारिश होता है तो खत्म होता है। आपने ये गन्ने को अंदर डालकर के और किसानों को भी  बर्बाद किया और गन्ने किसानों पर ज्यादा बोझ डाल दिया। भाइयों और बहनों हमने एक ऐसी । कभी कभी हमारे अखिलेश जी कह रहे हैं मोदी जी जरा काम तो बताओ। ये सत्ता के नशे में ऐसे डूबे हुए हैं कि उनको  काम नजर नहीं आता है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की। आजाद हिंदुस्तान में ऐसी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए कभी नहीं आई। मैं बताता हूं कैसे । किसान को ऐसी सुरक्षा की व्यवस्था आज तक हिंदुस्तान में नहीं हुई थी। मान लीजिए आप जून महीने में बुआई करना चाहते हैं। लेकिन बारिश नहीं आई। सब खर्चा कर दिया, सब व्यवस्था कर दी। बस बारिश आ जाए। बुआई के लिए तैयार बैठे हैं हम, जुलाई में बारिश नहीं आई। अगस्त में बारिश नहीं आई। बुआई हो नहीं पाई। अब मुझे बताइये किसान क्या करे। बुआई नहीं हुई तो क्या करेगा। पहली बार हम एक ऐसा बीमा योजना लाए हैं कि अगर किसान बुआई नहीं कर पाया तो भी उसको बीमा का पैसा मिलेगा। उसके साल को बचा लिया जाएगा। भाइयों बहनों इस लखीमपुर इलाके के लिए, खास यहां के किसानों को सबसे बड़ी समस्या है जल भराव की। जल भराव की समस्या है कि नहीं है। आज तक हिंदुस्तान में जल भराव के कारण अगर किसान का नुकसान हुआ तो उसको कोई मदद नहीं मिलती थी। हमारी सरकार ने कह दिया कि जलभराव के कारण भी अगर किसान का नुकसान हुआ है तो उसको भी बीमा का पैसा दिया जाएगा। किसान की रक्षा की जाएगी। भाइयों बहनों क्या कभी सोचा है आपने, अच्छी बारिश हो गई । किसान ने अच्छी मेहनत की। यहां की तो जमीन भी बड़ी उपजाऊ है। शत प्रतिशत सोलह आने पाक पैदा हो गया। पर खेत में फसल का ढेर करके रखा हुआ है। अभी एक दो दिन चार दिन में मंडी जाना है। ट्रैक्टर आने वाला है, बैलगाड़ी आने वाली है। सब तैयार है। मंडी जाने का बस इंतजार है। और अचानक ओले गिर गए। अचानक बारिश आ गई। अचानक आंधी आ गई। सोलह आनी  फसल बर्बाद हो गई। भाइयों बहनों इस बार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना हम ऐसी लाए हैं, कि कटाई के बाद पंद्रह दिन में अगर खेत में आपकी फसल पड़ी   है । ढेर लगा हुआ है। मंडी में जाने  का इंतजार है। और उसी समय अगर नुकसान हो गया तो भी फसल बीमा का पैसा मिलेगा ये काम हमने किया है। यहां हमारे किसान भाई आए हैं लाखों की तादाद में । आप मुझे बताइए कि ये किसानों की भलाई का काम है कि नहीं है कि नहीं है। ये किसानों की भलाई का काम है कि नहीं है। ये काम प्रधानमंत्री ने किया है कि नहीं किया है । ये काम भारत सरकार ने किया है कि नहीं किया है। ये काम आपको दिखता है । ये  काम आपको दिखता है। ये काम आपको दिखता है।  अखिलेश जी को नहीं दिखता है।

भाइयों बहनों।

मेरा और एक गंभीर आरोप है । इस सरकार पर मेरा गंभीर आरोप है। और मैं आरोप बड़ी जिम्मेवारी के साथ लगाता हूं। मुझे मालूम है कि यहां के मुख्यमंत्री जवाब नहीं दे पाएंगे। यहां की सरकार जवाब नहीं दे पाएगी।  भाइयों बहनों मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार है। पचास साठ प्रतिशत किसानों का बीमा हो जाए। हरियाणा में भाजपा की सरकार है। पचास साठ प्रतिशत किसानों का बीमा हो जाए । छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार है पचास साठ प्रतिशत किसानों का बीमा है जाए। गुजरात में भाजपा की सरकार है पचास साठ प्रतिशत किसानों का बीमा हो जाए। हरियाणा में भाजपा की सरकार है पचास साठ प्रतिशत किसानों का बीमा हो जाए। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार है। पचास साठ प्रतिशत किसानों की बीमा हो जाए। गुजरात में भाजपा की सरकार है पचास साठ प्रतिशत किसानों  का बीमा हो जाए। महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार है पचास साठ प्रतिशत किसानों का बीमा हो जाए। क्या कारण है अखिलेश जी, जो उत्तर प्रदेश किसानों से भरा पडा प्रदेश है । हर जमीन का एक इंच उपजाऊ जमीन है। मेहनतकश किसान है लेकिन आपके रहते  हुए आप किसान विरोधी हो इसके  कारण सिर्फ 14 प्रतिशत किसानों का ही बीमा हुआ है। सिर्फ 14 प्रतिशत। कौन जिम्मेवार है इसके लिए। कौन जिम्मेवार भाइयों बहनों । कौन जिम्मेवार। ये 14 प्रतिशत भी कौन है। सिर्फ उनके वोट देने वाले जो कुनबे है न सिर्फ उनको  ही बीमा  का लाभ दिया गया। बाकी किसानों को नहीं दिया गया। क्या फसल बीमा योजना में भी आपप किसानों में मेरा तेरा करोगे। उसमें भी जातिवाद का जहर घोलोगे। क्या किसान मेहनत करता  है, गेहूं पकाता है, तो क्या ये सोचता है कि गेहूं किसके पेट में जाएगा। भाइयों बहनों इससे बडा कोई जुल्म नहीं हो सकता। इससे बड़ा कोई अन्याय नहीं हो सकता। और इसलिए मैं कहता हूं भाइयों बहनों। आप मुझे बताइये आज से दो साल पहले जब मैं नया-नया प्रधानमंत्री बना था। मई महीने में मैंने सरकार बनाई थी। और देश भर से शुरू में मुझे मुख्यमंत्रियों की चिट्ठियां जो आती थीं, वो एक ही विषय पर आती थी। और वो चिट्ठी आती थी यूरिया के लिए। हर मुख्यमंत्री लिखता था कि हमें यूरिया जायादा चाहिए, हमारे किसानों को यूरिया चाहिए, यूरिया दीजिए।

भाइयों बहनों।

दो साल हो गए आज मुझे एक भी मुख्यमंत्री की यूरिया मांग करने की चिट्ठी नहीं आती। क्या कारण है। किसलिए आप सबको याद है। कि यूरिया  खरीदने के लिए  किसान को रात रात कतार में खड़े रहना पड़ता था। यूरिया खरीदने के लिए किसान को  काले बाजारी से यूरिया खरीदना पड़ता था। अगर समय पर यूरिया नहीं मिला तो उसके लिए वो यूरिया जहर हो जाता है बेकार हो जाता । उसे समय पर  चाहिए । फसल को आवश्यकता हो तब मिलना चाहिए। दस पंद्रह दिन के बाद मिलने के बाद कोई फायदा नहीं होता। और इसलिए वो कालाधन देकर ब्लैक मनी देकर के कालेबाजारी  से यूरिया खरीदता था। भाइयों बहनों दो साल में हमने ऐसी व्यववस्था की यूरिया का उत्पादन बढाया। यूरिया में भाई भतीजावाद को खत्म किया। मेरा तेरा  समाप्त हो गया। हर किसी को न्याय से यूरिया मिले उसकी नीति बनाई। नए यूरिया के कारखाने लगाने का काम किया। गोरखपुर के अंदर कई वर्षों से बंद पडा यूरिया का खाद का कारखाना चालू करने का हमने फैसला किया। इतना ही नहीं सबसे बड़ा जो  काम किया। हमें यूरिया का नीम कोटिन कर दिया। पहले क्या होता  था। कारखाने से यूरिया निकलता था। लेकिन किसान के पास नहीं जाता था। चोर बाजारी के रास्ते से केमिकल फैक्टरियों में  चला जाता था। कैमिकल वालों के लिए यूरिया रॉ मैटेरियल होता था। उसमें से वो और चीजें बनाकरके अरबों खरबों रुपये कमाते थे। और यूरिया पैदा करने वाले राजनेता सारे मिलकरके ये यूरिया में भ्रष्टाचार का कारोबार करते थे। हमने नीम कोटिन कर दिया। भाइयों बहनों नीम कोटिन करने के कारण मुट्ठी भर यूरिया भी किसी  कैमिकल फैक्ट्री मे काम नहीं आ सकता । सिवाय खेत, सिवाय खेत के यूरिया का कोई उपयोग ही नहीं हो सकता है। मुझे बताइये चोरी गई कि नहीं गई। चोरी गई कि नहीं गई। कालेबाजारी गई कि नहीं गई। कालेबाजारी गई कि नहीं गई। किसान को यूरिया मिला कि नहीं मिला। किसान को यूरिया मिला कि  नहीं मिला। अखिलेश जी ये काम भी  आपको नहीं दिखेगा क्या। क्योंकि आपको  कारनामों की आदत है काम की  आदत नहीं है। भाइयों बहनों मुझे आज दुख कके साथ कहना पड़ता है भारत सरकार किसानों का माल पानी के मोल बिक न जाए फसल पैदा होने के बाद किसान के पास रखने की जगह नहीं होती है। वो जल्दी से जल्दी मंडी पहुचाकर के बेच देना चाहता  है। उसको डर भी रहता है कि खुले में पड़ा और कोई नुकसान हो जाएगा तो । लेकिन मंडी में जाता है तो दाम गिर जाते हैं । किसान के पसीने  की कमाई पानी के मोल बिक जाती है। भारत सरकार मिनिमम सपोर्ट प्राइस देती है भारत सरकार पैसे देती है और राज्य सरकार को कहती है कि आप किसानों से ये मूल्य से सारी चीजें खरीदिए। धान खरीदिए, गेहूं खरीदिए। किसानों की रक्षा करिये। भाइयों बहनों हरियाणा में किसान जो  पैदा करता है उसमें से साठ सत्तर प्रतिशत सरकार खरीदती है। दाम गिरने नहीं देती है। छत्तीसगढ, मध्यप्रदेश, राजस्थान भाजपा की सरकारें पचास साठ प्रतिशत किसानों ने जो  धान उत्पादन किया, जो चावल उत्पादन किया, जो गेहूं उत्पादन किया। उसको खरीद लेते  हैं। और ये त्तर प्रदेश जो किसानों का प्रदेश है। सबसे ज्यादा लोग गांवों में रहते हैं किसानी करते हैं। लेकिन ये अखिलेश जी की सरकार उसको पता नहीं किसानों से क्या दुश्मनी है कि भाजपा की सरकारें पचास साठ परसेंट खरीदती है।  ये सिर्फ तीन प्रतिशत खरीदती है। तीन प्रतिशत, तीन प्रतिशत, तीन। कहिए ये किसानों के साथ घोर अन्याय है कि नहीं है । ये किसानों के साथ जुल्म है कि नहीं है।

भाइयों बहनों।

मैं वादा करना चाहता हूं आपको जो भी किसान अपनी पैदावार उचित दाम  से बेचना चाहता है उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनेगी उसको उचित दाम  से खरीदने का वादा  करती है। किसान को मरने नहीं दिया जाएगा। किसान को लूटने नहीं दिया जाएगा। लेकिन भाइयों बहनों इनको परवाह नहीं, इनको  चिंता नहीं है। हमारा तो मंत्र है विकास । विकास के  लिए ही सरकारें बननी चाहिए। भाई भतीजावाद के लिए सरकारें नहीं होती है । जात पात के लिए सरकारें नहीं होती है। संप्रदायवाद के लिए सरकारें नही होती है। पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण में भेद करने के लिए सरकारें नहीं होती है। सरकार हर किसी के लिए होती है। सबसे पहले गरीबों के लिए होती है गांव के लिए होती है। किसान के लिए होती है। दलित पीड़ित शोषित वंचित के लिए होती है। माताओं बहनों के लिए  होती है। नौजवानों के भविष्य के लिए होती है। लेकिन भाइयों बहनों ये दो कुनबे पूरा उनका कारोबार देखिए। ये जोड़ी ऐसे नहीं मिली है। दोनों में एक ही प्रकार के गुण हैं दोनों में एक ही प्रकार के अवगुण हैं। दोनों में एक ही प्रकार की आदतें हैं । और इसलिए उनको मेलजोल करा लिया।

भाइयों बहनों।

अब उत्तर प्रदेशऔर  जिन्होंने देश को लूटा  जिन्होंने  उत्तर प्रदेश को लूटा ऐसे जब मिल जाएं तो आगे क्या होगा।  इसका अंदाज कर सकते हैं। भाइयों बहनों मैं हैरान हूं जब  यहां के आइएस अफसर ये मैं नहीं कह रहा हूं। मख्यमंत्री जी। आप ही की सरकार के आपके अफसर कहते हैं कि अगर डीएम बनाना है तो सत्तर लाख रुपया जमा कराना पड़ता है। सत्तर लाख रुपया। ये काम करते हो क्या। ये काम बोलता है क्या। इसी काम के लिए जनता ने आपको बिठाया है क्या। एक एक अफसरों को तबादले के लिए पोस्टिंग के ले सत्तर लाख पचत्तर लाख एक करोड़ देना पड़ता है तो भाइयों बहनों वो लाएगा कहां से, आप ही से लूटेगा कि नहीं लूटेगा। आप ही से लूटेगा कि नहीं लूटेगा। ये लूट बंद होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए। इमानदारी से व्यवस्थाएं होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए। लेकिन भाइयों बहनों जब इस आइएएस अफसर ने पब्लिकली कह दिया ये सत्तर लाख रुपया मांगते हैं तो नौकरी  तो गई सस्पेंड कर  दिया गया उनको। कोई अफसर अवैध खनन करने वालों को पकड़े तो उसे नौकरी से निकाल दो। कोई अफसर कानून व्यवस्था का काम करना चाहे तो उसको टेलीफोन पर  धमकियां दो, यही काम करते हो। हर थाने को समाजवादी पार्टी का कार्यालय बना दिया गया है। जब तक समाजवादी पार्टी का नेता नहीं कहता है थाने में कुछ काम नहीं होता है। भाइयों बहनों इससे बडी चिंता का कोई विषय नहीं हो सकता है। भइयों बहनों ये लोग कैसे काम करते हैं, मैं जरा हिसाब बताता हूं आपको। इससे पता चलेगा आपको। और निर्णय इसी आधार पर होने चाहिए। जात पात के आधार पर निर्णय नहीं होने चाहिए। नौजवान आप,  आपका भविष्य के लिए चिंता  करो। जो बुजुर्ग हैं उनको शर्म के मारे शायद तकलीफ होगी । आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। नौजवानों आपको तो आपका भविष्य निर्धारित करना है। मैं उदाहरण देता हूं। जब मैडम मायावती जी की सरकार थी। बड़ा इंटरेस्टिंग है। जरा सुनने जैसा है। मैडम मायावती जी की सरकार थी। तो 2010 और 2012 के बीच में उत्तर प्रदेश के 23 गांवों में बिजली का काम हुआ जहां बिजली नहीं थी। कितने गांव, कितने गांव। कितने गांव । कितने समय में दो साल में । कितने समय में दो साल में। दो साल में कितने गांव। ये काम किसने किया मैडम , मैडम । उसके बाद बारी आई राजकुमार की। उन्होंने क्या किया 2012 और 2014 । 2012 और 2014 क्या किया। आप अंदाजा लगाइये क्या किया होगा। उत्तर प्रदेश में। जब मैं दिल्ली में बैठा तो मैंने हिसाब लगाया। हिंदुस्तान में 18 हजार गांव ऐसे हैं जिनमें बिजली का खंभा तक नहीं पहुंचा। बिजली का तार भी नहीं पहुंचा। बिजली का लट्टू भी नहीं लगा। 18 हजार गांव 18वीं शताब्दी में जीने के लिए मजबूर थे। बिजली देखी नहीं थी उन्होंने। मैंने आकरके कहा मुझे एक हजार दिन में 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचानी है। 2014 में हमारी सरकार बनी। 2014 में बनीं। मैं जरा 2012 से 2014 तक का । जिनका काम बोलता  है उनका काम क्या बोलता है मैं बताना चाहता हूं। मायावती जी ने 23 गांवों में बिजली पहुंचाई थी। ये नौजवान मुख्यमंत्री ने सिर्फ तीन गांवों में बिजली पहुंचाई। तीन। दो साल में तीन गांवों में खंभे लगे। तार पहुंचा। उत्तर प्रदेश में 15 सौ गांव अंधेरे में हैं। 2014 में मैं प्रधानमंत्री बना। उस समय पंद्रह सौ गांव बाकी थे। उन्होंने सिर्फ तीन गांव का काम किया। मैडम ने 23 गांव का काम किया। और जब हमारी सरकार बनी तो हमने दो साल में कितना किया। दो साल में कितना किया। काम किसको कहते हैं। काम खुद से बोलता है। अरे काम तो उजियारा लाता है। उजियारा लाता है। काम दूर से भी दिखता है। भाइयों बहनों हमें तो दो साल के भीतर भीतर इसी उत्तर प्रदेश में मायावती के दो साल में तेइस गांव अखिलेश जी के दो साल में तीन गांव मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद दो साल में एक हजार तीन सौ चौसठ गांव। आप मुझे बताइये आपको 23 गांव वाली सरकार चाहिए। 23 गांव में काम करने वाली सरकार चाहिए। तीन गांव में काम करने वाली सरकार चाहिए। कि आपको एक हजार तीन सौ चौसठ गांव में काम करने वाली  सरकार चाहिए। काम बोलता है कि नहीं बोलता है। उनके कारनामें बोलते हैं कि नहीं बोलते। उनके कारनामें बोलते हैं कि नहीं बोलते। और इसलिए भाइयों बहनों हम विकास के मुद्दे पर काम करने वाले लोग। हम विकास कर के दिखाना चाहते हैं।

और इसलिए भाइयो बहनों।

मैं आज जब आपके पास  आया हूं मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप भारतीय जनाता पार्टी को सेवा करने का अवसर दें। आज कोई कारण है  कि उत्तर प्रदेश के नौजवानों का पलायन होना चाहिए। आज किसी भी गांव मं जाइये नौजवान नजर नहीं आता है। बुजुर्ग लोग हैं गांव में। सेवा करने वाला नहीं है। पूछते हैं कि बेटा कहां गया। तो बोले वो तो मजदूरी करने के लिए काम करने के लिए शहर चला गया है उसको तो जब किसानी का काम होगा तब आ जाएगा। लेकिन अभी तो है नहीं वो चला गया है। भाइयों बहनों क्या मेरे उत्तर प्रदेश के नौजवानों को अपने मां बाप के पास रहने का हक नहीं है क्या। अपने बुजुर्गों की सेवा करने का हक नहीं है क्या। अपने यार दोस्तों के बीच जिंदगी गुजराने का हक नहीं है क्या। अपने गांव खेत खलिहान के बीच आनंद और  सुख से जीने का हक है कि नहीं है। उसको पेट भरने के लिए बूढ़े मां बाप के पेट भरने के लिए अपने गांव गलियारे छोड़करके शहरों की गंदी नाली में जीने के लए मजबूर होना पड़ता है।

भाइयों बहनों।

ये स्थिति मुझे बदलनी है। ये स्थिति  मुझे बदलनी है। मुझे नौजवानों को उनके ही जनपद में नौकरी मिले काम मिले ऐसा विकास का मॉडल लेकर काम करना है। उसके पास सामर्थ्य है, संकल्प है। परिश्रम करने की तैयारी है। ये सरकार है जो ये करना चाहती है। और इसलिए मैं नौजवानों को निमंत्रण देता हूं। भाइयों बहनों हमारी माताएं बहनें,  ये कांग्रेस के जमाने में 2014 का जब चुनाव हुआ तब कांग्रेस पार्टी किस मुद्दे पर चुनाव लड़ रही थी याद है। 2014 के लोकसभा के चुनाव मं कांग्रेस पार्टी किस मुद्दे पर चुनाव लड़ रही मालूम है। कांग्रेस पार्टी ने घोषणा की थी कि अगर दिल्ली में भारत सरकार में उनकी सरकार बनेगी और वे अगर प्रधानमंत्री बनेंगे तो क्या करेंगे। एक साल में गैस के जो 9 सिलेंडर मिलते हैं वो 12 कर देंगे। ये उन्होंने वादा किया था। भाइयों बहनों हमारी सरकार आई। आप लोगों को पता है एक जमाना था पार्लियामेंट के मेंबर को एमपी को 25 कूपन मिलती थी। गैस का कूपन। वो अपने कार्यकर्ताओं को अपने परिचितों को गैस का कनेक्शन 25 को दिलवा सकता  था। 25 को । पांच साल में सवा सौ लोगों के उनको कूपन मिलते थे। इतना बड़ा पार्लियामेंट का क्षेत्र दो  दो हजार गांव और सवा सौ कूपन,  ये दिन थे और कुछ एमपी थे,  वो कूपन को भी कालाबाजारी में बेचते थे, ऐसी अखबार में खबर आती थी। कैसी कैसी बीमारियां घुस गईं हैं भाइयों। हम आए। हमने तय किया। अगर स्थिति बदलनी है तो ऐसे नहीं बदलेगी। भाइयो बहनों आज भी मेरी गरीब मां जब लकड़ी का चूल्हा जलाकर के  खाना पकाती है 400 सिगरेट का धुआं एक दिन में उसके शरीर में जाता है। लकड़ी का चूल्हा जलाकरके खाना पकाने से चार सौ सिगरेट का धुआं उस मां के शरीर में जाता है। लकड़ी का चूल्हा जलाती है। खाना पकाती है। घर  छोटे  छोटे बच्चे इनके शरीर में भी धुआं जाता है। आप मुझे बताइये कि ये मां बीमार नहीं होगी तो क्या होगा। वो बच्चे बीमार नहीं होंगे तो क्या होगा। क्या गरीबों  के  लिए कुछ नहीं होना चाहिए। हम आए और  मैंने पहले दिन कहा है मैं गरीबी में पैदा हुआ हूं, गरीबी को जिया है और इसलिए मैं गरीबों के लिए जीना चाहता हूं। गरीबों के लिए कुछ करना चाहता हूं। मुझे गरीबी देखने के लिए कहीं जाना नहीं पड़ता है। मैं गरीबी जी करके आया हूं, गरीब की मुसीबतें मैंने झेली हुई है। और इसलिए भाइयों बहनों हमने जो निर्णय किया  कि पांच करोड़ परिवार जिनके घरों में गैस का चूल्हा नहीं है गरीबी में जिंदगी गुजारते हैं सरकार की तरफ से उनको मुफ्त में गैस का कनेक्शन दिया जाएगा।  और लकड़ी के कनेक्शन से मुक्ति दिला करके गैस के चूल्हे से खाना पकाने के लिए उनकी मदद की जाएगी।

भाइयों बहनों।

इस योजना को तो अभी  एक साल भी पूरा नहीं हुआ  है, काम कैसे बोलता है काम कैसे दिखता है काम की क्या ताकत होती है। अब तक साल भी नहीं हुआ है, अब तक एक करोड अस्सी लाख गरीब माताओं को गैस का कनेक्शन दे दिया। अरे उत्तर प्रदेश में लाखों परिवारों में गैस का कनेक्शन पहुंच गया। गैस का चूल्हा काम करने लग गया। एक भी रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा भाइयों बहनों। एक करोड़ अस्सी लाख लोगों को गैस का कनेक्शन दे दिया। आप मुझे बताइये इससे गरीबों का भला होगा कि नहीं होगा। ये गरीबों की सेवा है कि नहीं है। ये माताओं बहनों की सेवा है कि नहीं है । इसको काम कहेंगे कि नहीं कहेंगे। कहेंगे कि नहीं कहेंगे। और इसलिए भाइयों बहनों मैं आपसे यही कहने के लिए आया हूं कि मेरी सरकार देश के गरीबों के हक को  सुरक्षित करना चाहती है। मेरी सरकार मध्यप्रदेश । मध्यमवर्गीय लोगों का जो शोषण होता है। उनकी रक्षा करना चाहती है।

भाइयों बहनों।

इस देश को भ्रष्टाचार ने तबाह किया है कि नहीं किया है। जरा मुझे बताइये भ्रष्टाचार ने बर्बाद किया है कि नहीं किया है। हर मौके पर भ्रष्टाचार आपको रोकता है कि नहीं  रोकता है। भ्रष्टाचार आपके हकों को छीनता है कि नहीं छीनता है। आपको बर्बाद करता है कि नहीं करता है। भ्रष्टाचार खत्म होना चाहिए कि  नहीं  होना चाहिए । भ्रष्टाचार खत्म होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए। अगर सरकार में नौकरी चाहिए तो इंटरव्यू आता है इंटरव्यू । सौ लोगों की नौकरी एक लाख लोगों का इंटरव्यू और तीन बाबू बैठे होते हैं। वो एक कमरे से आता है। दूसरे दरवाजे से निकलता है। तीस सेकेंड लगता है तीस सेकेंड। वो ऐसे ही गुजरता है, और उनका मूड कर गया  वो पूछते हैं क्या नाम है, कहां से आए हो । इतने में तो वो निकल जाता है। मुझे बताइये क्या  ये इंटरव्यू का तरीका है क्या । कोई मुझे बताइये इससे इंटरव्यू होता है क्या। क्या ये तीस सेकेंड में ऐसा कौन सा एक्सरे मशीन है कि आपको पता चल जाए कि अच्छा है ये बुरा है । ये बेइमानी है कि नहीं है ...। भाइयों बहनों ये बेइमानी भ्रष्टाचार करने की दुकान है दुकान। इमानदार होनहार बच्चा, बेटा हो या बेटी, अच्छे से अच्छा मार्क्स लाता हो, हर परीक्षा में उत्तम मार्क्स लाता हो। टेस्ट में भी अच्छे मार्क्स लाता हो, और जब इंटरव्यू कॉल आता है, मां कहती है बेटा तेरा इंटरव्यू कॉल तो आया है। लेकिन बिना सिफारिश नौकरी कहां मिलेगी। देखो ढूंढो कोई जान पहचान मिलता है क्या। कोई तुझे इंटरव्यू में पास करवा सकता है क्या। बेटा कहता है मां,  मिल तो जाएगा। लेकिन वो तो दो लाख, पांच लाख, दस लाख रुपया मांगेगा। तो गरीब मां कहती है कि बेटा अब मेरी तो जिंदगी पूरी होने आई है ये घर गिरवी रखकरके अगर तेरी  नौकरी लग जाती है तो गिरवी  रख दो। ये मेरा मंगलसूत्र गिरवी रखकरके तुझे नौकरी मिल जाती है तो बेटा गिरवी रख दो । बाप कहता है कि ये मेरा छोटा सा खेत अगर वो गिरवी रखकरके तुझे नौकरी मिल जाती है तो बेटा गिरवी रख दो, बेटा तू पैसे देकर के भी नौकरी ले लो।

भाइयों बहनों।

ये पाप खत्म होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए ...। ये नौजवानों का हक लूटा जा रहा है वो बंद होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए ...। आपने मुझे प्रधानमंत्री बनाया। हमने फैसला किया दिल्ली में बैठते ही। हमने कहा तीसरे और चौथे वर्ग के  जो सरकारी मुलाजिम हैं जो सबसे ज्यादा होते हैं। टीचर हो नर्सेज हो, पैरा मेडिकल स्टाफ हो, ड्राइवर हो, प्यून हो, क्लर्क हो ये सबसे ज्यादा होते हैं। बड़े बड़े बाबू तो बहुत कम होते हैं। हमने तय कर लिया वर्ग तीन और चार के कोई इंटरव्यू नहीं होंगे। उसके पास जो मार्क्स आए हैं परीक्षा में टेस्ट में जो मार्क्स आए हैं वो सारा कंप्यूटर में डाल दिया जाएगा और कंप्यूटर को पूछा जाएगा कि बताओ भाई नंबर एक कौन है , दो कौन है, तीन कौन है, दस कौन है, सौ कौन है। कंप्यूटर बताएगा जो पहले सौ होंगे उनके घर ऑर्डर चला जाएगा। विधवा मां के बेटे को नौकरी मिल जाएगी। भ्रष्टाचार गया कि नहीं गया, गया कि नहीं गया। मैंने उत्तर प्रदेश की सरकार से आग्रह किया। मैंने कहा भई मैं उत्तर प्रदेश का सांसद हूं इतना तो करो।  भारत सरकार ने कर दिया है आफ उत्तर प्रदेश में ये भाई भतीजावाद जातिवाद खत्म करने के लिए इंटरव्यू खत्म करिए। नहीं किया भाई नहीं किया। और नौकरी किसको मिली। नौजवानों किसी को नौकरी मिली क्या ...। उनके रिश्तेदारों को मिली कि नहीं मिली ...। उनको  वोट बैंक वालों को मिली कि नहीं मिली ...। ईमानदार नौजवान को नौकरी मिली क्या ...।

भाइयों बहनों।

हमने वादा किया है जिन नौजवानों का हक था लेकिन पिछले पांच साल में उनके हक को डुबो गया है वो सारा कच्चा चिट्ठा खोल दिया जाएगा। और जिसका हक है उसको हक देने के लिए हम कोशिश करेंगे भाइयों बहनों। भ्रष्टाचार और कालाधन उसके खिलाफ मैंने लड़ाई छेड़ी है। बातें बहुत करने वाले आ गए। लेकिन  करने की हिम्मत नहीं थी क्योंकि राजनीतिक हिसाब किताब बैठता नहीं था। 8 नवंबर रात को 8 बजे टीवी पर आकरके मैंने कह दिया। 1000 और 500 के नोट वाले अभी भी  उनको  नींद नहीं आती है। भाइयों बहनों गरीब का लूटा है वो गरीब को लौटना चाहिए कि नहीं चाहिए। सत्तर साल से बेइमानी से इकट्ठा किया वो वापिस आना चाहिए कि नहीं चाहिए। ये लड़ाई मेरी सही है कि गलत है। ये लड़ाई चलनी चाहिए कि नहीं चलनी चाहिए । बेइमानी का पैसा वापस आना चाहिए कि नहीं चाहिए। गरीब को हक मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए। भाइयों बहनों मैं रुकने वाला भी नहीं हूं। मैं झुकने वाला भी नहीं हूं। न मैं चैन से बैठूंगा और न लुटेरों को चैन से बैठने दूंगा भाइयों बहनों ।  मैं जानता हूं ये सब इकट्ठे हो जाएंगे। उनको इतना डर लग रहा है कि क्योंकि इतना जमा कर करके रखा है ये निकलना शुरू हो गया है। अभी कांग्रेस के नेता पूछ रहे थे कि मोदी जी बताएं कि कितना कालाधन आया । 2014 के पहले अखबार खोल करके देख लीजिए। क्या खबर आती थी, कोयले में कितना गया। टू जी में कितना गया। हेलीकॉप्टर में कितना गया। सिंचाई में कितना गया।  यही खबर आती थी कि नहीं आती थी ...। यही आती थी कि नहीं आती थी ...। हर कोई पूछता था कांग्रेस जवाब दे कितना खाया। मोदी को क्या पूछा जाता है। मोदी को कोई ये नहीं पूछता है कि कितना खाया, मोदी को ये नहीं पूछता है कि कितना गया। लोग मोदी से पूछ रहे हैं कितना आया। बताइये फर्क है कि नहीं है। ये बदल है कि नहीं है। अरे दिल्ली में एक ऐसी सरकार आपने बिठाई है जिससे देशवासियों को भरोसा है पूछ रहा है देश मोदी जी कितना आया जरा बता दीजिये। पहले बात होती थी कितना गया। अब बात होती है कितना आया। आएगा। सबकुछ वापस आने वाला है। और जो नेता मुझे पूछ रहे हैं जरा बताओ कर्नाटक में कांग्रेस सरकार है उसके मंत्री के घर से डेढ़ सौ करोड़ निकला वो क्या था। उसके एक एमएलए के घर से सौ करोड से ज्यादा निकला वो क्या था। उसके एक इंजीनियर के यहां से करोड़ों रुपया निकला वो क्या था। निकल रहा है सब जगह  निकल रहा है। और भी निकलने वाला है।

भाइयों बहनों।

मेरी ये लड़ाई छोटे छोटे व्यापारियों से नहीं है। व्यापारी तो क्या करता होगा ज्यादा से ज्यादा। बीस रुपये का माल बाइस में बेच देता होगा।  मौका पड़ या तो पच्चीस में बेचता होगा। सरकार को सौ रुपया देना होगा तो हो सकता है कि 80 रुपया देता होगा. इससे ज्यादा कोई पाप नहीं करता है वो। अगर सबकुछ न्याय से चले तो सबसे पहले इस देश का व्यापारी न्याय से चलने के लिए हमसे भी आगे चलने के लिए तैयार है।  लेकिन लूटा किसने है, व्यापारियों ने नहीं लूटा है। किसान ने नहीं लूटा है। मजदूर ने नहीं लूटा है। लूटा है जो पद पर बैठे हैं पद का दुरुपयोग किया है। चाहे राजनेता हो चाहे बाबू लोग हो । चाहे थानेदार हो। इन्होंने ही लूटा है। सारी जड़ वही है। और इसलिए मेरी लड़ाई छोटे छोटे व्यापारियों से नहीं है मेरी लडाई इन ठेकेदारों से है।

मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए भाइयों बहनों।

आपका आशीर्वाद चाहिए। और मुझे विश्वास है सवा सौ करौड़ देशवासी कठिनाइयां झेलकर के भी । तकलीफ झेलकर के भी इस देश से भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए । इस देश से कालाधन खत्म करने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर करके मेरे साथ खड़े हैं इससे बड़ा मेरा कोई सौभाग्य नहीं हो सकता है। आइए भाइयो बहनों उत्तर प्रदेश का भाग्य बदलने के लिए। यहां के नौजवानों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए। कानून व्यवस्था को वापिस लाने के लिए, भारतीय जनता पार्टी को विजय बनाइए। कमल के निशान पर बटन दबाइये । भव्य विजय दिलाइये। और पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश ने जो कमाल करके दिखाई है। पूरा उत्तर प्रदेश वैसा ही कमाल करके दिखाए। और अभी तीन एमएलसी का चुनाव हुआ तीन एमएलसी का चुनाव। उनके गठबंधन होने के बाद हुआ। और तीनों भाजपा जीत गई। हजारों वोटों से जीत गई। पार्टियों के पत्ते साफ हो गए। सरकार उनकी थी। गठबंधन उनका था। इरादे उनके थे । करतूत उनके थे। काम बोलता है तीनों हम जीत गए। काम बोलता है तीनों एमएलसी ने उनको परास्त करके रख दिया, यही तो ताकत है काम की।

और  इसलिए मैं कहता हूं भाइयों बहनों।

कारनामों से उत्तर प्रदेश को बचाना है । काम से आगे बढ़ाना है। उत्तर प्रदेश को उत्तर दो, अखिलेश जी। उत्तर प्रदेश को उत्तर दो। भाइयों बहनों भारतीय जनता पार्टी को विजय बनाओ मेरे साथ मुट्ठी बंद करके पूरी ताकत से बोलिए। भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय भारत माता की जय।  बहुत बहुत धन्यवाद।

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Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM Modi
December 06, 2025
India is brimming with confidence: PM
In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder: PM
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।